Monday, February 24, 2025

क्या आपको पता है उन्नीसवीं सदी में करोड़ों को ग्रसने वाली हैजा का इलाज किसने ढूंढा? नहीं न!!!

 24 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩क्या आपको पता है उन्नीसवीं सदी में करोड़ों को ग्रसने वाली हैजा का इलाज किसने ढूंढा?

नहीं न!!!


🚩आइए उस गुमनाम नायक के बारे में जानते हैं।


🚩"सन 1817"

1817 में विश्व में एक नई बीमारी ने दस्तक दी।


🚩नाम था "ब्लू डेथ"


ब्लू डेथ यानी  "कॉलेरा", जिसे हिंदुस्तान में एक नया नाम दिया गया........"हैजा"।


🚩हैजा विश्व भर में मौत का तांडव करने लगा और इसकी चपेट में आकर उस समय लगभग  1,80,00,000 (एक करोड़ अस्सी लाख) लोगों की मौत हो गई। दुनिया भर के वैज्ञानिक हैजा का इलाज खोजने में जुट गए।


🚩"सन 1844"

रॉबर्ट कॉख नामक वैज्ञानिक ने उस जीवाणु का पता लगाया जिसकी वजह से हैजा होता है और उस जीवाणु को नाम दिया वाइब्रियो कॉलेरी ।

रॉबर्ट कॉख ने जीवाणु का पता तो लगा लिया लेकिन वह यह पता लगाने में नाकाम रहे कि वाइब्रियो कॉलेरी को कैसे निष्क्रिय किया जा सकता है।


🚩हैजा फैलता रहा... लोग मरते रहे और इस जानलेवा बीमारी को ब्लू डेथ यानी "नीली मौत" का नाम दे दिया गया।


🚩"1 फरवरी 1915"

पश्चिम बंगाल के एक दरिद्र परिवार में एक बालक का जन्म हुआ। नाम रखा गया "शंभूनाथ"।

शंभूनाथ शुरुआत से ही पढ़ाई में अव्वल रहे और उन्हें  कोलकाता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल गया। डॉक्टरी से अधिक उनका रुझान "रिसर्च" की ओर था। इसलिए 1947 में उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन  के  कैमरोन लैब में पीएचडी  में दाखिला लिया।

मानव शरीर की संरचना पर शोध करते समय शंभूनाथ डे का ध्यान हैजा फैलाने वाले जीवाणु  वाइब्रियो कॉलेरी की ओर गया।


🚩"1949"

मिट्टी का प्यार शंभूनाथ डे को वापस हिंदुस्तान खींच लाया। उन्हें कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग का निर्देशक नियुक्त किया गया और वे महामारी का रूप ले चुके हैजा का इलाज ढूंढने में जुट गए।

बंगाल उस समय हैजा के कहर से कांप उठा था। अस्पताल हैजा के मरीजों से भरे हुए थे।


🚩1844 में रॉबर्ट कॉख के शोध के अनुसार

 जीवाणु व्यक्ति के सर्कुलेटरी सिस्टम (खून) में जाकर उसे प्रभावित करता है। दरअसल, यहीं पर रॉबर्ट कॉख ने गलती की, उन्होंने कभी सोचा ही नहीं कि यह जीवाणु व्यक्ति के किसी और अंग के ज़रिए शरीर में ज़हर फैला सकता है।


🚩"1953"

शंभूनाथ डे ने अपने शोध से विश्व भर में सनसनी फैला दी।


उनके शोध से पता चला कि वाइब्रियो कॉलेरी खून के रास्ते नहीं बल्कि छोटी आंत में जाकर एक टॉक्सिन (जहरीला पदार्थ) छोड़ता है। इसकी वजह से इंसान के शरीर में खून गाढ़ा होने लगता है और पानी की कमी होने लगती है।


🚩"1953"

शंभूनाथ डे का शोध प्रकाशित होते ही ओरल डिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) को विकसित किया गया। यह सॉल्यूशन  हैजा का रामबाण इलाज साबित हुआ। हिंदुस्तान और अफ्रीका में इस सॉल्यूशन के जरिए लाखों मरीजों को मौत के मुँह से निकाल लिया गया।


🚩"अंतर्राष्ट्रीय पहचान लेकिन राष्ट्रीय उपेक्षा"


विश्व भर में शंभूनाथ डे के शोध का डंका बज चुका था। परंतु उनका दुर्भाग्य था कि वह शोध भारत भूमि पर हुआ था। लाखों-करोड़ों लोगों को जीवनदान देने वाले शंभूनाथ को अपने ही राष्ट्र में सम्मान नहीं मिला।


🚩शंभूनाथ आगे इस जीवाणु पर और शोध करना चाहते थे, लेकिन भारत में संसाधनों की कमी के चलते नहीं कर पाए।


🚩उनका नाम एक से अधिक बार नोबेल पुरस्कार के लिए भी दिया गया। इसके अलावा, उन्हें दुनिया भर में सम्मानों से नवाजा गया, लेकिन भारत में वह एक गुमनाम शख्स की ज़िंदगी जीते रहे।


🚩"शंभूनाथ डे - एक भूला बिसरा नायक"


शंभूनाथ की रिसर्च ने  ब्लू डेथ के आगे से "डेथ" (मृत्यु) शब्द को हटा दिया। करोड़ों लोगों की जान बच गई। इतनी बड़ी उपलब्धि के पश्चात भी वह "राष्ट्रीय नायक" ना बन सके। न किसी सम्मान से नवाजे गए, न सरकार ने सुध ली।


यही नहीं, करोड़ों लोगों की ज़िंदगी बचाने वाले इस राष्ट्रनायक के विषय में हमें पढ़ाया तक नहीं गया।


"हमें अपने असली नायकों को पहचानना होगा। उन्हें सम्मान देना होगा।"


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Sunday, February 23, 2025

महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश बेनकाब: 101 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कार्रवाई

 23 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश बेनकाब: 101 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कार्रवाई


🚩महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक और अपमानजनक पोस्ट करना न केवल सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है। ऐसे मामलों में सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई किया जाना आवश्यक है, ताकि इस महापर्व की गरिमा बनी रहे।


🚩क्या है असली साजिश?


हर बार जब भी कोई धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन होता है, कुछ असामाजिक तत्व इसे बदनाम करने के लिए झूठी खबरें और अफवाहें फैलाते हैं। यह सिर्फ महाकुंभ तक सीमित नहीं है, बल्कि सनातन संस्कृति से जुड़े हर आयोजन को अपमानित करने की एक सुनियोजित साजिश लगती है। ऐसे पोस्ट सिर्फ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में विभाजन और भ्रम फैलाने के लिए भी किए जाते हैं।


🚩महाकुंभ: सिर्फ एक आयोजन नहीं, आस्था का महासंगम


महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, बल्कि यह भारत की सनातन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। यहाँ करोड़ों श्रद्धालु स्नान, दान, साधना और संतों के सान्निध्य में आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं। ऐसे दिव्य आयोजन को बदनाम करने के प्रयासों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।


🚩फर्जी पोस्ट करने वालों पर हुई सख्त कार्रवाई


महाकुंभ में भ्रामक खबरें फैलाने वाले 101 सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उत्तर प्रदेश पुलिस और विशेषज्ञ एजेंसियां लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निगरानी कर रही हैं। सरकार इस तरह की साजिशों पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए तत्पर है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।


🚩सोशल मीडिया पर अफवाहों से कैसे बचें?


🔸 सूचना की पुष्टि करें - किसी भी खबर को आगे बढ़ाने से पहले उसकी सत्यता की जाँच करें।

🔸 सरकारी और विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करें - आधिकारिक वेबसाइट्स और समाचार एजेंसियों से ही जानकारी लें।

🔸 संदेहास्पद पोस्ट को रिपोर्ट करें - अगर कोई गलत सूचना फैला रहा है तो उसे तुरंत रिपोर्ट करें।

🔸 सनातन संस्कृति की रक्षा करें - महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों की गरिमा बनाए रखने में सहयोग करें और सकारात्मक संदेश फैलाएँ।


🚩महाकुंभ केवल एक स्नान पर्व नहीं, बल्कि पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति की महानता दिखाने का अवसर है। ऐसे में जो लोग इसे बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आयोजन को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचाएँ और इसकी गरिमा को बनाए रखें।


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Saturday, February 22, 2025

अष्टमंगल चिन्ह: सनातन धर्म में शुभता और दिव्यता के प्रतीक

 22 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩अष्टमंगल चिन्ह: सनातन धर्म में शुभता और दिव्यता के प्रतीक


🚩सनातन धर्म में कुछ विशेष चिन्हों को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है, जिन्हें “अष्टमंगल चिन्ह” कहा जाता है। ये चिन्ह न केवल आध्यात्मिक उन्नति के प्रतीक हैं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों, मंदिरों, देवी-देवताओं की मूर्तियों और पूजा विधियों में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान है। यह लेख अष्टमंगल चिन्हों का विस्तृत विवरण प्रदान करता है और उनके महत्व को स्पष्ट करता है।


🚩अष्टमंगल चिन्हों का महत्व


“अष्ट” का अर्थ होता है आठ और “मंगल” का अर्थ है शुभता या सौभाग्य। अतः अष्टमंगल चिन्ह आठ शुभ प्रतीकों का समूह है, जो जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ये चिन्ह मुख्यतः हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में देखे जाते हैं, लेकिन सनातन संस्कृति में इनका विशेष महत्व है।


इन चिन्हों का उपयोग धार्मिक ग्रंथों, मंदिरों की वास्तुकला, यज्ञ, हवन और पूजन विधियों में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जहां ये चिन्ह विद्यमान होते हैं, वहां सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का संचार होता है।


🚩सनातन धर्म के अष्टमंगल चिन्ह एवं उनका महत्व


🔸 स्वस्तिक (卐) – कल्याण और शुभता का प्रतीक


स्वस्तिक हिंदू धर्म का सबसे प्राचीन और शक्तिशाली प्रतीक है। यह चार दिशाओं में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान गणेश से भी जोड़ा जाता है, जो हर कार्य के शुभारंभ से पहले पूजे जाते हैं। स्वस्तिक जहां भी अंकित होता है, वहां सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।


🔸श्रीवत्स – दिव्यता और वैभव का प्रतीक


श्रीवत्स चिन्ह को भगवान विष्णु का शुभ चिह्न माना जाता है। यह उनके वक्षस्थल पर स्थित होता है, जो उनके अनंत ऐश्वर्य और दिव्यता को दर्शाता है। यह चिन्ह धार्मिक ग्रंथों में भी अत्यंत पवित्र माना गया है।


🔸पद्म (कमल) – पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक


कमल का फूल सनातन संस्कृति में आध्यात्मिक उन्नति, पवित्रता और सद्गुणों का प्रतीक है। यह चिन्ह भगवती लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। कमल यह भी दर्शाता है कि व्यक्ति को सांसारिक बाधाओं के बीच भी आत्मिक रूप से शुद्ध और उन्नत रहना चाहिए।


🔸 मीन (मछली) – समृद्धि और शुभता का प्रतीक


मीन या मछली को अविनाशीता, शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में मछली भगवान विष्णु के पहले अवतार “मत्स्य अवतार” से जुड़ी हुई है, जो धर्म की रक्षा का संदेश देती है। मीन चिन्ह को घर में रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।


🔸 कलश – ऐश्वर्य और ऊर्जा का प्रतीक


कलश भारतीय संस्कृति में सौभाग्य, संपन्नता और दिव्यता का प्रतीक है। इसे धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह जीवनदायिनी ऊर्जा का प्रतीक होता है। पूजा में कलश रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।


🔸ध्वज (धर्म ध्वज) – विजय और शक्ति का प्रतीक


ध्वज यानी पताका को शक्ति, विजय और धर्म का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान विष्णु और देवी दुर्गा से भी जोड़ा जाता है। किसी भी शुभ कार्य या विजय यात्रा में ध्वज का उपयोग किया जाता है।


🔸अंकुश – नियंत्रण और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक


अंकुश वह हथियार है जिसका उपयोग हाथी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह प्रतीक यह दर्शाता है कि व्यक्ति को अपनी इंद्रियों और मन को नियंत्रित करना चाहिए। यह भगवान गणेश का भी एक प्रमुख चिन्ह माना जाता है।


🔸 चक्र – अनंत ऊर्जा और धर्म का प्रतीक


सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का प्रमुख अस्त्र है, जो धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश का प्रतीक है। चक्र निरंतर कर्म, समय और गति को भी दर्शाता है। इसे आत्मज्ञान और शाश्वत सत्य का प्रतीक माना जाता है।


🚩अष्टमंगल चिन्हों का उपयोग और लाभ


अष्टमंगल चिन्हों को घर, मंदिर, व्यावसायिक स्थलों और धार्मिक स्थानों में विभिन्न रूपों में अंकित किया जाता है। इनका उपयोग निम्नलिखित लाभों के लिए किया जाता है:

🔸 शुभता और सकारात्मक ऊर्जा – जहां अष्टमंगल चिन्ह होते हैं, वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

🔸 रोग-निवारण – इनमें से कुछ चिन्ह, जैसे स्वस्तिक और पद्म, स्वास्थ्य एवं मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

🔸 समृद्धि और सफलता – व्यापार और कार्यक्षेत्र में इनका प्रयोग सफलता और धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

🔸 रक्षा और सुरक्षा – ये चिन्ह नकारात्मक शक्तियों और बुरी दृष्टि से बचाते हैं।

🔸आध्यात्मिक उन्नति – इन चिन्हों के माध्यम से साधना, ध्यान और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।


🚩निष्कर्ष


सनातन धर्म में अष्टमंगल चिन्हों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। ये चिन्ह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि जीवन में सत्य, धर्म, शांति, समृद्धि और विजय का मार्ग कैसे अपनाया जाए। यदि हम अपने जीवन में इन शुभ चिन्हों को धारण करें, तो यह निश्चित रूप से सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को आकर्षित करेगा।


इन चिन्हों का सही उपयोग करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है। इसलिए हमें अपने घर और कार्यस्थल पर इन पवित्र प्रतीकों को स्थान देना चाहिए, जिससे हम ईश्वरीय आशीर्वाद और शुभता प्राप्त कर सकें।


क्या आपके घर में अष्टमंगल चिन्हों में से कोई मौजूद है? कौन सा चिन्ह आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है? कमेंट में जरूर बताएं!


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Friday, February 21, 2025

संभल हिंसा: वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की साजिश का पर्दाफाश

 21 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩संभल हिंसा: वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की साजिश का पर्दाफाश


🚩उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इस हिंसा के दौरान वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की साजिश रचने वाले मास्टरमाइंड मोहम्मद गुलाम को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस पूछताछ में गुलाम ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।


🚩दुबई से संचालित हो रही थी साजिश


गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद गुलाम दुबई में स्थित गैंगस्टर शारिक साठा के लिए काम करता था। शारिक साठा, जो वर्तमान में दुबई में रह रहा है, ने गुलाम के साथ मिलकर वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की योजना बनाई थी। इस साजिश का उद्देश्य देशभर में सांप्रदायिक तनाव फैलाना और हथियारों की तस्करी को बढ़ावा देना था। गुलाम ने स्वीकार किया कि उसने हिंसा के दौरान उपद्रवियों को हथियारों की आपूर्ति की थी।  


🚩व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से उकसावे की कोशिश


पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि ‘सांसद संभल’ नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था, जिसमें 22 नवंबर को बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित होने के लिए कहा गया था। इस ग्रुप में 23 नवंबर की रात को भी कई भड़काऊ संदेश भेजे गए थे, जिससे हिंसा भड़काने की कोशिश की गई।  


🚩गुलाम का आपराधिक इतिहास


मोहम्मद गुलाम पहले भी कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। 2014 में उसने पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान के कहने पर एक अन्य राजनेता सोहैल इकबाल पर फायरिंग की थी, जिससे संभल में तुर्क और पठान समुदायों के बीच तनाव बढ़ा था। गिरफ्तारी के समय गुलाम के पास से 32 बोर की दो पिस्टल, 9 एमएम की पिस्टल सहित तीन विदेशी पिस्टल और विभिन्न देशों में निर्मित गोलियां बरामद की गई हैं।  


🚩आगे की कार्रवाई


संभल पुलिस ने अब तक इस हिंसा के मामले में 80 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस अब दुबई में स्थित मास्टरमाइंड शारिक साठा पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। इस साजिश का पर्दाफाश होने से स्पष्ट होता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैठे अपराधी देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस की तत्परता और सक्रियता से एक बड़ी साजिश नाकाम हुई है, जिससे समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में मदद मिलेगी।







🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Thursday, February 20, 2025

वसंत ऋतु: प्रकृति का मधुर उत्सव

 20 February 2025

https://azaadbharat.org 


🚩वसंत ऋतु: प्रकृति का मधुर उत्सव


🚩भारत की छह प्रमुख ऋतुओं में से वसंत ऋतु को सबसे सुहावनी और मनमोहक माना जाता है। यह ऋतु न केवल मौसम में परिवर्तन लाती है, बल्कि प्रकृति, पशु-पक्षियों और मानव जीवन में भी नई ऊर्जा और उमंग भर देती है। वसंत ऋतु का आगमन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से माना जाता है, जिसे वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह ऋतु फाल्गुन और चैत्र मास में आती है और लगभग फरवरी से अप्रैल तक रहती है।


🚩प्रकृति का सौंदर्य और वसंत ऋतु


वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है, क्योंकि इस समय प्रकृति अपनी पूर्ण सुंदरता को प्रकट करती है। वृक्षों में नई कोपलें और फूल खिलने लगते हैं, आम के वृक्षों पर मंजरियाँ आने लगती हैं, और चारों ओर हरियाली छा जाती है। सरसों के पीले फूल खेतों में सुनहरी चादर बिछा देते हैं। गुलाब, पलाश, कदंब, और चंपा जैसे फूल अपनी सुगंध से वातावरण को महकाने लगते हैं।


🚩नदियाँ स्वच्छ और निर्मल जल से भर जाती हैं, और वन्यजीवन भी सक्रिय हो जाता है। कोयल की मधुर कूक, भौरों की गुंजन, और मोरों का नृत्य इस ऋतु की शोभा को और बढ़ा देते हैं।


🚩त्योहार और वसंत ऋतु


वसंत ऋतु को उल्लास और उमंग की ऋतु भी कहा जाता है क्योंकि इस समय कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। वसंत पंचमी से इसकी शुरुआत होती है, जो ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती की उपासना का दिन होता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग के व्यंजन खाना शुभ माना जाता है।


इसके अलावा, होली – रंगों का त्योहार भी वसंत ऋतु में ही आता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली होली, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव लोगों के मन में प्रेम और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है।


🚩स्वास्थ्य और खान-पान पर वसंत ऋतु का प्रभाव


आयुर्वेद के अनुसार, वसंत ऋतु शरीर के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है। इस समय मौसम संतुलित होता है और न अधिक ठंड होती है, न अधिक गर्मी। यह ऋतु शरीर में जमी हुई कफ को बाहर निकालने का प्राकृतिक समय होता है, इसलिए इस दौरान हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए।


🚩वसंत ऋतु में शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए हरी सब्जियाँ, ताजे फल, मूंग दाल, छाछ, शहद और गुनगुना पानी विशेष रूप से लाभकारी होते हैं। साथ ही, तली-भुनी और भारी भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती  है। इस मौसम में पेय पदार्थों में बेल का शरबत, गन्ने का रस और ताजे फलों के जूस शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करते हैं।


इस मौसम में योग और व्यायाम करने से शरीर  अधिक ऊर्जावान रहता है और मानसिक रूप से प्रसन्नता बनी रहती है। ताजे फूलों और हरियाली के कारण मन में सकारात्मकता बनी रहती है।


🚩काव्य और साहित्य में वसंत


संस्कृत और हिंदी साहित्य में वसंत ऋतु को विशेष स्थान दिया गया है। कालिदास ने अपनी प्रसिद्ध कृति ऋतुसंहार में वसंत ऋतु का मनोहारी वर्णन किया है। जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जैसे कवियों ने अपनी कविताओं में वसंत की सुंदरता और उसकी ऊर्जा को शब्दों में ढाला है।


🚩आई वसंत बहार


 इस पंक्ति के माध्यम से कवियों ने वसंत के आगमन की खुशी को व्यक्त किया है।


🚩निष्कर्ष


वसंत ऋतु केवल एक मौसम नहीं, बल्कि प्रकृति का उत्सव है। यह नई ऊर्जा, उत्साह, प्रेम और उमंग का संदेश लाती है। यह ऋतु हमें प्रकृति के करीब ले जाती है और जीवन के प्रति एक नई आशा और सकारात्मकता भर देती है। त्योहारों की रंगीनता, फूलों की खुशबू, और कोयल की कूक वसंत ऋतु को एक स्वर्गिक अनुभव बना देती है।


आइए, इस वसंत ऋतु में हम भी प्रकृति के इस अनुपम उपहार का आनंद लें और अपने जीवन में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करें!


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Wednesday, February 19, 2025

ज्ञानेश कुमार बने भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त: अनुभव और प्रशासनिक दक्षता का संगम

 19 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩ज्ञानेश कुमार बने भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त: अनुभव और प्रशासनिक दक्षता का संगम


🚩भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 1988 बैच के केरल कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, ज्ञानेश कुमार को नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च-स्तरीय समिति ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी। इससे पहले, वे सहकारिता मंत्रालय के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए थे।


🚩अपने लंबे प्रशासनिक करियर में, ज्ञानेश कुमार ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव, और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। गृह मंत्रालय में रहते हुए, वे जम्मू-कश्मीर डेस्क के प्रभारी थे और अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया में उनकी अहम भूमिका रही। इसके अलावा, वे राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की स्थापना से भी जुड़े रहे हैं।


🚩उनके साथ, उत्तराखंड कैडर के 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, सुखबीर सिंह संधू को भी चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। संधू उत्तराखंड के मुख्य सचिव और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अध्यक्ष रह चुके हैं।


🚩मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने दोनों नए आयुक्तों का स्वागत किया है, खासकर ऐसे समय में जब निर्वाचन आयोग आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटा हुआ है। इन नियुक्तियों से चुनाव आयोग को बेहतर प्रशासनिक अनुभव मिलेगा, जिससे आगामी चुनावों का निष्पक्ष और सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4

Tuesday, February 18, 2025

खुर्जा में मिला 50 साल पुराना मंदिर: 1990 के दंगों के बाद से था बंद

 18 February 2025

https://azaadbharat.org


🚩खुर्जा में मिला 50 साल पुराना मंदिर: 1990 के दंगों के बाद से था बंद


🚩भारत में मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि संस्कृति, इतिहास और आस्था के प्रतीक होते हैं। हाल ही में बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक पुराना और वर्षों से बंद पड़ा मंदिर मिला है। बताया जा रहा है कि यह मंदिर करीब 50 साल पुराना है, जो 1990 के दंगों के बाद बंद कर दिया गया था। अब हिंदू संगठनों ने प्रशासन से मंदिर के जीर्णोद्धार (renovation) की मांग की है, ताकि यहां फिर से पूजा-पाठ हो सके।


🚩मंदिर का इतिहास


खुर्जा के सलमा हकन मोहल्ले में स्थित इस मंदिर का निर्माण जाटव समुदाय ने किया था। यह समुदाय यहां पूजा-अर्चना करता था, लेकिन 1990 में हुए दंगों के बाद उन्होंने यह इलाका छोड़ दिया। इसके बाद मंदिर उपेक्षित (neglected) हो गया और बंद कर दिया गया।


🚩प्रशासन की प्रतिक्रिया


खुर्जा के SDM दुर्गेश सिंह ने बताया कि मंदिर के इतिहास की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण जाटव समुदाय द्वारा किया गया था और अब हिंदू संगठन इसके पुनर्निर्माण (restoration) की मांग कर रहे हैं। प्रशासन इस मामले पर विचार कर रहा है, ताकि मंदिर की पवित्रता बहाल की जा सके।


🚩संभल और वाराणसी के बाद अब खुर्जा में भी मिला बंद पड़ा मंदिर


यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल ही में संभल और वाराणसी में भी वर्षों से बंद पड़े मंदिर दोबारा मिले थे, जिन्हें अब फिर से खोलने की प्रक्रिया चल रही है। खुर्जा में मिले इस मंदिर ने स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाओं को जाग्रत कर दिया है और वे चाहते हैं कि इसे फिर से खोला जाए।


🚩क्या कहता है समाज?


स्थानीय लोगों का मानना है कि धार्मिक स्थलों को राजनीति का शिकार नहीं बनाना चाहिए। मंदिरों को संरक्षित (preserved) किया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने इतिहास और आस्था से जुड़ी रहें। हिंदू संगठनों का कहना है कि अगर मस्जिदों और चर्चों की देखभाल की जाती है, तो मंदिरों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए।


🚩क्या होगा आगे?


अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन मंदिर का जीर्णोद्धार करेगा?


👉🏻 संरक्षण की प्रक्रिया: यदि प्रशासन इसकी अनुमति देता है, तो मंदिर का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार किया जाएगा।

👉🏻 धार्मिक आयोजन: यदि मंदिर को फिर से खोला जाता है, तो वहां पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन शुरू किए जा सकते हैं।

👉🏻 ऐतिहासिक अध्ययन: मंदिर से जुड़े इतिहास की जांच की जा सकती है ताकि इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हो सके।


🚩निष्कर्ष


खुर्जा में मिला यह 50 साल पुराना मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों की मांग को देखते हुए प्रशासन को इस मुद्दे पर जल्द निर्णय लेना चाहिए। यदि मंदिर दोबारा खुलता है, तो यह धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


क्या आप मानते हैं कि पुराने और बंद पड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔺Follow on


🔺 Facebook


https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg 


🔺 Twitter:


twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:


https://t.me/ojasvihindustan



🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺Pinterest: https://goo.gl/o4z4