Sunday, October 29, 2017

ईसाई मिशनरियों के कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों पर बरस रहा है कहर

अक्टूबर 29, 2017

🚩 भारत में आज तक ऐसी अनगिणत घटनाएं सामने आर्इ है जिसमें कॉन्वेंट स्कूल में छात्रों पर अत्याचार किये जाते हों । कर्इ हिन्दू छात्रों पर अपने धर्म के पालन के कारण कार्यवाही भी की गर्इ है । परंतु इतना होने पर भी प्रशासन कॉन्वेंट स्कूलों पर उचित कार्यवाही नहीं करता । 
🚩क्या यह अल्पसंख्यंक तुष्टीकरण की नीति के कारण हो रहा है ?

🚩अभी भी दो ऐसी घटनायें सामने आई हैं कि जिसको पढ़कर आपका दिल पसीस जायेगा...

🚩1 ) छात्रा को बैठाया लडकों के बीच, दे दी जान

🚩केरल के कोल्लम जिले की कॉन्वेन्ट स्कूल 10वीं क्लास में पढने वाली छात्रा गौरी ने अपनी बहन से क्लास में बात की तो शिक्षक ने उसे क्लास में लड़कों के साथ बैठने की सजा दे डाली। गौरी ने इस बात का विरोध किया और इसी को लेकर गौरी की शिक्षक से बहस भी हो गई । पहले भी कई बार इस छात्रा को परेशान किया गया ।

🚩गौरी का मजाक उड़ाया जाने लगा तो वो डिप्रेशन में चली गई और पिछले शुक्रवार को ICSE के ट्रिनिटी लायसीयम इस कॉन्वेन्ट स्कूल की तीसरी बिल्डिंग से छलांग लगा दी। छात्रा की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई ।


🚩2 ) दिल्ली कॉन्वेंट स्कूल में अत्याचार

🚩दिल्ली की एक कॉन्वेंट स्कूल मासूम द यूनियन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीचर ने 11वीं क्लास के छात्र को इतनी बुरी तरह पीटा कि खुद को बचाने के लिए उसे ऊपर से छलांग लगानी पड़ी इसकी सूचना मिलते ही छात्र के परिजन उसे RMS अस्पताल ले गए । बच्चे की हालत बहुत गंभीर है ।

🚩जिन कॉन्वेंट स्कूलों में इतना अत्याचार हो रहा हो, वहाँ बच्चो को पढ़ाना कितना उचित है?

🚩कॉन्वेंट स्कूलों की सच्चाई आप भी जान लो जिस लॉर्ड मैकाले ने इसकी स्थापना की...

🚩भारत से #लॉर्ड मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी : “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में, संस्कृति के बारे में, परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, जब ऐसे बच्चे होंगे भारत में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”

🚩उसने कहा था कि ‘मैं यहाँ (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में #भारतवासी अपनी ही #संस्कृति से #घृणा करेंगे... मंदिर में जाना पसंद नहीं करेंगे... माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे, #साधु-संतों से #नफरत करेंगे... वे शरीर से तो #भारतीय #होंगे लेकिन #दिलोदिमाग से #हमारे ही #गुलाम होंगे..!'

🚩उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब
साफ-साफ दिखाई दे रही है, आज कॉन्वेंट स्कूल की शिक्षा पद्धति के कारण #JNU जैसी यूनवर्सिटी में छात्र #हिन्दू देवी-देवताओं को ही गालियां बोल रहे हैं, #दारू पी रहे हैं, #मीट खा रहे हैं, #दुष्कर्म कर रहे हैं, #बॉलीवुड, #मीडिया ,#टीवी सीरियलों में लोग हिन्दू तो दिखते हैं लेकिन दिलोदिमाग से अंग्रेज होते जा रहे हैं । इसलिए हिन्दू देवी-देवताओं, #साधु-संतों, हिन्दू त्यौहारों के #खिलाफ हो गए हैं।

🚩भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?

🚩जब #मदरसों में #कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में #बाइबल तो हमारे स्कूल-कॉलेजों में #रामायण, #महाभारत व #गीता #क्यों नहीं #पढ़ाई जाएँ ?

🚩जबकि मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है और हिन्दू धर्म की शिक्षा देश, दुनिया के हित में है ।

🚩सभी हिन्दू अभिभावकों को भी कॉन्वेंट स्कूल में हिन्दू छात्रों पर पड़ने वाले गलत संस्कारों तथा उनके साथ हो रही प्रताड़ना को देखते हुए अपने बच्चों को वहां नहीं भेजना चाहिए । कॉन्वेंट स्कूल का संपूर्ण बहिष्कार करना चाहिए ।

🚩उपरोक्त घटना में छात्रा ने कॉन्वेंट स्कूल प्रशासन के ‘टाॅर्चर’ के कारण आत्महत्या कर ली और एक विद्यार्थी कूद गया । कर्इ घटनाआें में यह सामने आया है कि किसी भी अपयश, ब्लू वेल जैसे गेम्स या किसी प्रकार की ‘टॉर्चर’ की कारण बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं । 
इसका मूल कारण है उनमें सुसंस्कारों का अभाव । यदि आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कारी बनाना चाहते हैं तो कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना बन्द करें और गुरुकुलों में पढ़ाना शुरू करदें।


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Saturday, October 28, 2017

गोपाष्टमी के दिन सोशल मीडिया पर उठी आवाज #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य

अक्टूबर 28, 2017

🚩गौ माता की इतनी महानता है कि पृथ्वी को कागज और सागर को स्याही बनाकर लिखा जाये तो भी पूर्ण नही हो सकती। 
गौ माता देश की रीड की हड्डी है लेकिन भारत का दुर्भाग्य है कि राजनीति के लिए गौ-माता का मुद्दा उठाया जाता है लेकिन उसकी रक्षा के लिए कुछ किया नही जा रहा है ।

🚩भारतवासियों में अब इसकी जागरूकता दिख रही है, शनिवार को गोपाष्टमी के पावन पर्व पर देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया गया और ट्वीटर पर भी टॉप ट्रेंड  में रहा #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य हैशटेग ।

🚩आइये देखें ट्वीट्स द्वारा क्या सन्देश पहुँचाया जा रहा है समाज में....

🚩1) भारती धीमान लिखती है कि गाय हमारी 'माता' है और गाय की रक्षा हमारा कर्तव्य #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य !

🚩2) शीशराम ने लिखा है कि प्राचीन भारत में   दूध की नदिया बहती थी, तो अब क्यों नहीं ?? क्योंकि अब गाय कम हो रही.   #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य !

🚩3) सोनिया थवानी लिखती है कि समय का फेर एक दिन रंग दिखलायेगा, गाय माँ की रक्षा करने इंकलाब जरूर आएगा। #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य ! 

🚩4) देश और संस्कृति को बचाना है तो गाय को बचाना होगा - पूज्य आसाराम बापूजी। #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य ! 

🚩5) प्रेम चौधरी ने लिखा कि जो गाय माँ की रक्षा नहीं कर पायेगा, वह क्या ख़ाक देश के काम आएगा। #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य !

🚩6) प्रदीप मिश्रा ने लिखा कि संत आशाराम जी आश्रम संचालित गौशालाओं में हज़ारो गायों का संवर्धन हो रहा है, वास्तविकता में हमको स्वीकारना होगा कि #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य है। 

🚩7) गार्गी लिखती है कि सुनलो पुकार, 
मोदी सरकार, 
शपथ पूरी करो, 
अब क्या देरी क्या इंकार, 
किस का है इन्तजार । #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य 

🚩8 ) मनोज ने लिखा है कि तिरंगे की शान कभी कम ना हो पाएगी। गाय माँ की रक्षा में देश की सारी फ़ौज़ लग जायेगी। #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य ! https://twitter.com/ShriManoj9/status/924290655152517121

🚩ऐसे तो कुछ नमूने ही दिखाये गए हैं बाकि हजारों लोग #ट्वीट करके गौ रक्षा की मांग कर रहे हैं।

🚩आपको जानकर हैरानी होगी कि आज गोपाष्टमी का इतना बड़ा #पर्व होने के बाद भी किसी  बड़े नेता ने गोपाष्टमी की बधाई नही दी और न ही #मीडिया ने कुछ लिखा । #गोपाष्टमी पर्व का जो ट्वीटर पर ट्रेंड चलना चाहिए था वो भी नही चला ।

🚩गौरतलब है कि #गौरक्षा_हमारा_कर्तव्य हैशटेग बापू आसारामजी के #अनुयायियों द्वारा गौ-रक्षा की मांग को लेकर चल रहा है । हजारों ट्वीट्स के द्वारा ये इवेंट टॉप ट्रेंड में दिखने लगा । इस हैशटैग के साथ कुछ समय से कई हिन्दूवादी संगठन भी जुड़ गए हैं ।

🚩आजाद भारत को संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा बताया गया कि बापू ने भारतभर में अनेक गौशालाएं खोली हैं और वहां #हजारों ऐसी #गायें हैं जो दूध न देने के कारण अनुपयोगी मानकर कत्‍लखाने ले जायी जा रही थी। यहाँ उनका पालन-पोषण व्‍यवस्थित ढंग से किया जाता है ।

🚩उन्होंने आगे बताया कि बापू की प्रेरणा से #आश्रम, #समितियाँ, युवा सेवा संघ, महिला मंडल एवं बापू के असंख्य शिष्यों द्वारा उनके निर्देशानुसार गोपाष्टमी पर्व हर साल #देशभर में विशाल स्तर पर मनाया जाता है ।

🚩इस बार भी आश्रम, #समितियों, #युवा सेवा संघ, महिला मंडल एवं बापूजी के असंख्य शिष्यों द्वारा गोपाष्टमी पर्व पर गौशालाओं के अलावा गाँव-गाँव जाकर गायों को #पुष्टिवर्धक #लड्डू खिलायें गए तथा गौ-रक्षा यात्राएँ निकाली गई । लोगों को गौ-रक्षा एवं गौसेवा के लिए प्रेरित किया गया ।

🚩 इस दिन गौसेवा के विभिन्न वार्षिक #सेवा-अभियानों का नवीनीकरण करके आगामी वर्ष के लिए #संकल्प भी किया गया ।

🚩जिस दिन भारतवासी गौ का सम्मान, गंगा का महत्त्व और #गीता का ज्ञान अंगीकार कर लेंगे, उस दिन विश्व के शिखर पर पहुँचने का #भारत का स्वप्न साकार हो जायेगा ।

🚩गौ-हत्या को रोकने के लिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर पहल करनी होगी । इसके लिए आज से ही #संकल्प करें :

🚩1). गाय के #चमड़े व चर्बी से बनी वस्तुओं, जैसे - #बेल्ट, पर्स, कपड़े, जूते आदि का उपयोग नहीं करेंगे । #देशी गाय का दूध खरीदेंगे तथा उसके घी, झरण व गोबर से बने उत्पादों, जैसे - फिनायल, धूपबती, औषधि आदि का उपयोग करेंगे तथा दुकानों में माँग करेंगे ।

🚩2). स्वयं #गौ-पालन करेंगे तथा अन्य लोगों को भी गौ-पालन के लिए प्रेरित करेंगे ।

🚩गाय के शरीर में सूर्य की गो-किरण शोषित करने की अद्भुत शक्ति होने से उसके #दूध, घी, झरण आदि में स्वर्णक्षार पाये जाते हैं जो आरोग्य व प्रसन्नता के लिए ईश्वरीय वरदान हैं । पुण्‍य व स्‍वकल्‍याण चाहनेवाले #मनुष्यों को #गौ-सेवा अवश्‍य करनी चाहिए ।


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Friday, October 27, 2017

गोपाष्टमी का जानिए इतिहास, गोपाष्टमी पर क्या करे ? गौ पालन से क्या होता है लाभ ?

अक्टूबर 27, 2017   www.azaadbharat.org


🚩वर्ष में जिस दिन गायों की पूजा-अर्चना आदि की जाती है वह दिन भारत में ‘गोपाष्टमी’ के नाम से मनाया जाता है । जहाँ गायें पाली-पोसी जाती हैं, उस स्थान को गोवर्धन कहा जाता है । 

🚩गोपाष्टमी का इतिहास
gopashtami

🚩गोपाष्टमी महोत्सव गोवर्धन पर्वत से जुड़ा उत्सव है । गोवर्धन पर्वत को द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक गाय व सभी गोप-गोपियों की रक्षा के लिए अपनी एक अंगुली पर धारण किया था । गोवर्धन पर्वत को धारण करते समय गोप-गोपिकाओं ने अपनी-अपनी लाठियों का भी टेका दे रखा था, जिसका उन्हें अहंकार हो गया कि हम लोग ही गोवर्धन को धारण किये हुए हैं । उनके अहं को दूर करने के लिए भगवान ने अपनी अंगुली थोड़ी तिरछी की तो पर्वत नीचे आने लगा । तब सभी ने एक साथ शरणागति की पुकार लगायी और भगवान ने पर्वत को फिर से थाम लिया । 

🚩उधर देवराज इन्द्र को भी अहंकार था कि मेरे प्रलयकारी मेघों की प्रचंड बौछारों को मानव श्रीकृष्ण नहीं झेल पायेंगे परंतु जब लगातार सात दिन तक प्रलयकारी वर्षा के बाद भी श्रीकृष्ण अडिग रहे, तब आठवें दिन इन्द्र की आँखें खुली और उनका अहंकार दूर हुआ । तब वे भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आये और क्षमा माँगकर उनकी स्तुति की । कामधेनु ने भगवान का अभिषेक किया और उसी दिन से भगवान का एक नाम ‘गोविंद’ पड़ा । वह कार्तिक शुक्ल अष्टमी का दिन था । उस दिन से गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा, जो अब तक चला आ रहा है ।


🚩कैसे मनायें गोपाष्टमी पर्व ?

🚩इस साल 28 अक्टूबर को गोपाष्टमी है उस दिन गायों को स्नान करायें । तिलक करके पूजन करें व गोग्रास दें । गायों को अनुकूल हो ऐसे खाद्य पदार्थ खिलायें, सात #परिक्रमा व #प्रार्थना करें तथा गाय की #चरणरज सिर पर लगायें । इससे मनोकामनाएँ पूर्ण एवं सौभाग्य की वृद्धि होती है ।

🚩गोपाष्टमी के दिन सायंकाल गायें चरकर जब वापस आयें तो उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें कुछ खिलायें और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण करें, इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है ।

🚩भारतवर्ष में गोपाष्टमी का उत्सव बड़े उल्लास से मनाया जाता है । विशेषकर गौशालाओं तथा पिंजरापोलों के लिए यह बड़े महत्त्व का उत्सव है । इस दिन गौशालाओं में एक मेला जैसा लग जाता है । गौ कीर्तन-यात्राएँ निकाली जाती हैं । यह घर-घर व गाँव-गाँव में मनाया जानेवाला उत्सव है । इस दिन गाँव-गाँव में भंडारे किये जाते हैं ।

🚩विश्व के लिए वरदानरूप : गोपालन


🚩देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।

🚩देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापों का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।

🚩गायों को घास देनेवाले का कल्याण होता है । स्वकल्याण चाहनेवाले गृहस्थों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि गौ-सेवा में लगे हुए पुरुष को धन-सम्पत्ति, आरोग्य, संतान तथा मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं । 

🚩विशेष : ये सभी लाभ देशी गाय से ही प्राप्त होते हैं, जर्सी व होल्सटीन से नहीं । 

🚩किसानों के लिए संदेश


🚩खेती और गाय का बड़ा घनिष्ठ संबंध है । खेती से गाय पुष्ट होती है और गाय के गोबर व गोमूत्र से खेती पुष्ट होती है । विदेशी खाद से आरम्भ में कुछ वर्ष तो खेती अच्छी होती है पर कुछ वर्षों बाद जमीन उपजाऊ नहीं रहती । विदेशों में तो खाद से जमीन खराब हो गयी है और वे लोग मुंबई से जहाजों में गोबर लादकर ले जा रहे हैं, जिससे गोबर से जमीन ठीक हो जाय । गोबर-खाद किसानों को सस्ते में व आसानी से उपलब्ध होती है । 

🚩गोझरण एक सुरक्षित, फसलों को नुकसान न पहुँचानेवाला कीटनाशक है । गाँव में गोबर गैस प्लांट लगाकर वहाँ ईंधन, बिजली, बिजली पर चलनेवाले यंत्रों आदि का फायदा लिया जाता है ।

🚩वैज्ञानिकों ने कहा है कि ‘एक समय ऐसा आनेवाला है जब न बिजली मिलेगी, न पेट्रोल-डीजल !’ अब भी तेल महँगा हो रहा है और हम ट्रैक्टरों में तेल खर्च रहे हैं। खेती की पुष्टि जितनी गाय-बैलों से होती है, उतनी ट्रैक्टरों से नहीं होती । जब ट्रैक्टर चलता है तो जीव-जंतुओं की बड़ी हत्या होती है । ट्रैक्टर से पाला, घास, बुड़ेसी, गँठिया आदि की जड़ें उखड़ जाती हैं । अतः समृद्ध खेती के लिए किसानों को बैल व गायों का पालन करना चाहिए । उनकी रक्षा करनी चाहिए, हत्यारों के हाथ में उन्हें बेचना नहीं चाहिए ।  

🚩स्वास्थ्य-लाभ

🚩व्यक्ति स्वास्थ्य के लिए लाखों-लाखों रुपये खर्च करता है, कहाँ-कहाँ जाता है फिर भी बीमारियों से छुटकारा नहीं पाता । कई बार तो कंगालियत ही हाथ लगती है और स्वस्थ भी नहीं हो पाता । 

🚩इसका उपाय बताते हुए हिन्दू संत बापू आशारामजी कहते हैं : ‘‘गाय घर पर होती है न, तो उसके गोबर, उसके गोझरण का लाभ तो मिलता ही है, साथ ही गाय के रोमकूपों से जो तरंगें निकलती हैं, वे स्वास्थ्यप्रद होती हैं । कोई बीमार आदमी हो, डॉक्टर बोले, ‘यह नहीं बचेगा’ तो बीमार आदमी गाय को अपने हाथ से कुछ खिलाये और गाय की पीठ पर हाथ घुमाये तो गाय की प्रसन्नता की तरंगें हाथों की अंगुलियों से अंदर आयेंगी और वह आदमी तंदुरुस्त हो जायेगा; दो-चार महीने लगते हैं लेकिन असाध्य रोग भी गाय की प्रसन्नता से मिट जाते हैं ।’’ 

🚩गायें दूध न देती हों तो भी वे परम उपयोगी हैं । दूध न देनेवाली गायें अपने गोझरण व गोबर से ही अपने आहार की व्यवस्था कर लेती हैं । उनका पालन-पोषण करने से हमें आध्यात्मिक, आर्थिक व स्वास्थ्यलाभ होता ही है । 

🚩गोपाष्टमी के दिन गौ-सेवा, गौ-चर्चा, गौ-रक्षा से संबंधित गौ-हत्या निवारण आदि विषयों पर चर्चासत्रों का आयोजन करना चाहिए । भगवान एवं महापुरुषों के गौप्रेम से संबंधित प्रेरक प्रसंगों का वाचन-मनन करना चाहिए । 

🚩#गौ-सेवा से धन-सम्‍पत्ति, आरोग्‍य आदि मनुष्‍य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्‍पूर्ण साधन सहज ही प्राप्‍त हो जाते हैं । मानव #गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त दूध, दही आदि पंचगव्यों का लाभ ले तथा अपने जीवन को #स्वस्थ, सुखी बनाये, इस उद्देश्य से हमारे परम करुणावान ऋषियों-महापुरुषों ने गौ को माता का दर्जा दिया तथा कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन #गौ-पूजन की परम्परा स्थापित की । (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद साहित्य से)

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