Sunday, December 3, 2017

हिंदुस्तान में अंग्रेज अत्याचारियों पर पहला बम फेंकनेवाले युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस



December 3, 2017 www.azaadbharat.org

खुदीराम बोसका जन्म

🚩हिंदुस्थानपर अत्याचारी सत्ता चलानेवाले ब्रिटिश साम्राज्यपर जिसने अलौकिक धैर्यसे पहला बम फेंका, शालेय जीवनमें ही ‘वंदे मातरम्’ के पवित्र मंत्रसे प्रभावित होकर जिसने स्वतंत्रताके युद्धमें स्वयंको झोंक दिया और मात्र 18 वें वर्षमें हाथमें ‘भगवद्गीता’ लेकर जिसने फांसीके फंदेको आलिंगन दिया, उस #क्रांतिवीर #खुदीराम बोसका जन्म 3 दिसंबर 1889 को #बंगालके #मिदनापुर जिलेके #बहुवैनी नामक गांवमें हुआ । उनके #पिताका नाम बाबू #त्रैलोक्यनाथ बोस तथा #मांका नाम #लक्ष्मीप्रियादेवी था ।

🚩राजद्रोहके आरोपसे निर्दोष छूटना
Khudiram Bose, the young revolutionary who throws the first bomb on British atrocities in India
🚩‘फरवरी 1906 में मिदनापुरमें एक औद्योगिक तथा कृषि प्रदर्शनी थी । यह प्रदर्शनी देखनेके लिए आसपासके प्रांतोंसे सैंकडों लोग आने लगे । बंगालके एक क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ द्वारा लिखे ‘सोनार बांगला’ नामक ज्वलंत पत्रककी प्रतियां खुदीरामने इस प्रदर्शनीमें बांटी । पुलिस सिपाही उन्हें पकडनेके लिए भागा । खुदीरामने इस सिपाहीके मुंहपर घूंसे मारे और शेष पत्रक बगलमें दबाकर वे उनके हाथोंसे छूटकर भाग गए । इस प्रकरणमें राजद्रोहके आरोपमें सरकारने उनपर अभियोग चलाया; परंतु खुदीराम उसमेंसे निर्दोष छूट गए ।’

🚩न्यायाधीश किंग्जफोर्डको मारनेके लिए चयन होना

🚩‘मिदनापुरमें ‘युगांतर’ इस क्रांतिकारकोंकी गुप्त संस्थाके माध्यमसे खुदीराम क्रांतिकार्यमें खींचे गए । 1905 सालमें लॉर्ड कर्जनने बंगालका विभाजन किया । इस विभाजनके विरोधमें आए अनेकों भारतीयोंको उस समयके कलकत्ताके मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड ने क्रूर दंड दिया । अन्य प्रकरणोंमें भी उसने क्रांतिकारियोंको बहुत कष्ट दिया था । इसी समय किंग्जफोर्डको पदोन्नति मिली और वह मुजफ्फरपुरमें सत्र न्यायाधीशके पदपर पदासीन हुआ । अंतमें ‘युगांतर’ समितिके एक गुप्त बैठकमें किंग्जफोर्डको ही मारना तय हुआ । इस हेतु खुदीराम तथा प्रफुल्लकुमार चाकी का चयन किया गया ।

🚩खुदीरामको एक बम और पिस्तौल दी गई । प्रफुल्लकुमारको भी एक पिस्तौल दी गई । मुजफ्फरपुरमें आनेपर इन दोनोंने किंग्जफोर्डके बंगलेकी निगरानी की । उन्होंने उसके चारपहिया तथा उसके घोडेका रंग देख लिया । खुदीराम तो उसके कार्यालयमें जाकर उसे भी ठीकसे देख आया ।

🚩30 अप्रैल 1908 को यह दोनों नियोजित कामके लिए बाहर निकले और किंग्जफोर्डके बंगलेके बाहर घोडागाडीसे उसके आनेकी राह देखने लगे । बंगलेकी निगरानीहेतु विद्यमान दो गुप्त अनुचरोंने उन्हें हटाया; परंतु उन्हें योग्य उत्तर देकरे वहीं रुक गए ।’

🚩हिंदुस्तानमें अंग्रेज अत्याचारियोंपर पहला बम फेंकनेका मान प्राप्त होना

🚩‘रात्रमें साडेआठ बजेके आसपास क्लबसे किंग्जफोर्डकी गाडीके समान दिखनेवाली गाडी आते हुए देखकर खुदीराम गाडीके पीछे भागने लगे । रास्तेपर बहुत ही अंधेरा था । गाडी किंग्जफोर्डके बंगलेके सामने आते ही उन्होंने दोनों हाथोंसे बम ऊपर उठाया और निशाना लगाकर अंधेरेमें ही आगेवाले चारपहियापर जोरसे फेंका । हिंदुस्थानके इस पहले बम विस्फोटकी आवाज उस रात तीन मील तक सुनाई दी और कुछ ही दिनोंमें उसकी आवाज इंग्लैंड, युरोपको भी सुनाई दी । खुदीराम ने किंग्जफोर्डकी गाडी समझकर बम फेंका था; परंतु उस दिन किंग्जफोर्ड थोडा विलंबसे क्लबसे बाहर आनेके कारण बच गया । दैवयोगसे गाडियां एक जैसी होनेके कारण दो यूरोपियन स्त्रियोंको अपने प्राण गंवाने पडे । रातोंरात खुदीराम तथा प्रफुल्लकुमार दोनों ही 24 मीलपर वैनी रेल्वे स्थानकतक नंगे पैर भागते हुए गए ।’

🚩धैर्यसे तथा आनंदित होकर फांसीपर चढना

🚩‘दूसरे दिन संदेह होनेपर प्रफुल्लकुमार चाकीको पुलिस पकडने गई, तब उन्होंने स्वयंपर गोली चलाकर प्राणार्पण किए । खुदीराम को पुलिसने गिरफ्तार किया । इस गिरफ्तारीका अंत निश्चित ही था । 11 अगस्त 1908 को भगवदगीता हाथमें लेकर खुदीराम धैर्यके साथ एवं आनंदी वृत्तिसे फांसी चढ गए ।

🚩किंग्जफोर्डने घबराकर नौकरी छोड दी और जिन क्रांतिकारियोंको उसने कष्ट दिया था उनके भयसे उसकी शीघ्र ही मौत हो गई । परंतु खुदीराम मरकर भी अमर हो गए |’

संदर्भ : श्री. संजय मुळ्ये, रत्नागिरी (दैनिक सनातन प्रभात, 2.12.2007 )

🚩खुदीराम बोसको ‘अत्याचारी’ संबोधनकर उनके स्मारकके उद्घाटन हेतु आनेके लिए नेहरूने नकार दिया

🚩‘क्रांतिवीर खुदीराम बोसका स्मारक बनानेकी योजना कानपुरके युवकोंने बनाई और प्रधानमंत्री नेहरूको उसका उद्घाटनके लिए बुलाया । खुदीराम बोसका बलिदान अनेक युवकोंके लिए स्फूर्र्तिदायी था । उनके पीछे असंख्य युवक इस स्वतंत्रतायज्ञमें आत्मार्पण करनेके लिए उद्युक्त हुए । इस एकेक क्रांतिकारियोंके त्यागको सीमा नहीं थी । नेहरूका क्रोध यह देखकर निरंकुश हो गया कि ‘खुदीराम बोस जैसे एक शस्त्राचारी युवकके स्मारकके लिए मेरे जैसे गांधीजीके वारिसको बुलानेका साहस इन युवकोंने किया !’ उन्होंने उन युवकोंको फटकारा और कहा, ‘‘अत्याचारी मार्गका जिसने आधार लिया, उसके स्मारकके उद्घाटनको मैं नहीं आऊंगा !’’

संदर्भ : ‘लाल किलेकी यादें’, लेखक : गोपाळ गोडसे (दैनिक सनातन प्रभात, 2.12.2007)

🚩देशको परतंत्रताकी बेडियोंसे मुक्त कराने हेतु अपने प्राणोंकी आहुति देनेवाले महान क्रांतिकारियोंको अत्याचारी कहना अर्थात् भारत मांसे विश्वासघात करना है । ऐसे ही देशद्रोही नेताओंके नियंत्रणमें आजभी हमारा देश है । इसी कारण देशमें अराजकता बढ रही है । देशकी बागडोर राष्ट्रभक्तोंके हाथों सौपना ही इसका पर्याय है ।

🚩आज बड़ी #विडंबना है कि भारत को लूटने वाले #अंग्रेजों का #इतिहास #पढ़ाया जाता है पर देश के लिए बलिदान देने वालों का इतिहास पढ़ाया नही जाता है।


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Friday, December 1, 2017

गिरिराज सिंह: हिंदू धर्म का फायदा उठाते हैं फिल्मकार, पहले ‘PK’ बनाई अब ‘पद्मावती’


December 1, 2017 www.azaadbharat.org

संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर भाजपा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि फिल्मकार हिंदू धर्म के लिबरल होने का फायदा उठाते हैं। कभी कोई फिल्म बनाते हैं तो कभी कोई । पहले ‘पीके’ बनाई थी और अब पद्मावती बनाई है।’ 

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमारे आदर्श हैं, यदि उनके चरित्र का देश की स्वतंत्रता के अलावा कोई और दृश्य दिखाया जाएगा तो ये कुबूल नहीं। उसी तरह से महाराणा प्रताप हो गए, शिवाजी महाराज हो गए, रानी लक्ष्मीबाई, रानी पद्मावती हमारे आदर्श हैं। उनके शौर्य की गाथा दिखाना, उनकी वेशभूषा भी वैसी ही दिखाना जैसी है, ये तो उचित है, लेकिन इसके अलावा कुछ भी देखना देश को कुबूल नहीं। क्या इन फिल्मकारों ने किसी दूसरे धर्मों के प्रति कभी ऐसे चित्र बनाए हैं, हिंदू धर्म लिबरल है, इसलिए ऐसी फिल्म बना दी जाती हैं। कभी ‘पीके’ बना देते हैं तो कभी कुछ, ऐसा हमेशा से होते रहा है और अब ये बर्दाश्त नहीं।’
Giriraj Singh: Filmmakers take advantage of Hinduism

हिन्दू धर्म के खिलाफ बॉलीवुड की घिनोनी साजिश...
   
हिंदूधर्म को नष्ट करने के लिये बॉलीवुड में अनेकों प्रयास किये जा रहे हैं और जब विषय हमारी श्रद्धाओं का होता है तो बॉलीवुड,मीडिया अक्सर उसे गलत ढंग से दर्शाता है जैसे मूवी में डाकूओं और विलेन  का तिलक लगाना, मूर्ति पूजा को गलत ठहराना, गंदे-गंदे एक्शन और गानों में राम नाम और श्रीकृष्ण नाम को रटना, साधुओं को पाखंडी साबित करने का प्रयास करना, धार्मिक भजनों पर महिलाओं को नग्न करके नचाना आदि...!!!

आज के युवावर्ग में अपनी हिन्दू संस्कृति के प्रति कूट कूट कर नकारात्मकता भरी जा रही है और नशे और चरित्रहीनता का शिकार बनाया जा रहा है।

धार्मिक स्तर पर उनके विश्वास को तोडा जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर बेहतरीन शराबी गानों को परोसना और उसमें नग्न महिलाओं को भड़कीले तरीके से नचाना आदि ।

ये सब देखकर कम उम्र के युवा निर्णय लेने की क्षमता को खोते जा रहे हैं और इन भद्दे और वेश्यावृति के अश्लील गानों पर थिरकते हैं और अपने व्यक्तित्व को भी उन्हीं के अनुसार ढाल रहे हैं।

उन्हें देखकर स्पष्ट है कि मैकॉले ने जो सपना देखा था भारत को धार्मिक और चारित्रिक रुप से नष्ट करके गुलाम बनाये रखने का, आज वह सत्य प्रतीत हो रहा है।

परन्तु भारत कोई जमीन का टुकडा नहीं अपितु ये हमारे महान ऋषि मुनियों और वीरों के तप और बलिदान से सींची धरोहर है।

हमें खुशी है कि आज उन्हीं ऋषियों और वीरों की संतानों ने फिर जन्म लिया है और वही इन गलत कृत्यों का विरोध भी कर रहे हैं और अगर हम सभी संगठित हो जायें तो शीघ्र ही इन सभी बुराईयों को जड़ से उखाड कर फैंक सकते हैं ।

बॉलीवुड केवल हिन्दू भगवान, देवी-देवता और साधू-संतों के विरोध में ही क्यों? 
ईसाई पादरियों या मौलवियों के लिए क्यों नही?

आओ संगठित होकर चरित्रहीनता की  खाई में गिराने वाले बॉलीवुड और मीडिया को मुँहतोड़ जबाब दें,और अपने देश को विश्वगुरु के पद तक पहुँचाने में सहयोगी हो।

उठाइये अपनी आवाज अभी से बॉलीवुड मुर्दाबाद, हिन्दू संस्कृति जिंदाबाद ।

Thursday, November 30, 2017

आप खाते है मैगी तो हो जाइए सावधान: एक बार फिर जहर साबित हुई मैगी


November 30, 2017

फास्टफूड की सबसे बड़ी नेस्ले के लोकप्रिय ब्रांड मैगी को बड़ा झटका लगा कि जब उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर जिले के प्रशासन ने लैब में मैगी की गुणवत्ता की जांच की और जांच में मैगी की गुणवत्ता फेल हो गयी। इस पर शाहजहांपुर जिले के प्रशासन अधिकारियों ने नेस्ले इंडिया और इसके वितरकों पर जुर्माना लगाया है। जिला प्रशासन ने जुर्माना नेस्ले पर 45 लाख ,तीन वितरकों को 15 लाख और दो विक्रेताओं को 11 लाख का जुर्माना लगाया।
Maggi if you eat, be careful: once again the poison proved to be Maggi

 प्रशासन ने पिछले साल नवम्बर में मैगी के सैम्पल इकट्ठा किए थे और सैम्पल को जांच के लिए लैब में भेज दिया था। जांच में पाया गया कि इसमें मैगी के उन नमूनों में इंसान की खपत के लिए तय सीमा से अधिक मात्रा में राख थी। 

पिछले साल मैगी में मिलावट की खबर से बाजार में मैगी की सेल काफी हद तक गिर गयी थी। 

आपको बता दें कि कुछ समय पहले इंडियन फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के फूड इंस्पेक्टरों ने लखनऊ से मैगी के जो पैकेट जब्त किए थे उनमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) और लेड जैसे घातक तत्व पाए गए हैं । यह बच्चों में मैगी खाने की तलब पैदा करता है। मैगी में मोनो सोडियम ग्लूकामेट तय मानक से ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

डॉक्टरों का कहना है कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट और लेड जैसे खतरनाक केमिकल बेहद नुकसान देह साबित हो सकते हैं। जेपी अस्पताल के डॉक्टर ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया कि बॉडी में लेड की मात्रा तय सीमा से ऊपर होने पर बॉडी को कई तरह की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है जिसमें हार्ट अटैक, दौरे पड़ना और कोमा जैसे हालात भी शामिल है। बच्चों में ये उनके मानसिक विकास में बाधा पैदा कर सकती है। मैगी में लेड और एमएसजी जैसे खतरनाक तत्व मिले हैं जो सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं | 

शरीर में घातक केमिकल लेड से दिमागी परेशानी, ब्लड सर्कुलेशन की समस्या, लेड से किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) से मुंह, सिर और गर्दन में जलन होती है। स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द, पेट की तकलीफ भी हो सकती है। सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अमित खुराना ने बताया था कि हमने जो सॉल्ट और शुगर कंटेंट को लेकर रिसर्च की है उसके मुताबिक नमक का कंटेंट इसमें ज्यादा पाया गया। जहां तक यूपी फूड डिपार्टमेंट की जानकारी है कि मैगी में लेड पाए जाने का सवाल है वो निसंदेह बहुत ज्यादा नुकसानदेह है ।

कुछ समय पहले फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को मैगी मामले में नोटिस जारी किया गया था। हरिद्वार खाद्य विभाग ने नेस्ले इंडिया के उत्पाद आटा मैगी को सेहत के लिहाज से फायदेमंद बताने पर माधुरी पर गलत जानकारी देने और मीडिया माध्यमों के जरिए झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है।

अधिकारी जैन के मुताबिक मैगी बनाने वाली नेस्ले इंडिया कंपनी की ऑफिशल वेबसाइट पर माधुरी को आटा मैगी के बारे में यह कहते हुए दर्शाया गया है कि इसे खाने से तीन रोटियां खाने के बराबर फाइबर मिलता है और शरीर सेहतमंद रहता है। उन्होंने बताया कि माधुरी को नोटिस उनके मुंबई के पते पर भेजा गया है। उनसे इस बात को लेकर जवाब मांगा गया है कि विज्ञापन में उन्होंने मैगी खाने से स्वास्थ्य के दावे किस आधार पर किए ? उनसे यह भी पूछा गया है कि क्या वह खुद भी मैगी का इस्तेमाल करती हैं। अगर नहीं करती हैं तो क्यों?

मैगी खाने से हार्ट अटैक का खतरा

जांच में पाया गया कि मैगी में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा मानक से अधिक पाई गई। इस जांच के बाद पूरे देश में हंगामा मच गया | मैगी में जो हानिकारक तत्व पाए गए हैं, उनसे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है ।

सावधान मैगी खाने से होती है घातक बीमारी 

1). हार्ट अटैक, दौरे पड़ना
2). बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है
3). किडनी भी हो सकती है डैमेज
4). स्किन एलर्जी, हाथ-पैर में कमजोरी, सिरदर्द, पेट की तकलीफ भी हो सकती है।
5).मानसिक विकास में बाधा पैदा कर सकती है, कोमा जैसे हालात भी शामिल है |

पैकिंग बढ़िया बनाकर विदेशी कंपनियाँ हमारे देश की जनता का स्वास्थ्य और पैसा लूटकर देश को खोखला कर रहे हैं। और देश की भोली जनता इस बात से अनभिज्ञ स्वदेशी की तुलना में विदेशी वस्तुओं को ही ज्यादा महत्व देती है।

देशवासियों को समझना होंगा कि जो कंपनियाँ धन व स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर हमारे देश को लूटना चाहते हैं उनसे सावधान रहें और स्वदेशी चीजें अपनाकर स्वास्थ्य व देश को भी आर्थिक रीत से मजबूत बनाए ।

Wednesday, November 29, 2017

जानिये विश्व का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता क्यों है? अकबर की रानी भी थी दीवानी

November 29, 2017   www.azaadbharat.org
श्रीमद्भगवद्गीता ने किसी मत, पंथ की सराहना या निंदा नहीं की अपितु मनुष्यमात्र की उन्नति की बात कही है ।  गीता जीवन का दृष्टिकोण उन्नत बनाने की कला सिखाती है और युद्ध जैसे घोर कर्मों में भी निर्लेप रहने की कला सिखाती है । मरने के बाद नहीं, जीते-जी मुक्ति का स्वाद दिलाती है गीता !
इस साल श्रीमद्भगवद्गीता जयंती 30 नवम्बर को है।
‘गीता’ में 18 अध्याय हैं, 700 #श्लोक हैं, 94569 शब्द हैं । विश्व की 578 से भी अधिक भाषाओं में गीता का अनुवाद हो चुका है ।
'यह मेरा हृदय है’- ऐसा अगर किसी ग्रंथ के लिए #भगवान ने कहा है तो वह गीता जी है । गीता मे हृदयं पार्थ । ‘गीता मेरा हृदय है ।’
गीता ने गजब कर दिया - धर्मक्षेत्रे #कुरुक्षेत्रे... युद्ध के मैदान को भी धर्मक्षेत्र बना दिया । #युद्ध के मैदान में गीता ने योग प्रकटाया । हाथी चिंघाड़ रहे हैं, घोड़े हिनहिना रहे हैं, दोनों सेनाओं के योद्धा प्रतिशोध की आग में तप रहे हैं । किंकर्तव्यविमूढ़ता से उदास बैठे हुए अर्जुन को भगवान  श्रीकृष्ण ज्ञान का उपदेश दे रहे हैं ।
आजादी के समय #स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब ‘गीता’ के #श्लोक बोलते हुए वे हँसते-हँसते #फाँसी पर लटक जाते थे।
Why is the world's best scripture to be called Lord Bhagavad Gita

कट्टर मुसलमान की बच्ची और अकबर की रानी ताज भी इस गीताकार के गीत गाये बिना नहीं रहती ।
ताज अपनी एक कविता में कहती है कि...
सुनो दिलजानी मेरे दिल की कहानी तुम ।
दस्त ही बिकानी, बदनामी भी सहूँगी मैं ।।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूँ भुलानी ।
तजे कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं ।।
साँवला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये ।
तेरे नेह दाग में, निदाग हो रहूँगी मैं ।।
नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पै ।
हूँ तो मुगलानी, हिन्दुआनी रहूँगी मैं ।।"
अकबर की #रानी ताज अकबर को लेकर आगरा से #वृंदावन आयी । #कृष्ण के मंदिर में आठ दिन तक कीर्तन करते-करते जब आखिरी घड़ियाँ आयी, तब ‘#हे कृष्ण ! मैं तेरी हूँ, तू मेरा है...’ कहकर उसने सदा के लिए माथा टेका और #कृष्ण के चरणों में समा गयी । #अकबर बोलता है : ‘‘जो चीज जिसकी थी, उसने उसको पा लिया । हम रह गये...’’
गीता पढ़कर 1985-86 में गीताकार की #भूमि को प्रणाम करने के लिए #कनाडा के #प्रधानमंत्री मि. #पीअर #ट्रुडो #भारत आये थे ।
ट्रुडो ने कहा है : ‘‘#मैंने #बाइबिल पढ़ी, एंजिल पढ़ी और अन्य धर्मग्रंथ पढ़े । #सब ग्रंथ अपने-अपने स्थान पर #ठीक हैं किंतु #हिन्दुओं का यह ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ तो अद्भुत है । इसमें किसी मत-मजहब, पंथ या सम्प्रदाय की निंदा-स्तुति नहीं है वरन् इसमें तो #मनुष्यमात्र के विकास की बातें हैं । गीता मात्र हिन्दुओं का ही धर्मग्रंथ नहीं है बल्कि #मानवमात्र का धर्मग्रंथ है ।’’
ख्वाजा दिल मुहम्मद ने लिखा : ‘‘रूहानी गुलों से बना यह गुलदस्ता हजारों वर्ष बीत जाने पर भी दिन दूना और रात चौगुना महकता जा रहा है । यह गुलदस्ता जिसके हाथ में भी गया, उसका जीवन महक उठा । ऐसे #गीतारूपी गुलदस्ते को मेरा #प्रणाम है । #सात सौ श्लोकरूपी फूलों से सुवासित यह गुलदस्ता #करोड़ों लोगों के हाथ गया, फिर भी मुरझाया नहीं ।’
इतना ही नहीं #महात्मा थोरो भी #गीता के ज्ञान से प्रभावित हो के अपना सब कुछ छोड़कर अरण्यवास करते हुए एकांत में कुटिया बनाकर #जीवन्मुक्ति का आनंद लेते थे ।
श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में संतों एवं विद्वानों के विचार!!
श्रीमद्भगवद्गीता भारत के विभिन्न मतों को मिलानेवाली रज्जु तथा राष्ट्रीय-जीवन की अमूल्य संपत्ति है । भारतवर्ष का राष्ट्रीय धर्मग्रंथ बनने के लिए जिन-जिन विशेष गुणों की आवश्यकता है, वे सब श्रीमद्भगवद्गीता में मिलते हैं । इसमें केवल उपयुक्त बातें ही नहीं हैं अपितु यह भावी विश्वधर्म का सर्वोपरि धर्मग्रंथ है । भारतवर्ष के प्रकाशपूर्ण अतीत का यह महादान मनुष्य-जाति के और भी उज्जवल भविष्य का निर्माता है ।  - मि. एफ.टी. बू्रक्स 
श्रीमद्भगवद्गीता योग का एक ऐसा ग्रंथ है जो किसी जाति, वर्ण अथवा धर्मविशेष के लिए ही नहीं अपितु सारी मानव-जाति के लिए उपयोगी है ।
- डॉ. मुहम्मद हाफिज सैयद
किसी भी जाति को उन्नति के शिखर पर चढ़ाने के लिए गीता का उपदेश अद्वितीय है ।
- वॉरेन हेस्टिंग्स (भारत का वायसराय)
भारतवर्ष के धार्मिक-साहित्य का कोई अन्य ग्रंथ भगवद्गीता के समान स्थान प्राप्त करने योग्य नहीं प्रतीत होता ।         - डॉ. रिचार्ड गार्वे
भगवद्गीता में दर्शनशास्त्र और धर्म की धाराएँ साथ-साथ प्रवाहित होकर एक-दूसरे के साथ मिल जाती हैं । भगवद्गीता और भारत के प्रति हम लोग (जर्मन लोग) आकर्षित होते रहते हैं ।
- डॉ. एल्जे. ल्युडर्स (जर्मनी)
सत् क्या है इसका विवेचन भगवद्गीता में बहुत अच्छी तरह से किया गया है । विश्व में यह ग्रंथ-रत्न अप्रतिम है, अद्भुत है ।
- लॉर्ड रोनाल्डशे
बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है । उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ कि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाये हैं, उनका समाधान गीताग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीताजी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है ।           
- एफ. एच. मोलेम (इंग्लैन्ड)
गीताग्रंथ अद्भुत है । #विश्व की 578 #भाषाओं में #गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों एवं भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, होती रहेंगी क्योंकि  इस  ग्रंथ  में सभी देश,  जाति, पंथ  के  सभी  मनुष्यों  के  कल्याण  की अलौकिक सामग्री भरी हुई है ।
अतः हम सबको #गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए। #भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करानेवाला यह #गीताग्रंथ विश्व में अद्वितीय है ।                                                           - ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज
विरागी जिसकी इच्छा करते हैं, संत जिसका प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और पूर्ण ब्रह्मज्ञानी जिसमें ‘अहमेव ब्रह्मास्मि’ की भावना रखकर रमण करते हैं, #भक्त जिसका #श्रवण करते हैं, जिसकी त्रिभुवन में सबसे पहले वन्दना होती है, उसे लोग ‘#भगवद्गीता’ कहते हैं ।                                                                                -संत #ज्ञानेश्वरजी
गीता के ज्ञानामृत के पान से मनुष्य के जीवन में साहस, समता, सरलता, स्नेह, शांति, धर्म आदि दैवी गुण सहज ही विकसित हो उठते हैं । अधर्म, अन्याय एवं शोषकों का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है । निर्भयता आदि दैवी गुणों को #विकसित करनेवाला, भोग और #मोक्ष दोनों ही प्रदान करनेवाला यह ग्रंथ पूरे विश्व में अद्वितीय है ।
- संत आसारामजी बापू
जिस मनुष्य ने श्रीमद्भगवद्गीता का थोड़ा भी अध्ययन किया हो, श्रीगंगाजल का एक बिन्दु भी पान किया हो अथवा भगवान श्रीविष्णु का सप्रेम पूजन किया हो, उसे यमराज नजर उठाकर देख भी नहीं सकते । अर्थात् वह संसार-बंधन से मुक्त होकर आत्यन्तिक आनन्द का अधिकारी हो जाता है ।                                                                            - जगद्गुरु श्री शंकराचार्यजी
(स्त्रोत्र :  संत श्री आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित, ऋषि प्रसाद)

Tuesday, November 28, 2017

महिलाओं से सताए पुरुषों के लिए लड़ रही है 31 साल की दीपिका


November 28, 2017 https://wp.me/p6qNSS-G4

🚩देश में दामिनी कांड के बाद पुरुषों के लिए कठोर कानून बनाये गये हैं, लेकिन वास्तविकता में जो महिला पीड़ित है उसको न्याय नही मिल पाता है दूसरी ओर बदला लेने की भावना, संपत्ति हड़पने या सामने वालों को बदनाम करने के लिये कुछ महिलाएं कानून का धुरन्धर दुरुपयोग कर रही हैं और निर्दोष पुरुषों को झूठे केस में फंसा रही थी ।

🚩जब भी कोई महिला पुरूष के खिलाफ खड़ी होगी तो स्वाभाविक है कि अन्य महिलाएं भी उसी का ही पक्ष ले, लेकिन दीपिका ऐसा नही करके जो पुरुष निर्दोष हैं और उनके खिलाफ महिलाओं द्वारा झूठे केस हो रहे हैं, उनको न्याय दिलाने के लिए कार्य कर रही है। 
31-year-old Deepika is fighting for men suffering from women

🚩महिलाओं के खिलाफ बड़ी तादाद में होने वाले अपराध को देखते हुए देश में कई सामाजिक संस्थाएं, एनजीओ व कार्यकर्ता हैं, लेकिन यह भी देखा जाता है कि कानून का फायदा उठाकर कुछ महिलाएं पुरुषों को प्रताड़ित करती हैं ।

🚩ऐसे में एक महिला ऐसी भी है, जो पुरुषों के अधिकारों के लिए लंबे समय से आवाज उठा रही है। 31 साल की दीपिका नारायण भारद्वाज का कहना है कि औरतों के लिए लड़ने वाले तो बहुत हैं लेकिन कई पुरुष भी समाज में महिलाओं द्वारा शोषित हो रहे हैं, जिनके लिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है।

🚩दीपिका नारायण दहेज प्रताड़ना कानून के तहत फंसाए गए पुरुषों को भी कानूनी मदद देती है।

🚩उनका कहना है कि धारा 498A (दहेज कानून) का कुछ महिलाओं द्वारा बेहद दुरुपयोग किया जाता है। इस काम के साथ-साथ दीपिका डाक्युमेंट्री फिल्म भी बनाती है। पत्रकार रह चुकी दीपिका ने 2012 में इस मुद्दे पर रिसर्च शुरू की थी।

🚩ऐसे हुई काम की शुरुआत

🚩2011 में उनके एक रिश्तेदार की शादी टूटी थी और उसकी बीवी ने उसके पूरे परिवार के खिलाफ दहेज का मामला दर्ज करा दिया था। उनके खिलाफ भी शिकायत की गई थी। तब उनके परिवार ने बड़ी रकम देकर इस मामले को खत्म किया, पर तभी से उनके मन में ये बात घर कर गई थी कि इस कानून के दुरुपयोग को रोकना है।

🚩कई दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे

🚩दीपिका ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि ज्यादातर दहेज प्रताड़ना के मामले झूठे हैं। झूठे आरोप में फंसाए जाने के कारण कुछ मामले में लड़के के मां बाप ने बदनामी के डर से आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने इसी मुद्दे पर 'Martyrs of Marriage' नाम की डाक्युमेंट्री फिल्म बनाई है।

🚩कानून का किया विरोध

🚩2012 में हुए निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म रोकने के लिए भी संसद ने कठोर कानून बनाए। दीपिका ने इसका भी जमकर विरोध किया। उनका मानना है कि कई औरतों द्वारा इन कठोर कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है और पुरुषों के बेवजह फंसाया जा रहा है। 

🚩बलात्कार के 90 प्रतिशत मामले झूठे होते हैं

🚩अभी हाल ही सितम्बर माह में प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। जिसमें अनुसंधान के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं। न्यायालय में गवाही के दौरान 90 प्रतिशत मामलों में पीडि़ताएं मुकर जाती हैं। जिसमें खेत, सम्पत्ति व रास्ते की रंजिश, पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से अथवा अभियुक्त को ब्लेकमेल कर रुपए ऐंठने के लिए झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी, ऐसी स्थिति बताती है। पीडि़ताएं न्यायालय में स्वयं के द्वारा दी गई रिपोर्ट का भी समर्थन नहीं करती हैं ।

🚩न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रकरण दर्ज करवाए जाने से बयान करवाए जाने तक सब कुछ पूर्व निर्धारित होकर न्यायिक प्रक्रिया का पूर्णत: दुरूपयोग किया जा रहा है।

🚩साधु-संतों पर झूठे आरोप लगाए जाते है

🚩दस साल से स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली साध्वी चिदर्पिता ने बी पी गौतम के नाम के व्यक्ति से प्रेम विवाह कर लिया उसके बाद शाहजहाँपुर की कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ रेप का आरोप लगाया और इतने गंदे गंदे आरोप लगाये कि यहाँ पर लिखने पर शर्म महसूस हो रही है, मीडिया ने भी स्वामी की खूब बदनामी की, लेकिन आठ महीने साध्वी अपने प्रेमी पति के साथ रही जब उससे झगड़ा हो गया तो फिर से आश्रम में रहने लगी और बोली कि मैंने दबाव में आकर उनके खिलाफ केस किया था ।

🚩गुजरात द्वारका के स्वामी #केशवानंदजी पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और न्यायालय ने 12 साल की सजा भी सुना दी लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है, स्वामी जी को फंसाने के लिए झूठा मामला दर्ज किया गया है, तब स्वामी को न्यायालय ने 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।

🚩ऐसे ही दक्षिण भारत के स्वामी #नित्यानन्द जी के ऊपर भी फर्जी सेक्स सीडी बनाकर रेप का आरोप लगाया गया और उनको जेल भेज दिया गया बाद में उनको हाईकोर्ट ने क्लीनचिट देकर बरी कर दिया ।

🚩ऐसे ही हाल ही में #शिवमोगा और बैंगलोर मठ के शंकराचार्य राघवेश्वर भारती स्वामीजी से एक #गायिका ने 3 करोड़ रुपये मांगे, नही देने पर 167 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया ।
उनको भी न्यायालय ने झूठा मामला देखकर शंकराचार्य जी को निर्दोष बरी कर दिया ।

🚩सुप्रसिद्ध हस्तियों को अपने जाल में #फँसाकर करोड़ों रूपये एठने का धंधा चल पड़ा है और नहीं देने पर उन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें #जेल भेजने की कोशिश की जाती है।

🚩इसी प्रकार का मामला सामने  है हिन्दू धर्म गुरु आसारामजी बापू का, उनके केस में न्यायालय में अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा जी ने किये कई सनसनीखेज़ खुलासे ।

🚩- FIR करवाई गई घटना के 5 दिन बाद ।
🚩- रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्घ तरीके से फाड़ें गए ।
🚩- FIR 2 दिन बाद न्यायालय में पेश की गई ।
🚩- अलग-अलग सर्टिफिकेट में पाई गई लड़की की अलग-अलग उम्र ।
🚩- FIR लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई ।
🚩- FIR और FIR की कार्बन कॉपी में अंतर पाया गया ।
🚩- मेडिकल में नहीं मिला एक खरोंच का भी निशान ।

🚩क्या ये कहीं न कहीं बापू आसारामजी को फंसाने की साजिश नहीं..??


🚩लगातार #मीडिया द्वारा बापू आसारामजी की छवि को #धूमिल करने का प्रयास करना, सरकार द्वारा जमानत तक का विरोध करना और #न्यायालय का जमानत देने से इंकार करना इससे साफ साबित होता है कि यह मामला भी उपजाऊ और फर्जी है ।

🚩आज सुप्रसिद्ध हस्तियाँ और संतों को फंसाने में #महिला कानून का #अंधाधुन दुरूपयोग किया जा रहा है 

🚩छह जिला #अदालतों के रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में साबित ही नहीं हो पाते हैं ।

🚩बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी #ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं । कानून का दुरुपयोग करने पर वास्तविकता में जो महिला पीड़ित होती है उसको न्याय भी नही मिला पाता है ।

🚩बलात्कार निरोधक #कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।

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