Wednesday, December 27, 2017

अगर कोई भारतवासी 1जनवरी को नववर्ष मनाने जा रहा है तो पहले रिपोर्ट देख ले

December 27, 2017

भारत की इतनी दिव्य और महान संस्कृति है कि बिना वस्तु, व्यक्ति और विपरीत परिस्थितियों में भी इसका अनुसरण करने वाला सुखी रह सकता है इसके विपरीत विदेशों में भोग सामग्री होते हुए भी वहां के लोग इतने दुःखी व चिंतित हैं कि वहां के आकंड़े देखकर दंग रह जाएंगे आप लोग !! 

फिर भी भारत का एक बड़ा वर्ग उनका अंधानुकरण कर, उनका नववर्ष मनाने लगा और भूल गया अपनी संस्कृति को ।
If any Indian is going to celebrate New Year on January 1, then first see the report.

एक सर्वे के अनुसार...

खिस्ती नववर्ष पर तीन गुनी हुई एल्कोहल की खपत

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के क्रिसमस और खिस्ती नववर्ष पर एल्कोहल पर खपत किये गये सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया है कि इन अवसरों पर 14 से 19 वर्ष के किशोर भी शराब का जमकर सेवन करते हैं और यही कारण है कि इस दौरान शराब की खपत तीन गुनी बढ़ जाती है। 

इन दिनों में दूसरे मादक पेय पदार्थों की भी खपत बढ़ जाती है। बड़ों के अलावा छोटी उम्रवाले भी बड़ी संख्या में इनका सेवन करते हैं। इससे किशोर-किशोरियों, कोमल वय के लड़के-लड़कियों को शारीरिक नुकसान तो होता ही है, उनका व्यवहार भी बदल जाता है और हरकतें भी जोखिमपूर्ण हो जाती हैं। उसका परिणाम कई बार एचआईवी संक्रमण (एड्स रोग) के तौर पर सामने आता है तो कइयों को टी.बी., लीवर की बीमारी, अल्सर और गले का कैंसर जैसे कई असाध्य रोग भी पैदा हो जाते हैं। करीब 70 प्रतिशत किशोर फेयरवेल पार्टी, क्रिसमस एवं खिस्ती नूतन वर्ष पार्टी, वेलेंटाइन डे और बर्थ डे जैसे अवसरों पर शराब का सेवन करते हैं। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं।

समझदारों एवं सूत्रों का कहना है कि क्रिसमस (25 दिसम्बर) के दिनों में शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, युवाधन की तबाही व आत्महत्याएँ खूब होती हैं। 

भारत से 10 गुणा ज्यादा दवाईयां खर्च होती हैं ।

यूरोप, अमेरिका आदि देशों में मानसिक रोग इतने बढ़ गए हैं कि हर दस व्यक्ति में से एक को मानसिक रोग होता है । दुर्वासनाएँ इतनी बढ़ी हैं कि हर छः सेकंड में एक बलात्कार होता है और हर वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक कन्याएँ #विवाह के पूर्व ही गर्भवती हो जाती हैं । वहाँ पर 65% शादियाँ तलाक में बदल जाती हैं । AIDS की बीमारी दिन दुगनी रात चौगुनी फैलती जा रही है | वहाँ के पारिवारिक व सामाजिक जीवन में क्रोध, कलह, असंतोष,संताप, उच्छृंखता, उद्यंडता और शत्रुता का महा भयानक वातावरण छाया रहता है ।

विश्व की लगभग 4% जनसंख्या अमेरिका में है । उसके उपभोग के लिये विश्व की लगभग 40% साधन-सामग्री (जैसे कि कार, टी वी, वातानुकूलित मकान आदि) मौजूद हैं फिर भी वहाँ अपराधवृति इतनी बढ़ी है कि हर 10 सेकण्ड में एक सेंधमारी होती है, 1 लाख व्यक्तियों में से 425 व्यक्ति कारागार में सजा भोग रहे हैं। इन सबका मुख्य कारण दिव्य संस्कारों की कमी है ।

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर दारू पीते है। हंगामा करते है ,महिलाओं से छेड़खानी करते है, रात को दारू पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस व प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश होता है और 1 जनवरी से आरंभ हुई ये घटनाएं सालभर में बढ़ती ही रहती हैं ।

जबकि भारतीय नववर्ष नवरात्रों के व्रत से शुरू होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है। शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है। चैत्र प्रतिपदा के दिन से महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म,
नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध है। 

भोगी देश का अन्धानुकरण न करके युवा पीढ़ी भारत देश की महान संस्कृति को पहचाने।

1 जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है। लेकिन
 चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व ,विवाह और अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग। 

स्वयं सोचे कि क्यों मनाये एक जनवरी को नया वर्ष..???

केवल कैलेंडर बदलें अपनी संस्कृति नही...!!!
रावण रूपी पाश्‍चात्य संस्कृति के आक्रमणों को नष्ट कर, चैत्र प्रतिपदा के दिन नववर्ष का विजयध्वज अपने घरों व मंदिरों पर फहराएं।

अंग्रेजी गुलामी तजकर ,अमर स्वाभिमान भर ले भारतवासी।
हिन्दू नववर्ष मनाकर खुद में आत्मसम्मान भरले भारतवासी।।

Tuesday, December 26, 2017

सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए बन रहा है पाकिस्तान, घटती जा रही है विश्वसनीयता


December 24, 2017


'जज कब बना रहे हो??'.. बोलो ना डियर, 'जज कब बना रहे हो'...???

आगे साहब ने जो भी उत्तर दिया था वह सारा का सारा उस सेक्स-सीडी में रिकॉर्ड हो गया... और यही सीडी कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के राजनीतिक पतन का कारण बनी।

पिछले 70 सालों से जजों की नियुक्ति में सेक्स, पैसा, ब्लैक मेल एवं दलाली के जरिए जजों को चुना जाता रहा।

अजीब विडंबना है कि हररोज औरों को सुधारने की नसीहत देने वाले लोकतंत्र के दोनों स्तंभ मीडिया और न्यायपालिका खुद सुधरने को तैयार नहीं।
Pakistan is going to become the Supreme Court of India, declining credibility

जब देश आजाद हुआ तब जजों की नियुक्ति के लिए ब्रिटिश काल से चली आ रही 'कॉलेजियम प्रणाली' भारत सरकार ने अपनाई.... यानी सीनियर जज अपने से छोटे अदालतों के जजों की नियुक्ति करते हैं। इस कॉलेजियम में जज और कुछ वरिष्ठ वकील भी शामिल होते हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट के जज हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति करते हैं और हाईकोर्ट के जज जिला अदालत की जजों की नियुक्ति करते हैं।

इस प्रणाली में कितना भ्रष्टाचार है वह लोगों ने अभिषेक मनु सिंघवी की सेक्स सीडी में देखा...  अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के सदस्य और उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति करने का अधिकार था.. उस सेक्स सीडी में वो वरिष्ठ वकील अनुसुइया सालवान को जज बनाने का लालच देकर उसके साथ इलू इलू करते पाए गए थे, वो भी कोर्ट परिसर के ही किसी खोपचे में।

कॉलेजियम सिस्टम से कैसे लोगों को जज बनाया जाता है और उसके द्वारा राजनीतिक साजिश से कैसे की जाती है उसके दो उदाहरण देखिए..

पहला उदाहरण-- किसी भी राज्य के हाईकोर्ट में जज बनने की सिर्फ दो योग्यता होती है.. वो भारत का नागरिक हो और 10 साल से किसी हाईकोर्ट में वकालत कर रहा हो..या किसी राज्य का महाधिवक्ता हो।

वीरभद्र सिंह जब हिमाचल में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर अपनी बेटी अभिलाषा कुमारी को हिमाचल का महाधिवक्ता नियुक्त कर दिया। फिर कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों के कॉलेजियम में उन्हें हाई कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया और उन्हें गुजरात हाई कोर्ट में जज बना कर भेज दिया।

तब कांग्रेस गुजरात दंगों के बहाने मोदी को फंसाना चाहती थी और अभिलाषा कुमारी ने जज की हैसियत से कई निर्णय मोदी के खिलाफ दिए.. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उसे बदल दिया था।

दूसरा उदाहरण -- 1990 में जब लालूप्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब कट्टरपंथी मुस्लिम आफताब आलम को हाई कोर्ट का जज बनाया गया.. बाद में उन्हें प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.. उनकी नरेंद्र मोदी से इतनी दुश्मनी थी कि तीस्ता सीतलवाड़ और मुकुल सिन्हा गुजरात के हर मामले को इनकी बेंच में अपील करते थे.. इन्होंने नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए अपना एक मिशन बना लिया था।

बाद में आठ रिटायर्ड जजों ने जस्टिस एम बी सोनी की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलकर आफताब आलम को गुजरात दंगों के किसी भी मामलें की सुनवाई से दूर रखने की अपील की थी.. जस्टिस सोनी ने आफताब आलम के लिए 12 फैसलों का डिटेल में अध्ययन करके उसे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया था और साबित किया था कि आफताब आलम चूँकि मुस्लिम है इसलिए उनके हर फैसले में भेदभाव स्पष्ट नजर आ रहा है।

फिर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आफताब आलम को गुजरात दंगों से किसी भी केस की सुनवाई से दूर कर दिया।

जजों के चुनाव के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नई विशेष प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही थी। जब मोदी की सरकार आई तो 3 महीने बाद ही संविधान के संशोधन (99 वाँ  संशोधन )करके एक कमीशन बनाया गया जिसका नाम दिया गया National Judicial Appointments Commission (NJAC).

इस कमीशन के तहत कुल छः लोग मिलकर जजों की नियुक्ति कर सकते थे।

1. इसमें एक सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश,
2. सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज जो मुख्य न्यायाधीश से ठीक नीचे हो,
3. भारत सरकार का कानून एवं न्याय मंत्री,
4. और दो ऐसे चयनित व्यक्ति जिसे 3 लोग मिलकर चुनेंगे। (प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश एवं लोकसभा में विपक्ष का नेता)।
            
परंतु एक बड़ी बात तब हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन को रद्द कर दिया, वैसे इसकी उम्मीद भी की जा रही थी।
           
इस वाक्य को न्यायपालिका एवं संसद के बीच टकराव के रूप में देखा , जाने लगा .... भारतीय लोकतंत्र पर सुप्रीम कोर्ट के कुठाराघात के रूप में इसे लिया गया।
           
यह कानून संसद के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया था जिसे 20 राज्यों की विधानसभा ने भी अपनी मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट यह भूल गई थी कि जिस सरकार ने इस कानून को पारित करवाया है उसे देश की जनता ने पूर्ण बहुमत से चुना है।
सिर्फ चार जज बैठकर करोड़ों की इच्छाओं का दमन कैसे कर सकते है ? क्या सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर हो सकता है कि वह लोकतंत्र में जनमानस की आकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है ?
  
जब संविधान की खामियों देश की जनता पतिमार्जित कर सकती है तो न्यायपालिका की खामियों को क्यों नहीं कर सकती?

यदि NJAC को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक कह सकता है तो इससे ज्यादा असंवैधानिक तो कॉलेजियम सिस्टम है जिसमें ना तो पारदर्शिता है और ना ही ईमानदारी?

कांग्रेसी सरकार को इस कॉलेजियम से कोई दिक्कत नहीं रही क्योंकि उन्हें पारदर्शिता की आवश्कता थी ही नहीं।
मोदी सरकार ने एक कोशिश की थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने उस कमीशन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया ।

शुचिता एवं पारदर्शिता का दम्भ भरने वाले सुप्रीम कोर्ट को तो यह कहना चाहिए था कि इस नए कानून (NJAC) को कुछ समय तक चलने देना चाहिए ... ताकि इसके लाभ हानि का पता चले, खामियां यदि होती तो उसे दूर किया जा सकता था परंतु ऐसा नहीं हुआ। 

जज अपनी नियुक्ति खुद करे ऐसा विश्व में कही नहीं होता है सिवाय भारत के।
  
क्या कुछ सीनियर IAS ऑफिसर मिलकर नये IAS की नियुक्ति कर सकते है? क्या कुछ सीनियर प्रोफेसर मिलकर नये प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकते है ? 

यदि नहीं तो जजो की नियुक्ति जजो द्वारा क्यों की जानी चाहिए ? आज सुप्रीम कोर्ट एक धर्म विशेष का हिमायती बना हुआ है....

सुप्रीम कोर्ट गौरक्षकों को बैन करता है ।
सुप्रीम कोर्ट जल्लिकटु को बैन करता है ।
सुप्रीम कोर्ट दही हांडी के खिलाफ निर्णय देता है । सुप्रीम कोर्ट दस बजे रात के बाद डांडिया बंद करवाता है ।
 सुप्रीम कोर्ट दीपावली में देर रात पटाखे को बैन करता है ।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट आतंकवादी की सुनवाई के लिए रात 2 बजे अदालत खुलवाता है ।
सुप्रीम कोर्ट पत्थर बाजी को बैन नहीं करता है । सुप्रीम कोर्ट गौमांस खाने वालों पर बैन नहीं लगता है ।
ईद - बकरीद पर कुर्बानी को बैन नहीं करता ।
मुस्लिम महिलाओं के शोषण के खिलाफ तीन तलाक को बैन नहीं करता है ।

और कल तो सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ तक कह दिया कि तीन तलाक का मुद्दा यदि मजहब का है तो वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। 
ये बात हुई ? आधी मुस्लिम आबादी की जिंदगी नर्क बनी हुई है और आपको यह मुद्दा मजहबी दिखता है ? धिक्कार है आपके ऊपर ।

अभिषेक मनु सिंधवी के वीडियो को सोशल मीडिया, यु ट्यूब से हटाने का आदेश देते हो कि न्यायपालिका की बदनामी ना हो ? पर क्यों ऐसा ... ? 
क्यों छुपाते हो अपनी कमजोरी ...? 

जस्टिस कार्नर जैसे पागल और टुच्चे जजो को नियुक्त करके एवं बाद में 6 माह के लिए कैद की सजा सुनाने की सुप्रीम कोर्ट को आवश्कता क्यों पड़नी चाहिए ..? 

अभिषेक मनु सिंघवी जैसे अय्याशों को जजो को नियुक्त करने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए? 
        
 क्या सुप्रीम कोर्ट जवाब देगा ... ?

लोग अब तक सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करते आये है, कहीं ऐसा न हो कि जनता न्यायपालिका के विरुद्ध अपना उग्र रूप धारण कर लें उसके पहले उसे अपनी समझ दुरुस्त कर लेनी चाहिए ।  सत्तर सालों से चल रही दादागिरी अब बंद करनी पड़ेगी ... यह 'लोकतंत्र' है और 'जनता' ही इसकी 'मालिक' है।

कांग्रेस की सरकार लगातार 10 साल थी। लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के किसी भी फैसले में चूं तक नहीं की, ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने अपनी पसंद के लोगो को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया था।

इसलिए वे चुपचाप पड़े रहते थे लेकिन जैसे ही देश में मोदी सरकार आई, सुप्रीम कोर्ट के जज नींद से जाग उठे, मोदी सरकार के सभी फैसले में हस्तक्षेप करने लगे, वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि देश मोदी सरकार नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज चला रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के हर फैसले में दखल दे रहा है, हर फैसले में रोक लगा रहा है, हिन्दू समाज के सभी त्यौहारों पर बैन लगा रहा है, पहले सुप्रीम कोर्ट ने जन्माष्टमी पर गोविंदा पर बैन लगाया और अब दीवाली पर पटाखा जलाने पर बैन लगा दिया।

आप खुद देखिये, भारत सरकार राम मंदिर बनाना चाहती है, देश के 80 फीसदी हिन्दू भी अयोध्या में राम मंदिर चाहते है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार-बार तारीख बढ़ाकर सुनवाई टाल रहा है।

इसके बाद रोहिंग्या का मामला सामने आया, केंद्र सरकार ने साफ साफ कह दिया कि रोहिंग्या देश की शांति के लिए खतरा है, इनके आतंकियों से संबंध रहे हैं। ये लोग म्यांमार में भी आतंकी गतिविधियों में शामिल है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की बात नहीं मानी और आज तुग़लकी फरमान देते हुए उन्हें भागने पर रोक लगा दी ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में केंद्र सरकार से कहा कि जब तक इस मामले की सुनवाई हो रही है तब तब उन्हें जबरदस्ती भगाया न जाये क्योंकि अगर देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तो मानव अधिकार भी महत्वपूर्ण है।

आपको पता ही है कि राम मंदिर मामले की 30 वर्षो से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, लेकिन आज तक सुनवाई ही चल रही है।

इस तरह रोहिंग्या मामले की सुनवाई होती तो आराम से 40-50 वर्ष लग जाएंगे, मतलब अब रोहिंग्या 40-50 वर्षो तक भारत में रहेंगे, बच्चे पैदा करेंगे, देश का लोकतांत्रिक ढांचा व संतुलन नष्ट करेंगे, जिहाद करेंगे, हिंसा और आतंकवाद करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में तारीख पर तारीख चलती रहेगी।

अब आप देखिये:

'सुप्रीम कोर्ट ना तो राम मंदिर बनाने दे रहा है',
'ना रोहिंग्या को भगाने दे रहा है',

 'ना हिंदुओं को पटाखे जलाने दे रहा है',

'कश्मीरी हिंदुओं की सुनवाई नहीं कर रहा।'

'आतंकवादियों के सहायकों पर पैलेट गन प्रयोग नहीं करने दे रहा!'

'सुरक्षा व बलों व सेना पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहा है!'

 'देश के लाखों लोगों के मामले पड़े है पैंडिंग! उन पर तो ध्यान नहीं, पर अफजल गुरु जैसे आतंकवादियों को बचाने के प्रयास में रात को भी दरबार लगा रहा है !' 
एक तरह से सुप्रीम कोर्ट भारत के लिए पाकिस्तान बन रहा है।

भारत की सरकार और हिंदुस्तान के नागरिकों को अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही लड़ना पड़ रहा है।

यह बहुत ही खतरनाक ट्रेंड व संकेत है देश के लिए।

स्त्रोत : हिन्दू वॉइस (नवंबर 2017)

Monday, December 25, 2017

मीडिया ने छुपाई खबर: क्रिसमस की जगह लोगों ने मनाया तुलसी पूजन दिवस

मीडिया ने छुपाई खबर: क्रिसमस की जगह लोगों ने मनाया तुलसी पूजन दिवस

December 25, 2017

 अंग्रेजो ने भारत में आकर बड़ी चालकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए हिन्दू संस्कृति को हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही, गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक भी हो रही है, धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है ।
Media hidden news: People celebrated Tulsi Puja Day in place of Christmas

25 दिसंबर निमित्त क्रिसमस डे की जगह देश-विदेश में विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।

आपको बता दें कि केवल #हिन्दू ही नही मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन दिवस मनाया ।

केवल जमीनी स्तर पर ही नही ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर भी कल से #तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है ।

गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को #तुलसी पूजन हिंदू संत आसारामजी बापू की प्रेरणा से उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने #विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और अब 2017 में तो #देश-विदेश में अनेक जगहों पर #हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों की जनता भी उत्साहित होकर इस दिन को एक त्यौहार के रूप में मना रही है ।

संत #आसारामजी #आश्रम द्वारा बताया गया कि उनके अनुयायियों द्वारा #विश्वभर में विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों पर एवं घर-घर #तुलसी पूजन त्यौहार मनाया जा रहा है । 

नीचे दी गई लिंक पर आप देख सकते हैं कि किस प्रकार देश-विदेश के अनगिनत लोग #तुलसी पूजन द्वारा लाभान्वित हो रहे हैं ।


ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर #तुलसी पूजन दिवस निमित्त #देशभर के स्कूल, कॉलेज, गाँवो, शहरों में हुए #तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज अपलोड हुए हैं ।

रविवार (24 दिसम्बर) ट्वीटर पर टॉप में ट्रेंड करता हैशटैग-  #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

सोमवार (25 दिसम्बर) ट्वीटर पर टॉप 3 में ट्रेंड करता हैशटैग- #तुलसी_पूजन_दिवस

आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकार आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया है ।

आइये कुछ ट्वीट्स द्वारा जाने लोगों के मनोभाव...

1. भाजपा नेता कैलास विजय वर्गीय जी लिखते हैं  कि 
#तुलसी_पूजन_दिवस पर आओ मिलकर तुलसी पूजन करें। 

2. भाजपा नेता गिरिराज सिंह जी ने लिखा कि आप सभी को तुलसी पूजा की बधाई ।
तुलसी का पौधा एक अभियान के तहत हर घर में लगाएँ ।

3. मनोज नामदेव जी कहते हैं कि संत श्री Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित #तुलसी_पूजन_दिवस और "घर-घर तुलसी लगाओ अभियान" जैसे लोकहितकारी दैवी कार्य खूब व्यापक हो और समस्त विश्वमानव इससे लाभान्वित हो ! 

4. पूजा गोस्वामी लिखती है कि मैं तुलसी पौधो लगाउ...
हे #पूजा नीत कराउ 
करे साये कष्ट कनाई..
थारे #लक्ष्मी रहे घर माही
हे उतम तुलसी का घर शुद्ध करे हैं सबका
और वास्तु दोस मिटाए रे निजार सू बचाए.. 
#तुलसी_पूजन_दिवस

5. ज्योति शेखावत ने लिखा कि में हिंदू हूं ईसाई नहीं जो में क्रिश्मश मनाऊं...
ये देश सैंटा का नहीं है ये देश सन्तों का है ऋषि मुनियों का है। यहां कोई सेंटा नहीं आएगा, यहां तो विवेकानंद, दयानंद, दधीचि, शंकराचार्य आएंगे।।
यहां कोई जीसस नहीं आएगा बल्कि यहां राम, कृष्ण, माँ भवानी आएंगी।।
#तुलसी_पूजन_दिवस

6. रवि प्रसाद लिखते हैं कि देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हित चिंतक पूज्य Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित - #तुलसी_पूजन_दिवस !! 

7. सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके ने लिखा है कि
वैसे तो मैं रोज #तुलसी पूजन करता हूँ पर आज #25thDec_तुलसी_पूजन_दिवस पर #तुलसी_पूजन करते हुए। आप भी आज के दिन #तुलसी माँ के महत्व को समझे और अपनी रोज की दिनचर्या में इसे जरूर स्थान दें।

8. साध्वी निरंजन ज्योति ने लिखा कि तुलसी के पौधे की ‘जड़’ में सभी तीर्थ, ‘मध्य भाग (तना)’ में सभी देवी-देवता और ‘ऊपरी शाखाओं’ में सभी वेद यानी चारों वेद स्थित हैं. इसलिए इस मान्यता के अनुसार, तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है और इसके पूजन को मोक्षदायक कहा गया है । #तुलसी_पूजन_दिवस

इस प्रकार से अनेकों ट्वीटस हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोगों ने बापू आसाराम जी द्वारा प्रेरित #तुलसी पूजन  दिवस को सराहा भी और इस दिन को हिन्दू संस्कृति अनुसार मनाने का खुद भी आह्वाहन किया तथा औरों को भी प्रेरित किया ।


बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक #हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे #तुलसी पूजन का त्यौहार!!

आपको बता दें कि #डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके और भी कई बड़ी हस्तियां #आसारामजी #बापू को जेल में मिलकर आये थे और उन्होंने बताया कि #बापूजी ने देशहित के अतुलनीय कार्य किये है और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाई है, इसलिए उनको षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है।

आज तक देखने में आया है कि #बापू #आसारामजी के अनुयायियों ने अपने गुरुदेव से प्रेरणा पाकर हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति का समर्थन किया है । 

आज भले #बापू #आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित किये गए #सेवाकार्यों की सुवास #समाज में देखने को मिलती है। जैसे 14 फरवरी को #मातृ-पितृ पूजन दिवस, #गौ-पूजन, दीपावली पर गरीबों में भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, यात्रायें आदि आदि ।

पर मीडिया ने आज तक समाज को इस सच्चाई से अवगत नहीं कराया । जब भी बापू आसाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा उनके नाम के साथ बलात्कारी शब्द का उपयोग किया, सच तो ये है कि बापू आसाराम जी पर बलात्कार का आरोप ही नहीं हैं, छेड़छाड़ का आरोप लगाया है शाहजहांपुर की एक लड़की ने, अंतिम पड़ाव पर पहुँचे बापू के केस में कई सनसनीखेज खुलासे भी सामने आ रहे हैं जिसे मीडिया ने आजतक नहीं दिखाया ।

मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि  मीडिया विदेशी फंड से चलती है । इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है । इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं । ऐसी मीडिया पर आप कब तक भरोसा करेंगे ???

Sunday, December 24, 2017

भारत में भूल रहे हैं क्रिसमस डे, मना रहे हैं तुलसी पूजन दिवस

December 24, 2017


ईसाई समुदाय 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाते हैं, उसकी तैयारी पूर्व से होने लगती है, 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक क्रिसमस-डे के त्यौहार के नाम पर दारू पीना, मांस खाना, पार्टी में दुष्कर्म करना, महिलाओं से छेड़छाड़ी करना आदि,

ऐसे त्यौहार को कुछ भोले भारतवासी भी मनाने लगे थे पर अब धीरे-धीरे अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं ।

 पश्चिमी संस्कृति का क्रिसमस-डे मनाने जैसा त्यौहार नही है इसलिए भारत में ज्यादातर लोगों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए पहले से ही तुलसी पूजन शुरू कर दिया है, भारत ही नही बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।

यहाँ पर http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities। आप देख सकते हैं ,देश-विदेश में 25 दिसम्बर निमित्त तुलसी पूजन की धूम मची है।
India is forgetting Christmas Day, Tulsi Puja Day

ट्वीटर पर भी रविवार को #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस
 हैशटैग के जरिये लगातार ट्वीट्स देखने को मिल रही हैं । ये हैशटैग टॉप ट्रेंड में अपना स्थान बनाये हुए है ।


आइये जानते हैं कि क्या कहना चाह रहे हैं ये लोग ट्वीटर के माध्यम से...

1. नीलेश मकवाना लिखते हैं कि #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस के रूप में अवश्य मनाना चाहिए जिससे हमारे देश के युवा इसके महत्व को समझ सकें और तन-मन को स्वस्थ रखते हुए देश सेवा में अग्रसर हो ।

2. गार्गी पटेल लिखती है कि विज्ञान भी मानता है तुलसी सेवन से कैंसर नहीं होता है,और अन्य घातक रोगों का भी निवारण होता है तुलसी सेवन से।
#25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस 

3.हिन्दू किंग ने लिखा है कि तुलसी का पूजन, रोपण व धारण पाप को जलाता है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है | #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

4.कल्कि पटेल लिखती है कि "सबका मंगल, सबका भला" चाहने वाले पूज्य Asaram Bapu Ji ने #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस मनाने की सौगात समाज को दी है।

5. विनोद कुमार ने लिखा है कि तुलसी माता को सभी आरोग्य ग्रन्थों ने एकमत से संजीवनी बूटी माना है,जिनमें निहित आरोग्यता की शक्ति हमें सदैव स्वस्थ बनाए रखने में सहयोगी होती है।
#25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

6. कैलाश पुरोहित लिखते हैं कि संत Asaram Bapu Ji की प्रेरणा से #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस जिससे देश भर में लोग तुलसी की महत्ता से अवगत हो रहे हैं!

7. रवि सिंह ने लिखा है कि रोग में केवल तुलसी दल ग्रहण करने से ये बेहद असरकारक साबित होती है, ये दैवी गुणों से युक्त 100 रोगों की एक ही दवा है #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस 

8. संजय राय ने लिखा है कि तुलसी करती है तनाव को दूर, सर्दी, खाँसी व जुकाम से राहत दिलाती है , ऐसी सर्वगुण सम्पन्न तुलसी का पूजन क्यों न करे हम । #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस

9. दीपक मृगवानी लिखते हैं कि #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस के रूप में अवश्य मनाना चाहिए जिससे हमारे देश के युवा इसके महत्व को समझ सके और तन- मन को स्वस्थ रखते हुए देश सेवा में अग्रसर हों ।

10. गौरव मेहता कहते हैं कि तुलसी कम कैलोरी वाली जड़ी बूटी है, ये जलन सूजन कम करने और जीवाणु विरोधी गुणों से परिपूर्ण है । #25Dec_तुलसी_पूजन_दिवस


इसी प्रकार से आज हजारों ट्वीटस हमें देखने को मिली । जिसमें सभी लोग क्रिसमस नही बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाने की बात कहने के साथ-साथ खुद की तुलसी पूजन करके फोटोज अपलोड कर रहे हैं ।

केवल भारत के ही लोग नही बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे हैं ।

आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, शांति बढ़े व  जन-समाज का जीवन स्वस्थ और मंगलमय हो इस उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व को जनता ने खूब सराहा और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी । 

तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा

मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।

तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं ।

वैज्ञानिक भी तुलसी को मानते है लोहा...

डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।

अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25 दिसम्बर को तुलसी जी की पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।

Saturday, December 23, 2017

यीशु की कब्र पर उगा था तुलसी का पौधा, 25 दिसम्बर को क्यों मनायें 'तुलसी पूजन दिवस'?

December 23, 2017

हिंदुस्तान में तुलसीदास भी प्रसिद्ध है और तुलसी का पौधा भी, बल्कि अगर यों कहें कि यहां जन जीवन में तुलसी का पौधा बहुत महत्वपूर्ण है । अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा पाया जाता है, जिसकी सभी पूजा भी करते हैं ।  ग्रामीण या आम भाषा में लोग इसे तुलसा भी कहते हैं । 

इसी तुलसी के संबंध में विशेष बात यह है कि हिंदू धर्म में ही नहीं ईसाई धर्म में भी बहुत पवित्र माना गया है। अंग्रेजी में इसे "बेसिल" या "सेक्रेड बेसिल" यानी पवित्र तुलसी कहते हैं। और इसीलिए पवित्रता का बोध कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक नामकरण में जो कि लैटिन भाषा में होता है इसे "ओसीमम स्पेक्टम" कहा गया है।अंग्रेजी का बेसिल शब्द ग्रीक भाषा के "बेसीलि कोन" शब्द से व्युत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है राजसी। से फ्रांस वाले इसीलिए इसे 'ल प्लांती रॉयली' अर्थात रॉयल पौधा कहते हैं ईसाइयों में इसके पवित्र माने जाने का कारण यह है कि यही वह पौधा है जो ईसा मसीह यानी क्राइस्ट की कब्र पर ऊगा था तब से ईसाई द्वारा इसे पवित्र कहा जाने लगा।
The Tulsi plant was grown on the grave of Jesus, why should the Tulsi worship day
be celebrated on December 25?

इटली और ग्रीस के लोगों को भी बहुत पहले इसके गुप्त लक्षण यानी औषधीय गुणों का पता था। इसीलिए संत बेसिल दिवस को स्त्रियों द्वारा तुलसी की टहनियों को गिरजाघर में ले जाने और घर लौटने पर उन टहनियों को फर्श पर बिखरा देने की प्रथा रही है कि आने वाला वर्ष शुभकारी हो। इन टहनियों की कुछ पत्तियों को खा लेने और कुछ को अपने कबर्ड में चूहे व कीड़े भगाने के लिए प्रयुक्त करने की प्रथा भी है।

भारत में तुलसी की पत्ती व मंजरी को औषधी रूप में प्रयुक्त किया जाता है। छोटे बच्चे या शिशुओं को हिचकी आते समय इसकी पत्ती की एक बिंदी बच्चे के माथे पर लगा देते हैं। गंदे स्थानों या कीटाणुओं वाली जगहों से लौटने के बाद लोग तुलसी की पत्ती मुंह में रखकर चबा लिया करते हैं। चरणामृत के द्रव्यों में तुलसी की पत्ती एक प्रमुख अंश है। घरों में पूजा के जलपात्र में पानी के साथ तुलसीदल भी देवताओं को चढ़ाया जाता है हिंदू लोगों द्वारा अभी भी जनेऊ चूड़ी वगैरा टूटने पर पवित्र जगह यानि तुलसी के पास रख दिए जाते हैं। मरते समय आदमी के मुख में तुलसी की पत्ती रखे बिना संस्कार पूरा नहीं होता यह विधि वैज्ञानिक इसीलिए भी है कि मरते समय आदमी की साँस के किटाणु तुलसी से नष्ट हो जाए फैले नहीं और उधर कहते हैं कि तब तक प्राण पखेरू शांति से नहीं निकलते जब तक कि तुलसीदल न रखा जाए।

बहुत पहले से ही भारतीय लोग इसके औषधीय महत्व को जानते रहे हैं। यह वातावरण की वायु शुद्ध रखती है और मच्छर कीट पतंगों आदि को दूर भगाती हैं। इसकी तेज सुगंध अनेक रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देती है। खांसी,जुकाम,गले की बीमारियां,मलेरिया आदि में उबले पानी या चाय के साथ इसका सेवन लाभकारी होता हैं। इसीलिए स्त्रियों द्वारा इसकी पूजा का आरंभ हुआ होगा।इसके औषधीय और लाभकारी महत्व के कारण स्त्रियां इसे कठड़े, कनस्तर,गमले, बगीचा या घर आंगन के कोने में उगाने लगी होंगी। सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर इसका सिंचन और देखभाल करना ही शनै-शनै पूजा बन गई। फिर लाभकारी वस्तु की पूजा तो भारत की परंपरा रही है। 

स्त्रियां चूंकि धार्मिक अधिक होती है इसलिए धीरे-धीरे तुलसी के बिरवा की पूजा परिक्रमा करना,धूप दीप नैवेद्य रोली व अक्षत चढ़ाना तुलसी की शादी रचाना आदि अनेक बातें पूजा के अंतर्गत हो गई। कुछ लोग, जिनकी लड़कियां नहीं होती, तुलसी का विवाह रचाकर ही कन्यादान का पुण्य प्राप्त करते हैं। यदि माना कि इससे और कुछ न मिलता हो तो व्यस्त रहने के लिए धार्मिक और सामाजिक कर्म तो है ही यह। जो चीज मन को शांति दे, कितनी महान है वह चीज।

हिन्दू क्रिस्तानी या यूनानी लोगों के तुलसी वाले औषधि विश्वास को वैज्ञानिकों ने सच सिद्ध कर दिया है। इसकी एरोमा या सुगंध सचमुच रोगाणुनाशक संक्रमणहारी होती है। तुलसी के विभिन्न रासायनिक घटक और तत्व विभिन्न रोगों पर विविध प्रकार से प्रभाव डालते हैं। कुछ वर्ष पहले दिल्ली के अनुसंधान संस्थान ने इस बात को खोज निकाला कि तुलसी से जो तैलीय पदार्थ निकलता है वह टी.बी. या यक्षमा जैसे रोग का नाश कर डालता है। अभी इस क्षेत्र में अधिक अनुसंधान नहीं हुए हैं और उसके अनेक गुणों पर पर्दा पड़ा हुआ है, लेकिन आशा है कि वैज्ञानिक शीध्र ही संबदध रहस्यों का पर्दाफाश करेंगे कि उनसे उत्तरोत्तर लाभान्वित हो सके।
(स्रोत्र : 10 वीं कक्षा, कक्षा इंग्लिश मीडियम, महाराष्ट्र)

गौरतलब है कि हिन्दू संत आसारामजी बापू ने वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाया।  करोड़ो की तादाद में जनता ने बापू आसारामजी के इस अभियान को अपनाया है ।इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।

25 दिसम्बर को क्यों मनायें 'तुलसी पूजन दिवस'?

इन दिनों में बीते वर्ष की विदाई पर पाश्चात्य अंधानुकरण से नशाखोरी, आत्महत्या आदि की वृद्धि होती जा रही है। तुलसी उत्तम अवसादरोधक एवं उत्साह, स्फूर्ति, सात्त्विकता वर्धक होने से इन दिनों में यह पर्व मनाना वरदानतुल्य साबित होगा।

धनुर्मास में सभी सकाम कर्म वर्जित होते हैं परंतु भगवत्प्रीतिर्थ कर्म विशेष फलदायी व प्रसन्नता देने वाले होते हैं। 25 दिसम्बर धनुर्मास के बीच का समय होता है।

Friday, December 22, 2017

क्रिसमस पर कई देशों ने लगा रखा है बेन, फिर भारत में क्यों मना रहे हैं ??

December 22, 2017

भारत एक ऐसा देश है जहां जिन आक्रमणकारी अंग्रेजों ने 200 साल तक देश को गुलाम बनाये रखा, भारत की संपत्ति लूटकर ले गये, अत्याचार किये, बहन-बेटियों की इज्जत लूटी, जिनसे भारत आज़ाद कराने में न जाने कितने देशवासियों ने अपने प्राणों को आहुति दे दी, उसकी कद्र किये बिना आज भी उन अंग्रेजो के बनाये त्यौहार क्रिसमस को मनाया जा रहा है ।

दुनिया में कई देशों में क्रिसमस पर प्रतिबंध लगा दिया है, उन देशों ने कारण बताया है कि हमारे देश की संस्कृति के विरुद्ध है, फिर भारत जहां की संस्कृति नष्ट करने के लिए ईसाई मिशनरियां अरबों खरबों रुपए लगा रही है वो क्यो ये त्यौहार मना रहे हैं ??

ब्रुनई देश में क्रिसमस पर प्रतिबंध
Many countries have put together the bay, why are they celebrating in India?

ब्रुनई देश के सुलतान ने 2015 से क्रिसमस पर बेन लगा दिया है, सुलतान ने तो क्रिसमस मानने वालों के लिए सख्त कानून बना दिया है, सुलतान ने कहा कि "यहां कोई भी क्रिसमस मनाते पकड़ा गया तो पांच साल तक कैद में डाल दिया जाएगा। यहाँ तक क़ि किसी को भी इस मौके पर बधाई देते हुए भी पाया गया या किसी ने सैंटा टोपी भी पहनी तो कैद की सजा भुगतनी होगी।"

उन्होंने कहा क़ि, क्रिसमस उत्सव के दौरान लोग क्रॉस धारण करते हैं, कैंडल जलाते हैं, क्रिसमस ट्री बनाते हैं, उनके धार्मिक गीत गाते हैं, क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके धर्म की प्रशंसा करते हैं। ये सारी गतिविधियाँ हमारे देश के विरूद्ध हैं। क्रिसमस के उत्सव से हमारी आस्था प्रभावित होती है।’ 

सोमालिया देश में क्रिसमस पर प्रतिबंध

सोमालिया देश की सरकार ने भी 2015 से क्रिसमस का जश्न मनाने पर रोक लगा दी है। सरकार ने चेताया कि इससे देश की जनता की आस्थाओं को खतरा हो सकता है।


उत्तर कोरिया में क्रिसमस पर प्रतिबंध

उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग ने क्रिसमस मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। किम जोंग ने क्रिसमस की जगह अपनी दादी किम जोंग सुक का जन्मदिन मनाने का फरमान सुनाया।

2014 में भी उत्तर कोरिया में क्रिसमस पर बैन लगा दिया गया था। यही नहीं बड़े क्रिसमस ट्री को भी हटाने का फैसला किया था। दक्षिणी कोरिया की ओर से लगाए गए बड़े क्रिसमस ट्री को हटाया गया। खुद किम जोंग क्रिसमस पर लगाए जाने वाले इन पेड़ों से नफरत करते हैं। प्योंगयांग में किसी भी दुकान या रेस्त्रां से इन्हे हटा दिया जाता है। कोरिया में सबसे ज्यादा ईसाई लोग प्योंगयांग में ही रहते हैं। यहां पर मानव अधिकार की बात करने वाले 50 हजार से 70 हजार ईसाइयों को जेलों के अंदर बंद कर दिया गया। 

चीनी विश्वविद्यालय में क्रिसमस पर प्रतिबंध, 

चीन के पूर्वोत्तर प्रांत लिआओनिंग में स्थित शेनयांग फार्मास्युटिकल विश्वविद्यालय ने छात्रों को जारी अपने नोटिस में उनसे परिसर में किसी भी तरह का पश्चिमी त्यौहार जैसे क्रिसमस आयोजित नहीं करने के लिए कहा।

छात्र संगठन यूथ लीग ने कारण बताते हुए कहा कि कुछ नौजवान पश्चिमी त्यौहार को लेकर आंख मूंद कर उत्साहित रहते हैं, खासकर क्रिसमस संध्या या क्रिसमस के दिन और पश्चिमी संस्कृति से बचने की जरूरत है। 

चीन में यह पहली बार नहीं है जब किसी शैक्षणिक संस्थान ने क्रिसमस पर प्रतिबंध लगाया है। चीन में ऐसा मानना है कि पश्चिमी या विदेशी संस्कृति चीन की प्राचीन संस्कृति का क्षय कर देगी।


धन्यवाद है उन देशों को जिन्होंने इतनी छोटी आबादी वाले देश में भी क्रिसमस न मनाने का आदेश जारी किया ।

एक हमारा भारत देश जहाँ धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म की ही जड़े काटी जा रही है।

सभी धर्म का सम्मान हो सकता है लेकिन सभी धर्म समान नही हो सकते।

हिन्दू धर्म सनातन धर्म है। ये कब से शुरू हुआ कोई नही जानता। भगवान राम भी इसी सनातन धर्म में प्रगटे और भगवान श्री कृष्ण भी।

उन देशों में क्रिसमस मनाने से वहाँ की संस्कृति नष्ट होने की आशंका है तो भारत में हम क्यों ये क्रिसमस मनाये। जबकि भारत तो ऋषि-मुनियों का देश है।

देशवासियों को सावधान होना होगा, दारू पीने वाली, गौ-मास खाने वाले, पराई स्त्रियों के साथ डांस और शारिरिक संबंध बनाने वाले पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करके उनका त्यौहार क्रिसमस न मानकर उस दिन तुलसी पूजन करें।


क्रिसमस ट्री बनाने में सामग्री व्यर्थ न गंवाएं, क्योंकि क्रिसमस ट्री यदि पेड़ों को काटकर बनाएगे तो करोड़ों पेड़ कटते हैं, यदि प्लास्टिक ट्री  हो तो करोड़ों किलोग्राम कैंसरकारक नष्ट नहीं हो सकने वाला रासायनिक कचरा बनता है। 

अतः 25 दिसम्बर को 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली तुलसी पूजन करें ।


गौरतलब है कि अपने सनातन धर्म की गरिमा से जन-जन को अवगत कराने और देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति का वातावरण बनें और जन-मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू ने वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन' दिवस शुरू करवाया 
जो कि पिछले तीन सालों से इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी है।

सुख-शांति, समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी तुलसी ‘माता' अति पवित्र एवं पूजनीय मानी गयी है ।
भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा-विधि ‘तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।

तुलसी आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक - तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख-समृद्धि देनेवाली है 
तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढता है।

स्कंद पुराण के अनुसार ‘जिसके घर में तुलसी की लकडी अथवा तुलसी का हरा या सूखा पत्ता होता है, उसके घर में कलियुग का पाप नहीं फैलता ।'

आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं का नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महौषधि है, अमृत है।
आज मानव-जाति जिन रोगों से ग्रस्त है, उनमें से अनेकानेक रोगों को तुलसी के द्वारा सरलतापूर्वक दूर किया जा सकता है 
तुलसी एक, लाभ अनेक........!!!

अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि 25  दिसम्बर को क्रिसमस डे न मनाकर 'तुलसीपूजा के रूप में मनायेगे।

Thursday, December 21, 2017

जानिए 25 दिसम्बर क्रिसमस और संता क्‍लॉज का वास्तविक इतिहास

December 21, 2017

🚩 यूरोप, अमेरिका आदि ईसाई देशों में इस समय #क्रिसमस डे की धूम है। लेकिन अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है। 

🚩 भारत में भी कुछ भोले-भाले हिन्दू क्रिसमस की बधाई देते हैं और उनके साथ क्रिसमस मनाते हैं पर उनको भी नही पता है कि क्रिसमस क्यों मनाई जाती है।
Know the actual history of Christmas and Santa Claus 25 December

🚩कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत #ईसा मसीह का जन्मदिन होता है पर #सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। #एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था ।


🚩वास्तव में #पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘#मकर संक्रांति' पर्व आता था और #यूरोप-अमेरिका आदि देश धूम-धाम से इस दिन #सूर्य उपासना करते थे । #सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण #मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।

🚩सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। #सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है। जिसके अनुसार 22 दिसंबर को #सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। #इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे।

🚩विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार #सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से #क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया । 

🚩ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख #पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई।

🚩पूरे #यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए। उसी में #निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को #सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक #भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी। इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था। और बाद में #पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया। 

🚩आपको बता दें कि #यीशु ने #भारत के कश्मीर में ऋषि मुनियों से साधना सीखकर 17 साल तक #योग किया था बाद में वे रोम देश में गये तो वहाँ उनके स्वागत में पूरा रोम शहर सजाया गया और मेग्डलेन नाम की #प्रसिद्ध वेश्या ने उनके पैरों को इतर से धोया और अपने रेशमी लंबे बालों से यीशु के पैर पोछे थे ।

🚩बाद में #यीशु के अधिक लोक संपर्क से #योगबल खत्म हो गया और बाद में उनको सूली पर चढ़ा दिया गया तब पूरा रोम शहर उनके खिलाफ था । रोम शहर में से केवल 6 व्यक्ति ही उनके सूली पर चढ़ने से दुःखी थे ।

🚩क्या है #क्रिसमस और संता क्‍लॉज का कनेक्शन?

🚩क्या आप जानते हैं कि #जिंगल बेल गाते हुए और लाल रंग की ड्रेस पहने संता क्‍लॉज का क्रिसमस से क्या रिश्ता है..?

🚩संता क्‍लॉज का #क्रिसमस से कोई संबंध नहीं!!

आपको जानकर हैरत होगी कि #संता क्‍लॉज का क्रिसमस से कोई संबंध नहीं है।

🚩ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि #तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप #संत निकोलस के नाम पर सांता क्‍लॉज का चलन करीब चौथी सदी में शुरू हुआ था, वे गरीब और बेसहारा बच्‍चों को तोहफे दिया करते थे।


🚩#अब न यीशु का क्रिसमिस से कोई लेना देना है और न ही संता क्‍लॉज से ।
फिर भी #भारत में पढ़े लिखे लोग बिना कारण का पर्व मनाते हैं ये सब #भारतीय #संस्कृति को खत्म करके #ईसाईकरण करने के लिए #भारत में  #क्रिसमस डे मनाया जाता है। इसलिये आप #सावधान रहें ।

🚩ध्यान रहे हिन्दुओं का #नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है ।

हिन्दू महान #भारतीय #संस्कृति के महान ऋषि -मुनियों की #संतानें हैं इसलिये दारू पीने वाला-मांस खाने वाला #अंग्रेजो का #नववर्ष मनाये ये भारतीयों को शोभा नहीं देता है ।
🚩क्या अंग्रेज भारतीय #नव वर्ष मनाते है ?
नही!!
फिर भारतीय क्यों उनका #नववर्ष मनाएं..???


🚩भारत में जितने #सरकारी कार्य है वो 31 मार्च को बन्द होकर 2 अप्रैल से नये तरीके से शुरू होते हैं क्योंकि भारतीय नववर्ष उसी समय आता है ।

🚩 हिन्दू #संतों ने हमें सदा भारत की दिव्य #संस्कृति से परिचित कराया है और आज भी #हिन्दू #संत #हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे हैं। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है।

🚩अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन #मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से हिदू #संत #आसाराम #बापू ने 25 दिसम्बर "तुलसी पूजन दिवस" के रूप में शुरू करवाया, भारतवासी भी 25 दिसम्बर #तुलसी पूजन करके मनाये।

🚩तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है,मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है।

🚩 मरने के बाद भी #मोक्ष देनेवाली #तुलसी पूजन की महता बताकर जन-मानस को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषिविज्ञान से परिचित कराया हिन्दू संतों ने।

🚩धन्य है ऐसे #संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर #संस्कृति की सेवा में आज भी सेवारत हैं ।

🚩 25 दिसम्बर को प्लास्टिक के पेड़ पर बल्ब जलाने की बजाय 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाली माता तुलसी का पूजन करें।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻


🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk


🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ