Saturday, December 3, 2016

पानीपत विस्फाेट मामले में आरोपी आतंकी अब्दुल करीम टुंडा बरी !!


पानीपत : खूंखार आतंकी सैयद अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों और गवाहों के अभाव में पानीपत बस स्टैंड धमाका केस में जिला न्यायालय ने बरी कर दिया है।
टुंडा, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठन से जुड़ा रहा है और उस पर भारत में 40 से ज्यादा बम धमाके करने के आरोप हैं।
पानीपत में 1 फरवरी 1997 को बस स्टैंड के पास एक निजी बस में धमाका हुआ था। इस धमाके में लगभग 13 लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। इसमें से एक की मृत्यु हो गई थी। इस विस्फाेट केस में अब्दुल करीम टुंडा को आरोपी बनाया गया था।
अब्दुल करीम टुंडा कैप्सूल बम बनाने में माहिर है।
Panipat-blast-accused-terrorist-Abdul-Karim-Tunda-acquitted 

बताया जाता है कि बांग्लादेश में बम बनाने के दौरान विस्फाेट हो गया जिसमें उसका बायां हाथ उड़ गया। वह देसी तकनीक से बम बनाना सिखाता था। लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों में उसकी भारी डिमांड थी। वह 1985 में आईएसआई से ट्रेनिंग ले चुका था।
दिल्ली,पानीपत,सोनीपत,लुधियाना,कानपुर और वाराणसी में हुए कई बम ब्लास्ट में टुंडा आरोपी था।
26/11 मुंबई अटैक के बाद भारत ने जिन 20 आतंकियों को सौंपने की मांग पाकिस्तान से की थी,उनमें टुंडा का भी नाम शामिल था।
पूछताछ में उसने आईएसआई और लश्कर से लिंक होने की बात भी कबूली थी। वहीं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद जैसे देश के दुश्मनों का भी करीबी बताया जाता है।
मार्च 2016 में दिल्ली में 4 मामलों में अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया गया था ।
दिल्ली पुलिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक टुंडा की 3 बीवियां जरीना,मुमताज और आसमा 7 बच्चों के साथ लाहौर में रहती हैं। उसके पुत्र लाहौर और कराची में उसका धंधा संभालते हैं।
जांचकर्ताओं के मुताबिक टुंडा ने उन्हें बताया कि उसकी दूसरी बीवी मुमताज से उसका तीसरा पुत्र अब्दुल वारिस भारत में एक आतंकवादी घटना में शामिल था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे एक बार गिरफ्तार भी किया था।
2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तारी के बाद टुंडा ने दावा किया था कि वारिस भी लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था। उसने एक भारतीय जेल में 8 वर्ष की सजा काटी और उसके बाद पाकिस्तान लौटा।
अब जनता के मन में टुंडा की बरी को लेकर एक प्रश्न बार-बार उठ रहा है कि टुंडा के खिलाफ इतने सबूत होने के बाद भी उसे बरी किया जाता है लेकिन बिना सबूत 2008 से जेल में बन्द साध्वी प्रज्ञा को अभी तक बरी क्यों नही किया गया?
ऐसे ही 2010 से जेल में बंद स्वामी असीमानन्द को भी अभी तक बरी क्यों नहीं किया गया ?
क्या हिन्दू होना गुनाह है...???
आपको बता दें कि एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट भी दे दी है,उसके बावजूद भी जमानत तक नही होना बड़ा आश्चर्य है!!!
जब कि साध्वी प्रज्ञा केंसर से पीड़ित हैं उनका चलना, फिरना, उठना, बैठना भी मुश्किल हो रहा है  फिर भी ईलाज के लिए भी जमानत नहीं देना कितना बड़ा अन्याय हैं!
स्वामी असीमानंद ने भी ईसाई धर्मान्तरण पर रोक लगाई थी इसलिए उनको टारगेट बनाकर जेल भेज दिया गया था ।
जॉइंट इंटेलीजेंस कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस डी प्रधान ने देश में भगवा आतंक की थ्योरी को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
जिसमे उन्होंने बताया है कि साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानंद का ब्लास्ट में नाम ही नही था और ब्लास्ट पाकिस्तान द्वारा ही करवाया गया था । इसका पुख्ता सबूत होने पर भी चिंदमर ने राजनीतिक फायदे के लिए साध्वी प्रज्ञा और स्वामी असीमानन्द जैसे हिंदुत्व निष्ठों को जेल भेजा गया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि टुंडा के खिलाफ इतने अहम सबूत होने पर भी वह बरी हो जाता है लेकिन इन हिन्दू संतों के खिलाफ सबूत नही होने पर भी जेल में रहते है तो क्या हिंदुत्व निष्ठ होना गुनाह है?
ऐसे ही संत आसारामजी बापू  को भी क्लीन चिट मिल चुकी है लेकिन उनको भी अभीतक जमानत तक नही मिल पा रही है ऐसे ही श्री धनंजय देसाई को भी बिना सबूत जेल में रखा हुआ है ।
हिन्दूवादी सरकार आने पर भी इन हिंदुत्व निष्ठों को जमानत तक नही मिलना और खूंखार आतंकी टुंडा बरी हो जाना, कितना बड़ा आश्चर्य है ।
तरुण तेजपाल, सलमान खान, जय ललिता, लालू प्रसाद यादव आदि भी अपराध सिद्ध होने पर भी बरी हो जाते है तो इन निर्दोष हिंदुत्व में निष्ठा रखने वालों को जमानत क्यों नही मिल रही है...???
निर्दोष हिन्दू संतों को कब मिलेगा न्याय???
"क्या देर से न्याय मिलना अन्याय का ही रूप नहीं ?"
सोचो हिन्दू !!!

Friday, December 2, 2016

एनजीटी(NGT) ने कार्यवाही में हिंदी पर लगाया प्रतिबंध : कहा - सुनवाई में केवल अंग्रेजी भाषा ही मान्य !!

एनजीटी(NGT) ने कार्यवाही में हिंदी पर लगाया प्रतिबंध :
कहा - सुनवाई में केवल अंग्रेजी भाषा ही मान्य !!
एनजीटी एक बार फिर से चर्चा में आ गया है पहले श्री श्री पर जुर्माना लगाने पर काफी चर्चा में आया था , अब हिंदी की याचिका पर रोक लगाने से फिर से चर्चा में आ गया है ।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपनी कार्यवाही के दौरान हिंदी पर प्रतिबंध लगाते हुए साफ किया है कि वह वादी जो उनके समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होते हैं वह अपने दस्तावेज केवल अंग्रेजी में ही प्रस्तुत करें।
हरित पैनल ने कहा कि 2011 एनजीटी (चलन एवं प्रकिया) नियमों के नियम 33 के अनुसार अधिकरण की कार्यवाही केवल अंग्रेजी में ही होनी चाहिए।
अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री मुकेश जैन की वह याचिकाएं जिसके अंग्रेजी में न होने के कारण उन्हें एनजीटी ने अस्वीकार कर दिया था, उन पर पुनर्विचार करने के लिए दायर की गई समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया गया है।

एनजीटी(NGT) ने कार्यवाही में हिंदी पर लगाया प्रतिबंध : कहा - सुनवाई में केवल अंग्रेजी भाषा ही मान्य !!

न्यायाधीश यूडी साल्वी की अध्यक्षतावाली बेंच ने कहा, ‘‘दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता को यह भम्र था कि हिंदी के राष्ट्रीय भाषा होने के चलते अधिकरण हिंदी की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा।
हालांकि अब यह भ्रम दूर कर दिया गया है और उन्हें समझ में आ गया है कि 2011 एनजीटी (चलन एवं प्रकिया) नियमों के नियम 33 के अनुसार एनजीटी के काम केवल अंग्रेजी में ही होंगे ।’’
उन्होंने कहा कि, ‘‘इन याचिकाओं और रिकार्डो पर विचार करते हुए, जिनके वास्तविक अंग्रेजी संस्करण 24 सितंबर 2015 को दायर किए गए थे, हम उन याचिकाओं को स्वीकार करते हैं और उन्हें फाइल में बहाल करते हैं।
हालांकि वे सभी हिंदी याचिकाएं जो अपने अंग्रेजी अनुवाद के बिना दायर की गई थी, उन्हें अस्वीकार किया जाता है ।’’
आखिर क्या था मामला...???
दारा सेना के महामंत्री मुकेश जैन
द्वारा हिन्दी में दायर याचिका संख्या 195ध्2016 जिसमें दिल्ली सरकार की सम विषम वाहन योजना को रद्द करने की मांग राष्ट्रीय हरित अधिकरण से की गयी थी,क्योंकि सम विषम योजना में करोड़ों रुपये बर्बाद करने के बाद भी वायु प्रदूषण में कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि इस योजना के कारण परेशानी ही झेलनी पड़ रही है।
किन्तु हरित अधिकरण के न्यायधीशों सर्व श्री एम.एस नाम्बियार और विक्रम सिंह साजवान ने इस याचिका का अंग्रेजी अनुवाद देने का याचिकाकर्ता श्री मुकेश जैन को आदेश दिया।
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच !!
इस मामले में याचिका कर्ता अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के महामंत्री श्री मुकेश जैन ने कहा कि हरित अधिकरण में राजभाषा हिन्दी को लगातार प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है। जिसकी शिकायत हमने भारत सरकार के राजभाषा विभाग में भी की हुई है।
इस मामले में गत 18 मार्च को जब श्री मुकेश जैन ने अधिकरण के अध्यक्ष श्री स्वतन्त्र कुमार से भारतीय राजभाषा नियम 1976 के तहत हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री स्वतन्त्र कुमार से आदेश हिन्दी में देने का विनम्र अनुरोध किया था तो श्री स्वतन्त्र कुमार ने इसे न्यायालय की अवमानना मानकर श्री मुकेश जैन के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट निकाल गिरफ्तार कराया था ।
लेकिन उनका कहना है कि हम हरित अधिकरण के इन अत्याचारों, गिरफ्तारी और प्रताड़ना से न दबने वाले और न ही टूटने वाले हैं।
हरित अधिकरण को हम अपनी याचिका का अंग्रेजी अनुवाद किसी भी हालत में नहीं देंगे। अधिकरण को जो कुछ भी करना हो कर ले। अधिकरण अपनी बन्दर घुडकियों से श्री श्री रविशंकर जी को डरा सकता हैं हम डरने वाले नहीं।
हिन्दी में दायर की याचिकाएं खारिज करने के मामले ने तूल पकड़ा !!
जब दोबारा एनजीटी ने 26 अक्टूबर 2016 को हिंदी में याचिका खारिज कर दी तो दिल्ली में अखिल भारत हिन्दू महासभा भवन में आयोजित हिन्दी और हिन्दू संगठनों की बैठक हुई । उसमें अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच और अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक जी के नेतृत्व में निर्णय लिया गया कि राजभाषा हिन्दी विरोधी राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ईंट से ईट बजाकर देशद्रोही ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा।
बैठक में श्री चन्द्र प्रकाश कौशिक ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा हिन्दी में दायर की गयी याचिकाओं को फिर से निरस्त करना अधिकरण की गुंडागर्दी बताते हुए सरकार और राजभाषा विभाग से पूछा है कि अधिकरण का सारा कामकाज हिन्दी में करने के माननीय राष्ट्रपति जी के आदेशों के बावजूद भी सर्वोच्च न्यायालय से आये न्यायधीश हिन्दी के साथ कब तलक अन्याय करते रहेंगे ???
इस बारे में माननीय राष्ट्रपति जी, गृहमंत्री जी और राजभाषा विभाग के सचिव को ज्ञापन देकर शिकायत भी दर्ज करायी गयी।

Thursday, December 1, 2016

तीन दशक बाद नहीं बचेगा एक भी हिंदू – प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत

632 हिंदू रोजाना छोड़ रहे हैं बांग्लादेश ।तीन दशक बाद नहीं बचेगा एक भी हिंदू – प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत
ढाका : बांग्लादेश से लगातार हो रहा हिंदुओं का पलायन एक चिंता का विषय बनता जा रहा है, अगर देश से इसी प्रकार पलायन होता रहा, तो अगले 30 वर्ष में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा । ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत के अनुसार औसतन 632 हिंदू रोजाना बांग्लादेश छोड़ रहे हैं ।
दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट में प्रोफेसर बरकत के हवाले से कहा गया है कि पिछले 49 वर्ष में पलायन का जिस तरह का पैटर्न रहा है वो उसी दिशा की ओर बढ़ रहा है ।अगले तीन दशक में बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा ।
बरकत ने अपनी किताब ‘Political economy of reforming agriculture-land-water bodies in Bangladesh’ में ये बात कही है । ये किताब 19 नवंबर को प्रकाशित होकर आई है ।
exodus-of-hindus-from-bangladesh-is-growing-three-decades-later-there-will-be-no-hindu-

प्रोफेसर बरकत ने ढाका यूनिवर्सिटी में किताब के विमोचन के दौरान बताया कि 1964 से 2013 के बीच लगभग 1 करोड़ 13 लाख हिंदुओं ने धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के कारण से बांग्लादेश छोड़ा । ये आंकड़ा औसतन हर दिन 632 का बैठता है । इसका अर्थ ये भी है कि हर वर्ष 2, 30, 612  हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं ।
प्रोफेसर बरकत ने अपने 30 वर्ष के शोध के दौरान पाया कि अधिकतर हिंदुओं ने 1971 में बांग्लादेश को आजादी मिलने के बाद फौजी हुकूमतों के दौरान पलायन किया ।
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिनों में हर दिन हिंदुओं के पलायन का आंकड़ा 705 था । 1971-1981 के बीच ये आंकड़ा 512  रहा । वहीं 1981-1991 के बीच औसतन 438 हिंदुओं ने हर दिन पलायन किया । 1991-2001 के बीच ये आंकडा बढ़कर 767  हो गया । वहीं 2001-2012 में हिंदुओं के हर दिन पलायन का आंकड़ा 774 रहा ।
ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अजय रॉय ने कहा कि, बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तान के शासन वाले दिनों में सरकार ने अनामी प्रॉपर्टी का नाम देकर हिंदुओं की संपत्ति को जब्त कर लिया । स्वतंत्रता मिलने के बाद भी निहित संपत्ति के तौर पर सरकार ने कब्जा जमाए रखा । इसी वजह से लगभग 60 प्रतिशत हिंदू भूमिहीन हो गए ।
रिटायर्ड जस्टिस काजी इबादुल हक ने इस समय कहा है कि अल्पसंख्यकों और गरीबों को उनकी भूमि के अधिकार से वंचित कर दिया गया ।
प्रोफेसर बरकत ने अपनी किताब को बचपन के उन दोस्तों को समर्पित किया है जो ‘बुनो’ समुदाय से थे और अब उनका नामलेवा भी बांग्लादेश में नहीं बचा है ।
भारत में अल्पसंख्यक मुस्लिम पर कुछ होता है तो मीडिया दिन-रात खबरें दिखाती रहती है और सेक्युलर लोग उनके बचाव में टूट पड़ते है लेकिन बांग्लादेश में हररोज इतना हिन्दुओ का पलायन होना व उनके ऊपर इतना अत्याचार होने पर मीडिया और  सेक्युलर लोगों ने चुप्पी क्यों साधी है ???
आपको बता दें कि कश्मीर से पंडितों को भगा दिया गया और बाद में उत्तर प्रदेश में कैराना से भी कई हिन्दू परिवार पलायन कर गए । और भी कई जगहों के नाम सुनने में आये और अभी उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ में भी हिन्दू पलायन हो रहे हैं ।
अब एक ही उपाय है हिन्दू संगठित होकर अन्याय का प्रतिकार करें ।
नही तो एक ऐसा समय आयेगा कि हिन्दू नाम भी बोल नही पाओगे !!
ईसाई मिशनरियाँ और मुस्लिम देश दिन-रात हिंदुस्तान और पूरी दुनिया से हिन्दुस्तान को मिटाने में लगे हैं अतः हिन्दू सावधान रहें ।
अभी समय है हिन्दू एक होकर हिन्दुओं पर हो रहे प्रहार को रोके तभी हिन्दू बच पायेंगे ।हिन्दू होगा तभी सनातन संस्कृति बचेगी ।
अगर सनातन संस्कृति नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है ।
सदाचार व भाई-चारे की भावना अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति है ।
शत्रु को भी क्षमा करने की ताकत अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति है ।
प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्वकृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो सनातन संस्कृति में है ।
ऐसी महान संस्कृति में हमारा जन्म हुआ है , हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए आज हिंदुओं को ही संगठित होने की जरुरत है ।

हिंदुओं के बहुलता वाले देश हिंदुस्तान में अगर आज हिन्दू पीड़ित है तो सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की निष्क्रियता और अपनी महान संस्कृति की ओर विमुखता के कारण !!
जय हिन्द!

Wednesday, November 30, 2016

सिंधु सेना : संत आसारामजी बापू के खिलाफ मुकदमा होना साजिश, जमानत न होना बड़ी साजिश

सिंधु सेना : संत आसारामजी बापू के खिलाफ मुकदमा होना साजिश, जमानत न होना बड़ी साजिश
जोधपुर जेल में बिना सबूत 39 महीनों से बन्द संत आसारामजी बापू को अभीतक जमानत नही मिलने पर जोधपुर में सिंधु सेना ने प्रेस कान्फ्रेंस करके उनकी शीघ्र रिहाई की मांग की है ।
आइये जानते हैं कि सिंधी समाज के सिंधु सेना के राष्ट्रीय महासचिव श्री विजय पेशवानी ने प्रेस कान्फ्रेंस में क्या कहा...
उन्होंने कहा कि हमारे पूजनीय संत पूज्य श्री आसारामजी बापू पर 33 माह पुराना केस लगा हुआ है ।
मैं कहना चाहता हूँ कि हमारे हिंदुस्तान के अंदर, इस लोकतंत्र के अंदर FIR होना मतलब आरोप सिद्ध नही हो जाता है ।
सिंधु सेना : संत आसारामजी बापू के खिलाफ मुकदमा होना साजिश, जमानत न होना बड़ी साजिश

आरोप अभी तक साबित हुआ नहीं है, कोर्ट ने उनको अभी दोषी नहीं माना है, ट्रायल चल रहा है, 39 महीने से अधिक समय हो गया पूज्य संत श्री आशारामजी बापू को जमानत क्यों नहीं ?
इस प्रकार का केस, इस प्रकार की FIR क्या पूरे हिंदुस्तान में पहली FIR है ???
क्या इस प्रकार की FIR पर पहले किसी की जमानत नहीं हुई है ???
पूज्य संत आसारामजी बापू को पहले धमकियाँ मिलती रही, इतने करोड़ दो नहीं तो मुकदमा चलायेगें ।
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के खिलाफ मुकदमा होना, यह साजिश का हिस्सा है और उनकी आज तक जमानत न होना, यह उससे भी बड़ी साजिश का हिस्सा है ।
ऐसे संत महापुरुष, जिन्होंने अपनी 70-80  साल की उम्र में इस देश को, इस समाज को ऐसी-ऐसी सेवाएँ दी...हिंदुत्व के नाते, गौरक्षा के लिए ।
उनकी इतनी सेवाओं को गोल कर दिया गया एक मुकदमें के ऊपर ।
क्या यह मुकदमा बड़ा हो गया ?
उनकी दी गयी सेवाएँ, उनके किये गये कार्य छोटे हो गये ?
मैं पूछना चाहता हूँ इस लोकतंत्र के अंदर क्या जमानत माँगना अपराध है ?
मुकदमा दर्ज होना, मुकदमें की ट्रायल चलना, जमानत आज तक न हो पाना...मैं आप से इसका कारण पूछना चाहता हूँ ।
इस लोकतंत्र के अंदर जमानत मांगना अपराध है ?
जमानत मांगने पर बापूजी बाहर आते हैं तो कौन से मुकदमें को कैसे प्रभावित कर सकते हैं ?
आप ही मुझे बताए..!!
मैं मीडिया के माध्यम से कहना चाहता हूँ वो आदरणीय इस देश के अंदर हैं । वो आदरणीय ऐसे ही इस देश के अंदर नहीं बनें ।
उनमें कुछ न कुछ कला होगी, उन्होंने देश को कुछ दिया होगा, उन्होंने भक्तिभाव हिंदुत्व के नाम पर इस देश की सेवा की है। अच्छे लोगों को अच्छे रास्ते दिखाए हैं, शराब जैसे बुरी चीजें,अफीम जैसी बुरी चीजें , नशे जैसी बुरी चीजें उनसे छुड़वाई हैं।
उनका अपराध यही है कि वो एक हिन्दू एक देश भक्त हैं, एक सेवक हैं, समाज के एक अग्रणी व्यक्तिओं में हैं । कुछ देशद्रोही ऐसे हैं जिनका हो सकता है बहुत बड़ा नुकसान हुआ हो ।
हिन्दू जो है वो इसाई धर्म की तरफ लंपट हो रहे थे । आसारामजी बापू ने पहला प्रयास किया हिन्दू को ईसाई बनने से रोका है । उनको उस समय से धमकियाँ मिल रही हैं।
मैं सबसे पहले ये कहना चाहता हूँ कि जो यहाँ षड़यंत्र रच रहे हैं, वो क्या आसारामजी बापू को जेल के अंदर ही बिना सजा मिले माफ करना चाहते हैं ? मुकदमा चलना मुकदमें की ट्रायल चलना जमानत अभी तक न मिलना । 
मैं ये कहना चाहता हूँ कि उनके विरुद्ध के जो सारे गवाह थे उन सबके बयान हो गये हैं अब सारे उनके पक्ष के गवाह चल रहे हैं, तो क्या अब भी वो बाहर आने से किसी को प्रभावित कर सकते हैं  ?
या आपने बिना गवाह के, बिना decision के उनको आरोपी मान लिया अब उनको अंदर रखेगें बाहर नहीं निकालेंगे चाहे केस का फैसला हो या जमानत हो । 
वो आदमी किस तरह से फेस कर रहा होगा 39 महीनों से, कितनी बड़ी उम्र के हैं ।
मैं वो रिपोर्ट भी लाया हूँ जहाँ कुछ हुआ ही नहीं है ।
मीडिया से भ्रमित होने से पहले सत्य को जानना चाहिए । 39 महीनें से कोई बेवजह जेल में है।
हमको रोना आता है इस देश की मीडिया पर, रोना आता है इस बात पर कि एक आदमी ने प्रक्रिया रच कर कितने दिलों को ठेस पहुँचाई है ।
आगे सिंधु सेवा राष्ट्रीय संरक्षक देवानंद फेरवानी ने बताया कि मेरा इस केस से कोई लेना-देना नहीं था । हमारे समाज में अनेक युवाओं का कहना है कि आसारामजी बापू को सजा हो गई है वो उलटा हमसे बहस कर रहे हैं । अब उनको समझाने के लिए हमें प्रूफ करना पड़ता है, हमारे पास प्रुफ होते नहीं हैं । हमें भी पता नहीं है सजा हुई है या नहीं । हमें इस केस की बिलकुल जानकारी नही थी।
हमने तत्काल कहा हम जोधपुर जाएगें जोधपुर मददगारियों से इस केस की जानकारी लेगें ।
हमने आज तक की जो परिस्थितियां देखी हैं , आज तक की जो बात सुनी वो अच्छी थी, बाहर की बातें गलत थी । हमारा केवल मकसद ये जो सच्चाई है वही हो । उनकी उम्र 80 साल की है । उनको जल्द से जल्द रिहा करो ।
आगे बताया कि आसारामजी बापू को जल्द से जल्द जमानत मिले 3 साल हो चुके हैं और उनको जमानत मिले इस लिये इस देश में सिंधु सेना हस्ताक्षर का अभियान चलाने जा रही है ।
देश की जनता क्या चाहती है,
देश की जनता का कितना समर्थन है ,
और कितने लोग जानते है सही और गलत ।जल्द से जल्द फैसला हो इस केस का ।
श्री विजय पेशवानी ने कहा कि जिन लोगों को बापूजी के अंदर रहने से फायदा होता है वो साजिश करता हैं जिन लोगो को बापूजी के बाहर रहने से नुकसान होता है वो ही साजिश करता हैं...!!
आपको बता दें कि जोधपुर के बाद सतना (मध्य प्रदेश) में भी सिन्धु सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके शीघ्र रिहा करने की माँग उठाई है ।
गौरतलब है कि तीन साल से अधिक समय हो गया संत आसारामजी बापू को क्लीनचिट मिले हुए ।
पर फिर भी बिना सबूत आज तक जेल में रखा गया है जिससे सिंधु सेना ने आक्रोश दिखाते हुये प्रेस कॉन्फेंस बुला संत आसारामजी बापू की शीघ्र रिहाई की मांग उठाई है ।

Tuesday, November 29, 2016

आम आदमी का सवाल :150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???

आम आदमी का सवाल :
150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???
इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना के 150 गौरवशाली वर्षों और इसके भवन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हाईकोर्ट जश्न मना रहा है।
तमाम समारोहों और कार्यक्रम के जरिए इन गौरवशाली वर्षों और उपलब्धियों को याद किया जा रहा है ।
मगर इन सबके बीच आम आदमी यह भी पूछा रहा है कि इन डेढ़ सौ वर्षों की यात्रा में उसे क्या हासिल हुआ...???
आम जनता की ओर से यह सवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने उठाया है।
मुख्य न्यायाधीश और बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में जस्टिस अग्रवाल ने आम वादकारी (फरियादकर्ता) के हित में कदम उठाने की अपील भी की है।
शनिवार को आयोजित शताब्दी समारोह के मौके पर आम वादकारी (फरियादकर्ता) को भूलने पर चिंता जाहिर करते हुए जस्टिस अग्रवाल ने कहा है कि आम आदमी यह पूछ रहा है कि इन 150 वर्षों की न्याय यात्रा में उसे क्या हासिल हुआ ? सिवाए मुकदमों के फैसलों का वर्षों इंतजार करने और तारीखें गिनने के। 
हाईकोर्ट में लाखों मुकदमेँ विचाराधीन हैं और वादकारी (फरियादकर्ता) दशकों से न्याय की आस लगाए हैं। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे जनता को एहसास हो कि न्यायपालिका अविलंब न्याय देने को लेकर गंभीर है।
Azaad Bharat - आम आदमी का सवाल :150 वर्षों की न्याय यात्रा में हमें क्या मिला...???

जस्टिस अग्रवाल ने सुझाव दिया है कि क्यों न डेढ़ सौ स्थापना वर्ष पूरे होने से पूर्व हम अगले वर्ष 17 जनवरी से 17 मार्च के बीच पड़ने वाले हर शनिवार को अदालत खुली रखें और इस दौरान 2010 से पहले के मुकदमों को निपटाया जाए। इन दिनों में नए मुकदमों की सुनवाई न की जाए। ऐसा करके हम हजारों पुराने मुकदमों को निपटा सकते हैं।
पत्र में उन्होंने कहा है कि समारोह में अपनी उपलब्धियां याद करते समय हम वादकारियों (फरियादकर्ताओं) को भी उसमें शामिल करें। उन्हें पता चलना चाहिए कि जिनके लिए इस न्यायपालिका का गठन हुआ उनके लिए भी हम कुछ करना चाहते हैं। 
उन्होंने शनिवार को काम करने का प्रस्ताव पारित करने का सुझाव देते हुए कहा है कि यदि हम न्याय देने में गति ला सकें तो वह इस समारोह वर्ष की उपलब्धि होगी। 
जस्टिस अग्रवाल ने पत्र की प्रतियां मुख्य न्यायधीश दिलीप बी भोसले के अलावा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्षों को भी भेजी हैं।
जस्टिस अग्रवाल ने जो प्रश्न उठायें वो सही में सरहानीय कदम है जस्टिस अग्रवाल की तरह आज सभी न्यायधीश हो जायें तो एक भी मुकदमा बाकि नही रहेगा और सभी को शीघ्र न्याय मिलेगा ।
आज आम आदमी कोर्ट जाने से डरता है क्योंकि उसे पता है केस करूँगा तो फैसला जल्दी आने वाला नही है , सालों तक चक्कर काटते रहो फिर भी मिलती है तो बस अगली तारीख, न्याय नही मिलता । 
न्याय मिलने में महीने नही सालों लग जाते हैं । न्याय पाने के लिए व्यक्ति अपना घर, जमीन, गहने तक बेच देता है लेकिन फिर भी उसको मिलती है तो सिर्फ अगली तारीख.....
कई बार तो न्याय की आस में कोर्ट के चक्कर काटते काटते जिंदगी पूरी हो जाती है लेकिन न्याय नही मिल पाता है ।
और कहावत है कि "लंबे समय तक न मिलने वाला न्याय अन्याय ही है" ये बात 100% सही भी है ।
कोई किसी पर झूठा आरोप लगा दे और उसे जेल में धकेल दिया जाये फिर उसको जमानत तक नही मिल पाये और वर्षों तक बिना अपराध सिद्ध जेल में रहने के बाद उसको निर्दोष बरी किया जाये तो कैसा लगेगा...???
उसका समय, इज्जत व पैसा वापिस कौन लौटा पायेगा...???
कई बार तो पैसा नही होने की वजह से वकील की फीस तक नही दे पाते हैं इसलिए भी जमानत नही हो पाती है और वर्षो तक जेल में रहना पड़ता है ।
दूसरी और षड़यंत्र के तहत निर्दोष हिन्दू साधु-संतों और हिंदुत्वनिष्ठों के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है ।
जैसे 9 साल से साध्वी प्रज्ञा, 7 साल से स्वामी असीमानन्द, 7 साल से स्वामी अमृतानन्द, 7 साल से कर्नल पुरोहित, 3 साल से संत आसारामजी बापू, 3 साल से नारायण साईं, 2 साल से धनंजय देसाई आदि जेल में हैं ।
जिन पर आज तक एक भी अपराध सिद्ध नही हुआ है लेकिन उनको जमानत तक नही मिल पा रही है ।
इसमें से साध्वी प्रज्ञा और संत आसारामजी बापू को तो क्लीन चिट भी मिल गई है फिर भी जमानत नही मिल पा रही है ।
क्या इनका यही कसूर था कि हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए ये तन-मन-धन से लगे थे इसलिए उनको जमानत नही दी जा रही है???
जब इन सुप्रसिद्ध संतों को जमानत नही मिल रही है तो आम जनता कैसे विश्वास करें न्यायालय पर ?
जल्दी न्याय नही मिलने पर आम जनता का न्याय प्रणाली पर से भरोसा उठ रहा है। सरकार और न्यायप्रणाली को इस ओर ध्यान देना चाहिए ।

Monday, November 28, 2016

18 बड़ी दवा कंपनियों ड्रग टेस्ट में हुई फ़ैल: हो जाएँ सावधान



अंग्रेजी दवाइयों से सावधान : सात राज्यों के टेस्ट में फेल हुईं

दवा बनाने वाली 18 बड़ी कंपनियाँ दवा नियामकों के टेस्ट में फेल हो गई हैं।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश इन सात राज्यों में दवा नियामकों ने टेस्ट करवाया था।
इन सात राज्यों के दवा नियामकों ने 27 दवाओं में गुणवत्ता पर खरा न उतरने, गलत लेबल लगाने समेत कई अन्य खामियां निकाली हैं ।
जिन कंपनियों पर, दवाओं के मानकों पर खरा न उतरने का आरोप है उनमें एबॉट इंडिया, ग्लैक्सो स्मिथकलाइन इंडिया, सन फार्मा, सिप्ला, ग्लेनमार्क जैसी बड़ी कंपनियों के नाम शामिल हैं। 

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इन 18 कंपनियों में दवा बनाने वाली वो दो कंपनियां भी शामिल हैं जो बिक्री के मामले में प्रतिस्पर्धी कंपनियों से कहीं आगे हैं।
टेस्ट पर खरा न उतरने के बाद दो कंपनियों ने बाजार में अपनी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है।
एबॉट इंडिया की एंटीबायोटिक दवा पेंटाइड्स, एलेम्बिक की एल्थ्रोसिन, कैडिला फार्मा की वासाग्रेन, ग्लेनमार्क फार्मा की सिरफ एस्कॉरिल, टॉरेंट फार्मा की डिलजेम दवा पर दवा नियामकों ने सवाल उठाए हैं।
इसके अलावा 10 अन्य कंपनियों पर भी खराब दवाओं को बेचने का आरोप है। 
सावधान ! आप जो जहरीली अंग्रेजी दवाइयाँ खा रहे हैं उनके परिणाम का भी जरा विचार कर लें।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने पूर्व भारत सरकार को 72000 के करीब दवाइयों के नाम लिखकर उन पर प्रतिबन्ध लगाने का अनुरोध किया था ।
क्यों ? 
क्योंकि ये जहरीली दवाइयाँ दीर्घ काल तक पेट में जाने के बाद यकृत, गुर्दे और आँतों पर हानिकारक असर करती हैं, जिससे मनुष्य के प्राण तक जा सकते हैं।
कुछ वर्ष पहले न्यायाधीश हाथी साहब की अध्यक्षता में यह जाँच करने के लिए एक कमीशन बनाया गया था कि इस देश में कितनी दवाइयाँ जरूरी हैं और कितनी बिन जरूरी हैं जिन्हें कि विदेशी कम्पनियाँ केवल मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही हैं।
फिर उन्होंने सरकार को जो रिपोर्ट दी, उसमें केवल 117 दवाइयाँ ही जरूरी थीं और 8400 दवाइयाँ बिल्कुल बिनजरूरी थीं।
उन्हें विदेशी कम्पनियाँ भारत में मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही थीं और अपने ही देश के कुछ डॉक्टर लोभवश इस षडयंत्र में सहयोग कर रहे थे।
पैरासिटामोल नामक दवाई, जिसे लोग बुखार को तुरंत दूर करने के लिए या कम करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं, वही दवाई जापान में पोलियो का कारण घोषित करके प्रतिबन्धित कर दी गयी है।
उसके बावजूद भी प्रजा का प्रतिनिधित्व करनेवाली सरकार प्रजा का हित न देखते हुए शायद केवल अपना ही हित देख रही है।
सरकार कुछ करे या न करे लेकिन आपको अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना है तो आप इन जहरीली दवाइयों का प्रयोग बंद करें और करवायें। भारतीय संस्कृति ने हमें आयुर्वेद के द्वारा जो निर्दोष औषधियों की भेंट की हैं उन्हें अपनाएँ।
साथ ही आपको यह भी ज्ञान होना चाहिए कि शक्ति की दवाइयों के रूप में आपको, प्राणियों का मांस, रक्त, मछली आदि खिलाये जा रहे हैं जिसके कारण आपका मन मलिन, संकल्पशक्ति कम हो जाती है।
तथा आपके जीवन में खोखलापन आ जाता है।
एक संशोधनकर्ता ने बताया कि ब्रुफेन नामक दवा जो आप लोग दर्द को शांत करने के लिए खा रहे हैं उसकी केवल 1 मिलीग्राम मात्रा दर्द निवारण के लिए पर्याप्त है, फिर भी आपको 250 मिलीग्राम या इससे दुगनी मात्रा दी जाती है। यह अतिरिक्त मात्रा आपके यकृत और गुर्दे को बहुत हानि पहुँचाती है। साथ में आप साइड इफेक्टस का शिकार होते हैं वह अलग !
अतः हे भारतवासियो ! हानिकारक रसायनों से और कई विकृतियों से भरी हुई एलोपैथी दवाइयों को अपने शरीर में डालकर अपने भविष्य को अंधकारमय न बनायें। शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार-पद्धति ही अपनाए ।



Sunday, November 27, 2016

कैराना के बाद अब अलीगढ़ से हो रहे हैं हिन्दू पलायन !!

अलीगढ़ से हो रहे हैं हिन्दू पलायन...!!
अभी हाल ही में कैराना के 346 हिंदू परिवारों ने मुसलमानों की गुंडागर्दी से बनी दहशत के कारण पलायन कर दिया था। उसका मामला अभी तो थमा ही नही और दूसरा एक मामला सामने आ गया है ।

https://youtu.be/w3GSMWfSlrc

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कई हिन्दू घर संपत्ति, दुकानें छोड़कर चले गए हैं और कई जाने की तैयारी कर रहे हैं।
चौकाने वाली तो तब हुई जब वहाँ की मेयर भी मुस्लिम आतंक से परेशान होकर अलीगढ़ छोड़कर जाना चाहती है ।
अलीगढ़ में हिन्दुओं के कई मकानों दुकानों में ताले लगे हैं उसके ऊपर बोर्ड लिखा है कि यह मकान/दुकान बिकाऊ है ।
वहाँ पर हिन्दू बहु-बेटियाँ सुरक्षित नही हैं। दिन में भी कई मुस्लिम लड़के छेड़छाड़ी करते हैं । माँ-बाप अपनी बेटी को घर से अकेले नही भेजना चाहते हैं। यहाँ तक कि स्कूल भेजने में भी डर रहे हैं ।

कैराना के बाद अब अलीगढ़ से हो रहे हैं हिन्दू पलायन 

अलीगढ़ में जो हिन्दुओं की एकमात्र आजीविका का साधन थी दुकानें, उसको भी मुस्लिम लड़कों ने पत्थरबाजी करके बन्द करवा दिया , जिन पर आज बिकने के लिए बोर्ड टँगे है ।
बाबरी मंडी के इलाकों में दुकानों पर लिखा है कि "जान है तो जहान है ये दुकान बिकाऊ है"
इन मुस्लिम समुदाय के अत्याचारों से बचने के लिए हिन्दुओं को एकमात्र पुलिस का सहारा था । लेकिन पुलिस भी हिन्दुओं की कोई सहायता नही कर रही है ।
अपना हिन्दुस्तान जिसने "वसुधैव कुटुंब" एकता का पाठ पूरी दुनिया को पढ़ाया ही नही बल्कि साकार करके भी दिखा दिया ।
आज उस हिंदुस्तान में हिंदुओं पर ही अत्याचार हो रहा है। अब हिन्दू जाएँ तो कहाँ जाये?
हिन्दुस्तान में ही हिन्दू कितना लाचार हो गया है कि अपने वतन में भी शांति से नही रह पा रहा है घर छोड़ने को मजबूर हो रहा है ।
अब प्रश्न यह उठता है कि हिंदुओं के साथ हो रहे इस अत्याचार पर भारतीय मीडिया और सेक्युलर लोग चुप क्यों हैं ??
यही किसी मुस्लिम समुदाय के साथ हो रहा होता तो मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज में ये खबर देखने को मिलती !
क्यों हिंदुओं के साथ इतना पक्षपात भरा रवैया है भारत की मीडिया का ?
सोचिये !!
जिस हिन्दू संस्कृति से पूरी दुनिया को सुख शांति का पैगाम मिला उसके लिए आज भारत का अन्न खाने वाली मीडिया आवाज उठाने को तैयार नही..!!!
आपको बता दें कि यह खबर कुछ समय पहले की है लेकिन मीडिया ने इसे दिखाना जरुरी नहीं समझा । कितने बड़े आश्चर्य की बात है। 
यही अगर किसी मुस्लिम या ईसाई समुदाय के साथ होता तो मीडिया 24 घण्टे न्यूज दिखाती, डिबेट बुलाती, अखबारों में मुख्य पेज पर बड़े-बड़े हेडिंग के साथ इंटरनेशनल खबरें बनती और सेक्युलर लोग बचाव करने के लिए आ जाते लेकिन हिन्दू आज प्रताड़ित हो रहा है तो सब चुप चाप बैठे हैं।
इन सब को देखते हुए हिन्दुओं को सावधान होना चाहिए ।
एक होकर आगे आना चाहिए,किसी एक भी हिन्दू के साथ अत्याचार हो रहा हो तो संगठित होकर मुकाबला करना चाहिए नही तो देश के अंदर जो कश्मीरी हिन्दुओं के साथ हुआ वैसा हो जायेगा ।
हिन्दुओं में एकता की कमी के कारण ही आज हिन्दू पलायन हो रहे हैं एक हिन्दू चला जाता है तो पड़ोसी हिन्दू चुप रहता है
एकबार भी विरोध नही करता है इसलिये आज ये दुर्दशा हो रही है ।
किसी हिन्दू साधु-संत के खिलाफ मीडिया दिखाती है तो उसको सच मानकर उनके खिलाफ बोलने लग जाते हैं ।
पर कभी विचार किया कि क्यों मीडिया कभी भी मौलवी या पादरी के खिलाफ कभी डिबेट नही चलाती ???

विचारें और बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें !!!
मीडिया में ज्यादातर फंडिग विदेश से होती है जो भारतीय संस्कृति को खत्म करने के लिए भारत के साधु-संतों और हिन्दू लीडरों को ही टारगेट करते हैं ।
आप सावधान रहें इन बिकाऊ मीडिया और सेक्युलर लोगो से ।
संगठित होकर अन्याय से लोहा लें ।
अन्याय करना पाप है पर अन्याय सहन करना दुगना पाप है ।
एक होकर अन्याय का विरोध करो और सभी हिन्दू एक दूसरे की रक्षा करो ।


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