Monday, March 11, 2019

होली पर ये दो कार्य जरूर करें, स्वस्थ्य रहेगें और शुद्ध होगा वातावरण

11 मार्च 2019
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🚩इस बार मार्च 20 को होली आने वाली है हर साल की तरह इस बार भी मीडिया में 24 घंटे डिबेट चलने की संभावना है कि होली दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि आदि...।
🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाये उनके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य छुपे मिले ऐसे ही कपोल कल्पित त्यौहार हमारी संस्कृति में नहीं हैं उसके पीछे कई गूढ़ रहस्य छुपे हैं ।

🚩होली दहन के पीछे का वैज्ञानिक कारण :
बता दें कि होली के दिनों में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं उससे बचने के लिए होली दहन की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है जिसके कारण अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है । होली के पीछे आध्यात्मिक कारण भी छुपा है, भक्ति करने वाला का हमेशा विजयी होता है चाहे कोई कितना भी अनिष्ट करने की कोशिश करे उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।
🚩प्राचीनकाल में होली का दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था जिसमें से ऑक्सीजन निकलता था और धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी जिससे आने वाले दिनों में गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बचाव हो जाता था ।
🚩आजकल जिन लकड़ियों से होली दहन किया जाता है वैसे नहीं करना चाहिए उसके बदले गाय के गोबर के कण्डों से करना चाहिए ।
🚩गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे:-
एक गाय करीब रोज 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।
🚩एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं । इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं । औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे । लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे ।
🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम ऑक्सीजन निकलती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि गाय के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है ।
🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा ।
धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक कारण :
होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । आध्यात्मिक कारण ये है कि हमे सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है उसको भूलकर मिलजुलकर होली खेलें ।
🚩पलाश रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे:
पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।
🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है ।
🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
🚩 मीडिया से सावधान:
सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके #त्यौहारों के खिलाफ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । हिन्दुओं के खिलाफ मतलब केवल एक हिन्दू के खिलाफ नहीं बल्कि उनकी जहां-जहां आस्था है उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रही है ।
🚩विदेशी फंडेड मीडिया हाउस का टारगेट मुख्यरूप से हिन्दू देवी-देवता, हिन्दू त्यौहार, हिन्दू साधु-संत, वैदिक गुरुकुलों, मन्दिर, आश्रम आदि-आदि हैं । अतः आप बिकाऊ मीडिया से बचे ओर इसका विरोधी करें और खुशी से वैदिक होली खेलें ।
आओ मनाएं ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार..
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भारत से अरबों रुपया कमाने वाली कंपनी का हो रहा है बहिष्कार

10 मार्च 2019

🚩सनातनियों ने किसी का कभी कुछ नहीं बिगाड़ा, दुश्मन को भी वैदिक रीति अतिथि देवो भव के नाम पर शरण ही नहीं बल्कि सम्मान भी दिया । खुद पर 17 बार हमले करने वाले गद्दारों को भी माफ़ किया, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साजिशें रची जाती रही हैं । बार-बार उन्हें किसी न किसी बहाने से कोई न कोई निशाने पर लेता रहा और हर पल इस प्रयास में रहा कि किस प्रकार से उनके खिलाफ कुछ न कुछ तो जरूर किया जाय ।
🚩ज्ञात हो कि एक बार फिर से हिन्दुओं के सबसे प्रमुख त्यौहार होली के खिलाफ साजिशें रचनी शुरू हो चुकी हैं । इस बार शुरुआत की है हिन्दुओं के ही घरो में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले सर्फ़ एक्सेल के द्वारा जो वाशिंग पाऊडर के रूप में जाना जाता है । इस सर्फ एक्सेल ने आने वाले होली के खिलाफ एक ऐसा विज्ञापन चलाया है जो हिन्दू समाज को आंदोलित भी कर रहा है और आक्रोशित भी ।

मात्र 34 लाख में खुली यह कंपनी 5237 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा भारत से लूटकर 2018 में इंग्लैंड ले गयी ।

🚩तकलीफ की बात यह है कि पहले अंग्रेज हमें मार-पीट कर गुलाम बनाकर लूटते थे, लेकिन आज उनकी कंपनी विज्ञापन दिखाकर हमारे दिमाग मे कचरा भर के लूट रही है ।

🚩वर्तमान समय में अपनी हिन्दू विरोधी छवि के लिए आतंकियों से भी ज्यादा कुख्यात हो चुका ब्रांड सर्फ एक्सेल फिर से चर्चा में है । पवित्र कुम्भ में अपनी हिन्दू विरोधी छवि दिखाने के बाद भी जब उसका मन नहीं भरा तो उसने होली के लिए ऐसा एड निकाला है जो आक्रोशित कर रहा है हिन्दू समाज को ।

🚩विज्ञापन में क्या है?

एक हिंदू बच्ची होली के दिन सायकल लेकर गली में निकलती हैं, जहाँ छतों पर बच्चे बाल्टियों में रंगों से भरकर बलून रखें हुए है ।
बच्ची पूछती हैं रंग फेंकना हैं.?..फेंको... सभी बच्चे उस पर कलर बलून फेंकने लगते हैं...

🚩जब रंग खत्म हो जाता है तब बच्ची एक मुस्लिम बच्चे को बुलाती है, घर में से सफ़ेद कुर्ता पजामा पहने मुस्लिम बच्चा बाहर निकलता हैं...जिसे हिन्दू बच्ची अपने सायकल के पीछे बैठाकर मस्जिद छोड़ने जाती हैं...बच्चा कहता है नमाज पढ़कर आता हूँ ।

और उसी दौरान विज्ञापन में जावेद अख्तर की पत्नी शबाना आजमी की आवाज सुनाई देती हैं-अपनो की मदद करने में दाग लगे तो "दाग" अच्छे हैं...।

यहाँ विज्ञापन ने एक साथ कई निशाने साधे गए हैं...

🚩पहला होली के पवित्र रंगों को "दाग" कहने की चेष्टा की गई । वह भी अन्य मज़हब के लिए । बच्ची द्वारा होली के रंगों में सरोबार होना, सर्फ एक्सेल को "दाग" नजर आता है...। 

एक प्रकार से नमाज की पवित्रता औऱ आवश्यकता होली के त्यौहार से अधिक महत्वपूर्ण बताने का चतुराई पूर्वक कुत्सित प्रयास किया गया है ।

🚩अगर आपके मन मे विज्ञापन देखकर एक बार भी गंगा-जमुनी-तहजीब, भाईचारे, बच्चों की मासूमियत का खयाल आता हैं तो आप  बौध्दिक पिशाचों के पाश में जकड़ चुके है ।

दूसरा लव जिहाद...

🚩यहाँ जानबूझकर हिन्दू लड़की चुनी गई । हिन्दू लड़का भी चुना जा सकता था, लेकिन बचपन से मदद,मानवता के नाम पर हिन्दू बच्चियों और माँ बाप के अंदर लव जिहाद के बीज बो देना । यही बौद्धिक आतंकवाद है । बच्चों के नाम पर अपना नैरेटिव सैट करना । जिसमें खुद आप उनकी मदद करें ।

यहाँ एक औऱ बात ध्यान देने योग्य है...

🚩विज्ञापन के अंत मे आवाज शबाना आजमी की हैं, जिनका एनजीओ धर्मांतरण औऱ हिन्दू विरोधी गतिविधियों के लिये कुख्यात हैं ।

सर्फ़ एक्सेल से जनता सवाल पूछ रही है...

🚩क्या सर्फ एक्सेल मोहर्रम पर ऐसा विज्ञापन बना सकता है ??...
जहाँ मुस्लिम बच्ची, हिन्दू बच्चे को कुर्बानी के खून के छींटों से बचाते हुए, उन छीटों को अपने कपड़ों पर लेते हुए मन्दिर ले जाये आरती के लिये ?
तब शबाना आजमी कहें "अपनों की मदद के लिये दाग लगे तो दाग अच्छे हैं ।"

🚩है हिम्मत सर्फ एक्सेल में ??...

या ईद पर जब चारों तरफ जानवर काटे जा रहे हों,, गलियों में खून बह रहा हो तब कोई मुस्लिम लड़की उस खून में अपने पैर और कपड़े गंदे करते हुए किसी हिन्दू लड़के को मन्दिर में पूजा के लिए लेकर जाए,,
और पीछे से शबाना आज़मी की मधुर आवाज आए--"अपनों की मदद के लिए दाग लगें तो दाग अच्छे हैं..."

🚩है ऐसा विज्ञापन बनाने की हिम्मत सर्फ एक्सेल में??

या सिर्फ हिंदुओं ने ही अपने आपको इतना सस्ता कर लिया है कि मिलार्ड, मीडिया, सेकुलर नेता, वामपंथी, मिशनरियां आदि आदि जिसका भी मन करे वही करो छेड़छाड़ इनकी परम्पराओं, धार्मिक मान्यताओं से, ये कुछ नहीं करेंगे, सोई हुई कौम है ।

🚩सभी देशवासियों से नम्र निवेदन है कि सर्फ एक्सेल के साथ-साथ विदेशी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर के सभी उत्पादों का बहिष्कार कीजिये, आर्थिक ताकत से इसे झुकाइये, ताकि सर्फ एक्सेल ये विज्ञापन वापिस ले औऱ भविष्य में दोबारा ऐसा दुःसाहस न करे ।

विदेशी कंपनियों का उत्पाद न खरीद कर स्वदेशी ही खरीदें जिससे देश भी समृद्ध बनेगा और आप भी स्वस्थ्य रहेंगे ।

🚩अपने बच्चों को सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझाएं जिससे वे अन्य मत पंथ में फंसकर अपनी बर्बादी न करें ।

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Sunday, March 10, 2019

जानिए अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास, महिला मंडल क्या करेगा ?

07 मार्च 2019

*🚩अन्तर्राष्ट्रीय #महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में #उत्सव के तौर पर मनाया जाता है ।*

*🚩अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) 28 फरवरी 1909 को पहली बार अमेरिका में सेलिब्रेट किया गया था । सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें ।*
*🚩1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया । उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था ।*


*🚩1913-14 में महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा । रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस फरवरी माह के आखिरी दिन पर मनाया और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया । यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं ।*

*🚩1917 में रूस की महिलाओं ने, 8 मार्च महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया । यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी । जार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम #सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया । उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर । इन दोनो की तारीखों में कुछ अन्तर है । जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी इतवार 23 फरवरी को था जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी । इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है । इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।*


*🚩1975 में यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च का दिन सेलिब्रेट करना शुरू किया । 1975 वह पहला साल था जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया ।*

*🚩2011 में अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा । उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया ।*

*🚩 महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में सौंपें जायेंगें ज्ञापन:-*

*🚩महिला उत्थान मंडल महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा प्रदान किया गया है ।*

*🚩“यस्य  नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता”*
*अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहां पर ईश्वर स्वयं निवास करते हैं ।*

*🚩एक समय था जब हमारे #देश में #भारतीय नारी को देवी और लक्ष्मी का रूप मानकर देश की महिलाओं को #पूजा जाता था, लेकिन पश्चात्य संस्कृति का अंधानुसरण करके टीवी, फिल्मों, मीडिया, अश्लील उपन्यास आदि के कारण इन्सान अपने चरित्र से इस कदर नीचे गिर गया है कि उसके लिए स्त्री एक पूजनीय और देवी का रूप न होकर केवल उपभोग की वस्तु समझी जाने लगी है ।*

*🚩उन्होंने आगे कहा कि #महिलाओं को लेकर अनेक प्रकार की कुरीतियों का भी जन्म हुआ है जैसे दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, उपभोग की वस्तु समझना ऐसी तमाम बुराईयाँ जन्म ले चुकी हैं, इसे रोकने के लिए संत श्री आशारामजी बापू ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये हैं । कॉल सेंटरों, ऑफिसों में हो रहे महिला शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की तथा महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं ।*

*🚩उन्होंने आगे कहा कि #संत #आशारामजी #बापू द्वारा बनाये गए #महिला उत्थान मंडल द्वारा महिलाओं के लिए महिला सर्वांगीण विकास शिविर व सेवा-साधना शिविरों का आयोजन, गर्भपात रोको अभियान, तेजस्विनी अभियान, युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, मुफ्त चिकित्सा सेवा, मातृ-पितृ पूजन दिवस, कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ रक्षा  अभियान व दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । बापूजी ने नारियों का आत्मबल जगाकर उनका वास्तविक उत्थान किया है । उनकी अनुपस्थिति के कारण उपरोक्त विश्वव्यापी सेवाकार्यों में अपूर्णीय क्षति हो रही है । उन्होंने महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए भोगवादी सभ्यता से लोहा लिया एवं अथकरूप से अनेक प्रयास किये, इसलिए उन्हें शीघ्र रिहा किया जाये ।*

*🚩महिला जागृति, नारी सशक्तिकरण व महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु #देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिनके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं ।*

*🚩उन्होंने कहा कि #महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है । #कानून की आड़ में कई निर्दोष पुरुषों को फँसाया जा रहा है जिसके कारण उस पूरे परिवार को सजा भुगतनी पड़ती है । इसका विरोध करना बहुत जरूरी है ।*

*🚩विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं, लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है ।*  

*🚩निर्दोष संतों पर हो रहे षड्यंत्र की भर्त्सना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि ' #संत #आशारामजी #बापू ने संस्कृति-रक्षा एवं संयम-सदाचार के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया । #मातृ-पितृ पूजन दिवस व वसुधैव कुटुम्बकम् की लुप्त हो रही परम्पराओं की पुनः शुरूआत कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है । दो महिलाओं के बेबुनियाद आरोपों को मुद्दा बनाकर ऐसे महान संत को सालो से जेल में रखा गया है, क्या यही न्याय है ? हम लाखों बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ?*

*🚩मंडल की सदस्याओं का कहना है कि बढ़ रहे पाश्चात्य कल्चर के अंधानुकरण के कारण आज महिला वर्ग के जीवन में संस्काररूपी जड़ें खोखली होती नजर आ रही हैं । ऐसे में अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है । इतिहास साक्षी है कि यह कार्य सदा #संतों-महापुरुषों के द्वारा ही सम्पन्न होता रहा है । #अपनी ही संस्कृति एवं देश के हित के लिए, बालकों, महिलाओं एवं युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए, समस्त देशवासियों की भलाई के लिए अपना जीवन होम देनेवाले पूज्य #संत श्री #आशारामजी #बापू द्वारा प्रेरित #महिला उत्थान मंडल द्वारा 8 मार्च विश्व महिला दिवस के निमित मंडल के महत्वपूर्ण मुदों पर ध्यान केंद्रित करने व #बापूजी की #रिहाई की मांग करते हुए #देशभर में डी सी ऑफिस में #ज्ञापन सौंपा जाएगा ।*

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