Friday, August 11, 2023

आज भी होते हैं चमत्कार...

हाई कोर्ट को बदलना पड़ा फैसला और मुस्लिम युवक ने मंदिर में आकर मांगी माफी....



11 August 2023

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🚩आपने कई बार सुना होगा कि सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग में काफी चमत्कार होते थे।लेकिन अक्सर हमें सुनी हुई बातों पर विश्वास नही होता न।

तो लीजिए...आज इस घोर कलयुग में भी ईश्वरीय सत्ता के चमत्कारों के उदाहरण सुनिए। कुछ दिन पहले ही गुजरात में एक महिला के हाथों से भगवान की मूर्ति दूध पीते हुए वीडियो वायरल हुआ था , आज फिर से आपको दो ऐसी घटना बताने जा रहे है जिससे आपको भी ईश्वर की सत्ता पर भरोसा हो जाएगा।


🚩जज ने दिया शिवलिंग हटाने का आदेश, बेहोश हो गए सहायक रजिस्ट्रार


🚩कलकत्ता हाई कोर्ट में सोमवार (7 अगस्त 2023) को एक अजीबोगरीब घटना हुई। एक जमीन विवाद में हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का आदेश दिया। लेकिन फैसला रिकॉर्ड करते हुए सहायक रजिस्ट्रार बिश्वनाथ राय अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद जज सेनगुप्ता ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।


🚩रिपोर्ट के अनुसार बेहोश होने के बाद रजिस्ट्रार साहब को हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जज अपने चेंबर में चले गए। थोड़ी बाद जज सेनगुप्ता कोर्ट रूम में लौटे। लेकिन इस बार उन्होंने मामले में हस्तक्षेप से मना कर दिया। वहीं सहायक रजिस्ट्रार के अचानक बेहोश होने के कारण का भी पता नहीं चल सका।


🚩शिवलिंग हटाने का आदेश मुर्शिदाबाद बेलडांगा के खिदिरपुर के दो लोगों के बीच जमीनी विवाद में दिया गया था। खिदिरपुर के सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच यह विवाद चल रहा है। इसको लेकर इसी साल मई में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने बेलडांगा थाने में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने दोनों को जमानत दे दी थी।


🚩लेकिन विवाद में नया मोड़ तब आ गया , जब सुदीप ने गोविंद मंडल पर विवादित जमीन पर शिवलिंग रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की। उसने शिवलिंग हटाने की माँग की। उसका आरोप है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ सुदीप पाल हाई कोर्ट पहुँच गया।


🚩हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस जय सेनगुप्ता ने गोविंद मंडल के वकील से पूछा , कि उनके मुवक्किल ने विवादित जमीन पर शिवलिंग क्यों स्थापित किया? इस पर गोविंद के वकील मृत्युंजय चटर्जी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने शिवलिंग स्थापित नहीं किया, बल्कि ये खुद ही जमीन से निकल आया है। इसके बाद जज जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का निर्देश दिया। लेकिन जिस वक्त सहायक रजिस्ट्रार इस फैसले को रिकॉर्ड कर रहे थे वे अचानक से बेहोश हो गए।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम रखा, अपने ही घर की दीवारों पर सिर मार-मार कर मरा नवाज


🚩कर्नाटक के मंगलुरू में स्वामी कोरगज्जा को लेकर स्थानीयों के मन में असीम आस्था है। लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। पिछले दिनों कोरगज्जा के मंदिर में कई अभद्र घटनाएँ हुईं। मंदिर की दानपेटी में कंडोम तक डाल दिया गया।


🚩ऐसे घृणित वाकये के बावजूद पुलिस आरोपितों को ढूँढने में असमर्थ थी। निराश श्रद्धालु लगातार कोरगज्जा भगवान से ऐसे विधर्मियों को सजा देने के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कुछ दिन पहले भगवान ने अपने श्रद्धालुओं की सुनी और ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि विधर्मी स्वयं मंदिर में आकर माफी माँगने लगे।


🚩यह बिल्कुल वास्तविक घटना है। इसी साल जनवरी में मंदिर की दानपेटी से एक कंडोम निकला था, जिसके बाद से वहाँ हड़कंप था। लेकिन पांच दिन पहले अचानक मुस्लिम समुदाय के दो लड़के मंदिर में आए और पुजारी के सामने माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगे।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम


🚩पहले पुजारी को लगा कि वे मजाक कर रहे हैं।

लेकिन नहीं! वे दोनों गंभीर थे। उन दोनों ने पुजारी को बताया, कि अपने साथी नवाज के साथ मिल कर उन्होंने ही कुछ दिन पहले मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाला था।


🚩नवाज माफी माँगने के लिए जिंदा नहीं था। दानपेटी में कंडोम डालने के बाद उसे एक दिन खून की उल्टियाँ हुईं और फिर पेचिश से उसके मल से खून निकला। अंत में वह अपने घर की दीवारों पर सिर मारते हुए मर गया। मरते समय उसने उन्हें बताया कि कोरगज्जा उन सब पर नाराज हैं।


🚩अब सिर्फ़ वे दोनों , यानी अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफ़ीक़ ही जिंदा हैं। लेकिन वक्त बीतने के साथ रहीम को भी खून की उल्टियाँ शुरू हो गई हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे नवाज को हुई थी। उसके बाद दोनों अपनी जान जाने के डर से घबराकर पुजारी की शरण में जाकर माफी मांगने लगे। भगवान के सामने खड़े होकर दोनों ने अपना अपराध स्वीकार किया और क्षमा मांगी।

🚩पुलिस ने कहा , कि दोनों को हिरासत में ले लिया गया है। दोनों अब भी डरे हुए हैं। मीडिया से बात करते हुए पुलिस ने भी कहा कि ये एक रहस्यमयी केस था। आरोपितों के जुर्म कबूलने के बाद सबूत जुटाने की कोशिश हो रही है। हालाँकि, कृत्य के पीछे का उद्देश्य साफ नहीं हो पाया है। जाँच चल रही है। अभी तक की जाँच में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने 3 जगह ऐसा किया था।


🚩उल्लेखनीय है कि इस पूरे विषय के ऊपर ट्विटर पर चीरू भट्ट नाम के यूजर ने एक थ्रेड डाला है। इसके मुताबिक कोरगज्जा भगवान को लेकर लोगों का मानना है कि वह अपने न्याय के लिए जाने जाते हैं। उनके पास से जल्द से जल्द फैसला आता है और दोषी को 100% सजा मिलती है।


🚩आपको बता दें कि ये पहली दफा नहीं है जब स्वामी कोरगज्जा की शरण में इस तरह कोई माफी माँगने पहुँचा हो। 4 साल पहले मनोज पंडित नाम के एक आदमी ने स्वामी कोरगज्जा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। लेकिन बाद में उसकी हालत ऐसी हो गई कि वो गुरपुर के वज्रदेही मठ में माफी माँगने चला आया। मनोज ने स्वीकारा की उसे कोरगज्जा की आस्था के बारे में नहीं पता था।


🚩ऐसी तो अनेक घटनाएं होती रहती हैं जो लोगों को भगवान की सत्ता पर विश्वास करने को विवश कर देती हैं और उन सभी का वर्णन कर पाना तो संभव नहीं है।


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Wednesday, August 9, 2023

फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' के दृश्यों से कहीं ज़्यादा भयानक और दर्दनाक हैं, जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं के हालात

9  August 2023


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🚩कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द और इस्लामी आतंकवाद के काले चेहरे को उजागर करती फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जो दिखाया गया है, जम्मू-कश्मीर की हालत उससे कहीं अधिक भयानक थी। यह कहना है रिटायर्ड IPS अधिकारी और दो बार कश्मीर के आईजीपी रहे एसएम सहाय का। सहाय जी ने कश्मीरी हिंदू माँ-बेटी के साथ हुए बलात्कार और फिर हत्या की भयावह दास्तान सुनाई है।


🚩‘बीयर बायसेप्स’ नामक यूट्यूब चैनल पर जम्मू-कश्मीर के हालातों पर बात करते हुए एसएन सहाय ने कहा है, “फिल्म में तो बहुत कुछ नाटकीय ढंग से दिखाया गया है। लेकिन, वहाँ जो कुछ भी हो रहा था वह और भी भयानक था। मुझे याद है, एक सुबह मैं जल्दी उठा और मुझे क्रालखुद जाना पड़ा। जहाँ एक कश्मीरी हिंदू महिला और उसकी बेटी एक छोटे से घर में रहती थीं। दोनों के साथ बलात्कार किया गया इसके बाद उन्हें योनि में गोली मार दी गई थी। लड़की की मौके पर ही मौत हो गई थी। जब मैं वहाँ पहुँचा था लड़की की माँ जिंदा थी। मैं उसे लेकर हॉस्पिटल जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही उसकी भी मौत हो गई। इससे भयानक भी कुछ हो सकता है?”


🚩ऐसी भीषण घटनाओं के बारे में अब या तो मौके पर तैनात किसी पुलिस अधिकारी से पता चलता है या फिर किसी किताब या रिसर्च पेपर के एक पैराग्राफ में कहानी शुरू होती है और वहीं खत्म हो जाती है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि ऐसी घटनाओं पर एक पैराग्राफ नहीं बल्कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी कई फ़िल्में बन सकतीं हैं।


🚩पूरी पोस्ट के लिए क्लिक कीजिए👇🏻

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Tuesday, August 8, 2023

विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को क्यों मनाया जाता हैं ? उनका मूल धर्म क्या है ? जानिए

8 August 2023


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🚩विश्व आदिवासी दिवस आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह घटना उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो मूलनिवासी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।


🚩अंग्रेजी का नेटिव (native) शब्द मूल निवासियों के लिये प्रयुक्त होता है। अंग्रेजी के ट्राइबल (tribal) शब्द का अर्थ ‘मूलनिवासी’ नहीं होता है। ट्राइबल का अर्थ होता है ‘जनजातीय’। 9 अगस्त को ‘विश्व जनजातीय दिवस’ मनाया जाता है। ‘विश्व जनजातीय दिवस’ अर्थात विश्व की सभी जनजातीयों का दिवस। जनजाती को आदिवासी भी कहते हैं। आदिवासी अर्थात जो प्रारंभ से यहां रहता आया है। आओ जानते हैं,भारत के आदिवासियों की कुछ रोचक बातें।


🚩जनजाति अर्थात आदिवासी।भारत में लगभग 461 जनजातियां हैं। वे सभी आदिवासियों का धर्म हिन्दू ही है। आदिवासी समाज की सभी जातिया हिन्दू धर्म का पालन करती है।


🚩करीब 400 पीढ़ियों पूर्व सभी भारतीय वन में ही रहते थे और वे आदिवासी थे, परंतु विकासक्रम के चलते पहले ग्राम बने फिर कस्बे और अंत में नगर। यही से विभाजन होना प्रारंभ हुआ। जो वन में रह गए वे वनवासी, जो गांव में रह गए वे ग्रामवासी और जो नगर में चले गए वे नगरवासी कहलाने लगे।


🚩मूल रूप से आदिवासियों का अपना धर्म है। ये शिव एवं भैरव के साथ ही प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। इनके अपने अलग लोक देवता, ग्राम देवता और कुल देवता हैं। जैसे नागवंशी आदिवासी और उनकी उप जनजातियां नाग की पूजा करते हैं। सिंधु घाटी की सभ्यता में शिव जैसी पशुओं से घिरी जो मूर्ति मिली है इससे यह सिद्ध होता है कि आदिवासियों का संबंध सिंधु घाटी की सभ्यता से भी था।


🚩आदिवासी समाज की सभी जातिया हिन्दू धर्म का पालन करती है।


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Monday, August 7, 2023

लव मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी अनिवार्य करने पर सरकार का चल रहा है प्लान

7 August 2023

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🚩ऐसा कोई माँ-बाप नहीं चाहते कि हमारा बेटा-बेटी लोफर हो, किसी लड़के - लड़की के चक्कर में आये । सभी के माता-पिता चाहते हैं कि 'हमारी संतान ओजस्वी-तेजस्वी हो, बलवान बुद्धिमान हो, स्वयं के पैरों पर खड़ी रहे और बुढ़ापे में हमारा ख्याल रखे । छोटी उम्र में लड़के-लड़कियाँ बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बनकर शादी करके बर्बादी की खाई में न गिरें ।' ऐसा सब चाहते हैं । बच्चे हमारा आदर करें ऐसा सभी चाहते हैं। 


🚩गुजरात में कानून


🚩धर्मांतरण को लेकर सख्‍त कानून बनाने के बाद अब गुजरात की सरकार प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की स्वीकृति को अनिवार्य कर लव जिहाद पर एक और प्रहार करने वाले है। दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने महेसाणा में पाटीदार समाज के एक कार्यक्रम में कहा कि प्रेम विवाह में इस शर्त को जोड़ने की मांग को लेकर कानून में विचार किया जाएगा।


🚩जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात में पाटीदार समाज के लोगों की मांग है कि अगर कोई लड़का-लड़की प्रेम विवाह करते हैं तो शादी के पंजीकरण के लिए कम से कम एक अभिभावक के हस्ताक्षर जरुरी होना चाहिए। बता दें कि पाटीदार समाज  का कहना है कि इससे काफी हद तक लव जिहाद पर लगाम लगाया जा सकता है।


🚩माता-पिता की सहमति के बिना की गई शादियां राज्य में अपराध दर को बढ़ाती हैं- BJP


 🚩वहीं, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी  और कांग्रेस के विधायकों ने गुजरात विधानसभा से मांग की थी कि ‘प्रेम विवाह’ के पंजीकरण के लिए माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य किए जाएं और दस्तावेज़ उसी सम्बन्ध में दर्ज किया जाए जहां जोड़ा रहेगा। बता दें कि कलोल से बीजेपी विधायक फतेह सिंह चौहान ने कहा कि ऐसे मामलों में विवाह का पंजीकरण जब एक लड़की अपने माता-पिता की सहमति के बिना अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ शादी करती है तो राज्य में अपराध दर में वृद्धि होती है। उन्होंने आगे कहा कि माता-पिता की सहमति के बिना की गई शादियां राज्य में अपराध दर को बढ़ाती हैं और यदि ऐसे विवाह माता-पिता की सहमति से पंजीकृत होते हैं, तो अपराध दर में 50 प्रतिशत की कमी आएगी।


🚩BJP विधायक ने कानूनों में संशोधन करने का किया आग्रह


 🚩बीजेपी विधायक फतेह सिंह चौहान ने सरकार से मौजूदा कानूनों में संशोधन करने और कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने का आग्रह किया। फतेह सिंह चौहान ने  दावा किया, ”कालोल में ऐसे कई मामले हैं जहां लड़कियों को असामाजिक लोगों द्वारा बहकाया गया और अपहरण कर लिया गया। उन्हें बचाने के लिए ऐसा संशोधन जरूरी है। वहीं, कांग्रेस विधायक गेनी ठाकोर ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में प्रेम विवाह के संबंध में कानून में पर्याप्त बदलाव करने की मांग कुछ समय से उठाई जा रही है और कहा कि नेता पूरी तरह से प्रेम विवाह के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में लड़कियों को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।


🚩राजस्थान के पाली में अब घर से भागकर लव मैरिज करना आसान नहीं होगा


🚩राजस्थान के पाली में अब घर से भागकर लव मैरिज करना किसी के लिए आसान नहीं होगा। पाली बार एसोसिएशन ने माता-पिता की सहमति के बिना इस प्रकार के विवाह कोर्ट में नहीं करवाने का निर्णय लिया है। पाली में बेटी के प्रेम विवाह से आहत माता-पिता ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसी के मद्देनजर बार एसोसिएशन ने यह फैसला लिया है। 


🚩पाली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि हमारे पास कोर्ट मैरिज के लिए आने वाले युवक-युवती से माता-पिता का सहमति पत्र मांगा जाएगा। सहमति पत्र दिखाने पर ही उनकी कोर्ट मैरिज करवाई जाएगी। 24 जुलाई को ओल्ड हाउसिंग बोर्ड निवासी एक युवती ने प्रेम विवाह किया था। पुलिस के सामने पेश होकर अपने माता-पिता से खतरा बताया और सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी। पुलिस ने जब माता-पिता को उनका सामना बेटी से करवाया तो उसने अपने माता-पिता को पहचानने तक से इनकार कर दिया था। इस बात से आहत होकर दोनों ने 25 जुलाई को ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी। बहन के अंतरजातीय विवाह से दुखी भाई भी घर छोड़कर चला गया था। तीन दिन बाद पुलिस ने दिल्ली से उसे घर पहुंचाया।  


🚩नहीं करेंगे किसी प्रकार का सहयोग

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि हाल ही में पाली के हाउसिंग बोर्ड में हुई हृदयविदारक घटना के बाद यह निर्णय लिया गया है कि घर से भागकर और माता-पिता की बिना सहमति लव मैरिज करने आने वाले लड़के-लड़कियों को न तो कानूनी सलाह दी जाएगी और न ही कानूनी तरीके से कोई सहयोग किया जाएगा। न ही किसी प्रकार के दस्तावेज तैयार करवाए जाएंगे।🚩यह बात ध्यान देने लायक है कि समाज का तानाबाना इस समय जरूर हिल चुका है, बिलकुल हिल चुका है ।

समाज की तरक्की हो रही है , पढ़ाई की वजह से, शिक्षा जो हमारी लड़कियों को मिल रही है वही है जो लड़कों को मिल रही है। लड़कियों और लड़कों दोनों की कमाने की ताकत एक जैसी हो गई है। पर इन सबको चलते-चलते समाज में एक सकारात्मक सोच होनी चाहिए थी। उसकी जगह देखा जा रहा है कि बहुत ज्यादा पतन हो रहा है। नैतिक मूल्य का बहुत ज्यादा पतन हो रहा है।


🚩उस बात को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने अगर उसके बारे में सोचा है, तो अच्छा हैं। आखिर आपके भी मां-बाप आपको जन्म देते हैं, आपको शिक्षा देते हैं, आर्थिक रूप से आपको पांव पर खड़े करते हैं, तो कहीं पर बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि माता-पिता के खिलाफ सिर्फ यूं न जाएं कि सिर्फ इस पॉइंट को प्रूफ करने के लिए कि हम स्वतंत्र हैं, जो मर्जी करेंगे। आप हमें सिखाने वाले, समझाने वाले कौन हैं?


🚩माता पिता बच्चों के कभी भी खिलाफ नहीं हो सकते हैं। उनके हमेशा हितैषी ही रहेंगे। तो मां-बाप की भी कुछ उम्मीदें होती हैं, उनका भी एक दिल होता है जो टूटता है जब बच्चे अपने कानूनी अधिकार को लागू करना करना चाहते हैं। उनके साथ-साथ जवाबदारी भी तो होती हैं। सिर्फ वो नहीं होता है कि आप सिर्फ अपने अधिकार को मांग करें। मां—बाप के प्रतिआपका कर्तव्य भी होता है। जैसे आजकल कोर्ट ने कहा है, मांगने पर लड़कियों को भी पिता की संपत्ति के अंदर अधिकार मिल जाता है, पर माता-पिता अगर सक्षम नहीं हैं, तो लड़कियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि माता-पिता की संभाल करें।


🚩जबकि कानून में ऐसी बात नहीं है कि माता-पिता के भरण पोषण करने की जिम्मेदारी किसी बेटी की है, पर अब समाज के अंदर बदलाव आ रहे हैं। उसके देखते-देखते नए कानून कई बार बनते हैं।   समाज में हम सबको साथ-साथ चलना है और अच्छा यही रहता कि माता-पिता और बच्चे साथ-साथ चलें। 


🚩विवाह एक अच्छी बात है, सकारात्मक बात है, पर उसका मतलब ये नहीं कि रिश्ते टूटें। रिश्ते बनने चाहिए। विवाह इसलिए करते हैं कि रिश्ते और बनें। ऐसा नहीं है कि रिश्ते टूटें। एक तरफ तो रिश्ता कर रहे हो और अपने माता-पिता से रिश्ता तोड़ रहे हो। 

माता पिता ने ही हमें जन्म दिया है इसलिए वे भगवान के बराबर है इसलिए माता पिता की सहमति से शादी करेंगे तो भविष्य उज्ज्वल और सुखद बनेगा।


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Sunday, August 6, 2023

पूरी दुनिया हिन्दू मान्यताओं , सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति की हो रही है दीवानी

पोलैंड में तो वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारों पर उकेरे गए हैं उपनिषद के छंद.....


6 August 2023

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🚩पोलैंड के वॉरसॉ यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय की दीवार पर उकेरे गए उपनिषद के छंदों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। यह तस्वीर पोलैंड के भारतीय दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई है, जो खासा चर्चा में हैं। ट्वीट में लिखा गया है......


”ये कितना सुखद नजारा है। यह वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारें हैं, जहाँ उपनिषद के छंद उकेरे गए हैं। उपनिषद हिन्दू दर्शन के वैदिक संस्कृति के मूलपाठ हैं, जो हिन्दू धर्म का आधार है।"


https://twitter.com/IndiainPoland/status/1413464385155174401


🚩बताया जा रहा है, कि ये वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवारें हैं और यह फोटो 9 जुलाई 2021 की है। वॉरसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देसी नेटिजन्स गर्व महसूस कर रहे हैं।


🚩एक यूजर ने कहा,

“शानदार! जानकर गर्व और खुशी हुई। पूरी दुनिया ने हिंदू दर्शन को मान्यता देना शुरू कर दिया है।जबकि हम भारतीय अपनी महान संस्कृति को भूल रहे हैं। खासतौर पर युवाओं में इसके प्रति रुचि पैदा करने के लिए कुछ करना होगा।”


🚩एक अन्य ने यूजर्स ने लिखा,

“बाहर के देशों में भारतीय संस्कृति/उपनिषदों का दिल खोल के स्वागत किया जा रहा है।”


🚩एक तीसरे यूजर ने कमेंट किया,

"जब दुनिया हिंदू धर्म को अपना रही है, हम भारतीय पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं।”


🚩 तो किसी ने पूछते हुए ट्वीट रिप्लाई किया ,

“उत्तम… क्या भारत का कोई विश्वविद्यालय ऐसा करने की हिम्मत करेगा?” 


🚩एक अन्य ने पोस्ट किया,

“अद्भुत है , भारतीय संस्कृति को किस प्रकार लोग अपना रहे हैं, ये उसका सीधा सादा उदाहरण है।”


🚩उपनिषद हिंदू धर्म के सबसे पुराने ग्रंथ हैं। उपनिषदों को आमतौर पर वेदांत के रूप में जाना जाता है। विद्वानों के अनुसार उपनिषद शब्द का अर्थ उप+नि+षद के रूप में समझना चाहिए ।

अर्थात् जो ज्ञान बिना किसी व्यवधान के निकट आए, जो ज्ञान विशिष्ट व संपूर्ण हो और जो ज्ञान सच्चा हो , वह निश्चित ही उपनिषद कहलाता है।


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Saturday, August 5, 2023

मेवात: 103 गाँव हिंदू विहीन, 84 गाँव में बचे हैं केवल 4-5 परिवार

5 August 2023

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🚩क्या हरियाणा का मेवात मिनी पाकिस्तान है? यह सवाल पूर्व जस्टिस पवन कुमार की अगुवाई वाली 4 सदस्यीय जॉंच समिति की रिपोर्ट से खड़ी हुई है। यह रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिम बहुल मेवात कैसे हिंदुओं खासकर दलितों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है। महिलाओं को अगवा करना, दुष्कर्म और जबरन धर्म परिवर्तन की कई घटनाएँ वैसे ही सामने आए हैं, जैसी खबरें पाकिस्तान से आती रहती है।


🚩हरियाणा श्री वाल्मीकि महासभा ने इस कमिटी का गठन किया था। इससे संबंधित एक प्रेस विज्ञप्ति विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी ट्वीट की है।


🚩जब ऑपइंडिया ने इस संबंध में पूर्व न्यायधीश पवन कुमार से संपर्क किया, तो कई बातें निकलकर सामने आई। पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि मेवात में समुदाय विशेष (बहुसंख्यक आबादी) का अल्पसंख्यकों पर अत्याचार इतना भीषण है कि जिले के करीब 500 गाँवों में से 103 गाँव ऐसे हैं जो हिंदूविहीन हो चुके हैं। 84 गाँव ऐसे हैं जहाँ अब केवल 4 या 5 हिंदू परिवार ही शेष हैं।


🚩प्रेस रिलीज

पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार से ऑपइंडिया की बात

पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार इस संबंध में बताते हैं कि वह दलितों पर अत्याचार के मामले में जाँच के लिए स्वयं मेवात गए थे। यहाँ उन्होंने 48 पीड़ितों को पूछताछ के लिए बुलाया। लेकिन, स्थानीय दलितों में समुदाय विशेष के लोगों की इतनी गहरी दहशत है कि इनमें से केवल 19 लोग ही उनके पास आए। इनमें से कुछ स्वयं पीड़ित थे और कुछ पीड़ितों के परिजन। यहाँ उन्होंने स्वंय उनसे बातचीत की, उनके बयान रिकॉर्ड किए।


🚩पवन कुमार कहते हैं कि इन लोगों से बातचीत करने के बाद उन्हें मालूम चला कि मेवात में दलितों की स्थिति बेहद बुरी है। वहाँ लड़कियों से रेप, वधुओं का अपहरण, धर्मांतरण, दलितों से मारपीट की घटनाएँ आम हो गई है।


🚩हमसे बात करते हुए पूर्व न्यायाधीश कुछ घटनाओं का जिक्र करते हैं, जिनका उल्लेख विज्ञप्ति में भी है। वे बताते हैं कि कुछ समय पहले समुदाय विशेष के 4 लड़कों ने एक पुलिस वाले के घर में ही एक बच्ची का रेप किया। लेकिन जब बाद में इस मामले पर शिकायत दर्ज हुई, तो आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।


🚩इसके अलावा एक और घटना का उल्लेख करते हुए पूर्व न्यायधीश बताते हैं कि कुछ समय पहले एक लड़की को नौकरी का झाँसा देकर अगवा किया गया। फिर उसे कई दिनों तक बंधक बनाया गया और इस बीच 9 लोगों ने उसका रेप किया। मगर, जब दरिंदों के चंगुल से छूटकर लड़की ने थाने में आपबीती सुनाकर शिकायत दर्ज कराई, तो मामले पर कोई उपयुक्त कार्रवाई नहीं हुई। नतीजतन एक दिन उसका गला काटकर उसे मारने की कोशिश हुई, लेकिन न जाने कैसे वो उस समय बच गई। किंतु अगली बार फिर उस पर हमला हुआ और उसकी अंतत: हत्या कर दी गई।


🚩उल्लेखनीय है कि विज्ञप्ति में लिखा गया है कि न्यायाधीश पवन कुमार ने कहा कि जबरन धर्मांतरण के कई उदाहरण सामने आए। किंतु किसी भी मामले में कोई कार्रवाई न होने के कारण धर्मांतरित व्यक्तियों के परिवारों पर धर्मांतरण का दबाव बनाया जाता रहा। ऑपइंडिया से बातचीत में धर्मांतरण से जुड़े एक वाकये का भी जिक्र किया।


🚩उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले मेवात में दो बच्चों की माँ को पहले एक मुस्लिम लड़का भगाकर ले गया। बाद में उसने उसे अवैवाहिक बताकर जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवा दिया। लेकिन, तब भी पुलिस ने इस मामले पर कार्रवाई करनी उचित नहीं समझी। जबकि महिला की बेटियाँ इस संबंध में बताती रहीं कि उस लड़के के व्हॉट्सअप पर मैसेज आते थे कि तुम धर्म परिवर्तन करो।


🚩पुलिस की ढिलाई पर ध्यान आकर्षित करवाते हुए गठित जाँच समिति के अध्यक्ष पवन कुमार बताते हैं कि मेवात में हालात इतने बुरे हैं कि पैसे माँगने पर दलितों को इतना मारा जाता है कि वो मुश्किल से बच पाते हैं। लेकिन जब वही पीड़ित जाकर पुलिस से इस संबंध में शिकायत करता है तो पुलिस एक्शन लेने की बजाय पीड़ित पर ही समझौते का दबाव बनाती है।


🚩प्रेस विज्ञप्ति में बिछोर गाँव की एक और घटना का जिक्र होता है। इस संबंध में रिटायर्ड जज हमें बताते हैं कि वहाँ रामजीलाल को पेट से काटा गया। बाद में उसे जिंदा जला दिया गया। किंतु जब बात आरोपितों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की आई तो पुलिस ने ये कहकर फाइल बंद कर दी कि वो आसमानी बिजली के कारण मरा है। पवन कुमार कहते हैं कि खुद सोचिए बिजली से कोई व्यक्ति मरेगा तो पेट थोड़ी काटा जाएगा? इस घटना में मृतक के घरवाले इतना ज्यादा डर गए कि उन्होंने गाँव से ही पलायन कर लिया।

🚩इस बातचीत में हमें यह भी ज्ञात हुआ कि मेवात की बहुसंख्यक आबादी धीरे-धीरे दलितों के श्मशान घाट पर कब्जा कर रही है। साथ ही सरकार द्वारा मुहैया कराए गए उनके प्लॉट भी समुदाय विशेष के लोगों द्वारा धीरे-धीरे हड़पे जा रहे हैं। वहीं, मारपीट, उधारी का पैसा माँगने पर हमले की घटनाएँ तो मानो बेहद सामान्य हो गई हैं।


🚩पूर्व न्यायाधीश स्पष्ट शब्दों में ऑपइंडिया से बात करते हुए कहते हैं कि मेवात में प्रशासन ढीला है और पुलिस के शह में ये सारा काम होता है। नतीजतन 104 गाँव से हिंदू बिलकुल गायब हो चुके हैं, जबकि 84 गाँव में 4-5 की संख्या में हिंदू परिवार बचे हैं। पवन कुमार कहते हैं कि मेवात में 500 गाँव हैं। लेकिन इनमें एक तिहाई गाँवों में से हिंदू गायब हो चुके हैं।


🚩मामले में आगे की कार्रवाई पर पवन कुमार बताते हैं कि उन्होंने इस विषय में सभी तथ्य जुटाने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री को भेज दी है। इसके अलावा ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को और अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन को भी भी दी गई है। अब इन तथ्यों की जाँच से उनका उद्देश्य केवल दलित समाज को न्याय दिलाने का और मेवात में कानून स्थापित करने का है।


🚩वह कहते हैं कि मेवात में इस समय दलितों की जो स्थिति है, वैसी तो शायद पाकिस्तान में जो हिंदू बचे हैं, उनकी भी स्थिति न हो। जाँच टीम अध्यक्ष अध्यक्ष पवन कुमार स्पष्ट बताते हैं कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं भी बदतर हालात मेवात में दलितों की है। 


🚩आरोपों पर पुलिस ने क्या कहा?

यहाँ बता दें श्री वाल्मीकि महासभा द्वारा गठित इस 4 सदस्यीय जाँच टीम ने अपनी पड़ताल पूरी करके यह निष्कर्ष निकाला है कि दलितों पर अत्याचार प्रशासन और पुलिस की शह पर हो रहा है। विज्ञप्ति में कहा गया पहले तो दलितों की शिकायतें ही दर्ज नहीं होती थी दर्ज हो भी जाएँ, तो कार्यवाही नहीं होती।


🚩इसके साथ ही इस रिलीज के जरिए पुलिस पर ये भी आरोप लगाया गया कि पुलिस वहाँ पीड़ितों को समझौता करने के लिए धमकाती है और पीड़ित पर ही झूठा केस दर्ज कराने की धमकी देते हैं। ऐसे में जब हमने इस संबंध में मेवात एसपी से बात की और पुलिस पर लग रहे आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने मामलों में कार्रवाई के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया का हवाला दिया।


🚩उन्होंने कहा, “जब भी पुलिस के पास कोई दलित उत्पीड़न का कोई मामला आता है तो उस पर शिकायत दर्ज होती है और मामले में नियमानुसार कार्रवाई होती है। अगर कोई शिकायतकर्ता आता है तो उसके लिए एसएचओ का एवेन्यू खाली है, वह डीएसपी से मिल सकता है, एसपी से मिल सकता है।”


🚩आगे, जब हमने इस दौरान उनसे विज्ञप्ति में पुलिस पर उठे प्रश्नों को लेकर सवाल करना चाहा तो संपर्क टूट गया। बाद में हमने कई बार दोबारा संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई।


🚩संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाज से बात

बता दें, मेवात में दलितों पर अत्याचार मामले में ऑपइंडिया ने सबसे पहले प्रेस रिलीज को जारी करने वाले संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाज से भी बात की। उन्होंने भी हमसे इस दौरान मेवात में दलितों की स्थिति को उजागर किया और पुलिस प्रशासन व प्रशासन को न्याय दिलाने में नाकाम बताया। उन्होंने भी कहा कि यहाँ छोटी-छोटी बच्चियों व महिलाओं का रेप होता है। बाद में उनकी हत्या हो जाती है। लेकिन पुलिस उनपर कोई कार्रवाई नहीं करती है।


🚩वे कहते हैं कि स्थिति ये आन पड़ी है कि अब लड़कियाँ स्कूल जाने में डरने लगी हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के बच्चों पर वहाँ बहुसंख्यक आबादी के बच्चे फब्तियाँ कसते हैं। इससे स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या कम हो गई है और हालात इतने गंभीर हैं कि वे सब पलायन की योजना बना रहे हैं। महावीर भारद्वाज कहते हैं कि स्वतंत्र भारत में, हरियाणा की धरती पर ऐसे मिनी पाकिस्तान बनाकर पाक से ज्यादा अत्याचार किए जा रहे हैं।


🚩वे कहते हैं कि मेवात में बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों की है। ऐसे में इन अत्याचारों से तंग आकर कई हिंदू पलायन कर गए हैं। लेकिन अनुसूचित जाति के लोग, वर्तमान में इतने समर्थ नहीं है कि वह गाँव छोड़कर शहर जाएँ, अपना मकान लें, बिजनेस शुरू करके नए तरीके से जीवन जिएँ। इसलिए बस दलित वर्ग रुका है और उनपर अत्याचार हो रहे हैं।


🚩पूर्व न्यायाधीश की भाँति महावीर भारद्वाज भी पुलिस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहते हैं मामला संज्ञान में आने के बाद अब FIR दर्ज करती है। मगर, बाद में उनपर समझौते का दबाव बनाती है और कहती है कि जब यही रहना है तो मिलकर रहो। भारद्वाज इस बातचीत में ये जानकारी भी देते हैं कि मेवात में यह सब बहुत पहले से हो रहा था, लेकिन पिछले एक-दो महीने में ज्यादा मामले संज्ञान में आने के बाद इस कदम को उठाया गया।


🚩मेवात में महंत रामदास पर हमला🚩गौरतलब करवा दें कि बीते दिनों हरियाणा के मेवात जिला स्थित पुन्हाना में मुक्तिधाम आश्रम के प्रमुख महंत रामदास महाराज के साथ मुस्लिम बहुल इलाके में कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर बदसलूकी, मारपीट और जान से मारने की नीयत से हमला करने का मामला सामने आया था। महंत के समर्थन में आए हिंदूवादी संगठनों ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया था कि बुधवार (अप्रैल 29, 2020) की सुबह महंत रामदास महाराज पर आरोपितों ने धार्मिक भावनाओं को निशाना बनाते हुए अभद्र धार्मिक टिप्पणियाँ की। साथ ही इलाके के सभी साधु-संतों को पुन्हाना से भगा देने की धमकी भी दी थी।


🚩महंत रामदास महाराज जब इस हमले के बाद किसी तरह जान बचाकर पुलिस के पास पहुँचे तो उसने कथित तौर FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया। ऑपइंडिया ने इस मामले में जब पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की तो पुन्हाना थाना SHO ने इस मामले में किसी भी जानकारी के लिए हेडक्वार्टर से बात करने कहा था। उन्होंने कहा था कि उन्हें इस प्रकार की किसी घटना की जानकारी नहीं है।


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Friday, August 4, 2023

ज्ञानवापी मंदिर अकेला नहीं, अन्य 1800 धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहाँ मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं मस्जिदें - राज्यवार सूची ( भाग 2 )

4 August 2023 


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🚩3 August ( कल ) की पोस्ट में हमने जो चर्चा शुरू की थी...उसके *दूसरे भाग* पर आज आगे पढ़ेंगे...


🚩देशभर में ऐसे तो हज़ारों छोटे-बड़े अवैध निर्माण हैं , जिनको कि यहाँ गिना ही नहीं गया है, बावजूद इसके कि यह 1800+ हिन्दू धार्मिकस्थल नामी-गिरामी है , उन्हीं का यह हाल,  तो जरा सोचिए कि अन्य मंदिरों को क्या छोड़ा होगा विधर्मियों ने ।


🚩वर्ष 1990 में इतिहासकार सीता राम गोयल ने अन्य लेखकों अरुण शौरी, हर्ष नारायण, जय दुबाशी और राम स्वरूप के साथ मिलकर ‘हिंदू टेम्पल्स : व्हाट हैपन्ड टू देम’ (Hindu Temples: What Happened To Them) नामक दो खंडों की किताब प्रकाशित की थी। उसमें गोयल ने मुस्लिमों द्वारा बनाई गई 1800 से अधिक इमारतों, मस्जिदों और विवादित ढाँचों का पता लगाया था, जो मौजूदा मंदिरों/या नष्ट किए गए मंदिरों की सामग्री का इस्तेमाल करके बनाए गए थे। कुतुब मीनार से लेकर बाबरी मस्जिद, ज्ञानवापी विवादित ढाँचे, पिंजौर गार्डन और अन्य कई का उल्लेख इस किताब में मिलता है।


🚩गुजरात

गोयल जी की किताब में गुजरात की 170 ऐसी जगहों के बारे में बताया गया है, जहाँ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई हैं। असवल, पाटन और चंद्रावती के मंदिरों को नष्ट कर इनकी सामग्री का उपयोग अहमदाबाद को एक मुस्लिम शहर बनाने के लिए किया गया था। अहमदाबाद में मंदिर सामग्री का उपयोग करने वाले जो स्मारक बनाए गए हैं, वह हैं- अहमद शाह की जामी मस्जिद, हैबिट खान की मस्जिद।


🚩ढोलका जिले में बहलोल खान की मस्जिद और बरकत शहीद की मजार भी मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई थी। इसी तरह, सरखेज में, Shaikh Ahmad Khattu Ganj Baksh की दरगाह 1445 में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी। 1321 में, भरूच में हिंदू और जैन मंदिरों के विध्वंस के बाद जो सामग्री इकट्ठा हुई थी। उसका उपयोग करके जामी मस्जिद का निर्माण किया गया था।


🚩भावनगर में बोटाद में पीर हमीर खान की मजार एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। 1473 में द्वारका में एक मंदिर के स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया था। भुज में, जामी मस्जिद और बाबा गुरु के गुंबद मंदिर के स्थान पर बनाए गए थे। जैन समुदाय के लोगों को रांदेर से निकाल दिया गया और मंदिरों की जगह मस्जिद बना दी गई थीं। जैसे जामी मस्जिद, नित नौरी मस्जिद, मियां की मस्जिद, खारवा मस्जिद को भी मंदिर के स्थान पर बनाया गया था। इसके अलावा सोमनाथ पाटन में बाजार मस्जिद, चाँदनी मस्जिद और काजी की मस्जिद भी मंदिर के स्थानों पर बनाई गई थी।


🚩दीव

दीव में जो जामी मस्जिद है, उसका निर्माण सन् 1404 में किया गया था। पुस्तक में इसका भी उल्लेख किया गया है। इसे भी एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।


🚩हरियाणा

इतिहासकारों द्वारा हरियाणा में कुल 77 स्थलों का उल्लेख किया गया है। पिंजौर, अंबाला में मंदिर की सामग्री का उपयोग फिदई खान के बगीचे के निर्माण में किया गया था। फ़िदाई खान गार्डन, जिसे बाद में एक सिख सम्राट ने बदलकर यादवेंद्र गार्डन कर दिया था। इसे पिंजौर गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। ये भी मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाया गया था। फरीदाबाद में, जामी मस्जिद सन्1605 में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है। नूंह में, मंदिर की सामग्री का उपयोग करके सन्1392 में एक मस्जिद का निर्माण किया गया था।


🚩बावल में मस्जिदें और गुरुग्राम जिले के फर्रुखनगर में जामी मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई हैं। कैथल में बल्ख के शेख सलाह-दीन अबुल मुहम्मद (Salahud-Din Abul Muhammad) की दरगाह सन् 1246 में मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी। कुरुक्षेत्र में टीले पर मदरसा और झज्जर में काली मस्जिद मंदिर स्थलों पर बनाई गई थी। हिसार का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने अग्रोहा से लाई गई मंदिर सामग्री का उपयोग करके किया था। अग्रोहा शहर का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज महाराजा अग्रसेन ने करवाया था। महाराजा अग्रसेन का जन्म भगवान राम के बाद 35वीं पीढ़ी में हुआ था। सन् 1192 में मुहम्मद गौरी ने इस शहर को नष्ट कर दिया था।


🚩हिमाचल प्रदेश

किताब में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक जगह के बारे में बताया गया है, यहाँ मंदिर सामग्री का उपयोग करके जहाँगीरी गेट बनाया गया था।


🚩कर्नाटक

कर्नाटक में कुल 192 स्थान हैं। बेंगलुरु के डोड्डा बल्लापुर में अजोधन की मुहिउद-दीन चिश्ती की दरगाह मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी। कुदाची में मखदूम शाह की दरगाह और शेख मुहम्मद सिराजुद-दीन पिरदादी की मजार भी मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। हम्पी के विजयनगर में मस्जिद और ईदगाह भी मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाए गए थे। काफी पुराने हिंदू शहर बीदर (विदर्भ)को बदलकर एक मुस्लिम राजधानी कानिर्माण किया गया था। सोला खंबा मस्जिद, जामी मस्जिद, मुख्तार खान की मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई थीं और कुछ में मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल भी किया गया था।शहर के मंदिरों को या तो ध्वस्त कर दिया गया या फिर उन्हें मस्जिदों में बदल दिया गया। जामी मस्जिद, महला शाहपुर में मंदिर के स्थान पर आज भी मस्जिद मौजूद हैं। बीजापुर एक प्राचीन हिंदू शहर हुआ करता था, लेकिन इसे एक मुस्लिम राजधानी में तब्दील कर दिया गया था। जामी मस्जिद, करीमुद-दीन की मस्जिद, छोटा मस्जिद, आदि मंदिर स्थलों पर बनाए गए थे या मंदिर सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। टोन्नूर, मैसूर में सैय्यद सालार मसूद की मजार मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाई गई थी।


🚩केरल

केरल की दो जगहों का उल्लेख किया गया है। पहला कोल्लम में जामी मस्जिद और दूसरा पालघाट में टीपू सुल्तान द्वारा बनाए गए किले का, जिसमें मंदिर की सामग्री का उपयोग किया गया था।


🚩लक्षद्वीप

लक्षद्वीप में दो जगहों के बारे में बताया गया है। कल्पेनी में मुहिउद-दीन-पल्ली मस्जिद (Muhiud-Din-Palli Masjid) और कवरती में प्रोट-पल्ली मस्जिद भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई है। यह सर्वविदित है कि लक्षद्वीप में अब 100% के आसपास मुस्लिम हैं।


🚩मध्य प्रदेश

किताब में मध्य प्रदेश के 151 स्थलों का उल्लेख है। भोपाल में कुदसिया बेगम (Qudsia Begum) द्वारा जामी मस्जिद का निर्माण किया गया था, जहाँ कभी सभामंडल मंदिर हुआ करता था। दमोह में गाजी मियां की दरगाह भी पहले एक मंदिर ही था। धार राजा भोज परमार की राजधानी हुआ करती थी। इसे भी मुस्लिम राजधानी में बदल दिया गया। कमल मौला मस्जिद, लाट की मस्जिद, अदबुल्लाह शाह चंगल की मजार आदि का निर्माण मंदिर की जगह पर या फिर उनकी सामग्री का इस्तेमाल करके बनाया गया है।


🚩मांडू एक प्राचीन हिंदू शहर था। इसे भी मुस्लिम राजधानी में भी बदल दिया गया था। जामी मस्जिद, दिलावर खान की मस्जिद, छोटी जामी मस्जिद आदि का निर्माण मंदिर के स्थानों पर किया गया है। चंदेरी को भी मंदिर की सामग्री का उपयोग करके बनाया गया था। मोती मस्जिद, जामी मस्जिद और अन्य संरचनाओं में भी मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। ग्वालियर में, मुहम्मद गौस की दरगाह, जामी मस्जिद और गणेश द्वार के पास मस्जिद मंदिर स्थलों पर बनाई गई थी।


🚩महाराष्ट्र

किताब में महाराष्ट्र के 143 स्थलों के बारे में बात की गई है। अहमदनगर में अम्बा जोगी किले में मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। गॉग (Gogh) में ईदगाह, जिसे 1395 में बनाया गया था, यह भी एक मंदिर के स्थान पर बना है। अकोट (Akot) की जामी मस्जिद सन्1667 में एक मंदिर के स्थल पर बनाई गई थी। करंज में अस्तान मस्जिद सन्1659 में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। रीतपुर में औरंगजेब की जामी मस्जिद मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। हजरत बुरहानुद्दीन-दीन गरीब चिश्ती की दरगाह खुल्दाबाद में एक मंदिर स्थल पर सन्1339 में बनाई गई थी।


🚩मैना हज्जम की मजार मुंबई में महालक्ष्मी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। मुंबई में जामी मस्जिद एक मंदिर स्थल पर बनाई गई थी। परंदा में तलाब के पास नमाजगाह का निर्माण मनकेवरा मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था। लातूर में, मीनापुरी माता मंदिर को मबसू साहिब की दरगाह में बदल दिया गया था, सोमवारा मंदिर को सैय्यद कादिरी की दरगाह में बदल दिया गया था। वहीं, रामचंद्र मंदिर को पौनार की कादिमी मस्जिद (Qadimi Masjid) में बदल दिया गया था।


🚩ओडिशा

ओडिशा में 12 ऐसी जगह हैं, जहाँ मंदिरों को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद, दरगाह और मजार बनाई गई है। बालेश्वर में महल्ला सुन्नत में जामी मस्जिद श्री चंडी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। शाही मस्जिद और कटक में उड़िया बाजार की मस्जिदों के साथ-साथ केंद्रपाड़ा में एक मस्जिद को मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।


🚩पंजाब

किताब में पंजाब के 14 जगहों का जिक्र है। इसमें बाबा हाजी रतन की मजार बठिंडा में एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। जालंधर के सुल्तानपुर की बादशाही सराय बौद्ध विहार के स्थान पर बनी हुई है। लुधियाना में अली सरमस्त की मस्जिद भी एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है। बहादुरगढ़ में किले अंदर एक मस्जिद बनाई गई है। उसका निर्माण भी मंदिर की जगह पर किया गया है।


🚩राजस्थान

पुस्तक में राजस्थान के 170 स्थलों का उल्लेख है। पहले अजमेर एक हिंदू राजधानी हुआ करती थी, जिसे मुस्लिम शहर में बदल दिया गया था। अढ़ाई-दिन-का-झोंपरा सन्1199 में बनाया गया था, मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह 1236 में बनाई गई थी, और अन्य मस्जिदों का निर्माण मंदिर के स्थान पर किया गया था। तिजारा में भरतारी मजार (Bhartari mazar) एक मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी। बयाना में नोहारा मस्जिद का निर्माण उषा मंदिर के स्थान पर किया गया था। भितरी-बहारी (Bhitari-Bahari Mahalla) की मस्जिद में विष्णु भगवान की मंदिर की सामग्री काउपयोग किया गया था।


🚩काम्यकेश्वर मंदिर को कामां में चौरासी खंबा मस्जिद में बदल दिया गया था। पार्वंथा मंदिर (Parvantha) की सामग्री का उपयोग जालोर में तोपखाना मस्जिद में किया गया था, जिसे सन्1323 में बनाया गया था। शेर शाह सूरी के किले शेरगढ़ में हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों की सामग्री का उपयोग किया गया था। लोहारपुरा में पीर जहीरुद्दीन की दरगाह मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। सन्1625 में, सलावतन में मस्जिद एक मंदिर स्थल पर बनाई गई थी। पीर जहीरुद्दीन की मजार और नागौर में बाबा बद्र की दरगाह भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।


🚩तमिलनाडु

किताब में तमिलनाडु के 175 स्थलों का उल्लेख किया गया है। Chingleput के आचरवा में शाह अहमद की मजार भी एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। कोवलम में मलिक बिन दिनार की दरगाह एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। पंचा पद्यमलाई की पहाड़ी का नाम बदलकर मौला पहाड़ कर दिया गया था। एक प्राचीन गुफा मंदिर के सेट्रल हॉल को मस्जिद में बदल दिया गया था। कोयंबटूर में, टीपू सुल्तान ने अन्नामलाई किले की मरम्मत के लिए मंदिर की सामग्री का इस्तेमाल किया। टीपू सुल्तान की मस्जिद भी एक मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। तिरुचिरापल्ली (Tiruchirapalli) में नाथर शाह वाली की दरगाह एक शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। मंदिर के लिंगम का उपयोग लैंप के रूप में किया गया था।


🚩उत्तर प्रदेश ...


🚩अब आते हैं उत्तर प्रदेश पर... (जो कि भारत का सबसे बड़ा और औद्योगिक व राजनैतिक दृष्टिकोण से बहुत ही खास राज्य है ) ।

किताब में यूपी के 299 स्थलों का उल्लेख है, जो मंदिर सामग्री और मंदिर के स्थानों पर बनाए गए थे। आगरा की कलां मस्जिद का निर्माण मंदिर की सामग्री से किया गया था। अकबर के किले में नदी के किनारे का हिस्सा जैन मंदिर के स्थान पर बनाया गया था। अकबर का मकबरा भी एक मंदिर के ऊपर खड़ा है। इलाहाबाद में अकबर का किला मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। मियां मकबुल और हुसैन खान शाहिद की मजार भी मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। पत्थर महल में मस्जिद का निर्माण लक्ष्मी नारायण मंदिर को ध्वस्त करके किया गया था।


🚩अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थल पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। हालाँकि उस विवादित ढाँचे को ध्वस्त कर दिया गया है और उस स्थान अब भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा स्वर्गद्वार मंदिर और त्रेता का ठाकुर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था और उन जगहों पर औरंगजेब द्वारा मस्जिदों का निर्माण किया गया था।


🚩शाह जुरान गौरी (Shah Juran Ghuri) की मजार एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। सर पैगंबर और अयूब पैगंबर की मजार एक बौद्ध मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी, जहाँ बुद्ध के पदचिन्ह थे। गोरखपुर में इमामबाड़ा एक मंदिर के स्थान पर बनाया गया था। इसी तरह, पावा में कर्बला एक बौद्ध स्तूप के स्थान पर बनाया गया था।


🚩टिलेवाली मस्जिद लखनऊ में एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई है। मेरठ में जामा मस्जिद एक बौद्ध विहार के खंडहर पर स्थित है। एक दरगाह नौचंड़ी देवी के मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। वाराणसी में, ज्ञानवापी विवादित ढाँचे को विश्वेश्वर मंदिर सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है। हाल ही में अदालत ने विवादित ढाँचे के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। सर्वेक्षण करने वाली टीम को वहां एक शिवलिंग भी मिला है। इसके बाद अदालत ने उस जगह को सील कर दिया है।


🚩जौनपुर में " अटलादेवी मंदिर" को ध्वस्त कर अटाला मस्जिद बनाई गई और "बड़ी देवी मंदिर " को तोड़कर बड़ी मस्जिद बनाई गई... जौनपुर में ही और भी अनगिनत ऐसे अवैध निर्माण हुए थे मुगल शासन काल में।


🚩‘यह केवल एक संक्षिप्त सारांश है’

गोयल ने अपनी किताब में लिखा है कि उनके द्वारा बताई गई सूची अभी अधूरी है, यह सिर्फ एक संक्षिप्त विवरण था। अभी सूची में और कई मस्जिदें व दरगाह हैं, जिनके मंदिर की जगह पर और मंदिर की सामग्री के इस्तेमाल से मस्जिद बनाने के सबूत मौजूद हैं। उन्होंने लिखा, “हमने उल्लेख किए गए स्मारकों के स्थानों, नामों और तारीखों के सटीक होने की पूरी पुष्टी की है।

हालाँकि, ऐसा कम ही देखने को मिलता है , कि विभिन्न स्रोत एक ही स्मारक के लिए अलग-अलग तिथियाँ और नाम का प्रयोग करते हों। कुछ मुस्लिम फकीरों को कई नामों से जाना जाता है, जो उनकी मजारों या दरगाह की पहचान करने में भ्रम पैदा करते हैं। या फिर कुछ जिलों का नाम बदलकर अगर नया नाम रख दिया गया तो ऐसा हो सकता है।



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