Friday, May 12, 2023

मध्य प्रदेश में पकड़े गए 11 जिहादी, 50 देशों में फैला है हिज्ब-उत-तहरीर

12  May 2023

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🚩देश में बढ़ रहे इस्लामी कट्टरवाद पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश की पुलिस चौकस नजर रखे हुए है। कट्टरपंथ और उग्रवाद पर मध्य प्रदेश सरकार  की जीरो-टॉलरेंस की नीति है। इसी के तहत मध्य प्रदेश पुलिस की आतंक निरोधी दस्ते (ATS) ने हिज्ब उत् तहरीर (HuT: Hizb-Ut-Tahrir) नाम के इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।


🚩हिज्ब उत् तहरीर नाम का संगठन तहरीक-ए-खिलाफत के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश ATS ने कड़ी कार्रवाई करते हुए मंगलवार (10 मई 2023) को भोपाल के शाहजहाँनाबाद, ऐशबाग, लालघाटी और पिपलानी में रेड मार कर इसके 10 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। वहीं छिंदवाड़ा से 1 और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से 5 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।


🚩गिरफ्तार किए गए कट्टरपंथियों के पास से तकनीकी उपकरण, देश विरोधी दस्तावेज, कट्टरपंथी साहित्य एवं अन्य सामग्री बरामद की गई हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने आरोपितों पर UAPA सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। ATS उनसे आगे की पूछताछ कर रही है।


🚩कट्टरपंथियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर से टीचर तक शामिल



🚩HuT के कट्टरपंथी अपने कामों को अंजाम देने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते थे। वे रेकी करने के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल करते थे। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में कंप्यूटर इंजीनियर, टेक्नीशियन, टीचर, व्यवासायी, जिम ट्रेनर, कोचिंग सेंटर संचालक, ऑटो ड्राइवर, दर्जी आदि शामिल हैं। ये सभी आम लोगों के बीच रहते हुए और अपना काम करते हुए कट्टरपंथी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।


🚩भोपाल के शाहजहाँनाबाद से गिरफ्तार किया गया 29 साल का यासिर खान जिम ट्रेनर है। शहीद नगर से गिरफ्तार 32 साल का सैयद सामी रिजवी कोचिंग में टीचर है। जवाहर कॉलोनी ऐशबाग से गिरफ्तार शाहरूख दर्जी है, जबकि उसी इलाके से गिरफ्तार 29 साल का मिस्बाहुल हक मजदूरी करता है। ऐशबाग का ही शाहिद ऑटो चलाता है।


🚩भोपाल के ही ऐशबाग का रहने वाला सैयद दानिश अली सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जबकि ऐशबाग का ही 25 वर्षीय मेहराज अली कंप्यूटर टेक्नीशियन है। भोपाल के लालघाटी का रहने वाला 40 साल का खालिद हुसैन टीचर और व्यवसायी है। इसके अलावा, भोपाल से ही ATS ने वसीम खान और 35 साल के मोहम्मद आलम को गिरफ्तार किया है। वहीं, छिंदवाड़ा से गिरफ्तार करीम प्राइवेट नौकरी करता था।


🚩हिज्ब उत् तहरीर (HuT) आतंकी ऐसे करते थे काम

ATS के मुताबिक, ये सभी आरोपित गोपनीय रूप से जंगलों में जाकर क्लोज कॉम्बैट ट्रेनिंग कैंप आयोजित कर निशानेबाजी का अभ्यास करते थे। इसमें हैदराबाद से आए हुए इस्लामी कट्टरपंथी इन लोगों को ट्रेनिंग देने का काम करते थे। ये ट्रेनर अपने काम में माहिर हैं। ट्रेनिंग के अलावा, आरोपितों द्वारा गोपनीय रूप से दर्श (दीनी सभा) का आयोजन करके भड़काऊ तकरीरें दी जाती थीं। इस दौरान लोगों के बीच कट्टरपंथी और जिहादी साहित्य भी बाँटे जाते थे।


🚩मध्य प्रदेश ATS का कहना है कि आरोपित ऐसे युवकों की पहचान करके अपने साथ शामिल करते थे, जो उग्र स्वभाव के हों और अपनी जान देने से भी ना हिचकें। सभी आरोपित आपस में बातचीत करने के लिए डार्क वेब के विभिन्न चैनलों का इस्तेमाल करते थे। इनमें ‘रॉकेट चैट’, ‘थ्रीमा’ जैसे ऐप शामिल हैं। इस तरह के कम्युनिकेशन का उपयोग अधिकतर ISIS जैसे आतंकी संगठनों द्वारा किया जाता है।


🚩ये अधिक से अधिक युवकों को जोड़कर हिंदुओं के खिलाफ जिहाद की योजना बना रहे थे। ये बड़े शहरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में धमाके करके लोगों में अपना भय कायम करना चाहते थे। इसके लिए वे कई शहरों को चिह्नित भी कर चुके थे। इसके लिए उन्होंने ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया था। रेकी के बाद इलाके का नक्शा बनाकर घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। संगठन में जो भी सदस्य शामिल किए जाते थे, उनसे चंदा जुटाने के साथ-साथ अन्य संसाधन बटोरने के लिए कहा जाता था।


🚩हिज्ब उत् तहरीर: क्या है, कहाँ-कहाँ है


🚩हिज्ब उत् तहरीर उर्फ तहरीक-ए-खिलाफत इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है, जो गैर-इस्लामी इलाकों में शरिया शासन कायम करने की सोच रखता है। इस संगठन के तार 50 से भी अधिक देशों में फैला हुआ है। इस संगठन की हिंसक गतिविधियों एवं सोच को देखते हुए 16 देश प्रतिबंध लगा चुके हैं।


🚩आतंक के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में आतंक करने वालों और कट्टरपंथ की राह पर चलने वालों को बहुत पहले ही सचेत कर दिया था। खरगोन दंगों में जिन कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी की थी, जिन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था… उन पर कैसी कार्रवाई होगी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट कर दिया था।🚩मध्य प्रदेश की पुलिस आतंक को कुचलने के लिए तब भी तत्पर थी, आज भी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले PFI के भी 22 सक्रिय सदस्यों को मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, मार्च 2022 में जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के मॉड्यूल का भी मध्य प्रदेश की पुलिस ने भंडाफोड़ किया था। इस दौरान 3 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था।


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Thursday, May 11, 2023

क्या आप भी जानना चाहते हैं , कि आख़िर क्यों हैं आशारामजी बापू कारागृह में !!???

11  May 2023

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🚩“भारत” नाम सुनते ही दो चीजें आंखों के सामने आती हैं । एक तो भारत की स्वर्णिम सनातन संस्कृत और यहां की सबसे प्राचीनतम् सभ्यता और दूसरे सनातन संस्कृति के महान वाहक , पोषक व रक्षक संतजन ।


🚩भारत कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए अपने मूल से ही जाना जाएगा । पर क्या भारत पर हुए विभिन्न देशी-विदेशी शासकीय अत्याचारों को भुलाया जा सकता है...?

.......नहीं ना !!


🚩विभिन्न धर्मों के आक्रमणकारियों ने भारत को अपने-अपने मजहब में ढालने का,हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयत्न किया परंतु भारत के अस्तित्व को आहत ना कर पाए। 

पर ये सब इतनी आसानी से न हुआ। जाने कितनी महान हस्तियों ने बलिदान दिए। कितने-कितने देश-भक्त और धर्म-प्रेमी विधर्मियों के अत्याचार की बली चढ़ गए, पर भारत की वैदिक संस्कृति को हानि नहीं पहुंचाने दी बल्कि और भी बुलंद कर दिया।



🚩आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ के बावजूद भी भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका एकमात्र कारण है वंदनीय साधु-संतों के त्याग,तपस्या,बलिदान, उनके द्वारा दी जाने वाली संयम-सदाचार की शिक्षा और...उनकी अनवरत समाज सेवाएं । ऐसे महापुरुषों के लोक-मांगल्य के कार्यों की वजह से ही “सनातन-संस्कृति आज तक दैदिप्यमान सूर्य की भांति प्रकाशित है।

https://youtu.be/3r4Qn7NJwHY


🚩21वीं सदी के हिन्दू संत श्री आसारामजी बापू , जिनका नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है । प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं। भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य  इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता। देश-विदेश के करोड़ों लोगों को सनातन हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी लाभान्वित होने का मार्ग प्रशस्त किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया।  https://youtu.be/wmswegtRqus


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आसारामजी का विशाल हृदय प्राणिमात्र...या यूँ कहें कि चराचर जगत के कल्याण और मंगल के लिए सदैव ही द्रवीभूत रहता है ।

जब दूरदृष्टा बापू आसारामजी ने देखा कि अनेकानेक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे गुपचुप रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर सनातन संस्कृति से दूर किया जा रहा है ।

तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा।


🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस की सुन्दर सौगात देकर सम्पूर्ण मानवता पर जो उपकार किया है , उसका ऋण कभी उतारा नहीं जा सकता...

25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस जैसा पावन और मंगलकारी महापर्व प्रदान किया...

31 दिसंबर से 1जनवरी तक अंग्रेजी न्यू-ईयर वीक की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान का आयोजन करवा कर देशवासियों...खासकर युवाओं और किशोरवय के बालक-बालिकाओं को उत्सव के नाम पर भोग,वासना और व्यभिचार के गर्त में गिरने से बचाया है।


🚩आदिवासी क्षेत्रों जहाँ तक सरकार के सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती , वहाँ वर्षपर्यंत लगातार चलने वाले उपक्रम..."भजन करो,भोजन करो और दक्षिणा पाओ चलाते हैं।इतना ही नहीं समय-समय पर त्योहारों के बहाने उन गरीबों में भण्डारा करना,उन्हें निशुल्क जीवनोपयोगी सामग्री और दवाएं आदि प्रदान करवाते हैं , उनका सहारा बनकर खड़े हैं ताकि धूर्त, चालबाज मिशनरीज उनका धर्म परिवर्तन न करवा दें ।


🚩हिंदुओं के पर्वों को देश द्रोही मौकापरस्त लोग और चालबाज विदेशी कंपनीज मिलकर अपने मकसद के लिए विकृत न कर सकें... इसलिए बापूजी ने इस क्षेत्र  में भी बड़े असरकारक,लाभदायक और सुन्दर उपाय हमारी वैदिक संस्कृति के खजाने से खोज निकाले और... विधर्मियों को मुह की खानी पड़ी। सारे उदाहरण बताने जाएं तो, समय व स्थान बौने हो जाएंगे,पर बापूजी के उपचारों का पूरा वर्णन न हो सकेगा...


होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8


🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया , बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा और लोक-हित के लिए... अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला” के साथ ।


🚩14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में । जिससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष । साथ हीआधुनकिता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक दूसरे का साथ । कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलतीं सुधारी । युवानो में संयम और उनके लिए परिवार का साथ देश के समुन्नत भविष्य और सर्वांगीण विकास हेतु बहुत जरूरी है...ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई ।

https://youtu.be/LrMcg10aWuk


🚩31 दिसंबर और 1 जनवरी को विदेशी अंधानुकरण करते लोग जब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे थे तब लोक-हितैषी बापू आसारामजी ने “भारत विश्वगुरु अभियान” को फैलाया ताकि देशवासियों की रक्षा हो सके और सभी को पतन से बचाया जा सके । 25 दिसंबर से 1 जनवरी विदेशी सभ्यता का अनुकरण करने से बहुत हानि हुई है भारतीयों की, पर यही 8 दिन अगर वैदिक संस्कृति से मनाएं जाएं तो अवश्य न केवल पतन से बचाव होगा अपितु सर्वांगीण उन्नति और मंगल होगा ।

इन 8 दिनों में :

तुलसी पूजन दिवस

गौ-गंगा-गायत्री जागृति यात्रा

सहज स्वास्थ्य व योग प्रशिक्षण

गीता-पाठ हवन कार्यक्रम

मंत्र-अनुष्ठान

सामूहिक सेवा

सत्संग आयोजन...

आदि आयोजन होते हैं ताकि मानव, प्रकृति, प्राणी सभी का मंगल हो ! तन तंदरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रगट हो !

 न आत्महत्या हो , न गौ-हत्या हो और न ही यौवन-हत्या हो बल्कि आत्मविकास हो ! तुलसी, गौ, गंगा, देश की वैदिक संस्कृति और सच्चे संतों को पूजा जाए और इनकी रक्षा की जाए, सेवा की जाए ! लोग ओजस्वी-तेजस्वी बनें और गीता-ज्ञान से मुक्तात्मा, महानात्मा बन अपने स्वरूप को जानें !https://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu/videos/10153460984402669/


🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 57+ वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड़यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई।

विभिन्न विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे लोक-मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए देश और समाज से उन्हें दूर करने का कुचक्र रचा।

...और इसी षड़यंत्र को अंजाम देते हुए एक महान संत को इतना अपमानित और प्रताड़ित किया ।

https://youtu.be/j1cCIdlT50c


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।


🚩दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित , सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा । 


🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि, संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थशास्त्र ज्ञान, राजनीति ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे ।


अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत ज्ञान और अनवरत सत्य संकल्प युक्त अभियानों के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक "विश्वगुरु" बन कर रहेगा । 

https://youtu.be/U-kryE2VPc4



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Wednesday, May 10, 2023

अपने जीवन में पेड़-पौधों का कितना महत्व है ???

10  May 2023

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🚩 पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी । आज की जैसी स्थति है, वैसी पहले नहीं थी और इसका कारण कुछ वैज्ञानिक बताते हैं कि वायु प्रदूषण करके मनुष्य ने पर्यावरण को इतना नुकसान पहुंचाया है कि धरती के ‘ इको–सिस्टम ‘ को ही हिला कर रख दिया है, जिससे गर्मी लगातार बढ़ रही है । वैज्ञानिक तो ये भी ये कह रहे हैं कि अगर यही हाल रहा तो 2050 तक मुंबई और समुद्र किनारे बसे शहर भी समुद्र में ही डूब जाएंगे ।


🚩होता है और 4 टन ऑक्सीजन वायुमंडल में पेड़ों के माध्यम से प्राप्त होता है । इतने ऑक्सीजन से 18 से 20 लोग आराम से 1 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं । साथ ही पेड़-पौधे, गाड़ियों और कारखानों से उत्पत्ति होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड गैस को भी खींच लेते हैं और ऑक्सीजन में बदल देते हैं ।



🚩इतना तो हम कर ही सकते हैं…

सरकार जितने भी नियम-कानून लागू करे पर उसके साथ-साथ जनता की जागरूकता से ही पर्यावरण की रक्षा संभव हो सकेगी । इसके लिए कुछ अत्यंत सामान्य बातों को जीवन में दृढ़ता-पूर्वक अपनाना आवश्यक है।

जैसे –

1. प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करें, जहां उसकी देखभाल हो सके ।


🚩2. उपहार में भी सबको पौधे दें ।


3. शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें ।


🚩4. विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे लगाएं और जीवित भी रखें ।


5. प्रत्येक गांव/शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई जाए ।


🚩6. निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए।


7. रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें।


🚩8.जल व्यर्थ न बहाएं ।


9.अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोड़ें । पॉलीथिन का उपयोग न करें । कचरा कूड़ेदान में ही डालें ।


🚩10.अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें ।


🚩ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है । ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लाएंगे साथ ही पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे।


🚩इस बार बारिश में पेड़-पौधे लगाने का न भूलें ।


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Tuesday, May 9, 2023

फिल्मों द्वारा चल रही हैं बड़ी साजिस, हिंदू रहना सावधान...

9  May 2023

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🚩बॉलीवुड के निशाने पर हमेशा हिंदू धर्म रहा है, लगातार हिंदू धर्म का अपमान किया जा रहा है पर अभी तक न सेंसर बोर्ड ने ऐसी कोई फ़िल्म पर रोक लगाई और ना ही कोई सरकार ने ठोस कार्रवाई की ।


🚩कभी हिंदू देवी-देवताओं का अपमान तो कभी साधु-संतों का अपमान तो कभी हिंदू संस्कृति का मजाक तो कभी हिन्दू त्यौहार पर खिल्ली उड़ाना आदि अनेक तरीके फिल्मों, सीरियलों, विज्ञापनों आदि द्वारा हिंदुओं की भावनाओ को आहत किया जा रहा है पर अभी तक इसपर कोई रोक नहीं लगा पाया।

 

🚩सलमान खान ने बिगबॉस में भी हिंदू साधु-संतों का अपमान किया था।


🚩पहली बार नहीं हुआ है जब हिन्दू संस्कृति या प्रतीकों का इस तरह से मजाक उड़ाया गया हो। हिन्दू देवी-देवता, इतिहास और पवित्र पुस्तकें हमेशा से चर्चा का विषय रहीं हैं और इन्हें लेकर न जाने कितनी आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गई हैं, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है। दरअसल जब हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं या फिर प्रतीकों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जाती है, तो कोई हिंसक घटना नहीं होती, जिस तरह से पैगंबर के ऊपर टिप्पणी करने पर होती है।


 

🚩क्या आपने सुना है कि किसी हिन्दू ने किसी मुस्लिम को इसीलिए मार डाला क्योंकि उसने राम, कृष्ण या फिर दुर्गा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी ? नहीं !! मगर आपने ये जरूर सुना होगा कि शार्ली एब्दो में एक बार पैगम्बर मुहम्मद को लेकर कार्टून छापा गया था, जिसके बाद दुनिया भर के मुस्लिम सड़कों पर उतर आए। कई जगह रैलियाँ हुईं। 2011 में और फिर 2015 में, दो बार इसके दफ्तर पर इस्लामी आतंकी हमला हुआ। दूसरे हमले में 12 लोग मारे गए। बता दें कि शार्ली एब्दो फ्रांस से प्रकाशित होने वाली की एक मैगजीन है, जो अपने कार्टूनों के जरिए कटाक्ष और व्यंग्य का पुट लिए सामग्री के लिए जानी जाती है।

 

🚩कथित तौर पर हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी ने 2015 में पैगम्बर मुहम्मद पर कोई टिप्पणी की थी। जिसके बाद ख़बरें आईं कि 1 लाख मुस्लिमों ने सड़क पर उतर कर उन्हें फाँसी पर लटकाने की माँग की। मौलानाओं ने उन पर फतवे जारी किए, उनका सिर कलम करने की बात कही गई और उन्हें सरेआम धमकी दी गई और 18 अक्टूबर 2019 को आखिरकार गला रेत कर उनकी हत्या कर दी गई।

 

🚩मगर हिन्दू धर्म के साथ खिलवाड़ करने वालों के साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए हिन्दू धर्म को टारगेट करना अधिक आसान होता है, क्योंकि ये लोग ज्यादा से ज्यादा विरोध प्रदर्शन करते हैं, ट्विटर पर ट्रेंड चलाते हैं, जैसा कि अभी चल रहा है, मगर किसी भी हिंसक घटनाओं को अंजाम नहीं देते हैं।

 

🚩इससे पहले भी दबंग 3 शिवलिंग का अपमान करने को लेकर चर्चा में आ चुका है। बता दें कि शूटिंग आराम से हो, इसके लिए क्रू के लोगों ने वहाँ के शिवलिंग के ऊपर स्टूल रख दिया। और तो और, क्रू के दो मेंबर उसके ऊपर चढ़कर बड़े आराम से प्री-शूटिंग का काम कर रहे थे। इसका फोटो और वीडियो वायरल हो गया। जिसके बाद बात बिगड़ती देख कर सलमान खान ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा था कि वो बड़े शिव भक्त हैं और यह स्वीकार भी किया कि शिवलिंग का सम्मान करते हुए उसके ऊपर तखत उन्होंने ही रखवाया था और जब कुछ लोगों ने उसका दुरुपयोग किया तो तत्काल हटवा भी दिया।

 

🚩सलमान खान के नेतृत्व में चल रहे बिगबॉस ने तो सारी हदें पार कर रहा है, जिस तरह से शो दिखा रहे हैं उससे लगता है कि एक सोची समझी साजिश के तहत स्क्रिप्ट लिखी है जिसमें हिंदू धर्म को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर बदनाम करना और मुस्लिम समुदाय को अच्छा दिखाना है।

 

🚩सलमान खान ने “बजरंगी भाईजान” फ़िल्म में भी यही किया था। हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया/दिखाया था।


🚩आश्रम बेब सीरीज द्वारा हिंदू धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास किया ।

 

🚩बॉलीवुड के निशाने पर हमेशा हिंदू धर्म रहा है, बॉलीवुड के जरिये हमेशा हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है।


🚩हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझ गए हैं और कुछ हिंदुनिष्ठ लोग खुलकर विरोध भी करने लगे है।

 

🚩जनता की मांग है कि सरकार को ऐसी फिल्मों , सीरियलों ओर शो पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए।


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Monday, May 8, 2023

धर्म ही नहीं जमीन भी गँवा रहे हिंदू : पहाड़ों का भी हो रहा धर्मांतरण

8  May 2023

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🚩अपनी पिछली रिपोर्टों में सनातन को समर्पित पहाड़ी कोरबा की जमीनों पर कॉन्ग्रेसी से लेकर ईसाई मिशनरी की गिद्ध दृष्टि के बारे में बता चुके हैं। मदकू द्वीप जैसी जगहों पर ईसाइयत की घुसपैठ से अवगत करा चुके हैं। जमीनी स्थिति इससे भी कहीं अधिक भयावह है। जमीन चाहे सरकारी हो या अनुसूचित जनजाति की मिशनरी कब्जा कर रहे हैं। इन जमीनों पर चर्च से लेकर स्कूल तक चल रहे हैं। कब्रिस्तान हैं। जिन पहाड़ों तक पहुँचना आसान नहीं, क्रॉस गाड़कर उनका भी धर्मांतरण कर दिया गया है। मिशनरी के इस लैंड जिहाद से वे जनजातीय हिंदू भी पीड़ित हैं जो धर्मांतरित होकर ईसाई बन चुके हैं।


🚩यह स्थिति तब है जब छत्तीसगढ़ में विशेष कानून है। राज्य के भू राजस्व कानून की धारा 170 (ख) कहती है कि 2 अक्टूबर 1959 को यदि कोई जमीन अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के किसी व्यक्ति की रही है और बाद में उस पर किसी एसटी या गैर एसटी का कब्जा हुआ हो तो उसे दो साल के भीतर यह सूचना देनी होगी कि वह उस जमीन पर कब्जे में कैसे आया। ऐसा नहीं होने पर उसका कब्जा अवैध माना जाएगा और उसे जमीन खाली करनी होगी। वकील राम प्रकाश पांडेय के अनुसार इस कानून के तहत यदि कोई आदिवासी व्यक्ति जमीन पर कब्जे को लेकर खुद आवेदन नहीं देता है तो यह सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह पटवारी से इस बारे में रिपोर्ट माँगे कि 2 अक्टूबर 1959 को उस जमीन का मालिक कौन था और आज किसका कब्जा है। पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर भी अदालत फैसला सुना सकती है।



🚩कुछ साल पहले राज्य के जशपुर जिले में ही ऐसे करीब 250 मामले सामने आए थे, जिनमें 170 (ख) का उल्लंघन कर एसटी वर्ग की जमीन पर चर्च बनाए गए थे। वकील राम प्रकाश पांडेय ने ऑपइंडिया को बताया, “ये मामले काफी समय से राजनितिक दखल के कारन रेवेन्यू कोर्ट में लंबित पड़े थे। इन मामलों को 2007 में हाई कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। हाई कोर्ट ने 6 महीने के भीतर ऐसे सभी मामलों के निपटारे के निर्देश दिए। इसके बाद अधिकांश मामलों में चर्च को जमीन खाली करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन दुर्भाग्य से कई साल बीतने के बाद जमीनें खाली नहीं हुई हैं।”


🚩लोयोला स्कूल के प्रिंसिपल रहे आर गीट्स पर प्रशासनिक साँठगाँठ से जमीन खरीदने का है आरोप

राजनीतिक और प्रशासनिक साँठगाँठ से जुड़ा एक और मामला कुनकुरी के लोयोला हायर सेकेंडरी स्कूल का है। 50 के दशक में कुछ सालों तक इस स्कूल के प्रिंसिपल रहे आरएच गीट्स बेल्जियम के नागरिक थे। उन्होंने खुद को कुनकुरी का निवासी बताकर तत्कालीन कलेक्टर की अनुमति से इग्नेश लकड़ा नाम के एक व्यक्ति की जमीन ले ली। आज भी इस जमीन पर मिशनरी संस्था का कब्जा है और उस पर इमारत बनी हुई है, जबकि भारत में कोई विदेशी नागरिक जमीन की खरीदी कर ही नहीं सकता। पांडेय ने ऑपइंडिया को बताया, “इग्नेश लकड़ा ने इस मामले में केस किया था। कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते उसकी मौत हो चुकी है। अब उसके बच्चे इस लड़ाई को लड़ रहे हैं।”


🚩क्लेमेंट लकड़ा जिनकी 10 एकड़ जमीन पर है मिशनरी का कब्जा


🚩ऐसा ही मामला क्लेमेंट लकड़ा का भी है। कुनकुरी के दुलदुला निवासी क्लेमेंट के पिता भादे उर्फ वशील उरांव का धर्मांतरण 1957-58 में हुआ था। उसके बाद उनकी करीब 10 एकड़ जमीन पर मिशनरी ने कब्जा कर लिया। वशील की भी मौत हो चुकी है। क्लेमेंट ने ऑपइंडिया को बताया, “अदालत से हमारे पक्ष में फैसला आ चुका है। लेकिन मिशनरी जमीन खाली नहीं कर रहे। धमकी दे रहे हैं। बेटियों का भविष्य बर्बाद करने की बात कहते हैं।”


🚩मिशनरियों की ताकत को इस बात से भी समझा जा सकता है कि क्लेमेंट की पत्नी सुषमा लकड़ा सरपंच हैं। बावजूद इस परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है। निराश और हताश क्लेमेंट ने ऑपइंडिया से बातचीत में कहा, “अब मैं अपने पुराने धर्म में लौट जाना चाहता हूँ।” (क्लेमेंट के मामले पर हम आगे विस्तार से रिपोर्ट करेंगे। इन मामलों से जुड़े सारे कानूनी दस्तावेज भी ऑपइंडिया के पास उपलब्ध हैं)


🚩कुनकुरी के क्रुस टोंगड़ी का विवादित कब्रिस्तान

कुनकुरी में देश का सबसे बड़ा चर्च भी है। रोजरी की महारानी महागिरिजाघर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च भी बताया जाता है। कुनकुरी शहर के मुख्य मार्ग से जो सड़क इस चर्च के लिए जाती है, उस पर बना गेट भी विवादित है। स्थानीय लोगों का दावा है कि हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद सरकारी जमीन पर इस गेट का निर्माण हुआ है।


🚩चर्च के पीछे का इलाका क्रुस टोंगड़ी कहलाता है। यहाँ बहुसंख्यक आबादी धर्मांतरित है। यहाँ भी कब्रिस्तान और रोड कब्जे की जमीन पर बनाए जाने के आरोप हैं। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि कुनकुरी में मिशनरी स्कूल के पीछे जो पहाड़ी हिस्सा है, वहाँ हिंदू नियमित रूप से योग करते थे। एक दिन रातोंरात क्रॉस लगाकर उस जगह का भी धर्मांतरण कर दिया गया। इसी तरहभंडरी पहाड़ पर भी क्रॉस गाड़ दिए गए हैं, जबकि इस जगह पर आसानी से पहुँचना भी संभव नहीं है।


🚩क्रॉस गाड़ उन पहाड़ों का भी हो रहा धर्मांतरण जहाँ पहुँचना आसान नहीं


🚩बाइबिल का हर भाषा में अनुवाद करने के मिशन पर काम कर रही संस्था ‘अनफोल्डिंग वर्ल्ड’ के CEO डेविड रीव्स ने 2021 में बताया था कि भारत में 25 साल में जितने चर्च बने थे, उतने अकेले कोरोना काल में बनाए गए हैं। ऐसा ही एक जशपुर के गिरांग में स्थित है। यह चर्च उस जगह पर बनाई जा रही थी, जहाँ जाने के लिए रास्ता तक नहीं है। विरोध के बाद इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया और यह बंद पड़ा है। भाजयुमो से जुड़े अभिषेक गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया, “ईसाई मिशनरी इसी तरह लैंड जिहाद करती है। जहाँ खाली जगह दिखी ये क्रॉस गाड़ देते हैं। चर्च बना लेते हैं। कुछ समय बाद प्रशासनिक मिलीभगत से वहाँ जाने का रास्ता तैयार हो जाता है और फिर प्रार्थना होने लगती है। बाद में आप जितना विरोध कर लें प्रशासन कब्जा नहीं हटाता।”


🚩कोरोना काल के दौरान गिरांग में हो रहे इस चर्च का निर्माण विरोध के बाद रोकना पड़ा था

छत्तीसगढ़ के एक जिले के इन मामलों से आप पूरे राज्य की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। इससे भी खतरनाक स्थानीय लोगों के मन में ईसाई मिशनरियों का डर है। अपनी रिपोर्टिंग के दौरान हमने पाया कि ज्यादातर लोग कैमरे पर बात नहीं करना चाहते थे। वे कई लोगों को विभिन्न मामलों में फँसाए जाने का हवाला देते हुए कह रहे थे कि खुलकर सामने आने से उनके लिए भी परेशानी खड़ी हो जाएगी। हिंदुओं के भीतर का यह ‘डर’ ईसाई मिशनरियों के फलने-फूलने में ‘खाद’ का काम कर रहा है। स्त्रोत : ओप इंडिया


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Sunday, May 7, 2023

हिंदूवादी सरकार के शासन में हो रहा हैं , हिंदुओ पर अत्याचार...

7 May 2023

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🚩आये दिन वेबसीरीजों के माध्यम से हिन्दू देवी देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है तो कही हिन्दू संतो को बदनाम करने की मूवी बनाई जाती है।


🚩आखिर मौलवियों और पादरियों पर कोई मूवी या वेब सीरीज क्यों नही बनती???


🚩हमेशा हिन्दू संत ही टारगेट में होते है,ये मूवी के माध्यम से हिन्दू संतो को बदनाम करते ...इन्हें पता है हिन्दू भोले होते है, अगर ये किसी मौलवी या पादरी पर ये उंगली उठाते तो इनको परदादा याद आ जाता, इनके घर में मातम होता ।


🚩हिंदू विरोधी वेब सीरीज बनाने के पीछे के षड्यंत्र का पर्दाफाश…

 


🚩बॉलीवुड द्वारा हिंदू विरोधी फ़िल्म बनाने का सिलसिला पिछले कई दशकों से चल रहा है और समाज को सबसे ज्यादा अगर गुमराह किया हो तो वह बॉलीबुड ने किया है। बॉलीवुड ने समाज को यही दिया कि शादी करती हुई लड़की को मंडप से उठा लेना, बलात्कार, चोरी, डकैती, अधनंगे कपड़े पहनना, मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ देना, लव जिहाद को बढ़ावा देना, भारतीय संस्कृति को हीन बताना, साधु-संतों, देवी देवताओं मदिरों और पंडितों का मजाक उड़ाना ओर पाश्चात्य संस्कृति को महान बताना यही तो ये लोग करते आये हैं।

 

🚩हिंदू विरोधी वेब सीरीज फिल्मे जिस तरह प्रमोट किया जा रहा है उससे लग रहा है कि उसमे कई अरबों रुपये खर्च होते होंगे, इसके पीछे कही न कही राष्ट्र व भारतीय संस्कृति को तोडने वाली ताकते लगी हुई है। क्योंकि “मंदिर, आश्रम, साधू संत” नाम पवित्र शब्द है उस पर करोडों लोग श्रद्धा करते है, वहाँ पर जाकर शांति पाते हैं इसके कारण धर्मांतरण कराने वाली मिशनरी और विदेशी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखने वाले मंदिरों, आश्रमो में जाते है और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है फिर वे अपने धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चुंगल में नहीं आते हैं औऱ वे विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते जिसके कारण ईसाई मिशनरियों का जो लक्ष्य है भारत में धर्मांतरण करके अपनी वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना ओर जो विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबो-खबरों रूपये का घाटा होता इसके कारण ये लोग अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिंदुओं की मंदिरों, आश्रमों व साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने के लिए साज़िशें रच रहे हैं और प्रकाश झा, मनोज बाजपेई जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते है असली कारण यही है।

 

🚩देखा जाए तो चर्चो में बलात्कार के हजारों किस्से आ चुके हैं, मदरसों में भी यौन शोषण के कई किस्से आ चुके है पर अभी तक उस पर फ़िल्म कोई न बनाता है और न ही कोई हिम्मत करता है क्योंकि उसके लिए न फंडिंग मिलेगी और उपर से कमलेश तिवारी की तरह हत्या हो जाएगी इसलिए वास्तविक में जहाँ पर गड़बड़ी हो रही है उस पर वे ध्यान नहीं देते है पर हिंदी सहिष्णु है और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए भारी फंडिंग मिलती है इसके कारण राष्ट्र विरोधी ताकतों के कठपुतली बने डायरेक्टरों रूपी जयचंद हिंदू विरोधी फिल्में बनाते हैं।

 

🚩वास्तविकता तो यह है कि अन गिनित साधु-संतों ने घोर तपस्या की है फिर वे समाज में आकर उनको सही मार्ग दिखाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं, संयमी और सदाचारी समाज को बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों को सहायता करते हैं। गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता, टेंशन में रह रहे लोगों को शांति देते हैं, स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

 

🚩वैसे आपको बता दें कि हिंदू विरोधी फिल्में देखकर श्रद्धालुओं में तो तनिक भी फर्क नही पड़ा है लेकीन आने वाली पीढ़ी को नुकसान होगा उसको रोकने के लिए हिंदू विरोधी फिल्मे बंद करवा चहिए यही जनता की मांग सरकार से हैं।


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Saturday, May 6, 2023

न्यायालय पहले हेट-स्पीच पहले परिभाषित तो करें ...

6  May 2023

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🚩हाल में सुप्रीम कोर्ट ने घृणा-फैलाने वाले वक्तव्यों (‘हेट-स्पीच’) पर सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे ऐसे वक्तव्यों पर स्वयं संज्ञान लेकर प्राथमिकी  दर्ज कराएं। पर कोर्ट ने स्पष्ट नहीं किया कि हेट स्पीच की पहचान या सीमाएं क्या हैं ? ऐसी स्थिति में यह तंत्र को एक और हैंडल थमा देने जैसा है कि जिस किसी व्यक्ति, अखबार, संस्था, आदि को घृणा-फैलाने वाला बताकर दंडित करें। अपने आदेश में ‘रिलीजन’ और ‘सेक्यूलरिजम’ का हवाला देकर कोर्ट ने और भी अनुचित किया। मानो, हेट केवल किसी खास रिलीजन से संबंधित विषय हो! उसे कष्ट उठाकर पहले हेट-स्पीच को परिभाषित करना चाहिए।


🚩क्योंकि यहाँ दशकों से आम दृश्य है कि विशेष समूहों, दलों की ओर से जाति, वर्ग, धर्म, आदि संबंधित कितने भी उत्तेजक भाषण क्यों न हों, उस पर तीनों शासन अंग चुप रहते हैं। जैसे, ब्राह्मणों के विरुद्ध अपशब्द कहना आज एक फैशन है जिस में हमारे सभी राजनीतिक दल शामिल हैं। हमारे देवी-देवताओं को गंदा कहना, किसी महान हिन्दू ग्रंथ को जलाना तक बरोकटोक चलता है। किन्तु अन्य किसी समुदाय या पुस्तक को कुछ कहते ही सभी नाराज होने लगते हैं।


🚩ऐसी चुनी हुई चुप्पियाँ और चुना हुआ आक्रोश दिखाना क्या न्याय है ? क्या इस से सामाजिक सौहार्द बनता है ? सच तो यह है कि वोट-बैंक राजनीति की एक स्थाई तकनीक ही एक के विरुद्ध बोलकर दूसरे को लुभाना रहा है। किन्तु इस पर विधायिका और न्यायपालिका, दोनों ही बैरागी-साधु बन जाते हैं कि उन्हें इस से क्या लेना-देना!



🚩इसी क्रम में भारतीय दंड संहिता 153-ए तथा 295-ए का उपयोग, उपेक्षा, तथा दुरुपयोग भी आता है। पहली धारा धर्म, जाति, भाषा, आदि आधारों पर विभिन्न समुदायों के बीच द्वेष, शत्रुता, दुर्भाव फैलाना दंडनीय बताती है। दूसरी धारा किसी समुदाय की धार्मिक भावना जान-बूझ कर ठेस पहुँचाने, या उसे अपमानित करने को दंडनीय कहती है। लेकिन गत कई दशकों से एक समुदाय विशेष के नेता खुल कर दूसरे समुदाय के देवी-देवताओं, महान ज्ञान-ग्रंथों, आदि का अपमान करते रहे हैं। जिन पर न्यायपाल कभी ध्यान नहीं देते।


🚩आज यू-ट्यूब, सोशल-मीडिया, और इंटरनेट के कारण ऐसे दर्जनों भाषण सुने जा सकते हैं। सांसद, विधायक जैसे बड़े लोग भगवान राम, तथा माता कौशल्या पर गंदी छींटाकशी करते रहे हैं। वे खुले आम एक समुदाय को कायर, लाला, बनिया-बुद्धि का कहते हैं जो केवल पुलिस भरोसे बचा है, जिसे ‘दस मिनट के लिए हटाते’ ही उस की ऐसी-तैसी कर दी जाएगी, आदि। क्या इस पर न्यायाधीशों ने कभी स्वयं संज्ञान लिया? उलटे शिकायत आने पर भी न्यायपाल और कार्यपाल सब कुछ अनसुना और रफा-दफा कर देते हैं। जिस से वस्तुतः वैसी दबंगई को परोक्ष प्रोत्साहन ही मिलता है। इस से एक समुदाय में अपने दबंग होने, और दूसरे में अपने अपमान व नेतृत्वहीनता का दंश होता है।


🚩दूसरी ओर, कुछ मतावलंबियों की मूल किताबों में ही दूसरे मत मानने वालों के विरुद्ध तरह-तरह की घृणित बातें, और उन्हें अपमनानित करने, उन से टैक्स वसूलने, और मार डालने तक के आवाहन लिखे हुए हैं। वे अपनी ऐसी किताबों को दैवी, पवित्र मानते हैं और दूसरों के धर्म, मत, देवी-देवताओं को ‘झूठा’ बताते हैं। तब अपने प्रति वैसी बातों, आवाहनों पर दूसरे समुदायों को आलोचना भी करने का अधिकार है या नहीं? वस्तुतः विडंबना और भी गहरी है कि शासन-सत्ताएं उन्हीं किताबों के पठन-पाठन समेत, संबंधित समुदाय को नियमित रूप से विशेष शैक्षिक स्वतंत्रता एवं अनुदान देती है। इस तरह, दूसरों के विरुद्ध नियमित घृणा फैलाने को किसी समुदाय की ‘शिक्षा’ का अंग मानकर परोक्ष रूप से राजकीय सहायता तक मिलती है। इस पर विचार करने की जिम्मेदारी किस की है? हमारे न्यायपाल, सांसद, तथा कार्यपाल, तीनों ही इस से पल्ला झाड़ते हैं। ऐसी बेपरवाही, भेद-भाव, और मनमानी यहाँ ब्रिटिश राज में भी नहीं थी!


🚩उपर्युक्त सभी बातें राई-रत्ती परखी जा सकती हैं। किन्तु ऐसा नहीं किया जाता। बल्कि इस के लिए प्रमाणिक उदाहरणों के साथ आवेदन देने पर न्यायालय कभी-कभी आवेदक को ही जुर्माना कर देता है! दो साल पहले वासिम रिजवी की याचिका पर यही हुआ था। जब कि किसी ने नहीं बताया कि उस याचिका में कौन सी शिकायत गलत थी! तब यही संदेश गया कि उन शिकायतों को गलत बताना न्यायाधीशों के बस से बाहर था। चूँकि वे ऐसे मामले सुनना नहीं चाहते, इसलिए आवेदक को दंडित कर के सब को चेताया कि चुप रहें।


🚩वस्तुतः, ऐसे दोहरेपन ही तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा करते हैं। उसी की अभिव्यक्ति समय-समय पर किसी क्षुब्ध व्यक्ति के असंयत वक्तव्यों में होती है। आखिर, यदि देश के शासक, न्यायपाल, और विधिनिर्माता किसी समुदाय विशेष के प्रति सदा-बैरागी, और दूसरे के लिए सदा-संवेदनशील रहेंगे, तब कोई तो यह कहेगा ही। एक सेक्यूलर राज्यतंत्र में नियमित दो-नीतियाव्यवहार सदैव स्वीकार नहीं होगा। इसे दमन की धमकी से चुप कराने की कोशिश विपरीत फलदायी होगी।


🚩यह शासन के तीनों अंगों में आई मानसिक गिरावट का भी संकेत है। वह अपनी आँखों के सामने घटते घटनाक्रम का आकलन करने में भी अयोग्य है। कई बार अनेक बड़ी-बड़ी घटनाओं में यह दिखा कि विभिन्न समुदायों के हितों, भावनाओं, धर्म, संस्कृति के प्रति विषम व्यवहार पर हेठी झेलने वाले समूह में असंतोष जमा होता है। उस से आपसी द्वेष बढ़ते, और हिंसा-विध्वंस तक होता है। अंततः वह चुनावी उथल-पुथल में भी व्यक्त होता है। फिर भी, हमारे नेता, बौद्धिक, तथा न्यायपाल वही दोहरापन जारी रखते हैं। कानूनी रूप से भी, और कानून की उपेक्षा करके, दोनों रूपों में।


🚩उन्हें ध्यान देना चाहिए, कि असुविधाजनक सचाइयों को तहखाने में दबाकर लोक-स्मृति से हटा देने की संभावना अब बहुत घट गई है। नए मीडिया ने लगभग सभी सेंसरशिप विफल कर दी है। हर उचित-अनुचित, चाहे वह जिस ने भी कही या की हो, वह बिना खर्च घर-घर पहुँच सकती है। अतः अन्यायपूर्ण, अपमानपूर्ण कथनी-करनी पर दो-टूक समानता बनानी ही होगी। इस से बचने की कीमत समाज में निर्दोष लोगों को चुकानी पड़ती है। हरेक वर्ग, समूह, जाति, संप्रदाय के सामान्य लोगों को अपने समुदाय के उद्धत/मूर्ख नेताओं की चुनी हुई बयानबाजी और चुनी हुई चुप्पियों के कारण दूसरों के संदेह का शिकार होना पड़ता है। इसे केवल समदर्शी शासन ही रोक सकता है। लोगों को उपदेश या धमकी देकर दोहरापन जारी रखना कोई उपाय नहीं है।


🚩इसलिए, हेट-स्पीच को कड़ाई और निष्पक्षता से पहले परिभाषित करें। ताकि वर्तमान या अतीत, लिखित प्रकाशित या मौखिक, किसी भी बात, किताब, या मत-विश्वास को अपवाद न बताया जा सके। ताकि केवल एक रंग के लोगों को दंडित करने, अथवा, खास रंग के लोगों को सदा छूट रहने का सुभीता न बने। विशेषकर सांसदों, विधायकों, संगठनों, संस्थाओं के द्वेषपूर्ण सांप्रदायिक या जातिवादी बयानों पर अधिक सख्ती व फुर्ती से कार्रवाई हो। तभी समाज के सभी समुदायों में भरोसा पैदा होगा। आम लोग किसी भी समुदाय के नेताओं को सहज न्यायदृष्टि से देखने के लिए तैयार रहते हैं।


🚩अच्छा हो, हमारी संसद सभी वर्गों के विवेकशील प्रतिनिधियों को लेकर समरूप आचार-संहिता और दंड-नीति बनवाएं। जिस से शिक्षा, धर्म, तथा राजनीतिक व्यवहार पर सभी समुदायों को समान अधिकार एवं सुरक्षा प्राप्त हो। किसी समुदाय को विशेष अधिकार या विशेष वंचना न हो। किसी भी नाम पर विशेषाधिकारों का दावा खारिज हो। सभी निरपवाद रूप से मानें कि ‘‘दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जो अपने लिए नहीं चाहते”। यह व्यवस्था आज न कल करनी ही होगी। शुभस्य शीघ्रम्! - डॉ. शंकर शरण


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