Monday, November 27, 2017

भारत को ईसाई मिशनरियों और पादरियों से खतरा है : सुरेश चव्हाणके


November 27, 2017

सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा कि, भारत को राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि ईसाई मिशनरियों और पादरियों से खतरा है, जो भारत को धर्मांतरित कर बर्बाद करने के मुहीम पर हैं, सुरेश चव्हाणके ने बताया कि देश का कोई ऐसा जिला नहीं है जहाँ पर ईसाई मिशनरियों के खिलाफ धर्मांतरण के केस दर्ज नहीं हो।
India is threatened by Christian missionaries and clerics: Suresh Chavanke

सुरेश चव्हाणके ने बताया कि उत्तर पूर्व के राज्यों जैसे नागालैंड, मणिपुर इत्यादि में ईसाई मिशनरियां आतंकियों का भी समर्थन करती है, केरल के मिशनरियों में यौन शोषण के केस रोजाना दर्ज किये जाते हैं ।

उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी इलाकों में लोगों का धर्मांतरण करने के लिए ये लोग पैसों का इस्तेमाल तो करते ही है साथ ही ये लोग पैसों के बल पर गुंडे भी रखते हैं, जिससे धर्मांतरण का विरोध करने वालों का कत्ल तक कर दिया जाता है।

सुरेश चव्हाणके ने यह भी बताया कि राष्ट्रवादी लोग तो भारत की बात करते हैं, भारत की संस्कृति की बात करते हैं, वहीं ईसाई मिशनरियां और पादरी भारत से भारतीय संस्कृति खत्म कर रोम की संस्कृति स्थापित करना चाहते हैं, देश को खतरा राष्ट्रवादियों से नहीं बल्कि पादरियों और ईसाई मिशनरियों से है।
जो लोग राष्ट्र के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय सेना के पक्ष में बोलते हैं, भारतीय संस्कृति के पक्ष में बोलते हैं, उन्हें ही राष्ट्रवादी यानि नेशनलिस्ट कहते हैं, जो देश के पक्ष में होते हैं वही राष्ट्रवादी होते हैं।

गुजरात का एक पादरी कहता है कि देश को राष्ट्रवादियों से बचाओ, समझना मुश्किल है कि राष्ट्रवादियों को हटाकर ईसाई पादरी और चर्च गुजरात किसे देना चाहते हैं?
राष्ट्रवाद नहीं तो क्या आतंकवाद..??

गौरतलब है कि हाल ही में गुजरात के ईसाई धर्मगुरु पादरी आर्चबिशप थॉमस मैकवान ने एक पत्र जारी करके लिखा है कि राष्ट्रवादी पार्टी को हरा दो, इस पर प्रहार करते हुए सुरेश चव्हाणके ने ये सब कहा है ।

इसपर मीडिया ने हिन्दू संत आसारामजी बापू का मंतव्य जानना चाहा तो उन्होंने भी कहा कि राष्ट्रहित करने वालो को हराना माने अपने पैर पर कुहाडा मारना हुआ, हम तो चाहते हैं देश का विश्व में जो नाम करते हैं और भारत को विश्वगुरु बनाते हैं भगवान उनके साथ हैं ।

उन्होंने आगे कहा कि जो पार्टी राष्ट्र का मंगल चाहती है, विश्वगुरु बनाना चाहती हैं उनका मंगल ही मंगल होगा देखते रहो ।

हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र

अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि

‘‘भारत में ईसाई पादरियों का धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है ।"

 हिन्दुओं का तो यह धार्मिक कर्तव्य है कि वे ईसाइयों के षड्यंत्र से आत्मरक्षा में अपना तन-मन-धन लगा दें और आज जो हिन्दुओं को लपेटती हुई ईसाईयत की लपट परोक्ष रूप से उनकी ओर बढ़ रही है, उसे यहीं पर बुझा दें । 

ऐसा करने से ही भारत में धर्म-निरपेक्षता, धार्मिक बंधुत्व तथा सच्चे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी अन्यथा आजादी को पुनः खतरे की सम्भावना हो सकती है ।’’(संदर्भ : ‘अखंड ज्योति’ पत्रिका, जनवरी 1967)

फिलॉसफर नित्शे ने कहा कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।

गांधीजी ने धर्मान्तरण पर कठोर बातें कही थी

"हमें गोमांस भक्षण और शराब  पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दु परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा,रिति रिवाज के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे कानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।"


जय हिंद!!

Sunday, November 26, 2017

महाराणा प्रताप, गुजरात चुनाव, मिशनरियों पर बापू आसारामजी ने कह दी बड़ी बात



November 26, 2017

🚩चार साल और तीन महीने से #बिना #सबूत हिन्दू संत #आसारामजी बापू जोधपुर #जेल में बंद हैं, उनका केस अंतिम चरण पर चल रहा है, जोधपुर न्यायालय में लगातार सुनवाई चल रही है, रोजाना कुछ मसालेदार खबर बनाने के लिए न्यायालय में आ रहे संत आसारामजी बापू से चरपरे तरीके से सवाल पूछती मीडिया ने इस बार उनसे पूछा कि 
हाल ही में गुजरात के #ईसाई धर्मगुरु पादरी #आर्चबिशप #थॉमस मैकवान ने एक पत्र जारी करके लिखा है कि राष्ट्रवादी पार्टी को हरा दो, इसपर मीडिया ने हिन्दू संत आसारामजी बापू का मंतव्य जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित करने वालो को हराना माने अपने पैर पर कुहाडा मारना हुआ, हम तो चाहते हैं देश का विश्व में जो नाम करते हैं और भारत को विश्वगुरु बनाते हैं भगवान उनके साथ हैं ।

🚩उन्होंने आगे कहा कि जो पार्टी राष्ट्र का मंगल चाहती है, #विश्वगुरु बनाना चाहते हैं उनका मंगल ही मंगल होगा देखते रहो ।
Maharana Pratap, Gujarat election, Bapu Asaramji said on missionaries, The big deal

🚩मीडिया ने कुछ दिन पहले भी उनसे एक प्रश्न किया था...

🚩मीडिया: क्या बापू खुश नजर आ रहे हो आज, कौन सी कला है?

🚩बापू आसारामजी : खुश रहने की कला गीता ने उपनिषदों ने गुरुजी ने सीखा दी है। पूरे हैं वे मर्द जो हर हाल में खुश हैं , मिला अगर माल तो उस माल में खुश है हो गये बेहाल तो उस हाल में खुश हैं। 

🚩उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म महान है, मेरे पास वैदिक कला है, हिंदू धर्म की महान कला है, धर्म के लिए #महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाई, हम तो अभी गेहूं की रोटी खा रहे हैं।

🚩मीडिया ने ईसाई मिशनरियों पर प्रश्न किया...

🚩मीडिया : बापू ! यह देश में जो धर्मपरिवर्तन का मामला हो रहा है, इसके बारे में क्या कहना है आपका ?

🚩बापू आसारामजी : उन्ही के प्रभाव से तो हम अंदर आये हैं । उन्होंने ही तो मदद की है । पीछे रहते हैं मेरे जैसों को अंदर भेजने में उनका भी तो.... चलो भगवान सबका भला करें.... पैसे खूब लुटाते हैं ।

🚩बापू आसारामजी ने पिछले 50 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा, मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बाटनें, चलचिकित्सालय चलवाकर निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध करवाई, जिससे धर्मान्तरण पर रोक लगी । कत्लखाने में जाती हजारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया ।

🚩आपको बता दें कि हिन्दू संत बापू आसारामजी ने देशभर में ईसाई धर्म में चले गए लाखों हिन्दुओं की घरवापसी करवाई थी और ईसाई मिशनरियां आगे धर्मान्तरण नही करवा पा रहे थे, इसलिए वेटिकन सिटी के आँख की किकरी बने संत आसारामजी बापू को सोनिया गांधी से मिलकर झूठे केस में फंसाया गया और मीडिया द्वारा बदनाम करवाया गया । ये बात स्वयं न्यायविद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कई बार सामने आई है ।

🚩बापू आसारामजी ने करोड़ो भक्तों को शराब, सिगरेट, गुटखा आदि छुड़वा दिया और वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू करवाया । एलोपैथिक दवाई छुड़वाकर आर्युवेदिक शुरू करवाई जिससे विदेशी कम्पनियों को अरबो-खबरों का नुकसान हुआ, उन्होंने भी संत आसारामजी बापू को जेल भिजवाने में अहम भूमिका निभाई । यह बात सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने बताई ।

🚩गौरतलब है कि वैदिक शिक्षा पर आधारित बापू आसारामजी ने अनेकों गुरुकुल खुलवाये और बच्चों के तेजस्वी जीवन के लिए 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खुलवाये और युवाओं को ब्रह्मचर्य की महिमा बताकर दुराचार से बचाया इससे भी सदैव वे राष्ट्र विरोधी ताकतों के निशाने पर रहे। 

🚩पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि बापू आसारामजी ने शिकागो विश्व धर्मपरिषद में 
स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद 
जाकर हिन्दू संस्कृति का ध्वज लहराया था ।

🚩जब मुश्किल हालातों में कांची कामकोठी पीठ के "शंकराचार्य श्री #जयेंद्र सरस्वतीजी" स्वामी #रामदेव, #मोरारी बापू, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संत आ गये थे तब उनका साथ बापू आसारामजी ने दिया था ।

🚩बापू आशारामजी के सत्संग सुनने के लिये लाखों की भीड़ उमड़ती है, वे संत आज एक अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र के शिकार हुए हैं।

🚩बिकाऊ मीडिया द्वारा दिन-रात अनर्गल आरोप लगाकर इतना कुप्रचार होने के बावजूद भी "बापू आशारामजी " के करोड़ो शिष्य आज तक अपने सदगुरुदेव के प्रति अडिग श्रद्धाभाव से टिके हैं।

🚩आखिर क्यों....???

🚩झूठ तो मीडिया द्वारा बहुत परोसा गया अब हम सच आपतक पहुचाने का प्रयास कर रहे हैं । 

🚩बापू आसारामजी जिनके चरणों में लाखों नही करोड़ों लोग शीश झुकाते हैं और जो हर समय साधकों से घिरे रहते थे, क्या वे 2000 km दूर से  किसी कन्या को उसके माता पिता के साथ बुलाकर, उसके साथ गलत कर सकते हैं.. ???

🚩युवावस्था में अपनी पत्नी को छोड़कर ईश्वर प्राप्ति के लिए गृह त्याग करनेवाले कारक महापुरुष क्या ऐसा गलत कार्य कर सकते है?

🚩जिनके दर्शन सत्संग से सैकड़ो युवान/युवतियाँ ने संसार विमुख होकर ईश्वर प्राप्ति के लिए सन्यास जीवन स्वीकारा,क्या वे संत स्वयं ऐसा गलत कार्य कर सकते है ???

🚩हम आपसे ही पूछते हैं कि सच्चे दिल से जरा सोचकर देखिये कि 81 वर्ष के वृद्ध हिन्दू संत जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के कल्याण में लगाया हो...

🚩क्या वे ऐसा गलत कार्य कर सकते हैं.. ???

🚩स्वयं विचारें!!

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Saturday, November 25, 2017

निजी अस्पताल मरीज़ों को इंसान नहीं, ग्राहक समझकर लूटते हैं

November 25, 2017  www.azaadbharat.org
डॉक्टर अरुण गदरे और डॉक्टर अभय शुक्ला ने अपनी किताब ‘डिसेंटिंग डायग्नोसिस’ में निजी अस्पतालों के भ्रष्टाचार का जिक्र किया है ।
निजी अस्पतालों में पैसे हड़पने के लिए लोगों को बीमारी के नाम पर डराया जाता है, उन्हें वो टेस्ट करने को कहा जाता है या फिर उन पर वो सर्जरी और ऑपरेशन किए जाते हैं जिसकी कोई जरूरत नहीं होती। साथ ही उन्होंने डॉक्टरी पेशे में कमीशन के चलन की चर्चा की है, यानि डॉक्टरों की दवा कंपनियों या डायग्नोस्टिक सेंटरों के बीच कमीशन को लेकर सांठगांठ ।
patients are treated as customers and are looted by private hospitals 

अगर किसी को बुखार हो जाए या डेंगू हो जाए तो क्या उसके इलाज का बिल 16 लाख रुपये हो सकता है ? ये सवाल ही इस समाचार का आधार है । आपने भी ये अनुभव किया होगा कि हमारे देश के ज़्यादातर निजी अस्पताल मरीज़ों को एक इंसान नहीं बल्कि एक ग्राहक समझते है । मरीज़ उनके लिए केवल सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है जिसे वो जब चाहे काट सकते हैं । कई लोग ये उम्मीद करते हैं कि पांच सितारा सुविधाओंवाले अस्पताल में पहुंचने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा परंतु ऐसा होता नहीं है ! देश के ज़्यादातर निजी अस्पताल छोटी सी बीमारी होने पर भी किसी बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर की तरह आपसे मोटा मुनाफा कमाने की कोशिश करते है और मरीज़ों को लूट लेते हैं !
गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल पर आरोप है कि, उसने एक 7 साल की बच्ची के इलाज के नाम पर करीब 16 लाख रुपये का बिल बना दिया । 30 अगस्त को डेंगू से पीड़ित सात साल की बच्ची को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था ।
लगभग 15 दिन के इलाज के बाद आद्या की मृत्यु हो गई और अस्पताल ने माता-पिता को 15 लाख 51 हज़ार रूपये का बिल थमा दिया ! फोर्टिस अस्पताल पर ये आरोप है कि, उसकेद्वारा तैयार किये 19 पन्नों के बिल में बाज़ार से ज़्यादा कीमत पर दवाइयों और मेडिकल इक्विपमेंटस का उपयोग किया है । इसके अलावा इलाज के दौरान की जानेवाली जांच के लिए भी ज़्यादा फीस वसूली गई है !
बच्ची के परिवारवालों का आरोप है कि, उनकी बेटी को तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया जबकि उसपर इलाज का कोई असर नहीं हो रहा था । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस पूरे मामले पर फोर्टिस अस्पताल से सफाई मांगी है ।
कुल मिलाकर कहा जाए तो डेंगू जैसी बीमारी के इलाज में रोज़ाना 1 लाख रूपये से ज़्यादा का बिल तैयार करना, चिकित्सा जैसे महान पेशे पर कई गंभीर सवाल खड़े करता है, हमें ये कहते हुए दुख हो रहा है कि वक़्त के साथ डॉक्टरों और निजी अस्पतालों की सोच में बहुत बड़े बदलाव आ गए हैं । अब ये सम्मानजनक पेशा मरीज़ों के दर्द को दूर करने से ज़्यादा पैसा कमाने का ज़रिया बन गया है !
बिल्डर अगर आपसे पैसे लेकर वादा तोड़े और आपको समय पर मकान ना दे तो आप परेशान होकर उसके विरोध में शिकायत करते हैं । इसी तरह अगर टेलिकॉम कंपनी आपको वादे के अनुसार 4जी स्पीड ना दे तो भी आप उस कंपनी के विरोध में आवाज़ उठाते हैं परंतु बीमारियों का इलाज कराने के मामले में ऐसा नहीं होता लोग अस्पताल और डॉक्टर पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं और ये सोचते हैं कि, ये पेशा मानवता की सेवा करने का पेशा है इसलिए इसमें धोखे की गुंजाइश बहुत कम है । आज भी लोगों के मन में अस्पतालों और स्कूलों की छवि बहुत साफ है । परंतु इतना भरोसा करने के बाद भी आप सबके साथ धोखा ही होता है !
इस तरह की ख़बरों को देखने के बाद बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि, भारत में मरीज़ों के इलाज से फायदा उठानेवाला एक बहुत बड़ा नेक्सस बन चुका है आप कह सकते हैं कि दवा कंपनियों, डॉक्टरों, निजी अस्पतालों और मेडिकल टेस्ट करनेवाली लॅब्स ने आपको लूटने के लिए अलग अलग तरह की प्राईस लिस्ट बनाई हुई है ।
इस नेक्सस में शामिल लोग बेहतर इलाज के नाम पर मरीज़ों से मोटा बिल वसूलते हैं । आप जब भी बीमार होते हैं तो किसी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाते हैं इस दौरान आप अपनी दवाओं और मेडिकल प्रोसिजर्स पर जो पैसा खर्च करते हैं उसमें डॉक्टर और अस्पताल से लेकर केमिस्ट और डायग्नोस्टिक लॅब तक सबका हिस्सा होता है । इसे अंग्रेज़ी में Cut और हिंदी में दलाली कहते हैं । ये ऐसी मानसिकता है जो देश के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है !
यहां आपके लिए ये जानना भी ज़रूरी है कि अगर कोई अस्पताल आपके साथ इस तरह की धोखेबाजी करता है तो आप क्या कर सकते हैं ? ऐसा होने पर आप मेडिकल कॉऊन्सिल ऑफ इंडिया को शिकायत कर सकते हैं, ये शिकायत कहां करनी है और कैसे करनी है इसकी जानकारी आप अपनी टेलिविजन स्क्रीन से नोट कर सकते हैं । इसके अलावा आप अस्पतालों और स्वास्थ्य मंत्री के ट्विटर हॅन्डल्स और सोशल मीडिया अकौंट्स को टॅग करके अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। स्रोत : झी न्यूज
#स्वास्थ्य मामलों पर काम करने वाले प्रवीण डांग  कहते हैं, "जब मैंने पहली बार एक डॉक्टर की शिकायत के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र भेजा था तो उसका 15 दिनों में जवाब आ गया था । आज उस बात को तीन साल हो गए हैं । आज तक राज्य काउंसिल जांच पूरी नहीं कर पाई है।
#भारत में #सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं खस्ताहाल होने के कारण निजी #अस्पतालों का 80 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है । आरोप लग रहे हैं कि कानूनों के कमजोर क्रियान्वयन के कारण निजी अस्पतालों के जवाबदेही की भारी कमी है ।
मार्च 2016 में अमरीका की '#प्रोपब्लिका' में छपी रिपोर्ट के अनुसार जिन डॉक्टरों को मेडिकल उद्योग से धन मिलता है वो कंपनी के ब्रैंड के पक्ष में दवाइयां लिखते हैं । जिन पांच को मेडिकल कंपनियों की ओर से सबसे ज्यादा धन मिला, उनमें से दो भारतीय मूल के थे।
तो अपने देखा डॉक्टर पैसो के लिए कितने हद तक गिर सकते है । अतः आप जहाँ तक हो सके #ऋषि #मुनियों द्वारा प्रेरित योगा , #प्राणायम करके #स्वस्थ रहे और कोई बीमारी हो तो #आयुर्वेदिक इलाज करवाये नही तो डॉक्टर आपकी भी जिंदगी खराब कर सकते है ।
सभी को #स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सजग-सतर्क रहना चाहिए एवं एलोपैथी छोड़कर अपनी #आयुर्वेदिक #चिकित्सा #पद्धति का लाभ लेना चाहिए।

Friday, November 24, 2017

जोधपुर न्यायालय में आसारामजी बापू के केस को लेकर कई खुलासे सामने आ रहे हैं


November 24, 2017

जोधपुर : चार साल तीन महीने से जोधपुर में जारी हिन्दू धर्मगुरु बापू आसारामजी प्रकरण की सुनवाई अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। सभी गवाह के बयान पूरे हो चुके हैं, अब दोनों पक्षों के बीच अंतिम बहस शुरू हो चुकी है। बचाव पक्ष की ओर से एक से एक खुलासे हो रहे हैं। 

बचाव पक्ष ने कई चौकाने वाले खुलासे....

बापू आसारामजी के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणाजी ने नया तथ्य पेश करते हुए कहा कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी।
jodhpur-court-brings-out-several-disclosures-about-asaram-bapus-case

लड़की तथा उसकी मां कार से दिल्ली पहुंची तथा वहां कमला नेहरू मार्केट स्थित पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करवाई। अधिवक्ता सुराणाजी ने कहा कि इस मामले की मुख्य अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने अपने बयान में कहा था कि लड़की की मां बापू आसारामजी को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी। 

अधिवक्ता ने पुलिस पर संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना 14 व 15 अगस्त 2013 रात की बताई जा रही है। जोधपुर में घटी इस तथाकथित घटना के सम्बन्ध में रिपोर्ट 600 किलोमीटर दूर दिल्ली में 19 अगस्त को लिखवाई गई। 

5 दिन के बाद FIR क्यों? उसके बाद रिपोर्ट अज्ञात कारणों से न्यायालय में दो दिन बाद 21 अगस्त को पेश की गई। इस तरह पूरा मामला बनाया हुआ, झूठा तथा संदिग्ध तरीके से साजिश के तहत तैयार किया हुआ लगता है।

अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने न्यायालय में बहस के दौरान यह तर्क भी दिया कि मेडिकल जांच के दौरान लड़की की आयु सम्बन्धी जांच भी की जानी चाहिए, लेकिन तत्कालीन अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने यह जांच नहीं करवाई। ऐसे मामले में उम्र की जांच नहीं करवाना आयु निर्धारण सम्बन्धी नियम 164अ(2) के विरूद्ध है।

मीडिया में बताते हुए सज्जनराज सुराणा ने कहा कि धारा 164-A CRPC  के ऊपर argument चालू हुई। उसमें ये कहा गया कि 174-A का Clause 2 का 2 है उसमें age के लिए describe किया गया है। ये जो डॉक्टर होगा, मेडिकल examination होगा उसकी age के बारे में determination करेंगे। अगर age के बारे में determination करेंगे तो उसका X-ray होना जरूरी था ossification of bones  ताकि उससे उम्र तय की जा सके। आजकल तो scientifically इतना development हो गया है कि हमारे ब्लड ग्रुप है वो 200 तक निकल आये है और 19,000 जो हमारी gens है, उसके बारे में हो चुकी है और ऐसे apparatus और machines आ गयी है कि age का determination हो सकता है उसमें । परंतु उन्होंने age का determination दो doctors से examine करवाने के बाद भी नही किया। जब कि ये 164 A में mandatory था। डॉक्टर के पास में victim जाता है तो उसका age का determination हो सकता है। उस बात को खत्म करने के लिए कि ये लड़की जो है वो 19-20 साल से भी ज्यादा है उस बात को उन्होंने temper with किया। अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा से जिरह के दौरान भी ये पूछा गया कि जब खरोंच का निशान तक नहीं था तब मामला कैसे बना, लेकिन वो जवाब नहीं दे पाई ।


दूसरी बात - हमने सुप्रीम कोर्ट के Order से क्योंकि Trial Court ने हमारी 91 की Application को reject कर दिया था, High court ने रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद Petition सुप्रीम कोर्ट में लगा। 3 जजों ने आर्डर पास किया कि LIC Policy जो सुनीता सिंह जो Prosecutrix की Mother है, उसने करवाई है, उसको न्यायालय में पेश करवाया जाए, न्यायालय के आदेश से वो Insurance Policy  न्यायालय के अंदर पेश हुई। सुनीता सिंह से पूछा गया इसके अंदर जो Date of Birth है वो 1-7-94 है उसके बारे में क्या कहना है ? और इसके ऊपर आपके 3 जगह हस्ताक्षर हो रहे हैं। आपने declaration दे रखा है कि जो-जो facts इसमें बताये गए हैं, सही बताये गए हैं। उसने स्वीकार किया कि हाँ, मैने दस्तख़त किये हैं और इसका Insurance का पैसा वो भी उठा लिया मैंने ।

तो हमने कहा कि अगर हम इस हस्ताक्षर को मान लेते है तो ये सारा केस जो है catch it about of the back की श्रेणी में आएगा । Pocso Act लग ही नहीं सकता इस मामले में, जबकि document मौजूद है। इसके ऊपर तो पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता, इसके ऊपर अगर पॉक्सो एक्ट चल ही नहीं सकता तो मुकदमा किस बात का चल रहा है ?? 

PW2 के बयान चल रहे थे, इसमें कहा है कि, मैने जो FIR रजिस्टर होता है उसके अंदर उसको मिटाने के लिए मैंने उसके ऊपर कलर लगाया। FIR नंबर 121/2013 थी उसको खत्म किया। वही कॉपी न्यायालय में भेज दी गई और 154 जो Register Maintain  होता ह उसके ऊपर ROAC लिखा रहता है और उसके ऊपर Prosecutrix के दस्तखत होते हैं उसके ऊपर दस्तख़त नहीं है Prosecutrix के। इन्होंने जो ओरिजनल FIR है उसको बदल डाला या यहाँ तक कि लड़की के दस्तख़त नहीं करवाते जो Mandatory Provision  है 154 में और जो पुलिस रूल्स बने हुए हैं उसमें Mandatory Provision है कि prosecutrix के हस्ताक्षर होंगे या अंगूठा होगा उसके ऊपर लिखा हुआ है "read over and accepted to be correct" जब ऐसा column है तो फिर क्यों नहीं किया है ? इसलिए ये जो सारा जो मुकदमा चल रहा है वो न तो पॉक्सो एक्ट में आ रहा है, न 375-D के अंदर फॉलो हो रहा है और इस प्रकार से बापूजी की false imprisonment कोर्ट के सामने हो रही है।

अधिवक्ता सुराणा जी ने सनसनीखेज दावा किया कि लड़की का डाक्टरी मुआयना करने वाले दोनों डाक्टर ने अपने बयानों में यह स्वीकार किया था कि लड़की की मेडिकल जांच में किसी तरह की जबरदस्ती के सबूत नहीं थे। मेडिकल जांच में लड़की के साथ यौन दुराचार के सबूत भी नहीं मिले। यह बात उन्होने लड़की का मेडिकल करने वाले डाक्टर राजेंद्र कुमार तथा डाक्टर शैलजा के बयानों के आधार पर कही, जो उन्होंने मुख्य परीक्षण तथा जिरह के दौरान कही थी।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़की ने बापू आशारामजी पर छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है लेकिन उनपर पॉक्सो तहत केस चलाया जा रहा है, लेकिन लड़की के अलग-अलग सर्टिफिकेट में अलग-अलग उम्र होने से पता चलता है कि बालिग है नाबालिग नहीं,  पॉक्सो के तहत केस गलत चलाया जा रहा है । और FIR में भी गड़बड़ी है जिससे पता चलता है कि यह केस किसी द्वारा उपजाऊ है । संत आसारामजी बापू को षड्यंत्र के तहत फंसाने की नींव कमला मार्किट थाने से रखी गई ।

सज्जनराज सुराणाजी ने बताया कि बापू आसारामजी को किसी सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। समय अभाव के कारण अधूरी रही बहस शुक्रवार को फिर होगी।

Thursday, November 23, 2017

धर्म की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान दे दिया लेकिन धर्म नही छोड़ा

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस : 24 नवम्बर
हिन्दुस्तान में मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था । औरंगजेब ने यह हुक्म किया कि कोई हिन्दू राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर नियुक्त न किया जाय तथा हिन्दुओं पर जजिया (कर) लगा दिया जाय । उस समय अनेकों नये कर केवल हिन्दुओं पर लगाये गये । इस भय से अनेकों हिन्दू मुसलमान हो गये । हर ओर जुल्म का बोलबाला था । निरपराध लोग बंदी बनाये जा रहे थे । प्रजा को स्वधर्म-पालन को भी आजादी नहीं थी । जबरन धर्म-परिवर्तन कराया जा रहा था । किसी की भी धर्म, जीवन और सम्पत्ति सुरक्षित नहीं रह गयी थी । पाठशालाएँ बलात् बन्द कर दी गयीं। 
Sacrificed life for protection of religion but did not leave religion

हिन्दुओं के पूजा-आरती तथा अन्य सभी धार्मिक कार्य बंद होने लगे । मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनवायी गयीं एवं अनेकों धर्मात्मा मरवा दिये गये । सिपाही यदि किसी के शरीर पर यज्ञोपवीत या किसी के मस्तक पर तिलक लगा हुआ देख लें तो शिकारी कुत्तों की तरह उन पर टूट पड़ते थे । उसी समय की उक्ति है कि रोजाना सवा मन यज्ञोपवीत उतरवाकर ही औरंगजेब रोटी खाता था...
उस समय कश्मीर के कुछ पंडित निराश्रितों के आश्रय, बेसहारों के सहारे गुरु तेगबहादुरजी के पास मदद की आशा और विश्वास से पहुँचे ।
पंडित कृपाराम ने गुरु तेगबहादुरजी से कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! औरंगजेब हमारे ऊपर बड़े अत्याचार कर रहा है । जो उसके कहने पर मुसलमान नहीं हो रहा, उसका कत्ल किया जा रहा है । हम उससे छः माह की मोहलत लेकर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आपकी शरण आये हैं । ऐसा लगता है, हममें से कोई नहीं बचेगा । हमारे पास दो ही रास्ते हैं-‘धर्मांतरित होओ या सिर कटाओ ।’
पंडित धर्मदास ने कहा : ‘‘सद्गुरुदेव ! हम समझ रहे हैं कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है । फिर भी हम चुप हैं और सब कुछ सह रहे हैं । कारण भी आप जानते हैं । हम भयभीत हैं, डरे हुए हैं । अन्याय के सामने कौन खड़ा हो?’’
‘‘जीवन की बाजी कौन लगाये ?’’ गुरु तेगबहादुर के मुँह से अस्फुट स्वर में निकला । फिर वे गुरुनानक की पंक्तियाँ दोहराने लगे ।
जे तउ प्रेम खेलण का चाउ । सिर धर तली गली मेरी आउ ।।
इत  मारग  पैर धरो जै ।  सिर  दीजै  कणि  न  कीजै ।।
गुरु तेगबहादुर का स्वर गंभीर होता जा रहा था । उनकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय के साथ गहरा आश्वासन झाँक रहा था । वे बोले : ‘‘पंडितजी ! यह भय शासन का है । उसकी ताकत का है, पर इस बाहरी भय से कहीं अधिक भय हमारे मन का है । हमारी आत्मिक शक्ति दुर्बल हो गयी है । हमारा आत्मबल नष्ट हो गया है । इस बल को प्राप्त किये बिना यह समाज भयमुक्त नहीं होगा । बिना भयमुक्त हुए यह समाज अन्याय और अत्याचार का सामना नहीं कर सकेगा ।’’
पंडित कृपाराम : ‘‘परन्तु सद्गुरुदेव । सदियों से विदेशी पराधीनता और आन्तरिक कलह में डूबे हुए इस समाज को भय से छुटकारा किस तरह मिलेगा ?’’
गुरु तेगबहादुर : ‘‘हमारे साथ सदा बसनेवाला परमात्मा ही हमें वह शक्ति देगा कि हम निर्भय होकर अन्याय का सामना कर सकें ।’’
उनके मुँह से शब्द फूटने लगे :
पतित उधारन भै हरन हरि अनाथ के नाथ । कहु नानक तिह जानिए सदा बसत तुम साथ ।।
इस बीच नौ वर्ष के बालक गोबिन्द भी पिता के पास आकर बैठ गये ।
गुरु  तेगबहादुर  :  ‘‘अँधेरा  बहुत  घना  है  ।  प्रकाश  भी  उसी  मात्रा  में  चाहिए। एक दीपक से अनेक दीपक जलेंगे। एक जीवन की आहुति अनेक जीवनों को इस रास्ते पर लायेगी।
पं. कृपाराम : ‘‘आपने क्या निश्चय किया है, यह ठीक-ठीक हमारी समझ में नहीं आया । यह भी बताइये कि हमें क्या करना होगा ?’’
गुरु तेगबहादुर मुस्कराये और बोले : ‘‘पंडितजी ! भयग्रस्त और पीड़ितों को जगाने के लिए आवश्यक है कि कोई ऐसा व्यक्ति अपने जीवन का बलिदान दे, जिसके बलिदान से लोग हिल उठें, जिससे उनके अंदर की आत्मा चीत्कार कर उठे । मैंने निश्चय किया है कि समाज की आत्मा को जगाने के लिए सबसे पहले मैं अपने प्राण दूँगा और फिर सिर देनेवालों की एक शृंखला बन जायेगी । लोग हँसते-हँसते मौत को गले लगा लेंगे । हमारे लहू से समाज की आत्मा पर चढ़ी कायरता और भय की काई धुल जायेगी और तब... ।’’
‘‘और तब शहीदों के लहू से नहाई हुई तलवारें अत्याचार का सामना करने के लिए तड़प उठेंगी ।’’
यह बात बालक गोबिंद के मुँह से निकली थी । उन सरल आँखों में भावी संघर्ष की चिनगारियाँ फूटने लगी थी ।
तब गुरु तेगबहादुरजी का हृदय द्रवीभूत हो उठा । वे बोले : ‘‘जाओ, तुमलोग बादशाह से कहो कि हमारा पीर तेगबहादुर है । यदि वह मुसलमान हो जाय तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे ।’’
पंडितों ने यह बात कश्मीर के सूबेदार शेर अफगन को कही । उसने यह बात औरंगजेब को लिख कर भेज दी। तब औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर बंदी बना लिया । उनके शिष्य मतिदास, दयालदास और सतीदास से औरंगजेब ने कहा : ‘‘यदि तुम लोग इस्लाम धर्म कबूल नहीं करोगे तो कत्ल कर दिये जाओगे ।’’
मतिदास : ‘‘शरीर तो नश्वर है और आत्मा का कभी कत्ल नहीं हो सकता।’’
तब औरंगजेब ने मतिदास को आरे से चीरने का हुक्म दे दिया । भाई मतिदास के सामने जल्लाद आरा लेकर खड़े दिखाई दे रहे थे । उधर काजी ने पूछा : ‘‘मतिदास तेरी अंतिम इच्छा क्या है ?’’
मतिदास : ‘‘मेरा शरीर आरे से चीरते समय मेरा मुँह गुरुजी के पिंजरे की ओर होना चाहिए ।’’
काजी : ‘‘यह तो हमारा पहले से ही विचार है कि सब सिक्खों को गुरु के सामने ही कत्ल करें ।’’
भाई मतिदासजी को एक शिकंजे में दो तख्तों के बीच बाँध दिया गया । दो जल्लादों ने आरा सिर पर रखकर चीरना शुरू किया । उधर भाई मतिदासजी ने ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ शुरू कर दिया । उनका शरीर दो टुकड़ों में कटने लगा। चौक को घेरकर खड़ी विशाल भीड़ फटी आँखों से यह दृश्य देखती रही ।
दयालदास बोले : ‘‘औरंगजेब ! तूने बाबरवंश को एवं अपनी बादशाहियत को चिरवाया है ।’’
यह सुनकर औरंगजेब ने दयालदास को गरम तेल में उबालने का हुक्म दिया । उनके हाथ-पैर बाँध दिये गये । फिर उन्हें उबलते हुए तेल के कड़ाह में डालकर उबाला गया । वे अंतिम श्वास तक ‘श्री जपुजी साहिब’ का पाठ करते रहे । जिस भीड़ ने यह नजारा देखा, उसकी आँखें पथरा-सी गयीं ।
तीसरे दिन काजी ने भाई सतीदास से पूछा : ‘‘क्या तुम्हारा भी वही फैसला है ?’’
भाई सतीदास मुस्कराये : ‘‘मेरा फैसला तो मेरे सद्गुरु ने कब का सुना दिया है ।’’
औरंगजेब ने सतीदास को जिंदा जलाने का हुक्म दिया । भाई सतीदास के सारे शरीर को रूई से लपेट दिया गया और फिर उसमें आग लगा दी गयी । सतीदास निरन्तर ‘श्री जपुजी’ का पाठ करते रहे । शरीर धू-धूकर जलने लगा और उसीके साथ भीड़ की पथराई आँखें पिघल उठीं और वह चीत्कार कर उठी ।
अगले दिन मार्गशीर्ष पंचमी संवत् सत्रह सौ बत्तीस (22 नवम्बर सन् 1675) को काजी ने गुरु तेगबहादुर से कहा : ‘‘ऐ हिन्दुओं के पीर ! तीन बातें तुमको सुनाई जाती हैं । इनमें से कोई एक बात स्वीकार कर लो । वे बातें हैं :
(1) इस्लाम कबूल कर लो ।
(2) करामात दिखाओ ।
(3) मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’’
गुरु तेगबहादुर बोले : ‘‘तीसरी बात स्वीकार है ।’’
बस, फिर क्या था ! जालिम और पत्थरदिल काजियों ने औरंगजेब की ओर से कत्ल का हुक्म दे दिया । चाँदनी चौक के खुले मैदान में विशाल वृक्ष के नीचे गुरु तेगबहादुर समाधि में बैठे हुए थे ।
जल्लाद जलालुद्दीन नंगी तलवार लेकर खड़ा था। कोतवाली के बाहर असंख्य भीड़ उमड़ रही थी । शाही सिपाही उस भीड़ को काबू में रखने के लिए डंडों की तीव्र बौछारें कर रहे थे । शाही घुड़सवार घोड़े दौड़ाकर भीड़ को रौंद रहे थे । काजी के इशारे पर गुरु तेगबहादुर का सिर धड़ से अलग कर दिया गया । चारों ओर कोहराम मच गया ।
तिलक जझू राखा प्रभ ताका । कीनों वडो कलू में साका ।।
धर्म हेत साका जिन काया । सीस दीया पर सिरड़ न दिया ।।
धर्म हेत इतनी जिन करी । सीस दिया पर सी न उचरी ।।
धन्य हैं ऐसे महापुरुष जिन्होंने अपने धर्म में अडिग रहने के लिए एवं दूसरों को धर्मांतरण से बचाने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की भी बलि दे दी ।
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् । स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।।
अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है । अपने धर्म में तो मरना भी कल्याणकारक है और दूसरे का धर्म भय को देनेवाला है । (श्रीमद्भगवद्गीता : 3.35)
भगवत्प्राप्त महापुरुष परमात्मा के नित्य अवतार हैं । वे नश्वर संसार व शरीर की ममता को हटाकर शाश्वत परमात्मा में प्रीति कराते हैं । कामनाओं को मिटाते हैं। निर्भयता का दान देते हैं । साधकों-भक्तों को ईश्वरीय आनन्द व अनुभव में सराबोर करके जीवन्मुक्ति का पथ प्रशस्त करते हैं ।
ऐसे उदार हृदय, करुणाशील, धैर्यवान सत्पुरुषों ने ही समय-समय पर समाज को संकटों से उबारा है । इसी शृंखला में गुरु तेगबहादुरजी हुए हैं। जिन्होंने बुझे हुए दीपकों में सत्य की ज्योति जगाने के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, भारत को क्रूर, आततायी, धर्मान्ध राज्य-सत्ता की दासता की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों का भी बलिदान कर दिया ।
(संत श्री आशारामजी आश्रम से प्रकाशित ‘बाल संस्कार केन्द्र पाठ्यक्रम’ पुस्तक से)

Wednesday, November 22, 2017

मदरसों में भी ईसाई चर्चों की तरह बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चे: एपी


November 22, 2017

🚩हिन्दू मन्दिर में इतनी पवित्रता होती है कि वहाँ जाने वाला कामी व्यक्ति भी निष्कामी हो जाता है और अपने में सुख-शांति का अनुभव करता है, लेकिन मीडिया मन्दिरों को और उनके पुजारियों को ही गलत ठहराने में लगी है, पर अभी समाचार एजेंसी एपी ने एक बड़ा खुलासा किया है कि ईसाई चर्चो की तरह मदरसों में भी बच्चो के साथ बलात्कार होते हैं, लेकिन मीडिया को इसपर बहस करने या न्यूज़ दिखाने की हिम्मत नही होती क्योकि हिन्दू तो सहिष्णु है उनके विरुद्ध कुछ भी दिखाओ ।

🚩समाचार एजेंसी एपी के अनुसार पाकिस्तान की रहने वाली कौसर परवीन ने रोते हुए बताया कि, उनका बेटा एक इस्लामी मदरसे में पढ़ता था । पाकिस्तान को कहरोरे पक्का में स्थित इस मदरसे में केवल दो कमरे हैं जिसमें कौसर का बेटा भी रहता था । इसी वर्ष अप्रैल में एक रात मदरसे का मौलवी उनके बेटे के बिस्तर पर पहुंच गया । लड़के ने उन्हें बताया कि, मौलवी ने उसकी शर्ट को खींचकर मुँह के ऊपर कर दिया और फिर उसके कपड़े उतार दिए । लड़के ने मां को बताया, “मैं रो रहा था । वो मुझे तकलीफ पहुंचा रहे थे । उन्होंने मेरे मुँह में शर्ट ठूंस दी थी ।” समाचार एजेंसी एपी ने पाकिस्तान के मदरसों में यौन शोषण पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है । जिन बच्चों से एपी ने बात की उनमें कौसर परवीन का बेटा भी शामिल है ।
Like hundreds of Christian churches in hundreds of rape victims in the madarsas

🚩समाचार एजेंसी एपी ने पिछले कुछ दशकों में विभिन्न मदरसों में बलात्कार के शिकार हुए सैकड़ों बच्चों के बारे में पता लगाया । उनके अनुसार, स्थानीय पुलिस ऐसे मामलों में दोषियों पर कार्रवाई करने से कतराती है । स्थानीय समुदाय में मौलवियों के प्रभाव और यौन शोषण के शर्मींदगी के कारण भी ऐसे मामले सामने नहीं आ पाते । इसके अलावा पाकिस्तान न्याय व्यवस्था में पीड़ित चाहे तो दोषी से “हर्जाना” लेकर माफ कर सकता है । यौन शोषण के कई दोषी पकड़े जाने पर कुछ रुपयों के बदले छूट जाते हैं । 

🚩एपी ने पुलिस में सैकड़ों शिकायतों का विश्लेषण करने के अलावा दर्जनों ऐसे लड़कों से बात की जो यौन शोषण का शिकार हो चुके हैं । एजेंसी ने पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों के यौन शोषण की तुलना ईसाई चर्चों में बाल यौन शोषण के सामने आए मामलों से की है ।

🚩पाकिस्तानी मदरसों में बच्चों के यौन शोषण पर वहां के एक पूर्व मंत्री ने एपी से कहा, “मदरसों में ऐसे सैकड़ो वाक्य हुए हैं । ये बहुत आम है । परंतु ऐसे मामलों को सामने लाना बहुत खतरनाक हो सकता है ।” एक अन्य पुलिस अधिकारी ने माना कि, पाकिस्तानी मदरसों में नाबालिग लड़कों का बलात्कार असमान्य बात नहीं है । एपी द्वारा इकट्ठा किए गए दस्तावेज के अनुसार, पिछले #10 वर्षों में #359 ऐसे #मामले सामने आए जिनमें #मौलवी, #मौलाना या दूसरे मजहबी ओहदेदार पर बच्चों के #बलात्कार का #आरोप लगा । वर्ष 2004 में एक पाकिस्तानी अधिकारी ने तब ऐसे 500 मामलों की आधिकारिक शिकायत दर्ज होने की बात कही थी । जब एपी ने पाकिस्तान के गृहमंत्री और मंत्रालय से इस मसले पर बात करनी चाही तो उसे इसका मौका नहीं दिया गया । पाकिस्तान में मदरसे और स्कूल गृह मंत्रालय के तहत ही आते हैं । स्त्रोत : जनसत्ता

🚩#मीडिया को केवल #हिन्दू धर्म के #साधु-संतों में ही #कमी #दिखती है, हमेशा उसके कैमरे पूजनीय हिन्दू #देवी-देवताओं, #पवित्र मंदिरों, #संयमी साधु-संतों की तरफ ही रहते है लेकिन दूसरी ओर ईसाई चर्चों, मदरसों में कितना गलत हो रहा है उस पर बिलकुल ही नजर नही दौड़ाती, इससे सिद्ध होता है कि मीडिया के टारगेट में केवल #हिन्दू धर्म की #संस्कृति एवं #साधु-संतों को #खत्म करना है जिससे आम जनता का उसमे से भरोसा उठ जाये और #पश्चिमी सभ्यता को अपना ले जिससे उनका बाजार मार्केट बढ़ जाये और देश में भी धर्मान्तरण करवाना आसान हो जाये जिससे वो फिर से भारत पर राज कर सके ।

🚩अतः #हिन्दुस्तानी इस #षडयंत्र को #समझें और मीडिया को बातों को सही नही मानकर अपने धर्म में और #धर्मगुरुओं पर #आस्था #बनाये #रखें ।

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Tuesday, November 21, 2017

ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड देश में सर्वाधिक तेजी से बढ़ रहा हिंदू धर्म

November 21, 2017   www.azaadbharat.org
हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन सनातन धर्म है जो सृष्टि उत्तन्न हुई है तबसे चल रहा है। अपनी उदारता, व्यापकता और सहिष्णुता की वजह से हिंदू धर्म की तरफ पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान खिंच रहा है। ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे देश में तो सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म बन गया है।
ऑस्ट्रेलिया में 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू धर्म सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म है। 2011 की जनगणना में हिंदू धर्म सर्वाधिक तेजी से फैलने वाला धर्म पाया गया था। 2016 की जनगणना में 2.7 फीसद हिंदू आबादी का अनुमान है। जबकि वहां इस्लाम मानने वाली आबादी 2.6 फीसद है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में आधुनिकता की दौड़, भागमभाग, तनाव में लिपटी जीवनचर्या को हिंदू धर्म में ही सुकून मिल रहा है।
Australia and Ireland, the fastest growing Hindu religion in the country

वेबसाइट एसबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में इस्लाम की तरफ आकर्षित होने वालों की संख्या वहां की कुल आबादी की 2.2 फीसदी से लेकर 2.6 फीसदी के करीब बताई जाती है, वहीं हिंदू धर्म की ओर आकर्षित होने वालों की संख्या इससे ज्यादा 2.7 फीसदी है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों में आस्था बढ़ रही है। हिन्दू धर्म अपनाने वाले वाले एक ऑस्ट्रेलियाई के अनुसार हिंदू धर्म में जीवन जीने का तरीका, शाकाहार, कर्म, आध्यात्मिकता ऐसे तत्व हैं जो और कहीं नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न जैसे बड़े शहर में रथयात्रा और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों के मौकों पर मंदिरों में और अन्य आयोजनों में उमड़ती हजारों लोगों की भीड़ से हिंदुत्व के प्रति ऑस्ट्रेलियाई लोगों की आस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेलबर्न में इस्कॉन मंदिर के अलावा भी कई मंदिर हैं जो आस्था का केंद्र बने हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पूरे ऑस्ट्रेलिया में भगवान गणेश, श्रीकृष्ण, माता दुर्गा, हनुमान जी और सांई बाबा के 51 हिंदू मंदिर हैं। इनमें से 19 मंदिर विक्टोरिया में हैं। मेलबर्न के कैरम डाउन इलाके में शिव-विष्णु मंदिर ऑस्ट्रेलिया का सबसे पुराना और बड़ा मंदिर है। इसकी बुनियाद 1988 में रखी गई थी। ये मंदिर करीब 6 एकड़ में फैला है और यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर सिर्फ भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के ही नहीं दुनिया भर से, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर से ऑस्ट्रेलिया पहुंचे लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण शुरू होने के वक्त से ही यहां जुड़ी श्रीलंका की शिवनंदिनी कृष्णमूर्ति कहती हैं कि हमें पूजा के लिए एक जगह चाहिए थी और एक छोटे से शेड से बढ़ कर ये भव्य मंदिर बन गया।
मेलबर्न के इस मंदिर में हिंदू धर्म को मानने वालों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी पहुंचते हैं और वैदिक हिंदू रीति-रिवाजों से परिचित होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के सभी मंदिरों की देखरेख Hindu Organisation and Temples & Association करता है। ये संगठन हिंदुओं की आस्था से जुड़े तमाम क्रियाकलापों को भी कराता है। इन मंदिरों में शादी, नामकरण संस्कार और पूजा-अर्चना के अलावा होली-दीवाली जैसे मौकों पर खास आयोजन भी किए जाते हैं। लोग बच्चे के जन्म, नए घर में प्रवेश या कार खरीदने पर भी यहां पूजा के लिए आते हैं। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया भी यहां हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा, सरकार से तालमेल और मीडिया में उनके सही प्रतिनिधित्व के लिए काम करती है। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने 2016 की जनगणना में हिंदू धर्म को भी धर्म बताने के विकल्प में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। काउंसिल के एक सदस्य भागवत कहते हैं कि वो 2016 की जनगणना के आंकड़ों को जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं और संभवत: इस बार भी हिंदुओं की संख्या बढ़ कर ही आएगी।
आपको बता दे कि आयरलैंड में भी हिन्दू धर्म का तेजी से विकास हो रहा है। आयरलैंड की जनगणना के अनुसार पिछले 5 सालों में हिन्दुओं की आबादी में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जनगणना आज से एक साल पहले 2016 के अप्रैल महीने में की गयी थी। इसी समय मुस्लिम जनसंख्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है।
आयरलैंड की कुल जनसंख्या में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयरलैंड मुख्य रूप से इसाई धर्म का पालन करने वाला देश है। यहां की कुल आबादी 4.76 मिलियन है, जिसमें से 3.73 मिलियन आबादी रोमन कैथलिक है। आंकड़े देखने के बाद यह पता चलता है कि इस देश में 2011 में हिन्दुओं की संख्या कुल 10,000 थी, जो अप्रैल 2016 में बढ़कर 14,000 हो गयी। जबकि आयरलैंड में मुस्लिम हिन्दुओं के मुकाबले 6 गुना ज्यादा संख्या में रहते हैं। स्त्रोत : पोलिटिकॉर्पोर्ट
एक तरफ विदेशी भी हिन्दू धर्म की महिमा जानकर हिन्दू धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे है, दूसरी और हिन्दू बाहुल देश भारत मे ही ईसाई मिशनरियां और कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू धर्म को मिटाकर अपना धर्म बढ़ाना चाहते है इसलिए लालच देकर एवं जबरन धर्मान्तरण,  लव जिहाद आदि करके हिन्दू धर्म को तोड़ रहे है।
हिन्दू धर्म मे रहने वाले भी कुछ लोग हिन्दू धर्म की महिमा समजते नही है और बोलते है को सर्व धर्म समान उनको पता कि नाली का जल और गंगा जल एक समान नही है ऐसे ही महान सनातन हिन्दू धर्म को किसी धर्म के साथ जोड़ना मूर्खता ही है।
हिन्दू संस्कृति की आदर्श #आचार #संहिता ने समस्त वसुधा को #आध्यात्मिक एवं #भौतिक उन्नति से पूर्ण किया, जिसे हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म का यह पूरा वर्णन नही है इससे भी कई गुणा ज्यादा महिमा है क्योंकि हिन्दू धर्म सनातन धर्म है इसके बारे में संसार की कोई कलम पूरा वर्णन नही कर सकती । आखिर में हिन्दू धर्म का श्लोक लिखकर विराम देते हैं ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः