Friday, December 22, 2017

क्रिसमस पर कई देशों ने लगा रखा है बेन, फिर भारत में क्यों मना रहे हैं ??

December 22, 2017

भारत एक ऐसा देश है जहां जिन आक्रमणकारी अंग्रेजों ने 200 साल तक देश को गुलाम बनाये रखा, भारत की संपत्ति लूटकर ले गये, अत्याचार किये, बहन-बेटियों की इज्जत लूटी, जिनसे भारत आज़ाद कराने में न जाने कितने देशवासियों ने अपने प्राणों को आहुति दे दी, उसकी कद्र किये बिना आज भी उन अंग्रेजो के बनाये त्यौहार क्रिसमस को मनाया जा रहा है ।

दुनिया में कई देशों में क्रिसमस पर प्रतिबंध लगा दिया है, उन देशों ने कारण बताया है कि हमारे देश की संस्कृति के विरुद्ध है, फिर भारत जहां की संस्कृति नष्ट करने के लिए ईसाई मिशनरियां अरबों खरबों रुपए लगा रही है वो क्यो ये त्यौहार मना रहे हैं ??

ब्रुनई देश में क्रिसमस पर प्रतिबंध
Many countries have put together the bay, why are they celebrating in India?

ब्रुनई देश के सुलतान ने 2015 से क्रिसमस पर बेन लगा दिया है, सुलतान ने तो क्रिसमस मानने वालों के लिए सख्त कानून बना दिया है, सुलतान ने कहा कि "यहां कोई भी क्रिसमस मनाते पकड़ा गया तो पांच साल तक कैद में डाल दिया जाएगा। यहाँ तक क़ि किसी को भी इस मौके पर बधाई देते हुए भी पाया गया या किसी ने सैंटा टोपी भी पहनी तो कैद की सजा भुगतनी होगी।"

उन्होंने कहा क़ि, क्रिसमस उत्सव के दौरान लोग क्रॉस धारण करते हैं, कैंडल जलाते हैं, क्रिसमस ट्री बनाते हैं, उनके धार्मिक गीत गाते हैं, क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके धर्म की प्रशंसा करते हैं। ये सारी गतिविधियाँ हमारे देश के विरूद्ध हैं। क्रिसमस के उत्सव से हमारी आस्था प्रभावित होती है।’ 

सोमालिया देश में क्रिसमस पर प्रतिबंध

सोमालिया देश की सरकार ने भी 2015 से क्रिसमस का जश्न मनाने पर रोक लगा दी है। सरकार ने चेताया कि इससे देश की जनता की आस्थाओं को खतरा हो सकता है।


उत्तर कोरिया में क्रिसमस पर प्रतिबंध

उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग ने क्रिसमस मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। किम जोंग ने क्रिसमस की जगह अपनी दादी किम जोंग सुक का जन्मदिन मनाने का फरमान सुनाया।

2014 में भी उत्तर कोरिया में क्रिसमस पर बैन लगा दिया गया था। यही नहीं बड़े क्रिसमस ट्री को भी हटाने का फैसला किया था। दक्षिणी कोरिया की ओर से लगाए गए बड़े क्रिसमस ट्री को हटाया गया। खुद किम जोंग क्रिसमस पर लगाए जाने वाले इन पेड़ों से नफरत करते हैं। प्योंगयांग में किसी भी दुकान या रेस्त्रां से इन्हे हटा दिया जाता है। कोरिया में सबसे ज्यादा ईसाई लोग प्योंगयांग में ही रहते हैं। यहां पर मानव अधिकार की बात करने वाले 50 हजार से 70 हजार ईसाइयों को जेलों के अंदर बंद कर दिया गया। 

चीनी विश्वविद्यालय में क्रिसमस पर प्रतिबंध, 

चीन के पूर्वोत्तर प्रांत लिआओनिंग में स्थित शेनयांग फार्मास्युटिकल विश्वविद्यालय ने छात्रों को जारी अपने नोटिस में उनसे परिसर में किसी भी तरह का पश्चिमी त्यौहार जैसे क्रिसमस आयोजित नहीं करने के लिए कहा।

छात्र संगठन यूथ लीग ने कारण बताते हुए कहा कि कुछ नौजवान पश्चिमी त्यौहार को लेकर आंख मूंद कर उत्साहित रहते हैं, खासकर क्रिसमस संध्या या क्रिसमस के दिन और पश्चिमी संस्कृति से बचने की जरूरत है। 

चीन में यह पहली बार नहीं है जब किसी शैक्षणिक संस्थान ने क्रिसमस पर प्रतिबंध लगाया है। चीन में ऐसा मानना है कि पश्चिमी या विदेशी संस्कृति चीन की प्राचीन संस्कृति का क्षय कर देगी।


धन्यवाद है उन देशों को जिन्होंने इतनी छोटी आबादी वाले देश में भी क्रिसमस न मनाने का आदेश जारी किया ।

एक हमारा भारत देश जहाँ धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म की ही जड़े काटी जा रही है।

सभी धर्म का सम्मान हो सकता है लेकिन सभी धर्म समान नही हो सकते।

हिन्दू धर्म सनातन धर्म है। ये कब से शुरू हुआ कोई नही जानता। भगवान राम भी इसी सनातन धर्म में प्रगटे और भगवान श्री कृष्ण भी।

उन देशों में क्रिसमस मनाने से वहाँ की संस्कृति नष्ट होने की आशंका है तो भारत में हम क्यों ये क्रिसमस मनाये। जबकि भारत तो ऋषि-मुनियों का देश है।

देशवासियों को सावधान होना होगा, दारू पीने वाली, गौ-मास खाने वाले, पराई स्त्रियों के साथ डांस और शारिरिक संबंध बनाने वाले पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करके उनका त्यौहार क्रिसमस न मानकर उस दिन तुलसी पूजन करें।


क्रिसमस ट्री बनाने में सामग्री व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि क्रिसमस ट्री यदि पेड़ों को काटकर बनाएगे तो करोड़ों पेड़ कटते हैं, यदि प्लास्टिक ट्री  हो तो करोड़ों किलोग्राम कैंसरकारक नष्ट नहीं हो सकने वाला रासायनिक कचरा बनता है। 

अतः 25 दिसम्बर को 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली तुलसी पूजन करें ।


गौरतलब है कि अपने सनातन धर्म की गरिमा से जन-जन को अवगत कराने और देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति का वातावरण बनें और जन-मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू ने वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन' दिवस शुरू करवाया 
जो कि पिछले तीन सालों से इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी है।

सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी ‘माता' अति पवित्र एवं पूजनीय मानी गयी है ।
भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।

तुलसी आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक - तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देनेवाली है 
तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है।

स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिसके घर में तुलसी की लकडी अथवा तुलसी का हरा या सूखा पत्ता होता है, उसके घर में कलियुग का पाप नहीं फैलता ।'

आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं का नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महौषधि है, अमृत है।
आज मानव-जाति जिन रोगों से ग्रस्त है, उनमें से अनेकानेक रोगों को तुलसी के द्वारा सरलतापूर्वक दूर किया जा सकता है 
तुलसी एक, लाभ अनेक........!!!

अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25  दिसम्बर को क्रिसमस डे न मनाकर 'तुलसीपूजा के रूप में मनायेगे।

Thursday, December 21, 2017

जानिए 25 दिसम्बर क्रिसमस और संता क्‍लॉज का वास्तविक इतिहास

December 21, 2017

🚩 यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय #क्रिसमस डे की धूम है। लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है। 

🚩 भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नही पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है।
Know the actual history of Christmas and Santa Claus 25 December

🚩कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत #ईसा मसीह का जन्मदिन होता है पर #सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। #एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।


🚩वास्तव में #पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘#मकर संक्रांति' पर्व आता था और #यूरोप-अमेरिका आदि देश धूम-धाम से इस दिन #सूर्य उपासना करते थे । #सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण #मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।

🚩सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। #सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है। जिसके अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। #इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे।

🚩विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार #सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से #क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया । 

🚩ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख #पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई।

🚩पूरे #यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए। उसी में #निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को #सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक #भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी। इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था। और बाद में #पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया। 

🚩आपको बता दें कि #यीशु ने #भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक #योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की #प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।

🚩बाद में #यीशु के अधिक लोक संपर्क से #योगबल खत्म हो गया और बाद में उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।

🚩क्या है #क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन?

🚩क्या आप जानते हैं कि #जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?

🚩संता क्‍लॉज का #क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!

आपको जानकर हैरत होगी कि #संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है।

🚩ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि #तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप #संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।


🚩#अब न यीशु का क्रिसमिस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में  #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।

🚩ध्यान रहे हिन्दुओं का #नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।

हिन्दू महान #भारतीय #संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की #संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला-मांस खाने वाला #अंग्रेजो का #नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।
🚩क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नही!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???


🚩भारत में जितने #सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि भारतीय नववर्ष उसी समय आता है ।

🚩 हिन्दू #संतों ने हमें सदा भारत की दिव्य #संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी #हिन्दू #संत #हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है।

🚩अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू #संत #आसाराम #बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया, भारतवासी भी 25 दिसम्बर #तुलसी पूजन करके मनाये।

🚩तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।

🚩 मरने के बाद भी #मोक्ष देनेवाली #तुलसी पूजन की महता बताकर जन-मानस को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषिविज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने।

🚩धन्य है ऐसे #संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर #संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।

🚩 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें।

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Wednesday, December 20, 2017

25 दिसंबर क्रिसमस डे या तुलसी पूजन दिवस...???


December 15, 2017

🚩 भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपना चाही है, लेकिन भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ है जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति बचाने का दिव्य कार्य कर रहे है । 

🚩 ईसाई धर्म का त्यौहार 25  दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में Festival के नाम पर #शराब और #कबाब का जश्न मनाना, #डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, पशुओं की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि मुनियों की संतानों को शोभा नही देता है।
25 दिसंबर क्रिसमस डे या तुलसी पूजन दिवस...?

🚩S.O Chem की #रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक 

> 14 से 19 वर्ष के #बच्चें शराब का जमकर सेवन करते हैं।

> शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है ।

>70% तक के #किशोर इन #पार्टियों में #शराब का जमकर सेवन करते हैं ।

🚩इन सबसे बचने का और #संस्कृति व #राष्ट्र को बचाने का अचूक उपाय निकाला है हिन्दू संत #आसाराम बापू ने!

🚩 देश में #सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-#समाज का #जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू #संत #आसाराम #बापू ने वर्ष 2014 से  25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) "#विश्वगुरु भारत कार्यक्रम" का आयोजन चालू करवाया है उसमें #तुलसी पूजन, #जप-माला पूजन एवं #हवन, #गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, #राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, #व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, #राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, #सत्संग आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके #करोड़ो अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किया जाता है ।

🚩2014 से 25 दिसम्बर को ‘#तुलसी पूजन दिवस' मनाना प्रारम्भ हुआ । इस #पर्व की लोकप्रियता #विश्वस्तर पर देखी गयी । 

पिछले साल भी उनके #करोड़ो अनुयायियों द्वारा 25 दिसंबर को #देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से #तुलसी पूजन मनाया गया था ।
जिसमें कई #हिन्दू #संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।

🚩ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से #देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर "#तुलसी पूजन दिवस" निमित्त विद्यालयों, महाविद्यालयों, जाहिर स्थलों और #घर-घर तुलसी पूजन किया जा रहा है ।

🚩 हिन्दू #संत #आसाराम #बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व #आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुव्र्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

🚩उनका कहना है कि #तुलसी का स्थान भारतीय #संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । #तुलसी को माता कहा गया है । यह #माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । #तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं । 

🚩#विदेशों में भी होता है #तुलसी पूजन..!!

🚩मात्र #भारत में ही नहीं वरन् #विश्व के कई अन्य देशों में भी #तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में #तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘#नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी #तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थी।

🚩विज्ञान भी नतमस्तक..!!

🚩आधुनिक विज्ञान भी #तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘#तुलसी में रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से #तुलसी महौषधि है, अमृत है ।'

🚩#तुलसी पूजन की #शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं । #भगवान #विष्णु या #श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘#तुलसी दल' के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती । 

🚩 हिन्दू #संत #आसाराम #बापू के अनुसार अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु #शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच जायें इस उद्देश्य से #राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर #भारतीय #संस्कृति की रक्षा के लिए व्यसनमुक्ति अभियान तथा #राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल #भविष्य निर्माण शिविर, जागृति संकीर्तन यात्राओं का आयोजन करें तथा देश के #संत-महापुरुष एवं #गौ, गीता, गंगा की महत्ता के बारे में जागृति लायें । 

🚩गौरतलब है कि #एक लड़की के आरोप में बापू आसारामजी बिना सबूत चार साल से अधिक समय से जोधपुर जेल में न्यायिक हिरासत में है लेकिन उनके बताये अनुसार उनके करोड़ो अनुयायी आज भी #समाज उत्थान के सेवाकार्य सुचार रूप से कर रहे हैं।

🚩25 दिसम्बर को #तुलसी पूजन दिवस मनाना है । विदेशी कचरा हटाना है ।। सुसंस्कारों का सिंचन कराना है ।।। भारतीय संस्कृति को अपनाकर,भारत को विश्वगुरू के पद पर आसीन करना है ।।

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Tuesday, December 19, 2017

जमानत मिलने पर भी कैदी बाहर नही आ पा रहे है, निर्दोषों को नही मिल पा रहा है न्याय



December 19, 2017

हमारे देश में जो अंग्रेजो के बनाये कानून चल रहे है, उससे आम जनता बेहद दुःखी है, नेता, अभिनेता,पत्रकारों धनी को तो तुरन्त जमानत भी हासिल हो जाती है और कोर्ट में भी धक्के नही खाने पड़ते, लेकिन एक आम आदमी अपने गहने-मकान-प्रोपर्टी आदि बेचकर भी न्ययालय में न्याय पाने को तरसता रहता है, लेकिन सालों तक न्याय नही मिल पाता है, यहाँ तक कि उसको अपना पक्ष रखने के लिए जमानत तक नही दी जाती है और किसी गरीब व्यक्ति को जमानत मिल भी जाती है तो पैसे नही होने के कारण जेल से बाहर नही आ पा रहे हैं ।
Prisoners can not come out even after getting bail, innocent people are not able to get justice

गरीबी की वजह से मुचलका या जमानत राशि नहीं भर पाने के कारण जमानत के बावजूद भी सैकड़ों कैदी तिहाड़ जेल में बन्द हैं ।

गरीब कैदियों को जमानत मिलने पर भी जेल से बाहर नही आने के कारण अधिवक्ता अजय वर्मा की ओर से न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी उसमें देहली उच्च न्यायालय ने कहा कि हमें इस बात का बहुत दुख है कि, इस संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से तय कानून और वैधानिक प्रावधानों तथा विधि आयोग की सिफारिशों के बावजूद 253 विचाराधीन कैदी जमानत मिलने के बावजूद तिहाड़ जेल में बंद हैं।

उच्चतम न्यायालय ने निचली न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे मामलों में ज्यादा संवेदनशील और सतर्क रहें कि इन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है ?

ऐसे तो केवल तिहाड़ जेल में ही नही देशभर की अनेक जेलों में ऐसे कैदी हैं कि जमानत मिलने पर भी जमानत राशि नही भरने के कारण बाहर नही आ पा रहे है ।

न्याय में देरी भी एक तरह का अन्याय

अभी हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि न्यायालयों को मुकदमों की सुनवाई टालने से बचना चाहिए। मुकदमों का अडजर्नमेंट तभी होना चाहिए, जब कोर्ट के पास कोई अन्य विकल्प ना हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय मिलने में देर होना भी एक तरह का अन्याय है। इस अन्याय से बचने के लिए तारीख पर तारीख लगाने की प्रवृत्ति को रोकना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे सभी को समय से न्याय मिले, न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो और सामान्य आदमी की भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो। राष्ट्रपति ने न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष रखने की वकालत की।

स्थानीय भाषा में सुनवाई होनी चाहिए

राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों को मुअक्किलों को जागरूक करने के लिए स्थानीय भाषा में कोर्ट में सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अदालतों में होने वाले फैसलों की कॉपी स्थानीय भाषा में दी जाए तो इससे न्यायिक प्रक्रिया को समझने में भी मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने न्यायपालिका को सुझाव देते हुए कहा कि यदि स्थानीय भाषा में बहस करने का चलन जोर पकड़े तो सामान्य नागरिक भी अपने मामले की प्रगति को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। साथ ही निर्णयों और आदेशों की सत्यप्रतिलिपि का स्थानीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि पूरे देश के न्यायालयों में लगभग तीन करोड़ मामले लंबित हैं। इनमें से लगभग 40 लाख मामलें अकेले उच्च न्यायालयों में चल रहे हैं। 

क्यो देरी हो रही है न्याय मिलने में?

देश के कुछ हाईकोर्ट ऐसे हैं जो मुकदमों का फैसला करने में औसतन चार साल तक लगा रहे हैं। वहीं निचली अदालतों का हाल इससे भी दोगुना बुरा है। वहां मुकदमों का निपटारा होने में औसतन छह से साढ़े नौ साल तक लग रहे हैं। हाईकोर्ट के मामले में देश भर में सबसे बुरा प्रदर्शन राजस्थान, इलाहाबाद, कर्नाटक और कलकत्ता हाईकोर्ट का रहा है। निचली अदालतों में गुजरात सबसे फिसड्डी है, जिसके बाद उड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र आदि आते हैं।

अदालती कामकाज पर शोध करने वाली बेंगलुरु की एक संस्था के अध्ययन से पता चला है कि हर दिन न्यायालयों में जजों का 55 फ़ीसदी समय प्रशासनिक कार्यों में ख़र्च होता है। 45 फीसद वक्त में वह मुकदमे की कार्यवाही आगे बढ़ाते हैं।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, जज अपना 55 फ़ीसदी समय समन जारी करने, भविष्य की सुनवाई की तारीख़ें तय करने और प्रशासन के निर्णय में ख़र्च करते हैं न कि सुनवाई जैसे न्यायिक कार्यों में। 

दक्ष संस्था ने देश की 91 हज़ार अदालती सुनवाई के आधार पर यह अध्ययन किया है। साथ ही इसके ज़रिए बताया गया है कि प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त कर मामलों को निपटाने में तेज़ी आ सकती है।

सबूत दाखिल होने और गवाही पूरी होने के बाद भी फैसला सुनाने में साल भर का वक्त लग रहा है। मुकदमों में एड़ियां घिसते लोगों की परेशानी को इन आंकड़ों से समझना लगभग नामुमकिन है। 

जांचकर्ता से लेकर जज और वकील तक कचहरी में अपनी मर्जी से आते हैं, जबकि मुकदमों से जुड़े लोग अक्सर अपनी जीविका छोड़कर आते हैं।

वकील भी फीस ज्यादा मिले ऐसी लालच के कारण भी मुकदमा जल्दी नही निपटाते है। 

सरकार और न्यायालय को इस पर गंभीर विचार करना चाहिए आम व्यक्ति को शीघ्र न्याय मिले इसके लिए कदम आगे बढ़ाना चाहिए नही तो निर्दोष को न्याय देरी से मिलना भी अन्याय ही है ।

Monday, December 18, 2017

ईसाई देश में पादरी करते है दुष्कर्म, भारत में कराते हैं हिन्दुओं का धर्मान्तरण


December 18, 2017
http://azaadbharat.org/

Pastor performs misdeeds in the Christian country, converts Hindus into India
कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । लेकिन फिर भी महान हिन्दूधर्म के लोगों को लालच देकर धर्मपरिवर्तन करवा रहे हैं ।
मध्यप्रदेश के सतना शहर के एक गांव में कैरोल गा रहे 30 से ज्यादा पादरियों और सेमिनरीज को पुलिस ने गुरुवार को हिरासत में ले लिया । गांव वालों ने बताया कि वह धर्मांतरण करा रहे थे। शुक्रवार को राज्य के एंटी कन्वर्जन लॉ के तहत एक पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया।

शुक्रवार को सेंट एफ्रफ थियोलॉजिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले एम जॉर्ज और पांच अनजान लोगों पर धर्मेंद्र दोहर की शिकायत पर धर्म अधिनियम की स्वतंत्रता एवं धारा 153-बी और 295-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोहर का आरोप है कि उन्हें ईसाई बनने के लिए पैसा अॉफर किया गया था।

21 वर्षीय भुमकार गांव के निवासी ने आरोप लगाया है कि मिशनरी इस गांव में पिछले दो वर्ष से सक्रिय है और धर्मांतरण के लिए तालाब में डुबकी लगाने के बाद उसे 5 हजार रुपये, एक क्रॉस और बाइबल दी गई।

यह खबर मीडिया तोड़-मरोड़ करके बजरंगदल पर थोपना चाहती है, पर वास्तविकता यह है कि पादरी सालों से गांव में धर्मांतरण करवा रहे थे, गांव वालों ने ही फरियाद करके उनको पुलिस के हवाले किया है, लेकिन विदेशी फंडेड मीडिया पादरियों का पक्ष ले रही है और बजरंग दल को बदनाम कर रही है।

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि ‘‘भारत में #ईसाई पादरियों का #धर्म-प्रचार हिन्दू धर्म को मिटाने का #खुला #षड्यंत्र है, जो कि एक लम्बे अरसे से चला आ रहा है ।"

भले ईसाई पादरी भारत मे धर्मान्तरण करवा रहे हो लेकिन उनकी हकीकत देखोगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि पादरी कितने दुष्कर्मी होते है!

 रिपोर्ट देखकर आप खुद ही हिन्दू धर्म में जन्म लेने की महानता का एहसास करने लगेंगे और ईसाई धर्म से नफरत,

उनके देश में ही ईसाई पादरी कितने दुष्कर्म करते हैं, जानिये..

ऑस्ट्रेलिया में यौन शोषण के आरोप में कैथोलिक संस्थान सबसे आगे

एक र्इसार्इ देश होने के नाते आॅस्ट्रेलिया के लिए यह एक गंभीर समस्या है । आज भारत में भी चर्च की आड़ में यौन शोषण के हजारों मामले सामने आ रहे हैं। इससे जनता के मन में क्या चर्च सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है?, एेसा प्रश्न आ सकता है !

सिडनी : ऑस्ट्रेलिया में पांच साल तक चली एक जांच की अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि, देश के संस्थान दशको से बच्चों की देखभाल करने में नाकाम रहे हैं और हजारों बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए हैं। जांच रिपोर्ट में इसे राष्ट्रीय त्रासदी बताया गया है। चर्च आदि में यौन शोषण का शिकार हुए 15000 से ज्यादा बच्चों ने जांच आयोग से संपर्क किया।

बच्चों ने आयोग को अपनी दर्दनाक दास्तां बताई। कुल मिलाकर 4000 से अधिक संस्थानों पर यौन शोषण का आरोप लगा जिनमें से ज्यादातर कैथोलिक संस्थान थे। अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया के कई संस्थानों में हजारों बच्चों का यौन शोषण किया गया। हमें कभी सही संख्या का पता नहीं चलेगा। जो भी संख्या हो लेकिन यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है।

गौरतलब है कि, ऑस्ट्रेलिया के गिरजाघरों (चर्च) में बाल यौन शोषण संबंधी एक जांच के जो आकंड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं और उनका बचाव नहीं किया जा सकता। इनसे पता चलता है कि वर्ष 1950 से 2010 के बीच 7% कैथोलिक पादरियों पर बाल शोषण के आरोप लगे थे किंतु इनकी कभी जांच नहीं की गई।

‘द रॉयल कमीशन इंटू इंस्टिट्यूशनल रेस्पोन्सेस टू चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज’ को पता चला कि गिरजाघर प्राधिकारियों के पास बाल यौन शोषण के कथित 4444 मामलों की शिकायत की गई जिनमें से 15% से अधिक मामलों में आरोप पादरियों पर लगे।  ऑस्ट्रेलिया ने देशभर में बाल यौन शोषण मामलों की जांच के लिए बढ़ते दबाव के मद्देजनर करीब एक दशक बाद वर्ष 2012 में ‘द रॉयल कमीशन’ को जांच के आदेश दिए।  चार साल की सुनवाई के बाद जांच अब अपने अंतिम चरण में है।

सिडनी में चल रही जांच में पूछताछ की अगुवाई कर रही वकील गेल फर्नेस ने कहा, ‘वर्ष 1950 से 2010 के बीच के मामलों में कुल 7% पादरी कथित आरोपी थे। ’ उन्होंने कहा, ‘आंकड़े निराशाजनक हैं।  बच्चों को नजरअंदाज किया गया और उससे भी बुरा यह कि उन्हें दंडित भी किया गया।  आरोपों की जांच नहीं की गई। ’

ईसाई पादरी छोटे #बच्चे- बच्चियों के साथ #दुष्कर्म करते हैं लेकिन उनके खिलाफ #मीडिया कुछ नही बोलती बल्कि उनका पक्ष लेती है क्योंकि 90% मीडिया ईसाई मिशनरियों के फंड से चलती है ।
लेकिन जब कोई हिन्दू साधु-संत या हिन्दू संगठन या सरकार भोले-भाले #हिन्दुओं को #पैसा, #दवाई, कपड़े आदि देकर धर्मान्तरण के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो देशद्रोही और बिकाऊ मीडिया उनके खिलाफ देश में एक माहौल बनाकर उनकी छवि को धूमिल कर देते हैं ।

धर्मपरिवर्तन के खिलाफ कानून

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसले में धर्म परिवर्तन के लिए गाइडलाइन जारी की। गाइडलाइन के अनुसार अब नाबालिग बालक-बालिकाओं का किसी भी सूरत में धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा, लेकिन बालिग युवक-युवती धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। जो धर्म परिवर्तन करने का इरादा रखते हैं और जिस धर्म को ग्रहण करना चाहते हैं, उनका पूरा ब्यौरा लेकर पहले खुद को संतुष्ट करना चाहिए।

देशभर में ईसाई पादरी लालच देकर हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करवा रहे हैं, उसके लिए राजस्थान की तरह पूरे देश में कानून लागू होना चाहिए और हिन्दू विरोधी मीडिया पर लगाम लगानी चाहिए ।