Thursday, July 9, 2020

हिंदू संस्कृति को खत्म करने का एक ओर दुस्साहस, हिंदू सम्भल सके तो सम्भल जाइयें !

09 जुलाई 2020

🚩आज की बात नही है, सदियों से हिंदू संस्कृति पर प्रहार होते आये हैं और समय समय पर भगवान ने स्वयं अवतार लेकर सनातन धर्म को बचाया है।

🚩भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है और आज तक जितनी खोजें हुई और कई खोजें कोई भी वैज्ञानिक नही कर पाया, वे ध्यान समाधि द्वारा हमारे ऋषियों ने पहले ही कर दी है। चाहे बिजली हो या परमाणु की अथवा हवाई जहाज हो या शल्यक्रिया जितनी भी खोजे हुई हैं, हमारे ऋषियों ने की है, उनको हम साधु-संत भी कहते है। हमारी दिव्य संस्कृति बचाने में हमारे साधु-संतों ने अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है क्योंकि अभी तक धर्म, संस्कृति और राष्ट्र बचाने के लिए हमे मार्गदर्शन उनके द्वारा ही मिलता रहा है और हमे इसका आसानी से लाभ मिल सके उसके लिए उन्होंने आश्रम खोले जिससे वहां हर व्यक्ति आकर समाज, धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति अपना क्या कर्तव्य है तथा हमे उसके लिए कितना योगदान देना चाहिए वे सब समझाते हैं।

🚩साधु-संत और उनके आश्रमो में जाने वाले लोग धर्मपरिवर्तन नही करते हैं बल्कि कोई करता है तो उसको भी रोकते हैं और वे विदेशी सामान का उपयोग नही करते हैं, व्यसन नही करते हैं, क्लबो में नही जाते हैं, सिनेमा नही देखने जाते हैं, वेलेंटाइन डे आदि का विरोध करते हैं अर्थात जो भी भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति और राष्ट्र को तोड़ने का कार्य करते हैं, उस पर आश्रम में जाने वाले रोक लगाते हैं, इसलिए हमेशा साधु-संतों और आश्रमों को टारगेट किया जाता है। विधर्मी, षडयंत्रकारी चाहते हैं कि सबसे पहले इनको जेल भिजवाओ, फिर इनके आश्रम बंद करवाओ, जिससे संस्कृति को तोड़ने ओर राष्ट्र विघटन का कार्य आसानी हो सके।

🚩मस्जिदों एवं मदरसों में राष्ट्र विरोधी कार्य होते हैं, वहाँ कट्टरपंथी शिक्षा दी जाती है, वहां आतंकवादी बनाये जाते हैं। चर्चो में धर्मान्तरण का खेल चलता है लेकिन इनको बंद करने की कोई मांग नही कर रहा है पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सिकंदराबाद निवासी डुम्पाला रामरेड्डी ने दायर याचिका में कहा है कि बिना नियम-कायदे के चलने वाले कई आश्रम अवैध गतिविधियों के केंद्र बने हुए हैं। इनको बंद कर दिया जाए अथवा सरकार के नीति नियमों के अनुसार चले और सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करने को तैयार भी हो गई। सरकार से जवाब भी मांगा है और दो हफ्तों के बाद सुनवाई भी होगी।

🚩जो न्यायालय और सरकार जिस पर 65 वारंट हैं, इसमे भी कई ग़ैरजमानती वारंट, जिसमे राष्ट्रद्रोह, बलात्कार जैसे गंभीर आरोपी उस इमाम बुखारी को कभी गिरफ्तार नही कर पाए, पूरे देश मे कोरोना फैलाने वाले मौलान साद को गिरफ्तार कर नही पाए और जिन मस्जिदों में आतंकवादी पलतें रहे और जिन चर्चो में धर्मान्तरण होते हैं, उनको बंद नही करवा पाए लेकिन आश्रमो के लिए सुनवाई के लिए तैयार हो गए क्योंकि हिंदू सहिष्णु है, पहले मंदिरों को सरकार के कब्जे में करवा दिया जिससे मंदिर का पैसा हिंदुओं के लिए नही बल्कि अन्य धर्मों में उपयोग किया जाए अब आश्रमों पर उनकी नजर ठहरी है इसलिए हिन्दू सावधान रहे।

🚩आपको बता दें कि रामपाल जैसे छोड़कर सभी साधु-संतों को षड्यंत्र के तहत जेल भेजा गया है क्योंकि वे सनातन संस्कृति का परचम पूरे विश्व मे फैला रहे थे।

🚩सनातन संस्था द्वारा राष्ट्र एवं संस्कृति के हित के कार्य करने के कारण उनको बंद करवाने में कई समय से विधर्मी लगे हैं।

🚩हिंदू संत आशारामजी बापू के बारे में तो सब जानते ही है कि उन्होंने समाज, देश और संस्कृति बचाने का अथाह कार्य किया जिसके कारण झुठा केस बनाकर साजिश के तहत जेल भेज गया।

🚩बापू आशारामजी ने क्या किया और आज भी उनके आश्रमों द्वारा क्या प्रवृत्तियां चल रही है देख लीजिए...

1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री, मकान, पैसे, दवाइयां आदि दी जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।

2). कत्लखानों में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।

3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।

4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया।

5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया।

6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया, पाकिस्तान में तो कराची में गाजी दरगाह में दोपहर की अजान के समय भी वे हरि कथा करते रहे।

7). वैलेंटाइन डे का विरोध करके "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का प्रारम्भ करवाया।

8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।

9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।

10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा करोड़ों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया।

11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाएं।

12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी", बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया। https://youtu.be/jZBu4ZSu-tE

🚩ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं।

🚩डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने तो यह भी बताया कि हिन्दू संत आशारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी की और करोड़ो लोगों को सनातन धर्म की तरफ ले आये इसके कारण वेटिकन सिटी ने सोनिया गाँधी को कहकर झूठे केस में फँसाया गया। उनके आश्रम में फेक्स भी आया था कि 50 करोड़ दो नहीं तो जेल जाने को तैयार रहो इससे साफ होता है कि उन पर अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र हुआ है।

🚩बाबा राम रहीम ने पंजाब एवं हरियाणा में हजारों युवकों को ड्रग्स आदि व्यसनों को छुड़वाया, गरीबो को सहायता की और उनकी संस्था द्वारा कइयो को ब्लड डोनेट किया, बॉलीवुड में भी अच्छे संस्कार वाली फिल्में लाई जा रही थी इसके कारण उनके पीछे साजिश हुई।

🚩इससे साफ पता चलता है कि पहले मंदिरों पर कब्जा, फिर साधु-संतों को झूठे केस में जेल भेजना ओर अब उनके आश्रम बंद करवाना ये एक सुनियोजित साजिश चल रही है, हिंदू सावधान रहें और इस षडयंत्र का पुरजोर विरोध करें।

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Wednesday, July 8, 2020

पाकिस्तान में एक भी हिंदू मंदिर नही बनने दे रहे हैं, किया जा रहा है प्रताड़ित!

08 जुलाई 2020

🚩भारत-पाकिस्तान के विभाजन के 73 वर्षों के बाद 24 जून को यहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को राजधानी इस्लामाबाद में पहले श्री कृष्ण मंदिर के निर्माण की खबर मिली थी। यदि मंदिर बन जाता है तो उन्हें पूजा के लिए शहर के बाहर नहीं जाना होगा। मानवाधिकारों पर संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही ने मंदिर का शिलान्यास किया था। लेकिन अब पाकिस्तान में इस मंदिर निर्माण का पुरजोर विरोध हो रहा हैं इसके कारण मंदिर निर्माण का कार्य रोक दिया गया हैं।

🚩जो मुसलमान पाकिस्तान मे एक हिन्दू मन्दिर को स्वीकार नहीं करना चाहते वे भारत मे शरिया कानून लागू करवाना चाहते हैं। तेज आवाज मे 5 बार लाउड स्पीकर पर अजान चलाते हैं। आवाज धीमी करने को कहो तो धमकी देते हैं। तारिक फतेह, तसलीमा नसरीन और सलमान रश्दी को बोलने नहीं देना चाहते। भारत को संविधान से नहीं, कोर्ट से नहीं फतवों से चलाना चाहते हैं। पिछले 70 साल से पाकिस्तान की यही सच्चाई है। सैंकड़ों पुराने मन्दिर और गुरुद्वारों को पिछले 70 साल मे मस्जिद मे बदल दिया परन्तु 1 मन्दिर का बनना बर्दाश्त नहीं है। पुराने मन्दिर खंडहर हो गए हैं।

🚩पहले पूरे पाकिस्तान में हंगामा करके इस्लामाबाद में प्रस्तावित मंदिर को रोका गया। फतवे निकाले गये। सरकार गिराने की धमकी दी गयी। इस "कुफ्र" के लिए इमरान खान को खाक में मिला देने की आवाजें उठी। परिणामस्वरूप इमरान खान सरकार ने कृष्ण मंदिर का निर्माण रुकवा दिया।

🚩लेकिन इतने से भी बात बनी नहीं। कुछ लोग वहां पहुंचे और चारदीवारी की नींव की ईंटे उखाड़कर फेंक दी। बुतपरस्तों की ये मजाल कि इस्लामाबाद में मंदिर बनायेंगे। फिर भी संतोष न हुआ। अब वहां जाकर कुछ लोगों ने अजान दी है। नमाज पढ़ी है ताकि उस जमीन को "पाक" किया जा सके जहां बुतपरस्ती की नींव पड़ रही थी। लेकिन मुझे लगता है इतने से भी बात बनेगी नहीं। जल्द ही मंदिर के लिए एलॉट की गयी जमीन पर गोकशी करके उसे "पवित्र" किया जाएगा ताकि दोबारा वहां मंदिर बनने की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो सके।

🚩सहिष्णुता इसको कहते हैं। असहिष्णु हिन्दुओं को अपने मुस्लिम भाइयों से कुछ सीखना चाहिए।

🚩आपको बता दें कि पाकिस्तान में 23% हिंदू थे आज 2% भी नही बचे हैं और पाकिस्तान में हिन्दुओं के 95% मंदिरों पर कब्ज़ा कर उनमें दुकानें चलाई जातीं हैं। कभी मुगल आक्रांताओं और औरंगज़ेब के सिपहसालारों जैसे देसी जिहादियों की मौत कहे जाने वाले सिख समुदाय की हालत भी ऐसी ही है।


🚩पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि जबरदस्ती धर्म परिवर्तन की घटनाएं केवल सिंध तक सीमित नहीं है बल्कि देश के अन्य भागों में भी ऐसा हो रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण होता है, उनके साथ बलात्कार किया जाता है और बाद में यह दलील दी जाती है कि, लडकी ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है। उसकी मुस्लिम व्यक्ति से शादी हो गई है और वह अपने पुराने धर्म में लौटना नहीं चाहती। यदि वे उसके अपहरण की एफआईआर करते हैं, तो यह उसे ढूंढ़ने और वापिस काफिर बनाने का पैंतरा है। लडकी नाबालिग होती है, तो उसका नकली जन्म प्रमाणपत्र बनवा लिया जाता है। इन्हीं अत्याचारो से तंग आ कर 5,000 हिन्दू हर साल अपना घरबार छोड कर भारत भाग आते हैं।


🚩एक महिला का कहना है कि पाकिस्तान में अब वह सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि पुलिस के सामने ही किसी को भी किडनैप कर लिया जाता है। नॉर्थ वेस्ट क्षेत्र में आज कोई महिला सुरक्षित नहीं है।

🚩भारत को ‘असहिष्णु’ बोलनेवाले तथा भारत में रहने से ‘डर’ लगता है, ऐसा कहनेवाले आमिर खान, नसीरूद्दीन शाह क्या पाकिस्तान की इस ‘असहिष्णुता’ पर कुछ कहेंगे ? भारत में अल्पसंख्यक डरा हुआ है, ऐसा ढिंढोरा पिटा जाता है, किंतु पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की यह स्थिती देखकर कौन सच में ‘डरा’ हुआ है, यह ध्यान में आता है।

🚩पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ इतना अत्याचार हो रहा है लेकिन कोई भी मानव अधिकार, संयुक्त राष्ट्र, विदेश मंत्रालय, सरकार, मीडिया, सेक्युलर, वामपंथी , न्यायालय , तथाकथित बुद्धिजीवी सब चुप है क्योंकि हिंदू तो उनको मनुष्य ही नही दिखते है अब खुद हिंदुओं को संगठित होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए नही तो एक के बाद एक की बारी होगी।

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Tuesday, July 7, 2020

सिक्ख भाई अफगानिस्तान और पाकिस्तान से सबक सीखे, सोचे कहीं देर न हो जाये।

07 जुलाई 2020

🚩कुछ सिक्ख अपने भाइयों को गुमराह कर रहे हैं और हिंदुओं से अलग होकर मुस्लिम समुदाय के साथ हिलमिल रहे हैं उनको यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए कि आगे क्या होगा....।

🚩सिखों पर अत्याचार...
-काबुल गुरुद्वारा हमले में 25 सिख मारे गए।
-अफगानिस्तान के जलालाबाद में आत्मघाती हमले में 13 सिख मारे गए।
- पेशावर में सिख कार्यकर्ता चरणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या।
- पाकिस्तान में तालिबान द्वारा जसपाल सिंह की सर काट कर हत्या।
-पाकिस्तान के फाटा इलाके में सिखों को जज़िया देने के लिए मजबूर किया गया।
-नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस में सिखों की दुकानें लूट ली गई। उन्हें भागकर पेशावर आना पड़ा।
-हाफ़िज़ सईद के रिश्तेदार अब्दुल रहमान मक्की द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस में गुरु नानक की निंदा की गई।
-अफगानिस्तान में कोई सिख अगर मर जाता है तो उसकी शव यात्रा पर स्थानीय लोग पत्थर फैंकते हैं।
-लेसिस्टर, ब्रिटेन में 40-50 सिखों ने मुग़ल दरबार रेस्तरा में घुसकर एक 15 साल की सिख लड़की की इज्जत से खिलवाड़ करने वाले मुस्लिम गैंग से मारपीट की।


🚩कुछ सिख भाइयों द्वारा गुमराह करना

-पाकिस्तान शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य गोपाल सिंह चावला द्वारा हाफिद सईद को ननकाना साहिब में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया।

- कनाडा में कुछ गुरुद्वारों द्वारा भारतीय दूतावास के अधिकारीयों का आधिकारिक रूप से गुरुद्वारों में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

-26 जनवरी को लंदन के भारतीय दूतावास के सामने पाकिस्तानी मुसलमानों के साथ मिलकर कुछ सिखों द्वारा कश्मीर और खालिस्तान की आज़ादी के नारे लगाए गए।

-बर्मा से निकाले गए रोहिंग्या मुसलमानों के लिए खालसा ऐड द्वारा लंगर और राहत शिविर लगाया गया।

-प्रधानमंत्री मोदी जी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान उनके विरोध में क्कुह सिखों द्वारा विरोधी नारे लगाए गए और पाकिस्तानी मुसलमानों के साथ मिलकर भारत का झंडा उतार दिया गया।

- दिल्ली के शाहीन बाग CAA विरोधियों के लिए कुछ सिखों द्वारा लंगर लगाना। 

🚩पहले वाली घटनाओं में एक बात समान है कि जिनका दमन हो रहा हैं वो सिख हैं और जो दमन कर रहे है। वह पाकिस्तानी या अफगानी मुसलमान है।

🚩दूसरी घटनाओं में कुछ सिख पाकिस्तानी मुसलमानों के साथ मिलकर हम हिन्दू नहीं है का सन्देश देना चाहते हैं।

🚩पहले वाली घटनाओं में सिखों के आगे केवल दो ही विकल्प हैं। या तो भारत भाग जाओ। या फिर इस्लाम स्वीकार कर लो।

🚩दूसरी घटनाओं में गुरुद्वारों का प्रयोग अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया जा रहा हैं।

🚩पहले वाली घटनाओं पर कोई विदेश में बैठा सिख दो शब्द भी कभी पाकिस्तानी/अफगानी सिखों के हितों की रक्षा के लिए नहीं बोलते।

🚩दूसरी घटनाओं में विदेश में बैठा सिख अपने धन-बल का प्रयोग केवल हम हिन्दू नहीं है और हिन्दू और सिखों के साँझा इतिहास को झुठलाने की कोशिश करने में लगा हैं।

🚩इन गलतियों का क्या दूरगामी परिणाम होगा? यह एक अंग्रेज लेखक के शब्दों में जानना उचित रहेगा।

🚩2005 में समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है। जो तथ्य निकल करआए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं।

🚩उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते। जैसे अमरीका में वे (0.6 प्रतिशत) हैं।

🚩आस्ट्रेलिया में 1.5, कनाडा में 1.9, चीन में 1.8, इटली में 1.5 और नॉर्वे में मुसलमानों की संख्या 1.8 प्रतिशत है। इसलिए यहां मुसलमानों से किसी को कोई परेशानी नहीं है।

🚩जब मुसलमानों की जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। जैसा कि डेनमार्क, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन और थाईलैंड में जहां क्रमश: 2, 3.7, 2.7, 4 और 4.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।

🚩जब मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश या क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिए वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर ‘हलाल’ का मांस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि ‘हलाल’ का मांस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यताएं प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में खाद्य वस्तुओं के बाजार में मुसलमानों की तगड़ी पैठ बन गई है। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्कीट के मालिकों पर दबाव डालकर उनके यहां ‘हलाल’ का मांस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी धंधे को देखते हुए उनका कहा मान लेते हैं।

🚩इस तरह अधिक जनसंख्या होने का फैक्टर यहां से मजबूत होना शुरू हो जाता है, जिन देशों में ऐसा हो चुका है, वे फ्रांस, फिलीपींस, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं। इन देशों में मुसलमानों की संख्या क्रमश: 5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले।

🚩जब मुस्लिम जनसंख्या किसी देश में 10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं, शिकायतें करना शुरू कर देते हैं, उनकी ‘आॢथक परिस्थिति’ का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़-फोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ्रांस के दंगे हों डेनमार्क का कार्टून विवाद हो या फिर एम्सटर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है। ऐसा गुयाना (मुसलमान 10 प्रतिशत), इसराईल (16 प्रतिशत), केन्या (11 प्रतिशत), रूस (15 प्रतिशत) में हो चुका है।

🚩जब किसी क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, जैसा इथियोपिया (मुसलमान 32.8 प्रतिशत) और भारत (मुसलमान 22 प्रतिशत) में अक्सर देखा जाता है। मुसलमानों की जनसंख्या के 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्रवाइयां आदि चलने लगती हैं। जैसा बोस्निया (मुसलमान 40 प्रतिशत), चाड (मुसलमान 54.2 प्रतिशत) और लेबनान (मुसलमान 59 प्रतिशत) में देखा गया है। शोधकर्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बताते हैं कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है। जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है।

🚩किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी का 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है। जैसे बंगलादेश (मुसलमान 83 प्रतिशत), मिस्र (90 प्रतिशत), गाजापट्टी (98 प्रतिशत), ईरान (98 प्रतिशत), ईराक (97 प्रतिशत), जोर्डन (93 प्रतिशत), मोरक्को (98 प्रतिशत), पाकिस्तान (97 प्रतिशत), सीरिया (90 प्रतिशत) व संयुक्त अरब अमीरात (96 प्रतिशत) में देखा जा रहा है।

🚩निष्कर्ष- पहले वाली सभी घटनाएं तभी घटित होती है जब मुस्लिम समाज की जनसंख्या बढ़ जाती हैं। दूसरी घटनाएं तभी तक हैं जब तक मुस्लिम समाज की जनसंख्या अभी अल्प या सीमित है। यूरोप, अमरीका, कनाडा में रहने वाले मेरे सिख भाई जो अपने क्षणिक लाभ और राजनीतिक हितों के लिए अलगाववाद की जहरीली बेल को पोषित करने का प्रयास कर रहे हैं। वे यह न भूले कि विदेशों में भी मुस्लिम जनसंख्या दर आज भी सिखों,हिन्दुओं और ईसाईयों से बहुत अधिक हैं। मुस्लिम समाज न केवल संगठित है अपितु उसे क्या करना हैं। वह उसे भली प्रकार से जानता है। इसलिए वे यह न समझे की उनका भविष्य सुरक्षित है। उनका भविष्य भी कोई सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान में जो आज सिखों और हिन्दुओं के साथ हो रहा है। आज से कुछ दशकों के बाद वही उनके साथ भी होगा। इसलिए अलगाववाद और विघटन का रास्ता छोड़कर हिन्दुओं के साथ मिलकर एकता और परस्पर सामंजस्य का रास्ता अपनाने में सभी का हित है और खास बात यह है कि सिख भी हिंदू ही है बस गुरु की बात माने उनको सिख कहते है और देश मे मुगल राज्य खत्म करने में हिंदू से बने सिख सिपाहियों के बड़ा बलिदान रहा हैं।

🚩सोचे कहीं देर न हो जाये वरना आने वाली नस्लें आपको कभी माफ नहीं करेगी!

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