Monday, July 10, 2023

काँवड़ यात्रा में न जाति का भेद, न धन का मोल… सारे शिव भक्तों की एक ही पहचान....

10 July 2023

http://azaadbharat.org

🚩श्रावण (सावन) के महीने में आपने सड़क पर शांति से काँवड़ लेकर जाते भक्तों को देखा होगा, जिन्हें काँवड़िया भी कहते हैं। नदी से जल भरने से लेकर शिवलिंग पर अर्पित करने तक, ये काँवड़िए रास्ते भर बाबा का ध्यान करते रहते हैं, उसी सोच में मगन रहते हैं। इनकी संख्या हजारों में हो, फिर भी ये बिना किसी को परेशान किए अपनी राह चलते जाते हैं। तभी इनके स्वागत में जगह-जगह लोग इनकी सेवा के लिए लगे रहते हैं। यही तो है हिन्दू धर्म की महानता!


🚩धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल या पवित्र नदियों का जल अर्पित करने की परंपरा को कांवड़ यात्रा कहते हैं।


🚩यह जल पवित्र नदियों से अपने कंधे पर लाकर भगवान शिव को सावन के महीने में अर्पित किया जाता है, काँवड़ यात्रा के दौरान हर भक्त बोल-बम के नारे लगाते हुए पैदल यात्रा करते हैं।


🚩मान्यता के अनुसार, काँवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को अश्वमेध यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है।


🚩काँवड़, इसमें एक डंडे के सहारे दो पात्र दोनों तरफ लटके होते हैं, जिनमें जल होता है। डंडे वाले हिस्से को कंधे पर रखा जाता है। सजावट के लिए काँवड़ में फूल और रंगीन कपड़े भी लगे होते हैं। प्राचीन काल से ही काँवड़ यात्रा चली आ रही है।


🚩 भगवान शिव की जब से पूजा हो रही है, जब से उन्हें जल चढ़ाया जा रहा है, तभी से इस यात्रा का अस्तित्व है। 12 ज्योतिर्लिंगों ही नहीं, शिव के हजारों अन्य मंदिरों तक काँवड़ यात्रा निकाली जाती है। भगवान परशुराम को पहला काँवड़िया माना गया है।


🚩उदाहरण के लिए झारखंड के वैद्यनाथ धाम को ले लीजिए। बिहार और झारखंड के अधिकतर लोग यहीं जल चढाने आते हैं। आपको कई काँवड़िए तो ऐसे मिलेंगे, जो कई दशकों से लगातार जल चढ़ाने आ रहे हैं, किसी भी वर्ष गैप किए बिना। कोई कुछ प्रार्थना लेकर आता है, तो किसी की प्रार्थना पूरी हो जाती है तो बाबा के यहाँ हर वर्ष उपस्थिति दर्ज कराता है। कई निःस्वार्थ भाव से जाते हैं। कइयों के पास घूम-घूम कर तीर्थाटन के लिए धन या समय नहीं होता, वो भी एक बार काँवड़ यात्रा में समय देकर धन्य पाता है स्वयं को।


🚩बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पित करने के लिए काँवड़िए सबसे पहले गंगा नदी के दक्षिण में स्थित और भागलपुर शहर से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित सुल्तानगंज में पहुँचते हैं। इसके लिए वो बस, ट्रेन, कार या किसी भी माध्यम का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर यहाँ से वो 111 किलोमीटर की यात्रा पर पैदल निकलते हैं, देवघर के लिए। केवल सावन महीने में कम से कम 10-15 लाख काँवड़िए अकेले बाबाधाम पहुँचते हैं। बाकी ज्योतिर्लिंगों के लिए भी यात्री पहुँचते हैं। ये यात्रा धैर्य की है, अनुशासन की है, समता की है , साथ की है।


🚩श्रावणी मेला इस दौरान आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। इनमें से अधिकतर बातें आपको पता हैं। लेकिन, क्या आपने गौर किया कि सावन महीने में काँवड़ यात्रा में कैसे जाति से लेकर लिंग और अमीर-गरीब तक का फर्क मिट जाता है और बाबा के सामने सब समान हो जाते हैं, एक-दूसरे से समान व्यवहार करते है। सब एक-दूसरे को यात्रा के दौरान ‘बम’ कह कर ही पुकारते हैं। ना किसी का कोई उपनाम होता है, ना कोई जाति।


🚩जब गाँव से काँवड़ियों का जत्था निकलता है, तो उसमें सभी जाति के लोग होते हैं। इस दौरान स्वतः ही सब एक-दूसरे के नाम मर ‘बम’ लगा कर पुकारते हैं। ‘अरे वो अभिषेक बम किधर गया?’, ‘फलाँ गाँव वाले बम कितने बजे निकले?’ – इस तरह के सवाल आपको भोजपुरी, मैथिलि और मगही में सुनाई देंगे। कौन नाई है, कौन धोबी है, कौन ब्राह्मण है, कौन चर्मकार है, कौन क्षत्रिय है, कौन वैश्य है – इस दौरान सब ये भूल जाते हैं।


🚩सबके कपड़े समान रहते हैं। अगर आपने काँवड़ियों के कपड़ों पर गौर किया तो पाएँगे तो सभी भगवा वस्त्र ही धारण किए होते हैं। कोई हाफ पैंट तो किसी ने धोती पहन रखी होती है। ऐसा नहीं कि कोई अमीर है तो वो सूट-बूट में चल रहा होता है और बेचारा गरीब है तो उसने धोती पहन रखी है। यहाँ बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए सबके तन पर उसी प्रकार का वस्त्र होते हैं। हाँ, थोड़ी-बहुत भिन्नता डिजाइन या प्रकार में हो सकती है, लेकिन वो नगण्य ही।


🚩इस दौरान बहुतेरे महिला-पुरुष का भी ऊँच-नीच वाला भेद नहीं रहता, महिलाएँ भी ‘बम’ ही होती हैं। अक्सर काँवड़ियों के किसी एक गाँव या रिश्तेदारी के समूह का नेतृत्व करने वाले को ‘सरदार बम’ कह दिया जाता है तो जो रुपए-पैसों के खर्च को देख रहा हो, वो ‘खजांची बम’ हो गया। बच्चे ‘बाल बम’ हो जाते हैं। इस दौरान बुजुर्ग ‘बमों’ का खास ध्यान रखा जाता है और गाँव में किसी से मतलब न रखने वाले लोग भी यहाँ आकर सामाजिक हो जाते हैं।

🚩किसी को नायक उसकी जाति या रुतबा देख कर नहीं बना दिया जाता, बल्कि उसके अनुभव और कितनी बार उसने काँवड़ यात्रा की है, ये मायने रखता है। नियम-कायदे किसी अमीर के लिए भी होते हैं, जो किसी गरीब के लिए। रास्ते में भोजन-पानी से लेकर सब कुछ समान होता है। सुल्तानगंज से बाबाधाम की दूसरी सबके लिए वही है, सबको साथ जाना है। एक ही प्रकार के वस्त्र में सभी जाति और सभी हैसियत वाले लोग एक-दूसरे की कदर करते हुए आगे बढ़ते हैं।


🚩तभी तो रास्ते में जगह-जगह उनके स्वागत के लिए लोगों ने टेंट लगाए होते हैं। उनके पाँव धोए जाते हैं। उन्हें खाने को थमाया जाता है। रास्ते के स्थानीय लोग खुद ये पहल करते हैं, जिसमें बच्चों से लेकर युवाओं तक हिस्सा लेते हैं। शीतल जल देकर काँवड़ियों का थकान मिटाया जाता है। ये यात्रा नहीं कर रहे होते हैं तो काँवड़ यात्रियों की सेवा कर के ही उस फल को प्राप्त कर लेते हैं। किसी की सेवा करते समय जाति या संपत्ति का ब्यौरा नहीं पूछा जाता, काँवड़ यात्री होना ही काफी है।


🚩कोई ज्योतिर्लिंग ही क्यों, छोटी-छोटी काँवड़ यात्राएँ भी होती हैं। पूरे भारत में ऐसे सैकड़ों शिवालय हैं और ज्योतिर्लिंगों तक न जा पाने वाले लोग यहाँ ख़ुशी से लेकर महादेव को जल अर्पित करते हैं।


🚩उज्जैन में त्रिवेणी घाट से महाकालेश्वर मंदिर तक काँवड़ यात्रा निकलती है। उत्तराखंड के हरिद्वार और फिर गोमुख और गंगोत्री तक भी काँवड़ यात्रा जाती है। इसी तरह हर मंदिर के लिए जल भरने का स्थान और यात्रा का रूट पहले से तय होता है। हाँ, रास्ते में असामाजिक तत्व कभी-कभी उन्हें ज़रूर परेशान करते हैं, लेकिन, जाति-धन के भेद को मिटाती ये काँवड़ यात्रा सनातन काल से जारी है, सतत चलती रहेगी।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, July 9, 2023

देश भर में ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण फैला रही हैं, रोकना जरूरी हैं, नही तो होगी भयंकर हानियां...... जानिए...

9 July 2023

http://azaadbharat.org 


🚩सभी देशभक्त नेता ईसाई धर्मान्तरण के विरोधी रहे है एवं उसे राष्ट्र एवं समाज के लिए हानिकारक मानते है।


🚩महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।


🚩ओडिशा में 11 नाबालिग हिंदुओं के धर्मांतरण पर NCPCR सख्त


🚩ओडिशा (Odisha) के जगतसिंहपुर क्षेत्र के काटेसिंहपुर गाँव में कनाडाई नागरिक द्वारा धर्मांतरण की कोशिश की जा रही थी। इस मामले में ऑपइंडिया की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने संज्ञान लिया है। NCPCR ने आरोपित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जगतसिंहपुर प्रशासन को पत्र लिखा है।


🚩NCPCR ने जगतसिंगपुर के कलेक्टर पारुल पटवारी को लिखे पत्र में कहा है कि 11 नाबालिग हिंदू बच्चों को एक कार्यक्रम में अवैध रूप से धर्मांतरित किया जा रहा था। इस कार्यक्रम को कनाडाई नागरिक एपेन मोहन किडंगलील (Eapen Mohan Kidangalil) ने तिर्तोल की दो अन्य मिशनरियों के साथ मिलकर आयोजित किया था।


🚩राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पत्र में आगे कहा, “आयोग इस मामले की गहन जाँच और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध करता है। यह पत्र मिलने के 3 दिन के भीतर बच्चों की जानकारी और अन्य सभी आवश्यक दस्तावेज आयोग के सामने प्रस्तुत किए जाएँ।”


🚩एपेन मोहन किडंगलील पर ओडिशा पुलिस ने 24 जून 2023 को मामला दर्ज किया था। किडंगलील पर प्रार्थना सभा आयोजित करने के नाम पर अनुसूचित जनजाति (ST) समाज के गरीब लोगों को लालच देकर ईसाई बनाने की कोशिश का आरोप है। इन लोगों में बच्चे भी शामिल हैं। इसके बाद उसे पकड़कर VHP के कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सौंप दिया।


🚩22 जून 2023 को VHP कार्यकर्ताओं को जगतसिंहपुर क्षेत्र के काटेसिंहपुर गाँव में धर्मांतरण कार्यक्रम की जानकारी मिली थी। जब वे मौके पर पहुँचे तो पाया कि कनाडा की नागरिकता रखने वाला एपेन मोहन करीब 33 स्थानीय निवासियों को ईसाई बनने के लिए उकसा रहा था। इनमें महिलाओं सहित 11 नाबालिग भी थे।


🚩ईसाई धर्मांतरण की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार 


🚩मध्य प्रदेश के इंदौर में गणेश और जॉनी पकड़ा गया है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में बेदराम गुड़िया और राधे निषाद विरासत की गिरफ्तारी हुई है। दो अलग राज्यों के शहरों में हुई इस गिरफ्तारी में समानता यह है कि इन पर हिंदुओं को लालच देकर ईसाई बनाने की कोशिश का आरोप है।


🚩उत्तर प्रदेश के सीतापुर में हिंदुओं को ईसाई बनाने की तैयारी बकायदा सभा लगाकर की जा रही थी। लेकिन बजरंग दल कार्यकर्ताओं के अचानक पहुँच जाने के कारण रंग में भंग पड़ गया। विरोध और हंगामे के बाद मौके पर पुलिस आई और दो लोगों की गिरफ्तारी हुई। यह मामला सीतापुर जिले में सकरन थाना क्षेत्र अंतर्गत पकरिया पुरवा गाँव का है। दैनिक भास्कर रिपोर्ट के अनुसार, गाँव के बेदराम गुड़िया के घर पर सभा लगाकर सैकड़ों हिंदुओं को इकट्ठा किया गया था। आरोप है कि पादरी राधे निषाद विरासत ईसाई मजहब की पुस्तकों और यीशु मसीह के नाम पर लोगों का धर्मांतरण कराने की कोशिश कर रहा था।


🚩स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी सूचना बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को दी। उन्होंने मौके पर पहुँचकर धर्मांतरण की गतिविधि को रोकने की कोशिश की। लेकिन इससे सभा में मौजूद महिलाएँ भड़क गईं। कई महिलाओं ने लाठी-डंडे लेकर बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। इससे कुछ लोगों को चोट भी आई है। मौके पर पुलिस भी पहुँची तो आरोपितों के पास से ईसाइयत से जुड़ी किताबें व कुछ अन्य दस्तावेज भी मिले। इसके बाद पुलिस ने धर्मांतरण के लिए सभा का आयोजन करने वाले मकान मालिक बेदराम गुड़िया और पादरी राधे निषाद विरासत को गिरफ्तार कर लिया।


🚩इंदौर में भी लालच देकर धर्मांतरण की कोशिश


🚩धर्मांतरण का दूसरा मामला मध्य प्रदेश के इंदौर में बाणगंगा इलाके का है। रमा देवी कुर्मी नाम की महिला ने अपने पड़ोसी गणेश और जॉनी नामक एक व्यक्ति पर धर्मांतरण के लिए लालच देने का आरोप लगाया है। आरोप है कि गणेश के घर में हर सप्ताह प्रार्थना सभा होती है। इसमें शामिल होने वाले हिंदुओं को पैसों का लालच दिया जाता है।

🚩रमा देवी ने कहा है कि 30 जून 2023 को जॉनी और उसकी पत्नी शाली उनसे अपने घर में सभा रखने को कहा। इनकार करने पर जॉनी और उसकी पत्नी ने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। बहस के बाद रमा देवी ने दोनों को घर से भगा दिया। इसके बाद 3 जून को जॉनी और उसकी पत्नी शाली एक बार फिर रमा देवी के घर आ धमके। इस बार उनके साथ में गणेश भी था।


🚩आरोप है कि इन लोगों ने रमा देवी को लोन माफ कराने, बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए पैसे देने समेत कई तरह के प्रलोभन दिए। इसके बाद रमा देवी ने फोन कर अपने परिचितों और पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने 295-A के तहत मामला दर्ज कर गणेश और जॉर्ज को गिरफ्तार कर लिया है।


🚩रमा देवी का कहना है कि गणेश जिस फैक्ट्री में काम करता था, वहाँ भी लोगों को धर्मांतरण के लिए लालच देता था। इसके चलते फैक्ट्री मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। कोरोना के समय जब उसकी पत्नी का निधन हो गया तो वह उसे दफनाने पर अड़ गया था। रमा देवी के अनुसार एक बार वह पूजा कर रहीं थी तो गणेश ने उनसे कहा कि इस तरह की पत्थर की मूर्ति भगवान नहीं हो सकती। यीशू को भगवान मानकर ईसाई बन जाओ।


🚩आप लोग अब समझ सकते हैं, कि किस तरह से ये ईसाई मिशनरी वाले ,भोले भाले लोगों को बेवकूफ बना कर धर्म परिवर्तन कराते  हैं,वैसे ये लोग धर्म परिवर्तन का काम एक वर्ग विशेष के साथ ही करते हैं। सभी हिन्दू ऐसे लोगों पर ध्यान दें और उनको मुँहतोड़ जवाब दे।


🚩भारत सरकार से देश के सभी हिन्दूओ की मांग है कि भारत में ईसाई मिशनरियों द्वारा हो रहे धर्मान्तरण के धंधे पर रोक लगाए।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, July 8, 2023

मुंबई की मस्जिद के बाहर जुटी भीड़ के खतरे बड़े, क्योंकि स्वीडन में कुरान जली,पर भीड़ मुंबई में....

8 July 2023

http://azaadbharat.org

🚩लोकतांत्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण विरोध अधिकार है। इसलिए पहली नजर में मुंबई की मीनारा मस्जिद के बाहर 5 जुलाई 2023 को हुए इस जुटान की तस्वीर में कोई खतरा नहीं दिखता। लेकिन घंटी तब बजती है जब पता चलता है कि स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना के विरोध में हुए इस प्रदर्शन के पीछे रजा अकादमी (Raza Academy) है।


🚩नाम से रजा अकादमी भले अकादमिक संस्था होने का आभास देता हो, पर यह कुख्यात अपने कट्टरपंथी इस्लामी विचारों को लेकर है।करतूतें इस संगठन की हिंसक मंशा की गवाह हैं। कई राज्यों में इस्लामी भीड़ की हिंसा के पीछे इस संगठन की भूमिका संदेहास्पद रही है। दुनिया के किसी भी कोने में हुई घटना पर मुस्लिमों को उकसाने के लिए यह कुख्यात रहा है।


🚩मुंबई के ही आजाद मैदान में अगस्त 2012 में हुआ दंगा देश अब तक भूला नहीं है। तब म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों पर कथित अत्याचार के विरोध के नाम पर भीड़ जुटा गई थी। सऊदी अरब में सिनेमा हॉल खुलने का विरोध हो या फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ फतवा जारी करने की माँग, CAA और NRC का विरोध हो या COVID प्रोटोकॉल को लचीला बनाकर मस्जिद खोलने की माँग… रजा अकादमी की भूमिका आपको हर जगह दिख जाएगी। नवंबर 2021 में महाराष्ट्र के मालेगाँव, नांदेड़ और अमरावती जिलों में प्रदर्शन के नाम पर मुस्लिमों की भीड़ ने जो कुछ किया था, वह भी पूरे देश ने देखा है। उसके बाद रजा एकेडमी के दफ्तरों पर महाराष्ट्र पुलिस की छापेमारी और गिरफ्तारियों के बारे में भी हम जानते हैं।


🚩अतीत की ये तमाम घटनाएँ हमें बताती हैं कि बकरीद के दिन स्वीडन की एक मस्जिद के बाहर कुरान जलाए जाने की घटना के विरोध के नाम पर हुए इस छोटे जुटान को सामान्य विरोध प्रदर्शन मानकर नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे भी इस घटना के बाद वैश्विक स्तर पर जो इस्लामिक गुटबंदी दिख रही है, खुद को कुरान का सबसे बड़ा रखवाला साबित करने की जो होड़ लगी है, वह खतरे को और भी बढ़ा देता है। इसी घटना के विरोध के नाम पर इराक में स्वीडिश दूतावास पर हमला हो चुका है। 57 इस्लामी मुल्क सऊदी अरब में बैठक कर चुके हैं। तुर्की ने नाटो में स्वीडन के प्रवेश को रोकने के लिए एड़ी-चोट का जोर लगा रखा है। शिया मुस्लिमों के खिलाफ बर्बरता के लिए कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी पाकिस्तान में चर्चों और ईसाइयों पर हमला कर बदला लेने की धमकी दे रहा है। कंगाली पर खड़े पाकिस्तान का प्रधानमंत्री जुमे पर देशभर में प्रदर्शन का ऐलान कर रहा है। यह सब तब हो रहा है जब स्वीडन का राजनीतिक नेतृत्व से लेकर ईसाई नेता तक इस घटना की निंदा कर चुके हैं।


🚩अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर स्वीडन की मस्जिद के सामने एक इराकी के कुरान जलाने के बाद दुनियाभर के अलग अलग हिस्सों में हो रही इन तमाम गतिविधियों में एक ही चीज साझा है। वह है मजहब। वह मजहब जिसका हवाला देकर भीड़ हिंसा के लिए ही जुटाई जाती है। ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर, लोकतांत्रिक अधिकार के नाम पर, स्वीडन में हुई घटना के विरोध में भारत के शहरों में जुटान करने, प्रदर्शन होने के भी खतरे बड़े है। खासकर तब जब इसके पीछे रजा अकादमी जैसा वह संगठन हो जिसका रिकॉर्ड भीड़ जमा कर उसे अनियंत्रित छोड़ने का पुराना और बदनाम रहा हो।


🚩जरूरी नहीं है कि हर बार हम हिंसा के बाद ही जगे। हर बार दंगों के बाद ही इन संगठनों के दफ्तरों पर छापे पड़े। मुस्लिमों को उकसाने और हिंसा की साजिश रचने वालों की गिरफ्तारी हो। आदर्श व्यवस्था तो वह है जो जुमे की पूर्वसंध्या पर ऐसी कहानियों की पटकथा लिखने का ही मौका न दे। उम्मीद की जानी चाहिए महाराष्ट्र में उफान मारती सियासत के बीच मुंबई पुलिस की नजर मीनारा मस्जिद के बाहर जुटी उस भीड़ पर भी रही होगी जिसने कुरान जलाने वाले को तुरंत फाँसी देने की माँग करते हुए उस देश में प्रदर्शन किया है, जिस देश में आतंकी अजमल कसाब को फाँसी भी कबाब खिलाने के बाद ही मिली थी।


🚩समाजशास्त्री डा. पीटर हैमंड ने 2005 में गहरे शोध के बाद इस्लाम धर्म के मानने वालों की दुनियाभर में प्रवृत्ति पर एक पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है ‘स्लेवरी, टैररिज्म एंड इस्लाम-द हिस्टोरिकल रूट्स एंड कंटेम्पररी थ्रैट’। इसके साथ ही ‘द हज’के लेखक लियोन यूरिस ने भी इस विषय पर अपनी पुस्तक में विस्तार से प्रकाश डाला है। जो तथ्य निकल करआए हैं, वे न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि चिंताजनक हैं।


🚩उपरोक्त शोध ग्रंथों के अनुसार जब तक मुसलमानों की जनसंख्या किसी देश-प्रदेश क्षेत्र में लगभग 2 प्रतिशत के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसंद अल्पसंख्यक बन कर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते।

🚩जनसंख्या 2 से 5 प्रतिशत के बीच तक पहुंच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलंबियों में अपना धर्मप्रचार शुरू कर देते हैं। 


🚩5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलंबियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगते हैं।


🚩5 से 8 फीसदी तक है। इस स्थिति पर पहुंचकर मुसलमान उन देशों की सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके क्षेत्रों में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाए। दरअसल, उनका अंतिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व शरीयत कानून के हिसाब से चले।


🚩10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब वे उस देश, प्रदेश, राज्य, क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिए परेशानी पैदा करना शुरू कर देते हैं।


🚩20 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न ‘सैनिक शाखाएं’ जेहाद के नारे लगाने लगती हैं,असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है, 40 प्रतिशत के स्तर से ऊपर पहुंच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याएं, आतंकवादी कार्रवाइयां आदि चलने लगती हैं। 


🚩शोधकर्ता और लेखक डा. पीटर हैमंड बताते हैं कि जब किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या 60 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब अन्य धर्मावलंबियों का ‘जातीय सफाया’ शुरू किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोडऩा, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है। जैसे अल्बानिया (मुसलमान 70 प्रतिशत), कतर (मुसलमान 78 प्रतिशत) व सूडान (मुसलमान 75 प्रतिशत) में देखा गया है।


🚩किसी देश में जब मुसलमान बाकी आबादी का 80 प्रतिशत हो जाते हैं, तो उस देश में सत्ता या शासन प्रायोजित जातीय सफाई की जाती है। अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर जनसंख्या को 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है।


🚩आप स्वयं इस शोध का आकलन कीजिये। क्योंकि समझदार को इशारा ही बहुत होता है।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, July 7, 2023

समान नागरिक संहिता लागू करने से क्या होगा ?

7 July 2023


http://azaadbharat.org

🚩नवम्बर 1948 में संविधान सभा की बैठक में समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने पर लम्बी बहस चली। बहस में इस्लामिक चिन्तक मोहम्मद इस्माईल, जेड एच लारी, बिहार के मुस्लिम सदस्य हुसैन इमाम, नजीरुद्दीन अहमद सहित अनेक मुस्लिम नेताओं ने भीमराव अम्बेडकर का विरोध किया था।


🚩इसके बाद हुए मतदान में डॉ० अम्बेडकर का समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव विजयी हुआ और संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने सम्बन्धी विधान लाया गया,

अनुच्छेद-44 (समान नागरिक संहिता), अनुच्छेद-312 (भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा), अनुच्छेद-351 (हिंदी का प्रचार) जैसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद अभी तक पेंडिंग हैं। अनुच्छेद-51A (मौलिक कर्तव्य) को लोगों की इच्छा पर छोड़ दिया गया है।


🚩इसके बाद भी मुसलमानों के दबाव में समान नागरिक संहिता को लागू करने का विचार दफना दिया गया। मुस्लिम तुष्टिकरण बढ़ता गया और समान नागरिक संहिता की राह संकीर्ण होती गई।


🚩समान नागरिकता आने से हिंदुओं को दूसरे समुदायों जैसे बराबर अधिकार मिलेंगा। दुर्भाग्यवश अधिकांश लोगों को इसकी चेतना नहीं। हालिया समय में संविधान के अनुच्छेद 25 से 31 की हिंदू-विरोधी व्याख्या स्थापित कर दी गई है। कई शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक अधिकारों पर केवल गैर-हिंदुओं यानी अल्पसंख्यकों का एकाधिकार बना दिया गया है।


🚩सरकार हिंदू शिक्षा संस्थान और मंदिरों पर मनचाहा हस्तक्षेप करती है और अपनी शर्तें लादती है। वह ऐसा गैर-हिंदू संस्थाओं पर नहीं करती। इसी तरह अल्पसंख्यकों को संवैधानिक उपचार पाने का दोहरा अधिकार है, जो हिंदुओं को नहीं है। हिंदू केवल नागरिक रूप में न्यायालय से कुछ मांग सकते हैं, जबकि अन्य नागरिक और अल्पसंख्यक, दोनों रूपों में संवैधानिक अधिकार रखते हैं। ऐसा अंधेर दुनिया के किसी लोकतंत्र में नहीं कि अल्पसंख्यक को ऐसे विशेषाधिकार हों जो अन्य को न मिलें।


🚩‘सोशलिज्म’ और ‘सेक्यूलरिज्म’ धारणाओं से हमारे संविधान निर्माता बखूबी परिचित थे। उन्होंने सोच-समझ कर, बल्कि सेक्यूलरिज्म पर विचार करके, इसे संविधान में कोई जगह नहीं दी। 


🚩इसी विरोध और कट्टरता के चलते सन 1972 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जन्म हुआ। तबसे यह समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए शरीयत को संविधान और कानून से ऊपर बताती-मानती है।

कुछ समय से देश में समान नागरिक संहिता की चर्चा बार-बार हो रही है, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसी तरह हिंदू मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त कराने की मांग भी अनुसनी बनी हुई है। छोटे-मोटे संगठन और एक्टिविस्ट धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाने की भी मांग कर रहे हैं। भोजन उद्योग में हलाल मांस का दबाव बढ़ाने की संगठित गतिवधियों के विरुद्ध भी असंतोष बढ़ा है। शिक्षा अधिकार कानून में हिंदू-विरोधी पक्षपात पर भी काफी उद्वेलन है। आखिर इन मांगों पर सत्ताधारियों का क्या रुख है?


🚩क्या है समान नागरिक संहिता


🚩समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी। हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए अपने-अपने कानून हैं। UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे। UCC का अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित करना होगा।


🚩इस्लामिक देशों में भी लागू है UCC


🚩मुस्लिम देशों में पारंपरिक रूप से शरिया कानून लागू है, जो धार्मिक शिक्षाओं, प्रथाओं और परंपराओं से लिया गया है। न्यायविदों द्वारा आस्था के आधार पर इन कानून की व्याख्या की गई है। हालांकि, आधुनिक समय में इस तरह के कानून में यूरोपीय मॉडल के मुताबिक कुछ संशोधन किया जा रहा है। दुनिया के इस्लामिक देशों में आमतौर पर पारंपरिक शरिया कानून पर आधारित नागरिक कानून लागू हैं। इन देशों में सऊदी अरब, तुर्की, सऊदी अगर, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देश शामिल हैं। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए समान कानून हैं। किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं।


🚩इनके अलावा इस्राइल, जापान, फ्रांस और रूस में समान नागरिक संहिता या कुछ मामलों के लिए समान दीवानी या आपराधिक कानून हैं। यूरोपीय देशों और अमेरिका के पास एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। रोम में सबसे पहले नागरिक कानून के सिद्धांत बनाए गए थे। रोम के लोगों ने एक कोड विकसित करने के लिए सिद्धांतों का इस्तेमाल किया, जो निर्धारित करता था कि कानूनी मुद्दों का फैसला कैसे किया जाएगा। फ्रांस में दुनिया में सबसे प्रसिद्ध नागरिक संहिताएं हैं। अमेरिका में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, जबकि भारत की तरह यहां भी बहुत विविधता है।यहां कानून की कई लेयर्स हैं, जो देश, राज्य और काउंटी,


🚩एजेंसियों और शहरों में अलग-अलग लागू होती हैं। इन सबके बाद भी ये सामान्य सिद्धांत नागरिक कानूनों को राज्यों में इस तरह से नियंत्रित करते हैं जो पूरे देश में लागू होते हैं।


🚩भारत में जल्दी से समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहिए एसी जनता की मांग हैं।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, July 6, 2023

छात्रा से रेप करने वाला मौलवी गिरफ्तार, कही कोई खबर नहीं


6 July 2023

http://azaadbharat.org


🚩मौलवी व पादरियों पर यौन शोषण के हजारों मामले हैं लेकिन मीडिया का कैमरा व तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसपर मौन हो जाता है जबकि किसी साधु-संत पर साजिश के तहत झूठे आरोप लगे तो भी मीडिया चिल्लाने लगती है। ऐसे बिकाऊ मीडिया की बातों में आकर कुछ तथाकथित सेक्युलर हिंदू भी हिंदू धर्मगुरुओं के खिलाफ गलत टिप्पणी करने लग जाते हैं।


🚩मौलवी ने किया रेप


🚩उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक मदरसे का मौलवी रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पीड़िता उसकी नाबालिग छात्रा है। कारी मोहम्मद अहमद पर नशीला पदार्थ खिलाकर छात्रा से रेप और अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है। इसके बाद वह पीड़िता को ब्लैकमेल करने लगा। मुँह खोलने पर जादू-टोने से उसके परिवार को खत्म करने की धमकी दी। 26 जून 2023 को पीड़िता ने पुलिस में शिकायत की। अगले दिन आरोपित मौलवी गिरफ्तार कर लिया गया।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला कानपुर के बिठूर थाना क्षेत्र का है। मौलवी कारी मोहम्मद अहमद अपने घर में लंबे समय से मदरसा चला रहा है। आसपास के बच्चे यहाँ दीनी तालीम लेने आते है। नाबालिग पीड़िता भी उसके मदरसे में आती थी। कथित तौर पर मौलवी की अश्लीलता और छेड़छाड़ से परेशान होकर उसने 2018 में ही मदरसा जाना बंद कर दिया। लेकिन मौलवी किसी न किसी बहाने से उसे बुलाकर अश्लील हरकतें करता रहता था।


🚩पीड़िता ने शिकायत में बताया है कि 22 जनवरी 2022 को मौलवी ने अपनी बीवी के बीमार होने का बहाना बनाकर उसे अपने घर खाना बनाने के लिए बुलाया। इस दौरान उसने लड़की को नशीला पदार्थ खिला दिया जिससे वो बेसुध हो गई। नशे की हालत में मोहम्मद अहमद ने उससे रेप किया और इसका वीडियो बना लिया। इस वीडियो के बहाने मौलवी अक्सर पीड़िता को ब्लैकमेल करने लगा। 17 मई 2023 को एक बार फिर मौलवी ने लड़की को घर बुला कर रेप किया। आखिरकार प्रताड़ना से आजिज आ कर लड़की ने सारी बात अपने घर वालों को बता दी।


🚩पीड़िता का यह भी आरोप है कि मौलवी खुद को जादू-टोने का एक्सपर्ट बताता था। जब भी वह मौलवी की करतूतों का विरोध करती थी तब उसे और उसके परिवार को झाड़-फूँक से खत्म करने की धमकी देता था। शिकायत में पीड़ित परिवार ने खुद को मौलवी से डरा होने की बात कही है। पुलिस ने 27 जून (मंगलवार) को मौलवी कारी मोहम्मद अहमद को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित पर IPC की धाराओं के साथ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। मौलवी को जेल भेज दिया गया है।


🚩आपको तो केबल एक मोलावी के बारे में ही बताया लेकिन ऐसे हजारों मामले है जो मौलवी रेप करते पकड़े गए हैं। ईसाई पादरि जो रेप करते है उनके तो अनगिनती मामले है लेकिन इसपर सब चुप रहते हैं।


🚩जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे बड़ा आतंकवादी हो, तथाकथित सेक्युलर भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने लगते हैं तथा सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज . हो जाती है, अनेक झूठी कहानियां बन जाती हैं। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन से हिन्दू साधु-संत पर कौन सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलानी है? लगता है यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा!


🚩वहीं, दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, July 5, 2023

ऐसा किसी भी देश में न्याय नही होगा जो भारत में हो रहा है..

5 July 2023

http://azaadbharat.org

🚩तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक बहुत बड़े वर्ग से सुनने को मिलता है कि “कानून अपना काम कर रहा है”, “कानून सबके लिए समान है” , लेकिन वास्तव में क्या कानून सबके लिए एक है कि नहीं या क़ानून के कुछ रखवालें केवल समान बोलतें ही हैं कि उसका पालन भी करते हैं या नहीं, यह आपको जानना चाहिए।


🚩गुजरात हाईकोर्ट ने प्रोपेगंडा एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका रद्द करते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश सुनाया। हालाँकि, उसी दिन शाम को इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट बैठी और मामले को बड़े बेंच को हस्तानांतरित कर दिया। रात को फिर सुनवाई हुई और तीस्ता सीतलवाड़ को एक सप्ताह की राहत प्रदान कर दी गई। अब सुप्रीम ने इसकी अवधि भी बढ़ा दी है। अगली सुनवाई 19 जुलाई 2023 को होगी। उन पर आरोप है कि उन्होंने 2002 में हुए गुजरात दंगों में निर्दोषों को फँसाने के लिए साजिश रची और जानबूझकर झूठे सबूत पेश करवाए।


🚩127 पन्नों के आदेश में जस्टिस निर्जर देसाई ने कहा कि अगर तीस्ता सीतलवाड़ को बेल दे दी जाती है तो इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ेगा और सामुदायिक वैमनस्य और गहरा होगा।


🚩गुजरात के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई भाजपा नेताओं और अधिकारियों को फँसाने की साजिश तीस्ता सीतलवाड़ ने रची थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने पीड़ितों और और गवाहों का अपने फायदे के लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया। हाईकोर्ट ने ये भी पाया कि एक समुदाय विशेष की भावनाओं का इस्तेमाल कर के तीस्ता सीतलवाड़ ने पैसे जुटाए और इन पैसों का इस्तेमाल पीड़ितों के लिए नहीं किया। तीस्ता सीतलवाड़ ने कभी न्याय और शांति के लिए काम नहीं किया। इसमें रईस खान नामक एक व्यक्ति ने उनका सहयोग किया। तीस्ता ने एक BBC पत्रकार के साथ मिल कर पीड़ितों के कानों में ज़हर भरा।


🚩समान कानून की बात करने वाले न्यायलय के कुछ लोग जब एक लड़की षड्यंत्र के तहत 87 वर्षीय हिंदू संत आशाराम बापू 10 साल से 1 दिन भी जमानत नही दी जबकि उनके केस में ट्रायल 5 साल तक चला था, ट्रायल के समय भी उनको जमानत नही जबकि बीच मे उनके बहन-भांजे आदि की मौत भी हुई और उनकी धर्मपत्नी और उनकी स्वयं तबियत खराब भी हुई फिर हुई जमानत नही दी गई।

 

🚩बापू आशारामजी धर्मान्तरण को रोक रहे थे, उन्होंने ऐसा एक अभियान चलाया था, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म की महिमा बताई, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको घर व जीवनोपयोगी सामग्री दी, पैसे दिए इसके कारण धर्मान्तरण का धंधा कम होने लगा जिसके कारण उनको जेल में जाना पड़ा और न्यायालय ने 1 दिन भी जमानत नही दी, अगर बापू आशारामजी धर्मान्तरण रोकने का गुनाह नही करते तो वे भी आज बाहर होते।


🚩कानून को देखो नेता राहूल गांधी, सोनिय गांधी, अभिनेता सलमान खान, पत्रकार तरुण तेजपाल, टुकड़े टुकड़े गैंग के कन्हैया कुमार, उमर खालिद दिल्ली दंगा भड़काने में मुख्य साजिशकर्ता सफूरा जरगर, कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को तुंरत जमानत हासिल हो जाती है लेकिन धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले दारा सिंह 22 साल से ओडिशा की जेल में बंद हैं। 87 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू 10 साल से जेल में बंद है जबकि उनको षडयंत्र तहत फसाने के कई प्रमाण भी हैं फिर भी उनको आज तक जमानत हासिल नही हुई क्या हिंदुस्तान में हिंदू हित की बात करना भी अपराध हो गया है?

 

🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है लेकिन जब उनके केस पढ़ते है तो उसमें साफ है कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है उससे तो साफ होता है कि वे उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी उसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोच तक नही आई है  और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नही है केवल छेड़छाड़ का आरोप है। फिर भी सजा देना कितना बड़ा साजिस होगी?

 

🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फेक्स भी आया था उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

https://twitter.com/SanganiUday/status/1053870700585377792?s=19

 

🚩बता दें कि स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश मे 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन  शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोलें, करोड़ो लोगों को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तारसे नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और जमानत हासिल नही हो रही है अब हिन्दू समाज को जागरूक होकर उनकी रिहाई करवानी चाहिए।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, July 4, 2023

नेताजी ने क्यों और कैसे की आजाद हिंद सेना की स्थापना ?

4 July 2023

http://azaadbharat.org

🚩भारत का सबसे श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी माने जाने वाले सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उन्होंने आजाद हिंद फौज के नाम से पहला भारतीय सशस्त्र बल बनाया था। उनके प्रसिद्ध नारे 'तुम मुझे खून दो, मैं तूम्हें आजादी दूंगा' ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे उन तमाम भारतीयों के दिल में देशभक्ति पैदा कर दी थी। आज भी ये शब्द भारतीयों को प्रेरणा देते हैं।


🚩सुभाष चंद्र बोस देश के उन महानायकों में से एक हैं और हमेशा रहेंगे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। सुभाष चंद्र बोस के संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था। महानायक सुभाष चंद्र बोस को 'आजादी का सिपाही' के रूप में देखा जाता है।


🚩अंग्रेजों को परास्त करने के लिए भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अंतिम लडाई का नेतृत्व नियती ने नेताजी के हाथों सौंपा था । नेताजी ने यह पवित्र कार्य असीम साहस एवं तन, मन, धन तथा प्राण का त्याग करने में तत्पर रहने वाले हिंदी सैनिकों की ‘आजाद हिंद सेना’ संगठन द्वारा पूर्ण किया ।


🚩भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आजाद हिंद सेना का 5 जुलाई 1943 को गठन हुआ था । आजाद हिंद सेना के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे ।


🚩ब्रिटिश सेना के हिंदी सैनिकों का नेताजी ने बनाया संगठन


🚩अंग्रेजों की स्थान बद्धता से भाग जाने पर नेताजी ने फरवरी 1943 तक जर्मनी में ही वास्तव्य किया । वे जर्मन सर्वसत्ताधीश हिटलर से अनेक बार मिले और उसे हिंदुस्थान की स्वतंत्रता के लिए सहायता का आवाहन भी किया ।


🚩दूसरे महायुद्ध में विजय की ओर मार्गक्रमण करने वाले हिटलर ने नेताजी को सर्व सहकार्य देना स्वीकार किया । उस अनुसार उन्होंने जर्मनी की शरण में आए अंग्रेजों की सेना के हिंदी सैनिकों का प्रबोधन करके उनका संगठन बनाया । नेताजी के वहां के भाषणों से हिंदी सैनिक देशप्रेम में भाव विभोर होकर स्वतंत्रता के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते थे ।


🚩आजाद हिंदी सेना की स्थापना और ‘चलो दिल्ली’का नारा


🚩पूर्व एशियाई देशों में जर्मनी का मित्रराष्ट्र जापान की सेना ब्रिटिश सेना को धूल चटा रही थी । उनके पास भी शरण आए हुए, ब्रिटिश सैना के हिंदी सैनिक थे । नेताजी के मार्गदर्शनानुसार वहां पहले से ही रहने वाले रास बिहारी बोसने हिंदी सेना का संगठन किया ।


🚩इस हिंदी सेना से मिलने नेताजी 90 दिन पनडुब्बी से यात्रा करते समय मृत्यु से जूझते जुलाई वर्ष 1943 में जापान की राजधानी टोकियो पहुंचे। रास बिहारी बोस जी ने इस सेना का नेतृत्व नेताजी के हाथों सौंप दिया । 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर में नेताजी ने ‘आजाद हिंद सेना’की स्थापना की ।


🚩उस समय सहस्रों सैनिकों के सामने ऐतिहासिक भाषण करते हुए वे बोले, ‘‘सैनिक मित्रों ! आपकी युद्ध घोषणा एक ही रहे ! चलो दिल्ली ! आपमें से कितने लोग इस स्वतंत्रता युद्ध में जीवित रहेंगे, यह तो मैं नहीं जानता,परन्तु मैं इतना अवश्य जानता हूं कि अंतिम विजय अपनी ही है। इसलिए उठो और अपने अपने शस्त्रास्त्र लेकर सुसज्ज हो जाओ । हमारे भारत में आपसे पहले ही क्रांतिकारियो ने हमारे लिए मार्ग बना रखा है और वही मार्ग हमें दिल्ली तक ले जाएगा । ….चलो दिल्ली ।”


🚩भारत के अस्थायी शासन की प्रमुख सेना सहस्रों सशस्त्र हिंदी सैनिकों की सेना सिद्ध होने पर और पूर्व एशियाई देशों की लाखों हिंदी जनता का भारतीय स्वतंत्रता को समर्थन मिलने पर नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थान का दूसरा अस्थायी शासन स्थापित किया । इस अस्थायी शासन को जापान, जर्मनी, चीन, इटली, ब्रह्मदेश आदि देशों ने उनकी मान्यता घोषित की ।


🚩इस अस्थायी शासन का आजाद हिंद सेना, यह प्रमुख सेना बन गई ! आजाद हिंद सेना में सर्व जाति-जनजाति, अलग-अलग प्रांत, भाषाओं के सैनिक थे । सेना में एकात्मता की भावना थी । ‘कदम कदम बढाए जा’, इस गीत से समरस होकर नेताजी ने तथा उनकी सेना ने आजाद हिंदुस्थान का स्वप्न साकार करने के लिए विजय यात्रा आरंभ की ।


🚩‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना नेताजी ने झांसी की रानी रेजिमेंट के पदचिन्हों पर महिलाओं के लिए ‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना की । पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर महिलाओं को भी सैनिक प्रशिक्षण लेना चाहिए, इस भूमिका पर वे दृढ रहे । नेताजी कहते, हिंदुस्थान में 1857 के स्वतंत्रता युद्ध में लडनेवाली झांसी की रानी का आदर्श सामने रखकर महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए ।


🚩आजाद हिंद सेना द्वारा धक्का🚩आजाद हिंद सेना का ब्रिटिश सत्ता के विरोध में सैनिकी आक्रमण आरंभ होते ही जापान का सत्ताधीश जनरल टोजो ने इंग्लैंड से जीते हुए अंदमान एवं निकोबार ये दो द्वीप आजाद हिंद सेना के हाथों सौंप दिए । 29 दिसंबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थान के प्रमुख होने के नाते नेताजी अंदमान गए और अपना स्वतंत्र ध्वज वहां लहराकर सेल्युलर कारागृह में दंड भोग चुके क्रांतिकारियो कों आदरांजली समर्पित की । जनवरी 1944 में नेताजी ने अपनी सशस्त्र सेना ब्रह्मदेश में स्थलांतरित की ।


🚩19 मार्च 1944 के ऐतिहासिक दिन आजाद हिंद सेना ने भारत की भूमि पर कदम रखा । इंफाल, कोहिमा आदि स्थानों पर इस सेना ने ब्रिटिश सेना पर विजय प्राप्त की । इस विजयनिमित्त 22 सितंबर 1944 को किए हुए भाषण में नेताजी ने गर्जना की कि, ‘‘अपनी मातृभूमि स्वतंत्रता की मांग कर रही है ! इसलिए मैं आज आपसे आपका रक्त मांग रहा हूं । केवल रक्त से ही हमें स्वतंत्रता मिलेगी । तुम मुझे अपना रक्त दो । मैं तुमको स्वतंत्रता दूंगा !” (‘‘दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा लहराने के लिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा”) यह भाषण इतिहास में अजर अमर हुआ । उनके इन हृदय झकझोर देनेवाले उद्गारों से उपस्थित हिंदी युवाओं का मन रोमांचित हुआ और उन्होंने अपने रक्त से प्रतिज्ञा लिखी ।


🚩‘चलो दिल्ली’का स्वप्न अधूरा; परंतु ब्रिटिशों को झटका


🚩मार्च 1945 से दोस्त राष्ट्रों के सामने जापान की पराजय होने लगी । 7 मई 1945 को जर्मनी ने बिना किसी शर्त के शरणागति स्वीकार ली, जापान ने 15 अगस्त को शरणागति की अधिकृत घोषणा की । जापान-जर्मनी के इस अनपेक्षित पराजय से नेताजी की सर्व आकांक्षाएं धूमिल हो गइं । ऐसे में अगले रणक्षेत्र की ओर अर्थात् सयाम जाते समय 18 अगस्त 1945 को फार्मोसा द्वीप पर उनका बॉम्बर विमान गिरकर उनका हदयद्रावक अंत हुआ ।


🚩आजाद हिंद सेना दिल्ली तक नहीं पहुंच पाई; परंतु उस सेना ने जो प्रचंड आवाहन् बलाढ्य ब्रिटिश साम्राज्य के सामने खडा किया, इतिहास में वैसा अन्य उदाहरण नहीं । इससे ब्रिटिश सत्ता को भयंकर झटका लगा । हिंदी सैनिकों के विद्रोह से आगे चलकर भारत की सत्ता अपने अधिकार में रखना बहुत ही कठिन होगा, इसकी आशंका अंग्रेजों को आई । चतुर और धूर्त अंग्रेज शासन ने भावी संकट ताड लिया । उन्होंने निर्णय लिया कि पराजित होकर जाने से अच्छा है हम स्वयं ही देश छोडकर चले जाएं । तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपनी स्वीकृति दे दी।


🚩ब्रिटिश भयभीत हो गए और नेहरू भी झुके


🚩स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाली नेताजी की आजाद हिंद सेना को संपूर्ण भारत वासियों का उत्स्फूर्त समर्थन प्राप्त था । नेताजी ने ब्रिटिश-भारत पर सशस्त्र आक्रमण करने की घोषणा की, तब पंडित नेहरू ने उनका विरोध किया; परंतु नेताजी की एकाएक मृत्यु के उपरांत आजाद हिंद सेना के सेनाधिकारियों पर अभियोग चलते ही, संपूर्ण देश से सेना की ओर से लोकमत प्रकट हुआ ।


🚩सेना की यह लोकप्रियता देखकर अंत में नेहरू को झुकना पडा, इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं सेना के अधिकारियों का अधिवक्तापत्र (वकीलपत्र) लिया । अंततः आरोप लगाए गए सेना के 3 सेनाधिकारी सैनिक न्यायालय के सामने दोषी ठहराए गए; परंतु उनका दंड क्षमा कर दिया; क्योंकि अंग्रेज सत्ताधीशों की ध्यान में आया कि, नेताजी के सहयोगियों को दंड दिया, तो 90 वर्षों में लोक क्षोभ उफन कर आएगा । आजाद हिंद सेना के सैनिकों की निस्वार्थ देश सेवा से ही स्वतंत्रता की आकांक्षा कोट्यवधी देशवासियों के मन में निर्माण हुई ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ