Tuesday, August 22, 2023

CJI चंद्रचूड़ :हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा

 चीफ जस्टिस बोले : सभी को मिलना चाहिए न्याय, 'मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों' का भी किया जिक्र...


22 August 2023


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🚩DY Chandrachud , भारत के चीफ जस्टिस (CJI) ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के मौके पर न्यायपालिका से जुड़ी कई बातें लोगों के सामने रखीं।


🚩उन्होंने मंगलवार (15 अगस्त) को अपने भाषण के दौरान 'मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और संपत्तियों के विध्वंस' मुद्दे का भी जिक्र किया और साथ ही यह भी कहा , कि लाइन में खड़े हर एक व्यक्ति तक न्याय पहुंचना जरूरी है। साथ ही उन्होंने देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव की जरूरत पर भी जोर डाला।


🚩चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "न्याय प्रणाली की ताकत न्याय प्रदान करना है। किसी व्यक्ति की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विध्वंस की धमकी, संपत्तियों को अवैध रूप से कुर्क किया गया है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों से सांत्वना मिलनी चाहिए।'' 


🚩क्या कुछ बोले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ?


🚩डीवाई चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली में "स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम" के अवसर पर वकीलों और अन्य अतिथियों/आगंतुकों के मध्य अपनी ये बातें रखीं। गौरतलब है कि , इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे। CJI ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार, देश के अग्रणी बार के रूप में कानून के शासन की सुरक्षा के लिए खड़ा है।


🚩" अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत "


🚩CJI ने कहा, "हमारा संविधान यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना करता है कि शासन की संस्थाएं परिभाषित संवैधानिक सीमाओं के अंदर काम करें। न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में बाधाओं को खत्म करना है । इसके लिए अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है।"


🚩" ...हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले "


🚩CJI चंद्रचूड़ ने कहा, "हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले। हमें अदालत के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की जरूरत है। सभी तीन अंग, न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका राष्ट्रीय निर्माण के लिए सामान्य कार्य में जुड़े हुए हैं। "


🚩गुस्ताख़ी माफ़ हो... पर एक बात तो तय है कि , न्यायपालिका के इस बेढंगे तौर के चलते कितने ही बेगुनाह सालों तक कैद में ही भगवान की दी हुई अपनी अनमोल जिंदगी के दिन गँवाने को मजबूर हैं ।

हजारों बेगुनाह तो सालो तक चलते केस के बीच ही , बिना अपराध सिद्ध हुए, जेल मे ही आख़िरी सांसे गिन लेते हैं...


🚩उस पर विडंबना ये कि हमारी न्यायपालिका का मुख्य सूत्र है कि चाहे सौ मुजरिम छूट जाएं ... पर एक बेकसूर को सजा कभी नही होनी चाहिए !

बावजूद इसके , आए दिन तो हम देखते/सुनते ही हैं , कि फलां हाई प्रोफाइल व्यक्ति पर बड़ी ही संगीन धाराओं के तहत वारंट जारी हुआ है...

अब क्या होता है कि पहले तो उसको अरेस्ट ही नहीं किया जाता ( बेशक किसी न किसी दबाव या स्वार्थवश) और अगर गिरफ़्तार हो भी गया तो , कुछ न कुछ ऊटपटांग कारणों/परिस्थितियों ( किसी को BP बढ़ जाता है तो किसी के परिजनों की शादी पार्टी में जाना अत्यावश्यक होता है तो किसी को अधूरी बनी फिल्म पूरी करने के लिए) को सामने रखकर जमानत और या पैरोल मिल जाती है। कभी कभी तो एक दो दिन में ही , या कभी हफ्ते - दस दिन में वह घोर अपराधी बाहर खुली हवा में न सिर्फ सांस ले रहा होता है बल्कि अपनी आपराधिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से अंजाम दे रहा होता है।


🚩वहीं दूसरी ओर किसी बेकसूर मासूम इन्सान जो कि मध्यमवर्गीय हो , उस पर एक छोटा-सा आरोप लगने भर की देर है , उसे अरेस्ट से लेकर जेल मे सड़ाने तक की प्रक्रिया बड़ी शीघ्रता से अंजाम दी जाती है।


🚩उससे भी अधिक आश्चर्यजनक और दुखपूर्ण परिस्थितियों का सामना उन्हें करना पड़ता है, जो देश समाज और संस्कृति की रक्षा और सेवा में जीवन समर्पित किए रहते हैं।फिर चाहे वो हाई-प्रोफाइल व्यक्तित्व हों या सर्वसाधारण नागरिक। उन पर एक झूठा आरोप ही काफी होता है कि , गहरी नींद मे सोई हमारी पुलिस, मीडिया और न्यायपालिका...सभी अचानक से अटेंशन मोड में आ जाते हैं।


🚩बात तब और खास हो जाती है यदि वह आरोपी हिन्दू समुदाय से हुआ तो.... तब तो उसे किसी भी कीमत पर बेल और या पैरोल मिलना नामुमकिन हो जाता है। आइए आज ऐसे ही चंद उदाहरण देखते हैं...


🚩शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी पर आरोप लगे , तो उन्हे दिवाली की रात ही अर्जेंटली अरेस्ट किया गया और कोरोना फैलाने वाला मौलाना साद आराम से आजाद घूमता रहा।


🚩साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बम विस्फोट और हिंसा के आरोप लगे तो उन्हे 9 साल तक कैद मे रखकर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और अंततः वो भी बाइज्जत बरी हुईं। पर उन्होंने करावास में जो कष्ट सहे और जीवन के 9 साल उनसे छीने गए, उसकी भरपाई कौन करेगा।


🚩नित्यानंद जी पर झूठे आरोप लगे ,उनके विरुद्ध षड्यंत्रों की आंधी चली ,तो उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा , इस केस की निष्पक्ष जांच में विलंब का खामियाजा स्वामी जी ने ही भुगता । और बाद में निर्दोष साबित हुए। 


🚩संत आशाराम जी बापू पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें आज 10 साल से कैद में रखा गया है। कई बार गंभीर अस्वस्थ होने पर भी उन्हें अच्छे इलाज तक के लिए परोल नहीं मिली । इसी बीच उनकी पत्नी बुरी तरह बीमार हुईं पर 1 दिन की भी बेल नहीं मिली।

बावजूद इसके कि आरोपो के विरुद्ध सभी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए, जिससे षड़यंत्र का खुलासा भी हो गया ।आज देश विदेश में तकरीबन हर व्यक्ति इस सच्चाई को जान/समझ चुका है...फिर भी उन्हें आज तक मिल रही हैं तो सिर्फ तारीख पर तारीख।


🚩हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रबल समर्थक और रक्षक दारासिंह जी को हिंसक प्रवृत्तियों के झूठे आरोप लगे और आज वो 25+ साल से जेल में हैं।उन्हें भी 1 दिन की बेल नहीं दी गई। यहां तक कि उनकी मां की अन्त्येष्टी तक के लिए उन्हे जमानत नहीं मिली...जैसे कि वो कोई खूंखार आतंकी हो।


🚩वहीं एक अभिनेत्री का बिजनेसमैन पति पॉर्न फिल्में बनाकर देश के युवाधन को खोखला करने के घृणित अपराध करता है और आराम से पैरोल मिल जाती है उसे। आखिर क्यों !?


🚩आखिर क्यों , क्यों ऐसी पक्षपातपूर्ण और संभ्रम है हमारी न्यायिक प्रणाली !?


🚩ये तो कुछेक ही उदाहरण दिए हैं अजीबोगरीब फैसलों के... ऐसे तो हजारों -लाखों सुने-अनसुने केसेज दफन होंगे हमारे देश के न्यायालयों की इमारतों में ।

.....और हजारों बेगुनाहों के साथ उनके परिजन भी घुट-घुट कर जीते/मरते होंगे !!


🚩मानना ही होगा कि , हमारी न्यायिक व्यवस्था में अंदर तक घुन लग चुका है।इस दिशा में शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि अब और निर्दोषों की जिंदगियां बली न चढ़ें और देश में अमन-चैन का महौल बने।


🚩जय हिन्द ! जय भारत !!🚩


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Monday, August 21, 2023

गुलाम नबी आजाद के भीतर अपने अपमानित पुरखों का कोई अंश ही होगा, जो सच सबके सामने कह गए....


21 August 2023

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🚩पश्चिम की दुनिया ने तो इस सदी में 9/11 का स्वाद चखा और इस्लामी आतंक की शक्ल ठीक से देखी। मगर भारत का चप्पा-चप्पा ऐसे अनगिनत 9/11 से भरा हुआ है। एक ही शहर में कई-कई 9/11 हैं। ये हजार साल में इतनी-इतनी बार हुए हैं कि इंसानी याददाश्त ही चकरा जाए।

🚩जिस समय यह अंधड़ चल रहे थे उसी समय 50 से ज्यादा लेखकों के लिखे दस्तावेजों में इनकी भयावहता दर्ज है और इन लेखकों में सारे ही मुस्लिम थे। ये दस्तावेज अनेक बार पढ़े-पलटे हैं और इन घटनाओं को रेखांकित किया है।

🚩धर्मांतरण के ब्यौरे ऐसे अपमानजनक हैं कि आज कोई भी आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपने अतीत में झाँकने भर से खुदकुशी कर ले। इसलिए कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने जो कहा है, उसे इतिहास की रोशनी में देखिए, किंतु राजनीति की आँख से नहीं।

🚩 9 अगस्त 2023 को डोडा के चिरल्ला गाँव में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि “मैं संसद में भी यह बात कह चुका हूँ। लेकिन बहुत सारी चीजें आप तक नहीं पहुँचती है… हमारे हिंदुस्तान में इस्लाम तो वैसे भी 15 सौ साल पहले ही आया है। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। जो लोग (मुस्लिम) बाहर से आए होंगे, वो केवल 10-20 होंगे और वो भी उस वक्त मुगलों की फौज में थे। बाकी तो सब यहाँ (भारत) हिंदू से कन्वर्ट हुए मुसलमान हैं।600 साल पहले कश्मीर में कोई मुस्लिम नहीं था। सब कश्मीरी पंडित थे। सब इस्लाम अपनाकर मुस्लिम बने हैं।”

🚩आप सच से भाग नहीं सकते। सच को दबा नहीं सकते। सच ज्ञानवापी की दीवारों से झाँक-झाँककर अपना पता देगा और तहखानों में चीख-चीखकर पुकारेगा। गुलाम नबी आजाद के भीतर अपने अपमानित पुरखों का कोई अंश ही होगा, जो वे साहसपूर्वक एक सच सबके सामने कह गए! सच को स्वीकार करना चाहिए, किंतु तथ्यों की रोशनी में और तथ्य अब किसी से छिपे हुए नहीं हैं!

🚩वैसे एक प्यारे जंतु के रूप में हम शुतुरमुर्गों का भी सम्मान करते हैं! - विजय मनोहर तिवारी

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Sunday, August 20, 2023

भारत के हिन्दू-राष्ट्र घोषित होने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा क्या है !??

20-Aug-2023


 हिन्दू-राष्ट्र की आवश्यकता क्यों...!??

भारत के हिन्दू-राष्ट्र घोषित होने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा क्या है !??



🚩हमारी हिन्दू संस्कृति... अद्भुत, अद्वितीय और सनातन ( जिसका न आदि , न अंत ... अर्थात् जो शाश्वत है ) संस्कृति है । सनातन धर्म में समग्र चराचर जगत के हित का भाव है । हमारी प्राचीनकाल के ऋषियों द्वारा निर्मित / प्रणीत परंपराएं विश्व मानव को और छोटे से छोटे जीवों के साथ-साथ जड़ प्रकृति को भी पोषित करने के दृष्टिकोण से बनाई गई हैं ।


🚩आज ऐसी महान संस्कृति की जड़े नष्ट-भ्रष्ट कर डालने के लिए हर ओर से विधर्मियों के द्वारा निरंतर कुचक्र चलाए जा रहे हैं।हमारे भोले-भाले सहिष्णु सनातनधर्मावलंबी भाई बहन इस पराई आग की चपेट में अपना सर्वस्व नष्ट होते देख , खून के आंसू बहाने को मजबूर हैं।



🚩पूरे विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है , जहाँ हिन्दुओं बहुसंख्यक है,फिर भी अपने देश में ही हर प्रकार से शोषित भी हैं।इसे ध्यान में रखा जाए तो भारत को तुरंत हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए। यदि इसका दूसरा पक्ष देखें तो अब से 77 साल पहले 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तो साथ ही उसका विभाजन भी किया गया था और एक नया देश पाकिस्तान बनाया गया। "भारत के विभाजन की शर्त पर ही तो स्वतंत्रता मिली थी हमें… और यह विभाजन धर्म के आधार पर ही हुआ था ।"


🚩अब क्योंकि पाकिस्तान मुस्लिमों की मांग के कारण बनाया गया था, इसलिए इसे तुरंत ही इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया, लेकिन भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित न कर उसे धर्म निरपेक्ष ही बना रहने दिया गया।



🚩जिसका खामियाजा आज तक हिन्दू उठा रहा है। कभी अपने अधिकारों का हनन होते सहन करके ,तो कभी अपनी संस्कृति पर कुठाराघात होते बर्दाश्त करके ,तो कभी अपनी अस्मिता,सम्मान और प्राणों को भी गंवा कर...

आज हालात ऐसे हो गए कि भारत की धर्म निरपेक्षता ही हम हिन्दुओं के गले की फांस बन गई है !!!


🚩दुनिया में इसाइयों के 157 देश हैं और मुसलमानों के 52 देश हैं,परन्तु हिन्दुओं का 1 देश भी नहीं । जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दू धर्म ही सनातन धर्म है , जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ प्रत्येक जन्मने वाला मनुष्य पहले तो वह सनातन का अंश है और बाद में ये थोपे हुए जाति , मत , पंथ व मजहब…जैसे इसाई, मुस्लिम, पारसी, यहूदी आदि-आदि ।


🚩आज भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के नाम पर मुसलमानों,इसाइयों आदि को तो हर प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं और अपने ही देश में हिन्दू बेगाना हो गया है । आज हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र में हिन्दू ही सबसे अधिक शोषित है…!

इसका भी एकमात्र निराकरण है कि यथाशीघ्र भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए ।


🚩भारत के हिन्दू-राष्ट्र घोषित होने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा क्या है!?

हमारा हमारे ही हितैषी महापुरुषों के प्रति द्वेषभाव होना , आदर ,सम्मान भाव की कमी होना और उनके मार्गदर्शन की अवहेलना करना!


🚩भारत की नींव इतनी मजबूत है तो क्यों और कैसे , कभी सोचा है...!??

150 देश ईसाई बनाने वाले, 56 देश मुसलमान बनाने वाले सारे असुर भारत पर टूट पड़े । मगर सारी दुनिया को ईसाई और इस्लाम में बांटनेवाले भारत में आकर हार गए , क्यों !?


🚩पहले इस बात को सिर्फ हिन्दू संगठन ही कहा करते थे । आज बड़े-बड़े पदों पर आसीन बुद्धिजीवी भी इसका समर्थन करते हैं। मेघालय उच्च न्यायलय के न्यायधीश श्री एस.आर. सेन ने हिन्दुओं तथा गैर मुस्लिम समुदाय की गंभीर हालत को देखते हुए भारत को हिन्दू-राष्ट्र घोषित करने की अपील केंद्र सरकार से की थी ।


🚩आज हमारे हाथ ऐसे बांध दिए गए, कि हम अपने भाइयों को आश्रय और आश्वासन तक नहीं दे सकते ! दुखद है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिन्दू, पारसी, सिख आदि समुदायों को भारत की नागरिकता पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है ।


🚩भारत एक ऐसा देश है जहाँ गैर हिन्दू या हिंदुस्तान को गालियां देने वाले और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले लोग तो काफी ऐशो आराम की ज़िन्दगी जीते हैं । लेकिन बहुसंख्यक समुदाय यानि की हिन्दुओं ( सिख तथा अन्य गैर मुस्लिम समेत सभी हिन्दू ) को अपने ही देश में रहने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।


🚩प्रधानमंत्री जी से मेघालय हाइकोर्ट की शीघ्र कानून बनाने की अपील


🚩मेघालय हाईकोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व संसद से ऐसा कानून लाने की सिफारिश की थी, जिससे पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं , जैनो , सिखों व बौद्धों आदि को किसी बेवजह के सवालों के बिना सिर्फ़ आवश्यक दस्तावेजों के आधार पर भारत की नागरिकता मिल सके ।

गौरतलब है…कोर्ट ने फैसले में यह भी लिखा है कि ” विभाजन के समय भारत को हिन्दू-राष्ट्र घोषित कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन हम धर्मनिरपेक्ष देश बने रहे ।


🚩दरअसल हुआ ये कि , अमन राणा नामक एक व्यक्ति ने एक याचिका दायर की थी । जिसमें उन्होंने बताया कि , उन्हें निवास प्रमाण-पत्र देने से मना कर दिया गया है । इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला दिया । कोर्ट के फैसले में जस्टिस एस.आर. सेन ने कहा कि , ” उक्त तीनों पड़ोसी देशों में उपरोक्त लोग आज भी प्रताड़ित हो रहे हैं और उन्हें सामाजिक सम्मान भी प्राप्त नहीं हो रहा है । कोर्ट ने कहा कि इन लोगों को कभी भी देश में आने की अनुमति दी जाए । सरकार इन्हें पुनर्वासित कर सकती है और भारत का नागरिक घोषित कर सकती है । ”


🚩भारतीय इतिहास का किया उल्लेख :-   

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भारतीय इतिहास को उल्लेखित करते हुए कहा , कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश था । पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान का कोई वजूद नहीं था । ये सब भारत में शामिल थे और इन पर हिन्दू साम्राज्य का शासन था । कोर्ट ने कहा कि मुगल जब यहां आए तो उन्होंने भारत के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया । इसी दौरान बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन हुए । इसके बाद अंग्रेज यहां आए और शासन करने लगे ।


🚩हिन्दू-राष्ट्र की आवश्यकता क्यों...!??

क्यों कि , हिन्दुस्थान में हिंदुत्व के लिए लड़ना आसान नहीं है...


🚩कोई व्यक्ति देशभक्ति, भारतीय संस्कृति या सनातन धर्म की बात करते हैं और राष्ट्र विरोधी लोगों का विरोध करते हैं, तो उनको बहुत कुछ सहन करना पड़ता है, यहाँ तक की उनकी हत्या भी हो सकती है अथवा जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है, ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं।

आवश्यकता है हिन्दू मिलकर हिन्दू-राष्ट्र विरोधी ताकतों को उखाड़कर फेंक सकें ।


🚩भारत में आज जिस तरह CAA का विरोध हुआ है और भारतवासी जाति-पाति में बंट रहे हैं उससे हमारे देश को खतरा है। क्योंकि हमारे देश पर राष्ट्र विरोधी ताकतों की बुरी नजरे हैं और वे हमें आपस में लड़ा रहे हैं। इनसे सावधन रहना होगा नहीं तो बाद में हमें पछतावा होगा।

इसलिए भी हिन्दू-राष्ट्र आवश्यक है।


🚩अखंड भारत के हो चुके हैं इतने टुकड़े....अभी भी नहीं चेते तो पछताना पड़ेगा !!

अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बांग्लादेश , नेपाल , भूटान , तिब्बत , म्यांमार , श्रीलंका , मलेशिया , सिंगापुर , थाईलैंड , इंडोनेशिया , कंबोडिया , वियतनाम और अब भारत सिकुड कर बिल्कुल छोटा रह गया है ।


🚩कभी जम्बूद्वीप, भारतवर्ष और आर्यावर्त के नाम से पहचाने जाने वाले हमारे देश का नाम आज इंडिया है। लेकिन आज का जो भारत हमारे पास है वो भारतवर्ष का महज एक छोटा टुकड़ा मात्र है। क्योंकि अभी जितनी भूमि भारत देश में है, उससे कई गुना ज्यादा भूमि पर अलग देश बन चुके हैं। हम आपको बता रहे हैं कैसे प्राचीन काल में विश्वगुरू रहा भारत खंड-खंड होता गया और आज सिकुड़ कर छोटा सा रह गया।

इसलिए भी है हिन्दू-राष्ट्र आवश्यक।


🚩विश्व में ईसाइयों के 157, मुसलमानों के 52, बौद्धों के 12 जबकि यहूदियों का 1 राष्ट्र है । भारत को ही हिन्दूओं का राष्ट्र इस सृष्टि पर कहा है ? पर यहां आज भी हिन्दू शोषित हैं । भारत मे आज जितनी भी समस्याएं हैं उसके निराकरण के लिए हिन्दू-राष्ट्र की अत्यंत आवश्यकता है।



🚩और हमारी सहिष्णुता भी कहीं न कहीं हमारे शोषित होते जाने का बहुत बड़ा कारण है ।

सहिष्णुता और उदारता हिन्दू धर्म के खून में है तभी तो पिछले सैकड़ों वर्षों से उनका खून बहाया जाता रहा है। तभी तो हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाता रहा है। हिन्दू धर्म में उदारता और सहिष्णुता का कारण यह है कि इस धर्म में परहित को पुण्य माना गया है। न्याय और मानवता (इंसाफ और इंसानियत) को धर्म से भी ऊंचा माना गया है। न्याय और मानवता की रक्षा के लिए सबकुछ दांव पर लगा देने के लिए हिन्दुओं को प्रेरित किया जाता रहा है।


🚩यही कारण है कि इस धर्म में प्राचीनकाल से ही कभी कट्टरता नहीं रही और इस उदारता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता की भावना के चलते ही हिन्दुओं ने कभी भी किसी दूसरे धर्म या देश पर किसी भी प्रकार का कोई आक्रमण नहीं किया। इसका परिणाम यह रहा कि आक्रांताओं ने समय-समय पर गुलाम बनाकर हिन्दुओं को धर्म, जाति और पंथों में बांट दिया, उनका कत्लेआम किया गया और उन्हें उनकी ही भूमि से बेदखल कर दिया गया।


🚩हिन्दुओं ने कभी किसी राष्ट्र पर आगे रहकर आक्रमण नहीं किया और न ही किसी राज्य या राष्ट्र को अपने अधीन किया जबकि इसके विपरीत यहां पर आक्रमणकारी आए और उन्होंने रक्त की नदियां बहाकर इस देश की संस्कृति को खंडित कर दिया। भारत की कभी भी अपने राज्य विस्तार की इच्छा नहीं रही तथा सभी धर्मों को अपने यहां फलते-फूलने की जगह दी।

....... और बदले में हमारे ही सर तन से जुदा करने की धमकियां आए दिन मिलती रहती हैं। इसलिए भी हिन्दू-राष्ट्र आवश्यक है।


🚩भारत का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था । पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था । ऐसे में भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था लेकिन, इसे धर्मनिरपेक्ष बनाए रखा गया । जिसका दण्ड हमें अभी तक भुगतना पड़ रहा है।


            - मेधालय हाइकोर्ट


🚩देश, धर्म और संस्कृति रक्षार्थ भारत को शीघ्र हिन्दू-राष्ट्र घोषित करना ही सभी  समस्याओं का हल है ।


🚩भारत-पाक विभाजन के इतिहास के बारे में कोर्ट ने फैसले में लिखा… ” यह एक अविवादित तथ्य है , कि विभाजन के वक्त लाखों की संख्या में हिन्दू व सिख मारे गए थे । उन्हें प्रताड़ित किया गया था , उनकी सम्पत्ति पर जबरन कब्जे किए गए और महिलाओं का बलात्कार किया गया था ।


🚩कोर्ट ने लिखा कि , भारत का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था । विभाजन के साथ ही पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था । ऐसे में भारत को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था , लेकिन इसे धर्मनिरपेक्ष बनाए रखा गया । जिसका दण्ड हमें अभी तक भुगतना पड़ रहा है ।


🚩पीएम मोदी पर जताया भरोसा :-


🚩इतना कहने के पश्चात जज सेन ने मोदी सरकार को संबोधित करते हुए कहा , कि हमें विश्वास है , वो ( प्रधानमंत्री जी ) भारत को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बनने देंगे । उन्होंने लिखा कि किसी भी व्यक्ति को भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए । जज ने उच्च न्यायालय में केंद्र की सहायक सॉलिसीटर जनरल ए. पॉल को फैसले की प्रति प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री व विधि मंत्री को शीघ्रता से अवलोकन करने के लिए सौंपने व समुदायों के हितों की रक्षा का कानून लाने को लेकर जरूरी कदम उठाने की बात कही है ।


🚩न्यायाधीश एस.आर. सेन की बात से यह तो साफ़ हो ही गया कि भारत को हिन्दू-राष्ट्र घोषित करना कितना आवश्यक है।


🚩भारत एक हिन्दू बाहुल्य देश है । एक हिन्दू कभी किसी अन्य धर्म के लोगों के लिए खतरे का विषय नहीं बन सकता है और ना ही हिन्दुओं से किसी अन्य धर्म के लोगों को कोई खतरा ही हो सकता है । किन्तु यदि भारत को हिन्दू राष्ट्र न घोषित किया गया , तो इससे हिन्दुओं को जरुर खतरा हो सकता है ।


🚩 न्यायमूर्ति एस.आर. सेन जी की बात विचारणीय है । यदि हिन्दू बाहुल्य देश में हिन्दुओं का भरोसा जीतना हो तो मोदी सरकार को शीघ्र ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए ।


🚩आज भारत का हिन्दू राष्ट्र घोषित होना ही अनेकों सामाजिक समस्याओं का एकमात्र हल है ।

…जिन्हें इस देश में हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए, वे स्वेच्छा से पाकिस्तान जा सकते हैं ।


🚩हिन्दुस्तान का अर्थ ही है , ऐसा स्थान जहाँ हिन्दुओं का निवास हो… तो कायदे से देखा जाए तो हिन्दुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिन्दू ही है । फिर इस देश को हिन्दू-राष्ट्र घोषित करने में इतनी देर क्यों ?

हम माननीय श्री नरेद्र मोदी जी से अपील करते हैं कि , ” अल्पसंख्यकों के हक में तो बहुत फैसले ले लिए… अब कुछ फैसले हिन्दुओं के हक में भी ले लीजिए । ताकि 2024 में आपको वापस हम सब प्रधानमंत्री के पद पर देख पाएं ।


🚩देश, धर्म और संस्कृति बचाने के लिए हिन्दू-राष्ट्र की ही आवश्यकता है ।🚩कोर्ट ने लिखा कि , भारत का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था । विभाजन के साथ ही पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया था । ऐसे में भारत को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था , लेकिन इसे धर्मनिरपेक्ष बनाए रखा गया । जिसका दण्ड हमें अभी तक भुगतना पड़ रहा है ।


🚩पीएम मोदी पर जताया भरोसा :-


🚩इतना कहने के पश्चात जज सेन ने मोदी सरकार को संबोधित करते हुए कहा , कि हमें विश्वास है , वो ( प्रधानमंत्री जी ) भारत को मुस्लिम राष्ट्र नहीं बनने देंगे । उन्होंने लिखा कि किसी भी व्यक्ति को भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए । जज ने उच्च न्यायालय में केंद्र की सहायक सॉलिसीटर जनरल ए. पॉल को फैसले की प्रति प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री व विधि मंत्री को शीघ्रता से अवलोकन करने के लिए सौंपने व समुदायों के हितों की रक्षा का कानून लाने को लेकर जरूरी कदम उठाने की बात कही है ।


🚩न्यायाधीश एस.आर. सेन की बात से यह तो साफ़ हो ही गया कि भारत को हिन्दू-राष्ट्र घोषित करना कितना आवश्यक है।


🚩भारत एक हिन्दू बाहुल्य देश है । एक हिन्दू कभी किसी अन्य धर्म के लोगों के लिए खतरे का विषय नहीं बन सकता है और ना ही हिन्दुओं से किसी अन्य धर्म के लोगों को कोई खतरा ही हो सकता है । किन्तु यदि भारत को हिन्दू राष्ट्र न घोषित किया गया , तो इससे हिन्दुओं को जरुर खतरा हो सकता है ।


🚩 न्यायमूर्ति एस.आर. सेन जी की बात विचारणीय है । यदि हिन्दू बाहुल्य देश में हिन्दुओं का भरोसा जीतना हो तो मोदी सरकार को शीघ्र ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए ।


🚩आज भारत का हिन्दू राष्ट्र घोषित होना ही अनेकों सामाजिक समस्याओं का एकमात्र हल है ।

…जिन्हें इस देश में हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए, वे स्वेच्छा से पाकिस्तान जा सकते हैं ।


🚩हिन्दुस्तान का अर्थ ही है , ऐसा स्थान जहाँ हिन्दुओं का निवास हो… तो कायदे से देखा जाए तो हिन्दुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिन्दू ही है । फिर इस देश को हिन्दू-राष्ट्र घोषित करने में इतनी देर क्यों ?

हम माननीय श्री नरेद्र मोदी जी से अपील करते हैं कि , ” अल्पसंख्यकों के हक में तो बहुत फैसले ले लिए… अब कुछ फैसले हिन्दुओं के हक में भी ले लीजिए । ताकि 2024 में आपको वापस हम सब प्रधानमंत्री के पद पर देख पाएं ।




🚩भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर दिव्य भारतीय संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही, लेकिन भारत के साधु-संतों और हिंदूनिष्ठों ने अपनी हिंदू संस्कृति को बचाए रखा। 

भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्रविरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं


🚩संत श्री आशाराम जी बापू कर संकल्प है भारत को विश्वगुरु पद पर आसीन करना और इसी संकल्प को साकार करने के लिए अपने विविध सेवा कार्यो के साथ पूज्यश्री रात दिन सनातनधर्म की रक्षा और हिन्दू राष्ट्र निर्माण में लगे हुए हैं।



🚩देखिये ऐसे तो बहुत से क्रांतिकारियों को कारावास भोगना पडा इसी भारत में, अपनी भारत की रक्षा के लिए, आपने और हमने सबने देखा है तो जो-जो समाज की जागृति करना चाहते हैं, समाज विरोधी शक्तियाँ उन्हें दबाना चाहती हैं।

और इस बात को पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत , चीन समेत दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट है । तो सारी विदेशियों शक्तियाँ यही चाहतीं हैं न कि भारतवासी शरीर से तो भारतीय भले रहें , मगर अन्तर-बह्य रूप से ( मन और बुद्धि से , कर्मों और रहन सहन से ) और आध्यात्मिक रूप से लॉस हो जाए ( विदेशियों के गुलाम ही रहें ) ।और ऐसा तभी संभव है जब भारतीयों का स्पिरिचुअल लॉस हो जाए । मतलब अपने ही धर्म, संस्कृति , संस्कारों और साधु-संतों , महापुरुषों से नफरत हो जाए ।

हिन्दू-राष्ट्र की ओर जब हम बढ़ रहे हैं... तो बिन संतों का हिन्दू-राष्ट्र असंभव है।


                -- श्री धनंजय देसाई जी


🚩 बापूजी बाहर होते तो भारत का नक्शा कुछ और ही होता !


संत आशारामजी बापू ने समाजोद्धार के लिए इतना महत् कार्य, विशाल कार्य किया है कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ पर बापूजी का योगदान न रहा हो । बच्चों, युवाओं, वृद्धों, गरीबों, जनसामान्य - सभीके लिए बापूजी ने सेवा-प्रकल्प चलाये । वे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए सतत प्रयत्नशील रहे और ऐसा हिन्दू राष्ट्र जो केवल जाति हिन्दू होने से हिन्दू राष्ट्र न हो बल्कि जिसमें अपने हिन्दू वैदिक धर्म के, अपनी संस्कृति के सत्य, तप, करुणा, दया, ब्रह्मचर्य जैसे सिद्धांत जन-जन के जीवन में हों । उन्होंने भारतीय संस्कृति का परचम पूरे विश्व में लहराने के लिए बहुत सारे प्रयास किये । बापूजी के प्रयासों का बहुत बडा परिणाम हुआ है और केवल भारत में नहीं, पूरे विश्व में इसका परिणाम देखने को मिला ।

जिन्होंने अपना सारा जीवन इस राष्ट्र के लिए, भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए समर्पित कर दिया, आज वे ८६ वर्ष की उम्र में जेल में हैं । यह सम्पूर्ण हिन्दू जाति के लिए लज्जा की बात है, शर्म की बात है ! आज यदि बापूजी बाहर होते तो भारत का एक अलग नक्शा होता, अलग छवि होती ।


      - श्री सियावल्लभदासजी महाराज, अयोध्या


🚩 "एकजुट होकर धर्म-रक्षा के लिए आगे आना चाहिए"


इतिहास पर दृष्टि डालें तो जिन संतों ने हिन्दू धर्म का प्रचार किया, सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन की आहुति दी उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ, उनको सताया गया ।  ऐसा क्यों ? क्योंकि संतों के धर्म-प्रचार के कार्यों से समाज में जागृति आती है और अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लगे असामाजिक तत्त्वों के कार्यों में बाधा पडती है । इसलिए वे उन संतों के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं ।

जिन्होंने विश्वभर में सनातन धर्म की ध्वजा लहरायी और अपना जीवन लोकोत्थान के लिए समर्पित किया है, सत्संग के माध्यम से लोगों को उन्नत किया ऐसे महान संत आशाराम बापूजी पर झूठे आरोप लगवाकर उन्हें जेल में रखा जा रहा है । संत आशारामजी बापू का धर्मांतरण रोकने पर तो पूरा ध्यान था ही, साथ ही उन्होंने छोटे बच्चों से ले के बडों तक सबकी उन्नति के लिए कार्य किये, ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत की ।

आज बापूजी के साथ जो हो रहा है उसे देख के बडी पीडा होती है । मैं संत-समाज से, सनातन धर्मावलम्बी लोगों से अपील करता हूँ कि सब एकजुट होकर धर्म की रक्षा के लिए आगे आयें ।              

बापूजी जल्द-से-जल्द रिहा हों तभी हिन्दू राष्ट्र का सपना साकार होगा...


- स्वामी रामकृष्ण आचार्य, भागवत कथाकार, उज्जैन (म.प्र.)


🚩 भारत विश्वगुरु बनकर रहेगा, मेरे इस संकल्प को कोई रोक नही सकता, तोड़ नही सकता हैं।


        -  संत आशाराम जी बापू


🚩संत आशारामजी बापू ने वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस' मनाना प्रारम्भ करवाया । आज इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी जा रही है।


🚩आशाराम जी ने "न्यू ईयर सेलिब्रेशन " के नाम पर होते अंधेर को बंद करने के लिए दिया विश्वगुरु भारत अभियान का तोहफा ।


🚩सभी जानते हैं कि 25 दि. से 1जनवरी के बीच Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उनका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना- यह सब किया जाता है जो कि भारतीय परंपराओं के विरुद्ध है। ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता ।


🚩रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक

★14 से 19 वर्ष के बच्चे शराब का जमकर सेवन करते हैं।

★शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है।

★70% तक किशोर इन पार्टियों में शराब का जमकर सेवन करते हैं।

★आत्महत्याएँ काफी बढ़ जाती हैं।


🚩उन्होंने 14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे के बदले "मातृ-पितृ पूजन दिवस " शुरू करवाया।जो आज विश्व व्यापी रूप ले चुका है।


🚩संस्कृति रक्षा के कार्य संस्कृति के दुश्मनों को रास न आए और उन्हें झूठे आरोप में जेल मे कैद किया गया है।


https://youtu.be/U-kryE2VPc4


🚩आइए देखते हैं आज कुछ twitter users ने हिन्दू-राष्ट्र की परिकल्पना विषय पर क्या प्रतिक्रिया दी...


1) Yes Right,To make India a united #हिंदू_राष्ट्र , we all should make united efforts to realize this great objective, it is our religion to protect the honor of saints and great men, the heritage of the great Sanatan Dharma.

https://twitter.com/ThadhaniManish_/status/1693089027250155812?t=xbmyh_EPfGOBaQdYR69Pcw&s=19


2)भारत की जनता चाहती है कि भारत विश्वगुरु बने इसलिए वो Towards The Goal आगे बढ़ रहे है।

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए 

Public Opinion है कि भारत हिन्दू राष्ट्र बनना ही चाहिए। भारत मे संत महापुरुष का आदर होना ही चाहिए।

#हिंदू_राष्ट्र

https://twitter.com/AmrockstarI/status/1693092033723003041?t=SKhYoYypSd-Cn5vtcntF4g&s=19


3) अटल जी के उदगार सौ प्रतिशत सत्य है , हमे हिन्दू राष्ट्र Towards The Goal बढ़ना चाहिए नही तो विश्व से मानवता ही खत्म हो जायेगी ।

Public Opinion यही है कि विश्व मे शान्ति के लिए हिन्दुस्तान को 

#हिंदू_राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए ।

https://twitter.com/Anubhut38524976/status/1693099129826861556?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


4) सनातन संस्कृति पर विधर्मियों की कुदृष्टि और इसको नष्ट करने की कुत्सित मानसिकता को जड़ से उखाड़ फ़ेकने के लिए भारत हिंदू राष्ट्र की घोषणा वर्तमान समय की मांग है

https://twitter.com/PUSHPAKUMARIRA5/status/1693093449925640330?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19



5) आजादी के वक्त जो हमारे साथ हुआ पक्षाघात जिसका परिणाम आज हम देख सकते है लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे कार्य बढ़ रहे है, Towards The Goal अपने लक्ष तक

What You Say की भारत शोषित होता रहे 

क्या Public Opinion है आपका

#हिंदू_राष्ट्र

https://twitter.com/MahavirV1969/status/1693090818972684445?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


6) हिंदू बाहुल्य देश में हिंदुओं को जातियों में बांटा जा रहा है धर्मांतरण कराया जा रहा है हिंदू धर्म गुरु को झूठे केस में जेल भिजवाया जा रहा है 

Public Opinion देश धर्म और संस्कृति को बचाने के लिए भारत को #हिंदू_राष्ट्र घोषित करना चाहिए।

https://twitter.com/sushilsharmasrs/status/1693115731091869751?t=s_l3vOBIWezuKEtF7FG2ow&s=19


7) निसंदेह बड़ी दयनीय स्थिति है !

और जहां बहुसंख्यक हैं हिन्दू वहां भी कोई अच्छे हालात नहीं हैं...


इसलिए भारत को शीघ्रता से #हिंदू_राष्ट्र घोषित करने की अत्यंत आवश्यकता है।


8) जहां भी हिन्दू कम हुए हैं वहां हिंदूओं का नरसंहार और पलायन देखने को मिला है। सामाजिक समरसता और सौहार्द के लिए भारत को #हिंदू_राष्ट्र घोषित करना एकमात्र विकल्प है।

Public Opinion is that politics of appeasement is a big hurdle

https://twitter.com/KdEhYNu8iJDsLFx/status/1693101049232408619?t=KEn29N0Dy7xrVR5TZbsUuQ&s=19


9) 80% हिंदू बाहुल देश में हिंदुओं पर अत्यचार हो रहा है, धर्मांतरण करवाया जा रहा है,निर्दोष हिंदू संतों को झूठे केस में जेल में डाला जा रहा है।

देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए भारत का #हिंदू_राष्ट्र घोषित होना अत्यंत आवश्यक है।

https://twitter.com/chatursahu_/status/1693091856559804806?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


10) https://twitter.com/PriyaSi75173393/status/1693090828213002591?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


11) https://twitter.com/Jignesh15728/status/1693090418504958222?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


12) https://twitter.com/HindusthaniSher/status/1693096080760795646?t=KAvScdhkqmkAT-hR-wOkrA&s=19


🚩तो निसंदेह देश, धर्म और संस्कृति बचाने के लिए हिन्दू-राष्ट्र की अनिवार्य आवश्यकता है ।

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Saturday, August 19, 2023

रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व

 रक्षाबंधन शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पवित्र पर्व है।

राखी खरीदते हुए इतनी सावधानी अवश्य रखें.....



19 August 2023

http://azaadbharat.org



🚩भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन पर्व की बड़ी भारी महिमा है । इतिहास साक्षी है, कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं, फिर चाहे वो वीर योद्धा अभिमन्यु हों या स्वयं देवराज इंद्र । हर युग में इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।


🚩राखी मात्र एक सुंदर,सजीला धागा नहीं अपितु शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का ऐसा सुरक्षा कवच है, जिसे हम सनातनी अपने स्नेहीजनों को धारण करवाते हैं और संकल्प करते हैं कि हमारे अपने स्वस्थ्य, सुखी, प्रसन्न और सर्व प्रकार से सम्पन्न रहें । वो यशस्वी , तेजस्वी हो, त्रिलोचन हो , दीर्घायु हो और परम लक्ष्य को साधने में सफल हो जाएं।


🚩रक्षाबंधन के पर्व पर सभी हिन्दू बहनें राखियां खरीदती हैं। पर वो इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती हैं कि कहा से और किससे खरीदी कर रही हैं। राखी खरीदते हुए इतना अवश्य ध्यान दें , कि इस त्योहार में शुद्धता , पवित्रता और शुभ संकल्पों का बड़ा ही विशेष महत्व है, इसलिए...


🚩इस परम् पवित्र त्यौहार पर हम कहीं ऐसे विधर्मियों के यहां से तो रक्षासूत्र नहीं खरीद रहे हैं , जो कि आए दिन अपने अलावा अन्य मजहब वालों पर ( खासकर हिन्दुओं पर ) हिंसा करने वाले , मांस खाने वाले , खाद्यपदार्थों में थूककर अन्य लोगों का धर्म भ्रष्ट करने वाले हैं ।

क्योंकि ऐसे तो कई वीडियोज वायरल होते रहते हैं।

......ध्यान देने वाली बात यह है कि अशुभ , दूषित संकल्पों और अशुद्ध स्पर्श से वह रक्षासूत्र भी अपवित्र हो जाता है।


🚩 तो रक्षासूत्र सदैव हिन्दुओं की दुकान से ही खरीदें।


🚩हम यह भी जानते हैं, कि ये विधर्मी कभी स्वप्न में भी हिन्दुओं का हित करना तो दूर की बात, सोच भी नहीं सकते।बल्कि हिन्दुओ को नष्ट कर देना ही उनकी मंशा रही है।


🚩 जरा सोचिए...उनकी आमदनी बढ़ेगी तो वे कश्मीर और मेवात में हिंदुओं का जो हाल किया, वैसा ही हाल हमारे आपके शहरों में भी क्या नहीं कर देंगे।

इसलिए सभी बहनें इस बात का अवश्य ध्यान रखें और संकल्प लें ,कि मै॔ हिन्दुओं की दुकानों से ही पवित्र रक्षासूत्र खरीदूंगी।


🚩आप घर पर भी वैदिक रक्षा सूत्र बना सकते हैं।


🚩रक्षा सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य व प्रभाव असीम हो जाता है ।

 

🚩वैदिक राखी का महत्व :

 

🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है, कि सावन के महीने में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है ।

 

🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :

 

🚩दुर्वा, चावल, केसर ( या हल्दी पाउडर ), चंदन ( कुमकुम/रोली ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा । इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, गोमती चक्र आदि भी रखा जाता है । रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें ।

और लीजिए... आपकी " वैदिक राखी " तैयार हो गई ।


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधते समय वर्षभर हमारे अपनों की रोगों से , बुरे भावों से , बुरे कर्मों से रक्षा रहे’ , शुभता बढ़े , आनंद, उत्साह औदार्य ,दया , क्षमा जैसे सद्गुण बढ़ें और ईश्वर प्राप्ति की रुचि जग कर आत्मसाक्षात्कार की मंज़िल प्राप्त हो... ऐसे एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं ।


🚩राखी महंगी है या सस्ती, यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता, वरन् इस धागे के पीछे जितना निर्दोष प्रेम होता है, जितनी अधिक शुद्ध भावना होती है, जितना पवित्र संकल्प होता है, उतनी ही रक्षा होती है तथा उतना ही लाभ होता है। जो रक्षा की भावनाएँ धागे के साथ जुड़ी होती हैं, वे अवश्य फलदायी होती हैं, और रक्षा करती ही हैं। इसलिए भी तो इस पर्व को रक्षाबंधन कहते हैं।


🚩राखी का धागा तो 25-50 पैसे का भी हो सकता है, किंतु धागे के साथ जो संकल्प किये जाते हैं, वे अंतःकरण को तेजस्वी व पावन बनाते हैं। जैसे इन्द्र जब तेजहीन हो गये थे, तो शचि ने उनमें प्राणबल , मनोबल के भाव का रोपण कर दिया कि , ʹʹजब तक मेरे द्वारा बँधा हुआ धागा आपके हाथ पर रहेगा, आपकी ही विजय होगी, आपकी रक्षा होगी तथा भगवान की कृपा से आपका बाल तक बाँका नहीं होगा।”


🚩शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।


🚩आखिर में यही कहेगें की रक्षासूत्र हिन्दू भाई से ही खरीदें.....।


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Friday, August 18, 2023

स्वामी करपात्रीजी महाराज कौन थे ? गांधी परिवार को श्राप क्यों दिया था ? जानिए....


18 August 2023

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🚩सत्य के शोध के लिए स्वयं कृति कर समाज को दिशा देनेवाले करपात्री स्वामीजी हम सभी के लिए अत्यंत पूज्यनीय है। उनके नेतृत्व में वर्ष 1966 में हुआ गोरक्षा आंदोलन भारतीय इतिहास का सबसे बडा आंदोलन कहा जा सकता है। ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो।’ यह उनका घोष आज भी हिन्दूओं को प्रेरणा देता है।


🚩स्वामीजी का परिचय ही धर्मसम्राट, प्रकाण्ड विद्वान, गोवंश रक्षक ऐसे किया जाता है। स्वामी करपात्री जी महाराज का जन्म 1907 में उत्तरप्रदेश राज्य के प्रतापगढ जिले के भटनी गांव में रामनिधि ओझाजी के परिवार में हुआ।


🚩स्वामी जी को 8-9 वर्ष की आयु में ही सत्य का ज्ञान हो गया। उनको सांसारिक जीवन का मोह नही था, इसलिए विवाहित होते हुए भी वे तपस्या के लिए घर से निकल गए थे। स्वामीजी महाराज ने...

‘धर्म की जय हो...

अधर्म का नाश हो...

प्राणियों में सद्भाव हो...

विश्‍व का कल्याण हो...

यह जयघोष लोगों तक पहुंचाया। देश विदेश सभी जगहों पर उन्होंने सनातन धर्म के ज्ञान का प्रचार- प्रसार किया।


🚩स्वामी जी को करपात्री महाराज क्यों कहा जाता है ? इसका भी एक कारण है। स्वामी करपात्री जी महाराज ने तपस्या काल में ही पात्र का त्याग कर दिया था। दिन में केवल एक बार ही हाथ की

अंजली में जितना समाये, उतना ही भोजन लेकर वे ग्रहण करते थे । ‘कर’ अर्थात हाथ में भोजन करने के कारण ही इनका नाम " स्वामी करपात्री जी महाराज " प्रसिद्ध हुआ ।


🚩धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज नैष्ठिक ब्रह्मचर्यव्रत धारण कर हरिनारायण से हरिहर चैतन्य बने। 24 वर्ष की आयु में विद्यागुरु स्वामी श्री विश्‍वेश्‍वराश्रमजी के आग्रह के अनुसार ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य परम् तपस्वी 1008 स्वामी श्री ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज से विधिवत अनुग्रह तथा दण्ड धारण कर ‘हरिहरानंद सरस्वती’ नामग्रहण किया।


🚩संन्यास धारण करने के उपरांत ढाई गज कपड़ा तथा दो लंगोटी इतने ही उनके वस्त्र रह गए। इन्ही वस्त्रों में वर्षाकाल, ग्रीष्मकाल तथा शीतकाल इन तीनों ऋतुओं को सहन करना उनका स्वभाव बन गया था। गंगातट पर एकाकी झोपडी में निवास, घरों से भिक्षाग्रहण करना, 24 घंटे में एक बार भोजन करना तथा भूमिशयन करना, पदयात्रा करना और एक टांग पर खड़े होकर तपस्या की कठोर साधना करना, यह उनकी दिनचर्या बन गई थी। सारे संकटों का सामना करते हुए उन्होंने अपने धर्मनिष्ठ विचारों को हिन्दी तथा संस्कृत भाषा में प्रकट किया।


🚩धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज धर्म के ज्ञाता होने के साथ-साथ प्रकाण्ड पंडित भी थे। वेदार्थ पारिजात, रामायण मीमांसा, विचार पीयूष, मार्क्सवाद और रामराज्य आदि उनके ग्रंथ प्रचलित हैं।


🚩"वर्ष 1966 में स्वामी करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में हुआ गोरक्षा आंदोलन"

🚩महाराज जी द्वारा किए गए गौरक्षा आंदोलन को समझने से पहले उसकी पृष्ठभूमि समझेंगे। भारत की स्वतंत्रता के बाद विनोबा भावेजी ने पूर्ण गोवध बंदी की मांग रखी थी। उसके लिए कानून बनाने का आग्रह उन्होंने नेहरू से किया था। वो अपनी पदयात्रा में यह प्रश्‍न उठाते रहे। कुछ राज्यों ने गोवध बंदी के कानून बनाए। इसी बीच हिन्दू महासभा के अध्यक्ष निर्मलचन्द्र चटर्जी ने एक विधेयक वर्ष 1955 में प्रस्तुत किया। उस पर जवाहरलाल नेहरू ने लोकसभा में कहां कि...

‘‘मैं गोवधबंदी के विरुद्ध हूँ। सदन इस विधेयक को रद्द कर दे। राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि ऐसे विधेयक पर न तो विचार करे और न कोई कार्यवाही।’’


🚩इसके पश्‍चात वर्ष 1955-66 में प्रभुदत्त ब्रह्मचारी, स्वामी करपात्रीजी महाराज और देश के तमाम संतों ने इसे आंदोलन का रूप दे दिया। गोरक्षा का अभियान शुरू हुआ, जिसमें देशभर के संतों के साथ लाखों लोग सडकों पर आ गए।


🚩आंदोलन की गंभीरता को समझते हुए सबसे पहले जयप्रकाश नारायण ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र में ‘हिन्दु बहुल भारतदेश में गोहत्या प्रतिबंध कानून क्यों नही लाया जा सकता ?’ यह प्रश्‍न पूछा।


🚩इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण का यह परार्मश नहीं माना। परिणामस्वरूप सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान ने दिल्ली में विराट प्रदर्शन किया। दिल्ली के इतिहास का वह सबसे बडा प्रदर्शन था।


🚩भारत के इतिहास में गोवंश की रक्षा के लिए उठा आंदोलन इंदिरा गांधी द्वारा कुचला गया।


🚩इंदिरा गांधी स्वामी करपात्रीजी और विनोबाजी को बहुत मानती थी, ऐसा कहा जाता है।

चुनाव सामने थे,

...कहते हैं कि इंदिरा गांधी ने करपात्रीजी महाराज से आशीर्वाद लेकर वचन दिया था, कि चुनाव जीतने के बाद अंग्रेजों के समय से चल रहे गायों के सारे कत्लखाने बंद हो जाएंगे।

इंदिरा गांधी चुनाव जीत भी गई, परंतु कई दिनों तक इंदिरा गांधी स्वामीजी की बात टालती रही। ऐसे में स्वामी करपात्रीजी को आंदोलन का रास्ता अपनाना पडा।


🚩उस समय करपात्रीजी महाराज शंकराचार्य के समकक्ष देश के मान्य संत थे। लाखों साधु-संतों ने उनका साथ देकर कहां की यदि सरकार गोरक्षा का कानून पारित करने का कोई ठोस आश्‍वासन नहीं देती है, तो हम संसद को चारों ओर से घेर लेंगे। फिर न तो कोई अंदर जा पाएगा और न बाहर आ पाएगा।


🚩संतों ने 7 नवंबर 1966 को संसद भवन के सामने धरना शुरू कर दिया। जिसमें शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ, स्वामी करपात्रीजी महाराज और रामचन्द्र वीर आगे थे। करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में जगन्नाथपुरी, ज्योतिष पीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य, वल्लभ संप्रदाय के सातों पीठों के पीठाधिपति, रामानुज संप्रदाय, माधव संप्रदाय, रामानंदाचार्य, आर्य समाज, नाथ संप्रदाय, जैन, बौद्ध व सिख समाज के प्रतिनिधि व सहस्रों की संख्या में मौजूद नागा साधुओं सहित संतजन इस आंदोलन में सहभागी हुए थे, जिसमें 10 से 20 हजार तो केवल महिलाएं ही थीं। लाल किला मैदान से आरंभ हुई पदयात्रा संसद भवन तक निकली। इस आंदोलन के प्रति लोगों के मन में इतना श्रद्धा थी , कि रास्तों पर अपने घरों से लोग फूलों की वर्षा कर रहे थे।


🚩कहते हैं , कि पदयात्रा संसद भवन पर पहुंच गयी और संत समाज के संबोधन में आर्य समाज के स्वामी रामेश्‍वरानंद भाषण देने के लिए खडे हुए। उन्होंने कहा कि यह सरकार बहरी है। यह गोहत्या को रोकने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाएगी। इसे झकझोरना होगा.....


🚩संत रामचन्द्र वीर ने आमरण अनशन चालू कर दिया। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण पद्धति से आंदोलन कर रहे थे। उनमें भारी संख्या में महिलाएं बच्चों के साथ सम्मिलित थीं। अचानक कुछ शरारती तत्त्वों ने ट्रांसपोर्ट भवन के पास कुछ वाहनों को आग लगा दी। यह घटना देखते ही संसद के दरवाजे तुरंत बंद कर दिए गए और चारों तरफ धुआं उठने लगा।


🚩जब इंदिरा गांधी को यह सूचना मिली, तो उन्होंने निहत्थे करपात्री महाराज और संतों पर गोली चलाने के आदेश दे दिए। पुलिस ने लाठी और अश्रुगैस चलाना शुरू कर दिया। इससे चीढ़कर भीड आक्रामक हो गई। इतने में अंदर से गोली चलाने का आदेश हुआ और पुलिस ने संतों और गोरक्षकों की भीड पर अंधाधुंध गोलियां बरसायीं। उस गोलीकांड में सैकडों साधु और गोरक्षक शहीद हुए ।


🚩दिल्ली में कर्फ्यू लगा दिया गया। संचार माध्यमों को सेंसर कर दिया गया और हजारों संतों को तिहाड़ जेल में डाल दिया गया। इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारीलाल नंदा ने अपना त्यागपत्र दे दिया और इस कांड के लिए खुद एवं सरकार को जिम्मेदार बताया।


🚩इधर संत रामचन्द्र वीर अनशन पर डटे रहे, जो 166 दिनों के बाद उनकी मृत्यु के बाद ही समाप्त हुआ था। देश के इतने बडे घटनाक्रम को किसी भी राष्ट्रीय अखबार ने छापने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह वार्ता केवल मासिक पत्रिका ‘आर्यावर्त’ और ‘केसरी’ में छपी थी। कुछ दिन बाद मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ ने अपने गौ अंक विशेषांक में विस्तारपूर्वक इस घटना का वर्णन किया था।


🚩गौहत्या बंद करने के प्रबल समर्थक स्वामी करपात्री जी महाराज ने इंदिरा गांधी को श्राप दिया, जो सच हो गया। वर्ष 1966 में इंदिरा गांधी ने संतों के ऊपर गोलियां चलवा दी, जिसमें 250 संत मारे गए। वह गोपाष्टमी का दिन था। जो गौ-पूजा का सबसे बड़ा दिन होता है। इस घटना के बाद स्वामी करपात्रीजी के शिष्य बताते हैं कि करपात्रीजी ने इंदिरा गांधी को श्राप दे दिया कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने निहत्थे साधु-संतों और गोरक्षकों पर अंधाधुंध गोलीबारी करवाकर मारवाया है, उसका भी हश्र यही होगा।


🚩कहते हैं, कि संसद के सामने साधुओं की लाशें उठाते हुए करपात्री महाराज ने अश्रुपात करते हुए ये श्राप दिया था। जो बात आगे चलकर सही साबित हुई ।


🚩स्वामी करपात्री जी महाराज का महानिर्वाण माघ शुक्ल चतुर्दशी ( 7 फरवरी, 1982 ) को हुआ। केदार घाट, वाराणसी में स्वेच्छा से उनके पंचप्राण महाप्राण में विलीन हो गए। उनके आदेशानुसार उनके परम् पावन नश्‍वर शरीर को केदार घाट स्थित , श्री गंगा महारानी की पवित्र गोद में जल समाधी दी गई। आज उनके द्वारा आरंभ किए गौरक्षा आंदोलन को पूर्णत्व देने के लिए हिन्दू राष्ट्र के सिवा और कोई पर्याय है ही नहीं ।


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Thursday, August 17, 2023

ऋषि मुनियों के देश में साधुओं की हो रही है भयंकर तरीके से हत्याएं

  


17 August 2023

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🚩राष्ट्र विरोधी ताकतों ने देखा कि अगर भारतीय संस्कृति को खत्म करना है तो सबसे पहले उनके रक्षक साधु-संतों के प्रति लोगों की श्रद्धा खत्म करो जिसके लिए मीडिया द्वारा बदनाम करो या झूठे केस द्वारा जेल भिजवा दो अथवा हत्या कर दो जिससे आसानी से हिन्दू संस्कृति को खत्म करके धर्मान्तरण कर सकें एवं जिहाद फैला सकें और मंदिर की जगा चर्च या मस्जिद बनाकर उनका धर्म आसानी से फैला सकें ।

 

🚩बर्बरता से की साधू की हत्या 


🚩राजस्थान के नागौर में 70 साल के संत मोहन दास की चाकू मारकर हत्या किए जाने का मामला सामने आया है। उनका शव आश्रम के फर्श पर पड़ा था। खून बिखरे हुए थे। हाथ-पैर रस्सी से बँधे थे। मुँह और आँखों पर पट्टी थी। यह आश्रम कुचामन थाना क्षेत्र के रसाल गाँव में स्थित है। हरिराम बाबा की बगीची नामक इस आश्रम के भैरो बाबा मंदिर में संत मोहन दास 14 साल से सेवा कर रहे थे।


🚩संत की हत्या की खबर लोगों को सोमवार (14 अगस्त, 2023) की सुबह पता चली। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार की सुबह करीब 8 बजे नर सिंह नाम का एक श्रद्धालु आश्रम गए। उन्हों संत मोहन दास को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जब वे मंदिर के पीछे बरामदे की तरफ गए तो वहाँ संत का शव बिस्तर के पास फर्श पर पड़ा मिला। शव के पास ही खून बिखरा हुआ था। उन्होंने तुरंत गाँव वालों को सूचना दी। इसके बाद करीब 8.30 बजे सुबह पुलिस मौके पर पहुँची।


🚩चाकू घोंपकर संत की हत्या


🚩पुलिस ने प्रारंभिक जाँच के बाद बताया हो कि हत्या रविवार (13 अगस्त, 2023) रात को हुई। उनके शरीर पर धारदार हथियार के कई निशान पाए गए हैं। मोहन दास के परिजनों ने हत्या के इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। मोहन दास के भतीजे त्रिलोक राम और बाकी परिजनों ने आरोपितों को जल्द से जल्द पकड़ने की माँग की। उनका कहना है कि जब तक पुलिस दोषियों को गिरफ्तार नहीं करती है, तब तक वे शव नहीं लेंगे।


🚩भतीजे त्रिलोक राम ने पुलिस को बताया कि रविवार रात 8 बजे तक मोहन दास गाँव वालों के साथ बातचीत कर रहे थे। इसके बाद वह सोने के लिए अपने कमरे में चले गए। गाँव वाले भी बगीची से अपने घर की ओर चले गए। आश्रम में रात में उनके अलावा कोई नहीं था। सुबह नर सिंह से पता चला कि उनकी डेड बॉडी मिली है।


🚩जाँच में जुटी पुलिस...


🚩जिला एसपी प्रवीण कुमार ने बताया कि शुरुआती जाँच में चोरी के मकसद से हत्या का मामला लग रहा है। संत के परिजनों ने शिकायत दी है। फिलहाल आरोपितों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। जाँच की जा रही है। जल्द ही खुलासा किया जाएगा।


🚩गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में साधु, संतों और पुजारियों पर हमले की घटनाओं में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। अप्रैल में सबसे पहले पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग का मामला सामने आया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नांदेड़ में लिंगायत समाज के साधु की हत्या हुई थी। कुछ दिनों बाद वृंदावन में साधु तमालदास के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। बिहार में भी कजरा थाना क्षेत्र के श्रृंगी ऋषि धाम के पुजारी नीरज झा की हत्या कर उनके शव को जंगल स्थि‍त हनुमान थान के समीप फेंक दिया गया था। इनके अलावा यूपी के सुल्तानपुर, संभल में भी इसी तरह के हमले देखने को मिले थे।

 

🚩भारतीय संस्कृति महान एवं प्राचीन है लेकिन राक्षसी स्वभाव के लोगों को सनातन संस्कृति कांटे की नाई चुभ रही है इसलिए इसे नष्ट करने के लिए अनेक कुठाराघात किये पर अभी भी सनातन संस्कृति अडिग है क्योंकि इस संस्कृति के रक्षक स्वयं भगवान एवं साधु-संत हैं, जिसकी वजह से ऐसे घोर कलिकाल में भी करोड़ों लोगों की आस्था साधु-संतो के प्रति है और वे सनातन संस्कृति को लोगों के दिल मे प्रगटाते रहते हैं जिसके कारण दुष्ट स्वभाव के लोग सफल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए साधु-संतों की हत्या कर देते है अथवा झूठे केस में जेल भेजवा देते हैं। जैसे की हिंदू संत आशाराम बापू राष्ट्र , संस्कृति और समाज की सेवा तन मन धन से करते थे इसलिए उन्हें झूठे केस में फंसाकर मीडिया में बदनाम करके जेल पहुंचा दिया ।


🚩हिन्दुओं को संगठित होकर अपने साधु-संतों पर हो रहे षड्यंत्र का विरोध करना चाहिए, तभी हिन्दू संत और संस्कृति सुरक्षित रह पाएंगे ।


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Wednesday, August 16, 2023

अपने देश व सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु कटिबद्ध नहीं तो फिर उनका जीना ही बेकार है..

16 August 2023


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🚩शाम की रुपहली किरणें हमारे साथ की सीमा के बाहर झांक रहीं थीं, किन्तु हमारे भाग्य में उन्हें देखना बदा न था। 15 अगस्त से पूर्व तो हम अपने शहर से एक मील स्टेशन तक सैर को जा सकते थे, किन्तु इधर उधर के अप्रत्याशित कत्लों के भय ने हमें वहां से खींच कर शहर से केवल एक फर्लांग की दूरी पर, नहर की पटरी पर ला पटका। सायंकाल के 5 बजते ही लोग 50-60 की टोलियां बना कर नहर की पटरी तक आते। पुल के किनारे पर बैठते। सामाजिक चर्चा करके फिर जेल के कैदी के समान दिया जलने से पूर्व ही लौट आते व अन्धेरा होते ही शहर के चारों दरवाजे बन्द हो जाते थे।


🚩शहर की बनावट ही विचित्र बनाई है। इस जैसा एक रूप में बना शहर और शायद कहीं हो तो हो चौक में खड़ा मनुष्य सारे शहर को एक ही नजर में देख सकता है। गली के बिल्कुल सामने गली। शहर के चारों ओर परकोटा। वह एक ऐसी स्थिति थी जो इस भयानक तम वातावरण में भी हमें शत्रुओं के आक्रमणों से बचाये हुए थी। सारा दिन भय और चिन्ता में बीतता था, तो रात्रि ‘खबरदार और होशियार’ के नारों से गुंजित रहती थी। शत्रु की दृष्टि में हम पूर्णतया अपनी रक्षा में समर्थ और उसे नीचा दिखाने की क्षमता रखते थे। वह तो भगवान् ही जानता है कि हमारी कितनी तैयारी थी और हम कितने पानी में थे।


🚩रोज रक्षा समितियां होती थीं, किन्तु बातों ही बातों में शहर के कर्णधार समय व्यतीत करके अपने घरों को चले जाते थे। इतना कुछ होते हुए भी चन्द एक युवकों के उत्साह के बल पर हम स्थानीय मुसलमानों से हार जाने वाले नहीं थे, ऐसी धारणा शत्रु और मित्र पक्ष की थी।


🚩मुसलमानों के श्रम और स्थानीय हिन्दू अधिपतियों की गाढ़ी निद्रा तथा पाकिस्तानी योजना की अर्थ प्रणाली के फलस्वरूप हमारी विपत्ति की एकमात्र रक्षिका हिन्दू सेना भी हमें भगवान् के सहारे छोड़ करके चली गई थी। म्युनिसिपल कमेटी का कार्य अस्त-व्यस्त हो चुका था। पूर्व कार्यकर्ता काम छोड़ बैठे थे। सफाई का तनिक मात्र भी प्रबन्ध नहीं था। खास शहर क्षेत्र भी चलते-फिरते मनुष्यों से भरे नर्ककुण्ड से भी निकृष्टतर हो चुका था। इर्द गिर्द के देहात के अशिक्षित लोगों के आ जाने के कारण सफाई की प्रणाली और भी बिगड़ चुकी थी। वह बच्चों को शौच निवारणार्थ नालियों में ही बिठा देते थे। इन नालियों की सफाई का कार्य भी शहर के प्रतिष्ठित सज्जनों को करना पड़ता था। ऐसी अवस्था को देख करके याद आ जाती थी, जबकि स्वर्गीय अमर शहीद बापू अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ अपने हाथों में झाड़ू और सिर पर गन्दगी की टोकरी उठाये सफाई करते दिखाई देते थे। मकानों को साफ करने वाले मुसलमान भंगी एक समय के १) और २) तक वसूल करते थे। जिन्हें दो समय भरपेट भोजन भी दुर्लभ था, वे इस रकम को कैसे भरते ?


🚩ऐसी विकट परिस्थिति थी, सारा शहर पाकिस्तान छोड़कर हिन्दुस्तान आने को कमर कसे बैठा था। हमारा सब सामान पाकिस्तान की सम्पत्ति समझी जाती थी। मुस्लिम नेशनल बोर्ड के लगातार प्रचार के अतिरिक्त भी हमारे घर की नई मशीनें ३५) को बिक रही थीं। कईयों का सौदा तो १५) और २०) पर भी आ निपटता था। साईकल २०) को और सजाने की शीशें वाली मेजें ३) तक को उठ जाती थीं। कुर्सी १), पलंग ५) और ट्रक आठ आने तक में प्रत्येक घर से मिन्नतों और धन्यवादों से मिल जाता था। ख़ालिस घी १) सेर और चीनी तीन आने में बिक रही थी। कपड़ों और गेहूं को लोग गरीबों में मुफ्त बांट करके परम सन्तोष अनुभव करते थे। चारों ओर, “अंधेर नगरी चौपट राजा। टके सेर भाजी टके सेर खाजा।।” का राज्य छाया हुआ था। ऐसी परिस्थिति में भला कौन वहां रहना चाहता।


🚩पहली स्पेशल गाड़ी आ गई, तो जूते की तह से लेकर के पगड़ी के छोर तक सब कुछ टटोला गया। स्त्रियों के गुप्तांगों को भी, स्त्री वेषधारी कामुकों ने तलाशी लेकर हिन्दू शरीरधारी मानव को मुस्लिम वेष में फिरते नर पशु ने तीन ही वस्त्रों में भेजा। इसमें वे करोड़पति भी थे जोकि आज तक भूमि पर पैदल भी न चले थे। आहें लेती और सिसकियां भरती सन्तानों को अपने तीन वस्त्रों में छिपाये भारत की शान देवी पाकिस्तान को हमेशा के लिए प्रणाम करके भारत को चल पड़ी।


🚩दूसरी और तीसरी स्पेशल गाड़ी के बीच शहर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। तीसरी स्पेशल के आने से पन्द्रह दिन पूर्व हमारा शहर से निकलना पूर्णतया बन्द हो चुका था। प्रति शुक्रवार शहर में नमाज के लिए हज़ारों मुसलमानों के धड़-धड़ घुस आने पर हमारा सारा दिन मौत की घड़ियां गिनते बीतता था। लोग अपने-अपने तख़्तपोशों पर और गलियों के सिरों पर मोर्चा बना करके बैठे रहते थे। माताएं और बहिनें घर में भगवान् का नाम लेकर के हमारे सकुशल घर पहुंचने की प्रार्थनाएं किया करती थीं। शहर की आधे से अधिक स्त्रियों के पास सांघातिक विष था, जो किसी भी समय आने वाली मुसीबत में संकटमोचन का काम देता।


🚩आखिर वह संख्या आ ही पहुंची, जब कि सबने सुना कि कल 3500 मनुष्यों की एक स्पेशल ट्रेन भारत की ओर जावेगी। टिकट बंट गए ताकि लोग अधिक न आ सकें। सारी रात जागकर लोग तैयारी करते रहे क्योंकि आने वाला प्रातःकाल उनके दुःखों को नष्ट करने के हेतु स्वरूप लुभावना दीख रहा था। सारी रात जागते कटी। रात को यह अफ़वाह फैल गई कि कल बैलगाड़ियां और तांगे स्टेशन की ओर नहीं जायेंगे इसलिए सामान जितना संक्षिप्त किया जा सकता था, किया गया। इंतज़ार की घड़ी लम्बी होती है, पर फिर वह भी आ ही पहुंची।


🚩प्रातः 5 बजे मुझे चाचा जी ने बुलाया, जो कि कमेटी के प्रधान थे और कहा- ‘मुझे एक विश्वस्त सूत्र से ज्ञात हुआ है, कि इस गाड़ी के साथ एक षड्यन्त्र है, अतः तुम मत जाओ।’


🚩‘मैं बच्चों का बिलखना सुन चुका था। दूध उन्हें मिल नहीं रहा था। ताजी सब्जी के दर्शन दुर्लभ थे। मैं टूट चुका था। गली में स्थान-स्थान पर पड़े कूड़े के ढेरों को देखकर प्रति समय हैजा का भय सताता था। शत्रु के आक्रमण की चर्चा और बलोच सेना के मनमाने अत्याचार हमारी दिन और रात की रोटी का रस सुखाये चले जा रहे थे। ऐसी परिस्थिति में मैंने भी उद्दण्ड सन्तान के समान आज्ञा का उल्लंघन करते हुए जवाब दे ही तो दिया, यहां के घुल-घुल करके मरने से रास्ते में ही कहीं पर मर जाना श्रेयस्कर है।’


🚩इस पर चाचा जी ने मुझे आशीर्वाद दिया और कहा ‘भगवान् तुम्हारा भला करे।’ उनकी चरण रज ले करके हम शहर से बाहर निकले। आठ ट्रक और आठ बिस्तरे तीन परिवारों के थे। बैलगाड़ी पर एक मील के ८०) भर कर हम स्टेशन की ओर चले। पहले स्पेशल रात्रि के समय ही पहुंच जाती थी, किन्तु यह 11 बजे दोपहर को आयी। हमने सारी गाड़ी को झांक डाला, किन्तु हिन्दू सेना का निशान कहीं पर भी न मिला।


🚩सेना-नायक अपनी बलोच सेना को रास्ते का प्रोग्राम समझा रहा था और मन अन्दर से धक्-धक् कर रहा था। आने वाला भय मिश्रित समय हमारे अन्दर निराशा का आसव उड़ेल रहा था। मुस्लिम सेना हिन्दू नवयुवकों को जबरन बाहर निकाल-निकाल करके गाड़ी की छत पर बिठा रही थी। उनकी वे हरकतें हमारे अन्दर छिपे भय को और भी बढ़ा रहीं थीं। हम द्विविध में थे। इधर आग और उधर खाई। हम मन मसोड़कर ही बैठे रहे। मुस्लिम सेना के सैनिक अभी अन्दर घुसने को ही थे कि दूर से हमें एक ट्रक आता दिखाई दिया। उनमें से निकलते मरहट्टा सैनिकों के चेहरों को देख करके सबके सूखे मुख-कमल आशा और प्रसन्नता से निखर उठे। हमने समझा बस अब संकट कट गया, किन्तु हमें क्या पता था कि फूलों के नीचे विषधारी सर्प कुण्डली मारे बैठा है। राख के नीचे सुलगती चिंगारी सबको भस्म करने के लिए अभी जल रही हैं। अमृत मुख पट के अन्दर हलाहल विष छिपा पड़ा है।


🚩फिर भी सब प्रसन्न थे। सबके छिपे चेहरे खिड़की के बाहर झांक रहे थे। बच्चे हँस रहे थे और स्त्रियां सुखमयी वार्ता में लीन थीं। कोई डेढ़ बजे के करीब हम शुजाबाद को अन्तिम प्रणाम करके चल पड़े। हमारे मन में जन्मभूमि का प्रेम उमड़ पड़ा। तब बिलख-बिलख कर रो रहे थे और बिस्मिल के वह शब्द गुनगुना रहे थे...

दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,

ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं।


🚩गाड़ी अपना रास्ता तय करती चली जा रही थी। शुजाबाद के चौथे स्टेशन पर गाड़ी एक घण्टे के लिए रुकी और उसने दिशा परिवर्तन किया। सबने नलकों से पानी भरा। गाड़ी चल पड़ी। प्रत्येक स्टेशन पर सशस्त्र धर्मांध मुस्लिम सैकड़ों और हज़ारों की संख्या में प्लेटफॉर्म पर ठहरे हमारा स्वागत करते थे। वह सचमुच उन जंगली पशुओं के समान दीख रहे थे, जोकि हिंस्रवृत्ति में उलझे हुए अपने सामने शिकार को आता देख करके अपने से अधिक बलवान् को सामने देखकर दांत पीसकर के रह जाते हैं, ठीक वह दशा उनकी थी। इसी तरह करते-कराते हम (साढ़े आठ) 8:30 बजे पाकपटन स्टेशन पर पहुंचे, जहां पर कि हमारे भाग्य का निश्चय होना था।


🚩यहां पर आकर हिन्दू सेना उतर गई और उसकी जगह पर बलोच सेना के सिपाही अपने कंधे पर संगीनों वाली बन्दूकों को लटकाये आ पहुंचे। उनके आगमन के साथ ही स्टेशन पर का सब पानी बन्द हो गया। बच्चे प्यास से कराह उठे। साढ़े 3 घण्टे एडमिन भी स्टेशन से दूर रहा। हमें क्या पता था कि पानी लेने के बहाने वह हमारे खून लेने का षड्यन्त्र रच रहा था। रात के ठीक 12 बज कर पांच मिनिट पर हमारी गाड़ी पाकपटन की सीमा को पार करती हुई, हमारे दुर्भाग्य पर धुआं उड़ाती हुई चल पड़ी। ठीक 12 बज कर दस मिनिट पर पाकपटन और उसमानवाला स्टेशन के बीचों-बीच मिन्ट गुमरी जिले को आबाद करने वाली, हमारे लिए “अल्लाहो अकबर” और “या अली” तथा “काफ़िरों को मारो” का संदेशा लेकर बहने वाली नीलवाह नदी के किनारे पर आकर के हमारी गाड़ी रुक गई। छुरियों, कुल्हाड़ियों, तेगों और दूसरे प्रकार के शस्त्रों का ताण्डव नृत्य होने लगा। हम कोई आधा घण्टा मृत्यु की छत्रछाया में पड़े करवटें बदलते रहें। गाड़ी के किवाड़ों और खिड़कियों के तख़्ते नहीं थे। सबने उनके आगे ट्रंकों और बिस्तरों को रखकर अन्दर से बन्द कर दिया। जिन्होंने आज तक भगवान का नाम नहीं लिया था, वे भी अविराम गति से “राम”, “कृष्ण” और “ओ३म्” का जाप करने लगे। स्त्रियां, पतियों और बच्चों की सलामती की मनौतियां मना रही थीं। चंद स्वार्थी नरपिशाच यहां पर भी रक्षा के नाम पर चोर बाजारी धन बटोर रहे थे। हमें बाहरी दुनिया का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं था। हम तो केवल यही जानते थे कि 12 बजकर 30 मिनिट पर गाड़ी चली और उसमानवाला स्टेशन पर पहुंची, जहां पर कि सुबह छः बजे तक ठहरी रही। वह साढ़े 5 घण्टे हमारे उस कैदी के समान गुज़र रहे थे, जिनको किसी समय भी फांसी की सजा मिल जाये। यहां पर आकर हमें पता चला कि हमारी गाड़ी के तीन छकड़ों के आदमी बिल्कुल समाप्त कर दिए गए हैं।


🚩पशुता का ताण्डव...

🚩मेरे पास एक बच्चा आया, जिसकी आयु 5 वर्ष थी। वह प्लेटफॉर्म पर मेरा नाम लेकर चिल्ला रहा था । जब उसे मेरे पास पहुंचाया गया, तो वह रो रहा था। उसकी सिसकियों में एक करुण क्रन्दन था- ‘मेरे माता-पिता मर गये हैं, मेरे भाईयों और बहिनों को किसी ने कुल्हाड़ी से काट डाला है।’ कितना मर्मस्पर्शी दृश्य था वह, जिसे देखकर वहां पर बैठी सभी स्त्रियां फफक फफक कर रो रही थीं। हम उसे धैर्य बंधा रहे थे , किन्तु हमारी आंखें गंगा-जमुना बन रही थीं।


🚩जाको राखे साइयां...

🚩इसी प्रकार एक घटना हुई ,अगले छकड़े में एक लड़की जिसकी आयु 14 वर्ष की थी दौड़ती हुई चिल्ला रही थी ‘भगवान् मुझे बचाओ।’ चन्द नवयुवकों ने उसे गाड़ी में खींच लिया। वह नंगी थी, उसे कपड़े दिए गए। उसके मुख पर एक निशान था, जो जबरदस्ती लड़कर छूटने में हुआ था। चन्द कामुक मुसलमानों के चुम्बन का घाव उसके मुख पर था, जिससे खून निकल रहा था।


🚩6 बजे हमारी गाड़ी चली और दोपहर को निर्विघ्न कसूर पहुंच गई। वहीं भारत और पाकिस्तान से आने वाली गाड़ियों का अड्डा था । उसमानवाला और कसूर के बीच सही सलामत यात्रा करने का श्रेय हम अपने शहर के तहसीलदार और एक राना शफ़ी अहमद को देते हैं, जिन्होंने पाकपटन से कसूर इस आशय का तार दे दिया था कि ‘हमने सारी गाड़ी नष्ट कर दी है’। उसमानवाला स्टेशन पर छः घण्टे की रुकावट ने हमें उस सारे प्रोग्राम से बचा दिया, जो कि रास्ते में हमारे विनाश की घड़ियां गिन रहा था। ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ फिर भी हम 3500 मनुष्यों में से 600 को गवां करके अश्रुओं का हार पहिने कसूर पहुंचे।



🚩वहां पर भी भाग्य हम पर अठखेलियां कर रहा था। 2 बजे दोपहर को कोई 5000 सशस्त्र आक्रान्ताओं ने हम पर हमला कर दिया। इनके साथ 137 बलोच सैनिक भी थे जिनके पास युद्ध का सब आधुनिक सामान था। हमारे साथी थे भगवान और 36 मरहट्टे सैनिक, जिन्होंने दो की आहुति देकर के हमारी रक्षा की। यहां पर हमारे 150 आदमी मरे। छः घण्टे लगातार हम गोलियों की बौछार के नीचे पड़े रहे। हमें दुनिया की सुध-बुध नहीं थी। हम अपने आपको उस परब्रह्म पर छोड़ चुके थे जिससे मिलाने के लिए यह गोलियां हमारे ऊपर साय साय करके चल रही थीं। रात भी सर पर आ पहुंची। आक्रमणकर्ता वापिस चले गये। हम भी अन्धकारमयी रजनी में मुर्दों को सिरहाना बना कर लहू की शैय्या पर पड़े रहे। इसका भान हमें तब हुआ, जब कि हम प्रात:काल जागे और अपने सारे वस्त्रों को लहू में घिरा देखा। बरबस मेरे मुख से निकला- “दुर्भाग्य! कभी तो सफेद वस्त्र पर दो धब्बे खून के देखकर न्यायाधीश मनुष्य को फांसी पर चढ़ा देता था और कहां आज खून से हम चारों ओर लिपटे हुए हैं। किन्तु न्याय नदारद!”


🚩प्रातः 7 बजे ट्रक आये, जो हमें सतलज से पार भारत की सरहद में ले गये । हमने दस माह के बाद अपने मुख से नारा लगाया- “हिन्दुस्तान, जिन्दाबाद”


            लेखक : श्री इन्द्रकुमार विद्यार्थी

            प्रस्तुति : प्रियांशु सेठ [‘वीर अर्जुन’ (साप्ताहिक) के १९४८ अंक से साभार]



🚩इस लेख को पढ़ने के बाद भी जो देशवासी अपने देश की संस्कृति व देशहित के लिए कार्य नही करता है तो फिर उनका जीना भी बेकार है।

देश को तोड़ने वाली ताकतों से अपने देश को बचाने के लिए हर हिन्दुस्तानी को सतर्क रहना ही होगा।


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