Sunday, May 20, 2018

जानिए गौहत्या का इतिहास, भारत मे गौमाता कि रक्षा कब होगी?

🚩संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी ने बयान दिया है कि गौहत्या पर सारे देश में प्रतिबन्ध लगना चाहिए। हम उनके बयान का सम्मान करते है और आशा करते है कि वह मोदी जी पर इस अति आवश्यक कार्य के लिए दवाब बनाएंगे।
Know the history of cow slaughter, Gumata in India
 when will be the protection?

🚩भारतीय इतिहास में गौ हत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं। लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनितिक इच्छा शक्ति कि कमी होना है। आप कल्पना कीजिये हर रोज जब आप सोकर उठते है तब तक हज़ारों गौओं के गलों पर छूरी चल चुकी होती है। गौ हत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौ हत्या रोकने में नाकाम है। आज हमारे देश कि जनता ने नरेन्द्र मोदी जी को सरकार चुनी है। सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसी के प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है। इसलिए यह इस सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह बदले में हिन्दुओं कि शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा कि मांग को पूरा करे और गौ हत्या पर पूर्णत प्रतिबन्ध लगाए।
🚩अक्सर देखने में आता है कि बिकाऊ मीडिया और पक्षपाती पत्रकारों के प्रभाव से हम यह आंकलन निकाल लेते है कि सारे देशवासियों कि भी यही राय होगी जो इन पत्रकारों, बुद्धिजीवियों कि होती है। मगर देश कि जनता ने चुनावों में मोदी जी को जीत दिलाकर यह सिद्ध कर दिया कि नहीं यह केवल आसमानी किले है। इसलिए सरकार को चंद उछल कूद करने वालों कि संभावित प्रतिक्रिया से प्रभावित होकर गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। ध्यान दीजिये मुस्लिम शासनकाल में गौ हत्या पर रोक थी। भारत में मुस्लिम शासन के दौरान कहीं भी गौकशी को लेकर हिंदू और मुसलमानों में टकराव देखने को नहीं मिलता। बाबर से लेकर अकबर ने गोहत्या पर रोक लगाई थी। औरंगजेब ने इस नियम को तोड़ा तो उसका साम्राज्य तबाह हो गया। आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र ने भी 28 जुलाई 1857 को बकरीद के मौक़े पर गाय कि क़ुर्बानी न करने का फ़रमान जारी किया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि जो भी गौ वध करने या कराने का दोषी पाया जाएगा उसे मौत कि सज़ा दी जाएगी।
🚩भारत में गौ हत्या को बढ़ावा देने में अंग्रेज़ों ने अहम भूमिका निभाई। जब 1700 ई. में अंग्रेज़ भारत आए थे उस वक़्त यहां गाय और सुअर का वध नहीं किया जाता था। हिंदू गाय को पूजनीय मानते थे और मुसलमान सुअर का नाम तक लेना पसंद नहीं करते थे। अंग्रेजों ने मुसलमानों को भड़काया कि क़ुरान में कहीं भी नहीं लिखा है कि गाय कि क़ुर्बानी हराम है। इसलिए उन्हें गाय कि क़ुर्बानी करनी चाहिए। उन्होंने मुसलमानों को लालच भी दिया और कुछ लोग उनके झांसे में आ गए। इसी तरह उन्होंने दलित हिंदुओं को सुअर के मांस कि बिक्री कर मोटी रकम कमाने का झांसा दिया। 18वीं सदी के आख़िर तक बड़े पैमाने पर गौ हत्या होने लगी। अंग्रेज़ों कि बंगाल, मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी सेना के रसद विभागों ने देश भर में कसाईखाने बनवाए। जैसे-जैसे यहां अंग्रेज़ी सेना और अधिकारियों कि तादाद बढ़ने लगी वैसे-वैसे गौ हत्या में भी बढ़ोत्तरी होती गई।
🚩गौ हत्या और सुअर हत्या कि आड़ में अंग्रेज़ों को हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने का भी मौक़ा मिल गया। इस दौरान हिंदू संगठनों ने गौ हत्या के ख़िला़फ मुहिम छेड़ दी। नामधारी सिखों का कूका आंदोलन कि नींव गौरक्षा के विचार से जुड़ी थी। हरियाणा प्रान्त में हरफूल जाट जुलानी ने अनेक कसाईखानों को बर्बाद कर कसाइयों को यमलोक पंहुचा दिया। हरफूल जाट ने बलिदान दे दिया मगर पीछे नहीं हटें। 1857 कि क्रांति मंगल पांडेय का बलिदान इसी गौरक्षा अभियान के महान बलिदानों से सम्बंधित है। आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द ने गौरक्षा के लिए आधुनिक भारत में सबसे व्यापक प्रयास आरम्भ किये। उन्होंने गौरक्षा एवं खेती करने वाले किसानों के लिए गौ करुणा निधि पुस्तक कि रचना कर सप्रमाण यह सिद्ध किया कि गौ रक्षा क्यों आवश्यक है। स्वामी जी यहाँ तक नहीं रुके। उन्होंने भारत कि पहली गौशाला रिवाड़ी में राव युधिष्ठिर के सहयोग से स्थापित की, जिससे गौरक्षा हो सके। इसके अतिरिक्त उन्होंने पांच करोड़ भारतियों के हस्ताक्षर करवाकर उन्हें महारानी विक्टोरिया के नाम गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रस्ताव भेजने का अभियान भी चलाया। यह अभियान उनकी असमय मृत्यु के कारण पूरा न हुआ। मगर इससे भारत वर्ष में हज़ारों गौशाला कि स्थापना हुई एवं गौरक्षा अभियान को लोगों ने अपने प्रबंध से चलाया। भारत में गौरक्षा अभियान के समाचार लंदन भी पहुंचे। आख़िरकार महारानी विक्टोरिया ने वायसराय लैंस डाउन को पत्र लिखा। महारानी ने कहा, हालांकि मुसलमानों द्वारा कि जा रही गौ हत्या आंदोलन का कारण बनी है लेकिन हक़ीक़त में यह हमारे ख़िलाफ़ है क्योंकि मुसलमानों से कहीं ज़्यादा गौ वध हम कराते हैं। इसके ज़रिए ही हमारे सैनिकों को गौ मांस मुहैया हो पाता है। इसके बाद 1892 में देश के विभिन्न हिस्सों से सरकार को हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजकर गौ वध पर रोक लगाने कि मांग की जाने लगी। इन पत्रों पर हिंदुओं के साथ मुसलमानों के भी हस्ताक्षर होते थे। 1947 के पश्चात भी गौरक्षा के लिए अनेक अभियान चले। 1966 में हिन्दू संगठनों ने देशव्यापी अभियान चलाया। हज़ारों गौभक्तों ने गोली खाई मगर पीछे नहीं हटे। राजनितिक इच्छा शक्ति कि कमी के चलते यह अभियान सफल नहीं हुआ।
🚩इस समय भी देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें केंद्र सरकार से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और भारतीय गौवंश कि रक्षा के लिए कठोर क़ानून बनाए जाने कि मांग की जा रही है। गाय कि रक्षा के लिए अपनी जान देने में भारतीय मुसलमान किसी से पीछे नहीं हैं. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले के गांव नंगला झंडा निवासी डॉ. राशिद अली ने गौ तस्करों के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ रखी थी जिसके चलते 20 अक्टूबर 2003 को उन पर जानलेवा हमला किया गया और उनकी मौत हो गई. उन्होंने 1998 में गौ रक्षा का संकल्प लिया था और तभी से डॉक्टरी का पेशा छोड़कर वह अपनी मुहिम में जुट गए थे गौ वध को रोकने के लिए विभिन्न मुस्लिम संगठन भी सामने आए हैं दारूल उलूम देवबंद ने एक फ़तवा जारी करके मुसलमानों से गौ वध न करने कि अपील की है. दारूल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के अध्यक्ष मुती हबीबुर्रहमान का कहना है कि भारत में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। इसलिए मुसलमानों को उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए गौ वध से ख़ुद को दूर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शरीयत किसी देश के क़ानून को तोड़ने का समर्थन नहीं करती। क़ाबिले ग़ौर है कि इस फ़तवे कि पाकिस्तान में कड़ी आलोचना की गई थी। इसके बाद भारत में भी इस फ़तवे को लेकर ख़ामोशी अख्तियार कर ली गई।
🚩गाय भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अहम भाग है। यहां गाय कि पूजा की जाती है। यह भारतीय संस्कृति से जुड़ी है। महात्मा गांधी कहते थे कि अगर निस्वार्थ भाव से सेवा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कहीं देखने को मिलता है तो वह गौ माता है। गाय का ज़िक्र करते हुए वह लिखते है-
"गौ माता जन्म देने वाली माता से श्रेष्ठ है। हमारी माता हमें दो वर्ष दुग्धपान कराती है और यह आशा करती है कि हम बड़े होकर उसकी सेवा करेंगे। गाय हमसे चारे और दाने के अलावा किसी और चीज़ कि आशा नहीं करती। हमारी मां प्राय: रूग्ण हो जाती है और हमसे सेवा कि अपेक्षा करती है। गौ माता शायद ही कभी बीमार पड़ती है। वह हमारी सेवा आजीवन ही नहीं करती अपितु मृत्यु के बाद भी करती है। अपनी मां कि मृत्यु होने पर हमें उसका दाह संस्कार करने पर भी धनराशि व्यय करनी पड़ती है। गौ माता मर जाने पर भी उतनी ही उपयोगी सिद्ध होती है जितनी अपने जीवनकाल में थी। हम उसके शरीर के हर अंग-मांस, अस्थियां, आंतों, सींग और चर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बात जन्म देने वाली मां कि निंदा के विचार से नहीं कह रहा हूं बल्कि यह दिखाने के लिए कह रहा हूं कि मैं गाय कि पूजा क्यों करता हूं।"- महात्मा गाँधी
🚩महात्मा गाँधी का नाम लेकर पूर्व में अनेक सरकारें बनी मगर गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लगा। आज इस देश कि सरकार से हम प्रार्थना करते है कि समस्त देश कि भवनाओं का सम्मान करते हुए गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाए एवं गौहत्या करने वाले को कठोर से कठोर दंड मिले। - डॉ विवेक आर्य
#गौरक्षा_राष्ट्रधर्म_है
#SaveGauRakshaks
🚩(1966 में गौहत्या पर प्रतिबन्ध के समर्थन में संसद का खेराव करते महान गौरक्षक। उनके तप और बलिदान के लिए कोटि कोटि नमन)
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Friday, May 18, 2018

धर्म के लिए प्राण दे दिए पर धर्म परिवर्तन नही किया, जानिए बलिदान कि महान गाथा को

🚩मुगल काल में बलिदान के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें उंगलियों पर गिनाया जा सकता है औरंगजेब के समय में हिंदुओं पर ऐसा कहर ढाया गया कि धरती कांप उठी और आसमान थराने लगा था जिहाद के नाम पर हिंदुओं को बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया जा रहा था औरंगजेब कि सेना को सरे राह जो भी हिंदु या सिक्ख मिलता उसे हिंदुत्व छोडऩे के लिए बाध्य किया जाता इनकार करने पर उसे यातनाएं दी जाती और फिर उसका सिर कलम कर दिया जाता धर्म परिवर्तन के लिए हिंदुओं को बकरों की तरह काटा जाता ।
Do not change religion on the
life of religion, know the great saga of sacrifice

🚩औरंगजेब ने इस उद्देश्य के लिए कश्मीर को चुना क्योंकि उन दिनों कश्मीर हिन्दू सभ्यता संस्कृति का गढ़ था वहाँ के पण्डित हिन्दू धर्म के विद्धानों के रूप में विख्यात थे औरंगजेब ने सोचा कि यदि वे लोग इस्लाम धारण कर लें तो बाकी अनपढ़ व मूढ़ जनता को इस्लाम में लाना सहज हो जायेगा और ऐसे विद्वान समय आने पर इस्लाम के प्रचार में सहायक बनेंगे और जनसाधारण को दीन के दायरे में लाने का प्रयत्न करेंगे अतः उसने इफ़तखार ख़ान को शेर अफगान का खिताब देकर कश्मीर भेज दिया और उसके स्थान पर लाहौर का राज्यपाल,गवर्नर फिदायर खान को नियुक्त किया।
लेकिन गुरु तेगबहादुर के पास जब कश्मीर से हिन्दू औरंगजेब के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने कि प्रार्थना करने आये तो वे उससे मिलने दिल्ली चल दिये।
🚩दिल्ली जाते समय मार्ग में आगरा में ही उनके साथ भाई मतिदास, भाई सतिदास तथा भाई दयाला को बन्दी बना लिया गया। इनमें से पहले दो सगे भाई थे। हिन्दू का स्वाभिमान नष्ट होता जा रहा था। उनकी अन्याय एवं अत्याचार के विरुद्ध प्रतिकार करने कि शक्ति लुप्त होती जा रही थी आगरे से हिन्दुओं पर अत्याचार कि खबर फैलते फैलते लाहौर तक पहुंच गयी हिन्दू स्वाभिमान के प्रतीक भाई मतिराम कि आत्मा यह अत्याचार सुन कर तड़प उठी उन्हें विश्वास था कि उनके प्रतिकार करने से ,उनके बलिदान देने से निर्बल और असंगठित हिन्दू जाति में नवचेतना का संचार होगा।
🚩भाई मतिराम तत्काल लाहौर से दिल्ली के लिए निकले लेकिन आगरे में इस्लामी मतांध तलवार के सामने सर झुकाए हुए मृत्यु के भय से अपने पूर्वजों के धर्म को छोडऩे को तैयार हिंदुओं को देखा और उन्होंने कायर हिन्दुओ को ललकार कर कहा- कायर कहीं के मौत के डर से अपने प्यारे धर्म को छोडऩे में क्या तुमको लज्जा नहीं आती ! भाई मतिराम कि बात सुनकर मतांध मुसलमान हंस पड़े और उससे कहाँ कि कौन हैं तू, जो मौत से नहीं डरता? भाई मतिराम ने कहाँ कि अगर तुझमें वाकई दम हैं तो मुझे मुसलमान बना कर दिखाओ।
🚩भाई मतिराम जी को बंदी बना लिया गया उन्हें अभियोग के लिए आगरे से दिल्ली भेज दिया गया।
🚩तब हाकिम ने बोला तो तुम्हे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा तब मतिराम ने कहा कि मुझे धर्म छोडऩे कि अपेक्षा अपना शरीर छोडऩा स्वीकार है।हाकिम ने फिर कहा कि मतिराम फिर से सोच लो। मतिराम ने फिर कहा कि मेरे पास सोचने का वक्त नहीं हैं हाकिम,तुम केवल और केवल मेरे शरीर को मार सकते हो मेरी आत्मा को नहीं क्योंकि आत्मा अजर ,अमर है। न उसे कोई जला सकता हैं न कोई मार सकता है मतिराम को इस्लाम कि अवमानना के आरोप में आरे से चीर कर मार डालने का हाकिम ने दंड दे दिया।चांदनी चौक के समीप खुले मैदान में लोहे के सीखचों के घेरे में मतिराम को लाया गया।
🚩भाई मतिराम को दो जल्लाद उनके दोनों हाथों में रस्से बांधकर उन्हें दोनों ओर से खींचकर खड़े हो गए, दोनों ने उनकी ठोड़ी और पीठ थामी और उनके सर पर आरा रखा । लकड़ी के दो बड़े तख्तों में जकड़कर उनके सिर पर आरा चलाया जाने लगा। जब आरा दो तीन इंच तक सिर में धंस गया तो काजी ने उनसे कहा - मतिदास, अब भी इस्लाम स्वीकार कर ले। शाही जर्राह तेरे घाव ठीक कर देगा। तुझे दरबार में ऊँचा पद दिया जाएगा और तेरी पाँच शादियाँ कर दी जायेंगी।
🚩भाई मतिदास ने व्यंग्यपूर्वक पूछा – काजी, यदि मैं इस्लाम मान लूँ तो क्या मेरी कभी मृत्यु नहीं होगी ? काजी ने कहा कि यह कैसे सम्भव है। जो धरती पर आया है उसे मरना तो है ही। भाई जी ने हँसकर कहा – यदि तुम्हारा इस्लाम मजहब मुझे मौत से नहीं बचा सकता तो फिर मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म में रहकर ही मृत्यु का वरण क्यों न करूँ ?
उन्होंने जल्लाद से कहा कि अपना आरा तेज चलाओ जिससे मैं शीघ्र अपने प्रभु के धाम पहुँच सकूँ। यह कहकर वे ठहाका मार कर हँसने लगे।
🚩काजी ने कहा कि वह मृत्यु के भय पागल हो गया है। भाई जी ने कहा – मैं डरा नहीं हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि मैं धर्म पर स्थिर हूँ। जो धर्म पर अडिग रहता है उसके मुख पर लाली रहती है; पर जो धर्म से विमुख हो जाता है, उसका मुँह काला हो जाता है। कुछ ही देर में उनके शरीर के दो टुकड़े हो गये। भाई मतिदास गुरू हर गोबिंद सिंह के शिष्य थे उनका जन्म पंजाब के जिला जेलम में ब्राह्मण परिवार में हुआ था अन्याय के खिलाफ उन्होंने गुरू हरगोविंद के साथ मिलकर कई लड़ाइयां लड़ी थीं उन्होंने नीर्भीक होकर अपने प्राण दे दिए थे लेकिन इस्लाम को कबूल नहीं किया था।
🚩औरंगजेब चाहता था कि गुरुजी भी मुसलमान बन जायें। उन्हें डराने के लिए इन तीनों को तड़पा-तड़पा कर मारा गया पर गुरुजी विचलित नहीं हुए।
🚩औरंगजेब ने सबसे पहले 9 नवम्बर, 1675 को भाई मतिदास को आरे से दो भागों में चीरने को कहा।
🚩अगले दिन 10 नवम्बर को उनके छोटे भाई सतिदास को रुई में लपेटकर जला दिया गया। भाई दयाला को पानी में उबालकर मारा गया। 11 नवम्बर को चाँदनी चौक में गुरु तेगबहादुर का भी शीश काट दिया गया।
🚩ग्राम करयाला, जिला झेलम (वर्तमान पाकिस्तान) निवासी भाई मतिदास एवं सतिदास के पूर्वजों का सिख इतिहास में विशेष स्थान है। उनके परदादा भाई परागा जी छठे गुरु हरगोविन्द के सेनापति थे। उन्होंने मुगलों के विरुद्ध युद्ध में ही अपने प्राण त्यागे थे। उनके समर्पण को देखकर गुरुओं ने उनके परिवार को ‘भाई’ की उपाधि दी थी। भाई मतिदास के एकमात्र पुत्र मुकुन्द राय का भी चमकौर के युद्ध में बलिदान हुआ था।
🚩भाई मतिदास के भतीजे साहबचन्द और धर्मचन्द गुरु गोविन्दसिंह के दीवान थे। साहबचन्द ने व्यास नदी पर हुए युद्ध में तथा उनके पुत्र गुरुबख्श सिंह ने अहमदशाह अब्दाली के अमृतसर में हरिमन्दिर पर हुए हमले के समय उसकी रक्षार्थ प्राण दिये थे। इसी वंश के क्रान्तिकारी भाई बालमुकुन्द ने 8 मई, 1915 को केवल 26 वर्ष की आयु में फाँसी पायी थी। उनकी साध्वी पत्नी रामरखी ने पति की फाँसी के समय घर पर ही देह त्याग दी।
🚩लाहौर में भगतसिंह आदि सैकड़ों क्रान्तिकारियों को प्रेरणा देने वाले भाई परमानन्द भी इसी वंश के तेजस्वी नक्षत्र थे।
🚩हिन्दू धर्म छोडऩे के लिए जब बकरों कि तरह काट दिए जाते थे इन्सान । आखिर वामपंथी इतिहासकारो कि क्या मज़बूरी थी कि उन्होंने इन बातो का जिक्र इतिहास कि किताबो में नही किया ??? और ऐसे नीच मुगलों को महान बताया ।
🚩किसी ने ठीक ही कहा है -
सूरा सो पहचानिये, जो लड़े दीन के हेत
पुरजा-पुरजा कट मरे, तऊँ न छाड़त खेत ।।
कहते हैं की प्रतिदिन सवा मन हिंदुओं के जनेऊ कि होली फूंक कर ही औरंगजेब भोजन करता था....!!
🚩आज हिंदुस्तान में मुगल काल के गुणगान हो रहे हैं इनके नाम कि सङके व इमारते हैं धिक्कार है उनको जो ऐसे क्रुर, हत्यारे मुगलों का गुणगान करते है ।
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Thursday, May 17, 2018

1000 पुरुषों को ब्लैकमेल करके फ़साने वाली लड़की गिरफ्तार

17 May 2018

🚩पैसे ऐठने के लिए आज एक ट्रेंड चल पड़ा है बलात्कार के नये बने कानून का दुरुपयोग करके निर्दोष पुरषों को फ़साओं और पैसा नही दे तो केस कर दो या हत्या कर दी जाती है ।

🚩जयपुर कि प्रिया सेठ राजस्थान कि सबसे बड़ी महिला गैंगस्टर बनना चाहती है। वैश्यावृति, ठगी, लूट जैसी वारदातों में गिरफ्तार हो चुकी प्रिया इस बार एक युवक कि हत्या का आरोप में गिरफ्तार हुई है।
Girl arrested for blackmailing 1000 men


🚩लेक्चरर पिता प्रिया को शिक्षा कि दुनिया का उजियारा बनाना चाहते थे शिक्षक बनाना चाहते थे। लेकिन जिस्मफरोशी के धंधे में वो ऐसी उतरी कि हत्या जैसा जघन्य अपराध भी कर बैठी। अपने दो साथियों के साथ मिलकर उसने सोशल मीडिया पर दोस्त बने दुष्यन्त को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं बल्कि लाश को सूटकेस में पैक कर जयपुर-दिल्ली हाईवे पर फेंक दिया।

🚩पुलिस के मुताबिक इसी साल मार्च में दुष्यन्त कि दोस्ती सोशल मीडिया के जरिए प्रिया सेठ से हुई थी। प्रिया कॉलगर्ल के रूप में एक साइट चलाती है जिसके चंगुल में दुष्यन्त फंस गया। प्रिया को लगा कि दुष्यन्त धनवान है। उसने मुम्बई में मॉडलिंग के लिए स्ट्रगल कर रहे अपने साथी दिक्षान्त कामरा को पैसे कमाने का शॉर्टकट समझाते हुए। उसके एक और साथी लक्ष्य वालिया को शामिल कर लिया।

🚩प्रिया फोन कर दुष्यन्त को फ्लेट पर बुलाया, मारपीट कि और बंधक बना लिया। दुष्यन्त से घर फोन करवाया गया कि दस लाख रुपए उसके एकाउंट में डाल दें नहीं तो उसे बलात्कार के केस में फंसा दिया जाएगा। पहले ही एक एक्सीडेन्ट में अपने दो बेटे गंवा चुके दुष्यन्त के पिता घबरा गए तीन लाख रुपए उसके अकाउंट में डलवा भी दिए गए। फिर भी तीनो ने मिलकर दुष्यंत कि हत्या कर दी।

🚩पुलिस के मुताबिक प्रिया सेठ पहले भी करीब एक हज़ार लोगों के साथ ठगी कि वारदात को अंजाम दे चुकी है। ब्लेकमैलिंग, लूट और जिस्मफरोशी के धंधे में जयपुर के अलग अलग थानों में गिरफ्तार हो चुकी है। उसके आरोपी साथी शॉर्टकट से पैसा कमाने के लालच में हत्या जैसा अपराध कर बैठे। 

🚩निर्भया कांड के बाद #नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये #कानून बनाये गये ।परंतु दहेज विरोधी कानून कि तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है ।

🚩2012 में दर्ज किये गये रेप केसों में से ज्यादातर केस #बोगस पाये गये । 2013 कि शुरुआत में यह आँकड़ा 75% तक पहुँच गया । 

🚩दिल्ली महिला आयोग कि जाँच के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 तक #बलात्कार कि कुल 2,753 शिकायतों में से 1,466 शिकायतें #झूठी पायी गयीं । 

🚩जैसे दहेज विरोधी अधिनियम में संशोधन किया गया ऐसे ही #POCSO कानून में भी संशोधन की जरुरत है। 

🚩विभिन्न कानूनविदों, न्यायधीशों व बुद्धिजीवियों ने भी इस कानून के बड़े स्तर पर दुरुपयोग के संदर्भ में चिंता जतायी है ।

🚩दिल्ली के एक फास्ट ट्रैक कोर्ट कि #न्यायाधीश #निवेदिता #शर्मा ने #बलात्कार के एक मामले में #आरोपी को बरी करते हुए टिप्पणी की कि ‘इन दिनों बलात्कार या यौन-शोषण के झूठे मुकदमे दर्ज कराने का #ट्रेंड बढ़ता जा रहा है जो चिंताजनक है। इस तरह के चलन को रोकना बेहद जरूरी है। 

🚩बलात्कार निरोधक कानूनों में संशोधन कब ?

🚩‘‘करोडों लोगों के आस्था-केन्द्र धर्मगुरुओं, प्रसिद्ध गणमान्य हस्तियों एवं आम लोगों को रेप एवं यौन-शोषण से संबंधित कानूनों कि आड में फँसाकर देश की जडें काटी जा रही हैं । स्वार्थी तत्त्वों एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों का मोहरा बनी महिलाओं के कारण समस्त महिला समुदाय कलंकित हो रहा है । 

🚩महिलाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, महिलाओं पर से लोगों का विश्वास घटता जा रहा है । इसलिए बलात्कार निरोधक कानूनों का दुरुपयोग रोकने के लिए इनमें शीघ्र संशोधन किये जायें । 

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