Wednesday, November 22, 2017

मदरसों में भी ईसाई चर्चों की तरह बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चे: एपी


November 22, 2017

🚩हिन्दू मन्दिर में इतनी पवित्रता होती है कि वहाँ जाने वाला कामी व्यक्ति भी निष्कामी हो जाता है और अपने में सुख-शांति का अनुभव करता है, लेकिन मीडिया मन्दिरों को और उनके पुजारियों को ही गलत ठहराने में लगी है, पर अभी समाचार एजेंसी एपी ने एक बड़ा खुलासा किया है कि ईसाई चर्चो की तरह मदरसों में भी बच्चो के साथ बलात्कार होते हैं, लेकिन मीडिया को इसपर बहस करने या न्यूज़ दिखाने की हिम्मत नही होती क्योकि हिन्दू तो सहिष्णु है उनके विरुद्ध कुछ भी दिखाओ ।

🚩समाचार एजेंसी एपी के अनुसार पाकिस्तान की रहने वाली कौसर परवीन ने रोते हुए बताया कि, उनका बेटा एक इस्लामी मदरसे में पढ़ता था । पाकिस्तान को कहरोरे पक्का में स्थित इस मदरसे में केवल दो कमरे हैं जिसमें कौसर का बेटा भी रहता था । इसी वर्ष अप्रैल में एक रात मदरसे का मौलवी उनके बेटे के बिस्तर पर पहुंच गया । लड़के ने उन्हें बताया कि, मौलवी ने उसकी शर्ट को खींचकर मुँह के ऊपर कर दिया और फिर उसके कपड़े उतार दिए । लड़के ने मां को बताया, “मैं रो रहा था । वो मुझे तकलीफ पहुंचा रहे थे । उन्होंने मेरे मुँह में शर्ट ठूंस दी थी ।” समाचार एजेंसी एपी ने पाकिस्तान के मदरसों में यौन शोषण पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है । जिन बच्चों से एपी ने बात की उनमें कौसर परवीन का बेटा भी शामिल है ।
Like hundreds of Christian churches in hundreds of rape victims in the madarsas

🚩समाचार एजेंसी एपी ने पिछले कुछ दशकों में विभिन्न मदरसों में बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चों के बारे में पता लगाया । उनके अनुसार, स्थानीय पुलिस ऐसे मामलों में दोषियों पर कार्रवाई करने से कतराती है । स्थानीय समुदाय में मौलवियों के प्रभाव और यौन शोषण के शर्मींदगी के कारण भी ऐसे मामले सामने नहीं आ पाते । इसके अलावा पाकिस्तान न्याय व्यवस्था में पीड़ित चाहे तो दोषी से “हर्जाना” लेकर माफ कर सकता है । यौन शोषण के कई दोषी पकड़े जाने पर कुछ रुपयों के बदले छूट जाते हैं । 

🚩एपी ने पुलिस में सैकड़ों शिकायतों का विश्लेषण करने के अलावा दर्जनों ऐसे लड़कों से बात की जो यौन शोषण का शिकार हो चुके हैं । एजेंसी ने पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों के यौन शोषण की तुलना ईसाई चर्चों में बाल यौन शोषण के सामने आए मामलों से की है ।

🚩पाकिस्तानी मदरसों में बच्चों के यौन शोषण पर वहां के एक पूर्व मंत्री ने एपी से कहा, “मदरसों में ऐसे सैकड़ो वाक्य हुए हैं । ये बहुत आम है । परंतु ऐसे मामलों को सामने लाना बहुत खतरनाक हो सकता है ।” एक अन्य पुलिस अधिकारी ने माना कि, पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों का बलात्कार असमान्य बात नहीं है । एपी द्वारा इकट्ठा किए गए दस्तावेज के अनुसार, पिछले #10 वर्षों में #359 ऐसे #मामले सामने आए जिनमें #मौलवी, #मौलाना या दूसरे मजहबी ओहदेदार पर बच्चों के #बलात्कार का #आरोप लगा । वर्ष 2004 में एक पाकिस्तानी अधिकारी ने तब ऐसे 500 मामलों की आधिकारिक शिकायत दर्ज होने की बात कही थी । जब एपी ने पाकिस्तान के गृहमंत्री और मंत्रालय से इस मसले पर बात करनी चाही तो उसे इसका मौका नहीं दिया गया । पाकिस्तान में मदरसे और स्कूल गृह मंत्रालय के तहत ही आते हैं । स्त्रोत : जनसत्ता

🚩#मीडिया को केवल #हिन्दू धर्म के #साधु-संतों में ही #कमी #दिखती है, हमेशा उसके कैमरे पूजनीय हिन्दू #देवी-देवताओं, #पवित्र मंदिरों, #संयमी साधु-संतों की तरफ ही रहते है लेकिन दूसरी ओर ईसाई चर्चों, मदरसों में कितना गलत हो रहा है उस पर बिलकुल ही नजर नही दौड़ाती, इससे सिद्ध होता है कि मीडिया के टारगेट में केवल #हिन्दू धर्म की #संस्कृति एवं #साधु-संतों को #खत्म करना है जिससे आम जनता का उसमे से भरोसा उठ जाये और #पश्चिमी सभ्यता को अपना ले जिससे उनका बाजार मार्केट बढ़ जाये और देश में भी धर्मान्तरण करवाना आसान हो जाये जिससे वो फिर से भारत पर राज कर सके ।

🚩अतः #हिन्दुस्तानी इस #षडयंत्र को #समझें और मीडिया को बातों को सही नही मानकर अपने धर्म में और #धर्मगुरुओं पर #आस्था #बनाये #रखें ।

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Tuesday, November 21, 2017

ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड देश में सर्वाधिक तेजी से बढ़ रहा हिंदू धर्म

November 21, 2017   www.azaadbharat.org
हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन सनातन धर्म है जो सृष्टि उत्तन्न हुई है तबसे चल रहा है। अपनी उदारता, व्यापकता और सहिष्णुता की वजह से हिंदू धर्म की तरफ पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान खिंच रहा है। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देश में तो सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।
ऑस्ट्रेलिया में 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है। 2011 की जनगणना में हिंदू धर्म सर्वाधिक तेजी से फैलने वाला धर्म पाया गया था। 2016 की जनगणना में 2.7 फीसद हिंदू आबादी का अनुमान है। जबकि वहां इस्लाम मानने वाली आबादी 2.6 फीसद है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में आधुनिकता की दौड़, भागमभाग, तनाव में लिपटी जीवनचर्या को हिंदू धर्म में ही सुकून मिल रहा है।
Australia and Ireland, the fastest growing Hindu religion in the country

वेबसाइट एसबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में इस्लाम की तरफ आकर्षित होने वालों की संख्या वहां की कुल आबादी की 2.2 फीसदी से लेकर 2.6 फीसदी के करीब बताई जाती है, वहीं हिंदू धर्म की ओर आकर्षित होने वालों की संख्या इससे ज्यादा 2.7 फीसदी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों में आस्था बढ़ रही है। हिन्दू धर्म अपनाने वाले वाले एक ऑस्ट्रेलियाई के अनुसार हिंदू धर्म में जीवन जीने का तरीका, शाकाहार, कर्म, आध्यात्मिकता ऐसे तत्व हैं जो और कहीं नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न जैसे बड़े शहर में रथयात्रा और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों के मौकों पर मंदिरों में और अन्य आयोजनों में उमड़ती हजारों लोगों की भीड़ से हिंदुत्व के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों की आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेलबर्न में इस्कॉन मंदिर के अलावा भी कई मंदिर हैं जो आस्था का केंद्र बने हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पूरे ऑस्ट्रेलिया में भगवान गणेश, श्रीकृष्ण, माता दुर्गा, हनुमान जी और सांई बाबा के 51 हिंदू मंदिर हैं। इनमें से 19 मंदिर विक्टोरिया में हैं। मेलबर्न के कैरम डाउन इलाके में शिव-विष्णु मंदिर ऑस्ट्रेलिया का सबसे पुराना और बड़ा मंदिर है। इसकी बुनियाद 1988 में रखी गई थी। ये मंदिर करीब 6 एकड़ में फैला है और यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर सिर्फ भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के ही नहीं दुनिया भर से, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर से ऑस्ट्रेलिया पहुंचे लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण शुरू होने के वक्त से ही यहां जुड़ी श्रीलंका की शिवनंदिनी कृष्णमूर्ति कहती हैं कि हमें पूजा के लिए एक जगह चाहिए थी और एक छोटे से शेड से बढ़ कर ये भव्य मंदिर बन गया।
मेलबर्न के इस मंदिर में हिंदू धर्म को मानने वालों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी पहुंचते हैं और वैदिक हिंदू रीति-रिवाजों से परिचित होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के सभी मंदिरों की देखरेख Hindu Organisation and Temples & Association करता है। ये संगठन हिंदुओं की आस्था से जुड़े तमाम क्रियाकलापों को भी कराता है। इन मंदिरों में शादी, नामकरण संस्कार और पूजा-अर्चना के अलावा होली-दीवाली जैसे मौकों पर खास आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बच्चे के जन्म, नए घर में प्रवेश या कार खरीदने पर भी यहां पूजा के लिए आते हैं। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया भी यहां हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा, सरकार से तालमेल और मीडिया में उनके सही प्रतिनिधित्व के लिए काम करती है। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने 2016 की जनगणना में हिंदू धर्म को भी धर्म बताने के विकल्प में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। काउंसिल के एक सदस्य भागवत कहते हैं कि वो 2016 की जनगणना के आंकड़ों को जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं और संभवत: इस बार भी हिंदुओं की संख्या बढ़ कर ही आएगी।
आपको बता दे कि आयरलैंड में भी हिन्दू धर्म का तेजी से विकास हो रहा है। आयरलैंड की जनगणना के अनुसार पिछले 5 सालों में हिन्दुओं की आबादी में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जनगणना आज से एक साल पहले 2016 के अप्रैल महीने में की गयी थी। इसी समय मुस्लिम जनसंख्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है।
आयरलैंड की कुल जनसंख्या में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयरलैंड मुख्य रूप से इसाई धर्म का पालन करने वाला देश है। यहां की कुल आबादी 4.76 मिलियन है, जिसमें से 3.73 मिलियन आबादी रोमन कैथलिक है। आंकड़े देखने के बाद यह पता चलता है कि इस देश में 2011 में हिन्दुओं की संख्या कुल 10,000 थी, जो अप्रैल 2016 में बढ़कर 14,000 हो गयी। जबकि आयरलैंड में मुस्लिम हिन्दुओं के मुकाबले 6 गुना ज्यादा संख्या में रहते हैं। स्त्रोत : पोलिटिकॉर्पोर्ट
एक तरफ विदेशी भी हिन्दू धर्म की महिमा जानकर हिन्दू धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे है, दूसरी और हिन्दू बाहुल देश भारत मे ही ईसाई मिशनरियां और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू धर्म को मिटाकर अपना धर्म बढ़ाना चाहते है इसलिए लालच देकर एवं जबरन धर्मान्तरण,  लव जिहाद आदि करके हिन्दू धर्म को तोड़ रहे है।
हिन्दू धर्म मे रहने वाले भी कुछ लोग हिन्दू धर्म की महिमा समजते नही है और बोलते है को सर्व धर्म समान उनको पता कि नाली का जल और गंगा जल एक समान नही है ऐसे ही महान सनातन हिन्दू धर्म को किसी धर्म के साथ जोड़ना मूर्खता ही है।
हिन्दू संस्कृति की आदर्श #आचार #संहिता ने समस्त वसुधा को #आध्यात्मिक एवं #भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही है इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः

Monday, November 20, 2017

हिन्दू धर्मगुरु संत आसाराम बापू के केस में सामने आये चौकाने वाले खुलासे, हर भारतवासी पढ़े लीगल दृष्टि से

November 20, 2017
हिन्दू धर्मगुरु आसारामजी बापू पिछले चार साल तीन महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं, उनके ऊपर शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की एक लड़की ने छेड़छाड़ी का आरोप और सूरत (गुजरात) की एक लड़की ने रेप का आरोप लगाया है, पर उन पर अभी तक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है फिर भी सालों से बिना जमानत जेल में हैं !!
Revelations coming out in the case of Asaram Bapu, .

आइये जाने इस केस के पीछे छुपे कुछ ऐसे तथ्य जिससे आजतक आपको अनभिज्ञ रखा गया ।
आज हम आपको लीगल पॉइंट से बताते हैं बापू आसारामजी केस की सच्चाई !!
आज हर हिन्दुस्तानी का अधिकार बनता है ये जानने का कि आखिर देश में क्या हो रहा है और मीडिया आपतक कितनी सही खबरें पहुँचा रहा है ।
जोधपुर के केस की हकीकत :-
शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की रहने वाली, छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) गुरुकुल में पढ़ती थी, लड़की ने
9 अगस्त 2013 को गुरुकुल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ घर चली जाती है। जोधपुर में 15 अगस्त 2013 को बापू आसारामजी के पास जोधपुर (राजस्थान) में उसके माता-पिता आते हैं और बोलते हैं कि हमारी बेटी को किसी भूत-प्रेत की छाया है, 15 अगस्त की रात को बापू आसारामजी की कुटिया के सामने वाले घर में अपने पहचान वाले के यहाँ रुकते हैं, सुबह 16 अगस्त को हँसते-खेलते अपने घर शाहजहांपुर चले जाते हैं, घर के मालिक के बच्चों को 100-100 रुपए खर्ची भी देते हैं ।




19 अगस्त को रात्रि 2:45 AM को बापू आसारामजी के विरूद्ध दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस थाणे में जीरो एफ. आई. आर.दर्ज हुई, पर संदिग्ध तरीके से उस रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिए गए । ऐसे केस में पहले मैजिस्ट्रेट की परमिशन ली जाती है फिर लड़की का मेडिकल होता है पर यहाँ लड़की का रातो-रात मेडिकल किया गया और अगले दिन उसके मैजिस्ट्रेट के सामने बयान हुए ।
20 अगस्त 2013 को लड़की के मैजिस्ट्रेट के सामने बयान होने के बावजूद FIR मैजिस्ट्रेट को नहीं दी गयी, अगले दिन 21 तारीख को दी गयी है । FIR व FIR की कार्बन कॉपी में भी अंतर पाया गया है । जिसका स्पष्टीकरण सम्बन्धित पुलिस कर्मी न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में नहीं दे पाया है ।
कमला मार्केट पुलिस थाणे के कांस्टेबल ने लड़की की FIR लिखते समय जो वीडियो रिकॉर्डिंग की थी उसे मिटाया या गायब किया गया है । वह रिकॉर्डिंग आज तक न्यायालय के सामने नहीं आई है । महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer चंचल मिश्रा व कमला मार्केट पुलिस थाणे की ASI पुष्पलता ने न्यायालय के सामने हुई अपनी गवाही में यह बात स्वीकार की है ।
लड़की की मेडिकल जाँच रिपोर्ट से रेप या यौन-शोषण की पुष्टि नहीं हुई है । लड़की का मेडिकल करनेवाली डॉ. शैलेजा वर्मा ने अदालत में दिए बयान में कहा : ‘‘मेडिकल के दौरान लड़की के शरीर पर रत्तीभर भी खरोंच के निशान नहीं थे और न ही प्रतिरोध के कोई निशान थे ।’’
बापू आसारामजी कार्यक्रम में व्यस्त :-
बापू आसारामजी 15 अगस्त 2013 की रात 9 बजे से 10:30 बजे तक सत्संग कर रहे थे । सत्संग के बाद पूना व सुमेरपुर के परिवाए के बीच हुई सगाई के निमित्त झुलेलालजी की झाँकी निकाली गयी थी, उस समय भी बापू आसारामजी उपस्थित थे । उस सत्संग के कई फोटो तथा उपस्थित व्यक्तियों की हुई न्यायालय में गवाही इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है । बापू आसारामजी ने दोनों परिवारवालों को रात को 11:30 बजे आशीर्वाद दिया था, वह फोटो भी न्यायालय के सामने सन 2014 से है तथा उसमें उपस्थित परिवारवालों की गवाही भी न्यायालय में हो चुकी है ।
लड़की को कमरे में जाते किसी ने नहीं देखा :-
सरकार की तरफ से 44 गवाह व बचाव पक्ष की तरफ से 31 गवाह examine किये गये । झूठा आरोप लगानेवाली लड़की व उसके माँ- बाप के सिवा ऐसा एक भी गवाह पिछले 4 वर्षों में नहीं आया जिसने यह कहा हो कि उसने लड़की को कुटिया (कमरे) में जाते हुए देखा है । सरकार के पास एक भी सबूत नहीं है और बापू आसारामजी के पक्ष में जो सबूत हैं उन्हें महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer के द्वारा दबाया गया है जिसे डिफेन्स के दौरान उजागर किया गया ।
POCSO व 370 धारा में जांच ठीक से नही हुई :-
छिंदवाडा गुरुकुल में पढ़ने वाली इस लड़की के माँ- बाप जब लड़की को लेने के लिए छिंदवाडा गुरुकुल में आये थे तब दिनांक 9 अगस्त 2013 को लड़की के पिता ने उसे घर ले जाने के लिए निवेदन पत्र अपने हाथों से लिखकर, हस्ताक्षर करके दिया था जो चार्ज शीट में लगा हुआ है ।  गुरुकुल से माता- पिता स्वयं आकर लड़की को अपने घर ले जाने के बाद लड़की की सम्पूर्ण जिम्मेदारी माता-पिता की है । फिर भी बापू आसारामजी के ऊपर Trafficking of Persons की धारा 370 लगाई गयी है जिसके अंतर्गत आजीवन कारावास की सजा है ।
ऐसे ही लड़की बालिग होते हुए भी POCSO की धारा लगाई गयी है जबकि लड़की के बालिग होने के कई प्रमाण मिलने के बाद भी महिला पश्चिम पुलिस थाना, जोधपुर की investigation officer चंचल मिश्रा ने उनका संशोधन/ अन्वेषण नही किया । लड़की का विद्यालय के दाखिले का आवेदन, रजिस्ट्रेशन फॉर्म तथा उसके एलआईसी के कागजात में लिखी जन्मतिथि के अनुसार वह उस कल्पित घटना के समय बालिग थी, फिर भी उसे नाबालिग मानकर पॉक्सो एक्ट में केस चल रहा है । लड़की की आयु से संबधित सर्वोच्च न्यायालय के जाँच के आदेश के बावजूद पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखायी ।
चंचल मिश्रा ने तो इस बात का संशोधन किया कि किस प्रकार से अधिक से अधिक और संगीन से संगीन धाराएं लगाई जा सकें ताकि बेल तक न मिले और बापू आसारामजी को कारावास में रख सके । पर कहते है न "जाको राखे साईयां, मार सके न कोय" ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है संत आसारामजी बापू के केस में होने वाले खुलासों को देखकर ।
हकीकत यह है कि इनमें से एक भी धारा की परिपुष्टि के लिए सरकार के पास रत्तीभर भी सबूत नहीं है । फिर भी बापू आसारामजी 4 साल 3 महीनों से कारावास में हैं ।
लड़की के कॉल्स और मेसेजेस संदिध पाये गए :-
बापू आसारामजी 15 अगस्त 2013 की रात को सत्संग के बाद अपनी कुटिया में चले गए और लड़की व उसके माता पिता उनके निवास स्थान पर, जहाँ लड़की अपने माँ के फोन से रातभर अलग-अलग समय पर किसी संदिग्ध व्यक्ति के साथ बातचीत व मेसेजेस करती रही । लड़की व उस व्यक्ति के बीच 1 महीने में 1055 मेसेजेस का आदान-प्रदान हुआ है जो असामान्य है ।
15 अगस्त की तथाकथित घटना के समय भी लड़की उसी व्यक्ति के साथ रात में कई बार फोन पर संपर्क में थी । लड़की की इस कॉल डिटेल को इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर चंचल मिश्रा ने छुपाकर रखा । लड़की के फोन की कॉल डिटेल तो चार्ज शीट में लगाई गई, परंतु 12 अगस्त से 17 अगस्त 2013 की कॉल डिटेल्स  हटाकर लगाई गई । जो  कॉल डिटेल्स लगाई गई उसमें भी कई मन्युपुलशन्स किये गए । जब उस कॉल डिटेल से संबंधित नोडल ऑफिसर का सरकार की तरफ से न्यायालय के सामने बयान हुआ, तब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि चंचल मिश्रा द्वारा प्रस्तुत कॉल डिटेल प्रमाणित नहीं है । बचाव पक्ष की तरफ से, लड़की तथाकथित घटना के समय जिस व्यक्ति के साथ फोन पर सम्पर्क में थी, उस व्यक्ति की कॉल डिटेल न्यायालय के सामने प्रस्तुत करके उससे संबंधित नोडल ऑफिसर की जब न्यायालय के सामने गवाही करवाई गयी तब उन्होंने मूल प्रमाणित कॉल डिटेल के साथ सच को उजागर किया ।
षडयंत्र क्रियान्वित करने के मिले कई प्रमाण :-
पंकज दुबे, भोलानंद तथा सतीश वाधवानी की गिरफ्तारी से बापू आशारामजी व उनके पुत्र श्री नारायण साँईं के खिलाफ रची गयी साजिश के कई प्रमाण मिले हैं ।
मुख्य गवाह ने किया बड़ा खुलासा :-
जोधपुर सत्र न्यायालय में मुख्य सरकारी गवाह सुधा पटेल ने बताया कि उनके नाम पर पुलिस ने बापू आसारामजी के खिलाफ जो बयान दर्ज किया है वह झूठा एवं मनगढ़ंत है ।
प्रसिद्ध न्यायविद् सुब्रमण्यम स्वामी जी का केस स्टडी के बाद का वक्तव्य :- 
जोधपुर केस में ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि मणाई की कुटिया (जोधपुर के पास) में उसके साथ छेड़छाड़ी हुई, उस समय बापू आसारामजी सत्संग में थे जिसमें 60- 70 लोग उपस्थित थे और लड़की व उसके माता-पिता भी वहाँ सत्संग में उपस्थित थे। बापू आसारामजी पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकालकर दिखा दिया गया कि लड़की 18 साल से कम उम्र की है । यह केस तो तुरंत रद्द होना चाहिए ।’’
सूरत (गुजरात) का केस
बापू आशारामजी पर 12 साल पुराना रेप का आरोप लगानेवाली सूरत की महिला ने गांधीनगर कोर्ट में एक अर्जी डालकर बताया कि उसने धारा 164 के अंतर्गत (बापू आसारामजी के खिलाफ) पहले जो बयान दिया था वह डर और भय के कारण दिया था । अब वह 164 के अंतर्गत दूसरा बयान देकर केस का सत्य उजागर करना चाहती है । लेकिन पुलिस ने उसका बयान दर्ज नहीं किया ।
बापू आसारामजी के गवाहों की हत्या
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जानकारी मिली है कि 6 मुख्य गवाह हैं,
उनकी गवाही हो चुकी है और वे सब सुरक्षित हैं ।
टेलीविजन में ये दिखाया जा रहा है कि गवाह मर चुके हैं और इसके विपरीत जब मैं कागज में प्रत्यक्ष देखता हूँ तो सब के सब गवाहों को सकुशल और सुरक्षित पाता हूँ।
यह सब देखकर मुझे ऐसा लगता है कि उनके पीछे कोई धनराशि लगाकर कुप्रचार कर रहा है।
आपने हिन्दू धर्मगुरु बापू आसारामजी के केस की सच्चाई पढ़ी, कोई भी समझदार समझ सकता है कि इस केस में षडयंत्र द्वारा फसाएं जाने की बू आ रही है ।
सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के अनुसार लाखों हिन्दुओं की घरवासपी करवाने तथा करोड़ो लोगों को व्यसनमुक्त करवाने पर विदेशी कंपनियों का अरबों-खबरों का नुकसान हुआ है और ईसाई मिशनरियां जो बापू आसारामजी के कारण धर्मपरिवर्तन नही करा पा रही थी, इसलिए वेटिकन सिटी और विदेशी कम्पनियों की सांठ-गांठ द्वारा तत्कालीन सरकार सोनिया गांधी की अध्यक्षता में एक झूठा केस बनवा और मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर बापू आसारामजी को जेल भिजवाया गया है ।
पिछले कुछ दशकों से अन्तराष्ट्रीय षड्यंत्रों के तहत कुछ कानूनों की आड़ में कई निर्दोष हिन्दू संतों व साध्वियों को फँसाकर सनातन संस्कृति को बदनाम किया जा रहा है । उसी कड़ी में जुड़ें हिन्दू धर्मगुरु आशारामजी बापू, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के उत्थान में लगा दिया, उन्हें बिना किसी ठोस सबूत, बिना किसी मेडिकल आधार, केवल मोहरा बनायी गयी एक लड़की के झूठे आरोपों के चलते पिछले 4 वर्ष 3 महीने से कारागृह में रखा गया है ।
80 वर्ष की उम्र में लड़खड़ाते स्वास्थ्य के बावजूद इतने लम्बे समय से बापू आसारामजी को कारागृह में रखे जाने से देश-विदेश के अनगिणत लोग व्यथित हैं । बापू आसारामजी पर हो रहे अन्याय के खिलाफ संस्कृति व धर्म रक्षा में लगे अनेक संगठनों एवं साधु-संतों द्वारा आवाज उठायी जा रही है ।
निर्दोष हिन्दू संतों की कड़ी में जुड़ें संत आसारामजी बापू को कब राहत मिलती है इसी पर समाज की नजरें टिकी हैं ।

Sunday, November 19, 2017

तसलीमा नसरीन : बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा करे


November 19, 2017

बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन जो अभी भारत मे रही रही है। 1970 के दशक में एक कवि के रूप में उभरीं तसलीमा 1990 के दशक के आरम्भ में अत्यन्त प्रसिद्ध हो गयीं। वे अपने नारीवादीविचारों से युक्त लेखों तथा उपन्यासों एवं इस्लाम एवं अन्य नारीद्वेषी मजहबों की आलोचना के लिये जानी जाती हैं

अभी हाल ही बांग्लादेश में हिन्दुओ पर भयंकर अत्याचार हुआ उसके ऊपर उन्होंने बांग्लादेश के लिए एक लिखा है ।
Taslima Nasreen: Protecting Bangladesh's Minority Hindus

तसलीमा नसरीन ने लिखा है कि कुछ दिन पूर्व मैंने फेसबुक पर एक छायाचित्र देखा, जिसने मुझे दुखी करने के साथ-साथ हैरान भी कर दिया । उस फोटो में एक बूढ़ी महिला जार-जार रो रही थी, जिसका घर जला दिया गया था । उस रोती हुई वृद्ध महिला और आग में जलते उसके घर का फोटो देखकर पहले-पहल मुझे लगा कि, यह किसी रोहिंग्या का घर फूंकनेे का दृश्य है और असहाय रोहिंग्या वृद्धा अपनी संपत्ति नष्ट हो जाने की वजह से रो रही है । परंतु जब फोटो के नीचे लिखे शब्दों पर निगाह गई तो वहां लिखा था, यह बांग्लादेश के रंगपुर की घटना है । लगभग दस हजार मुसलमानों ने हिन्दुओं पर हमला किया और लूटपाट करने के बाद उनके घरों में आग लगा दी । बताया गया कि, टीटू राय नामक एक व्यक्ति ने फेसबुक पर इस्लाम का अपमान किया था । परंतु क्या दस हजार मुसलमानों को एकत्र करना इतना आसान काम है ? दुर्भाग्य से, आजकल यह करना बहुत सरल है । केवल अफवाह फैलाने की आवश्यकता होती है कि, अमुक मुहल्ले या इलाके के हिन्दू ने फेसबुक पर इस्लाम को लेकर गलत बातें लिखी हैं । बस फिर क्या है, उन्मादी मुसलमान हाथों में धारदार हथियार, लाठी, रॉड लेकर हिन्दुओं पर टूट पड़ते हैं और उनके घर फूंक देते हैं । कोई यह जानना नहीं चाहता कि, आखिर इस्लाम का अपमान कैसे किया गया और जिस पर अपमान करने का आरोप लगा है, उसकी फेसबुक आईडी असली है या नकली ? बांग्लादेश के हिन्दू जान-बूझकर यह जोखिम उठाने का साहस नहीं करेंगे । कहीं किसी मुसलमान ने ही तो हिन्दू के नाम से फर्जी आईडी बनाकर इस्लाम का अपमान तो नहीं किया ?

रंगपुर के ठाकुरबाड़ी गांव में जिस तरह यह हमला किया गया, उससे पता चलता है कि, मुसलमानों की भीड़ ने पहले से ही हमले की योजना बना रखी थी । ऐसा ही कुछ समय पहले नासिर नगर में भी हुआ था । वहां रसराज नामक एक हिन्दू लड़के की कथित फेसबुक पोस्ट को लेकर अनेक हिन्दुओं के घरों को जला दिया गया था । बाद में यह सच्चाई सामने आई कि, रसराज फेसबुक के बारे में कुछ जानता ही नहीं था । उसके नाम से फर्जी फेसबुक आईडी दरअसल किसी मुसलमान ने ही तैयार की थी । इतना ही नहीं, हिन्दुओं के घर कैसे लूटें-जलाएं और उन्हें आतंकित कर किस तरह बांग्लादेश से भगाया जाए, इसके लिए एक गिरोह बनाया गया था ।

ठीक इसी तरह रंगपुर में भी किया गया । टीटू राय नामक कोई व्यक्ति उक्त गांव में पिछले सात वर्षों से रहता ही नहीं । जो टीटू राय सात वर्ष पहले गांव में रहता था, वह कर्ज के बोझ से परेशान होकर गांव छोड़कर दूर किसी शहर में कपड़े का धंधा कर किसी तरह अपना जीवन काट रहा है । कथित फेसबुक एकाउंट पर टीटू राय ने अपना कोई स्टेटस भी नहीं दिया था । उसमें खुलना के मौलाना असदुल्लाह हमीदी का स्टेटस था । असल में मौलाना हमीदी का उद्देश्य सिलेट के एक हिन्दू युवक राकेश मंडल को फंसाना था । मौलाना हमीदी के स्टेटस को एमडी टीटू नामक एक शख्स ने शेयर किया था । उस एमडी टीटू को ही रंगपुर के पगलापी इलाके का टीटू राय समझकर उसके और साथ ही पडोसियों के घरों को फूंक दिया गया । नासिर नगर के रसराज के नाम पर भी इसी तरह से एक मुसलमान ने फर्जी फेसबुक आईडी तैयार की थी और फिर हिन्दुओं के घरों में लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया गया था ।

बांग्लादेश के मुसलमानों का एक वर्ग दिन-प्रतिदिन प्रबल हिन्दू विरोधी होता जा रहा है । दरअसल वे गैर-मुस्लिमों को भगाकर बांग्लादेश को मुस्लिम मुल्क बनाने की कोशिश में हैं । उनमें से कई तो यह मानते हैं कि, गैर-मुसलमानों पर अत्याचार करने से शबाब मिलता है । आतंकवादियों का भी यही मानना है कि, काफिरों को धारदार हथियार से काटकर हत्या करने पर शबाब और साथ ही जन्न्त भी मिल जाती है । बांग्लादेश में इसी वर्ष मार्च में हिन्दुओं को फंसाने के लिए दाऊदकांदी के कुछ मुसलमान इतने उन्मादी हो गए थे कि, उन्होंने एक मदरसे में जाकर कुरान पर गंदगी छींट दी थी । अच्छा यह हुआ कि, हिन्दुओं के घरों को आग लगाने से पहले ही यह खुलासा हो गया कि, यह हरकत हबीबुर्रहमान और उसके साथियों ने की थी । मुझे नहीं पता कि, हबीबुर्रहमान या अन्य को किसी तरह की सजा मिली या नहीं ? मैं हैरान हूं कि, ऐसे गुंडों के खिलाफ धार्मिक मुसलमानों ने गुस्से का कोई इजहार क्यों नहीं किया ?

जैसे बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है, वैसे ही भारत में मुस्लिम विरोधी हिन्दुओं की संख्या बढ़ रही है । वे भी मानते हैं कि मुसलमानों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है । ऐसे मुस्लिम विरोधी हिन्दू यह भी मानते हैं कि 1947 में जो तमाम मुस्लिम पाकिस्तान नहीं गए, वे अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं, आतंकी संगठनों में जुड़ रहे हैं और अल्पसंख्यक होने की वजह से सरकारी सुविधा भी पा रहे हैं । किसी मुसलमान ने गोमांस का सेवन किया है, उसे सरेआम पीट दिया जाता है । 

इसके बावजूद यह कहना होगा कि भारत और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के बीच काफी अंतर है । बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या में कमी आई है । जबकि भारत में अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ी है । भारत में मुसलमानों की संख्या पूरे बांग्लादेश की जनसंख्या से अधिक है । भारत में कट्टर हिन्दुओं द्वारा मुसलमान पर अत्याचार होता है तो देश उनके साथ होता है । भारतीय कानून हिन्दू हो या फिर मुसलमान, सभी को समान आंखों से देखता है, परंतु बांग्लादेश में जब कट्टर मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो सरकारी मदद और सरकारी सहानुभूति, कुछ भी नहीं मिलती । वहां हिन्दुओं की संख्या इतनी कम हो चुकी है कि उन्हें वोटबैंक के रूप में नहीं देखा जाता । इस्लामपरस्त पार्टियों के लोग वोट डालने गए हिन्दुओं को डरा-धमकाकर रखते हैं । बांग्लादेश में हिन्दू केवल दूसरे दर्जे के नागरिक ही नहीं, बल्कि विलुप्त होती बंगाली जाति हैं । कभी-कभी मैं सोचती हूं कि क्या बांग्लादेश सऊदी अरब जैसा हो जाएगा ? एक ओर बांग्लादेश के मुसलमान म्यांमार सेना के हाथों सताए गए असहाय रोहिंग्या की मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं और दूसरी ओर वे अपने ही देश में हिन्दुओं के साथ म्यांमार सेना की तरह का बर्ताव करते हैैं । ऐसे में आखिर म्यामांर की बर्बर सेना और बांग्लादेश के मुसलमानों में फर्क क्या रहा ? मुझे तो कोई फर्क नहीं दिख रहा । जो भी कट्टरवादी बौद्ध, ईसाई, मुसलमान हैं, वे सब एक जैसे हैं । वे समाज को पीछे धकेलना चाहते हैं । हिंसा और नफरत ही ऐसे लोगों का सहारा है । कट्टरवाद के खिलाफ सभी को मिलकर खड़ा होना होगा, नहीं तो इतने वर्षों में तैयार किए हुए आजाद ख्याल गणतंत्र हिंसा और नफरत से हार जाएंंगे । जिस किसी देश से जितनी बार बहुसंख्यकों के अत्याचार से डरकर अल्पसंख्यक भागते हैं, उतनी बार उस देश का नुकसान होता है । हम बांग्लादेश को और कितनी बार नष्ट करेंगे ? स्त्रोत : नर्इ दूनिया

भारत में किसी भी गोतस्कर, मुसलमान या ईसाई पर थोड़ा सा भी उनको कुछ बोलते है तो या उनपर कार्यवाही करते है तो मीडिया एवं बुद्धिजीवी सेकुलर छाती पीटने लगते है की भारत में हिंसा बढ़ गई है लेकिन बांग्लादेश में सैंकड़ो घर जला दिया फिर भी उस पर ये सब चुप क्यों है?

जिहादी आप पर अत्याचार करे उससे पहले हिन्दू एक हो जावो नही तभी बचोगे नही तो आगे जाकर बहुत पछताना पड़ेगा।

Saturday, November 18, 2017

बिरसा मुंडा की 142 वीं जयंती मनाई, जानिए कौन थे महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा


November 18, 2017       www.azaadbharat.org

हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में सही इतिहास को स्थान ही नही दिया गया है, हमारे भारत मे ऐसे महान क्रांतिकारी वीर हुए की आपको भी अपने पूर्वज पर गर्व होने लगेगा ।

महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की 142 वीं जयंती बुधवार को आदिवासी संगठन ने धूम-धाम से मनाई ।

बिरसा मुंडा के परिचय 
सुगना मुंडा और करमी हातूके पुत्र बिरसा मुंडाका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड प्रदेशमें रांचीके उलीहातू गांवमें हुआ था । ‘बिरसा भगवान’के नामसे लोकप्रिय थे । बिरसाका जन्म बृहस्पतिवारको हुआ था, इसलिए मुंडा जनजातियोंकी परंपराके अनुसार उनका नाम ‘बिरसा मुंडा’ रखा गया । इनके पिता एक खेतिहर मजदूर थे । वे बांससे बनी एक छोटी सी झोंपडीमें अपने परिवारके साथ रहते थे ।
बिरसा बचपनसे ही बडे प्रतिभाशाली थे । बिरसाका परिवार अत्यंत गरीबीमें जीवन- यापन कर रहा था । गरीबीके कारण ही बिरसाको उनके मामाके पास भेज दिया गया जहां वे एक विद्यालयमें जाने लगे । विद्यालयके संचालक बिरसाकी प्रतिभासे बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने बिरसाको जर्मन मिशन पाठशालामें पढनेकी सलाह दी । वहां पढनेके लिए ईसाई धर्म स्वीकार करना अनिवार्य था । अतः बिरसा और उनके सभी परिवार वालों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया ।

 हिंदुत्वकी प्रेरणा

सन् 1886 से 1890 तक का समय बिरसाने जर्मन मिशनमें बिताया । इसके बाद उन्होंने जर्मन मिशनरीकी सदस्यता त्याग दी और प्रसिद्ध वैष्णव भक्त आनंद पांडेके संपर्क में आये । 1894 में मानसूनके छोटानागपुरमें असफल होनेके कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी । बिरसाने पूरे मनोयोगसे अपने लोगोंकी सेवा की । बिरसाने आनंद पांडेजीसे धार्मिक शिक्षा ग्रहण की । आनंद पांडेजीके सत्संगसे उनकी रुचि भारतीय दर्शन और संस्कृतिके रहस्योंको जाननेकी ओर हो गयी । धार्मिक शिक्षा ग्रहण करनेके साथ-साथ उन्होंने रामायण, महाभारत, हितोपदेश, गीता आदि धर्मग्रंथोंका भी अध्ययन किया । इसके बाद वे सत्यकी खोजके लिए एकांत स्थानपर कठोर साधना करने लगे । लगभग चार वर्ष के एकांतवासके बाद जब बिरसा प्रकट हुए तो वे एक हिंदु महात्माकी तरह पीला वस्त्र, लकडीकी खडाऊं और यज्ञोपवीत धारण करने लगे थे ।

धर्मांतरका विरोध

बिरसाने हिंदु धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार करना शुरू कर दिया । ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले वनवासी बंधुओं को उन्होंने समझाया कि ‘ईसाई धर्म हमारा अपना धर्म नहीं है । यह अंग्रेजोंका धर्म है वे हमारे देशपर शासन करते हैं, इसलिए वे हमारे हिंदु धर्मका विरोध और ईसाई धर्मका प्रचार कर रहे हैं । ईसाई धर्म अपनाने से हम अपने पूर्वजोंकी श्रेष्ठ परंपरासे विमुख होते जा रहे हैं । अब हमें जागना चाहिए । उनके विचारोंसे प्रभावित होकर बहुतसे वनवासी उनके पास आने लगे और उनके शिष्य बन गए ।
वन अधिकारी वनवासियों के साथ ऐसा व्यवहार करते थे जैसे उनके सभी अधिकार समाप्त कर दिए गए हों । वनवासियोंने इसका विरोध किया और अदालत में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अपने पुराने पैतृक अधिकारों को बहाल करने की मांग की । इस याचिका पर सरकारने कोई ध्यान नहीं दिया । बिरसा मुंडाने वनवासी किसानोंको साथ लेकर स्थानियों अधिकारियोंके अत्याचारोंके विरुद्ध याचिका दायर की । इस याचिका का भी कोई परिणाम नहीं निकला ।

वनवासियों का संगठन

बिरसाके विचारोंका वनवासी बंधुओं पर गहरा प्रभाव पडा । धीरे-धीरे बडी संख्यामें लोग उनके अनुयायी बनते गए । बिरसा उन्हें प्रवचन सुनाते और अपने अधिकारों के लिए लडने की प्रेरणा देते । इस प्रकार उन्होंने वनवासियों का संगठन बना लिया । बिरसाके बढते प्रभाव और लोकप्रियताको देखकर अंग्रेज मिशनरी चिंतित हो उठे । उन्हें डर था कि बिरसा द्वारा बनाया गया वनवासियोंका यह संगठन आगे चलकर मिशनरियों और अंग्रेजी शासन के लिए संकट बन सकता है। अतः बिरसाको गिरफ्तार कर लिया गया ।

अंग्रेजी शासन को उखाड फेंकनेका संकल्प

बिरसाकी चमत्कारी शक्ति और उनकी सेवाभावना के कारण वनवासी उन्हें भगवानका अवतार मानने लगे थे। अतः उनकी गिरफ्तारीसे सारे वनांचल में असंतोष फैल गया । वनवासियोंने हजारों की संख्यामें एकत्रित होकर पुलिस थानेका घेराव किया और उनको निर्दोष बताते हुए उन्हें छोडनेकी मांग की । अंग्रेजी सरकारने वनवासी मुंडाओंपर भी राजद्रोहका आरोप लगाकर उनपर मुकदमा चला दिया । बिरसाको दो वर्षके सश्रम कारावासकी सजा सुनाई गयी और फिर हजारीबाग की जेलमें भेज दिया गया । बिरसाका अपराध यह था कि उन्होंने वनवासियोंको अपने अधिकारोंके लिए लडने हेतु संगठित किया था । जेल जानेके बाद बिरसाके मनमें अंग्रेजोंके प्रति घृणा और बढ गयी और उन्होंने अंग्रेजी शासन को उखाड फेंकनेका संकल्प लिया ।

दो वर्षकी सजा पूरी करनेके बाद बिरसाको जेलसे मुक्त कर दिया गया । उनकी मुक्तिका समाचार पाकर हजारोंकी संख्यामें वनवासी उनके पास आये । बिरसाने उनके साथ गुप्त सभाएं कीं और अंग्रेजी शासनके विरुद्ध संघर्षके लिए उन्हें संगठित किया । अपने साथियों को उन्होंने शस्त्र संग्रह करने, तीर कमान बनाने और कुल्हाडीकी धार तेज करने जैसे कार्यों में लगाकर उन्हें सशस्त्र क्रान्तिकी तैयारी करनेका निर्देश दिया । सन 1899 में इस क्रांति का श्रीगणेश किया गया । बिरसाके नेतृत्वमें क्रांतिकारियोंने रांचीसे लेकर चाईबासा तक की पुलिस चौकियोंको घेर लिया और ईसाई मिशनरियों तथा अंग्रेज अधिकारियोंपर तीरोंकी बौछार शुरू कर दी । रांचीमें कई दिनों तक कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही । घबराकर अंग्रेजों ने हजारीबाग और कलकत्तासे सेना बुलवा ली ।

 राष्ट्र हेतु सर्वस्व अर्पण

अब बिरसाके नेतृत्वमें वनवासियोंने अंग्रेज सेनासे सीधी लडाई छेड दी । अंग्रेजोंके पास बंदूक, बम आदि आधुनिक हथियार थे, जबकि वनवासी क्रांतिकारियोंके पास उनके साधारण हथियार तीर-कमान आदि ही थे । बिरसा और उनके अनुनायियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर अंग्रेज सेनाका मुकाबला किया। अंतमें बिरसाके लगभग चार सौ अनुयायी मारे गए । इस घटनाके कुछ दिन बाद अंग्रेजोंने मौका पाकर बिरसाको जंगलसे गिरफ्तार कर लिया । उन्हें जंजीरोंमें जकडकर रांची जेलमें भेज दिया गया, जहां उन्हें कठोर यातनाएं दी गयीं । बिरसा हंसते-हंसते सब कुछ सहते रहे और अंत में 9 जून 1900 को कारावासमें उनका देहावसान हो गया । बिरसाने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलनको नयी दिशा देकर भारतीयों, विशेषकर वनवासियोंमें स्वदेश प्रेम की भावना जाग्रत की ।

बिरसा मुंडा की गणना महान देशभक्तोंमें की जाती है । उन्होंने वनवासियोंको संगठित कर उन्हें अंग्रेजी शासनके विरुद्ध संघर्ष करनेके लिए तैयार किया । इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय संस्कृतिकी रक्षा करनेके लिए धर्मांतरण करने वाले ईसाई मिशनरियोंका विरोध किया । ईसाई धर्म स्वीकार करनेवाले हिन्दुओंको उन्होंने अपनी सभ्यता एवं संस्कृतिकी जानकारी दी और अंग्रेजोंके षडयन्त्रके प्रति सचेत किया । आज भी झारखण्ड, उडीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेशके वनवासी लोग बिरसाको भगवानके रूपमें पूजते हैं । अपने पच्चीस वर्षके अल्प जीवनकालमें ही उन्होंने वनवासियोंमें स्वदेशी तथा भारतीय संस्कृतिके प्रति जो प्रेरणा जगाई वह अतुलनीय है । धर्मांतरण, शोषण और अन्यायके विरुद्ध सशस्त्र क्रांतिका संचालन  करने वाले महान सेनानायक थे ‘बिरसा मुंडा’ ।

आज भी भारत में वेटिकन सिटी के इशारे पर भारत मे ईसाई मिशनरियों द्वारा पुरजोश से धर्मान्तरण किया जा रहा है, लेकिन जनता को बिरसा मुंडा के पथ पर चलना चाहिए । जो हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए ईसाई मिशनरियों ने भारत मे धर्मान्तरण रूपी जाल बिसाया है इसमे भोले-भाले हिन्दू फस जाते है और कोई हिन्दूनिष्ठ विरोध करता है तो उनकी हत्या करवा दी जाती है या मीडिया द्वारा बदनाम करवाकर झूठे केस बनाकर जेल में भिजवाया जाता है ।

हिन्दुस्तानी इन षडयंत्र को समजो और बिरसा मुंडा के पथ पर चलो ।

Friday, November 17, 2017

छोटी बच्ची से पादरी दो साल तक करता रहा यौन शोषण, हुआ गिरफ्तार, मीडिया मौन !!


November 17, 2017


मात्र एक वर्ग विशेष पर नजर गड़ाये बैठा खास मीडिया वर्ग ना जाने इन खबरों को क्यों नहीं दिखा रहा है, क्यों भगवा वस्त्र देख अपने सारे कैमरे अचानक ही सब महत्वपूर्ण खबरों पर से हटाकर उधर घूमा देता है ??

ईसाई समुदाय के चर्च जैसे पवित्र धर्मस्थल में दुष्कर्म करने वाले ईसाई पादरी को मीडिया तथा सेक्युलरिस्ट क्या कहेंगे ?
The pastor has been sexually exploited for two years, arrested, media mum

उल्लासनगर : प्रार्थना घर (चर्च) में प्रेयर करवाने की आड़ में एक पादरी अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर पहले नजदीकियां बनाई । फिर अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर दो वर्षों तक ब्लू फिल्म दिखाकर छात्रा को महिला समलैंगिक और  हवस का शिकार बनाता रहा । छात्रा की शिकायत पर विट्ठलवाड़ी पुलिस ने पादरी और उसकी प्रेमिका के खिलाफ बलात्कार, पोक्सो के तहत मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार किया ।

चर्च आई नाबालिक को देखकर बिगड़ी नियत 
कैम्प पांच में रहने वाली महिला, जो एक निजी कंपनी में कार्यरत है । वो अपनी 10वी पढ़ने वाली बेटी के साथ कैम्प-4 स्थित चर्च में प्रेयर करने आती थी । वहाँ उसकी मुलाकात चर्च के पादरी गीत कुमार उर्फ श्रीजीत पिल्ले (41) से हुई । पादरी की नजर बच्ची को देखकर खराब गई और उसने अपनी प्रेमिका के जरिये बच्ची को अपनी जाल में फ़साने का षड्यंत्र रचा । पादरी पिल्ले की प्रेमिका ने छात्रा को दो साल पहले अपने जाल में फंसाकर चर्च में प्रेयर करने के बाद उसे पादरी के घर ले गई । फिर वहाँ से पादरी के इशारे पर उसकी प्रेमिका ने छात्रा को उत्तेजित करने का काम शुरू कर दिया । (स्तोत्र : दबंग दुनिया)

इतनी बड़ी खरब होते हुए भी मीडिया खबर को छुपा रही है अगर #मीडिया इतनी #निष्पक्ष #होती तो #ईसाई पादरी के लिए भी #खबरें #दिखाती और डिबेट बैठाकर उनके खिलाफ भी बहस करती लेकिन ऐसा नही कर रही है इससे साफ पता चलता है कि मीडिया को बाकि खबरों से लेना-देना नही है।

#मीडिया का केवल यही #उद्देश्य है कि कैसे भी करके #भारतीय संस्कृति को #खत्म कर दिया जाये इसलिए #हिन्दुओं के #धर्मगुरुओं को #टारगेट किया जा रहा है जिससे उनके ऊपर जो करोड़ो लोगों की आस्था है वो टूट जाये और पश्चिमी संस्कृति को अपना ले ।

और बड़े मजे की बात है कि उस न्यूज को हिन्दू ही देखते हैं और बाद में उन्हीं का मजाक उड़ाते है कि देखो कैसे भक्तों को मूर्ख बनाकर पैसे लूट रहे हैं और लड़कियों के बलात्कार करते हैं, लेकिन वही भोला भाला हिन्दू दूसरी ओर कभी नही सोचता कि आखिर #हमारी देश की कई बड़ी बड़ी समस्याएं है, #गरीबी #मंहगाई, #बेरोजगारी, किसानों की #आत्महत्या, #राम मंदिर, 370, #गौ हत्या आदि आदि पर #मीडिया #नही #दिखाती है और न ही ईसाई पादरी और मौलवियों के खिलाफ दिखाती है । क्यों इतना प्राइम टाइम देकर हिन्दू धर्मगुरुओं पर ही बहस करती है तो आखिर इतने पैसे आते कहाँ से हैं..??

इस बारे में सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने बताया है कि #मीडिया का अधिकतर #फंड #वेटिकन सिटी और मुस्लिम देशों से आता है । जिनका #उद्देश्य है कि कैसे भी करके #हिन्दू संस्कृति को #खत्म करें । जिससे वो आसानी से #धर्मान्तरण करा सके ।

अब आपके मन में प्रश्न होता होगा कि उनको इससे क्या फायदा होगा?

आपको बता दें कि भारतीय #मीडिया को हिन्दू संतों को बदनाम करने के लिए और #पादरियों के #दुष्कर्म छुपाने के लिए पैसा मिलता है । 

अगर हिन्दू साधु-संतों के प्रति देशवासियों की आस्था बनी रही तो भारत में धर्मांतरण का कार्य आसानी से नहीं होगा।

अब सवाल है कि धर्मांतरण करवाने से उनको क्या फायदा मिलेगा..??

भारतीय #संस्कृति वो उत्तम और पवित्र संस्कृति है जो हमें कम सुविधाओं में भी सुखी स्वस्थ और सम्मानित जीवन जीने की शैली देती है । पश्चिम संस्कृति में भोग की प्रधानता है जबकि भारतीय संस्कृति में योग की प्रधानता है । ये वो #संस्कृति है जो मानव को #महेश्वर तक की यात्रा कराने में सक्षम है और दूसरी ओर पाश्चात्य संस्कृति बाहरी चकाचौंध वाले जीवन को ही सर्वस्व समझती है। 

अब अगर भारत पर राज्य करना है तो सबसे पहले भारतवासियों का नैतिक व चारित्रिक पतन कराना होगा व इनके आस्था के केंद्र साधु-संतों को तोड़ना होगा ।

यही काम #मीडिया द्वारा #मिशनरियाँ करा रही हैं हिन्दू #साधु संतों के प्रति समाज के मन में #नफरत पैदा करके ।

दूसरा पहलू ये भी है कि #राजनेता भी #नहीं चाहते हैं कि किसी भी धर्मगुरू के इतने फॉलोवर्स हो जिससे उनको हर चुनाव में उनके सामने नाक रगड़ना पड़े इसलिए वो भी इसमे शामिल है क्योंकि #राजनेता केवल #वोट बैंक को ही देखते हैं उनको #हिन्दू धर्म या संस्कृति से कोई लेना देना नही है।

अतः हिन्दुस्तानी सावधान रहें, बिकाऊ मीडिया और सेकुलर लोगो से,नहीं तो फिर से हिंदुस्तान गुलामी की जंजीरों में जकड़ा जाएगा ।

आज हर #हिन्दुस्तानी का #कर्त्तव्य है कि वो #मीडिया की बातों में #न आकर स्वयं #सच्चाई तक #पहुँचने का #प्रयास करे ।

Thursday, November 16, 2017

चारों तरफ से एक ही आवाज पद्मावती फिल्म षडयंत्र के तहत बनाई गई है, बेन लगना ही चाहिए

November 16, 2017

फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, बल्कि मुसीबतें और बढ़ती ही जा रही हैं। चारों तरफ पुरजोर विरोध हो रहा है।

सभी हिन्दुत्वनिष्ठों ने पद्मावती फिल्म पर आपत्ति जताई है । सेंसर बोर्ड सदस्य के सदस्य अर्जुन गुप्ता ने तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर संजय लीला भंसाली पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अपील की है। अर्जुन गुप्ता ने आरोप लगाया है कि भंसाली ने इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है जिससे राष्ट्रीय भावनाएं आहत हुई हैं। 
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने फिल्म 'पद्मावती' को लेकर कहा कि 'पद्मावती' को बनाने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है और इसकी फंडिंग दुबई से की गई है। इस मामले में उन्होंने बाकायदा भंसाली की जांच की भी मांग की थी। 

दीपिका पादुकोण बड़ा खुलासा डॉ स्वामी ने किया, स्वामी ने कहा कि दीपिका पादुकण भारतीय नहीं है, वो एक डच नागरिक है, पर पैसा कमाने के मकसद से मुंबई में रहती है, हिंदी फिल्मों के जरिये भारतीयों से पैसा कमाने के लिए यहाँ रहती है।

यूनियन मिनिस्टर गिरिराज सिंह ने कहा कि क्या संजय लीला भंसाली या किसी और में भी इतनी हिम्मत है कि वे दूसरे धर्मों पर फिल्म बनाएं या उन पर कोई टिप्पणी करें???
 ये लोग सिर्फ हिंदू गुरु, भगवान और योद्धाओं पर फिल्में बनाते हैं। जिसे हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे।

उमा भारती ने एक खुला खत लिखकर कहा था कि ये कलाकार अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इतिहास के साथ खेल रहे हैं वो गलत है।

बीजीपी सांसद साक्षी महाराज कहते हैं, 'जिस तरह पद्मावती, महारानी, मां, हिंदू और किसानों का मजाक बनाया जा रहा है, सरकार और प्रशासन को पता होना चाहिए कि यह गलत हो रहा है और फिल्म पद्मावती को पूरी तरह बैन किया जाना चाहिए।'

इसके आगे वो कहते हैं, 'फिल्म इंडस्ट्री को अस्मिता और राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ पैसा चाहिए। वह इसके लिए नंगे होने के साथ-साथ कुछ भी कर सकते हैं।' 

योगी सरकार ने सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है  'पद्मावती फिल्म की कथावस्तु एवं ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किये जाने को लेकर व्याप्त जनाक्रोश एवं इसके सार्वजनिक चित्रण से शान्ति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। विभिन्‍न संगठन फिल्म के प्रदर्शित होने पर सिनेमाघरों में तोड़फोड़, आगजनी की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में मंत्रालय से अनुरोध है कि वह इस बारे में सेंसर बोर्ड को बताए, जिससे फिल्म के प्रमाणन पर निर्णय लेते समय बोर्ड के सदस्य जनभावनाओं को जानते हुए विधि अनुसार निर्णय ले सकें।'

राजस्थान के अजमेर स्थित सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादा नशीन दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फिल्म ‘पद्मावती’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग भी की। खान ने कहा कि फिल्म के विरोध में देश के मुसलमानों को राजपूतों का समर्थन करना चाहिए।

करनी सेना ने कहा कि अगर फिल्म रिलीज होती है तो वो दीपिका की नाक काट लेंगे और जो संजय भंसाली के सिर को काट कर लाएगा उसे 5 करोड़ का ईनाम दिया जाएगा।


एक कवि ने तो कविता भी लिख दी..

कवि ने लिखा कि रजपूती गाथा से कुंठित,जिसकी नीयत ही काली है,
बॉलीवुड का पाखंड लिए,संजय लीला भंसाली है,

ज्वाला मुखियों का अग्निताप,माचिस की तीली आंकेगी ?
सूरज के आंगन में, अब जुगनू की औलादें झाकेंगी ?

परदे पर होगी मनमानी, जो चाहेंगे ,दिखलायेंगे?
बेशर्म इरादे,मर्यादा के शयनकक्ष तक जाएंगे?

क्या सोच रहा था भंसाली?तू जो चाहेगा कह लेगा?
मेवाड़ धरा का स्वाभिमान,चुपचाप सभी कुछ सह लेगा?

अब नहीं,नहीं जी,और नही,यह साजिश पलने देना है,
जो बलिदानों को गाली दे,वो फिल्म न बनने देना है,

संजय तूने शायद अफीम पीली झूठे इतिहासों की,
अभिव्यक्ति तुम्हारी है गुलाम शायद वहशी अहसासों की,

रानी पद्मावत नाम नही,भारत की शौर्य कहानी है,
रानी पद्मावत रजपूती गाथा की अमर निशानी है,

रानी पद्मावत नाम नही,चित्तौड़ किले की काया है,
वो मर्यादा का दीपक थी,वो परम्परा की छाया है,

खल कामी खिलजी का चरित्र तुमको रूमानी लगता है,
वो क्रूर दरिंदा भी तुमको अब प्रेम निशानी लगता है,

जो खिलजी रानी रूप देख हमला करने को आया था,
रानी का रोम तलक भी जिसने कभी नही छू पाया था,

जिस खिलजी के प्रतिउत्तर में,रजपूत वीर कुर्बान हुए,
आंगन की तुलसी बची रहे,इस चाहत में बलिदान हुए,

खिलजी के गंदे हाथ छुएं,उससे पहले प्रतिकार किया,
रानी अभिमानी ने आखिर जलकर मरना स्वीकार किया,

रे मूरख संजय देख जरा,जो अग्नि चिता पर लेटी थी,
वो सुल्तानों की लूट नही,सच्चे हिन्दू की बेटी थी,

वो रानी पावनता प्रतीक,वो स्वाभिमानी की मानी थी,
वो रानी रजपूताने की,वो रानी हिंदुस्तानी थी,

उस रानी की गाथा,बाजारी राहों में दिखलाओगे?
तुम रानी के तन को खिलजी की बाँहों में दिखलाओगे?

हो फिल्मकार तो फिल्म बनाओ, बुरके के हालातों पर,
10 बच्चे पैदा करने पर, इस्लामी तीन तलाकों पर,

अभिव्यक्ति-दुहाई देते हो,पर अक्सर ही बेहोश रहे,
तुम इस्लामी आतंकों पर, बहरे होकर खामोश रहे,

रानी पद्मावत के बेटों के थप्पड़ जब दो पड़ते हैं,
तुमको हिन्दू के बेटों में आतंकी दिखने लगते हैं?

तुम सम्मुख धर्म सनातन के,कीचड बरसाते जाओगे?
भारत की बहन बेटियों को नीलाम कराते जाओगे?

ना रानी का जौहर देखा,ना बलिदानी अरमान दिखा?
रानी का जिस्म तुम्हे केवल अय्याशी का सामान दिखा?

बॉलीवुड के भांडों सुन लो,दुःस्वप्न नही पलने देंगे,
चलचित्र बनाओ खूब मगर,छलचित्र नही चलने देंगे,

सभी हिन्दुत्वनिष्ठों की बातों से सिद्ध होता है कि हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए पद्मावती, रईस आदि फिल्में बनाई जाती हैं जिसमें हिन्दुओं को नीचा और अन्य धर्मों का महिमा मंडन किया जाता है यह एक धीमा जहर है जो हिन्दुस्तानियों को अपनी संस्कृति से विमुख करने का भयंकर षड्यंत्र है, इसको रोकने के लिए सभी आगे आये और सरकार को प्रार्थना है कि सेंसर बोर्ड में जो ऐसी फिल्म रिलीज होने की सहमति दे रहे है उनको बाहर करें और भारतीय संस्कृति पर सही इतिहास वाली फिल्म ही पास की जाये और बॉलीवुड में भी हिन्दुविरोधियों का बहिष्कार करना चाहिए। जनता भी सभी फिल्मों का त्याग करें तभी साजिशकर्ताओं का होश ठिकाने आएगा ।