Saturday, February 17, 2018

रिपोर्ट : अंग्रेजी भाषा और अधिक खर्च के कारण बच्चें छोड़ रहे है पढ़ाई

February 17, 2018

भारत भले अंग्रेजो के चँगुल से मुक्त हो गया हो लेकिन अंग्रेजों की मानसिकता अभि तक गई नही है और मैकाले द्वारा बनाई गई शिक्षा पद्धति आज भी चल रही है जिसके कारण बच्चे न अपने जीवन में उन्नत हो पाते हैं और न ही इतना खर्च कर पाते हैं और न ही विदेशी भाषा पढ़ पाते हैं जिसके कारण बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं और शिक्षा से वंचित रह जाते हैं ।
Report: Children are leaving due to English language and more expenses.

एनसीपीसीआर के एक अध्ययन में यह कहा गया है कि अंग्रेजी भाषा में संवाद, पाठ्यक्रम से अतिरिक्त गतिविधियों में खर्च एवं शिक्षा व्यय पर ‘बेतहाशा खर्च ’ ऐसे प्रमुख कारण हैं जिनके चलते दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग एवं वंचित समूहों के छात्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। दिल्ली के निजी स्कूलों में वंचित वर्गों से बच्चों के दाखिले से संबंधित शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 की धारा 12 (1) (सी) के क्रियान्वयन पर अध्ययन में यह भी पाया गया कि वर्ष 2011 में स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्र करीब 26 प्रतिशत थे जो वर्ष 2014 में गिरकर 10 प्रतिशत हुआ था। 

आरटीई अधिनियम की धारा 12 (1) (सी) कमजोर एवं वंचित वर्गों के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के लिये निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की जवाबदेही तय करती है। इसके अनुसार ऐसे स्कूलों को कक्षा एक या पूर्व स्कूली शिक्षा में छात्रों की कुल क्षमता के कम से कम एक चौथाई हिस्से में ऐसे वर्ग के छात्रों को दाखिला देना होता है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, विशेषकर शुरुवाती कक्षा अर्थात प्राथमिक एवं पूर्व-प्राथमिक स्तर की कक्षा में स्कूली पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों का प्रतिशत प्राथमिक स्तर पर अधिक होता है। भारत में बाल अधिकार संरक्षण की शीर्ष संस्था का यह अध्ययन समूची दिल्ली के 650 स्कूलों द्वारा स्कूली पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों के विषय में दिये गये वर्षवार आंकड़े पर आधारित था। 

अध्ययन में कहा गया, ‘अभिभावकों का दावा है कि किताबें एवं पाठ्यक्रम से इतर गतिविधियों का खर्च बहुत अधिक होता है जिसके चलते वे स्कूल छोड़ देते हैं।’ एनसीपीसीआर ने यह भी सुझाव दिया कि जहां तक संभव हो बच्चों को पढ़ाने का माध्यम उनकी मातृभाषा होनी चाहिए।

लॉर्ड मैकाले ने कहा था : ‘मैं यहाँ  (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही संस्कृति से घृणा करेंगे... मंदिर में जाना पसंद नहीं करेंगे... माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे साधु-संतों की खिल्ली उड़ायेंगे... वे शरीर से तो भारतीय होंगे लेकिन दिलोदिमाग से हमारे ही गुलाम होंगे..!


विवेकानन्द का शिक्षा-दर्शन

स्वामी विवेकानन्द मैकाले द्वारा प्रतिपादित और उस समय प्रचलित अग्रेजी शिक्षा व्यवस्था के विरोधी थे, क्योंकि इस शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ बाबुओं की संख्या बढ़ाना था। वह ऐसी शिक्षा चाहते थे जिससे बालक का सर्वांगीण विकास हो सके। बालक की शिक्षा का उद्देश्य उसको आत्मनिर्भर बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना है। स्वामी विवेकानन्द ने प्रचलित शिक्षा को 'निषेधात्मक शिक्षा' की संज्ञा देते हुए कहा है कि आप उस व्यक्ति को शिक्षित मानते हैं जिसने कुछ परीक्षाएं उत्तीर्ण कर ली हों तथा जो अच्छे भाषण दे सकता हो, पर वास्तविकता यह है कि जो शिक्षा जनसाधारण को जीवन संघर्ष के लिए तैयार नहीं करती, जो चरित्र निर्माण नहीं करती, जो समाज सेवा की भावना विकसित नहीं करती तथा जो शेर जैसा साहस पैदा नहीं कर सकती, ऐसी शिक्षा से क्या लाभ?

अतः स्वामीजी सैद्धान्तिक शिक्षा के पक्ष में नहीं थे, वे व्यावहारिक शिक्षा को व्यक्ति के लिए उपयोगी मानते थे। व्यक्ति की शिक्षा ही उसे भविष्य के लिए तैयार करती है, इसलिए शिक्षा में उन तत्वों का होना आवश्यक है, जो उसके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो। 

स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में,
तुमको कार्य के सभी क्षेत्रों में व्यावहारिक बनना पड़ेगा। सिद्धान्तों के ढेरों ने सम्पूर्ण देश का विनाश कर दिया है।

स्वामी जी शिक्षा द्वारा लौकिक एवं पारलौकिक दोनों जीवन के लिए तैयार करना चाहते हैं । लौकिक दृष्टि से शिक्षा के सम्बन्ध में उन्होंने कहा है कि 'हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र का गठन हो, मन का बल बढ़े, बुद्धि का विकास हो और व्यक्ति स्वावलम्बी बने।' पारलौकिक दृष्टि से उन्होंने कहा है कि 'शिक्षा मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।'

स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त

1. शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास हो सके।

2. शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बने।

3. बालक एवं बालिकाओं दोनों को समान शिक्षा देनी चाहिए।

4. धार्मिक शिक्षा, पुस्तकों द्वारा न देकर आचरण एवं संस्कारों द्वारा देनी चाहिए।

5. पाठ्यक्रम में लौकिक एवं पारलौकिक दोनों प्रकार के विषयों को स्थान देना चाहिए।

6. शिक्षा, गुरू गृह में प्राप्त की जा सकती है।

7. शिक्षक एवं छात्र का सम्बन्ध अधिक से अधिक निकट का होना चाहिए।

8. सर्वसाधारण में शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार किया जान चाहिये।

9. देश की आर्थिक प्रगति के लिए तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था की जाए ।

10. मानवीय एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिवार से ही शुरू करनी चाहिए।

भारत सरकार को मैकाले द्वारा बनाई गई शिक्षा पद्धति तो खत्म कर देना चाहिए और वैदिक गुरुकुलों के अनुसार पढ़ाई करवानी चाहिए तभी व्यक्ति, समाज और देश भला होगा ।

Friday, February 16, 2018

गाय को गौमाता का दर्जा दिलाने के लिए होगा विशाल आंदोलन, गोपालमणि का खुल्ला पत्र

February 16, 2018

भारत में प्राचीन काल से ही गाय की पूजा होती रही है क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास माना गया है इसलिए गाय को माता का दर्जा भी दिया है, कहते है कि बच्चा जन्मे और किसी कारणवश उसकी माता का निधन हो जाये तो बच्चे को गाय का दूध पिलाने पर जिंदा रह सकता है । कहते है कि जननी दूध पिलाती, केवल साल छमाही भर ! गोमाता पय-सुधा पिलाती, रक्षा करती #जीवन भर !!

दुनिया में किसी भी प्राणी का मल-मूत्र पवित्र नही माना जाता । यहाँ तक कि मनुष्य का भी मल-मूत्र पवित्र नही माना जाता है केवल गाय ही ऐसा प्राणी है जिसका गोबर और गौ-मूत्र पवित्र माना जाता है । यहाँ तक कि #पूजा पाठ में भी गोबर और गौ-मूत्र का उपयोग किया जाता है ।
Govamata will have a huge movement to give cow status,
 Gopalani's open letter

गौ माता के #गोबर से गैस बनती है जो आपके #रसोई घर में उपयोग आ सकती है । उसका खाद जिस जमीन पर पड़ता है वो बंजर जमीन भी उपजाऊ हो जाती है और उस जमीन का धान्य बहुत पौष्टिक होता है ।

गौ-माता के सूखे कंडे में घी डालकर धुँआ किया जाये तो 1 टन #ऑक्सीजन बनता है ।

गौ मूत्र में मुख्यत 16 खनिज तत्व पाये जाते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं । यहाँ तक कि कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां भी मिटा देती है ।

गाय माता के शरीर से पवित्र गुगल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है ।

आपको बता दें कि 1966 में धर्मसम्राट संत करपात्रीजी महाराज ने गौरक्षा आंदोलन के लिए बड़ा आंदोलन किया था अब 51 वर्ष बाद फिर से 18 फरवरी 2018 को दिल्ली के रामलीला मैदान में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाकर गोवंश हत्यामुक्त भारत बनाने के लिए एक ऐतिहासिक स्वर्णिम आंदोलन गौक्रांति अग्रदूत गोपाल मणि जी  के सान्निध्य में सभी साधु-संतों, धर्मरक्षक विभूतियों और लाखों गौभक्तो की उपस्थिति के साथ होने जा रहा है।

संत गोपाल मणि जी का खुल्ला पत्र

संत गोपालमणि गौमाता के लिए क्यों करना चाहते है बड़ा आंदोलन, उसके लिए उनके नाम से सोशल मीडिया पर एक पत्र घूम रहा है ।

पत्र में संत गोपालमणि ने लिखा है कि 
प्रिय गौभक्तो जय गौमाता,
_18 फरवरी 2018_ दिन रविवार को होने जा रहा है गौमाता प्रतिष्ठा आंदोलन।

ये आंदोलन भारत की धर्मप्रेमी जनता, 80 कोटि सनातनियों की आस्था से जुड़ा विषय है क्योंकि गौमाता ही सनातन धर्म की मूल है। जिस गौमाता के दूध की खीर से भगवान राम अवतरित हुए, जिस गौमाता के पीछे भगवान कृष्ण भागते रहे, जिस गौमाता की रक्षा के लिए भगवान परशुराम ने अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध लिया, जिस गौमाता के कारण ही हमारे 16 संस्कार पूर्ण होते है, जो गौमाता भारत माता का साकार स्वरूप है, जो गौमाता आज़ादी की क्रांति का मूल है, जो गौमाता धर्म, अर्थ, काम और  मोक्ष देने वाली है, जो गौमाता भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो गौमाता भारत को विश्वगुरु बना सकती है, जो गौमाता किसानों को गोबर का मूल्य दिला सकती है, जो गौमाता दूध से ही कुपोषण को दूर कर सकती है, जो गौमाता प्रकृति को प्राणवायु दे सकती है, जो गौमाता आरोग्य की मूल है,जो गौमाता स्वयं प्रकृति है, जो गौमाता भारत का स्वरूप है उस गौमाता को 70 वर्षो में काटा जा रहा है इससे बड़े शर्म, दुर्भाग्य और पाप क्या होगा भला।

पत्र में आगे बताया कि सोचिये गौमाता को हम विश्वमाता कहते हैं और माता मानते है लेकिन भारत सरकार के दस्तावेजों में गाय पशु है और पशु काटने के 36000 से अधिक वैध-अवैध कत्लखाने है भारत में, इसलिए *जब तक गाय पशु है तब तक कौन उसे बचा सकता है और जब गाय माता है तो कौन माई का लाल उसे काट सकता है*। इसलिए 18 फरवरी 2018 के आंदोलन गौमाता को इस देश में संवैधनिक रूप से माता का सम्मान दिलाने का है और पांच मांगो के साथ चल रहा है -

 1. गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करें एंव गौ मंत्रालयों का अलग से गठन हो।

2. किसानों को गोबर का मूल्य दो। गोबर की खाद का उपयोग हो,गोबर गैस का चूल्हा जलाने एंव गोबर गैस को सी.न.जी गैस में परिवर्तन कर मोटर गाड़ी चलाने में उपयोग हो।

3 . 10 वर्ष तक के बालक-बालिकाओ को सरकार की ओर से भारतीय गाय का दूध नि:शुल्क उपलब्ध हो ,प्रत्येक गाँव में भारतीय नंदी की व्यवस्था हो।

4. गोचरान  भूमि गौवंश के लिये ही मुक्त हो।

5.गौ-हत्यारों को मृत्यु दण्ड दिया जायें।

इसलिए आपसे निवेदन है गौमाता के इस महान अहिंसक और शांतिपूर्ण यज्ञ में भाग लेकर अपनी पूरी ताकत से इस आंदोलन में जुड़े, लगे और पोस्टर, पम्पलेट, होर्डिंग, सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसका प्रचार करें और कराएं ।

उस पत्र में आगे लिखा है कि ये हमें सोचना होगा कि भारत के इतिहास में जब इतना बड़ा आंदोलन होने जा रहा है तो हम सबको पीछे नही रहना है। ये मौका दोबारा नही आएगा, बार बार नहीं आएगा, इसलिए इस संदेश को पढ़ रहा हर व्यक्ति 18 फरवरी 2018 के आंदोलन में अपनी भागीदारी तय करें ताकि भविष्य का इतिहास आपको प्रश्रचिन्ह में ना रखे।_

अधिक से अधिक गौभक्तों, सनातनियों और धर्मप्रेमी जनता को इस आंदोलन से जोड़े क्योंकि ये हमारी संस्कृति का विषय है, माँ के सम्मान का विषय है, गौरक्षा का विषय है।

गौ-माता भारत देश की रीड की हड्डी है । जो सभी को स्वस्थ्य #सुखी जीवन जीने में मदद रूप बनती है । सभी को आजीवन गौ-माता की रक्षा के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए ।

गौमाता की इतनी उपयोगीता और उसकी हत्या हो रही है उससे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सभी को मिलकर #गौ-माता को #राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाकर तन-मन-धन से इसकी रक्षा करनी चाहिए ।

Thursday, February 15, 2018

अश्लीलता फैलाने के आरोप में रूस की डांसर गिरफ्तार, भारत में एेसी कार्यवाही कब ?

February 15, 2018

भारत देश की संस्कृति इतनी महान है कि नारी को नारायणी का दर्जा दिया गया है और बड़ी हो तो माता समान, समान हो तो बहन समान, छोटी हो तो बेटी समान दर्जा देकर अपनी रक्षा करते थे युवक और भारतीय संस्कृति में शादी को इसलिए इतना महत्व दिया गया है कि जो अंदर काम वासना के संस्कार है तो एक ही स्त्री के साथ जीवनभर रहे और उन संस्कारों पर विजय प्राप्त करें और अन्य महिलाओं के प्रति नारायणी का भाव रखें लेकिन  भारत में अंग्रेज आक्रमणकारी आये उन्होंने भारतीय संस्कृति को खत्म करने के लिए पश्चिमी संस्कृति को थोपना शुरू कर दिया जिसके कारण विदेशी कम्पनियों का व्यापार बढ़ा और अधिक बढ़ाने के लिए टीवी, सिनेमा, मीडिया, अखबार, नोवेल आदि द्वारा अश्लीलता फैलाना शुरू किया जिसके कारण विदेशी कम्पनियों की दवाइयां, गर्भनिरोधक साधन, नशीले पदार्थ आदि खूब बिकने लगे।  आज इन अश्लीलता का कोई विरोध करते है तो उसको अभिव्यक्ति की आज़ादी के विरोधी बताते है लेकिन देश के युवक-युवतियों को भयंकर हानि हो रही है वो नही बताते है।
Russia's dancer arrested for spreading obscenity,
 when did the same action in India?

मिस्र के युवाओं को अश्लीलता से बचाने के लिए वहाँ की सरकार बड़ी सतर्क है, उन्होंने जो कदम उठाया वो बड़ा सराहनीय है, जो भारत सरकार को भी उठाना चाहिए ।

आपको बता दें कि रूस की बेली डांसर इकाटेरीना एंड्रीवा को मिस्र में अश्लीलता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है । 31 वर्षीय एंड्रीवा ने मिस्त्र के गीजा के एक नाइटक्लब में डांस किया था, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी कर ली गई । 

रिपोर्ट्स के अनुसार डांस के दौरान बेली डांसर ने जो कपडे पहने थे वह काफी अश्लील थे और बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने वाले थे । इसलिए पुलिस ने बेली डांसर की गिरफ्तारी की थी । नाइटक्लब में एंड्रीवा द्वारा किए गए डांस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ । वीडियो इतना वायरल हो गया कि पुलिस की नजर भी इस पर पड गई, जिसके बाद एंड्रीवा को गिरफ्तार कर लिया गया ।

मेल ऑनलाइन के अनुसार गवहारा उर्फ इकाटेरीना एंड्रीवा का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें वह बैकलेस ड्रेस पहनी हुई दिख रही हैं । उनकी ड्रेस एक तरफ से कमर तक कटी हुई है । इसके अलावा उनके ऊपर बिना अंडरगार्मेंट पहनें डांस करने का भी आरोप लगा है । पुलिस का कहना है कि इस तरह के कपडे पहनकर अश्लील डांस करने के कारण युवा भटक सकते हैं । युवाओं के लिए यह काफी अनैतिक है ।

मिस्र के अभियोजक हातिम फदल का कहना है, ‘एंड्रीवा ने बिना अंडरगार्मेंट पहनें डांस किया, जो कि बहुत अश्लील था ।’ इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि एंड्रीवा के पास काम करने के लिए जरूरी लाइसेंस भी नहीं है । इस मामले में अगला कदम क्या होगा इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, फिलहाल एंड्रीवा के डांस पर रोक लगा दी गई है ।
जब मिस्र सरकार युवाओं को बचाने के लिए अश्लीलता फैलानी वाली डांसर को गिरफ्तार करके उसका डांस बेन कर सकते हैं तो भारत में देरी क्यो?

बॉलीवुड, मीडिया, टीवी, अखबार आदि द्वारा जो अश्लीलता फैलायी जा रही है जिसके कारण देश के युवक-युवतियों को बड़ी हानि हो रही है ।
हमारे देश का भविष्य हमारी युवा पीढ़ी पर निर्भर है किन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव में वह आज गुमराह हो रही है |

पाश्चात्य भोगवादी सभ्यता के दुष्प्रभाव से युवाधन पतन के रास्ते अग्रसर है | विदेशी चैनल, चलचित्र, अश्लील साहित्य आदि प्रचार माध्यमों के द्वारा युवक-युवतियों को गुमराह किया जा रहा है | विभिन्न सामयिकों और समाचार-पत्रों में भी तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और ‘सेक्सोलॉजिस्ट’ युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र, संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हुए हैं |

पाश्चात्य आचार-व्यवहार के अंधानुकरण से युवानों में जो फैशनपरस्ती, अशुद्ध आहार-विहार के सेवन की प्रवृत्ति कुसंग, अभद्रता, चलचित्र-प्रेम आदि बढ़ रहे हैं उससे दिनोंदिन उनका पतन होता जा रहा है | वे निर्बल और कामी बनते जा रहे हैं | 

पाॅर्न, अश्लीलता ये एेसे शब्द है जिनका भारतीय सभ्यता में कोर्इ स्थान नही है इसे सुनने में हमें शर्म महसूस होती है । परंतु इसी पॉर्न फिल्म देखने में आज भारत चोथवें स्थान पर है । पॉर्न अभिनेत्री सनी लिआेन गूगल में सर्च होनेवाली पहले नंबर में है यानी लोग इसे ज्यादा सर्च करते है । कॅनडा मूल की सनी लिआेन ने भारत में आकर अश्लील फिल्मों में काम किया आैर लाेगों ने उसे पसंद किया । उसके बाद अमेरिकी पोर्न फिल्मों की अभिनेत्री मिया मालकोवा भी पाॅर्न फिल्में कर रही है आैर इन्हें यह अवसर देनेवाले निर्माता है राम गोपाल वर्मा जिन्होने मार्च 2017 में कहा था, ‘दुनिया की हर महिला पुरुष को ऐसी खुशी दे जैसी सनी लियोन देती हैं !’ इस से उनका महिलाआें की आेर देखने का नजरीया साफ हो रहा है ।  यह बात हम इसलिए याद दिला रहे हैं क्योंकि जहां भारत में अश्लिलता को इतना खुलेआम दिखाया जाता है कि उससे आज के युवाआें की हाेनेवाली हानि की आेर नजरअंदाज किया जा रहा है । परंतु हाल ही मिस्र ने जो कदम उठाया है उसे देख लग प्रश्न उठ रहा है कि, क्या देव, ऋषिमुनियों के पावन भूमि में एेसा कदम भारत उठाएगा ? क्या अपनी सांस्कृतिक पहचान बरकरार रखने के लिए देश में अश्लीलता फैलानेवाले लोगोंपर कार्यवार्इ करेगा ?

Wednesday, February 14, 2018

वेलेंटाइन डे पे भारी पड़ा मातृ-पितृ पूजन दिवस, छाया रहा विश्वभर में

February 14, 2018

🚩 आज जहाँ एक ओर #वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुंध बढ़ता आ रहा है तथा इसके कुप्रभाव व #दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं ।
#एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन आदि गुप्त बिमारियों का सामना समाज को करना पड़ रहा है ।
Mother-father worship day, shadow on World's Greatest Day

🚩वहीं दूसरी ओर समाज में युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देख तथा #देश भर में वृद्धाश्रमों की माँग बढ़ते देख #हिन्दू #संत #बापू #आसारामजी ने 2006 से एक अनूठी मुहिम की तरफ युवावर्ग को आकर्षित किया। जो है #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस

🚩जिसका #देश- विदेश की सभी सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों ने #स्वागत किया। और देश-विदेश में पिछले 12 वर्षों से 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस मनाना शुरू किया गया।

🚩जब इस विषय को लेकर #सोशल साइट पर देखा गया तो देखने को मिला कि #बापू #आसारामजी के #अनुयायियों ने जनवरी से ही 14 फरवरी #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस निमित्त देश-विदेश में 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन निमित्त #कार्यक्रम शुरू कर दिए थे ।

🚩लगातार #15 दिन से Twitter, Facebook, Instagram, google, Whatsapp आदि पर भी उनके अनुयायी बहुत #सक्रिय रहे ।

🚩सोशल मीडिया से लेकर #ग्राउंड लेवल तक बड़े जोरशोर से #ParentsWorshipDay मनाया गया।

🚩#विश्वभर में #अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, केनेडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, लन्दन आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, जाहिर स्थल, वृद्धाश्रम, समाज सेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस मनाया गया ।

🚩माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये #उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति और एक अनोखे हर्ष-उल्लास के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित दिखे ।

🚩सच में जिन्होंने भी वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया, अपने #माता-पिता की पूजा की, अपनी #दिव्य #संस्कृति को अपनाया उनके जीवन में कुछ नया देखने को जरूर मिला ।

🚩कुछ पाश्चात्य संस्कृति (VALENTINE DAY) मनाने वाले मनचले लोग तर्क-कुतर्क करने लगे कि माता-पिता की पूजा एक ही दिन क्यों ?
उन्हें जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी है या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।
और अगर सच्चे ह्रदय से माँ-बाप की पूजा होती तो क्या आप #वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ???

🚩आज के कल्चर में #वैलेंटाइन डे मनाने वाले आगे जाकर लड़के-लड़कियों के चक्कर में क्या-क्या कर बैठते हैं ये दुनिया जानती है । फिर समाज में और घर-परिवार में #मुँह दिखाने #लायक नहीं रहते । फिर या तो घर से भाग जाते हैं या तो आत्महत्या के विचार कर बैठते हैं और इसको अंजाम देते हैं ।

🚩कुछ समय पूर्व ही कई #अखबारों में पढ़ने को मिला कि जवान लड़के-लड़कियाँ नदी में कूदकर अथवा ट्रेन से कूदकर जान दे बैठे।
क्या यही है आज का
#VELANTINE_DAY....???

🚩अनादिकाल से #भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं । समाज को संवारने का दैवीकार्य महान #ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है और #जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क होने लगता है, अधर्म बढ़ने लगता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर #प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि #भगवद्गीता में भगवान #श्री कृष्ण ने कहा है।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे || 

🚩 महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है । ऐसे ही कई #महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।
करोड़ो-अरबों लोग धरती पर जन्म लेते हैं और यूँ ही मर जाते हैं पर #संतों का नाम,आदर,पूजन व यश सभी के हृदयों में अंकित है ।

🚩ऐसे ही #संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है!
कहाँ पहचान पाते हैं उन महान संतों को!!

🚩गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल में डलवा दिया जाता है । दो बार तो #गुरुनानक जी को भी #जेल जाना पड़ा । #संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है । भगवान बुद्ध पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि
"धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।

🚩आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू #संत #आसारामजी #बापू ने सभी के दिलों में राज किया है । सबको प्रेम दिया है । सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का अद्भुत महान कार्य किया है ।
कई समाज के बुद्धिजीवी तो हिन्दू #संत #आसारामजी #बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन भारत में ही #विदेशी #षड़यंत्र द्वारा ( #क्रिश्चयन #मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के मुआवजे से ) उन्हें जेल भिजवा दिया गया, मीडिया द्वारा बदनाम करवाया गया और सुज्ञ समाज देखता रह गया ।

🚩गौरतलब है कि #संत #आसारामजी #बापू 4 साल पांच महीने से जोधपुर जेल में बन्द है लेकिन उनके करोड़ो #भक्त अभी तक उनसे #जुड़े हैं ।
क्या ये उन महान संत की निर्दोषता का प्रमाण नहीं..??
क्या किसी बलात्कारी के पीछे करोड़ों का जन-समूह हो सकता है..???

है जो वंदनीय और पूजनीय वो, दिन अपने कारावास में बिताते हैं ।
सत्कार्यों का मिला कटुफल, उसको भी हंसकर सहते जाते हैं ।।

🚩आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता वहीं इनके #करोड़ों अनुयायी आज भी इनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं ।
बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के #जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है ।

🚩लेकिन कई #मूर्ख लोग मीडिया की बातों में आकर अपने ही संतों पर लांछन लगाने से पीछे नहीं हटते..!!

🚩अगर मीडिया इतनी ही निष्पक्ष है तो क्यों संत आसारामजी बापू द्वारा किये गए और किये जा रहे अनेकों समाजसेवा के कार्यों को क्यों छुपा रही है ???

🚩हर सिक्के के दो पहलू होते हैं मीडिया ने कहा बापू रेपिस्ट आपने मान लिया पर कभी आपने ये जानने का प्रयास किया कि उन पर आज तक एक भी #आरोप #सिद्ध #नहीं हुआ है । क्यों #न्यायालय से उनको जमानत तक नही मिल पा रही है ? न उनकी उम्र का लिहाज किया जा रहा है और न उनके द्वारा हुए और हो रहे समाज उत्थान के सेवाकार्यों को दृष्टिगोचर किया जा रहा है ।

🚩 हमारे देश में एक ओर 81 वर्षीय वरिष्ठ #संत #बापू #आसारामजी को जमानत का भी अधिकार नहीं दूसरी ओर ऐसे ही कई केस हमारे सामने हैं जिनमें सबूत मिलने पर भी वो मजे से बाहर घूम रहे हैं ।

🚩क्या हिन्दू संत होना ही गुनाह है या हिन्दू संस्कृति उत्थानार्थ कार्य करना गुनाह है?? 
क्योंकि यही गुनाह सामने देखने मे आया है जो संत आसारामजी बापू द्वारा बार-बार हुआ है ।

🚩 आपको बता दें कि न्यायालय में कई खुलासे भी हो चुके है कि उनको कैसे षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है उसके बाद भी उनको राहत नही मिलना समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है ।

अब देखना ये है कि सरकार और न्यायालय द्वारा कब राहत मिलती है इन निर्दोष संत को ??

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Tuesday, February 13, 2018

वेलेंटाइन डे का भयावह स्वरूप, कई देशों ने लगा दिया प्रतिबंध

February 13, 2018

🚩आज समाज में प्रेम-दिवस ( वेलेन्टाइन डे) के नाम पर जो विनाशकारी कामविकार का विकास हो रहा है, वो आगे चलकर चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, खोखलापन, बुढ़ापा और जल्द मौत लाने वाला साबित होगा।
🚩वर्तमान में भारत में भी पाश्चात्य कल्चर का #अंधानुकरण करनेवाले लोग वेलेंटाइन डे को पूरे एक #सप्ताह तक मनाने लगे हैं ।
🚩वेलेंटाइन डे जैसी कुप्रथाओं की ही वजह से आज भारत जैसे आध्यात्मिक देश में भी कई लोग #निर्लज्जता, #अश्लीलता, #स्वच्छंदता को #फैशन मानने लगे हैं ।
वैलेंटाईन डे का भयावह स्वरूप !
🚩वेलेंटाइन डे नाम की यह #दुराचार की महामारी प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ती जा रही है । इसके पीछे एक बड़ा कारण है इसका बाजारीकरण ।
🚩‘#वाणिज्य एवं #उद्योग मंडल’ के एक #सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल वेलेंटाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान #फूल, #चॉकलेट आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री का कारोबार करीब 22,000 करोड़ रुपये तक पहुँचा था । भारत से 22 हजार करोड़ लूट ले गई विदेशी कंपनियां ।
🚩वर्ष 2013 एवं 2014 में क्रमशः 15,000व 16,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ ।
🚩 वैलेंटाईन डे के दिनों में, न्यायालय में प्रविष्ट होनेवाले विवाह-विच्छेद के अभियोगों में 40 प्रतिशत वृद्धि होती हैं ! – एक निजी प्रतिष्ठान (कंपनी), अमरीका
🚩 दिल्ली के एक मेडिकल स्टोर के स्वामी ने बताया, वर्ष 2014 में, 10 फरवरी से ही निरोध व गर्भनिरोधक दवाइयों की मांग में 10 गुना की वृद्धि हुई थी; जिससे अनेक स्टोर्स में यह सामान समाप्त हो गया था ।
🚩 वर्ष 2013 में ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील डॉट कॉम पर भारत में वैलेंटाईन डे पर एक ही दिन में डेढ लाख निरोध बिके !
🚩 निरोध (कंडोम) की एक कंपनी के सर्वेक्षणानुसार, वैलेंटाईन डे के दिनों में निरोध की बिक्री 25 गुना बढती है !
🚩वस्तुतः वेलेंटाइन डे बाजारीकरण और पाशविक वासनापूर्ति को बढ़ावा देनेवाला दिन है । स्वार्थी तत्त्वों द्वारा इसे बढ़ावा देकर बाल व युवा पीढ़ी को तबाही की ओर धकेला जा रहा है ।
🚩फूल, चॉकलेट और उपहारों के अलावा गर्भ-निरोधक साधन और दवाइयाँ ब्ल्यू फिल्म एवं अश्लील पुस्तकें यानि पॉर्नोग्राफी, उत्तेजक पॉप म्यूजिक, वायग्रा जैसी कामोत्तेजक दवाइयाँ तथा एड्स जैसे यौन-संक्रमित रोगों की दवाइयाँ बनानेवाली विदेशी कम्पनियाँ अपने आर्थिक लाभ हेतु समाज को चरित्रभ्रष्ट करने के लिए करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर रही हैं, जिनके शिकार सम्पूर्ण विश्व के लोग हो रहे हैं ।
🚩वेलेंटाइन डे के द्वारा वे बाल व युवा पीढ़ी के नैतिक, चारित्रिक एवं #सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट करके धन कमाना चाहती हैं ।
🚩वेलेंटाइन डे का दुष्प्रभाव देखते हुए

पिछले साल से पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शौकत अजीज नेे आदेश दिया है कि देश में वैलेंटाइन डे नहीं मनाया जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि कोई भी प्रिंट या इलेक्ट्रोनिक मीडिया वैलेंटाइन डे का प्रचार नहीं करेगा।
🚩एक रिपोर्ट के अनुसार कई विकसित देश #यौन रोगियों, अविवाहित #गर्भवती #किशोरियों, #वृद्धाश्रमों तथा बेघर कर दिये गये वृद्ध मात-पिताओं की बढ़ती संख्या जैसी समस्याओं से ग्रसे जा रहे हैं #अमेरिका में तो #किशोर- #किशोरियों में यौन उच्छृंखलता के चलते प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं ।
🚩वर्ष 2013 में #अमेरिका में 15 से 19 साल की किशोरियों ने 2,73,000 शिशुओं को जन्म दिया । अब यह गन्दगी भारत में भी तेजी से फैल रही है।
🚩कैलिफोर्निया (अमेरिका) के ‘सुसाइड प्रिवेन्शन सर्विस ऑफ द सेंट्रल कोस्ट’ की डायरेक्टर डायैन ब्राइस पिछले 23 सालों से एक ट्रेंड की साक्षी रही हैं, जिसमें वे बताती हैं कि ‘#वेलेंटाइन डे सबसे अधिक आत्महत्याओं की दर वाले समय की शुरुआत अंकित करता है ।’
🚩वेलेंटाइन डे की आड़ में #प्यार के झाँसे में फँसाकर धोखाधड़ी करनेवालों का कारोबार भी जोरों पर रहता है । #लंदन पुलिस (यू.के.) की ‘#नैश्नल फ्रौड इन्टेलिजेंस ब्यूरो’ के आँकड़े बताते हैं कि ‘वर्ष 2014 में #ब्रिटिश जनता ने अपने करीब 34 मिलियन पाउंड प्यार के नाम पर ठगी करनेवालों पर खो दिये ।’ यह #आँकड़ा 2013 के मुकाबले 33% और बढ़ा हुआ है । इस ‘रोमांस घोटाले’ के शिकार हुए लोगों में से आधे से ज्यादा के जीवन में भौतिक और वित्तीय कुशलता को लेकर गम्भीर भावनात्मक असर पड़ा है ।
🚩इन सबको देखते हुए #अमेरिका के 33% #स्कूलों में यौन शिक्षा के अंतर्गत 'केवल संयम' की शिक्षा दी जाती है। इसके लिए अमेरिका ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर (20 अरब रूपये) खर्च किये हैं।
🚩थाईलैंड की रिपोर्ट अनुसार 15 से 19 साल की लड़कियां 1हजार में से 50 लड़कियां मां बन जाती हैं। और 10 से 19 साल के युवाओं में यौन संबंधी रोग पांच गुना तक बढ़ गए हैं। थाईलैंड में करीब चार लाख 50 हजार लोग HIV रोग से पीड़ित हैं ।
🚩जापान में युवाओं को वेलेंटाइन डे से दूर रहने की सलाह दी गयी है तथा #दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र में सबसे ज्यादा टीनेज #प्रेग्नेंसी वाले देश थाईलैंड में प्रशासन द्वारा एड्स और टीनेज प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए युवाओं को 14फरवरी को #मंदिरों में जाने की सलाह दी गयी ।
🚩विश्व के कई देशों ने अपनी युवा पीढ़ी को वेलेंटाइन डे की गंदगी से बचाने के लिए कठोर कदम उठाये हैं ।
🚩गत वर्षों में #मलेशिया, #ईरान, #सउदी अरब, #इंडोनेशिया, रूस के बेल्गोरोद राज्य आदि में वेलेंटाइन डे पर प्रतिबंध लगाया गया था ।
🚩भारत में अपनी #संस्कृति से विमुख होकर पाश्चत्य सभ्यता का अंधानुकरण करके #चरित्रहीन होती अपनी युवापीढ़ी को देख हिन्दू संत बापू आसारामजी ने 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन का विश्वव्यापी अभियान चलाया, जो #विश्वभर में अत्यधिक लोकप्रिय और कारागर साबित हुआ। बापू आशारामजी के करोड़ो अनुयायी देश भर में 14 फरवरी निमित्त जगह-जगह पर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर अपनी संस्कृति की गरिमा से विश्वमानव को परिचित करा रहे हैं ।
🚩गौरतलब है कि संत #आशारामजी बापू की यह पहल सोशल मीडिया और आम जनता में बहुचर्चित है । सोशल मीडिया की गतिविधियाँ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके जेल जाने के बाद माता-पिता पूजन की इस पहल की लोकप्रियता और भी बढ़ गयी है ।
http://www.mppd.ashram.org/
🚩उदाहरणत: बापू आशारामजी की गिरफ्तारी के ही कुछ महीनों बाद बीबीसी वर्ल्ड ने इस विषय पर ट्विटर हैश टैग छेड़ा और प्रमोशनल विडियो रिलीज किया था । वर्ष 2015 में भी इस पर्व का उल्लेख बीबीसी की वेबसाइट पर मिलता है ।
🚩अन्य अनेक क्षेत्रिय एवं राष्ट्रीय टीवी, अखबारों  में बड़े स्तर पर स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर इस कार्यक्रम के आयोजन की खबरें भी देखने, पढ़ने में आयी हैं ।
🚩14 फरवरी के दिन देश-विदेश के बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता को तिलक करें, पुष्पों की माला पहनाएं। प्रणाम करें, प्रदीक्षणा करें, आरती करें एवं मिठाई खिलाएं तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें। संतान अपने माता-पिता के गले लगे। इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा।
🚩 मातृ-पितृ पूजन दिवस – क्यों ?
माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है और सदगुरु ने जो महान अनुभव किया है उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। इन तीनों के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता और सदगुरु का आदर पूजन आज्ञापालन तो करना चाहिए, चाहिए और चाहिए ही ! 14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ  मनाकर युवक-युवतियाँ प्रेमी-प्रेमिका के संबंध में फँसते हैं। वासना के कारण उनका ओज-तेज दिन दहाड़े नीचे के केन्द्रों में आकर नष्ट होता है। उस दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा।
🚩भारतवासी सावधान हो और वैलेंटाइन डे जैसी कुरीति से अपने को बचाते हुए अपनी पवित्र संस्कृति का अनुसरण करते हुए माता-पिता की पूजा कर उनका शुभ आशीष पाकर अपना जीवन धन्य करें।
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