Wednesday, January 3, 2018

हिन्दू अपना सामान पैक करें और कश्मीर छोड़ कर चले जाए :उर्दू अखबार

 अखबार(4/1/1990)

January 3, 2018

कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था ! कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे ! कश्मीरी पंडितों की संस्कृति 5000 साल पुरानी है और वो कश्मीर के मूल निवासी हैं, इसलिए अगर कोई कहता है कि भारत ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया है यह सरासर गलत है ! 
Hindus pack their bags and leave Kashmir: Urdu Newspaper

अत्याचार की यह दास्ताँ शुरू होती है 14वीं शताब्दी से, जब तुर्किस्तान से आये एक क्रूर आतंकी मुस्लिम दुलुचा ने 60,000 लोगो की सेना के साथ कश्मीर पर आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की ! दुलुचा ने नगरों और गाँव को नष्ट कर दिया और हजारों हिन्दुओ का नरसंहार किया ! बहुत सारे हिन्दुओ को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया ! बहुत सारे हिन्दू जो इस्लाम नहीं कबूल करना चाहते थे, उन्होंने जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकी भाग गए या क़त्ल कर दिए गए या इस्लाम कबूल कर मुसलमान बन गए ! आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को अत्याचार पूर्वक जबरदस्ती मुस्लिम बनाया गया था !

1947 में ब्रिटिश संसद के "इंडियन इंडीपेनडेंस एक्ट" के अनुसार ब्रिटेन ने तय किया कि तत्कालीन राजा महाराजा जैसा चाहे निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं | वे चाहे तो पाकिस्तान के साथ विलय करें अथवा भारत के साथ रहें ! 150 राजाओं ने पाकिस्तान चुना और बाकी 450 राजाओ ने भारत, केवल एक जम्मू और कश्मीर के राजा बच गए थे जो फैसला नहीं कर पा रहे थे ! किन्तु जब पाकिस्तान ने कवायली फौज भेजकर कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर के राजा ने भी हिंदुस्तान में कश्मीर के विलय के लिए दस्तख़त कर दिए ! अंग्रेजों ने उस समय यही कहा था कि राजा ने अगर एक बार दस्तखत कर दिया तो उसके बाद जनमत संग्रह की जरुरत नहीं है ! तो जिन कानूनों के आधार पर भारत और पाकिस्तान बने थे उन नियमो के अनुसार कश्मीर पूरी तरह से भारत का अंग बन गया था, अतः पाकिस्तान का यह कहना कि कश्मीर पर भारत ने जबरदस्ती कब्ज़ा कर रहे है वो बिलकुल झूठ है !

फिर शुरू हुआ कश्मीर घाटी को हिदू विहीन बनाने का षड्यंत्र !
 सितम्बर 14, 1989 बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील कश्मीरी पंडित तिलक लाल तप्लू का JKLF ने क़त्ल कर दिया ! उसके बाद जस्टिस नील कान्त गंजू को गोली मार दी गई ! एक के बाद एक अनेक कश्मीरी हिन्दू नेताओ की हत्या कर दी गयी ! उसके बाद 300 से ज्यादा हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की नृशंस हत्या की गयी ! श्रीनगर के सौर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में काम करने वाली एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गयी ! यह खूनी खेल चलता रहा और हैरत की बात यह है कि तत्कालीन राज्य एवं केंद्र सरकारों ने इस गंभीर विषय पर कुछ नहीं किया ! 

जनवरी 4, 1990 आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार ने हिज्ब -उल -मुजाहिदीन की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की - "सभी हिन्दू अपना सामान पैक करें और कश्मीर छोड़ कर चले जाए।" 

एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा ने भी इस निष्कासन आदेश को दोहराया ! मस्जिदों में भारत और हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे ! सभी कश्मीरी हिन्दू/मुस्लिमो को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाये ! सिनेमा और विडियो पार्लर वगैरह बंद कर दिए गए ! लोगो को मजबूर किया गया कि वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के अनुसार कर लें !

जनवरी 19, 1990 सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट लगा दिया गया, जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ कर भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ" ! 

पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमो को भारत से आजादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया ! सारे कश्मीर के मस्जिदों में एक टेप चलाया गया ! जिसमे मुस्लिमो को कहा गया कि वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें ! 

उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सड़कों पर उतर आये ! उन्होंने कश्मीरी पंडितो के घरो को जला दिया, कश्मीर पंडित महिलाओ का बलात्कार करके, फिर उनकी हत्या करके उनके नग्न शरीर को पेड़ पर लटका दिया गया ! कुछ महिलाओ को जिन्दा जला दिया गया और बाकियों को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया ! बच्चो को स्टील के तार से गला घोटकर मार दिया गया ! कश्मीरी महिलाये ऊंचे मकानों की छतो से कूद कूद कर जान देने लगी ! और देखते ही देखते कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में विस्थापित होकर दरदर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए |

कितनी हैरत की बात है कि कश्मीरी मुस्लिम, एक ओर तो कश्मीरी हिन्दुओ की हत्या करते रहे और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोते भी रहे कि उन पर अत्याचार हुआ है और इसलिए उनको भारत से आजादी चाहिए ! 

कश्मीरी पंडितो के पलायन की कहानी 

3,50,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए ! कश्मीरी पंडित जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और अब कश्मीरी मुस्लिम कहते है कि उन्हें आजादी चाहिए ! यह सब कुछ चलता रहा लेकिन सेकुलर मीडिया चुप रही ! देश- विदेश के लेखक चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, सारे सेकुलर चुप रहे ! किसी ने भी 3,50,000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा ! आज भी अपने देश के मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में व्यस्त है ! वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमों के साथ साथ 310 हिन्दू भी मरे थे और यह भी कभी नहीं बताते कि दंगो की शुरुआत आखिर की किसने, आखिर 59 हिन्दुओं को भी तो गोधरा में ट्रेन में जिन्दा जला दिया था ! हिन्दुओं पर अत्याचार के बात की रिपोर्टिंग से कहते है की अशांति फैलेगी, लेकिन मुस्लिमो पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती ! क्या यही है सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) पत्रकारिता ! 

कश्मीरी पंडितो की आज की स्थिति

आज 4.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने देश में ही शरणार्थी की तरह रह रहे है ! पूरे देश या विदेश में कोई भी नहीं है उनको देखने वाला ! उनके लिए तो मीडिया भी नहीं है जो उनके साथ हुए अत्याचार को बताये ! कोई भी सरकार या पार्टी या संस्था नहीं है जो कि विस्थापित कश्मीरियों को उनके पूर्वजों के भूमि में वापस ले जाने की बात करे ! कोई भी नहीं इस इस दुनिया में जो कश्मीरी पंडितो के लिए "न्याय" की मांग करे ! पढ़े लिखे कश्मीरी पंडित आज भिखारियों की तरह पिछले 24 सालो से टेंट में रह रहे है ! उन्हें मूलभुत सुविधाए भी नहीं मिल पा रही है, पीने के लिए पानी तक की समस्या है ! भारतीय और विश्व की मीडिया, मानवाधिकार संस्थाए गुजरात दंगो में मरे 750 मुस्लिमो (310 मारे गए हिन्दुओ को भूलकर) की बात करते है, लेकिन यहाँ तो कश्मीरी पंडितो की बात करने वाला कोई नहीं है क्योकि वो हिन्दू है ! 20,000 कश्मीरी हिन्दू तो केवल धुप की गर्मी सहन न कर पाने के कारण मर गए क्योकि वो कश्मीर के ठन्डे मौसम में रहने के आदी थे !

अभी तो उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर में 27 वर्ष पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की दोबारा जांच के निर्देश देने से इनकार कर दिया है । अब तो कश्मीरी पंडितों के लिये कोई चारा बचा ही नही है।

कश्मीरी पंडितो और भारतीय सेना के खिलाफ भारतीय मीडिया का षड्यंत्र -

आज देश के लोगो को कश्मीरी पंडितो के मानवाधिकारों के बारे में भारतीय मीडिया नहीं बताती है लेकिन आंतकवादियों के मानवाधिकारों के बारे में जरुर बताती है ! आज सभी को यह बताया जा रहा था है की ASFA नामक कानून का भारतीय सेना द्वारा काफी ज्यादा दुरूपयोग किया जाता है ! कश्मीर में अलगावादी संगठन मासूम लोगो की हत्या करते है और भारतीय सेना के जवान जब उन आतंकियों के खिलाफ कोई करवाई करते है, तो यह अलगावादी नेता अपने खरीदी हुई मीडिया की सहायता से चीखना चिल्लाना शुरू कर देते है, कि देखो हमारे ऊपर कितना अत्याचार हो रहा है !

हिंदुस्तान में #सेक्युलर राजनीति #सेक्युलर नेता, #सेक्युलर लोकतंत्र, #सेक्युलर संविधान, #सेक्युलर न्यायापालिका हिन्दुस्तान में हिन्दुओं को किसी से भी उम्मीद रखने की जरूरत नही है।

हिन्दुस्तान में #हिंदुओं को सरकार, #न्यायालय द्वारा इसलिए कोई सहायता या न्याय नही मिल रहा है क्योंकि हिंदुओं में एकता नही है, जिस दिन #एकता हो जायेगी उस दिन हर जगह से न्याय मिलने लगेगा ।

Tuesday, January 2, 2018

मदरसे में अंग्रेजी पढ़ते हैं तो संस्कृत में क्या दिक्कत है? पढ़ाई जाएगी संस्कृत : सिब्ते नबी


January 2, 2018

संस्कृत भाषा ही एक मात्र साधन हैं, जो क्रमशः उंगलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं।  इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है। वैदिक ग्रंथों की बात छोड़ भी दी जाए, तो भी संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरंतर होती आ रही है। संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु एक विचार भी है। संस्कृत एक भाषा मात्र नहीं, बल्कि एक संस्कृति है और संस्कार भी है। संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भी है ।
If you study English in madarsas then what is the problem in Sanskrit? Sanskrit will be taught: Sibte nabi

एक तरफ विदेशों में भी संस्कृत की पढ़ाई शुरू कर दी गई है दूसरी ओर भारतीय संस्कृति की पहचान संस्कृत से है और संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है पर आज के समय में संस्कृत को लोग भूलते जा रहे हैं और इसी का परिणाम है संस्कृत भाषा आज हमें समझने में दिक्कत आ रही है पर अब संस्कृत को बचाने की कवायद देव भूमि उत्तराखंड से शुरू हुई है। 

उत्तराखंड में मुस्लिम लोग मदरसों और इस्लामिक स्कूलों में संस्कृत पढ़ाने की योजना बना रहे हैं।  इस योजना को अगले एकेडमिक सेशन में शुरू किया जा सकता है। मुस्लिम लोग मदरसों और इस्लामिक स्कूलों में संस्कृत पढ़ाने के पीछे की वजह बताई जा रही है कि इस उद्देश्य से योग और आयुर्वेद से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकेगी। 

मदरसा वेलफेयर सोसाइटी उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले के करीब 207 मदरसों का संचालन करती है। इन मदरसों में करीब 25 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। 

इन 207 मदरसों के लिए मदरसा वेलफेयर सोसाइटी ने संस्कृत भाषा को एक विषय के रूप में पढ़ाए जाने की पेशकश की है। 

आपको बता दें कि इस सोसाइटी के चेयरमैन सिब्ते नबी हैं। उन्होंने कहा है कि मदरसों में पहले से ही मॉडर्न एजुकेशन के तहत हिंदी, अंग्रेजी, साइंस और गणित पढ़ाया जा रहा है, अब संस्कृत भाषा भी पढ़ाई जायेगी ।

अंग्रेजी पढ़ते हैं तो संस्कृत में क्या दिक्कत है?

संस्कृत को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर सिब्ते नबी का कहना है कि हम अंग्रेजी अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जो कि एक विदेशी जुबान है तो फिर पुरानी भारतीय भाषा को क्यों ना पढ़ाया जाए। 

उन्होंने कहा कि एक और भाषा को सीखने से बच्चों की नॉलेज में इजाफा होगा और उन्हें भविष्य में भी इसका फायदा होगा। सिब्ते नबी का कहना है कि हम आयुर्वेद की पढ़ाई भी बच्चों के लिए चाहते हैं और आयुर्वेद संस्कृत की जानकारी के बिना मुश्किल है। ऐसे में संस्कृत की जानकारी के बाद बच्चे मेडिकल में अच्छी तरह कैसे परिपक्व हो सकते हैं ।

संस्कृत मुसलमानों के लिए कोई एलियन जुबान नहीं

उधमसिंग नगर के खिच्चा स्थित मदरसे के मैनेजर मौलाना अख्तर रजा ने कहा कि इसे इस तरह से नहीं देखना चाहिए कि मुसलमान भला संस्कृत कैसे पढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत मुसलमानों के लिए कोई दूसरे ग्रह से आई एलियन जुबान नहीं है। कई मुसलमान संस्कृत के अच्छे विद्वान हैं और इसे धर्म के खांचे में फिट करना ठीक नही होगा।

संस्कृत भाषा का उद्भव ध्वनि से

सूर्य के एक ओर से 9 रश्मिया निकलती हैं और सूर्य के चारो ओर से 9 भिन्न भिन्न रश्मियों के निकलने से कुल निकली 36 रश्मियों की ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने और इन 36 रश्मियों के पृथ्वी के आठ वसुओ से टकराने से 72 प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती हैं । जिनसे संस्कृत के 72 व्यंजन बने। इस प्रकार ब्रह्माण्ड से निकलने वाली कुल #108 ध्वनियों पर #संस्कृत की #वर्णमाला आधारित है। ब्रह्मांड की इन ध्वनियों के रहस्य का ज्ञान वेदों से मिलता है। इन ध्वनियों को नासा ने भी स्वीकार किया है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन ऋषि मुनियों को उन ध्वनियों का ज्ञान था और उन्ही ध्वनियों के आधार पर उन्होने पूर्णशुद्ध भाषा को अभिव्यक्त किया। अतः #प्राचीनतम #आर्य भाषा जो ब्रह्मांडीय संगीत थी उसका नाम “#संस्कृत” पड़ा। संस्कृत – संस् + कृत् अर्थात श्वासों से निर्मित अथवा साँसो से बनी एवं स्वयं से कृत , जो कि ऋषियों के ध्यान लगाने व परस्पर-संप्रक से अभिव्यक्त हुयी। 

कालांतर में पाणिनी ने नियमित व्याकरण के द्वारा संस्कृत को परिष्कृत एवं सर्वम्य प्रयोग में आने योग्य रूप प्रदान किया।

संस्कृत की सर्वोत्तम शब्द-विन्यास युक्ति के, गणित के, कंप्यूटर आदि के स्तर पर नासा व अन्य वैज्ञानिक व भाषाविद संस्थाओं ने भी इस भाषा को एकमात्र वैज्ञानिक भाषा मानते हुये इसका अध्ययन आरंभ कराया है और भविष्य में भाषा-क्रांति के माध्यम से आने वाला समय संस्कृत का बताया है। 

अतः अंग्रेजी बोलने में बड़ा गौरव अनुभव करने वाले, अंग्रेजी में गिटपिट करके गुब्बारे की तरह फूल जाने वाले कुछ महाशय जो संस्कृत में दोष गिनाते हैं उन्हें कुँए से निकलकर संस्कृत की वैज्ञानिकता का एवं संस्कृत के विषय में विश्व के सभी विद्वानों का मत जानना चाहिए।
काफी शर्म की बात है कि भारत की भूमि पर ऐसे खरपतवार पैदा हो रहे हैं जिन्हें अमृतमयी वाणी संस्कृत में दोष व विदेशी भाषाओं में गुण ही गुण नजर आते हैं वो भी तब जब विदेशी भाषा वाले संस्कृत को सर्वश्रेष्ठ मान रहे हैं ।

अतः जब हम अपने बच्चों को कई विषय पढ़ा सकते हैं तो संस्कृत पढ़ाने में संकोच नहीं करना चाहिए। देश विदेश में हुए कई शोधो के अनुसार संस्कृत मस्तिष्क को काफी तीव्र करती है जिससे अन्य भाषाओं व विषयों को समझने में काफी सरलता होती है , साथ ही यह सत्वगुण में वृद्धि करते हुये नैतिक बल व चरित्र को भी सात्विक बनाती है। अतः सभी को यथायोग्य संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए।

Monday, January 1, 2018

देशभर में युवा सेवा संघ ने किया व्यसन मुक्त भारत अभियान, मीडिया ने गायब कर दी खबर


January 1, 2018

हमारे देश का भविष्य हमारी युवा पीढ़ी पर निर्भर है किन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव में वह आज गुमराह हो रही है । देश की रीढ़ की हड्डी युवा माना जाता है, अगर देश के युवाओं को कमजोर कर दिया तो देश का पतन निश्चित ही है । युवा वर्ग है जो अपने देश के सुदृढ़ भविष्य का आधार है ।

आज पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करके युवा अपनी संस्कृति को भूलता जा रहा है, भारत का यही युवावर्ग जो पहले देशोत्थान एवं आध्यात्मिक रहस्यों की खोज में लगा रहता था, वही अब व्यसन और कामिनियों के रंग-रूप के पीछे पागल होकर अपना अमूल्य जीवन व्यर्थ में खोता जा रहा है।
Youth Service Association made a nationwide addiction-free campaign, disappeared news from the media

विदेशी चैनल, चलचित्र, अश्लील साहित्य आदि प्रचार माध्यमों के द्वारा पश्चिमी संस्कृति की तरफ जो युवाओं का रुझान हो रहा है यह देश के लिए खतरे की घंटी है, इसमें भी वेलेंटाइन डे और क्रिसमस डे से 1 जनवरी तक जो पश्चिमी संस्कृति के त्यौहार है वो तो युवाओं को पूरी तबाही की ओर ले जाने वाले हैं । उसमें 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तो जमकर शराब पीते हैं, मादक पदार्थों का सेवन, सिगरेट, चाय आदि व्यसनों में डूबे रहते हैं जिससे युवाओं का जीवन निस्तेज हो जाता है फिर धीरे-धीरे उनका पतन होता जाता है फिर वे देश-समाज के लिए कुछ करने लायक नही रहते है।

अंग्रेजी नूतन वर्ष को मनाने हेतु शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार में गर्क होने से अपने देशवासी बच जायें इस उद्देश्य से राष्ट्र जागृति लाने के लिए तथा विधर्मियों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों के प्रति देशवासियों को जागरूक कर भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए युवासेवा संघ ने 31 दिसम्बर को देश-भर में व्यसन मुक्ति अभियान चलाया जिसमें व्यसन जागृति अभियान, व्यसन मुक्ति प्रदर्शनी लगाई एवं साहित्य, पेम्पलेट आदि बांटकर एवं नुक्कड़ नाटक आदि के द्वारा युवाओं को नशे से होने वाले कुप्रभाव से बचने के लिए जागृत किया।

देशभर में अहमदाबाद, दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, कानपुर, आगरा, हैदराबाद, नागपुर, पटना, मथुरा, रायपुर, बेंगलोर, अंबाला आदि अनेक जगहों पर युवाओं को व्यसन छोड़ने का संकल्प भी दिलवाया । http://yss.ashram.org

आपको बता दें कि ट्वीटर पर भी 31 दिसम्बर को #व्यसन_मुक्त_भारत हैश टेग ट्वीटर पर टॉप में ट्रेंड भी कर रहा था ।

युवा सेवा संघ ने इतना बड़ा भव्य कार्यक्रम देश-भर में किया लेकिन हमारी भारत की मीडिया इसको दिखाने के लिए राजी नही है, वो तो केवल पश्चिमी जगत का त्यौहार दिखाने में व्यस्त थी जिससे युवकों का और भी पतन हो।

आपको बता दें कि युवा सेवा संघ की स्थापना हिन्दू संत आसाराम बापू की प्रेरणा से की गई है, बापू आशारामजी ने युवाओं को पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से बचने के लिए युवा सेवा संघ की स्थापना की । इनका युवा सेवा संघ देशभर में फैला हुआ है और संस्कार सभाओं, व्यसन मुक्त अभियान एवं बह्मचर्य आदि की महिमा बताकर युवाओं को जगाकर भारतीय संस्कृति की ओर लाने का भरपूर प्रयास कर रहा है। इसके अलावा भूकम्प, सुनामी आदि आपदाओं में भी हमेशा आगे आकर सेवाकार्य करता है। 

पाश्चात्य आचार-व्यवहार के अंधानुकरण से युवानों में जो फैशनपरस्ती, अशुद्ध आहार-विहार के सेवन की प्रवृत्ति कुसंग, अभद्रता, चलचित्र-प्रेम आदि बढ़ रहे हैं उससे दिनोंदिन उनका पतन होता जा रहा है |
इन सबसे बचाने के लिए युवा सेवा संघ मुख्य भूमिका निभा रहा है ।

नशे का वैश्विक बाजार युवा शक्ति को निर्बल करने का अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है। देश कमजोर करने के लिए भारत में नशा वृद्धि की जा रही है ।

हंड की एक रिपोर्ट के अनुसार 76 फीसदी फिल्मों में तंबाकू और 72 फीसदी फिल्मों में सिगरेट/ शराब का सेवन धड़ल्ले से दिखाया जाता है। 

नशे का प्रभाव केवल देश की अर्थव्यवस्था पर नहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार, विवाह संबंधों, रोजगार, व्यक्तित्व विकास, नियम-कानून का उल्लंघन, अनुशासनहीनता आादि पर भी पड़ता है। 

देश में प्रतिवर्ष धूम्रपान करने से दस लाख लोगों की मौत होती है, जो कुल मौतों का दस फीसदी है। 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में धूम्रपान की लत बढ़ी है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में यह वृद्धि छब्बीस फीसदी है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह अड़सठ फीसदी है।

एक राष्ट्रीय दैनिक में छपी रिपोर्ट के अनुसार 2016 में भारत नशाखोरी में दुनिया में दूसरे स्थान पर रहा । जो एक भयावय आंकड़ा है। 

इन सबसे बचने के लिए हिन्दू संत आसाराम बापू प्रेरणा से चल रहे युवा सेवा संघ द्वारा सराहनीय कार्य किये जा रहा हैं पर मीडिया इन सब चीजों को नहीं बताकर समाज में केवल नकारात्मक झूठी बाते फैला रही है वो भी देश के लिए चिंताजनक स्थिति है।

Sunday, December 31, 2017

अंग्रेजों के नए साल का कवि, पुजारी, नेता और हिन्दू संगठन क्यों कर रहे हैं विरोध?


December 31, 2017

हिंदू समाज अपनी संस्कृति और परम्पराओं से दिनोदिन दूर होता जा रहा है। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण के कारण हिन्दू इतने आधुनिक बनते जा रहे हैं कि न उन्हें गीता का ज्ञान है और न हिंदू रीति रिवाजों का मान । वेद और ग्रंथों के अध्ययन से तो वे लाखो कोष दूर हैं। समय-समय पर हिन्दू धर्म रक्षक हिदुओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जगाते रहे हैं ।

Why the British, New Year's Poets, Priests, Leaders and Hindu organizations are protesting?

तेलंगाना चिलकुर बालाजी मंदिर के पुजारी रंगराजन ने नए साल पर जश्न मनाने को हिंदुत्व के खिलाफ बताया है। 

उन्होंने अपने सभी भक्तों और हिदुओं से अपील की है कि वे नए साल में एक दूसरे को शुभकामनाएं न दे। यदि किसी भक्त ने उन्हें शुभकामनाएं दी तो वे उनसे उठक-बैठक लगवाएँगे। 

पुजारी रंगराजन ने कहा कि हम हिंदू संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। हम खुद अपनी संस्कृति को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसे हमे बचाने की सख्त जरूरत है।  'उगादि' हमारा नया नया साल है, न कि 1 जनवरी ।


गन्दगी है नए साल का जश्न, फौरन हो बंद

मध्य प्रदेश के उज्जैन दक्षिण में बीजेपी के विधायक मोहन यादव ने कहा कि न्यू ईयर को मनाने के लिए होने वाली शराब पार्टी और देर रात तक होने वाली फुहड़ता हमारी संस्कृति खिलाफ है। ऐसी पार्टियां बंद होनी चाहिए। इंग्लिश न्यू ईयर हमने तब नहीं मनाया जब अंग्रेजों का शासन था तो अब क्यों मनाये?अंग्रेजी न्यू ईयर के स्थान पर गुड़ी पड़वा मनाना चाहिए जो हिंदू नववर्ष है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भी इंग्लिश न्यू ईयर सेलिब्रेशन का विरोध किया जा रहा है। आगरा में तमाम हिंदूवादी संगठन नव वर्ष मनाने के तौर-तरीके का विरोध कर रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि विदेशी सभ्यता को हम अपनी संस्कृति पर हावी नहीं होने देंगे ।

उन्होंने कहा कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन के नाम पर होटलों में अश्लीलता होती है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिंदू संगठनों द्वारा न्यू ईयर सेलिब्रेशन के विरोध को बीजेपी सांसद प्रमोद गुप्ता का भी साथ मिला है। 

कवि रामधारी सिंह ने नूतन वर्ष पर लिखी कविता :

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।
अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह व्यवहार नहीं है ।।

धरा ठिठुरती है सर्दी से, आकाश में कोहरा गहरा है ।

बाग बाजारों की सरहद पर,सर्द हवा का पहरा है ।।

सूना है प्रकृति का आँगन,कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं ।

हर कोई है घर में दुबका हुआ,नव वर्ष का यह कोई ढंग नहीं ।।

चंद मास इंतजार करो,निज मन में तनिक विचार करो ।

नये साल नया कुछ हो तो सही,क्यों नकल में सारी अक्ल बही ।।

उल्लास मंद है जन-मन का,आयी है अभी बहार नहीं ।

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,है अपना यह त्यौहार नहीं ।।

यह धुंध कुहासा छंटने दो,रातों का राज्य सिमटने दो ।

प्रकृति का रूप निखरने दो,फागुन का रंग बिखरने दो ।।

प्रकृति दुल्हन का रूप धार,जब स्नेह-सुधा बरसायेगी ।

शस्य-श्यामला धरती माता,घर-घर खुशहाली लायेगी ।।

तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,नव वर्ष मनाया जायेगा ।

आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर,जय गान सुनाया जायेगा ।।

युक्ति-प्रमाण से स्वयंसिद्ध,नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध ।

आर्यों की कीर्ति सदा-सदा,नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ।।

अनमोल विरासत के धनिकों को,चाहिये कोई उधार नहीं ।

यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है,अपना यह त्यौहार नहीं है ।।

अपनी यह तो रीत नहीं है, अपना यह त्यौहार नहीं। 

एक आर्य की कलम से नया साल के बारे में...

भगत सिंह, बिस्मिल , खुदीराम ,मंगल पांडेय के गले को रस्सी से घोंट कर मार डालने वालों 

अकेले घिरे चंद्रशेखर आजाद को मरने के लिए मजबूर कर देने वालों

भारत माता को 200 साल तक दासी बना कर  नोचने और लूटने वालों

अखंड राष्ट्र के 3 टुकडे करने वालों 

19 साल की रानी  लक्ष्मीबाई को दौडा कर मार डालने वालों 

आसाम , नागालैंड में गरीब हिंदू आदिवासियों को पैसा देकर मत परिवर्तन कराने वालों 

भारत पाकिस्तान युद्ध में हर बार पाकिस्तान का साथ देने वालों 

वैदिक भारत मे ब्लू फ़िल्म , समलेंगिक विवाह , झप्पी  किस आफ लव  ,लिव इन रिलेशनशिप संस्कृति  चलाने वालों

 "ईसाइयों " तुम्हे आज क्रिसमस की और कुछ दिन बाद 'न्यू ईयर' की  बधाई देने वाला #हिंदू वैसे ही अभागा और तुच्छ है ,मानो जिसने अपने शरीर से  अपने पूर्वजों का पवित्र रक्त फेंक कर अपनी नसों में अश्लीलता और अनैतिकता मिली हुई अंग्रेजी शराब भर ली हो.... 

धिक्कार है ऐसे सेक्युलर हिन्दुओं को,जिन्हें शायद पता नहीं कि हम अब भी अपने सारे त्यौहार होली,दीपावली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, निर्जला एकादशी,श्रीरामनवमी,दशहरा ऒर रक्षा-बँधन आदि हिन्दू-पँचाग (हिन्दू केलेण्डर) देखकर ही मनाते हैं, न कि ईसाईयत वाला अँग्रेजी केलेण्डर देखकर !!

 भारतीय नव वर्ष और नव केलेण्डर शुरू होता हैं, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से,जो विश्व के महानतम सम्राट राजा विक्रमादित्य के विक्रम सम्वत् के नाम से जानी जाती है। जब ईसा-मूसा का कहीं अता-पता भी नहीं था।।ॐ।।

कवि ने आगे लिखा है  कि मंगल, शेखर, लक्ष्मी , भगत,  बिस्मिल हम शर्मिंदा हैं ,
लार्ड मैकाले की नाजायज औलादें अब भी भारत में जिन्दा हैं ...

जब भारत और भारतीयों पर यह अंग्रेज अत्याचार कर रहे थे तब इनके ईसा मसीह की दया कौन से चारागाह में चरने चली गई थी?
 
यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, क्योंकि है अपना यह त्यौहार नहीं ।।

जय हिंद !!
जय भारत !!

Saturday, December 30, 2017

भारतीय और अंग्रेजी नववर्ष में जानिए अंतर क्या है?

भारतीय और अंग्रेजी नववर्ष में जानिए अंतर क्या है?

December 30, 2017

भारत में कुछ लोग अपना नूतन वर्ष भूल गए हैं और अंग्रेजो का नववर्ष मनाने लगे हैं, उसमें किसी भारतीय की गलती नही है लेकिन भारत में अंग्रेजो ने 190 साल राज किया है और अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति खत्म करके अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपनी चाही उसके कारण आज भी कई भारतवासी मानसिकरूप से गुलाम हो गये जिसके कारण वे भारतीय नववर्ष भूल गये और ईसाई अंग्रेजों का नया साल मना रहे हैं ।

1 जनवरी आने से पहले ही कुछ नादान भारतवासी नववर्ष की बधाई देने लगते हैं,
What is the difference between Indian and English New Year?

भारत देश त्यौहारों का देश है, सनातन (हिन्दू) धर्म में लगभग 40 त्यौहार आते हैं यह त्यौहार करीब हर महीने या उससे भी अधिक आते है जिससे  जीवन में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं और बड़ी बात है कि हिन्दू त्यौहारों में एक भी ऐसा त्यौहार नही है जिसमें दारू पीना, पशु हत्या करना, मास खाना, पार्टी करने आदि  के नाम पर दुष्कर्म को बढ़ावा मिलता हो । ये सनातन हिन्दू धर्म की महिमा है। भारतीय हर त्यौहार के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे होते हैं जो जीवन का सर्वांगीण विकास करते हैं हैं ।

ईसाई धर्म में 1 जनवरी को जो नया वर्ष मनाते है उसमें कुछ तो नयी अनुभूति होनी चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नही होता है ।

रोमन देश के अनुसार ईसाई धर्म का नववर्ष 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर क्या है?

1. प्रकृति:-
एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी

चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. मौसम:-
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर।

चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3. शिक्षा :-
विद्यालयों का नया सत्र-दिसंबर जनवरी में वही कक्षा, कुछ नया नहीं ।

मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यार्थियों का नया साल I

4. वित्तीय वर्ष:-
दिसम्बर-जनवरी में खातों की क्लोजिंग नही होती

31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बहीखाते खोले जाते हैं I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।

5. कलैण्डर:-
जनवरी में सिर्फ नया कलैण्डर आता है।

चैत्र में ग्रह नक्षत्र के हिसाब से नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. किसान:-
दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है।

मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I

7. पर्व मनाने की विधि:-

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते हैं, रात को पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश।

भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है, गरीबों में मिठाई, जीवनपयोगी सामग्री बांटी जाती है, पूजा पाठ से शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

8. ऐतिहासिक महत्त्व:-

1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन 
1-  ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर शुंरू होता है। 
2- पुरूषोत्‍तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक
3- माँ दुर्गा की उपासना की नवरात्र व्रत का प्रारंभ
4- प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ 
5-उज्‍जयिनी सम्राट- विक्रामादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ

6- शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग)महर्षि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्‍थापना

7- भगवान झुलेलाल का अवतरण दिन।

8 - मत्स्यावतार दिन

9- गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की ।

आप इन तथ्यों से समझ गए होंगे कि सनातन (हिन्दू) धर्म की भारतीय संस्कृति कितनी महान है । अतः आप गुलाम बनाने वाले अंग्रेजो का 1 जनवरी वाला वर्ष न मनाकर महान हिन्दू धर्म वाला चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही नववर्ष मनायें ।

Friday, December 29, 2017

जानिए 1जनवरी को कैसे मनाना शुरू हुआ नववर्ष? भारत का कौनसा नववर्ष है?


December 29, 2017

अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।

वास्तविकता यह है कि भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा  ही हिंदुओं का नववर्ष का दिन है । किंतु कुछ हिन्दुस्तानी आज भी अंग्रेजों के मानसिक गुलाम बने हुए 31 दिसंबर की रात्रि में नववर्ष मनाने लगे हैं और भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर नववर्ष मनाना और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं ।
Know how to celebrate 1 January on New Year? Which is the new year of India?
     
नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ।

उसके बाद ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।

भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में  स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।

भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भाले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।

हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई देने लग जाते हैं ।

क्या ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..???

किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?

यह आने वाला नया वर्ष 2018 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।

मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है इस समय 1438 हिजरी चल रही है।

हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2074 चल रहा है।

इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है । 

इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है। 

कहाँ करोडों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नव वर्ष मना रहे हैं!

जरा सोचिए....!!!

सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। 

यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु  सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!

जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है।

मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।

आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत कैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं  | इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।

सोचिये! फिर आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ? 

1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????

न ऋतु बदली ...न मौसम...

न कक्षा बदली... न सत्र....

न फसल बदली...न खेती.....

न पेड़ पौधों की रंगत...

न सूर्य चाँद सितारों की दिशा.... ना ही नक्षत्र ..... हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी।

भारतीय संस्कृति का नव संवत्  ही नया साल है.... जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की  दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है ।

अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये।

Thursday, December 28, 2017

हमने क्रिसमस भी नही मनाया, अब अंग्रेजो का नया वर्ष भी नही मनायेंगे : भारतवासी

December 28, 2017
भारत में सोशल मीडिया के जरिये अब भारतवासियो में जागृति आ रही है, 25 दिसम्बर क्रिसमस-डे का सोशल मीडिया पर इतना विरोध हुआ कि किसी ने भी क्रिसमस की बधाई नही दी और तो और क्रिसमस के दिन भारतवासियों ने तुलसी जी की पूजा करके तुलसी पूजन दिवस मनाया और कहा कि अब हम हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनायेंगे।

We did not celebrate Christmas, now will not celebrate the new year of British: India

फेसबुक, ट्वीटर आदि सोशल साइटस पर आज भी लोग चर्चा कर रहे हैं कि हम अंग्रेजो द्वारा थोपा गया नया साल नही मनाएंगे क्योंकि अंग्रेजों ने हमें आर्थिक रूप से तो कमजोर बनाया ही है साथ में हमारी संस्कृति पर भी भारी कुठाराघात किया है ।
अंग्रेजो ने भारत की दिव्य परम्पराओं और त्यौहारों को मिटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपी, अंग्रेज भी जानते हैं कि अगर भारत पर राज करना है तो हिन्दू देवी-देवताओं एवं साधु-संतों के प्रति हिंदुओं की आस्था तोड़ो, उनके धार्मिक रीति-रिवाजों को तुच्छ दिखाकर अपने कल्चर की तरफ मोड़ो और हमने ये देखा कि भारत का बहुत बड़ा वर्ग मानसिक रूप से आज भी अंग्रेजों का ही गुलाम है ।
अब सोशल मीडिया के जरिये लोगों में जागरूकता आ रही है । धीरे-धीरे ही सही पर लोग अब अपनी संस्कृति की तरफ मुड़ रहे हैं।
ट्विटर ट्रेंड के जरिये भी लोग अपनी बात रख रहे हैं । लोगों का कहना है कि बाहरी चकाचौंध तथा कई प्रकार की बुराइयों से लिप्त अंगेजों का नववर्ष अब हम नहीं मनाएंगे । हमारी संस्कृति के अनुसार चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही अपना नया साल मनाएंगे  ।
समाज में बढ़ती इस कुरीति को रोकने का प्रयास करता आज का युवावर्ग #विश्वगुरु_भारत_अभियान हैशटैग के जरिये कुछ इस प्रकार अपनी बात रख रहा है ।
उनका कहना है कि...
भारत को विश्व का सिरमौर बनाना है ।
विश्वगुरु के पद पर भारत को बिठाना है ।।
गौ-गीता-गंगा की महत्ता बता जन-जन को जगाना है ।
पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से युवाधन को चेताना है ।।
1. डॉ. भूमि लिखती हैं कि इतिहास गवाह है, अध्यात्म में भारत हमेशा विश्व का गुरु रहा है ! #विश्वगुरु_भारत_अभियान
https://twitter.com/drbhumi_v/status/946373282684534785
2. गार्गी पटेल लिखती है कि ये कैसा त्यौहार ??
जिसमें दारू पीना, गौमास भक्षण करना, महिलाओं से छेड़खानी करने की छूट दी जाती है !!
हम तो अपनी संस्कृति के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही नववर्ष मनाएंगे ।
#विश्वगुरु_भारत_अभियान
https://twitter.com/gargi088/status/946389560467927040
3.धनंजय कहते हैं कि उठो भारतवासी #विश्वगुरु_भारत_अभियान के साथ एक जुट हो जाओ; फिर कोई फिरंगी भारत को गुलाम बनाने की साजिश ना रच पायेगा।
https://twitter.com/DhananjayPraj15/status/946373627175243777
4. संस्कृति जी का कहना है कि भारतीय संस्कृति से उपराम समाज में व्रत त्योहारों पर उत्सव मनाकर पुनःजाग्रति ले आए Asaram Bapuji #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Sanskriti__/status/946371466081189889?s=08
5. श्रद्धा कहती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान स्वराज हमें दिलाएगा,
भोगी कम्पनियों से छुटकारा हमें दिलाएगा। https://twitter.com/Ss_9611/status/946371533286473729
6.खुशबू लिखती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान से जुड़कर हर एक राष्ट्रभक्त पहचान बनाएगा,
तिरंगे की शान पूरे विश्व में बढ़ाएगा। https://twitter.com/khushbuSahu8/status/946373121287757824
7.रोहित सिन्हा कहते हैं कि अब तक जो कभी ना हुआ, वो #विश्वगुरु_भारत_अभियान करके दिखायेगा।
संस्कृति के प्रचार प्रसार में पूरी जिंदगी लगाएगा।https://twitter.com/sinharohit14/status/946373008553160704
8.पूनम कहती हैं कि बिल्कुल सही बात की बानी जी , महिलाओं में सशक्तिकरण हो इस हेतु Asaram Bapu Ji ने 'महिला उत्थान मंडल' बनाने की प्रेरणा दी. #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/poonamrajveer/status/946372713085419521?s=08
9.कृष्णा पटेल लिखती हैं कि #विश्वगुरु_भारत_अभियान ही हमारी पहचान है,
विधर्मियों को सबक सिखाने की पहली अटल शुरुआत है। https://twitter.com/KriSHnA_1052/status/946372605321216000
10.प्रणय लिखते हैं कि सनातन संस्कृति के,
संत है रक्षक जब-तक,
मिटा नही पाऐगा संस्कृति,
कोई भी दुश्मन तब-तक ||
#विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Pranay1608/status/946373517083254785
11. आराध्य लिखती हैं कि युवाधन सुरक्षा व व्यसनमुक्ति अभियान द्वारा युवा मार्गदर्शन व हजारों व्यसनियों के व्यसन छूट रहे । #विश्वगुरु_भारत_अभियान https://twitter.com/Aradhya_G/status/946376871825907712
इस तरह के हजारों ट्वीटस आज हमें देखने को मिल रही हैं । आइये हम सब भी उनको उत्साहित करते हुए "विश्वगुरु भारत अभियान" का हिस्सा बने ।
गौरतलब है कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी  के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, किशोर-किशोरियों व युवक युवतियों की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं। इसलिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने  आवाहन किया हैः "25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक तुलसी पूजन, जप माला पूजन, गौ पूजन, हवन, गौ गीता गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गोहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा करें एवं स्वयं का विकास करें। गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें।"
इसी लक्ष्य को लेकर बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ आम जनता एवं हिन्दू संगठनों व हिंदुत्वनिष्ठों की ट्वीटस जनता में जागृति ला रही है ।