Monday, May 11, 2020

सुप्रीम कोर्ट के जज बोले अमीरों की मुट्ठी में कैद है कानून और न्याय व्यवस्था

11 मई 2020

🚩वर्तमान न्याय प्रणाली हमें अंग्रेजों से विरासत में मिली है। गांधीजी ने कहा था, 'यह प्रणाली अंग्रेजों ने नेटिव इंडियंस (मूलनिवासी भारतीयों) को न्याय देने के लिए प्रस्थापित नहीं की थी, बल्कि अपना साम्राज्य मजबूत करने के लिए इस न्याय प्रणाली का गठन किया गया था। इस न्याय प्रणाली में 'स्वदेशी' कुछ भी नहीं है। इसकी भाषा, पोशाक तथा चिंतन सब कुछ विदेशी है। अतीत में भारत में जो न्याय दिलाने वाली संस्थाएँ विद्यमान थीं, उन्हें पूर्णत: समाप्त कर एक केंद्रीभूत तथा सर्वव्यापी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों ने स्थापित की। गांधीजी ने यह भी कहा था, 'जिसकी थैली बड़ी होगी, उसी को यह न्याय प्रणाली सुहाती है।'

🚩इस न्यायव्यवस्था के कारण हमारी न्यायपालिका में भ्रष्टाचार इतना व्याप्त है कि गरीब और हिन्दूनिष्ठ निर्दोष को जल्दी न्याय ही नही मिल पाता है।

🚩आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने अपनी नौकरी के अंतिम दिन विदाई भाषण में न्यायप्रणाली पर तीखी टिप्पणी की। बुधवार (06 मई) को सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल द्वारा आयोजित वर्चुअल फेयरवेल पार्टी में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि देश का कानून और न्याय तंत्र चंद अमीरों और ताकतवर लोगों की मुट्ठी में कैद में है। उन्होंने कहा, “यदि कोई व्यक्ति जो अमीर और शक्तिशाली है, वह सलाखों के पीछे है, तो वह मुकदमे की पेंडेंसी के दौरान बार-बार उच्चतर न्यायालयों में अपील करेगा, जब तक कि किसी दिन वह यह आदेश हासिल नहीं कर लेता कि उसके मामले का ट्रायल तेजी से किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “वर्तमान समय और दौर में न्यायाधीश इससे अनजान होकर ‘आइवरी टॉवर’ में नहीं रह सकते कि उनके आसपास की दुनिया में क्या हो रहा है? उन्हें इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए।”

🚩जस्टिस गुप्ता ने कहा, ऐसा, गरीब प्रतिवादियों की कीमत पर होता है, जिनके मुकदमे में और देरी होती जाती है क्योंकि वह धन के अभाव में उच्चतर न्यायालयों का दरवाजा नहीं खटखटा सकते। जस्टिस गुप्ता यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, “अगर कोई अमीर शख्स जमानत पर है और वह मुकदमे को लटकाना चाहता है तब भी वह उच्चतर न्यायालयों का दरवाजा खटखटाकर, मामले का ट्रायल या पूरी सुनवाई प्रक्रिया तब तक बार-बार लटकाएगा, जब तक कि विपक्षी पार्टी परेशान न हो जाय।”

🚩जस्टिस गुप्ता ने जोर देकर कहा कि ऐसी स्थिति में बेंच और बार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो समाज के वंचितों और गरीबों को न्याय दिलाने में मदद करें। वो इस बात पर नजर रखें कि कहीं गरीबी की वजह से उनके मुकदमे पेंडिंग बॉक्स में पड़े न रह जाएं। उन्होंने कहा, “यदि वास्तविक न्याय किया जाना है, तो न्याय के तराजू को वंचितों के पक्ष में तौलना होगा।”

🚩जस्टिस गुप्ता ने कहा, “बार को पूरी तरह से स्वतंत्र होना चाहिए…और अदालतों में मामलों पर बहस करते समय बार के सदस्यों को अपनी राजनीतिक या अन्य संबद्धताओं को छोड़ देना चाहिए और मामले की पैरवी कानून के अनुसार सख्ती से करनी चाहिए।”

🚩आपको बता दे कि यह कोई पहले जज नही है जिन्होंने न्यायपालिका पर सवाल उठाया हो इससे पहले भी कई न्यायाधीशों ने इसपर सवाल उठाए है।

🚩सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश काटजू ने कहा था कि भारतीय न्याय प्रणाली में 50% जज भ्रष्ट है।

🚩सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े भी सवाल उठा चुके है कि ‘धनी और प्रभावशाली’ तुरंत जमानत हासिल कर सकते हैं। गरीबों के लिए कोई न्याय की व्यवस्था नही है।

🚩कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के एल मंजूनाथ ने कहा कि यहाँ सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए कोई स्थान नहीं है और इस देश में न्याय के लिए कोई जगह नहीं।

🚩राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कहा है कि देश में निर्णय देने में विलंब होना चिंता की बात है। समाज में सबसे गरीब और सबसे वंचित लोग न्याय में देरी के पीड़ितों में शामिल हैं। उन्होंने केस को जल्द निपटाने के लिए एक तंत्र बनाने की जरूरत हैं।

🚩देश में न्याय इसलिए देरी से मिलता है कि देश में जजों की कमी, वकीलों द्वारा पैसे ऐठने के कारण लंबा खीचना, बदला लेने या, पैसा नोचने की नीयत से झूठे केस दर्ज करना, और देश के जजों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि अपराधियों को सजा और निर्दोषों को न्याय मिलना ही मुश्किल हो गया है। कई जज तो रिश्वत लेते पकड़े भी गये है।

🚩आज कोर्ट में देखो तो सामान्य आदमी ही आता है, धनी और प्रभावशाली व्यक्ति तो कोर्ट में मुद्दत पर आते ही नही है, गरीबों से वकील पैसे नोचते रहते हैं और न्यायालय से न्याय नहीं मिलता है, मिलती है तो सिर्फ तारीख...।

🚩नेता, अभिनेता, पत्रकारों, अमीरों को तो न्याय मिल जाता है लेकिन हिंदुत्वनिष्ठों और गरीबों को जल्दी न्याय नही मिल पाता है।

🚩इसलिये आज न्याय प्रणाली से देश की जनता का भरोसा उठ गया है, इसमे शीध्र सुधार करना चाहिए नही तो एक के बाद एक निर्दोष परेशान होते जायेंगे।


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Sunday, May 10, 2020

लंदन में लाखों की सैलरी छोड़ भारत में मां-बाप की सेवा और कर रहे हैं खेती ।

10 मई 2020

🚩भारत के अधिकतर युवाओं का सपना होता है कि पढ़-लिख कर अच्छे पैकेज की नौकरी कर आराम से जीवन गुजारा जाए और उसमें अगर विदेश में जाकर बसने का मौका मिल जाए तो यह सोने पर सुहागा जैसा साबित होगा। लेकिन ऐसे भी नौजवान हैं जो विदेश में लग्जरी जीवनशैली और बड़े पैकेज की नौकरी छोड़ न केवल स्वदेश का रुख कर रहे हैं, बल्कि गांव के कठीन जीवन में कामयाबी की इबारत लिख रहे हैं।

🚩एक ऐसा ही नौजवान जोड़ा है रामदे खुटी और भारती खुटी का। रामदे और भारती काफी समय से लंदन में रह रहे थे। यहां दोनों पति-पत्नी नौकरी करके शानो-शौकत भरा जीवन जी रहे थे, लेकिन अब यह युवा कपल लंदन छोड़कर गुजरात के पोरबंदर स्थित अपने गांव वापस आ गया है। और यहां गांव में रहकर दोनों पति-पत्नी खेती तथा पशुपालन कर रहे हैं ।

🚩पोरबंदर जिले के बेरण गांव के रामदेव खुटी वर्ष 2006 में काम करने के लिए इंग्लैंड गए थे। वहां दो साल काम करने के बाद भारत वापस आए और यहां भारती से शादी कर ली  शादी के समय भारती राजकोट में एयरपोर्ट प्रबंधन और एयर होस्टेस का कोर्स कर रही थी ।

🚩भारती अपनी पढ़ाई पूरी करने अपने पति के पास 2010 में लंदन चली गई। लंदन में भारती ने इंटरनेशनल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की इसके बाद भारती ने ब्रिटिश एयरवेज के हीथ्रो एयरपोर्ट से हेल्थ एंड सेफ्टी कोर्स भी पूरा किया और वहीं नौकरी भी करने लगी।

🚩दोनों पति-पत्नी लंदन में शानदार जीवनशैली व्यतीत करने लगे। इस दौरान उनको एक बेटा भी हो गया। लेकिन रामदे खुटी यहां गुजरात में रह रहे अपने माता-पिता को लेकर चिंतित थे। क्योंकि उनकी देखभाल के लिए यहां कोई नहीं था। इसके अलावा उनकी खेतीबाड़ी भी दूसरे लोग ही कर रहे थे।

🚩रामदे खुटी ने भारत अपने माता-पिता के पास लौटने का फैसला किया और खेती बाड़ी से ही कुछ नया करने की सोची। रामदे की इस फैसले में उनकी पत्नी भारती ने भी पूरा समर्थन दिया। इस तरह एक दिन रामदे लंदन की लग्जरी लाइफ छोड़कर अपने परिवार के साथ वापस गुजरात आ गए और नए सिरे से खेती करने लगे। यहां आकर उन्होंने माता-पिता की सेवा और खेती के साथ-साथ पशुपालन पर भी ध्यान दिया।

🚩हालांकि भारती को शुरू में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इससे पहले उसने कभी खेतीबाड़ी नहीं की। लेकिन लगातार मेहनत के दम पर अब भारती खेती के साथ पशुपालन के ज्यादातर काम खुद ही संभालती है।

🚩रामदे ने बताया कि वह खेती के परंपरागत तरीकों को छो़ड़कर आधुनिक तरीकों को अपना रहे हैं और जैविक खेती कर रहे हैं। नियमित आमदनी के लिए उन्होंने गाय-भैंस का पालन शुरू कर दिया है, जिनकी जिम्मेदारी भारती उठा रही हैं। इस तरह वह गांव में ही एक अच्छा जीवन जी रहे हैं और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है कि वह अपने परिवार के बीच हैं।

🚩रामदे बताते हैं कि यहां आकर उन्होंने सीखा कि गांव में रहकर भी एक आदमी शानदार जीवनशैली जी सकता है।

🚩भारत के कुछ जवान थोड़ा पढ़ लिख लेते है तो फिर वे अपने माँ-बाप की सेवा करना, खेती करना और गाय को पालना में अपने को छोटा महसूस करते है। अथवा गांव में रहने वाले युवा अपने को कोसते रहते हैं कि हम छोटी जिंगदी जी रहे है काश हम भी विदेश में होते तो मौज मस्ती करते लेकिन इन दपन्ति से बता दिया कि अपने माता-पिता और मातृ भूमि से बढ़कर कुछ भी नही है और विदेश से भी बढ़कर अपनी खेती है और अपना जीवन खुशहाल जी सकते हैं, अपने युवाओं को भी चाहिए कि अपने माता-पिता का आदर करे और जैविक खेती और पशुपालन में भी ध्यान दे जिससे जीवन स्वस्थ और सुखी जीवन जी सके।

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Saturday, May 9, 2020

गिलगित-बाल्टिस्तान हमें लेना क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है?

09 मई 2020

🚩भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराए जाने के आदेश का कड़ा विरोध किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पूरे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलावा गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का अभिन्न हिस्सा है। लिहाजा, पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे। उसका यहां कब्जा गैरकानूनी है।

🚩वास्तव में अगर जम्मू कश्मीर के बारे में मुख्यतः बातचीत करने की जरूरत है तो वह है पोक और अक्साई चीन के बारे में l इसके ऊपर अभी देश में चर्चा हो भी रही है।

🚩आपको बता दें कि गिलगित जो अभी POK में है विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जो कि 5 देशों से जुड़ा हुआ है अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी Russia का हिस्सा था) पाकिस्तान, भारत और तिब्बत -चाइना l वास्तव में जम्मू कश्मीर की महत्ता जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण नहीं वास्तव में अगर इसकी महत्ता है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण l"

🚩भारत के इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आज तक (शक , हूण, कुषाण , मुग़ल ) वह सारे गिलगित से हुए l हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान उस पार ही रखना होगा l किसी समय इस गिलगित में अमेरिका बैठना चाहता था, ब्रिटेन अपना आधार गिलगित में बनाना चाहता था , रूस भी गिलगित में बैठना चाहता था यहां तक कि पाकिस्तान में 1965 में गिलगित को रूस को देने का वादा तक कर लिया था आज चाइना गिलगित में बैठना चाहता है और वह अपने पैर पसार भी चुका है और पाकिस्तान तो बैठना चाहता ही हैं।

🚩दुर्भाग्य से इस गिलगित के महत्व को सारी दुनिया समझती है केवल एक उसको छोड़कर जिसका वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान है और वह है भारत जो अभीतक समझ नही पाया पर अभी कुछ सरकार जाग रही है।

🚩हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है भारत को अगर सुरक्षित रहना है तो हमें गिलगित-बाल्टिस्तान किसी भी हालत में चाहिए l आज हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं क्या आपको पता है गिलगित से रास्ते से आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं गिलगित से By Road 5000 किलोमीटर दुबई है, 1400 Km दिल्ली है, 2800 Km मुंबई है, 3500 Km रूस है, चेन्नई 3800 Km है लंदन 8000 Km है l जब हम सोने की चिड़िया थे हमारा सारे देशों से व्यापार चलता था । 85 % जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी सेंट्रल एशिया , यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम रास्ते जा सकते हैं अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास आ जाये तो।

🚩आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैस लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं ये तापी की परियोजना है जो कभी पूरी नहीं होगी अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़ते l

🚩हिमालय की 10 बड़ी चोटियों है जो कि विश्व की 10 बड़ी चोटियों में से है और ये सारी हमारी है और इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में है l तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत (Alternate Water Resources) हैं वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में है l

🚩आप हैरान हो जाएंगे वहां बड़ी -बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं आप POK के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को पढ़िए आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे l वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व हमको मालूम नहीं है और सबसे बड़ी बात गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग पाकिस्तान के खिलाफ हैं। 

🚩दुर्भाग्य क्या है कि हम हमेशा कश्मीर बोलते हैं जम्मू- कश्मीर नहीं बोलते हैं l कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान दिमाग से निकल जाता है l ये पाकिस्तान के कब्जे में जो POK है उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है उसमें कश्मीर का हिस्सा तो सिर्फ 6000 वर्ग किलोमीटर है और 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है जो कि गिलगित-बाल्टिस्तान है l यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था यह लद्दाख का हिस्सा था वास्तव में सच्चाई यही है l इसलिए पाकिस्तान यह जो बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है तो उसको कोई यह पूछे तो सही कि क्या गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है ?? कोई जवाब नहीं मिलेगा l

🚩क्या आपको पता है गिलगित -बाल्टिस्तान, लद्दाख के रहने वाले लोगों की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है यहाँ के लोग विश्व केअन्य लोगों की तुलना में ज्यादा जीते हैं l भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था उसने कहा कि "we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT" l उसने कहा कि देश हमारी बात ही नहीं जानता l किसी ने उससे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं ?? तो उसने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं? उसने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT , IIM में दाखिला दीजिए AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए l हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है हमारी बात करता है l 

🚩गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है l आप हमें ये एहसास तो दिलाइये कि आप हमारे साथ हैं l

🚩आगे उन्होंने यह कहा कि और मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा l वह बार बार कहता है कि हम कश्मीर की जनता के साथ हैं, कश्मीर की आवाम हमारी है l लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि हम POK - गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं, वह हमारी आवाम है, उनको जो भी सहायता उपलब्ध होगी हम उपलब्ध करवाएंगे आपने यह कभी नहीं सुना होगा l कांग्रेस सरकार ने कभी POK - गिलगित-बाल्टिस्तान को पुनः भारत में लाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया प्रयास तो बहुत दूर की बात है l हालाँकि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार आने पर स्वर्गीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया था अब फिर से ये मुद्दा उठा है तो हमें लेकर ही रहना चाहिए।

🚩आज अगर आप किसी को गिलगित के बारे में पूछ भी लोगे तो उसे यह पता नहीं है कि यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है l वह यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है ?? वास्तव में हमें जम्मू कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है l

🚩अब करना क्या चाहिए ?? तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है इस पर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए l एक अनावश्यक वाद विवाद चलता है कि जम्मू कश्मीर में इतनी सेना क्यों है?? तो बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 2400 किलोमीटर पर LOC है l आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं l

🚩इनमें 14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं l अब सेना बॉर्डर पर नहीं तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी क्या यह सब जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं l

🚩वास्तव में जम्मू कश्मीर पर बातचीत करने के बिंदु होने चाहिए- POK , वेस्ट पाक रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग , गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान -चाइना के कब्जे में है l जम्मू- कश्मीर के गिलगित- बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाक विरोधी है वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं, पर भारत उनके साथ है ऐसा उनको महसूस कराना चाहिए, देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वास्तव में पूरे देश में इसकी चर्चा होनी चाहिएl

🚩वास्तव में जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए l जम्मू कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है l इसके लिए एक इंफॉर्मेशन कैंपेन चलना चाहिए l पूरे देश में वर्ष में एक बार जम्मू कश्मीर का दिवस मनाना चाहिए l और सबसे बड़ी बात है जम्मू कश्मीर को राष्ट्रवादियों की नजर से देखना होगा जम्मू कश्मीर की चर्चा हो तो वहां के राष्ट्रभक्तों की चर्चा होनी चाहिए तो उन 5 जिलों के कठमुल्ले तो फिर वैसे ही अपंग हो जाएंगे l

🚩इस कश्मीर श्रृंखला के माध्यम से आपको पूरे जम्मू कश्मीर की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों से अवगत करवाया और मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है जम्मू कश्मीर के बारे में देश के प्रत्येक नागरिक को यह सब जानकारियां होनी चाहिए l अब आप इतने समर्थ हैं कि जम्मू कश्मीर को लेकर आप किसी से भी वाद-विवाद या तर्क कर सकते हैं l किसी को आप समझा सकते हैं कि वास्तव में जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां क्या है l वैसे तो जम्मू कश्मीर पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है लेकिन जितना हो सका उतने संक्षिप्त रूप में इसे आपके सामने रखा है l

🚩केंद्र सरकार भी अब गिलगित और बाल्टिस्तान लेने के लिए कदम उठा रही है वे बहुत सरहानीय हैं वे हमारा हिस्सा है हमें मिलना ही चाहिए।

Refrences :-
◆INDIA INDEPENDECE ACT 1947
◆INDIAN CONSTITUTION ACT 1950
◆JAMMU & KASHMIR ACT 1956
◆INDIAN GOVT. ACT 1935
◆Dr. Kirshandev Jhari
◆Dr. kuldeep Chandra Agnihotri
◆Jammu-kashmir Adhyan Kendra
◆Sushil pandit (kashmiri pandit)
◆SC & J&K HC Court judgements
◆News sources &
◆Various ACCORDS & Statement

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