Saturday, January 14, 2017

पुलिस गिरफ्त में आये सेक्स रैकेट के ग्रुप, लूटते थे मोटी रकम, NRI महिला भी शामिल !!

पुलिस गिरफ्त में आये सेक्स रैकेट के ग्रुप, लूटते थे मोटी रकम, NRI महिला भी शामिल!!

जयपुर : राजस्थान पुलिस ने एक ऐसे सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो रईसजादों को खूबसूरत महिलाओं के जाल में फंसाकर उनसे मोटी रकम ऐंठता था । इस रैकेट में एक 26 साल की एनआरआई महिला भी शामिल है । वहीं सेक्स रैकेट में पुलिस अधिकारी, पत्रकार और वकील भी शामिल हैं । सेक्स रैकेट के खुलासे के बाद कई पीड़ित रईसजादे अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे ।

सेक्स रैकेट और ब्लैकमेलिंग का ऐसा गिरोह, जिसके काम करने के तरीके सुनने के बाद लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल है कि यह कोई सेक्स रैकेट है या फिर कोई इंडस्ट्री । इस रैकेट में हर तरह के पेशे से जुड़े लोगों को अलग-अलग काम बांटे गए थे । रैकेट की पहली कड़ी लड़कियां होती थी । दरअसल गिरफ्त में आई एनआरआई महिला रवनीत कौर उर्फ रूबी शर्मा और देहरादून की रहने वाली कल्पना इस रैकेट की धोखेबाज हसीनाएं थी।


पुलिस गिरफ्त में आये सेक्स रैकेट के ग्रुप, लूटते थे मोटी रकम, NRI महिला भी शामिल!!

रूबी और कल्पना की मदद से ही यह गिरोह डॉक्टर, बिल्डर, होटल मालिक और चार्टेड अकाउंटेंट जैसे हाई-प्रोफाइल लोगों को फंसाता था । राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने गुरुवार को रवनीत कौर और कल्पना को गिरफ्तार किया । पुलिस ने रैकेट का खुलासा करते हुए बताया कि एनआरआई रूबी शर्मा 6 साल पहले भारत आई थी । रूबी के पिता हांगकांग में काम करते है । कोटा के एक कोचिंग सेंटर में काम करने वाली रूबी जयपुर की एक नामी यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद नौकरी की तलाश के दौरान ब्लैकमेलिंग के इस गिरोह में शामिल हो गई थी । रूबी और कल्पना पहले तो हाई-प्रोफाइल लोगों से दोस्ती बढ़ाती थी ।

5 स्टार होटल में बुलाकर बुनते थे फरेब का जाल..!!


फिर उन्हें 5 स्टार होटलों में बुलाकर झूठे रेप केस में फंसा देने की धमकी देकर पैसे ऐंठती थी । इस काम में गिरोह के दूसरे सदस्य उनकी मदद करते थे । 

पुलिस की माने तो गिरोह के सदस्यों ने अभी तक दर्जनों लोगों को ब्लैकमेल कर 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बनाई है । पुलिस के अनुसार, कुछ साल पहले रूबी शादी करके कोटा चली गई थी, जिसके बाद गिरोह ने देहरादून की रहने वाली कल्पना को इस काम में लगा दिया था । एसओजी ने कल्पना को देहरादून से गिरफ्तार किया है । पुलिस ने खुलासा किया कि गिरोह के सदस्य खासकर उन रईसजादों को अपना शिकार चुनते थे, जो अपने परिवार से काफी प्यार करते थे ।

रकम ऐंठने के बाद मौज-मस्ती करने जाते थे विदेश..!!

ऐसे लोगों को ढूंढने का काम गिरोह के सदस्य अक्षत और आनंद शांडिल्य करते थे । हर शिकार से पैसे ऐंठने के बाद यह लोग मौज-मस्ती करने विदेश जाते थे । पुलिस के अनुसार, यह अपने हर शिकार से एक से डेढ़ करोड़ रुपए से कम नहीं लेते थे । इस गिरोह ने कई पुलिस थानों के एसएचओ को भी अपने साथ मिला रखा था । आरोपी पुलिस अधिकारी पूरे फिल्मी अंदाज में गिरोह में शामिल महिलाओं पर मामला दर्ज करवाने के लिए दबाव डालते थे, और फिर बिचौलियों की मदद से उनसे मोटी रकम ऐंठ ली जाती थी । रकम लेने के बाद महिला पीड़ित व्यक्ति को बकायदा स्टम्प पेपर पर लिख कर देती थी, कि जो कुछ भी हुआ है उसकी मर्जी से हुआ है और वह किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं करना चाहती है ।

डॉक्टर ने जेल जाने से पहले किया था रैकेट का भंडाफोड़..!!

जिन पीड़ितों के पास इनको देने के लिए पैसे नहीं होते थे, उन्हें यह लोग रेप के झूठे केस में फंसा देते थे । हाल ही में गिरोह की एक अन्य सदस्य ने एक डॉक्टर को अपने जाल में फंसाया था । जिसके बाद आरोपियों ने डॉक्टर से डेढ़ करोड़ रुपये की मांग की मगर डॉक्टर 80 लाख रुपये से ज्यादा नहीं दे पाया । आरोपियों ने डॉक्टर के खिलाफ बलात्कार का झूठा मामला दर्ज करवा दिया । मगर जेल जाने से पहले डॉक्टर ने इनके गैंग का पर्दाफाश कर दिया । एसओजी ने बीते 24 दिसंबर को गैंग के कुछ सदस्यों को जयपुर से गिरफ्तार किया था ।

पुलिस के सामने तो पहुंचे मगर मीडिया के सामने नहीं..!!

जिसके बाद ब्लैकमेलिंग और सेक्स रैकेट की घिनौनी परतें खुलती चली गई । रैकेट का भंडाफोड़ होने की खबर मिलते ही कई नामी-अनामी लोग पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन इज्जत की खातिर वह लोग मीडिया के सामने नहीं आ रहे हैं । पुलिस ने सभी पीड़ितों का नाम गोपनीय रखने का फैसला किया है ।

 पुलिस अधिकारियों की मानें तो यह गैंग राजस्थान के साथ-साथ दिल्ली, गुजरात और मध्यप्रदेश में भी सक्रिय था । पुलिस गैंग के 9 अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी हुई है, जिनमें 5 लड़कियां भी शामिल हैं । फिलहाल पुलिस सभी आरोपियों से पूछताछ कर गैंग में शामिल पुलिस अधिकारियों के बारे में भी पड़ताल कर रही है । आला अधिकारियों की मानें तो जल्द इस मामले में कई खाकी वर्दी वाले भी जेल भेजे जाएंगे ।

ब्लैकमेलर निकली 'पीड़िता', फर्जी थी गैंगरेप की कहानी..!!

जयपुर में सरेराह अगवा कर एक युवती के साथ गैंगरेप की जिस घटना ने समूचे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया था, दरअसल वो घटना पीड़ित कही जाने वाली युवती के ब्लैकमेलिंग प्लान का हिस्सा था । जयपुर में हाल ही में पकड़े गए एक सेक्स रैकेट के खुलासे से आइडिया लेकर युवती और उसके दोस्त ने गैंगरेप और फिर ब्लैकमेलिंग की पूरी साजिश रची थी ।

पुलिस के मुताबिक, युवती ने ऋषिराज नाम के लड़के के साथ मिलकर उसके अमीर दोस्त संदीप लांबा को फंसाने की साजिश रची थी ।  युवती ने ऋषिराज के साथ मिलकर दो प्लान बनाए थे । पहला यह कि बलात्कार के नाम पर सरकार से मुआवजा लेंगे और फिर जब मामला कोर्ट में जाएगा तब मोटी रकम लेकर समझौता कर लेंगे । 

जयपुर के पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल ने बताया कि छानबीन के दौरान पुलिस को युवती के घर से 15 सिम कार्ड बरामद हुए हैं । संजय अग्रवाल के अनुसार आरोपी युवती पहले भी कई लोगों को फंसाने की कोशिश कर चुकी है । 

यहाँ तक कि मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस केस की मॉनिटरिंग कर रही थी । (इंडिया टुडे)

तो आपने देखा कैसे अमीरों और सुप्रसिद्ध हस्तियों को अपने जाल में फँसाकर करोड़ों रूपये एठते है और नही देने पर उन पर झूठे आरोप लगा जेल भेजते हैं।

जो निर्दोष जेल जाता है उसकी प्रतिष्ठा व समाज में जीवन भर जो उसे लज्जित होना पड़ता है उसकी भरपाई कौन करेंगे ?
कौन उसका खोया सन्मान लौटा पायेगा?

कुछ समय पहले ऐसे ही द्वारका गुजरात के केशवानंदजी और  दक्षिण भारत के नित्यानंद जी पर बलात्कार का आरोप लगाया था बाद में निर्दोष बरी हुए अब संत आसारामजी बापू को भी तीन साल से जेल में रखा है उन पर भी अभी तक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है । 

कहीं ये केस भी फर्जी तो नही है..???

ऐसे फर्जी केस करने वालों पर सरकार एवं न्यायालय को शीघ्र कार्यवाही करनी चाहिए जिससे निर्दोष की जिंदगी खराब न हो ।

Friday, January 13, 2017

मकर संक्रान्ति पर बना दुर्लभ योग..!! क्या करें..? क्या महत्व है..?

🚩14 जनवरी 2017 
मकर संक्रान्ति पर बना दुर्लभ योग..!!
क्या करें..?
क्या महत्व है..?

🚩आइये जाने...

🚩पंचाग की गणना के अनुसार इस बार विशिष्ट संयोगों में बृहस्पति का #सूर्य से पंचम दृष्टि संबंध तथा सूर्य का बृहस्पति से नवम दृष्टि संबंध बन रहा है। बारह वर्ष में आने वाले इस प्रकार के दृष्टि संबंध का विशेष #लाभ लोगों को प्राप्त होता है। 
मकर संक्रान्ति पर बना दुर्लभ योग..!! क्या करें..?  क्या महत्व है..?
🚩इस योग में सूर्य के साथ #भगवान नारायण का भी ध्यान कर आराधना करनी चाहिए। इस दिन #आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य स्त्रोत, सूर्याष्टक आदि का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है। इनके #पाठ से वंशवृद्धि पराक्रम में वृद्धि तथा #परिवार का उत्कर्ष होता है।
🚩महाकाल पर्व रहेगा शुभप्रद..!!

🚩इस बार माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर #शनिवार के दिन 14 जनवरी को प्रात: 7 बजकर 38 मिनट पर अश्लेषा नक्षत्र प्रीति योग एवं कर्क राशि के चंद्रमा के साक्षी में मकर लग्न में भगवान सूर्य नारायण का #मकर राशि में प्रवेश होगा, चूंकि उदयकाल की साक्षी में होने वाले इस प्रवेशकाल का #धर्म शास्त्रीय महत्त्व है। इस दृष्टि से #मकर #संक्रान्ति का #महापर्वकाल विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व #पुण्यकाल की दृष्टि से दिनभर रहेगा।


🚩ज्योत‌िष के अनुसार शन‌ि देव को मकर और कुंभ राश‌ि का स्वामी कहा गया है। ऐसे में शनि देव के प्रिय वार शन‌िवार को उनकी राश‌ि में पिता सूर्य का आना शन‌ि महाराज को मेहरबान और कृपालु बनाने के ल‌िए उत्तम रहेगा।  #लंबे अर्से के बाद ये शुभ संयोग बना है। शन‌िवार को मकर संक्रांत‌ि का पड़ना एक दुर्लभ संयोग माना जाता है।

🚩संक्रान्ति का नक्षत्र राक्षसी नाम से है। जो कमजोर वर्ग पशु पालक आदि के लिए #शुभ प्रद रहेगी। यही नहीं रक्त वस्त्र, धनुष आयुध, लौहपात्र, पय भक्षण, गौरोचन, मृगवर्णी, कंचूकी, प्रथम यान, व्यापिनी उत्तर की ओर गमन करनेवाली ईशानदृष्ट के साथ पन्द्रह मुहूर्त में बैठेगी। देखा जाए तो जियोलॉजिकल, बॉयोलॉजिकल एवं अर्थ मेट्रिक सिद्धांत शास्त्र के अनुसार रेडियो कार्बन विधि में सूर्य जब-जब मकर राशि में प्रवेश होता है, तो वह अगले मकर वर्ष के लिए प्राकृतिक नियम से जोड़कर संतुलन की स्थिति में लाता है।

🚩12 राशि धारकों के लिए दस गुना फलदायक होगा। #मकर संक्रान्ति यानी 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगें। पिता-पुत्र के मिलन का लाभ लगभग दो महीने  तक रहेगा ।

🚩सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मलमास समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही #शुभ कार्यो की शुरुवात भी 14 जनवरी से ही हो जाएगी। इसबार मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

🚩मकर प्रवेश के साथ ही #सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग व चंद्रमा कर्क राशि में और अश्लेषा नक्षत्र के अलावा प्रीति तथा मानस योग भी रहेगा।

🚩इन नक्षत्रों का योग बेहद शुभ दुर्लभ और श्रेष्ठ है। #इस योग से संक्रान्ति पर 12 राशियों के धारकों को दस गुना फलदायी हो सकता है।

🚩क्या करे मकर संक्रांति को..???

🚩14 जनवरी - मकर संक्रांति ( पुण्यकालः सूर्योदय से सूर्यास्त)

🚩मकर संक्रांति या #उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया #दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है । इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।

🚩मकर संक्रांति के दिन साल का पहला #पुष्य नक्षत्र है मतलब खरीदारी के लिए बेहद शुभ दिन।

🚩उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के 
इन नामों का जप विशेष हितकारी है ।

ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः । 
ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः ।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः । 
ॐ आदित्याय नमः । ॐ सवित्रे नमः ।
ॐ अर्काय नमः ।  ॐ भास्कराय  नमः । 
ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः ।

🚩यदि नदी तट पर जाना संभव नही है, तो अपने घर के स्नान घर में #पूर्वाभिमुख होकर जल पात्र में तिल मिश्रित जल से स्नान करें। साथ ही समस्त पवित्र नदियों व तीर्थ का स्मरण करते हुए ब्रम्हा, विष्णु, रूद्र और भगवान भास्कर का ध्यान करें। साथ ही इस जन्म के पूर्व जन्म के ज्ञात अज्ञात मन, वचन, शब्द, काया आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति हेतु #क्षमा याचना करते हुए सत्य धर्म के लिए निष्ठावान होकर सकारात्मक कर्म करने का संकल्प लें।


🚩तिल का महत्व..!!

🚩विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन #तिल का 6 प्रकार से उपयोग करने पर जातक के जीवन में सुख व समृद्धि आती है।

 🚩तिल के तेल से स्नान करना। #तिल का उबटन लगाना। पितरों को तिलयुक्त तेल अर्पण करना। तिल की आहूति देना। तिल का दान करना। तिल का सेंवन करना।



🚩मकर संक्रांति का महत्व क्यों..???

🚩हिन्दू संस्कृति अति प्राचीन #संस्कृति है, उसमें अपने जीवन पर प्रभाव पड़ने वाले ग्रह, नक्षत्र के अनुसार ही वार, तिथि त्यौहार बनाये गये हैं ।

🚩इसमें से एक है  मकर संक्रांति..!!

🚩हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। #पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है।   

🚩मकर संक्रांति के दिन #सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है, इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं।  

🚩सूर्य पर आधारित #हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व माना गया है। वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है। होली, दीपावली, दुर्गोत्सव, शिवरात्रि और अन्य कई त्यौहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं #मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है। मकर संक्रांति का महत्व #हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय।  

🚩सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है। इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं। यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे #भारत में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हो, किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है।  

🚩इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है। वैसे वैज्ञानिक कहते हैं कि 21 मार्च को धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण कर लेती है तो इसे माने तो #नववर्ष तभी मनाया जाना चाहिए। #इसी 21 मार्च के आसपास ही विक्रम संवत का नववर्ष शुरू होता है और #गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, किंतु 14 जनवरी ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों को ठीक नही माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।  

🚩मकर संक्रांति के दिन ही पवित्र #गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। महाभारत में #पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था, कारण कि #उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएँ या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती हैं या पुनर्जन्म के चक्र से उन्हें छुटकारा मिल जाता है।

 🚩दक्षिणायन में देह छोड़ने पर बहुत काल तक आत्मा को अंधकार का सामना करना पड़ सकता है। सब कुछ प्रकृति के नियम के तहत है, इसलिए सभी कुछ प्रकृति से बद्ध है। #पौधा प्रकाश में अच्छे से खिलता है, अंधकार में सिकुड़ भी सकता है। इसीलिए मृत्यु हो तो प्रकाश में हो ताकि साफ-साफ दिखाई दे कि हमारी गति और स्थिति क्या है। क्या हम इसमें सुधार कर सकते हैं? 
क्या ये हमारे लिए उपयुक्त चयन का मौका है?  

🚩स्वयं भगवान #श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए #गीता में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग #ब्रह्म को प्राप्त हैं। इसके विपरीत सूर्य के दक्षिणायण होने पर पृथ्वी अंधकारमय होती है और इस अंधकार में शरीर त्याग करने पर पुनः जन्म लेना पड़ता है। (श्लोक-24-25)  

Thursday, January 12, 2017

जब देश में हिंदू ही नहीं बचेंगे तो विकास किसके लिए..??? - प्रवीण तोगड़िया

हिंदू ही नहीं बचेंगे तो विकास किसके लिए..???

'सबका साथ सबका विकास' की बात करनेवाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया जी ने कहा कि यदि इस देश में हिन्दू ही शेष नहीं बचेंगे तो विकास किसके लिए कर रहे हो ??

गांवो से हिन्दू पलायन कर रहें हैं, कश्मीर में हिंदुओं के घरों पर कब्जा कर लिया गया है । सरकार को इन घरों को तत्काल वापिस दिलाना चाहिए ।

हिंदू ही नहीं बचेंगे तो विकास किसके लिए..???
समृद्ध बने हिन्दू..!!

महाराष्ट्र के नागपुर लकड़गंज स्थित कच्छीविसा मैदान पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रवीण तोगड़िया जी ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद चाहती है कि हिन्दू समाज पुनः समृद्धि प्राप्त कर सके । विहिप ने हिंदुओं के सपने को साकार करने का अभियान चलाया है । राम मंदिर निर्माण मामले में सरकार न्यायालय के आदेश की बात करती है और वही सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मस्जिद में सुबह के वक्त बजनेवाले लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंद नहीं लगाती है । सुरक्षा के आभाव में हिन्दू पलायन कर रहें है । गाये कट रही है ।

बने मेजोरिटी प्रोटेक्शन कमिशन..!!

प्रवीण तोगड़िया जी ने दुःख जताया कि हिंदुस्तान में हिंदुओं की आकांक्षाएं पूर्ण नही हो रही है, उन्होंने कहा कि इस देश में माइनारिटी प्रोटेक्शन कमीशन नही, बल्कि मेजोरिटी प्रोटेक्शन कमीशन की स्थापना करने का वक्त आ गया है। 

17 करोड़ लोग रोजाना भूखे सोते है।
 15 करोड़ युवा बेरोजगार हैं।
 किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं।

क्या यही विकास है सरकार का..???


 जैसा कि हमने पहले भी बताया है कि उत्तर प्रदेश में कैराना से हिंदुओं ने पलायन किया था तब साध्वी प्राची ने भी यही बात बताई थी कि हिन्दू नहीं बचेगा तो विकास किसका करेंगे?

साध्वी ने बताया था कि कैराना से ही हिन्दू पलायन नहीं हो रहा है बल्कि जहांं भी मुस्लिमों की संख्या ज्यादा है वहीं से हिंदू पलायन कर रहा है चाहे कैराना हो या फिर रामपुर, लेकिन भाजपा अब विकास की बात करती है पर हिन्दुओं की सुरक्षा की बात नही करती ।

 आपको बता दें कि पाकिस्तान से सालों से आये हिंदुओं के लिए अभी तक स्थायी कार्ड भी नही मिल रहा है और न ही उनके लिए कोई मकान या सुविधा दी जा रही है दूसरी ओर जम्मू कश्मीर सरकार ने पाकिस्तान से मुस्लिमों को बुलाकर उनके स्थायी कार्ड भी जारी कर रहे हैं और उन्हें केम्पों में रहने की अच्छी सुविधा भी दी जा रही है ।

पहले कश्मीर में पण्डितों को भगाया अभी कश्मीर में हिन्दू नही के बराबर बचे हैं और जो हैं डर के जी रहे हैं ।


पाकिस्तान में भी हिन्दुओं का बुरा हाल है, वहाँ पर हिन्दू नाबालिग लड़कियों को उठाकर ले जाते हैं ।  हिन्दुओं के साथ मार-पीट की जाती है, मंदिर तोड़े जाते हैं । हिन्दुओं के लिए वहाँ कोई विशेष अधिकार ही नही है यहाँ तक की शमशान घाट तक नही है ।

बांग्लादेश में भी हिन्दू दिन-रात पलायन हो रहे हैं क्योंकि वहाँ भी हिन्दू बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है, हिन्दुओं की हत्याएं की जा रही हैं । मंदिर तोड़े जा रहे हैं । वहाँ पर भी हिन्दुओं के लिए कोई आवाज उठाने वाला नही है ।

भारत में भी जहाँ-जहाँ मुस्लिम बाहुल इलाका है वहाँ हिन्दुओं का जीना मुश्किल है ।

एक तरफ लालच देकर ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवा रही है और दूसरी ओर मुस्लिम क्रूरता से आक्रमण करके हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवा रहे है ।

उनके खिलाफ जो भी हिन्दू संत, हिन्दू नेता आवाज उठाता है उनको जेल भेजा जाता है या उनकी हत्या कर दी जाती है ।

मीडिया भी केवल हिन्दू देवी-देवताओं, हिन्दू संगठनों, हिन्दू नेताओं और हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ ही न्यूज दिखाती है कभी ईसाई मिशनरियों या मौलवियों के विरोध में कभी नही दिखाती ।

अभी भी वक्त है हिन्दू जग जाये नही तो एक के बाद एक की बारी होगी ।

जय हिंद!!

Wednesday, January 11, 2017

स्वामी विवेकानन्द जी जयंती 12 जनवरी !!

🚩स्वामी विवेकानन्द जी जयंती 12 जनवरी!!

🚩स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी सन 1863  (विद्वानों के अनुसार #मकर संक्रान्ति संवत 1920) को #कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम #नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे।
स्वामी विवेकानन्द जी जयंती 12 जनवरी

  🚩दुर्गाचरण दत्ता, (नरेंद्र के दादा) संस्कृत और फारसी के विद्वान थे उन्होंने अपने #परिवार को 25 वर्ष की उम्र में छोड़ दिया और साधु बन गए।

🚩उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थी। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेंद्र के पिता और उनकी माँ के धार्मिक, #प्रगतिशील व तर्कसंगत रवैये ने उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार देने में मदद की ।



🚩बचपन से ही #नरेन्द्र अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही नटखट भी थे। अपने साथी बच्चों के साथ वे खूब शरारत करते और मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। उनके घर में नियमपूर्वक रोज पूजा-पाठ होता था धार्मिक प्रवृत्ति की होने के कारण माता भुवनेश्वरी देवी को पुराण, रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। संत इनके घर आते रहते थे। नियमित रूप से #भजन-कीर्तन भी होता रहता था। #परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से #बालक नरेन्द्र के मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे होते गये। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण बालक के मन में बचपन से ही #ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखायी देने लगी थी। ईश्वर के बारे में जानने की उत्सुकता में कभी-कभी वे ऐसे प्रश्न पूछ बैठते थे कि इनके माता-पिता और कथावाचक पण्डितजी तक चक्कर में पड़ जाते थे।

🚩स्वामी विवेकानन्द जी की शिक्षा..!!

🚩सन् 1871 में, आठ साल की उम्र में नरेंद्रनाथ ने #ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया जहाँ वे स्कूल गए। 1877 में उनका परिवार रायपुर चला गया। 1879 में कलकत्ता में अपने परिवार की वापसी के बाद, वह एकमात्र छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम डिवीजन अंक प्राप्त किये ।

🚩वे दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों के एक #उत्साही पाठक थे।इनकी वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी। नरेंद्र को #भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित किया गया था और ये नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम में व खेलों में भाग लिया करते थे। नरेंद्र ने पश्चिमी तर्क, पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन जनरल असेंबली इंस्टिटूशन (अब स्कॉटिश चर्च कॉलेज) में किया। 1881 में इन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की, और 1884 में कला स्नातक की डिग्री पूरी कर ली। 

🚩नरेंद्र ने डेविड ह्यूम, इमैनुएल कांट, जोहान गोटलिब फिच, बारूक स्पिनोजा, जोर्ज डब्लू एच हेजेल, आर्थर स्कूपइन्हार , ऑगस्ट कॉम्टे, जॉन स्टुअर्ट मिल और चार्ल्स डार्विन के कामों का अध्यन किया। उन्होंने स्पेंसर की किताब एजुकेशन (1861) का बंगाली में अनुवाद किया।  ये हर्बर्ट स्पेंसर के विकासवाद से काफी मोहित थे।  #पश्चिम दार्शनिकों के अध्यन के साथ ही इन्होंने संस्कृत ग्रंथों और बंगाली साहित्य को भी सीखा।विलियम हेस्टी (महासभा संस्था के प्रिंसिपल) ने लिखा, "नरेंद्र वास्तव में एक जीनियस है। मैंने काफी विस्तृत और बड़े इलाकों में यात्रा की है लेकिन उनकी जैसी प्रतिभा वाला एक भी बालक कहीं नहीं देखा यहाँ तक कि जर्मन #विश्वविद्यालयों के दार्शनिक छात्रों में भी नहीं।" अनेक बार इन्हें श्रुतिधर( विलक्षण स्मृति वाला एक व्यक्ति) भी कहा गया है।

🚩स्वामी विवेकानन्द जी की आध्यात्मिक शिक्षुता - ब्रह्म समाज का प्रभाव!!

🚩1880 में नरेंद्र ईसाई से हिन्दू धर्म में रामकृष्ण के प्रभाव से परिवर्तित केशव चंद्र सेन की नव विधान में शामिल हुए, नरेंद्र 1884 से पहले कुछ बिंदु पर, एक फ्री मसोनरी लॉज और साधारण #ब्रह्म समाज जो ब्रह्म समाज का ही एक अलग गुट था और जो केशव चंद्र सेन और देवेंद्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में था। 1881-1884 के दौरान ये सेन्स बैंड ऑफ़ होप में भी सक्रीय रहे जो धूम्रपान और शराब पीने से युवाओं को हतोत्साहित करता था।

🚩यह नरेंद्र के परिवेश के कारण पश्चिमी आध्यात्मिकता के साथ परिचित हो गया था। उनके प्रारंभिक विश्वासों को ब्रह्म समाज ने (जो एक निराकार ईश्वर में विश्वास और मूर्ति पूजा का प्रतिवाद करते थे) ने प्रभावित किया और सुव्यवस्थित, युक्तिसंगत, अद्वैतवादी अवधारणाओं , धर्मशास्त्र ,वेदांत और उपनिषदों के एक चयनात्मक और आधुनिक ढंग से अध्ययन पर प्रोत्साहित किया।

🚩स्वामी विवेकानन्द जी की निष्ठा..!!

🚩एक बार किसी #शिष्य ने #गुरुदेव की #सेवा में घृणा और निष्क्रियता दिखाते हुए नाक-भौं सिकोड़ीं। यह देखकर विवेकानन्द को क्रोध आ गया। वे अपने उस गुरु भाई को सेवा का पाठ पढ़ाते और गुरुदेव की प्रत्येक वस्तु के प्रति प्रेम दर्शाते हुए उनके बिस्तर के पास रक्त, कफ आदि से भरी थूकदानी उठाकर पी गये । #गुरु के प्रति ऐसी अनन्य भक्ति और निष्ठा के प्रताप से ही वे अपने गुरु के शरीर और उनके दिव्यतम आदर्शों की उत्तम सेवा कर सके। गुरुदेव को समझ सके और स्वयं के अस्तित्व को गुरुदेव के स्वरूप में विलीन कर सके। और आगे चलकर समग्र विश्व में #भारत के अमूल्य आध्यात्मिक भण्डार की महक फैला सके।

 🚩ऐसी थी उनके इस #महान व्यक्तित्व की नींव में गुरुभक्ति, गुरुसेवा और गुरु के प्रति अनन्य निष्ठा जिसका परिणाम सारे संसार ने देखा। 

🚩स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने #गुरुदेव #रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। उनके गुरुदेव का शरीर अत्यन्त रुग्ण हो गया था। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और #कुटुम्ब की नाजुक हालत व स्वयं के भोजन की चिन्ता किये बिना वे गुरु की सेवा में सतत संलग्न रहे।

🚩विवेकानन्द बड़े स्‍वप्न‍दृष्‍टा थे। #उन्‍होंने एक ऐसे समाज की कल्‍पना की थी जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्‍य-मनुष्‍य में कोई भेद न रहे। उन्‍होंने वेदान्त के सिद्धान्तों को इसी रूप में रखा। अध्‍यात्‍मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी यह कहा जा सकता है कि समता के सिद्धान्त का जो आधार विवेकानन्‍द ने दिया उससे सबल बौद्धिक आधार शायद ही ढूँढा जा सके। #विवेकानन्‍द को युवकों से बड़ी आशाएँ थी। 
आज के युवकों के लिये इस ओजस्‍वी सन्‍यासी का जीवन एक आदर्श है। 

🚩स्वामी विवेकानन्द जी यात्राएँ!!

🚩25 वर्ष की अवस्था में नरेन्द्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था । तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे #भारतवर्ष की यात्रा की। सन्‌ 1893 में शिकागो (अमरीका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानन्द उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे। यूरोप-अमरीका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे।

🚩वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। परन्तु एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला। उस परिषद् में उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये। फिर तो अमरीका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ। वहाँ उनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय बन गया। तीन वर्ष वे #अमरीका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान की। उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया।

🚩"अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जायेगा" यह स्वामी विवेकानन्द का दृढ़ विश्वास था। अमरीका में उन्होंने #रामकृष्ण मिशन की अनेक #शाखाएँ स्थापित कीं। अनेक अमरीकी विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। वे सदा अपने को 'गरीबों का सेवक' कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशान्तरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया।

🚩स्वामी विवेकानन्दजी का योगदान !!

🚩39 वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी #विवेकानन्द जो काम कर गये वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

🚩तीस वर्ष की आयु में स्वामी #विवेकानन्द ने #शिकागो, अमेरिका के #विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी।

🚩 गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था-"यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।"

🚩रोमारोला ने उनके बारे में कहा था-"उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असम्भव है, वे जहाँ भी गये, सर्वप्रथम ही रहे। हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता था। वे ईश्वर के प्रतिनिधि थे और सब पर प्रभुत्व प्राप्त कर लेना ही उनकी विशिष्टता थी। 

🚩हिमालय प्रदेश में एक बार एक अनजान यात्री उन्हें देख ठिठक कर रुक गया और आश्चर्यपूर्वक चिल्ला उठा-‘शिव!’ यह ऐसा हुआ मानो उस व्यक्ति के #आराध्य देव ने अपना नाम उनके माथे पर लिख दिया हो।"


🚩वे केवल सन्त ही नहीं, एक #महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने #देशवासियों को आह्वान करते हुए कहा था-"नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूँजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पडे झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से।" और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया। वह गर्व के साथ निकल पड़ी। #गान्धीजी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानन्द के आह्वान का ही फल था। 

🚩इस प्रकार वे #भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणा-स्रोत बने। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं व ऋषियों का जन्म हुआ, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं-केवल यहीं-आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिये जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। 

🚩उनके कथन-"‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।"

🚩उन्नीसवीं सदी के आखिरी वर्षोँ में विवेकानन्द लगभग सशस्त्र या हिंसक क्रान्ति के जरिये भी देश को आजाद करना चाहते थे। परन्तु उन्हें जल्द ही यह विश्वास हो गया था कि परिस्थितियाँ उन इरादों के लिये अभी परिपक्व नहीं हैं। इसके बाद ही विवेकानन्द जी ने ‘एकला चलो‘ की नीति का पालन करते हुए एक परिव्राजक के रूप में भारत और दुनिया को खंगाल डाला।

🚩उन्होंने कहा था कि #मुझे बहुत से युवा संन्यासी चाहिये जो भारत के ग्रामों में फैलकर देशवासियों की सेवा में खप जायें।  विवेकानन्दजी पुरोहितवाद, धार्मिक आडम्बरों, कठमुल्लापन और रूढ़ियों के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था। उनका हिन्दू धर्म अटपटा, लिजलिजा और वायवीय नहीं था। 

🚩विवेकानन्द जी इस बात से आश्वस्त थे कि #धरती की गोद में यदि ऐसा कोई देश है जिसने मनुष्य की हर तरह की बेहतरी के लिए ईमानदार कोशिशें की हैं, तो वह भारत ही है।

🚩उन्होंने पुरोहितवाद, ब्राह्मणवाद, धार्मिक कर्मकाण्ड और रूढ़ियों की खिल्ली भी उड़ायी और लगभग आक्रमणकारी भाषा में ऐसी विसंगतियों के खिलाफ युद्ध भी किया। उनकी दृष्टि में हिन्दू धर्म के #सर्वश्रेष्ठ चिन्तकों के विचारों का निचोड़ पूरी दुनिया के लिए अब भी ईर्ष्या का विषय है। #स्वामीजी ने संकेत दिया था कि विदेशों में भौतिक समृद्धि तो है और उसकी भारत को जरूरत भी है लेकिन हमें याचक नहीं बनना चाहिये। हमारे पास उससे ज्यादा बहुत कुछ है जो हम पश्चिम को दे सकते हैं और पश्चिम को उसकी बेसाख्ता जरूरत है।

🚩यह स्वामी विवेकानन्द का अपने देश की धरोहर के लिये दम्भ या बड़बोलापन नहीं था। यह एक वेदान्ती #साधु की भारतीय सभ्यता और संस्कृति की तटस्थ, वस्तुपरक और मूल्यगत आलोचना थी। बीसवीं सदी के इतिहास ने बाद में उसी पर मुहर लगायी।

🚩स्वामी विवेकानन्द जी की महासमाधि!!

🚩विवेकानंद #ओजस्वी और सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि #विश्व भर में है। जीवन के अन्तिम दिन उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा-"एक और विवेकानन्द चाहिये, यह समझने के लिये कि इस #विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है।" उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: दो तीन घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर #महासमाधि ले ली। बेलूर में #गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। #इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का सोलह वर्ष पूर्व अन्तिम संस्कार हुआ था।

🚩उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक #मन्दिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानन्द तथा उनके गुरु #रामकृष्ण के सन्देशों के प्रचार के लिये 130 से अधिक केन्द्रों की स्थापना की।

🚩स्वामी विवेकानन्द जी की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ!!

🚩12 जनवरी 1863 -- कलकत्ता में जन्म

🚩1879 -- प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश

🚩1880 -- जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में प्रवेश

🚩नवंबर 1881 -- रामकृष्ण परमहंस से प्रथम भेंट

🚩1882-86 -- रामकृष्ण परमहंस से सम्बद्ध

🚩1884 -- स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवास

🚩1885 -- रामकृष्ण परमहंस की अन्तिम बीमारी

🚩16 अगस्त 1886 -- रामकृष्ण परमहंस का निधन

🚩1886 -- वराहनगर मठ की स्थापना

🚩जनवरी 1887 -- वराह नगर मठ में संन्यास की औपचारिक प्रतिज्ञा

🚩1890-93 -- परिव्राजक के रूप में भारत-भ्रमण

🚩25 दिसम्बर 1892 -- कन्याकुमारी में

🚩13 फ़रवरी 1893 -- प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान सिकन्दराबाद में

🚩31 मई 1893 -- मुम्बई से अमरीका रवाना

🚩25 जुलाई 1893 -- वैंकूवर, कनाडा पहुँचे

🚩30 जुलाई 1893 -- शिकागो आगमन

🚩अगस्त 1893 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रो॰ जॉन राइट से भेंट

🚩11 सितम्बर 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में प्रथम व्याख्यान

🚩27 सितम्बर 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में अन्तिम व्याख्यान

🚩16 मई 1894 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में संभाषण

🚩नवंबर 1894 -- न्यूयॉर्क में वेदान्त समिति की स्थापना

🚩जनवरी 1895 -- न्यूयॉर्क में धार्मिक कक्षाओं का संचालन आरम्भ

🚩अगस्त 1895 -- पेरिस में

🚩अक्टूबर 1895 -- लन्दन में व्याख्यान

🚩6 दिसम्बर 1895 -- वापस न्यूयॉर्क

🚩22-25 मार्च 1896 -- फिर लन्दन

🚩मई-जुलाई 1896 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान

🚩15 अप्रैल 1896 -- वापस लन्दन

🚩मई-जुलाई 1896 -- लंदन में धार्मिक कक्षाएँ

🚩28 मई 1896 -- ऑक्सफोर्ड में मैक्समूलर से भेंट

🚩30 दिसम्बर 1896 -- नेपाल से भारत की ओर रवाना

🚩15 जनवरी 1897 -- कोलम्बो, श्रीलंका आगमन

🚩जनवरी, 1897 -- रामनाथपुरम् (रामेश्वरम) में जोरदार स्वागत एवं भाषण

🚩6-15 फ़रवरी 1897 -- मद्रास में

🚩19 फ़रवरी 1897 -- कलकत्ता आगमन

🚩1 मई 1897 -- रामकृष्ण मिशन की स्थापना

🚩मई-दिसम्बर 1897 -- उत्तर भारत की यात्रा

🚩जनवरी 1898 -- कलकत्ता वापसी

🚩19 मार्च 1899 -- मायावती में अद्वैत आश्रम की स्थापना

🚩20 जून 1899 -- पश्चिमी देशों की दूसरी यात्रा

🚩31 जुलाई 1899 -- न्यूयॉर्क आगमन

🚩22 फरवरी 1900 -- सैन फ्रांसिस्को में वेदान्त समिति की स्थापना

🚩जून 1900 -- न्यूयॉर्क में अन्तिम कक्षा

🚩26 जुलाई 1900 -- यूरोप रवाना

🚩24 अक्टूबर 1900 -- विएना, हंगरी, कुस्तुनतुनिया, ग्रीस, मिस्र आदि देशों की यात्रा

🚩26 नवम्बर 1900 -- भारत रवाना

🚩9 दिसम्बर 1900 -- बेलूर मठ आगमन

🚩10 जनवरी 1901 -- मायावती की यात्रा

🚩मार्च-मई 1901 -- पूर्वी बंगाल और असम की तीर्थयात्रा

🚩जनवरी-फरवरी 1902 -- बोध गया और वाराणसी की यात्रा

🚩मार्च 1902 -- बेलूर मठ में वापसी

🚩4 जुलाई 1902 -- महासमाधि!!