Thursday, July 2, 2020

पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को किया जा रहा है भयंकर प्रताड़ित...

02 जुलाई 2020

🚩द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट 2017 की है) में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।

🚩जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां ज्यादातर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’

🚩अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।

🚩बांग्लादेश : 10 मंदिरों पर हुआ हमला

🚩बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने यानी मई 2020 में ही हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाली कई घटनाएं सामने आई हैं, जो सोचने पर मजबूर तो करती ही है, साथ ही वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की दयनीय व्यथा को भी बयां करती है। वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश चैप्टर (World Hindu Federation – Bangladesh Chapter) द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मई 2020 में ही हिंदुओं के 10 मंदिरों को तोड़ दिया गया। मूर्तियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।

🚩प्रेस रिलीज के मुताबिक 3 मई 2020 को दिनाजपुर नगरपालिका क्षेत्र में एक लाख टके का भुगतान न करने पर लोकल क्रिमिनल मामून और उसके गिरोह ने पूर्ण चंद्र रॉय के घर एवं मंदिर पर हमला किया और नष्ट कर दिया।

🚩4 मई 2020 को सुबह के लगभग 3 बजे चटगाँव के लोहगारा में शांति बिहार में 40 हथियारबंद लोगों ने मंदिर पर हमला किया। उपद्रवियों ने मंदिर की खिड़कियाँ, दीवारें और बुद्ध की मूर्ति को तहस नहस कर दिया।

🚩इसके बाद 5 मई 2020 को नेत्रकोना जिले के दुर्गापुर उपजिला के बकलजोरा यूनियन में उपद्रवियों ने कुमुदगंज बाजार काली मंदिर की मूर्ति को खंडित कर दिया।

🚩उपद्रवियों ने 8 मई 2020 को सिराजगंज जिले के बेलकुची चावला में जिधुरी साह पारा मंदिर की मूर्तियों को तहस नहस कर दिया। सिराजगंज जिले डब्ल्यूएचएफ बांग्लादेश चैप्टर के नेताओं ने मंदिर का दौरा किया और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की माँग की।

🚩9 मई 2020 को रात में बदमाशों ने नेत्रकोना जिले के कलमाकंद उपजिला के नागदरा गाँव में 100 साल पुरानी काली मंदिर की मूर्ति के साथ बर्बरता की।

🚩10 मई 2020 को सुनामगंज जिले के छतक नगर पालिका के टाटीकोना गाँव में फेसबुक पर टिप्पणी करने को लेकर आतंकवादियों ने हिंदू परिवारों पर हमला किया और उनके घरों एवं मंदिरों को नष्ट कर दिया। इस हमले में कम से कम 10 लोग घायल हो गए। घायल व्यक्तियों की पहचान तापस दास (30), शिप्लू दास (28), पाब्लू दास (32), पिपलू दास (26), सुमन दास (28), रतुल चौधरी (31), शिमला दास (28) और अन्य के रूप में हुई।

🚩11 मई 2020 को उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट जिले के चपरहट इमेंद्रघाट में प्रसिद्ध श्री श्री माँ बिदवेश्वरी मंदिर की मूर्ति के साथ तोड़ फोड़ की।

🚩12 मई 2020 को लगभग 1 बजे, अपराधियों के एक समूह ने निलफामारी सदर अपजिला में दक्षिण हरो राधागोबिंद मंदिर का ताला तोड़ने और मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की। हालाँकि, स्थानीय लोगों ने उनका पीछा किया और उनमें से एक को पकड़ लिया और उसे सदर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

🚩13 मई 2020 को ही उपद्रवियों ने रंगमती जिले के श्री श्री मगादेश्वरी मंदिर में मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की और मंदिर के दान पेटी से पैसे चुरा लिए।

🚩13 मई को ही चोरों ने पीछे की दीवार को तोड़कर सुइहारी में क्षत्रिय समिति के पर्थ सारथी मंदिर में प्रवेश किया और मंदिर के आभूषण और अन्य कीमती सामान चुरा लिया।


🚩पाकिस्तान में 102 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन

🚩पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सिंध प्रांत के बाडिन जिले के अंतर्गत आने वाले गोलेरची में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है।

🚩टाइम्स नाऊ के अनुसार, इन 102 हिंदुओं में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय मंदिर में रखी गई हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और उसे मस्जिद में बदल दिया गया।

🚩17 मई को सिंध प्रांत में हिंदुओं ने दावा किया था कि तबलीगी जमात के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और इस्लाम कबूल नहीं करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया।

🚩तबलीगी जमात के अपहरणकर्ता उक्त लड़के को छोड़ने के लिए रुपए-पैसे की माँग नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर अपहृत लड़के का परिवार इस्लाम अपना लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था।

🚩पाकिस्तान की हिन्दू महिला को जमीन पर गिर कर रोते हुए देखा जा सकता है, जहां वो अपने बेटे की रिहाई के लिए गुहार लगा रही हैं। महिला के आसपास हिन्दू समाज के अन्य लोग खड़े हैं, जो हाथों में पोस्टर लेकर वहां के मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

🚩एक अन्य वायरल वीडियो में वही महिला कहती दिख रही है कि वो मृत्यु को अंगीकार करेंगी लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएगी। महिलाओं और बच्चों ने हाथ में पोस्टर रखा था, जिसमें लिखा था, “हम मरना पसंद करेंगे लेकिन कभी भी इस्लाम में परिवर्तित नहीं होंगे।”

🚩प्रदर्शनकारियों की ओर से बोलते हुए, एक महिला ने कहा कि उनकी पिटाई की गई, उनकी संपत्तियों को जबरन ले लिया गया और घरों को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर वे अपने घरों को वापस लेना चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए कहा जा रहा है। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों से हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न की खबरें लगभग नियमित रूप से आती रहती हैं।

🚩यह चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन  वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

🚩नागरिक संशोधन विधेयक पर कुछ मीडिया, नेता, वामपंथी, सेक्युलर हल्ला मचा रहे है पर इन देशों में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हो रहा है इसपर इनकी जुबान खुलती नही है। अब भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र को इसमे हस्तक्षेप करके उनको सुरक्षा प्रदान करना चाहिए।

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Wednesday, July 1, 2020

भारत के इतने महान वैज्ञानिकों को शायद आप भी नहीं जानते होंगे..

01 जुलाई 2020

🚩पाश्चात्य वैज्ञानिकों के बारे में विश्व के अधिकांश लोगों को काफी अच्छी जानकारी है, विद्यालयों में भी बहुत ही जोर-शोर तथा उत्साह के साथ इन वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ाया जाता है, परन्तु बहुत ही खेद की बात है कि भारत के महान वैज्ञानिकों के संसार तो क्या, यहाँ तक की भारत के लोगों को भी जानकारी नहीं होगी ।

🚩ऐसे तो दुनिया की बेहतरीन चीजों के आविष्कारकों के रूप में कई विदेशी वैज्ञानिकों के नाम सुनने में आते हैं, परन्तु यह अटल सत्य है कि इन अविष्कारकों के काफी वर्ष पहले ही हमारे भारतवर्ष के महान ऋषि वैज्ञानिकों ने कई अविष्कार कर दिए थे ।
जैसे :-
🚩(1) आर्यभट्ट :- आर्यभट्ट ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने न्यूटन से कई वर्ष पहले ही गति के 3 नियमों को प्रतिपादित कर दिया था, उनकी ये खोज भले ही आज दुनिया के सामने किसी और के नाम से आ रही हो, किन्तु शून्य की खोज ने उन्हें गणित के इतिहास में अमर बना दिया ।

🚩(2) सुश्रुत :- महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक कहे जाते हैं । आचार्य सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता नाम के एक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमें 125 तरह के उपकरण तथा 300 प्रकार के ऑपरेशनों का वर्णन है ।

🚩(3) आचार्य कणाद :- परमाणु संरचना पर प्रकाश डालने वाले सर्वप्रथम वैज्ञानिक, जिन्होनें डाल्टन से भी पहले परमाणु का सिद्धांत प्रस्तुत किया ।

🚩(4) भास्कराचार्य :- गैलिलियो से सैकड़ों वर्ष पहले गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की ।

🚩(5) बौधायन :- ज्यामिति के कई प्रमुख नियमों का प्रतिपादन किया, पाईथागोरस प्रमेय का प्रतिपादन सबसे पहले इन्होने ही किया था, उस समय ज्यामिति को "शाल्व शास्त्र" कहा जाता था ।

🚩ऐसे ही एक महान वैज्ञानिक तथा रसायनज्ञ थे “ नागार्जुन” । आज के विद्यार्थी रसायन शास्त्र तो पढ़ते हैं, किन्तु रसायनशास्त्र के इतने बड़े वैज्ञानिक का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा । नागार्जुन भारत के धातुकर्मी तथा रसशास्त्री थे । उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण का ज्ञान था । लोहे को रासायनिक विधियों द्वारा सोने में परिवर्तित करने की विधि का ज्ञान उन्हें था ।

🚩नागार्जुन जी ने “रस रत्नाकर” नामक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमे चांदी, सोना, टिन और ताम्बे की कच्ची धातु निकालने तथा उसे शुद्ध करने के प्रयोगों का वर्णन है । हीरे, धातु और मोती को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से बने तेजाबों का सुझाव दिया । इस पुस्तक में विस्तारपूर्वक दिया गया है कि अन्य धातुओं को सोने में कैसे बदला जा सकता है ।

🚩ऐसे थे भारत के महान वैज्ञानिक । आश्चर्य है न कि बिना किसी उन्नत साधन के इतनी सरलता से इतने बड़े-बड़े खोज और अविष्कार कैसे कर लेते थे किन्तु यह बात तो यथार्थ सत्य है कि भले उनके पास यंत्रों की स्थूल शक्ति नहीं थी किन्तु उनके पास मन्त्रों की सूक्ष्म शक्ति जरुर थी । आज भी भौतिक जगत में उन्नत व्यक्तियों का आधार आध्यात्म ही है ।

🚩आध्यात्म तो सारी चीजों का, सारी सफलताओं का आधार है । जो आध्यत्मिक जगत में जितना अधिक मजबूत होगा, भौतिक स्तर पर भी उतना ही अधिक उन्नत होगा, इसलिए सदैव अपने आधार की ओर ध्यान रखकर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करें ।

🚩पूरे विश्व में आज जो भी है उसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की है, ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोज की है तभी उन्हें अनेक ऐसे रहस्य मिले जिसका आज पूरी दुनिया  लाभ उठा रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों के ग्रन्थ चुराकर विदेशी आक्रांता लेकर चले गए और उसमे से पढ़कर थोड़ा-बहुत ज्ञान पा लिया और दुनिया में बताया कि हमने खोज की है और भारत के इतिहास में भी यही पढ़ाया जा रहा है जो कि एक षडयंत्र है ताकि आने वाली पीढ़ी को पता ही नहीं चले कि वास्तव में ये सारी खोज भारत के ऋषि-मुनियों ने की थी।

🚩भारत के इतिहास को अब बदलना होगा सच्चाई पढ़ानी होगी एवं भारत के लोगो को भी आध्यात्म की तरफ मुड़ना होगा, तभी देश-समाज एवं हर प्राणी का मंगल होगा।

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Tuesday, June 30, 2020

भारत ने चाइनीज ऐप क्यों बैन किया ? उसके विकल्प में देशी ऐप भी जानिए

30 जून 2020

🚩भारत सरकार ने 59 चाइनीज मोबाइल ऐप पर बैन लगा दिया जिसकी सरहाना पूरा देश कर रहा है लेकिन कुछ लोगो के पेट मे दर्द भी हो रहा है और सरकार को कोश रहे है इससे साफ पता चलता है कि चीन के कुछ एजेंट भारत मे भी है और चीनी app बेन करते ही उनका चेहरा भी सामने आ गया वे भी देश ने पहचान लिया जबकि कई भारतीय कंपनियां इसे भारत सरकार का स्वागत योग्य कदम बता रही हैं। टिकटॉक से प्रतिस्पर्धा में रहने वाले वीडियो चैट ऐप रोपोसो की मालिकाना कंपनी इनमोबी ने कहा कि ये कदम उसके प्लेटफॉर्म के लिए बाज़ार को खोल देगा। वहीं भारतीय सोशल नेटवर्क शेयरचैट ने भी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।

🚩भारत ने क्यों लगाया बैन ?

भारत सरकार ने अपने इस फैसले को आपातकालीन उपाय और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम बताया है। भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, यह पाबंदी सुरक्षा, संप्रभुता और भारत की अखंडता के लिए जरूरी है। हम भारत के नागरिकों के डेटा और निजता में किसी तरह की सेंध नहीं चाहते हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि हमें कई स्रोतों से इन ऐप्स को लेकर शिकायत मिली थी। एंड्रॉयड और आईओएस पर ये ऐप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे। इन ऐप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे। यह भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी है। भारत सरकार ने अपने बयान में चीन या चीनी कंपनी का नाम नहीं लिया है।

🚩आपको बता दे की चीन से सरहद पर तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार रात दुनिया के सबसे पॉपुलर ऐप्स मे से एक टिकटोक और यूसी ब्राउजर सहित 59 चाइनीज मोबाइल ऐप को भारत में बैन कर दिया गया है। ऐसे में अगर आप अपने फोन से चाइनीज ऐप्स को हटाना चाह रहे हैं और उनके विकल्प की तलाश में हैं तो हम आपका यह काम आसान कर देते हैं। आज हम आपको उन ऐप्स के बारे में बता रहे हैं जो आपके फोन में मौजूद चाइनीज ऐप्स की जगह ले सकते हैं।

इन ऐप्स को प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर से यूजर्स डाउनलोड कर पाएंगे।  

🚩ये हैं नये विकल्प

● TikTok की जगह Bolo Indya, Roposo जैसे ऐप्स ले सकते हैं।

● PUBG Mobile की जगह Call of Duty, Garena Free Fire जैसे ऐप्स ले सकते हैं।

● Helo की जगह ShareChat का उपयोग की किया जा सकता है। साथ ही Mitron, Dubsmash, Funimate का यूज कर सकते हैं।

● ShareIt, Xender की जगह Files by Google का उपयोग कर जैसे ऐप्स से बचा जा सकता है।

● UC Browser की जगह Google Chrome को इस्तेमाल किया जा सकता है।

● CamScanner की जगह Adobe Scan, Microsoft Lens इस समय अधिक इस्तेमाल होने वाले ले सकता है।

● BeautyPlus की जगह B612 Beauty और Filter Camera, Candy Camera का इस्तेमाल कर सकते हैं।

● Club Factory और Shein जैसे ऐप्स के बजाए Flipkart, Amazon India, Koovs आदि पर ख़रीदारी के लिए जाएं।

● App Lock को छोड़कर Norton App Lock अपना सकते हैं।

● VivaVideo की जगह KineMaster, Adobe Premier Rush को डाउनलोड कर सकते हैं।

● Periscope को LiveMe, Kwai के अलटेरनेट की तरह उपयोग करें।

● Google News आपके फोन में UC News की जगह ले सकता है।

● Parallel Space की जगह App Cloner का उपयोग कर सकते हैं।

🚩चीन App को बेन करने पर जनता भारत सरकार की भूरी-भूरी सराहना कर रही है और जरूरी भी है क्योंकि आज जो चीन हमारे साथ धोखा दे रहा है कल भारतवासियों की प्राइवेसी और डेटा ले जाएगी फिर हमारे खिलाफ कुछ भी कर सकते है इसलिए अच्छा है चाइनीज ऐप्प बंद कर दिया और हमारा कर्तव्य है कि इसमें भारत सरकार को सहयोग दे और चीनी सामान का भी धीरे धीरे बहिष्कार करते जाए इससे चीन की आर्थिक कमर टूट जाएगी हमारे देश के खिलाफ आँख उठाकर फिर नही देखेगा लेकिन बस शर्त यही है कि सभी देशवासी इसमे अपना योगदान दे तब संभव हो पायेगा।

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Monday, June 29, 2020

कोरोना काल मे जेलों में कैदियों की भीड़ खतरनाक साबित हो रही हैं!

29 जून 2020

🚩हम ये मान लेते हैं कि जो जेल में हैं, वे सभी अपराधी हैं। कुछ साल पहले ज्ञात हुआ कि देश में लगभग दो - तिहाई कैदी वास्तव में अभी अपराधी करार नहीं दिए गए। वे 'अंडर ट्रायल्स' हैं। यानी उनका और उनके गुनाह का फैसला नहीं हुआ है। वे अदालती निर्णय के इंतजार में जेल में समय बिता रहे हैं। 2015 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40% अंडर ट्रायल्स ने जेल में एक साल से कम समय बिताया था। लगभग 20% ऐसे थे जिन्होंने 1-2 साल कैद में बिताए। कई बार ऐसा भी हुआ कि कैदी को खुद पर लगे इल्जाम के लिए जो सजा हो सकती है, उससे भी ज्यादा समय जेल में बिता दिया, बिना अदालती फैसला आए। इनमें कुछ स्वामी असिमानन्द जैसे हैं, जिन्हें अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। न्यायिक प्रक्रिया ने ही अन्याय किया।
🚩ज्यादातर अंडर ट्रायल्स कम पढ़े-लिखे, कमजोर तबके के लोग हैं। समाज में उन्हें गुनहगार ही माना जाएगा और निजी जिंदगी में, रोजगार में दिक्कतें आ सकती हैं। लेकिन अंडर ट्रायल्स के सामने और भी दुःख हैं। देश में कई राज्यों में जेलों में उनकी क्षमता से बहुत ज्यादा कैदी हैं। इससे कैद की जिंदगी और कठिन हो जाती है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। 2015 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 115 कैदियों की मौत ख़ुदकुशी से हुई।

🚩आज अंडर ट्रायल्स की बात करना क्यों जरूरी है? हमें पता है कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है और इससे बचने के लिए आपस में दूरी रखना जरूरी है। इस वजह से जेलों में कैद लोगों को भी बहुत खतरा है, खासकर जहां क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। जेलों में भीड़ की समस्या केवल भारत में ही नहीं, ईरान, अमेरिका, इंग्लैंड में भी है। इन देशों में धीरे - धीरे सहमति बनी है कि इस समय कैदियों को रिहा कर देना न सिर्फ मानवीयता के नजरिये से सही है बल्कि इसमें ही समझदारी है।

🚩ईरान में करीब 50 हजार कैदियों को मार्च में छोड़ा गया, अमेरिका में ट्रम्प पहले इसका विरोध कर रहे थे लेकिन वहां भी कई राज्यों ने कैदी रिहा किए। भारत में खबरें आ रही हैं कि जेलों में कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इस हफ्ते दिल्ली की मंडोली जेल में कोरोना से पहले कैदी की मौत का तब पता चला जब मौत के बाद जांच हुई। उसके साथ रहने वाले 17 कैदी भी पॉजिटिव मिलें। जब देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, तो जेलों में क्या हाल होगा। मार्च में सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश दिया कि हर राज्य में कमेटी गठित हो ताकि जेलों में भीड़ घटाने पर विचार हो। दिल्ली के तिहाड़ से मार्च में चार सौ कैदी रिहा किए गए थे और येरवडा, पुणे में हजार कैदियों को रिहा किया गया। इस सब पर सरकार की तरफ से और तीव्रता की जरूरत है। 

🚩तमिलनाडु के थूथूकुड़ी में एक पिता-पुत्र को लॉकडाउन के उल्लंघन पर टोका गया तो उन्होंने दुकान तो बंद कर ली लेकिन अपशब्द इस्तेमाल करने पर गिरफ्तार किया गया और इतना टॉर्चर किया कि उनकी मौत हो गई। न्यायिक प्रक्रिया को हमेशा से सत्ता ने राजनैतिक मकसदों के लिए इस्तेमाल किया है। महामारी में सत्ता का ऐसा उपयोग अनैतिक, अमानवीय है। लेखिका - रितिका खेड़ा, अर्थशास्त्री

🚩डब्ल्यूएचओ की सलाह 

🚩कोरोना के चलते डब्ल्यूएचओ ने भी सलाह दी है कि सभी देश, जेलों में भीड़ कम करने के उपाय ढूंढें, रिहाई, नियमित स्वास्थ्य जांच और मिलने आने वालों पर रोक। निकारागुआ में कैदियों को जेल से घर पर कैदी रखा गया हैं। रिहाई में अंडर ट्रायल्स, वृद्ध कैदियों, छोटे और अहिंसक गुनाहों के लिए कैद लोगों, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त, को प्राथमिकता दी जा रही हैं।

🚩जो देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप में जेल में हैं उनको रिहा नही कर सकते है लेकिन जो अंडर ट्रायल में है और उन पर गंभीर आरोप नही है, गर्भवती महिलाएं, वृद्ध लोग है जिनके आचरण जेल में अच्छे है उनको जमानत अथवा पेरोल मिलनी चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

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Sunday, June 28, 2020

भामाशाह से धनाढ्य लोग कुछ सीखें, देश व धर्म की रक्षा के लिए कैसा त्याग किया था?

28 जून 2020

🚩दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता है। देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 28 जून, 1547 को हुआ था। उनके पिता श्री भारमल्ल तथा माता श्रीमती कर्पूरदेवी थीं। श्री भारमल्ल राणा साँगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे। अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे।

🚩एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा। वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे। महलों में रहने और सोने चाँदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे। राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएँ, जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त करा सकें।

🚩इस समय राणा के सम्मुख सबसे बड़ी समस्या धन की थी। उनके साथ जो विश्वस्त सैनिक थे, उन्हें भी काफी समय से वेतन नहीं मिला था। कुछ लोगों ने राणा को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी, पर राणा जैसे देशभक्त एवं स्वाभिमानी को यह स्वीकार नहीं था। भामाशाह को जब राणा प्रताप के इन कष्टों का पता लगा, तो उनका मन भर आया। उनके पास स्वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था। उन्होंने यह सब राणा के चरणों में अर्पित कर दिया। इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने 25 लाख रु. तथा 20,000 अशर्फी राणा को दीं। राणा ने आँखों में आँसू भरकर भामाशाह को गले से लगा लिया।

🚩राणा की पत्नी महारानी अजवान्दे ने भामाशाह को पत्र लिखकर इस सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। इस पर भामाशाह रानी जी के सम्मुख उपस्थित हो गये और नम्रता से कहा कि मैंने तो अपना कर्त्तव्य निभाया है। यह सब धन मैंने देश से ही कमाया है। यदि यह देश की रक्षा में लग जाये, तो यह मेरा और मेरे परिवार का अहोभाग्य ही होगा। महारानी यह सुनकर क्या कहतीं, उन्होंने भामाशाह के त्याग के सम्मुख सिर झुका दिया।

🚩उधर जब अकबर को यह घटना पता लगी, तो वह भड़क गया। वह सोच रहा था कि सेना के अभाव में राणा प्रताप उसके सामने झुक जायेंगे, पर इस धन से राणा को नयी शक्ति मिल गयी। अकबर ने क्रोधित होकर भामाशाह को पकड़ लाने को कहा। अकबर को उसके कई साथियों ने समझाया कि एक व्यापारी पर हमला करना उसे शोभा नहीं देता। इस पर उसने भामाशाह को कहलवाया कि वह उसके दरबार में मनचाहा पद ले ले और राणा प्रताप को छोड़ दे, पर दानवीर भामाशाह ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अकबर से युद्ध की तैयारी भी कर ली। यह समाचार मिलने पर अकबर ने अपना विचार बदल दिया।

🚩भामाशाह से प्राप्त धन के सहयोग से राणा प्रताप ने नयी सेना बनाकर अपने क्षेत्र को मुक्त करा लिया। भामाशाह जीवन भर राणा की सेवा में लगे रहे। महाराणा के देहान्त के बाद उन्होंने उनके पुत्र अमरसिंह के राजतिलक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इतना ही नहीं, जब उनका अन्त समय निकट आया, तो उन्होंने अपने पुत्र को आदेश दिया कि वह अमरसिंह के साथ सदा वैसा ही व्यवहार करे, जैसा उन्होंने राणा प्रताप के साथ किया है।

🚩आज के हिन्दू समाज को अपने बच्चों को लोरियों में राणा प्रताप और भामाशाह के त्याग और तपस्या की कहानियाँ अवश्य सुनानी चाहिए। ताकि उन्हें यह मालूम हो सके कि उनके पूर्वजों ने कितने त्याग कर अपने वैदिक धर्म की रक्षा की थी।

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