Friday, October 11, 2019

बंगाल में 4 दिनों में 8 हिन्दुओं की नृशंस हत्या, मीडिया, लिबरल गैंग चुप

11 अक्टूबर 2019

*🚩पश्चिमी बंगाल के मुर्शिदाबाद मे जेहादियों द्वारा एक शिक्षक बंधु प्रकाश की बेटे और गर्भवती पत्नी के साथ में घर में घुस कर हत्या कर दी गई। सेक्युलर मीडिया इसपर क्या लिख रहा है वह ध्यान देने योग्य है। आज तक ने सधे शब्दो में लीपापोती करते हुए इसे निजी रंजिश, पति पत्नी की अनबन और उधारी का मामला बताया है। भास्कर ने अज्ञात हमलावरों को दोषी बताया है। NDTV ने भी पुलिस और राज्यपाल के ब्यान के आधार पर सेक्युलरिज़्म का पालन किया है।*

*🚩बंगाल में 4 दिनों में 8 हिन्दुओं की हत्या हो गई है। मंदिर के पुजारी तथा भाजपा कार्यकर्ता सुप्रियो बॅनर्जी की नृशंस हत्या, तालाब में फेंका शव, तृणमूल कार्यकर्ताओं पर हत्या का आरोप लगा है।*

*🚩इन जिहादियों द्वारा केवल बंगाल में ही नहीं 9 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के मंदसौर में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के नेता युवराज सिंह को गोली मार कर हत्या कर दी गई !*

*🚩जहानाबाद बिहार में मस्जिद के निकट से जा रही मां दुर्गादेवी प्रतिमा विसर्जन पर जिहादियों द्वारा पथराव किया गया जिससे कर्ई हिन्दू घायल हो गए।*

*🚩उत्तरप्रदेश के बलरामपुर में दुर्गा विसर्जन के समय जिहादियों ने हिन्दूओ पर पत्थर फेंके थे, 8 मुस्लिम पुरुषों को गिरफ्तार किया गया है।*

*🚩यह तो अभी कुछ ताजा घटनाएं है जो थोड़ी बहुत सोशल मीडिया पर आती है बाकी तो जिहादियों द्वारा कितनी हिंदुओं की हत्या हुई है कोई गिन नही सकता है, लव जिहाद में हिंदू लड़कियों को फंसाकर उनकी जिंदगी नरक बना देते हैं ।*

*🚩इन सभी मुद्दों पर मीडिया, अवार्ड वापसी गैंग, तथाकथित बुद्धिजीवी चुप है क्योंकि मरने वाले हिंदू हैं और मारने वाले मुसलमान हैं जिससे उनको कुछ फर्क नहीं पड़ता है, हिंदुओं को इन घटनाओं से सावधान हो जाना चाहिए अपनी जनसंख्या बढ़ानी चाहिए और अपने बच्चों को धर्म के संस्कार देने चाहिए जिससे वे भी सावधान रहें।*

*🚩ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?*

*2005 में समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है। जो तथ्य निकल करआए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं।*

*🚩उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते। जैसे अमरीका में वे (0.6 प्रतिशत) हैं, आस्ट्रेलिया में 1.5, कनाडा में 1.9, चीन में 1.8, इटली में 1.5 और नॉर्वे में मुसलमानों की संख्या 1.8 प्रतिशत है। इसलिए यहां मुसलमानों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।
जब मुसलमानों की जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। जैसा कि डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में जहां क्रमश: 2, 3.7, 2.7, 4 और 4.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।*

*🚩जब मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश या क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिए वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर ‘हलाल’ का मांस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि ‘हलाल’ का मांस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यताएं प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में खाद्य वस्तुओं के बाजार में मुसलमानों की तगड़ी पैठ बन गई है। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्कीट के मालिकों पर दबाव डालकर उनके यहां ‘हलाल’ का मांस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी धंधे को देखते हुए उनका कहा मान लेते हैं।*

*🚩इस तरह अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है, जिन देशों में ऐसा हो चुका है, वे फ्रांस, फिलीपींस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं। इन देशों में मुसलमानों की संख्या क्रमश: 5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले।*

*🚩जब मुस्लिम जनसंख्या किसी देश में 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं, शिकायतें करना शुरू कर देते हैं, उनकी ‘आॢथक परिस्थिति’ का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़-फोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ्रांस के दंगे हों डेनमार्क का कार्टून विवाद हो या फिर एम्सटर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवादको समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है। ऐसा गुयाना (मुसलमान 10 प्रतिशत), इसराईल (16 प्रतिशत), केन्या (11 प्रतिशत), रूस (15 प्रतिशत) में हो चुका है।
जब किसी क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, जैसा इथियोपिया (मुसलमान 32.8 प्रतिशत) और भारत (मुसलमान 22 प्रतिशत) में अक्सर देखा जाता है। मुसलमानों की जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्रवाइयां आदि चलने लगती हैं। जैसा बोस्निया (मुसलमान 40 प्रतिशत), चाड (मुसलमान 54.2 प्रतिशत) और लेबनान (मुसलमान 59 प्रतिशत) में देखा गया है। शोधकत्र्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बताते हैं कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है। जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है।*

*🚩किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी का 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है। जैसे बंगलादेश (मुसलमान 83 प्रतिशत), मिस्र (90 प्रतिशत), गाजापट्टी (98 प्रतिशत), ईरान (98 प्रतिशत), ईराक (97 प्रतिशत), जोर्डन (93 प्रतिशत), मोरक्को (98 प्रतिशत), पाकिस्तान (97 प्रतिशत), सीरिया (90 प्रतिशत) व संयुक्त अरब अमीरात (96 प्रतिशत) में देखा जा रहा है।*

*🚩इन आंकड़ों से आप समझ सकते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण कितना जरूरी है जबतक जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं आता है तबतक हिंदुओं को कमसे कम 4 बच्चें तो पैदा करना ही चाहिए।*

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मंदिर में दान के पैसे का क्या उपयोग हो रहा है? जानकर रह जाएंगे हैरान

10 अक्टूबर 2019
 
*🚩हिंदुओं के मंदिर और उनकी सम्पदाओं को नियंत्रित करने के उद्देश से सन 1951 में एक कायदा बना – “The Hindu Religious and Charitable Endowment Act 1951” इस कायदे के अंतर्गत राज्य सरकारों को मंदिरों की मालमत्ता का पूर्ण नियंत्रण प्राप्त है, जिसके अंतर्गत वे मंदिरों की जमीन, धन आदि मुल्यमान सामग्री को कभी भी कैसे भी बेच सकते हैं और जैसे भी चाहे उसका उपयोग कर सकते हैं । लेख में अधिकांश आंकड़े पुराने हैं । नवीनतम आंकड़े अनुपलब्ध हैं। ट्रावनकोर देवास बोर्ड के अंतर्गत लगभग 1,249 मंदिर आते हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर हो रही चोरी की खबर 8 मई 2013 में सामने आयी । सीसीटीवी से पता चला कि नकदी गिनने वाले कर्मचारी चोरी कर रहे हैं। ये सरकारी कर्मचारी थे जिसमे हिन्दू मुसलमान व ईसाई सभी थे।*
 
*🚩निम्न वाक्यों पर विचार करें। हिन्दू के लिए सभी का उत्तर "हाँ" है। मुस्लिम ईसाई के लिए "ना"।*
 
*1 पूजा स्थलों पर सरकारों का नियंत्रण*
*2 किसी भी पूजा स्थल को सरकार नियंत्रण में ले सकती है*
*3 पूजा स्थलों पर चढ़ावे के धन पर सरकार का नियंत्रण*
*4 पूजा स्थलों के प्रबंधन के साथ धार्मिक कार्यों पर सरकार का नियंत्रण*
*5 पूजा स्थलों की संपत्ति सरकार बेच सकती है*
*6 पूजा स्थलों की आय पर टैक्स*
*7 पूजा स्थलों की आय का उपयोग सरकार किसी और कार्य के लिए कर सकती है*
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*🚩कर्नाटक सरकार के मन्दिर एवं पर्यटन विभाग (राजस्व) द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 1997 से2002 तक पाँच साल में कर्नाटक सरकार को राज्य में स्थित मन्दिरों से “सिर्फ़ चढ़ावे में” 391 करोड़ की रकम प्राप्त हुई, जिसे निम्न मदों में खर्च किया गया-*
*1) मन्दिर खर्च एवं रखरखाव – 84 करोड़ (यानी 21.4%)*
*2) मदरसा उत्थान एवं हज – 180 करोड़ (यानी 46%)*
*3) चर्च भूमि को अनुदान – 44 करोड़ (यानी 11.2%)*
*4) अन्य – 83 करोड़ (यानी 21.2%)*
*कुल 391 करोड़*
 
*🚩जैसा कि इस हिसाब-किताब में दर्शाया गया है उसको देखते हुए “सेकुलरों” की नीयत बिलकुल साफ़ हो जाती है कि मन्दिर की आय से प्राप्त धन का (46+11) 57% हिस्सा हज एवं चर्च को अनुदान दिया जाता है (ताकि वे हमारे ही पैसों से जेहाद, धार्मिक सफ़ाए एवं धर्मान्तरण कर सकें)। जबकि मन्दिर खर्च के नाम पर जो 21% खर्च हो रहा है, वह ट्रस्ट में कुंडली जमाए बैठे नेताओं व अधिकारियों की लग्जरी कारों, मन्दिर दफ़्तरों में AC लगवाने तथा उनके रिश्तेदारों की खातिरदारी के भेंट चढ़ाया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह आँकड़े सिर्फ़ एक राज्य (कर्नाटक) के हैं, जहाँ 1997 से 2002 तक कांग्रेस सरकार ही थी…*
*इस देश की जनता पर जो सच्चाई या तो जानना नहीं चाहती और जान कर भी अनजान बनी रहती है, चाहे वह पद्मनाभ मंदिर हो या मुंबई का सिद्धि विनायक या तिरुपति या ओडिशा का श्री जगन्नाथ मंदिर सारे के सारे मंदिर सरकार के अधीन हैं और उनके ट्रस्ट के मैनेजर और उनके बोर्ड में सरकार के आदमी होते हैं जो दान के रूपये कहाँ खर्च किये जाने हैं उसका फैसला लेता हैं।*
 
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*🚩आँध्रप्रदेश के 43000 मंदिरों के संपत्ति से केवल 18% दान मंदिरों को अपने खर्चों के लिए दिया गया और बचा हुआ 82 % कहाँ खर्च हुआ इसका कोई उल्लेख नहीं ! यहां तक कि विश्व प्रसिद्ध तिरूमाला तिरूपति मंदिर भी बख्शा नहीं गया,हर साल दर्शनार्थियों के दान से इस मंदिर में लगभग 1300 करोड़ रुपये आते हैं जिसमें से 85% सीधे राज्यसरकार के राजकोष में चले जाते हैं, क्या हिंदू दर्शनार्थी इसलिए इन मंदिरों में दान करते हैं कि उनका दान हिंदू-इतर तत्वों के काज करने में लगे? स्टीफन एक और आरोप आंध्र प्रदेश सरकार पर लगाते हैं, उनके अनुसार कम से कम 10 मंदिरों को सरकारी आदेश पर अपनी जमीन देनी पड़ी गोल्फ के मैदानों को बनाने के लिए !!!*
 
*🚩“क्या हिन्दुस्तान में 10 मस्जिदों के साथ ऐसा होने की कल्पना की जा सकती है ?” इसी प्रकार कर्नाटक में कुल 2 लाख मंदिरों से 79 करोड़ रुपए सरकार ने बटोरा जिसमें से केवल 7 करोड़ रुपए मंदिर कार्यकारिणियों को दिए गए । इसी दौरान मदरसों और हज सब्सिडी के नाम पर 59 करोड़ खर्च हुआ । 
*(स्टीफन नाप लिखित पुस्तक “Crimes Against India and the Need to Protect Ancient Vedic Tradition” से)*
 
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*🚩जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा*
 
*अप्रैल 2016 में उड़ीसा सरकार ने लगभग 400 एकड़ भूमि बेच कर 1000 करोड़ रूपए जुटाने की योजना बनाई। सरकार ने मंदिर से राजस्व को बढ़ावा देने के लिए मंदिर के जमीन की नीलामी करने की योजना बनाई है। इसके लिए भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण को जमीन का प्लॉट काटकर बेचने को कहा गया है।  खुर्दा जिले के जातानी क्षेत्र के कई गांव वालों ने इस संबंध में ओडिशा उच्च न्यायालय में केस दायर किया है। सरकार ने ओडिशा उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया है। अधिकारी  जमीन पर लगे स्टे ऑर्डर को हटवाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उसे बेचा जा सके।"*
 
*🚩सेक्युलर सुझाव क्या हैं ?(6 जुलाई 2011 के हिंदुस्तान के लेख के आधार पर।)*
*बहुत कुछ हो सकता है इस खजाने से 
*-यह राशि केरल राज्य के सार्वजनिक ऋण (पब्लिक डेब्ट), जो करीब 71 हजार करोड़ रुपए है, से ज्यादा है। इस राशि से केरल की अर्थव्यवस्था बदल सकती है।*
*- इससे ‘फूड सिक्युरिटी एक्ट’ (करीब 70 हजार करोड़ रुपए) और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (करीब 40 हजार करोड़ रुपए) का खर्च निकल सकता है।*
*- यह राशि भारत के सालाना शिक्षा बजट की ढाई गुणा है।*
*- इस राशि से भारत का सात माह का रक्षा खर्च पूरा हो सकता है।*
*- यह राशि भारत के तीन राज्यों- दिल्ली, झारखंड और उत्तराखंड के सालाना बजट से ज्यादा है।*
*- यह कोरिया की स्टील कंपनी पॉस्को द्वारा उड़ीसा में किए जा रहे 12 बिलियन डॉलर (करीब 54 हजार करोड़ रुपए) के प्रस्तावित निवेश, जो भारत में अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है, से करीब दोगुना है।*
*- यह राशि भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट वैल्यू की एक तिहाई और विप्रो (1.02 लाख करोड़) के लगभग बराबर है।*
 
*🚩11 सितंबर 2018 को सांसद उदित राज ने सोशल मीडिया में कहा है कि मंदिरों के धन को बेच करके केरल में बाढ़ से हुए  21 हजार करोड़ के नुकसान का पांच गुणा अधिक धन एकत्र किया जा सकता है।*
*साफ है हिन्दूओं की आस्था और संस्कृति के केन्द्र को समाप्त करने पर आज भी सबकी निगाहें हैं। जबकि बताया जाता है कि केरल में मंदिर के पास जितनी संपत्ति है उससे अधिक चर्च और मिशनरियों के साथ वक्फ बोर्ड के पास है, फिर भी हिंदू विरोधी मानसिकता के कारण इन्हें सिर्फ मंदिर ही दिखाई देता है। भारत में रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन चर्च के पास है, क्यों न आपके वास्तविक मजहब की जमीन नीलाम करके बाढ़ पीड़ितों की मदद की जाए ? - पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी*
 
*🚩सरकार को चाहिए की मंदिरों के पैसे का उपयोग सिर्फ हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ही करना चाहिए जैसे कि वैदिक गुरुकुल, आर्युवेदिक हॉस्पिटल, मंदिर निर्माण, हिंदू धर्म ग्रँथ, मीडिया में हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार, गरीब हिंदुओं की सहायता, अन्नक्षेत्र, साधु-संतों को पगार आदि के लिए उपयोग करना चाहिए अगर ऐसा नही कर सकते है तो सरकार को अपना नियंत्रण हटा देना चाहिए खुद हिंदू अपने मंदिर संभाल लेंगे।*
*हिंदू भी जिस मंदिर में अपना दान देते हैं उनके संचालकों से हिंदू धर्म के लिए पैसे उपयोग करने के लिए बताएं।*
 
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Tuesday, October 8, 2019

बिगबॉस खुलासा : हिंदू धर्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश

09 अक्टूबर 2019

बॉलीवुड के निशाने पर हमेशा हिंदू धर्म रहा है, बॉलीवुड के जरिये हमेशा हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है वैसे ही अभी वर्तमान में सलामन खान के नेतृत्व में चल रहे बिगबॉस ने सारी हदें पार कर रहा है, जिस तरह से सो दिखा रहे है उससे लगता है कि एक सोची समझी साजिश के तहत स्क्रिप्ट लिखी है जिसमे हिंदू धर्म को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर बदनाम करना और मुस्लिम समुदाय को अच्छा दिखाना इस शो में लगता है कि इसकी फंडिग कहि विदेश करवाई गई है सोची समझी रणनीति तहत हिंदू धर्म व भारतीय संस्कृति की परम्पराओं को बदनाम किया जा रहा है।*

सलमान खान ने “बजरंगी भाईजान” फ़िल्म में भी यही किया था हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया दिखाया था। हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझ गए है और कुछ हिंदुनिष्ठ लोग खुलकर विरोध भी करने लगे है।

सलमान खान की अध्यक्षता में बिग बॉस टीवी शो चल रहा है जिसमें लड़ाई झगड़े दिखाकर हमारे घरों में अशांति और कलह बढ़ाने जैसा वातावरण हमारे मस्तिष्क में डाला जा रहा है । बिग बॉस विदेशी गन्दगी, कामवासना और अश्लीलता दिखाकर भारतीय युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर रहा है । यह सब देखकर देश मे बलात्कार के किस्से भी बढ़ रहे है।*

बिग बॉस सीजन 13 के पहले ही एपिसोड से अश्लीलता फैलाई जा रही है जिससे सोशल मीडिया पर कई लोग जेहाद फैलाता बिग बॉस, हैशटैग को ट्रेंड किया था ! कई सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि, शो में कश्मीरी मुस्लिम मॉडल और हिंदू लड़की को साथ बेड शेयर करने को कहा गया है ! इसके सहारे शो के द्वारा लव जेहाद को प्रमोट करने की कोशिश की जा रही है !*

एक यूजर ने लिखा की ‘ये कलर्स चैनल पर आने वाला बिग बॉस रियलिटी शो है या भारतीय हिंदू संस्कृति को बदनाम करने का अड्डा।’ दूसरे यूजर ने लिखा- ‘बिग बॉस के खिलाफ कैंपेन चलाओ मित्रों। यह शो हमारी भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ा रहा है। यह बैन होना चाहिए।’*

आपको बता दें कि बिग बॉस 10 में साधु के कपड़े पहनकर  "स्वामी ओम" साधुताई के नाम पर लड़कियों से छेड़ खानी करना , दारू पीना, मांस खाना आदि करके हिन्दू संतों की गरिमा पर गहरी चोट लगाई थी।*

*🚩शो देखकर तो ऐसा लगता है जैसे बिगबॉस को विदेशी पैसा मिला है हिन्दू धर्म व हिंदू संस्कृति की छवि धूमिल करने के लिए !!*

*🚩बता दें कि बाद में ओमजी महाराज ने खुलासा किया था कि मेरे को बोले थे कि रामराज्य करवाना है तो बिग बॉस में काम करो लेकिन वहाँ जाने के बाद मुझे कुछ खिला दिया था और मेरे को जान से मारने की धमकी दी थी इसलिये मैंने बिग बॉस में ये सब किया था।*

*🚩जनता का कहना है कि देश और धर्म विरोधी, समाज मे अश्लीलता फैलाने वाले बिगबॉस और बॉलीवुड पर सरकार को तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए, इससे देश की जनता को काफी नुकसान सहन करना पड़ रहा है, परिवार भी इन सबके कारण टूट रहे है।*

*🚩सरकार प्रतिबंध लगाएं तबतक जनता को कलर टीवी देखना बंद करना चाहिए जिससे उसकी टीआरपी कम होगी तो अपने आप बिगबॉस जैसे शो बंद हो जायेंगे, जो भी केबल आपके घर आता है उसके ऑपरेटर को बताना चाहिए कि कलर ट्वी बंद करिये नही तो हम आपका केबल काट रहे है, ऐसा सभी हिंदुस्तानी करेंगे तो बिगबॉस तो बंद हो ही जायेगा साथ मे फायदा यह होगा की आगे ऐसा शो करने की कोई हिम्मत नही करेगा।*

*🚩बंद हो Bigg Boss : शिवसेना*

*मुज़फ्फरनगर के प्रकाश चौक है जहाँ पर शिवसेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलर्स टीवी पर चल रहे बिग बॉस के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सलमान खान के पोस्टर को जूते मारकर आग के हवाले किया। शिव सेना नेताओ ने आरोप लगाया कि सलमान खान बिग बॉस जैसे कार्यक्रम के माध्यम से लव जिहाद को बढ़ावा दे रहा है पिछले दिनों बिग बॉस के एक कार्यक्रम में हिन्दू युवती को कश्मीर के मुस्लिम युवक के साथ बेडरूम में भेजा गया ,शिवसेनिक मनोज सैनी ने बताया की इस कार्यक्रम में अश्लीलता इस कदर हावी ह माँ बाप बच्चो के साथ टीवी नहीं देख सकते बहन भाई एक साथ बैठकर इसे नहीं देख सकते ये हिन्दू संस्कर्ति को बदनाम करने की साजिस है जो बिलकुल बर्दास्त नहीं की जा सकती शिव सेना नेताओ ने भाजपा सरकार पर भी आरोप लगाया कि हिन्दू संस्कृति की रक्षा के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार भी इस तरह के कार्यक्रमो पर रोक लगाने में विफल रही है उन्होंने सरकार से मांग की है की अविलम्ब बिग बॉस जैसे कार्यक्रमो पर रोक लगाई जाए।*

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Monday, October 7, 2019

जानिए दशहरे का इतिहास व गृहस्थ में विघ्न मिटाने के उपाय..

08 अक्टूबर 2019

🚩  *सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है । दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आएगा, लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा । इस साल दशहरा 08 अक्टूबर को मनाया जाएगा ।*

🚩 *दशहरा दस पापों को हरनेवाला, दस शक्तियों को विकसित करनेवाला, दसों दिशाओं में मंगल करनेवाला और दस प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते हैं ।*

🚩 *यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है ।*

🚩 *दशहरे का इतिहास !!*

 *1. भगवान श्री राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया । सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे । वहां कौत्स नामक एक ब्राह्मण पुत्र आया । उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है तब राजा रघु कुबेर पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए । डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की । उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली । जो स्वर्णमुद्राएं कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं ।*


🚩 *2. त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था । श्री रामचंद्र ने रावण पर विजयप्राप्ति की, रावण का वध किया । इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ । तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा ।*

🚩 *3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी विजयादशमी का दिन था ।*

🚩 *4. दशहरे के दिन इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है ।*

🚩 *इस प्रथा का भी ऐतिहासिक महत्त्व है । मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे । जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती फिर परदेश से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे । घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर, उनका आशीर्वाद लेते थे । वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है ।*

🚩 *5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है । आरंभ में यह एक कृषि  संबंधी लोकोत्सव था, वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे ।*

🚩 *नवरात्रि में घटस्थापना के दिन कलश के स्थंडिल (वेदी) पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढ़ाते हैं । अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उसे बंदनवार के समान बांधते हैं । यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है । आगे इसी त्यौहार को धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ ।*

🚩 *इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है । प्राचीनकाल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे ।*

🚩 *दशहरा अर्थात विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है । रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए ।  अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टेे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था । दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करनेवाला सफल होता है ।*

🚩 *दशहरा हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है । भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है । व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है ।*

🚩 *दशहरें का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह,मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है ।*

🚩 *देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता हैं।*

🚩 *दशहरे की शाम को क्या करें?*

*दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है ।*
  
🚩 *उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ । इस विजयकाल में थोड़ी देर  "राम रामाय नम:" मंत्र के नाम का जप करें ।*

*फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान ! सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः" मंत्र का जप कर रहे हैं ।*

🚩इस मंत्र की एक- दो माला जप करके श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें...
*"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।"*

🚩 *दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलता है ।*

🚩 *दशहरा पर्व व्यक्ति में क्षात्रभाव का संवर्धन करता है । शस्त्रों का पूजन क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है । इस दिन शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है ।*

🚩 *इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है । किसान एवं कारीगर अपने उपकरणोें एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं । इस पूजन का उद्देश्य यही है कि उन विषय- वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाना; अर्थात ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना ।*

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Friday, October 4, 2019

महिषासुर कौन था, मां दुर्गा ने महिषासुर का वध क्यों किया था?

04 अक्टूबर 2019


भारत में कुछ आदिवासियों को वामपंथियों ने इतिहास गलत बताया इसलिए कुछ आदिवासी महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी वामपंथियों द्वारा महिषासुर का महिमा मंडन किया जा रहा है उसका शहादत दिवस मनाते हैं इसलिए आपको यह जानना जरूरी है कि महिषासुर कौन था और दुर्गा माता ने उसका वध क्यों किया था।*

महिषासुर का जन्म:

महिषासुर एक असुर (राक्षस) था। महिषासुर के पिता रंभ, असुरों का राजा था जो एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से असुर महिषासुर का जन्म हुआ। इस वजह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था।*

महिषासुर को मिला था वरदान:*

*महिषासुर ने सृष्टिकर्ता ब्रम्हा जी की आराधना की थी जिससे ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओं को सताने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और सभी देवताओं को वहां से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। सारे देवताओं ने फिर मिलकर उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गए।*

महिषासुर मर्दिनी:*

देवता सर्वशक्तिमान होते हैं, लेकिन उनकी शक्ति को समय-समय पर दानवों ने चुनौती दी है। कथा के अनुसार, दैत्यराज महिषासुर ने तो देवताओं को पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार भी कर लिया था। उसने इतना अत्याचार फैलाया कि देवी भगवती को जन्म लेना पड़ा। उनका यह रूप 'महिषासुर मर्दिनी' कहलाया।*

देवताओं का तेज:*

*देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। भगवान विष्णु और भगवान शिव अत्यधिक क्रोध से भर गए। इसी समय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मुंह से क्रोध के कारण एक महान तेज प्रकट हुआ। अन्य देवताओं के शरीर से भी एक तेजोमय शक्ति मिलकर उस तेज से एकाकार हो गई। यह तेजोमय शक्ति एक पहाड़ के समान थी। उसकी ज्वालायें दसों-दिशाओं में व्याप्त होने लगीं। यह तेजपुंज सभी देवताओं के शरीर से प्रकट होने के कारण एक अलग ही स्वरूप लिए हुए था।*

महिषासुर के अंत के लिए हुई उत्पत्ति:*

*इन देवी की उत्पत्ति महिषासुर के अंत के लिए हुई थी, इसलिए इन्हें 'महिषासुर मर्दिनी' कहा गया। समस्त देवताओं के तेज पुंज से प्रकट हुई देवी को देखकर पीड़ित देवताओं की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। भगवान शिव ने त्रिशूल देवी को दिया। भगवान विष्णु ने भी चक्र देवी को प्रदान किया। इसी प्रकार, सभी देवी-देवताओं ने अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र देवी के हाथों में सजा दिये। इंद्र ने अपना वज्र और ऐरावत हाथी से उतारकर एक घंटा देवी को दिया। सूर्य ने अपने रोम कूपों और किरणों का तेज भरकर ढाल, तलवार और दिव्य सिंह यानि शेर को सवारी के लिए उस देवी को अर्पित कर दिया। विश्वकर्मा ने कई अभेद्य कवच और अस्त्र देकर महिषासुर मर्दिनी को सभी प्रकार के बड़े-छोटे अस्त्रों से शोभित किया।*

*🚩महिषासुर से युद्ध:*

*थोड़ी देर बाद महिषासुर ने देखा कि एक विशालकाय रूपवान स्त्री अनेक भुजाओं वालीं और अस्त्र शस्त्र से सज्जित होकर शेर पर बैठकर अट्टहास कर रही हैं। महिषासुर की सेना का सेनापति आगे बढ़कर देवी के साथ युद्ध करने लगा। उदग्र नामक महादैत्य भी 60 हजार राक्षसों को लेकर इस युद्ध में कूद पड़ा। महानु नामक दैत्य एक करोड़ सैनिकों के साथ, अशीलोमा दैत्य पांच करोड़ और वास्कल नामक राक्षस 60 लाख सैनिकों के साथ युद्ध में कूद पड़े। सारे देवता इस महायुद्ध को बड़े कौतूहल से देख रहे थे। दानवों के सभी अचूक अस्त्र-शस्त्र देवी के सामने बौने साबित हो रहे थे, लेकिन देवी भगवती अपने शस्त्रों से राक्षसों की सेना को बींधने बनाने लगीं।*

*🚩इस युद्ध में महिषासुर का वध तो हो ही गया, साथ में अनेक अन्य दैत्य भी मारे गए। इन सभी ने तीनों लोकों में आतंक फैला रखा था।  देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और नवमी के दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।*

*🚩जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय वाले कुछ वामपंथी व्यभिचारी, दुराचारी, राक्षस  महिषासुर का महिमामंडन करते हैं, उनकी पूजा करते है क्योंकि उनको भी यही करना होता है ये लोग भोले भाले आदिवासियों को भी भ्रमित करते हैं जिससे वे अपनी भारतीय हिंदू संस्कृति से दूर हो जाएं और देश एवं धर्म के खिलाफ खड़े हो जाएं, जिससे उनको देश को तोड़ने में आसानी रहे ।*

*🚩आपने जान लिया कि महिषासुर एक असुर था और आतंक फैलाकर रखा था इसलिए उसका वध करना जरूरी था, लेकिन JNU वाले वामपंथी जिस तरह उसका महिमामंडन कर रहे हैं उससे सावधान रहें और अपनी देश व संस्कृति की महानता को टूटने न दे।*

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Thursday, October 3, 2019

गौमूत्र बेचकर किसान हो रहे है मालामाल, 140 रुपये लीटर बिक रहा है

03 अक्टूबर 2019

गौझरण (गौमूत्र) में गंगाजी का वास होता है। आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग बताएं गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
आपको बता दे कि गौ उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गौ संरक्षण और गौ उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने अलग से गोपालन निदेशालय बनाने के बाद अब गौमूत्र के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। राज्य की प्रमुख गौशालाओं के गौमूत्र के दाम में अचानक दो से तीन गुना तक तेजी आई है। हालात यह हो गए कि गौमूत्र दूध से अधिक महंगा बिक रहा है। गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियां बाजार में खूब बिक रही है। विदेशों में भी इनकी मांग बढ़ी है।

बताया गया है कि प्रदेश की प्रमुख गौशालाओं का गौमूत्र 135 से 140 रूपए प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि दूध की कीमत 45 से 52 रूपए प्रति किलो है। गौमूत्र के सेवन में लोगों की दिलचस्पी इतनी बढ़ी है की राज्य के बड़े शहरों में गौ उत्पादों में दुकानें बड़े शौरूम की तरह खुल गई हैं। इनमें सबसे अधिक मांग गौमूत्र की है। ये भी कहा गया है कि पथमेड़ा गौशाला, जयपुर की दुर्गापुरा गौशाला और नागौर की श्रीकृष्ण गोपाल गौशाला से तो गौमूत्र विदेशों में भी भेजा जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक़, गौशाला प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। गौमूत्र के साथ ही दुकानों पर डायबीटीज, पेट और मोटापा कम करने की औषधियां भी गौ उत्पादों से बन रही है। गौशालाओं में सुबह-सुबह 5 से 6 बजे के बीच बड़ी संख्या में लोग हाथ में गिलास या कटोरी लेकर ताजा गौमूत्र पीने के लिए पहुंचते है। पथमेड़ा गौशाला के सेवक रामकृष्ण का कहना है कि देशी गाय के गौमूत्र से कई रोगों का इलाज स्वत: ही हो जाता है। योगाचार्य ढाकाराम का कहना है कि गौमूत्र अमृत की तरह होता है। निरोगी काया के लिए इससे उत्तम अन्य कोई औषधी नहीं है।
राज्य के गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि राज्य में करीब चार हजार गौशालाएं हैं। इनमें से 1363 गौशालाएं गोपालन विभाग में पंजीकृत हैं। पंजीकृत गौशालाओं को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि गौसंरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार गौ उत्पादों की बिक्री बढ़ाने को लेकर भी जागरूकता अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं का पंजीकण बढ़ाने को लेकर अधिकारियों से कहा गया है।
राजस्थान में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव नरेश पाल गंगवार का कहना है कि गौमूत्र की बिक्री के साथ ही गाय पालने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। गाय के दूध के साथ ही गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियों की डिमांड भी बढ़ी है। नागौर की श्रीकृष्ण गौशाला और एशिया की सबसे बड़ी पथमेड़ा गौशाला ने आसपास के किसानों को गौमूत्र के माध्यम से रोजगार दे रखा है। किसान गौमूत्र इकठ्ठा करके इन गौशालाओं में बेचते है। इसके बाद गौशाला मार्केट में बेचती है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में दुर्गापुरा गौशाला में काम करने वाले लोगों ने बताया कि गौमूत्र का उपयोग अन्य कई कार्यो में किया जाता है। कुछ लोग खाना पकाने में पानी के स्थान पर गौमूत्र का उपयोग कर रहे हैं। इस गौशाला से प्रतिदिन करीब दो हजार लीटर गौमूत्र तैयार हो रहा है। इस गौमूत्र को गर्म करने के बाद अमोनिया निकालकर पैक करके बाजार में बेचा जा रहा है। यहां का गौमूत्र स्थानीय मार्केट के अलावा विदेशों में भी बिकने के लिए जा रहा है।
घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है और वास्तु दोषों का समाधान हो जाता हैं। गौमूत्र का सेवन वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।
यह तो केवल गौमूत्र की बात हुई बाकी गाय का दूध, घी, दही, गोबर भी पृथ्वी पर का अमृत है इससे सिद्ध होता है कि गौमाता मनुष्य के कितनी उपयोगी है इसलिए गौहत्या बंद करके गाय माता का अधिक से अधिक पालन करना चाहिए इससे अधिक कमाई भी होगी और हर मनुष्य स्वस्थ, सुखी रहेगा डॉक्टरों की आवश्यकता कम पड़ेगी।
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