Wednesday, July 12, 2017

हिन्दुस्तान में हिन्दू अपने को सुरक्षित महसूस नही कर पा रहे हैं..!!


जुलाई 11, 2017

 हिन्दुस्तान में 80% से अधिक हिन्दू हैं और हिंदुत्ववादी सरकार है फिर भी हिन्दू खुद को सुरक्षित महसूस नही कर रहे , कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमला हुआ, मानसरोवर यात्रा रोकी गई, केरल और तमिलनाडु में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है, बंगाल जल रहा है ।

भारत में हज यात्रा के समय सरकार द्वारा 826 करोड़ रुपये सब्सिडी मिलती है उसमें एक भी आतंकी हमला नही होता है ।
caste discrimination

 #अमरनाथ यात्री #टैक्स देकर जाते हैं फिर भी आतंकी हमला होता है, हिन्दुस्तान में ही हिंदुओं को पूर्ण अधिकार नही मिल पा रहा है । अपने आराध्य देव के दर्शन करने को भी सुरक्षित नही जा पा रहे हैं ।

जनता अब बोल रही है कि मोदीजी अब केवल निंदा करना बंद करो और अमरनाथ यात्रियों पर आक्रमण करने वालों को उनकी भाषा में उत्तर दो !

पिछले साल 2016 में हुई #अमरनाथ #यात्रा से लौटकर आये यात्रियों का हाल सुन हर #हिंदुस्तानी की आँखे भर आयेगी...!!!

भगवान #भोलेनाथ के भक्तों ने वापिस लौटकर बताया था कि आततायी उन्हें पूछ-पूछ कर मार रहे थे कि अमरनाथ यात्री हो, #हिंदू हो या #कश्मीरी। 

वाहनों के नंबर देखकर पत्थर मारना शुरू कर देते थे। गालीगलौज भी कर रहे थे। बचने का कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा था, इसलिए गालियाँ, बदसलूकी व मारपीट भी बर्दाश्त की और किसी तरह से सेना के कैंपों में पहुँचकर अपनी जान बचाई ।

#सहारनपुर(उ.प्र) की 18 साल की सुहाना ने बताया कि मनीगाम के पास अचानक से उन पर पथराव शुरू हो गया। कुछ युवक उनके पास आए और मारपीट शुरू कर दी। किसी तरह से उनके आगे हाथ जोड़कर वे लोग आगे बढ़े और थोड़ी दूर सेना के कैंप में पहुँच कर अपनी जान बचाई। 

सुहाना को घर आने के बाद भी सड़कों पर हर तरफ बिखरे पत्थर, घरों में लगी आग, पंजाबी ढाबों पर तोड़फोड़ और आग का मंजर याद आ रहा था ।

अमरनाथ से लौटे #गाजियाबाद के कुलदीप कुमार ने बताया था कि वे लोग तीन दिन बालटाल में रुके रहे। रात को 11 बजे उन्हें वहां से जाने को कहा गया। सोमवार को सुबह पांच बजे अनंतनाग के पास पहुंचे। यहां घात लगाकर बैठे पत्थरबाजों ने उनके वाहन पर पथराव शुरू कर दिया ।

#राजस्थान से आए दीनानाथ ने बताया था कि बालटाल से आते वक्त भी रास्ते में हर जगह पथराव किया गया। अब सेना भी वहाँ रुकने नहीं दे रही थी। रात को ही उन्हें वहाँ से #जम्मू निकलने के लिए बोल दिया गया था । 

कश्मीर से लौटे #यात्रियों ने बताया था कि उनको #मिलिट्री बेेस कैंप में शरण नहीं मिलती तो सुरक्षित जम्मू नहीं पहुँच सकते थे। घाटी मेें जो मंजर उन्होंने देखा है, वह पूरी उम्र नहीं भुलाया जा सकता ।

#नागपुर #महाराष्ट्र के मंगेश और विट्ठल ने बताया था कि पहलगाम में पत्थरबाजों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प शुरू हो गई। समझ में नहीं आया कि अब कहां जाए,लेकिन सबको #मिलिट्री बेस कैंप में शरण मिल गई तो जान बच गई । जब वहाँ से निकले तब सड़क पर सिर्फ पत्थर व लकड़ियाँ दिखाई दे रही थी।

#भोपाल की मीरा बाई और अतुल ने बताया था कि घाटी का मंजर उनके लिए भुलाना मुश्किल है। 

ट्रक चालक कमलजीत सिंह का कहना है कि 8 जुलाई को बिजबिहाड़ा में शाम को जैसे ही पहुँचा तो टाटा सूमो से उतरे कुछ युवकों ने उसके ट्रक पर पथराव शुरू कर दिया। एक पत्थर शीशे को तोड़ता हुआ उसके चेहरे पर आकर लगा। 

इसके बाद कुछ युवकों ने उसे ट्रक से नीचे उतारा और डंडों से पीटना शुरू कर दिया। इससे उसकी बाजू पर गहरी चोट आई। देखते ही देखते कुछ युवक आपस में ट्रक जलाने की बात करने लगे तो वह मुश्किल से वहां से भागा ।

कमलजीत का कहना था कि कश्मीर की सड़कें जले हुए टायर और पत्थरों से भरी पड़ी हैं। वह जम्मू के अन्य चालकों को भी पीट रहे हैं।  

मनिंदर सिंह ने बताया था कि मैं अपने छोटे भाई किशन के साथ आठ जुलाई को सुबह 10 बजे की फ्लाइट से दिल्ली से श्रीनगर के लिए निकला था। उसी दिन आतंकी बुरहान मारा गया था।  शाम होने तक #श्रीनगर में #कर्फ्यू लगा दिया गया। पोस्टपेड मोबाइल भी बंद कर दिए गए। फिर भी नौ जुलाई को किसी तरह अमरनाथ पहुंचे और दर्शन किये । 

उस वक्त तक #श्रीनगर में बवाल काफी बढ़ गया था। वहां से आने के रास्ते को बंद कर दिया गया था। हम लोग बालटाल स्थित एक होटल पहुंचे। वहां की लाइट बंद कर दी गई। होटल वाले ने जनरेटर चलाने से भी मना कर दिया। किसी तरह रात बिताई। 

10 जुलाई 2016 को देर रात हम लोग वहां से घर वापसी के लिए निकले। रास्ते में पत्थरबाजी होती रही। हमारी टैक्सी पर भी पत्थर लगे। कार के शीशे टूट गए। उसके कांच से मेरे हाथ पर जख्म भी हुए ।

इसके बाद फिर सोनमार्ग में रोक दिया गया। कर्फ्यू के बावजूद आर्मी वाले थोड़े-थोड़े समय पर ढील देकर यात्रियों को आगे भेज रहे थे। रात करीब ढाई बजे हम दोनों एयरपोर्ट पहुंच गए। 

#एयरपोर्ट के बाहर भी चार से पांच हजार यात्री जमीन पर लेटे हुए थे। वहां कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही थी। यहां तक कि पानी का भी इंतजाम नहीं था। चाय 60 रुपये की एक कप मिल रही थी। 

खाने की कोई व्यवस्था नहीं। बड़ी मुश्किल से 11 जुलाई को दोपहर में हमें फ्लाइट मिली और #दिल्ली वापस पहुंचे, तब जाकर जान में जान आई। 

मेरे लिए इस बार की अमरनाथ यात्रा किसी सदमें से कम नहीं थी। न खाने की सुविधा न ठहरने की। न प्रशासन की तरफ से और न श्राइन बोर्ड की ओर से कोई सहायता मिली। सिर्फ सेना की मदद से सुरक्षित घर लौटे हैं। 

आश्चर्य!!! ये क्या कह रहे थे अमरनाथ में बाबा के दर्शन करने गए #दर्शनार्थी....???

 हम हिंदुस्तान में रह रहे हैं या पाकिस्तान में...???

क्या पाकिस्तान में हिन्दू ऐसा कहर बरसा सकते हैं मुसलमानों पर...???

क्यों हमारे ही देश में रहकर हमारे ही हिंदुओं पर आज अत्याचार हो रहा है...???

कहाँ है हिन्दू की रक्षा करने का दावा करने वाली हिंदुत्वादी #सरकार..???

पूरे विश्व में जिस महान #संस्कृति ने सुख शांति, समानता और एकता का पाठ पढ़ाया ,आज उसी संस्कृति की जड़ें काटनेे का काम हो रहा है देश में...!!!

आज हम अपने ही देश में पराये होते जा रहे हैं ।भले सरकार बदली, #कांग्रेस से #BJP आयी, पर हिंदुओं पर अत्याचार तब भी हो रहा था और आज भी हो रहा है...!!!

हज करने वालों को सरकार सब्सिडी देती है पर #अमरनाथ यात्रियों को विकट परिस्थितियों में भी सुविधा प्रदान नही करती...!!!

ऐसे अत्याचारों पर हिंदुओं को ही एकजुट होकर अन्याय से खिलाफ आवाज उठानी होगी ।

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Tuesday, July 11, 2017

केवल पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ही खर्च कर दिए 573 करोड़ रुपये


जुलाई 9, 2017
🚩चुनाव के समय नेता #जनता को बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन अधिकतर #वादे पूरे नही हो पाते हैं इसलिए कि #चुनाव के समय राजनीतिक #पार्टियां इतना खर्च कर देती हैं कि विकास करने के बदले #टैक्स बढ़ाकर एवं #भ्रष्टाचार से वसूल किया जाता है तो जनता की #जेब ही खाली होती है ।

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🚩नई दिल्ली : राजनीतिक #पार्टियों ने पिछले वर्ष पांच राज्यों के चुनाव में एकत्र की गई #राशि से ज्यादा पैसे खर्च किये हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार, #पार्टियों ने केवल 355 करोड़ रुपये जमा किए परंतु 573 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च कर दिए । राजनीतिक #पार्टियों के आंकड़े असम, केरल, पोंडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के चुनावों के दौरान #क्षेत्रीय और #राष्ट्रीय दोंनो प्रकार की पार्टियों से संबंधित हैं ।
🚩थिंक टैंक एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में #राष्ट्रीय दलों ने 287.89 #करोड़ रुपये इकट्ठा किए और उनका कुल खर्च 188.12 करोड़ रुपये रहा ।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, क्षेत्रीय पार्टियों ने 67.22 करोड़ रुपये इकट्ठा किए और खर्च 213.97 करोड़ रुपये किया । रिपोर्ट में कहा गया है कि, कई #राजनीति पार्टियों ने नकद और #चैक के जरिए खर्च की घोषणा करते हुए उनके द्वारा अपने उम्मीदवारों पर किए गए खर्च को शामिल नहीं किया है ।
🚩इन राज्यों के चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 131.72 करोड रुपये #फंड प्राप्त हुआ है । जो कि बाकि 6 पार्टियों के फंड #कलेक्शन का 45.75 प्रतिशत है ।  जबकि कांग्रेस पार्टी को कुल 94.23 करोड़ रुपये #फंड प्राप्त हुए जिसमें 41.49 करोड़ रुपये अलग-अलग राज्यों में #खर्च कर दिए हैं ।
🚩रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्रीय #पार्टियों में सबसे ज्यादा फंड 35.66 करोड़ रुपये सपा को मिला है । रिपोर्ट में कहा गया है कि, #नेशनल पार्टियों ने 30.68 करोड़ और 24.7 करोड़ रुपए #पब्लिसिटी मैटेरियल और #पब्लिक मीटिंग पर खर्च किए हैं । जबकि क्षेत्रीय पार्टियों ने इन दोनों कार्यों में क्रमश: 13.64 करोड़ और 10.2 करोड़ रुपये #खर्च किये हैं ।
🚩पिछले वर्ष यानी 2016 में राष्ट्रीय और #क्षेत्रीय दलों ने कुल 573.24 करोड़ रूपये खर्च किए । इसमें विज्ञापन, यात्रा व्यय, अन्य खर्च तथा उम्मीदवारों को किए गए भुगतान #शामिल हैं । राष्ट्रीय दलों में भाजपा सबसे आगे रही और उसने 131.72 करोड़ रुपये एकत्र किए । क्षेत्रीय दलों में सपा ने सबसे ज्यादा 35.66 करोड़ रुपये एकत्र किए । स्त्रोत : इन खबर
🚩राजनीतिक पार्टियों  द्वारा अभी तो केवल एक #नंबर के इतने खर्च किये गए हैं जो कि रिपोर्ट में आया है लेकिन 2 नंबर भी बहुत सारे #खर्च होते हैं उसकी तो कोई #गिनती होती ही नही है । 
🚩जब चुनाव आते हैं तब बड़ी-बड़ी #रैलियां निकाली जाती हैं, होडिग्स लगाये जाते है, भीड़ #इकट्ठी करने के लिए जनता को बुलाया जाता है जिससे अधिकतर हर #व्यक्ति को पैसा भी दिये जाते हैं,दारू, मांस  आदि-आदि की बड़ी पार्टियां होती हैं, मीडिया में खूब #विज्ञापन दिए जाते है, सोशल मीडिया के लिए भी कई #टीमें बैठाकर प्रचार किया जाता है और नेता जी बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन जैसे ही वे सत्ता पर आ जाते हैं तो #जनता को भूल जाते हैं और टैक्स #लादकर पैसा वसूली किया जाता है जो अपने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए #अरबों रुपये खर्च करते हैं ।
🚩इसमें #गलती जनता की ही रहती है जो नेता अच्छे होते हैं लेकिन #प्रचार नही करते हैं तो उनको वोट नही देगी लेकिन जो पैसा देगा, नाश्ता करवायेगा, लालच देगा उसको ही #वोट देंगे बाद में उन्हीं से वसूल किया जाता है  वो उनको पता ही नही चलता है और #देश का विकास रुक जाता है ।
🚩राजनीति की और #राजनेताओं की आलोचना करने के लिए समाज का एक बड़ा #वर्ग पहली पंक्ति में खड़े होने के लिए तैयार हो जाता है और पहली #पंक्ति में खड़े होने की #आपाधापी में वह यह भूल जाता है कि देश की राजनीति की दिशा और दशा के निर्धारण में उसकी #भूमिका महत्वपूर्ण है इसीलिए राजनीति को #गंदा करने में उसकी भी #अप्रत्यक्ष भूमिका रही है । क्योंकि व्यक्ति लालच में आकर गलत व्यक्ति को #वोट देता है तभी वो सत्ता में आते हैं ।
🚩अतः अभी जनता को जागृत होना पड़ेगा, जो हमारे बीच अच्छे #सज्जन व्यक्ति नेता हो उसी को वोट दें और जो अधिक #प्रचार प्रसार करें और बड़े-बड़े वादे करें उससे थोड़ा #सावधान रहें जिससे देश का विकास होगा और हर व्यक्ति #समृद्ध बनेगा ।
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Monday, July 10, 2017

हॉलंड में 5 वी. कक्षा से श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों की सीख का अभ्यास अंतर्भूत !


जुलाई 10, 2017
#अ‍ॅम्स्टरडॅम : हॉलंड की #हिन्दू पाठशालाओं में अब #5 वी. कक्षा से ही जागतिक शिक्षण अनिवार्य करने के उद्देश्य से #श्रीमदभगवदगीता तथा उपनिषदों के समान हिन्दू #धर्मग्रंथों का अभ्यास अंतर्भूत किया गया है ।
IMPORTANCE OF GITA 

हॉलंड के हिन्दू छात्र प्रमुख रूप से #सुरिनाम से आए हैं। सुरिनाम के हिन्दू युवक साधारण रूप से अच्छी सीख प्राप्त कर रहे हैं तथा तुर्क एवं मोरोक्को के मुसलमानों की अपेक्षा अधिक अच्छे #वेतन की नौकरी कर रहे हैं ।
ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है कि, केवल #हॉलंड के हिन्दू अन्य अल्पसंख्यंकों की अपेक्षा अधिक गति से प्रगति कर रहे हैं, किंतु वे ऐसा मानते हैं कि यदि किसी को देश के अनुसार परिस्थिति के साथ समझौता करना पड़ता है, तो जिस देश में वास्तव्य करना है, उस देश के सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में घुलमिल कर तथा देश के अधिनियमों का पालन कर रहना, उचित बात है।
भारत के अल्पसंख्यंक इस बात से कुछ सीख प्राप्त करते तो देश का #जिहादी #आतंकवाद तथा #हिंसाचार कभी का नष्ट हो जाता तथा उनका जीवनमान भी #सुधर जाता ।
क्या, भारत न्यूनतम हिन्दू एवं शासकीय पाठशालाओं में तो #धर्मशिक्षण देना आरंभ करेगा ?
वर्तमान में भी करोड़ो हिन्दू छात्र अपनी पढाई का आरंभ ‘ग’ गणपति के स्थान पर ‘ग’ गधे का’ ऐसा ही करते हैं ! स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
भारत मे भले ही विदेशी #लुटेरे मुगलों का और #अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास पढ़ाया जाता हो लेकिन विदेश में आज भी कई जगहों पर भगवान #श्री राम और भगवान #श्री कृष्ण की महिमा का इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वे लोग #बौद्धिक, #आर्थिक और सभी क्षेत्रों में तेजी से #आगे बढ़ रहे हैं ।
अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन #हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को #अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।
रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं ।
रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन #संस्थान ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।
#प्रोफेसर अनामिका गिरधर का कहना है कि'#श्रीमदभगवद्गीता' में #चरित्र निर्माण, #आचरण,व्यवहार व विचार को सुंदर एवं अनुपम बनाने की सामग्री मिल जाती है । किसी भी सम्प्रदाय,मत या वाद की कोई भी ऐसी पुस्तक नहीं है कि जो इस #कसौटी पर खरी उतरी हो ।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है।
भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?
जब मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल तो हमारे #स्कूल-कॉलेजों में #रामायण, #महाभारत व #गीता क्यों नहीं पढ़ाई जाएँ ?
मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है तो #सेक्युलरवादी उसे संविधान का मौलिक अधिकार कहते हैं और जब स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों को जीवन जीने का सही ढंग सिखाया जाता है तो बोलते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है ।
अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी पुरानी #संस्कृति को अपनाया जाए। #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना भगवाकरण नहीं है।' अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।
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Saturday, July 8, 2017

गुरुपूर्णिमा का इतिहास एवं महिमा 9 जुलाई 2017

गुरुपूर्णिमा का इतिहास एवं महिमा 9 जुलाई 2017

जुलाई 8, 2017

आषाढ शुक्ल पूर्णिमाको गुरुपूर्णिमा एवं व्यासपूर्णिमा कहते हैं । गुरुपूर्णिमा गुरुपूजनका दिन है । गुरुपूर्णिमाका एक अनोखा महत्त्व भी है । अन्य दिनोंकी तुलनामें इस तिथिपर गुरुतत्त्व सहस्र गुना कार्यरत रहता है । इसलिए इस दिन किसी भी व्यक्तिद्वारा जो कुछ भी अपनी साधनाके रूपमें किया जाता है, उसका फल भी उसे सहस्र गुना अधिक प्राप्त होता है ।
gurupoornima

 
भगवान वेदव्यास ने वेदों का संकलन किया, 18 पुराणों और उपपुराणों की रचना की। ऋषियों के बिखरे अनुभवों को समाजभोग्य बना कर व्यवस्थित किया। पंचम वेद 'महाभारत' की रचना इसी पूर्णिमा के दिन पूर्ण की और विश्व के सुप्रसिद्ध आर्ष ग्रंथ ब्रह्मसूत्र का लेखन इसी दिन आरंभ किया। तब देवताओं ने वेदव्यासजी का पूजन किया। तभी से व्यासपूर्णिमा मनायी जा रही है। इस दिन जो शिष्य ब्रह्मवेत्ता सदगुरु के श्रीचरणों में पहुँचकर संयम-श्रद्धा-भक्ति से उनका पूजन करता है उसे वर्षभर के पर्व मनाने का फल
मिलता है।

भारत में अनादिकाल से आषाढ मास की पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। गुरुपूर्णिमा का त्यौहार तो सभी के लिए है । भौतिक सुख-शांति के साथ-साथ ईश्वरीय आनंद, शांति और ज्ञान प्रदान करनेवाले महाभारत, ब्रह्मसूत्र, श्रीमद्भागवत आदि महान ग्रंथों के रचयिता महापुरुष वेदव्यासजी जैसे ब्रह्मवेत्ताओं का मानवऋणी है । 

भारतीय संस्कृति में सद्गुरु का बडा ऊँचा स्थान है । भगवान स्वयं भी अवतार लेते हैं तो गुरु की शरण जाते हैं । भगवान श्रीकृष्ण गुरु सांदीपनिजी के आश्रम में सेवा तथा अभ्यास करते थे । भगवान श्रीराम गुरु वसिष्ठजी के चरणों में बैठकर सत्संग सुनते थे । ऐसे महापुरुषों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए तथा उनकी शिक्षाओं का स्मरण करके उसे अपने जीवन मे लानेके लिए इस पवित्र पर्व ‘गुरुपूर्णिमा’ को मनाया जाता है 

गुरुका महत्त्व

गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते हैं । गुरुका ध्यान शिष्यके भौतिक सुखकी ओर नहीं, अपितु केवल उसकी आध्यात्मिक उन्नतिपर होता है । गुरु ही शिष्यको साधना करनेके लिए प्रेरित करते हैं, चरण दर चरण साधना करवाते हैं, साधनामें उत्पन्न होनेवाली बाधाओंको दूर करते हैं, साधनामें टिकाए रखते हैं एवं पूर्णत्वकी ओर ले जाते हैं । गुरुके संकल्पके बिना इतना बडा एवं कठिन शिवधनुष उठा पाना असंभव है । इसके विपरीत गुरुकी प्राप्ति हो जाए, तो यह कर पाना सुलभ हो जाता है । श्री गुरुगीतामें ‘गुरु’ संज्ञाकी उत्पत्तिका वर्णन इस प्रकार किया गया है,

गुकारस्त्वन्धकारश्च रुकारस्तेज उच्यते ।
अज्ञानग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः ।। – श्री गुरुगीता

अर्थ : ‘गु’ अर्थात अंधकार अथवा अज्ञान एवं ‘रु’ अर्थात तेज, प्रकाश अथवा ज्ञान । इस बातमें कोई संदेह नहीं कि गुरु ही ब्रह्म हैं जो अज्ञानके अंधकारको दूर करते हैं । इससे ज्ञात होगा कि साधकके जीवनमें गुरुका महत्त्व अनन्य है । इसलिए गुरुप्राप्ति ही साधकका प्रथम ध्येय है । गुरुप्राप्तिसे ही ईश्वरप्राप्ति होती है अथवा यूं कहें कि गुरुप्राप्ति होना ही ईश्वरप्राप्ति है, ईश्वरप्राप्ति अर्थात मोक्षप्राप्ति- मोक्षप्राप्ति अर्थात निरंतर आनंदावस्था । गुरु हमें इस अवस्थातक पहुंचाते हैं । शिष्यको जीवनमुक्त करनेवाले गुरुके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनेके लिए गुरुपूर्णिमा मनाई जाती है । 

गुरुपूर्णिमाका अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व

इस दिन गुरुस्मरण करनेपर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति होनेमें सहायता होती है । इस दिन गुरुका तारक चैतन्य वायुमंडलमें कार्यरत रहता है । गुरुपूजन करनेवाले जीवको इस चैतन्यका लाभ मिलता है । गुरुपूर्णिमाको व्यासपूर्णिमा भी कहते हैं, गुरुपूर्णिमापर सर्वप्रथम व्यासपूजन किया जाता है । एक वचन है – व्यासोच्छिष्टम् जगत् सर्वंम् । इसका अर्थ है, विश्वका ऐसा कोई विषय नहीं, जो महर्षि व्यासजीका उच्छिष्ट अथवा जूठन नहीं है अर्थात कोई भी विषय महर्षि व्यासजीद्वारा अनछुआ नहीं है । महर्षि व्यासजीने चार वेदोंका वर्गीकरण किया । उन्होंने अठारह पुराण, महाभारत इत्यादि ग्रंथोंकी रचना की है । महर्षि व्यासजीके कारण ही समस्त ज्ञान सर्वप्रथम हमतक पहुंच पाया । इसीलिए महर्षि व्यासजीको ‘आदिगुरु’ कहा जाता है । ऐसी मान्यता है कि उन्हींसे गुरु-परंपरा आरंभ हुई । आद्यशंकराचार्यजीको भी महर्षि व्यासजीका अवतार मानते हैं ।

गुरुपूजन का पर्व
 
गुरुपूर्णिमा अर्थात् गुरु के पूजन का पर्व ।
गुरुपूर्णिमा के दिन छत्रपति शिवाजी भी अपने गुरु का विधि-विधान से पूजन करते थे।
.....किन्तु आज सब लोग अगर गुरु को नहलाने लग जायें, तिलक करने लग जायें, हार पहनाने लग जायें तो यह संभव नहीं है। लेकिन षोडशोपचार की पूजा से भी अधिक फल देने वाली मानस पूजा करने से तो भाई ! स्वयं गुरु भी नही रोक सकते। मानस पूजा का अधिकार तो सबके पास है।
"गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर मन-ही-मन हम अपने गुरुदेव की पूजा करते हैं.... मन-ही-मन गुरुदेव को कलश भर-भरकर गंगाजल से स्नान कराते हैं.... मन-ही-मन उनके श्रीचरणों को पखारते हैं.... परब्रह्म परमात्मस्वरूप श्रीसद्गुरुदेव को वस्त्र पहनाते हैं.... सुगंधित चंदन का तिलक करते है.... सुगंधित गुलाब और मोगरे की माला पहनाते हैं.... मनभावन सात्विक प्रसाद का भोग लगाते हैं.... मन-ही-मन धूप-दीप से गुरु की आरती करते हैं...."
इस प्रकार हर शिष्य मन-ही-मन अपने दिव्य भावों के अनुसार अपने सद्गुरुदेव का पूजन करके गुरुपूर्णिमा का पावन पर्व मना सकता है। करोडों जन्मों के माता-पिता, मित्र-सम्बंधी जो न से सके, सद्गुरुदेव वह हँसते-हँसते दे डा़लते हैं।
'हे गुरुपूर्णिमा ! हे व्यासपूर्णिमा ! तु कृपा करना.... गुरुदेव के साथ मेरी श्रद्धा की डोर कभी टूटने न पाये.... मैं प्रार्थना करता हूँ गुरुवर ! आपके श्रीचरणों में मेरी श्रद्धा बनी रहे, जब तक है जिन्दगी.....
 

आजकल के विद्यार्थी बडे़-बडे़ प्रमाणपत्रों के पीछे पड़ते हैं लेकिन प्राचीन काल में विद्यार्थी संयम-सदाचार का व्रत-नियम पाल कर वर्षों तक गुरु के सान्निध्य में रहकर बहुमुखी विद्या उपार्जित करते थे। भगवान श्रीराम वर्षों तक गुरुवर वशिष्ठजी के आश्रम में रहे थे। वर्त्तमान का विद्यार्थी अपनी पहचान बडी़-बडी़ डिग्रियों से देता है जबकि पहले के शिष्यों में पहचान की महत्ता वह किसका शिष्य है इससे होती थी। आजकल तो संसार का कचरा खोपडी़ में भरने की आदत हो गयी है। यह कचरा ही मान्यताएँ, कृत्रिमता तथा राग-द्वेषादि बढा़ता है और अंत में ये मान्यताएँ ही दुःख में बढा़वा करती हैं। अतः मनुषय को चाहिये कि वह सदैव जागृत रहकर सत्पुरुषों के सत्संग सेम् ज्ञानी के सान्निध्य में रहकर परम तत्त्व परमात्मा को पाने का परम पुरुषार्थ करता रहे।

संत गुलाबराव महाराजजीसे किसी पश्चिमी व्यक्तिने पूछा, ‘भारतकी ऐसी कौनसी विशेषता है, जो न्यूनतम शब्दोंमें बताई जा सकती है ?’ तब महाराजजीने कहा, ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ । इससे हमें इस परंपराका महत्त्व समझमें आता है । ऐसी परंपराके दर्शन करवानेवाला पर्व युग-युगसे मनाया जा रहा है, तथा वह है, गुरुपूर्णिमा ! हमारे जीवनमें गुरुका क्या स्थान है, गुरुपूर्णिमा हमें इसका स्पष्ट पाठ पढाती है ।

आज भारत देश में देखा जाय तो महान संतों पर आघात किया जा रहा है, अत्याचार किया जा रहा है, जिन संतों ने हमेशा देश का मंगल चाहा है । जो भारत का उज्जवल भविष्य देखना चाहते हैं । लेकिन आज उन्ही संतों को टारगेट किया जा रहा है -- क्यों ??

भारत में थोड़ी बहुत जो सुख-शांति, चैन- अमन और सुसंस्कार बचे हुए हैं तो वो संतों के कारण ही है और संतों, गुरुओं को चाहने और मानने वाले शिष्यों के कारण ही है ।

लेकिन उन्ही संतों पर षड़यंत्र करके भारत वासियों की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।

"भारतवासियों को ही गुमराह करके संतों के प्रति भारतवासियों की आस्था को तोड़ा जा रहा है ।"

अतः देशविरोधी तत्वों से सावधान रहें ।

Friday, July 7, 2017

सरकारी गौशाला का बुरा हाल, हर दिन दो से तीन गाय की होती है मौत

सरकारी गौशाला का बुरा हाल, हर दिन दो से तीन गाय की होती है मौत
 
जुलाई 07 2017
cow deathes



राजस्थान के उदयपुर में सरकारी गोशाला में गायों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हर दिन गायों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। यहां के तितरडी इलाके में नगर निगम की गौशाला में पिछले 6 महीनों में 150 गायों की मौत हो चुकी है।

करोड़ों की लागत से बने इस काइन हाउस में बड़ी संख्या में गायों का पालन चल रहा है। मगर पिछले कुछ महीनों में यहां की स्थिति बदतर होती जा रही है। हर दिन गाय की मौत की खबरें आने लगी हैं।

 बताया जा रहा है कि गौशाला में देखभाल का अभाव और गायों को चारा देने की लापरवाही के चलते वो मौत का शिकार हो रही हैं। यही वजह है कि पिछले 6 महीनों में 150 से ज्यादा गाय और बछड़े दम तोड़ चुके हैं।

हर दिन 2-3 गाय की मौत !!

गौशाला में तैनात कर्मचारियों की मानें तो हर दिन यहां 2 से 3 गाय मौत के काल में समा रही हैं। इसके बावजूद प्रशासन इसकी सुध लेने को राजी नहीं है।

बारिश की भेंट चढ़ा चारा !!

गायों के लिए खरीदा गया चारा बारिश की भेंट चढ़ रहा है। वहीं पीने का पानी दूषित हो चुका है। साथ ही गोशाला के अंदर साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


क्षमता से ज्यादा गाय !!

इस काइन हाउस की क्षमता 250 गाय रखने की है। मगर इससे आगे बढ़कर मौजूदा वक्त में यहां 325 गाय हैं। गाय, बैल और बछड़े सभी एक छत के नीचे पल रहे हैं। नवजात बछड़ों को रखने के लिए भी अलग से व्यवस्था नहीं की गई है। 

आपको बता दें कि कुछ समय पहले #जयपुर की #हिंगोलिया_गौशाला में दो सप्ताह में 500 गायों की मौत हो चुकी है ।


#बीजेपी शासित #राज्य #राजस्थान की #सीएम वसुंधरा राजे ने साल 2015 में #मुख्यमंत्री बनने के बाद #गायों को लेकर सक्रियता खूब दिखाई। लोगों को गाय की पूजा करने की शपथ भी दिलाई । लेकिन सच में राजस्थान की #सरकार #गौ_माता के लिए कितनी गंभीर है इसका उदाहरण हिंगोनिया और उदयपुर की गौशाला है । 

 इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि #राज्य की #वसुंधरा_राजे सरकार ने #गोरक्षा के नाम पर बाकायदा गोरक्षा #मंत्रालय भी बनाया हुआ है । #सरकारी_संरक्षण के बावजूद रोजाना जिस तरह गायें दम तोड़ रही हैं, वो बेहद ही शर्मनाक है ।

अपनी जान की परवाह किये बिना तन-मन-धन से दिन रात गौ रक्षा करने वाले रक्षकों को गुड़ा बोला जाता है ये कहाँ तक उचित है???

#हिन्दुस्तान में जिनको #पुरस्कार देकर सन्मानित किया जाना चाहिए उनको प्रधानमंत्री द्वारा गुंडा बोला जाता है ये कहाँ का न्याय है???

प्रधानमंत्री जी कत्लखाने को #सब्सिडी देना बंद करिये और गौ-रक्षा के लिए उस #पैसें का उपयोग करिये जिससे गौ माता की रक्षा हो पाए ।

वास्तव में कोई भी #पार्टी हो, वह सत्ता के लिए ही सबकुछ करती है । सत्ता पाने के बाद वह सबकुछ भूल जाती है । चुनाव आने से पहले ख्याली पुलाव परोसते हैं, जनता के सामने बाद में ठेंगा दिखा जाते हैं ।

वास्तव में देश की रक्षा तो नि:स्वार्थ रूप से समाज सेवा में रत #संत-#महापुरुष व हिन्दू कार्यकर्ताओं द्वारा ही होती है लेकिन उन्हें बदनाम करके जेल में डाल दिया जाता है । देश में गायों की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए संत #आशारामजी_बापू ने कई गौशालायें खुलवायी,जहाँ पर कत्लखानें से बचाकर हजारों गायों को पाला जा रहा है । #संत_आशारामजी बापू ने सत्संग के माध्यम से करोड़ों लोगों को गाय की महिमा बताकर उनकी सेवा के लिए प्रेरित किया है ।

 ऐसे नि:स्वार्थ सेवा करनेवाले संत के साथ आज वर्तमान सरकार क्या कर रही है ? यह तो दुनियाँ देख ही रही है । 

कई #हिन्दू संतों एवं गौरक्षकों ने गौरक्षा के लिए आवाज बुलंद की , फिर उनको जेल भेज दिया गया या उनकी हत्या करवा दी गई ।

देश की सेवा स्वार्थी तत्त्व, स्वार्थी #एनजीओ, स्वार्थी #राजनेता, स्वार्थी #अभिनेता कभी भी नहीं कर सकता उसे तो अपना काम बनाना है फिर तो कौन पूछता है आम जनता को !!

वास्तव में हम लोगों को वर्तमान में फर्क समझना होगा रक्षक व भक्षक में, स्वार्थी व निस्वार्थी में, देशहितैषी व देशद्रोही में ? 

नहीं तो हम अन्जाने में बड़ी भारी गलती कर सकते हैं । निःस्वार्थ नागरिक ही देश का सबसे बड़ा रक्षक व हितैषी है । इसके लिए संत-महापुरुषों का मार्गदर्शन बहुत ही जरूरी है । खुद भी संत-महापुरुषों का मार्गदर्शन लें व दूसरों को भी प्रेरित करें ।


केवल हमें जय गौमाता, जय #गोपाल का नारा ही नहीं देना है अपितु उसे सार्थक भी करना है और वो सार्थक केवल हमारे प्रयासों से ही संभव है, सरकार के ऊपर निर्भर रहना बेकार है । क्यों न हमलोग खुद ही आगे बढ़े और अपने आसपास गाय की सेवा करके रक्षा करें ।

जयहिंद !!

Thursday, July 6, 2017

पश्चिम बंगाल : दो हजार मुस्लिम जिहादियों की भीड़ ने हिन्दुओं पर किया भयंकर आक्रमण

जुलाई 6, 2017

भारत में मुस्लिमों की कम #जनसंख्या है लेकिन जिन  इलाकों में उनकी #जनसंख्या अधिक होती है वहाँ पर #हिन्दुओं का जीना #मुश्किल कर देते हैं, जैसे कि कश्मीर से #पंडितों को भगाना, कैराना,अलीगढ़(उत्तर प्रदेश) में #हिंदुओं का #पलायन होना, लव जिहाद द्वारा हिन्दू #बहनों को #फंसाना , केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या और भी भारत में जहाँ मुस्लिम अधिक हैं वहाँ पर हिंदुओं पर #अत्याचार हो रहा है ।
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पश्चिम बंगाल में तो इतना आतंक छाया है कि ऐसा लगता है कि ये #हिंदुस्तान है कि #पाकिस्तान?


भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय अनुसार मंगलवार और बुधवार को पश्चिम बंगाल में इतना #हिंसक प्रदर्शन हुआ कि हिन्दुओं की बहन-बेटियों की #इज्जत लूटी गई, बलात्कार किया गया, दुकानें #जला दी, हिन्दुओं पर आक्रमण किया। फिर भी सरकार, मीडिया और #सेकुलर लोग चुप हैं कुछ बोल नही रहे हैं बड़ा #आश्चर्य है ।


कोलकाता/नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के बदुरिया गांव में #फेसबुक पोस्ट पर आपत्तिजनक चित्र पोस्ट करने को लेकर #जिहादियों ने हिन्दुओं पर #आक्रमण कर दिया । इस आक्रमण में 35 से अधिक हिन्दू #घायल हुए, उनमें से 6 की स्थिति #गंभीर बताई जा रही है । उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है । इस कारण हिन्दुओं की #रथयात्रा को भी रोकना पड़ा । हिंसक धर्मांधों ने बदुरिया पुलिस स्टेशन को भी आग लगाकर #जलाने का प्रयास किया । जिहादी भीड़ ने ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे लगाते हुए #आक्रमण किया ।


जानकारी के अनुसार, आक्रोशित मुसलमान लोग #रूद्रपुर तथा उसके सामने वाले क्षेत्र के रास्ते पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट का #विरोध करने उतरे थे । इस पोस्ट में कहा गया था कि, वास्तव में #काबा यह प्राचीन शिव #मंदिर है । यह पोस्ट किया हुआ चित्र #गूगल पर सर्च करने पर आसानी से मिल जाता है और  कई लोगों ने ऐसे दावे किए हैं । इसमें नया कुछ भी नहीं है । किंतु जिहादियों को #हिंसा का कारण ही चाहिए था इसलिए उन्होंने इसे आगे करते हुए #दंगे को आरंभ किया ।


इस संदर्भ में पोस्ट करने वाले #सौरभ सरकार नाम के 12 वी. कक्षा के छात्र को पुलिस ने तुरंत #गिरफ्तार कर लिया था । किंतु #धर्मांधों ने हिन्दुओं पर तथा घरों पर आक्रमण करने के बाद ही शांत होने का ठान लिया था ।


उत्तरी 24 परगना के #बसीरहाट और #बदरिआ में जिहादी भीड़ ने 2 दिनों से यह #दंगा शुरु किया है परन्तु पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार, जो #गोरखाओं पर #गोलियां चलवाती है, उसने जिहादी भीड़ पर कोई #कार्यवाही तक नहीं की । पूरे क्षेत्र में #हिन्दुओं के बीच ऐसा भय का वातावरण है, कई लोग अलग-अलग क्षेत्रों में भाग गए हैं ।



आरोपी छात्र को #धर्मांधों के हाथ सौंपने की मांग करते हुए बडी संख्या में धर्मांध बदुरिया #पुलिस थाने पर जमा हुए । किंतु पुलिस ने आरोपी युवक को सौंपने से मना करने पर भीड़ #हिंसक हो गई । जिहादियों ने न केवल हिन्दुओं के घर और दुकानें #लूटी अपितु पुलिस की भी 4 गाड़ियां #जलाई । कुछ क्षेत्र में टायर को जलाकर उन्हें रास्ते पर फेंक दिया । इतने पर भी #ममता बनर्जी ने जिहादी भीड़ पर कार्यवाही का आदेश नहीं दिया । आक्रमण करने वाले #तृणमूल काँग्रेस के समर्थक हैं, ऐसी जानकारी मिली है ।
स्त्रोत : Hindu Existence

एक काबा की सच्चाई भरी पोस्ट डाली तो हजारों #मुस्लिमों ने इक्कठे होकर हिन्दुओं पर आक्रमण कर दिया लेकिन हमारे भारत में हिन्दू देवी-देवताओं और हिन्दू साधु-संतों का खुल्ले आम मजाक उड़ाया जाता है फिर भी हिन्दू निष्क्रिय होकर बैठे हैं ।


आज हिंदुओं में #एकता नही है ।  बिखरे हैं,गहरी नींद में सोये हैं, पड़ोसी के घर की आग देखकर उसे बुझाने की बजाय अपने घर में शांति से बैठे हैं ।
ऐ हिन्दू! पड़ोसी के घर की आग बुझाने का प्रयत्न कर, नही तो कल वो आग तेरे घर में लगी होंगी ।


आज हमारे #आस्था के केंद्र #देवी-देवताओं और  #साधु-संतों के ऊपर कोई टिप्पणी करता है तो हिन्दू सहन कर लेता है ।


कोई प्रतिक्रिया नही करता ।


हिन्दू #निर्दोष_संतों के खिलाफ मीडिया दिखाती है तो भोले-भाले हिन्दू सच्चाई की तह तक पहुँचने की बजाय मीडिया का चश्मा पहन मीडिया की गंदंगी अपने मुँह से उगलने लगता है ।


भोले हिन्दू!!! जरा तो बुद्धि का उपयोग कर और विचार करके देख कि क्यों मीडिया ने कभी किसी मौलवी व ईसाई पादरी के खिलाफ नही दिखाया...???



क्योंकि विदेशी फंड से चलने वाली,उनके अधीन रहने वाली ,ये मीडिया सिर्फ और सिर्फ उनके इशारे पर चलती है । इनको देश की गरिमा या संतो की महिमा से कुछ लेना नही, इसलिए हमेशा #हिंदुत्ववादी कार्य करने वाले संगठन और साधु-संतों के खिलाफ ही दिखाती है ।


एक पोस्ट डालने पर इतने #मुसलमान लोग सड़क पर आ सकते है पर अमरनाथ यात्रियों को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे तथा मार-पीट करने पर कोई हिन्दू बाहर नही निकला, कब तक हिन्दू सोता रहेगा..???



#हिन्दू_कार्यकर्ताओं और #हिन्दू_संतों को जेल भेज दिया गया , फिर भी हिन्दू सोया हुआ है....!!!


हिन्दू कार्यकर्ताओं की दिन दहाड़े हत्याएं हो रही है, फिर भी हिन्दू सोया है...!!!


कश्मीर से सभी #पंडितों को भगा दिया गया, फिर भी हिन्दू सोया है...!!!


कैराना और सुंदर नगरी से हिंदुओं का पलायन हो रहा है, फिर भी हिन्दू सोया है...!!

केरल, तमिलनाडु, केलर में हिंदुओं की हत्याएं हो रही है फिर भी हिन्दू सोया है ।


#ईसाई दिन-रात हिंदुओं का #धर्मान्तरण कर रहे है , फिर भी हिन्दू सोया है...!!!


एक नही,दो नही, हजार नही , लाखों हिन्दू #लड़कियों को लव जिहाद में फंसाकर ले जाते है फिर भी हिन्दू सोया है...!!!


हिंदुओं के #मंदिर तोड़े जा रहे है फिर भी हिन्दू सोया है…!!!


और भी कई ऐसी घटनाएँ है जिस पर हिन्दू मौन धारण करके सोया है...!!!


हिन्दूओं की नींद अभी तक खुल नही रही है ।


अभी भी वक्त है #संगठित हो जाओ। कानून या सरकार आपकी रक्षा नही करेगी । #धर्म की रक्षा खुद को ही करनी पड़ेगी , इसलिए आपके आस-पास कहीं भी हिन्दू के साथ #अत्याचार हो रहा हो तो निर्भयता से एक होकर सामना करो ।


हे वीर हिन्दू! जाग अपनी महिमा में...


और देश के साथ गद्दारी करने वाले मीडिया हॉउसस्  , #ईसाई_मिशनरियों #मुस्लिम_समुदाय के जो भी आतंकी आतंक फैला रहे है और जो #राजनीति में राक्षस जैसे बैठे है उनको उखाड़ फैको ।


हे हिन्दू! तू वीर #शिवाजी, #पृथ्वीराज_चौहान , #वीर_महाराणा प्रताप जैसे वीरों का वंशज है । देश के गद्दारों का सफाया कर दें ।

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Wednesday, July 5, 2017

आजाद हिंद सेना स्थापना दिन - 5 जुलाई

5 जुलाई
🚩भारत की #स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले #आजाद हिंद सेना का #5 जुलार्इ 1943 को गठन हुआ था ।
azaad hind sena sthapna din
🚩#आजाद हिंद सेनाके #संस्थापक #नेताजी सुभाषचंद्र बोस उग्रमतवादी थे । अंग्रेजोंको परास्त करनेके लिए भारतकी स्वतंत्रता संग्रामकी अंतिम लडाईका नेतृत्व नियतीने नेताजीके हाथों सौंपा था । नेताजीने यह पवित्र कार्य असीम साहस एवं तन, मन, धन तथा प्राणका त्याग करनेमें तत्पर रहनेवाले हिंदी सैनिकोंकी #‘आजाद हिंद सेना’ संगठनद्वारा पूर्ण किया । इस  संगठनका अल्पसा परिचय !
🚩1. ब्रिटिश सेनाके हिंदी सैनिकोंका नेताजीने बनाया संगठन
अंग्रेजोंकी स्थानबद्धतासे भाग जानेपर नेताजीने फरवरी 1943 तक जर्मनीमें ही वास्तव्य किया । वे जर्मन सर्वसत्ताधीश #हिटलरसे अनेक बार मिले और उसे हिंदुस्थानकी स्वतंत्रताके लिए सहायताका आवाहन भी किया । दूसरे महायुद्धमें विजयकी ओर मार्गक्रमण करनेवाले हिटलरने नेताजीrको सर्व सहकार्य देना स्वीकार किया । उस अनुसार उन्होंने जर्मनीकी शरणमें आए अंग्रेजोंकी सेनाके #हिंदी सैनिकोंका प्रबोधन करके उनका #संगठन बनाया । नेताजी के वहांके भाषणोंसे हिंदी सैनिक देशप्रेममें भावविभोर होकर स्वतंत्रताके लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते थे ।
🚩2. #आजाद हिंदी सेनाकी स्थापना और #‘चलो दिल्ली’का नारा
पूर्व एशियाई देशोंमें जर्मनीका मित्रराष्ट्र #जापानकी सेना #ब्रिटिश सेनाको धूल चटा रही थी । उनके पास भी शरण आए हुए, ब्रिटिश सैनाके हिंदी सैनिक थे । नेताजीके मार्गदर्शनानुसार वहां पहलेसे ही रहनेवाले #रासबिहारी बोसने हिंदी सेनाका संगठन किया । इस हिंदी सेनासे मिलने नेताजी 90 दिन  पनडुब्बीसे यात्रा करते समय मृत्युसे जूझते जुलाई वर्ष 1943 में जापानकी राजधानी #टोकियो पहुंचे । #रासबिहारी बोसजीने इस सेनाका नेतृत्व नेताजीके हाथों सौंपकर दिया । 5 जुलाई 1943 को सिंगापुरमें नेताजीने ‘आजाद हिंद सेना’की स्थापना की । उस समय सहस्रों सैनिकोंके सामने ऐतिहासिक भाषण करते हुए वे बोले, ‘‘सैनिक मित्रों ! आपकी युद्धघोषणा एक ही रहे ! #चलो दिल्ली ! आपमें से कितने लोग इस स्वतंत्रतायुद्धमें जीवित रहेंगे, यह तो मैं नहीं जानता; परंतु मैं इतना अवश्य जानता हूं कि अंतिम विजय अपनी ही है। इसलिए उठो और अपने अपने शस्त्रास्त्र लेकर सुसज्ज हो जाओ । हमारे भारतमें आपसे पहले ही क्रांतिकारकोंने हमारे लिए मार्ग बना रखा है और वही मार्ग हमें दिल्लीतक ले जाएगा । ….चलो दिल्ली ।”
🚩3. भारतके अस्थायी शासनकी प्रमुख सेना
सहस्रों सशस्त्र हिंदी सैनिकोंकी सेना सिद्ध होनेपर और पूर्व एशियाई देशोंकी लाखों हिंदी जनताका भारतीय स्वतंत्रताको समर्थन मिलनेपर नेताजीने #21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थानका दूसरा #अस्थायी शासन स्थापित किया । इस अस्थायी शासनको जापान, जर्मनी, चीन, इटली, ब्रह्मदेश आदि देशोंने उनकी मान्यता घोषित की । इस अस्थायी शासनका आजाद हिंद सेना, यह प्रमुख सेना बन गई ! #आजाद हिंद सेनामें सर्व जाति-जनजाति, अलग-अलग प्रांत, भाषाओंके सैनिक थे । सेनामें एकात्मताकी भावना थी । #‘कदम कदम बढाए जा’, इस गीतसे समरस होकर नेताजीने तथा उनकी सेनाने #आजाद हिंदुस्थानका स्वप्न साकारनेके लिए #विजय यात्रा आरंभ की ।
🚩4. #‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना
        नेताजीने झांसीकी रानी #रेजिमेंटके पदचिन्होंपर महिलाओंके लिए #‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना की । पुरुषोंके कंधेसे कंधा मिलाकर महिलाओंको भी सैनिक प्रशिक्षण लेना चाहिए, इस भूमिकापर वे दृढ रहे । नेताजी कहते, हिंदुस्थानमें #1857 के #स्वतंत्रतायुद्धमें लडनेवाली झांसीकी रानीका आदर्श सामने रखकर #महिलाओंको भी #स्वतंत्रतासंग्राममें अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए ।’
🚩5. आजाद हिंद सेनाद्वारा धक्का
आजाद हिंद सेनाका ब्रिटिश सत्ताके विरोधमें सैनिकी आक्रमण आरंभ होते ही जापानका सत्ताधीश #जनरल टोजोने इंग्लैंडसे जीते हुए #अंदमान एवं #निकोबार ये दो द्वीप आजाद हिंद सेनाके हाथों सौंप दिए । 29 दिसंबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थानके प्रमुख होनेके नाते नेताजी अंदमान गए और अपना #स्वतंत्र ध्वज वहां लहराकर सेल्युलर कारागृहमें दंड भोग चुके क्रांतिकारकोंको आदरांजली समर्पित की । जनवरी #1944 में नेताजीने अपनी सशस्त्र सेना ब्रह्मदेशमें स्थलांतरित की ।
19 मार्च 1944 के ऐतिहासिक दिन #आजाद हिंद सेनाने भारतकी भूमिपर कदम रखा । इंफाल, कोहिमा आदि स्थानोंपर इस सेनाने ब्रिटिश सेनापर विजय प्राप्त की । इस विजयनिमित्त 22 सितंबर 1944 को किए हुए भाषणमें नेताजीने गर्जना की कि, #‘‘अपनी मातृभूमि स्वतंत्रताकी मांग कर रही है ! इसलिए मैं आज आपसे आपका रक्त मांग रहा हूं । केवल रक्तसे ही हमें स्वतंत्रता मिलेगी । तुम मुझे अपना #रक्त दो । मैं तुमको #स्वतंत्रता दूंगा !” (‘‘दिल्लीके लाल किलेपर तिरंगा लहरानेके लिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा”) यह भाषण इतिहासमें अजरामर हुआ । उनके इन हृदय झकझोर देनेवाले उद्गारोंसे उपस्थित हिंदी युवाओंका मन रोमांचित हुआ और उन्होंने अपने रक्तसे प्रतिज्ञा लिखी ।
🚩6. ‘चलो दिल्ली’का स्वप्न अधूरा; परंतु ब्रिटिशोंको झटका
मार्च 1945 से दोस्तराष्ट्रोंके सामने जापानकी पराजय होने लगी । #7 मई 1945 को जर्मनीने बिना किसी शर्तके #शरणागति स्वीकार ली, जापानने 15 अगस्तको शरणागतिकी अधिकृत घोषणा की । जापान-जर्मनीके इस अनपेक्षित पराजयसे नेताजीकी सर्व आकांक्षाएं धूमिल हो गइं । ऐसेमें अगले रणक्षेत्रकी ओर अर्थात् सयाम जाते समय 18 अगस्त #1945 को फार्मोसा द्वीपपर उनका #बॉम्बर विमान गिरकर उनका हदयद्रावक अंत हुआ । आजाद हिंद सेना दिल्लीतक नहीं पहुंच पाई; परंतु उस सेनाने जो प्रचंड आवाहन् बलाढ्य ब्रिटिश साम्राज्यके सामने खडा किया, इतिहासमें वैसा अन्य उदाहरण नहीं । इससे ब्रिटिश सत्ताको भयंकर झटका लगा । हिंदी सैनिकोंके विद्रोहसे आगे चलकर भारतकी सत्ता अपने अधिकारमें रखना बहुत ही कठिन होगा, इसकी आशंका अंग्रेजोंको आई । चतुर और धूर्त अंग्रेज शासनने भावी संकट ताड लिया । उन्होंने निर्णय लिया कि पराजित होकर जानेसे अच्छा है हम स्वयं ही देश छोडकर चले जाएं । तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्रीने अपनी स्वीकृति दे दी ।
🚩7. ब्रिटिश भयभीत हो गए और नेहरू भी झुके
स्वतंत्रताके लिए सर्वस्व अर्पण करनेवाली नेताजीकी #आजाद हिंद सेनाको संपूर्ण भारतवासियोंका उत्स्फूर्त #समर्थन प्राप्त था । नेताजीने ब्रिटिश-भारतपर सशस्त्र आक्रमण करनेकी घोषणा की, तब पंडित नेहरूने उनका विरोध किया; परंतु नेताजीकी एकाएक मृत्युके उपरांत आजाद हिंद सेनाके सेनाधिकारियोंपर अभियोग चलते ही, संपूर्ण देशसे सेनाकी ओरसे  लोकमत प्रकट हुआ । सेनाकी यह लोकप्रियता देखकर अंतमें नेहरूको झुकना पडा, इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं सेनाके अधिकारियोंका अधिवक्तापत्र (वकीलपत्र) लिया । अंततः आरोप लगाए गए सेनाके ३  सेनाधिकारी सैनिक न्यायालयके सामने दोषी ठहराए गए; परंतु उनका दंड क्षमा कर दिया; क्योंकि अंग्रेज सत्ताधीशोंकी ध्यानमें आया कि, नेताजीके सहयोगियोंको दंड दिया, तो 90 वर्षोंमें लोकक्षोभ उफन कर आएगा । आजाद हिंद सेनाके सैनिकोंकी निस्वार्थ देशसेवासे ही स्वतंत्रताकी आकांक्षा कोट्यवधी देशवासियोंके मनमें निर्माण हुई ।
🚩संदर्भ : ‘झुंज क्रांतीवीरांची : स्वातंत्र्यलढ्याचा सशस्त्र इतिहास’, लेखक : श्री. सुधाकर पाटील
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