Tuesday, March 27, 2018

क्या अप्रैल फूल आप भी मनाते हो तो हो जाइए सावधान, जानिए इसकी सच्चाई...

March 27, 2018

🚩भारतवासी अधिकतर अनजाने में ऐसे त्यौहार मनाते है कि उनको वास्तविकता पता ही नही होती है और अपनी ही संस्कृति का नाश कर लेते है, अंग्रेज भले ही चले गए हो लेकिन उन्होंने जो भारतीय संस्कृति का नाश करने के लिए अनेक षडयंत्र किये थे वो आज भी भारत मे प्रचलित है और भारतीय अनजाने में उसका शिकार बनते है ।

🚩ऐसे ही एक भारत मे प्रचलित है कि अप्रैल फूल मनाना, आइये आज उसकी वास्तविकता से अवगत कराते है, अप्रैल फूल की सच्चाई जानकर आप भी उससे नफरत करने लगेंगे ।
If you celebrate April Fool, then be careful, know its truth ...

🚩भारत माता को जब अंग्रेजो ने गुलामी की जंजीरो से जकड़ लिया था तब उन्होंने पूर्ण प्रयास किया कि भारतीय संस्कृति को मिटाया जाए, भारतीय पहले सृष्टि का उदगम दिन पर ही हर साल नववर्ष मनाते थे जो करीब अप्रैल महीने की शुरुआत में ही आता था इसको नष्ट करने के लिए ईसाई अंग्रेजो ने 1 जनवरी को नया साल भारतवासियों पर थोप दिया फिर भी भारतवासी उसी दिन ही नववर्ष मना रहे थे जिसके कारण अंग्रेजो ने 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस घोषित कर दिया ।

🚩आपको बता दे कि भारतीय सनातन कैलेंडर,जिसका पूरा विश्व अनुसरण करता है उसको मिटाने के लिए 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर अपनाने का फरमान जारी कर दिया था जिसमें 1 जनवरी को नया साल के प्रथम दिन के रूप में बनाया गया।

🚩जिन भारतवासीयों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।

🚩अप्रैल फूल मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाना ।
ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है।

🚩भारत मे आज भी बही खाते और बैंक के हिसाब-किताब 31मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से नये शुरू होते है।

🚩भारत में अंग्रेज़ो ने विक्रम संवत का नाश करने के लिए ही 1 जनवरी को नया साल थोपा और अप्रैल में आने वाले हिन्दू नववर्ष की मजाक उड़ाने के लिए ही "अप्रैल फूल" मनाना शुरू किया मतलब हिन्दुओं को मूर्ख बनाये जिससे वे खुद का नया साल भूल जाये ।

🚩अंग्रेज़ो की यह साजिश थी जिससे  1अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दिया ताकि भारतीय संस्कृति मूर्खता भरी लगे ।

🚩अब आप स्वयं सोचे कि आपको अप्रैल फूल मनाना चाहिए या अपनी हिन्दू संस्कृति का आदर करना चाहिए।

🚩आइये जाने अप्रैल माह के आस पास ऐतिहासिक दिन और त्यौहार कितना महान है।

🚩हिन्दुओं का पावन महिना इन दिनों से ही शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)

🚩हिंदुओं के रीति -रिवाज़ सब इन दिनों में कलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।

🚩महाराजा #विक्रमादित्य की काल गणना इन दिनों से ही शुरू होती है

🚩भगवान श्री रामजी का अवतरण दिवस भी इन दिनों में आता है।

🚩भगवान झूलेलाल, भगवान हनुमानजी, भगवान महावीर,  भगवान स्वामीनारायण आदि का प्रागट्य दिवस भी इन दिनों में ही आता हैं ।

🚩अंग्रेज ईसाई सदा से भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध थे इसलिए हिंदुओं के त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे । पर अब हिन्दू भी बिना सोचे समझे बहुत शान से अप्रैल फूल मना रहे है।

🚩कुछ भारतवासी आज अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल मना रहे है।

🚩भारतवासी अब "अप्रैल फूल" किसी को बनाकर गुलाम मानसिकता का सबूत ना दे ।

🚩आज देश विरोधी ताकते हमारे महान भारत देश को तोड़ने के लिए अनेक सजिसे रच रहे है, जिसमे अधिकतर मीडिया, टीवी, फिल्मे, चलचित्रों, अखबार, नॉवेल, इंटरनेट आदि के माध्यम से भारतवासियों को अपने संस्कृति से दूर ले जाने का भरपूर प्रयास चल रहा है, लेकिन हम क्यों अपनी महान संस्कृति भूलकर अंग्रेजो की गुलामी वाली प्रथा अपना रहे है।

🚩भारतीय आप सब से निवेदन है कि अपनी संस्कृति के अनुसार ही पर्व त्योहार मनाये अभी जितनी भी अंग्रेजो वाली प्रथायें है वे बन्द करे और भारतीय संस्कृति के अनुसार जो भी प्रथायें हैं उनको शुरू करें ।

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Monday, March 26, 2018

भारत से पाकिस्तान भेजे गए हिंदुओं इस्लाम धर्म कबूलने को मजबूर, जानवर से भी बदतर हालत

March 26, 2018
http://azaadbharat.org
एक आेर सरकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसा रही है वही दुसरी आेर शरणार्थी हिन्दुओं को पाकिस्तान वापस भेज रही है ! सरकार के इस दोगले बर्ताव के कारण आज पाकिस्तान में हिन्दुआें की स्थिती जानवर से भी बदतर हो गर्इ है ! नरक जैसी जिंदगी बिता रहे है।
क्या रोहिंग्याओं को भारत में बसाने वाली सरकार को हिन्दुओं पर जरा भी दया नहीं है ?
यदि सरकार पाकिस्तान के हिन्दुआें की मदद नही कर सकती तो उसे म्यानमार आैर बांग्लादेश के मुसलमानों की मदद करने का भी कोई  अधिकार नही है ? 

Hindus sent to Pakistan from India forced to accept Islam, worse than animal

आपको बता दे कि राजस्थान बॉर्डर के पार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिन्दुआें की जनसंख्या तेजी से समाप्त की जा रही है । यहां हिन्दुओं को जबरन धर्म परिवर्तन करने के मामले में लगातार बात सामने आ रही हैं । रविवार को भी यहां 500 हिन्दुओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाना था । जो लोग पाकिस्तान छोडकर भारत आए थे, मगर उनको यहाँ नही रहने देने के कारणों से उन्हें वापस जाना पडा, उन परिवारों को खास तौर से निशाना किया जा रहा है । पिछले 3 वर्षों में भारत में शरण लेने आए 1379 हिन्दुओं को पाकिस्तान लौटना पडा है ।
जबरन इस्माल धर्म कबूलने का दबाव
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 25 मार्च को बडे स्तर पर हिन्दुओं को जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया जा रहा था । यहां 500 हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन के लिए पहले से ही पर्चे भी बांटे जा चुके थे । इनमें 5 अगस्त 17 को डिपोर्ट किया गया 80 वर्षीय चंदू, उसकी पत्नी धामी, बेटा भगवान, बहू धरमी और बच्चे धीरो, मूमल, जयराम व कविता भी शामिल हैं । ये वो परिवार है जिसके लिए राजस्थान उच्च न्यायालय ने छुट्‌टी के दिन स्पेशल बेंच पर बैठाकर इनके डिपोर्ट आदेश पर स्टे भी दे दिया, परंतु आदेश तामील होता उससे चंद मिनट पहले ही उनकी ट्रेन पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गई । अब इस परिवार पर इस्लाम कबूलने का दबाव बना हुआ है ।
बेटियों को बलात्कार होने से बचाया जाएगा
सिंध के अवामी आवाज समाचार पत्र के संपादक रहे है असद चांडियो ने धर्म परिवर्तन के इस जलसे को हिन्दुओं की लाचारी बताया । उन्होंने कहा, “मुझसे पूछो तो यही कहूंगा कि, मुस्लिम बनने के बाद उनकी बेटियां अगवा होने और सामुहिक बलात्कार से तो बच ही जाएंगी ।’ चांडियो पाक में लगातार हिन्दुओं की दुर्दशा पर लिखते रहे हैं । परंतु कट्‌टरपंथियों के जुल्मों के कारण उन्हें देश छोडकर अमेरिका में शरण लेनी पडी ।
हिन्दू कि हालत धोबी के कुत्तो जैसा "न घर का है न घाट का "
सीमा के इधर भारत में विस्थापितों के लिए संघर्ष करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दू सिंह सोढा कहते हैं कि, पाकिस्तान का हिन्दू न घर का है न घाट का । वहां धर्म बदलने की मजबूरी, यहां रोजी-रोटी की परेशानी और न जाने कब खदेड़ दिए जाने का खतरा हर समय मंडराता है ।
भारत सरकार विस्थापित हिन्दुओं के पुनर्वास के नियम बनाती तो है, परंतु जिला स्तरों पर उनका पालन नहीं होता । इसलिए जो लौट रहे हैं, उनके पास धर्म बदलने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है ।
शादीशुदा मुस्लिम करते हैं हिन्दू लडकियों का बलात्कार
मानवाधिकार संगठन से जुडे कृष्ण शर्मा और पाकिस्तानी हिन्दू परिषद के संरक्षक इन चीफ डॉ. रमेश वानकवानी लिखते हैं कि, यहां स्वेच्छा से कोई धर्मांतरित नहीं हुआ है । यहां के विवाहित मुस्लिम हिन्दू लडकियों का अपहरण करते हैं, उनका बलात्कार करते हैं और उन्हें धमकाते हैं । जिससे वे ये कहने लगे कि उन्होंने खुद ही धर्म परिवर्तन किया है ।
दक्षिण सिंध में सबसे ज्यादा हिन्दू रहते हैं, अधिकांश कृषि अाधारित बंधुआ श्रमिक है । शिक्षा, स्वास्थ्य या कोई भी बुनियादी सुविधाएं नहीं है, ऐसे गरीब लोग जमींदारों के लिए आसान लक्ष्य है ।
कई जगह हिन्दू तो ज्यादा है, लेकिन जिंदगी अल्पसंख्यक
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर 2000 में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे 2015 से अचानक 20 तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।
कई संगठन कलमा पढने वालों को रहने के लिए अफोर्डेबल घर, घरेलू सामान, दहेज का सामान, काम करने के लिए सिलाई मशीनें, नहरों से खेती करने के लिए साल भर पानी का प्रलोभन भी दे रहे हैं । थारपारकर व उमरकोट में ऐसी कहानियां अक्सर दोहराई गई है । भले ही धर्म परिवर्तन के बात यह सभी न भी दे लेकिन प्रलोभन जरूर दिया जाता है । *स्त्रोत :* हिन्दू जनजागृति
आपको बता दे कि हिन्दुओं की जैसी हालत पाकिस्तान में है वैसी ही हालत बांग्लादेश में भी है ।
भारत सरकार को इन हिन्दुओं की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि हिन्दू तेजी से घटता चला जा रहा है ।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में दिन-रात #हिन्दुओं के #घर जलाये जा रहे हैं #हिन्दू #महिलाओं की #इज्जत #लूटी जा रही है, #मंदिर, घर, दुकानों को तोड़ा जा रहा है, पुजारियों की हत्या की जा रही है, हिन्दुओ की संपत्ति हड़प ली जाती है, #हिन्दुओं को मारा-पीटा जा रहा है, दिन-रात #हिन्दुओं को पलायन होना पड़ रहा है उसपर किसी नेता, मीडिया, संयुक्त राष्ट्र और सेक्युलर लोगों की नजर क्यों नही जाती है?
भारत में तो मुसलमानों को अधिक सुख-सुविधाएं दी जा रही है फिर भी कुछ गद्दार, सेक्युलर बोलते है कि भारत में मुसलमान डरे हुए हैं लेकिन आजतक ये नहीं बोला कि पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि मुसलमान बाहुल देश में हिन्दुओं पर कितना अत्याचार हो रहा है । नर्क से भी बदत्तर जीवन जीना पड़ता है ।
एक तरफ पाकिस्तान और #बांग्लादेश में #हिन्दुओं पर #अत्याचार हो रहा है दिन-प्रतिदिन हिन्दू कम हो रहे हैं दूसरी ओर बंगाल, कश्मीर, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि राज्यों में हिन्दुओं की हत्यायें हो रही हैं उस पर सभी ने चुप्पी क्यों साधी हुई है?
जो भी #हिन्दू कार्यकर्ता या हिन्दू साधु-संत इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनको जेल भेज दिया जाता है या हत्या करवा दी जाती है ।
एक तरफ ईसाई मिशनरियाँ और दूसरी ओर मुस्लिम देश दिन-रात #हिंदुस्तान और पूरी दुनिया से हिन्दुओं को मिटाने में लगे हैं अतः हिन्दू #सावधान रहें ।
अभी भी समय है हिन्दू #एक होकर #हिन्दुओं पर हो रहे प्रहार को रोके तभी हिन्दू बच पायेंगे ।अगर हिन्दू होगा तभी सनातन संस्कृति भी बचेगी ।
अगर #सनातन #संस्कृति  नही बचेगी तो दुनिया में इंसानियत ही नही बचेगी क्योंकि #हिन्दू संस्कृति ही ऐसी है जिसने "वसुधैव कुटुम्बकम्" का वाक्य चरितार्थ करके दिखाया है ।
#प्राणिमात्र में ईश्वरत्व के दर्शन कर, सर्वोत्वकृष्ट ज्ञान प्राप्त कर जीव में से #शिवत्व को प्रगट करने की क्षमता अगर किसी संस्कृति में है तो वो है सनातन हिन्दू #संस्कृति।
#हिंदुओं की बहुलता वाले देश #हिंदुस्तान में अगर आज हिन्दू #पीड़ित है तो सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं की निष्क्रियता और अपनी महान संस्कृति की ओर विमुखता के #कारण !!
ये सब देखकर भी #हिन्दू कब तक चुपचाप बैठा रहेगा..???
जागरूक होने का अभी भी समय है । याद रखे "अगर अभी नही तो फिर कभी नही"
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Sunday, March 25, 2018

देश में अन्नदाता किसानों की हालत बुरी, कर्ज बढ़ने के कारण कर रहे है आत्महत्या

March 25, 2018
🚩किसान मिट्‌टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। कितने भी आधुनिक विकास कर लो लेकिन जब किसान खेती ही नही करेंगे तो जनता खायेगी क्या?
🚩किसान बहुत परिश्रमी होते हैं । वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं । वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियाँ उगाते हैं । तभी हम अन्य काम कर पाते है इसलिए देश में किसान हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है ।
Farmer's condition in the country is bad, debt is rising due to rising debt
🚩गुजरात राज्य के गाँव में रहते लगभग 58.71 लाख कुटुंब में से खेती के साथ जुड़े 39.30 लाख परिवार है। उसमें से 16.74 लाख परिवार ने खेती के लिए लोन  लिया है। गुजरात के 42.6% किसान कुटुंब कर्जग्रस्त होने के साथ देश मे 14वे नंबर पर है। ये तमाम कर्जग्रस्त कुटुम्बों का औसत प्रति व्यक्ति कर्ज 38,100 रुपये था। जब कि गुजरात में किसान कुटुंब का औसत मासिक आमदनी 7926 है। जो राष्ट्रीय स्तर पर 12वें स्थान पर है।
🚩गुजरात राज्य के ग्रामीय विस्तार में रहते 39.90 लाख जितने किसान कुटुम्ब में 16,74,300 किसान कुटुंबों ने लोन लेते 42.6% किसान कुटुम्ब कर्जग्रस्त है।
🚩किसान बीज, खाद, किट नाशक दवाइयां, ट्रेक्टर किराया, सिंचन, बिजली बिल आदि खरीदने के लिए रकम खर्च रुकावट के साथ कुटुंब की मेहनत, खेत मजदूरों का श्रम, जमीन का किराया और भागिया पद्धति के कारण अधिक खर्च होता है। इस खर्च के सामने उपज कि उचित रकम नहीं मिल पाती हैं और वो कर्जग्रस्त बन जाते है।
🚩गुजरात में कर्जग्रस्त कुटुंबों का औसत कर्ज वर्ष 2013 में 38,100 रुपये था । जिसमे 0.01  हेक्टर से भी कम जमीन के कुटुंबों का 6900 कर्ज है, जब कि 0.40 हेक्टर तक जिन कुटुंबों की जमीन है  उनका कर्ज 12,000 है। 1 हेक्टर तक कि जमीनधारक का कर्ज 25,700 । 1 से 2 हेक्टर जमीनधारक का कर्ज 21 हजार। 2 से 4 हेक्टर जमिधारक पर कर्ज 82 हजार । और  4 से 10 हेक्टर जमीन वाले लोगो पर कर्ज 1.14 लाख जितना है।
🚩आपको बता दे कि देश में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे किसानों आंध्रप्रदेश में 92.9% है। उसके बाद तेलेंगाना के 89.1%, तमिलनाडु के 82.5, केरल के 77.7, कर्नाटक के 77.6, राज्यस्थान के 61.8, ओड़िसा के 57.5, महाराष्ट्र के 57.3, पंजाब के 53.2, बंगाल के 51.5, उत्तरांचल के 50.8, मध्यप्रदेश के 45.7 और उत्तरप्रदेश के 43.8% के साथ गुजरात के किसान कुटुंब 42.6% के साथ 14वें नंबर पर है।
🚩गुजरात राज्य के किसान कुटुंबों की औसत मासिक आवक राष्ट्रीय स्तर पर 12वें स्थान पर रुपये 7926 है। जब कि सबसे ज्यादा पंजाब में रुपये 1805, हरियाणा में 14434, जम्मू-कश्मीर में 12683, केरल में 11888, मेघालय में 11792, अरुणाचल प्रदेश में 10869, नागालैंड में 10048, मिज़ोरम में 9099, मणिपुर में 8842, कर्नाटक में 8832, हिमाचल प्रदेश में 8777, महाराष्ट्र में 7386 और राज्यस्थान में 7350 आमदनी है। राज्य में किसानों की आवक बढ़ाने के लिए सिचाई व्यवस्था के एक्सटेंशन ऑपरेशन को तात्कालिक बनाने की जरूरत है। जब कि किसानों को उनकी उपज के अनुसार कीमत मिले इसलिए स्वामीनाथ समिति द्वारा हुई भलाई अनुसार उपज के कुल खर्च में 50% रकम अधिक दी जाए तो किसान कर्ज से मुक्त हो सकते है। स्त्रोत : मेरन्यूक नेटवर्क
🚩आपको बता दे कि 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।
🚩असल में खेती की बढ़ती लागत और #कृषि_उत्पादों की गिरती कीमत किसानों की निराशा की सबसे बड़ी वजह रही है ।
🚩किसानों के खर्च में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है इसमें सिंचाई के लिए बनाने वाले बोरवेल के लिए भूजल स्तर में भारी गिरावट के चलते महंगे हो गए,  बोने वाले बीज महंगे हो गये , बिजली महँगी हो गई उसके बाद भी जब फसल आती है तब दाम बहुत कम हो जाते है जिससे किसानों को घाटा होता है और किसान आत्महत्या कर लेते है ।
🚩 मौसम की बारिश, ओले और तेज हवाओं ने किसानों की तैयार फसलों को बर्बाद करता हैं, उसका झटका बहुत से किसान नहीं झेल पाते हैं।
🚩#सरकार से लोन नही मिलती है लोन भी मिलती है तो बहुत कम ।
नीचे गिरते #जल स्तर के चलते वहां बोरवेल के लिए #बैंकों से कर्ज नहीं मिलते है और साहूकारों से कर्ज लेना किसानों के लिए घातक साबित होता है ।
🚩कई किसानों के #बच्चों की #शिक्षा से लेकर लड़कियों की शादियां तक अटकी हुई हैं ।
🚩फसलों की गिरती कीमतें !
🚩जब किसानों की फसलें तैयार होती है तो कीमतों में भारी गिरावट आती है इसलिए किसानों की आय बहुत कम होती है ।
🚩किसानों ने आत्महत्याएं किये इससे साफ है कि आर्थिक रूप से उनका बहुत कुछ दाँव पर लगा था, जो बर्बाद हो गया । केंद्र और राज्य सरकारों के तमाम ब्यानों में भी उसे भरोसा नहीं दिखा क्योंकि ये कभी किसान की मदद के लिए बहुत कारगर कदम नहीं उठा पाई हैं ।
🚩इस तरह की आपदा के बाद किसानों को राहत के लिए दशकों पुरानी व्यवस्था और मानदंड ही जारी हैं ।
🚩सरकार ने इस व्यवस्था को व्यवहारिक बनाने और वित्तीय राहत प्रक्रिया को तय समय सीमा में करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं ।
🚩भले ही जनधन में करोडों खाते खुल गये हों, आधार नंबर से जुड़ने वाले #बैंक खाते लगभग पूरी आबादी को कवर करने की ओर जा रहे हों, लेकिन किसानों की मदद के लिए अभी भी बेहद पुरानी, लंबी और लाचार व्यवस्था ही जारी है ।
🚩किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए सरकार द्वारा किसानों का कर्ज माफ किया जाये , सिंचाई के लिए बोरवेल बनवाकर दिये जाएँ और फसल के दाम में वृद्धि हो ।
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Saturday, March 24, 2018

राम-राज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है

🚩रामावतार को लाखों वर्ष हो गये लेकिन श्रीरामजी अभी भी जनमानस के हृदय-पटल से विलुप्त नहीं हुए ।  क्यों...???
क्योंकि #श्रीरामजी का #आदर्श जीवन, उनका आदर्श #चरित्र हर #मनुष्य के लिए अनुकरणीय है ।
🚩‘श्री #रामचरितमानस में वर्णित यह आदर्श चरित्र विश्वसाहित्य में मिलना दुर्लभ है ।
🚩एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श शिष्य, आदर्श योद्धा और आदर्श राजा के रूप में यदि किसीका नाम लेना हो तो #भगवान श्रीरामजी का ही नाम सबकी जुबान पर आता है ।
🚩इसीलिए राम-राज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है ।
🚩भगवान श्रीरामजी के #सद्गुण ऐसे तो विलक्षण थे कि पृथ्वी के प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोग उन #सद्गुणों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं ।
The glory of the Rama-state is sung even after millions of millions of years

🚩श्रीरामजी सारगर्भित बोलते थे । उनसे कोई मिलने आता तो वे यह नहीं सोचते थे कि पहले वह बात शुरू करें या मुझे प्रणाम करें। सामनेवाले को संकोच न हो इसलिए श्रीरामजी अपनी तरफ से ही बात शुरू कर देते थे ।
🚩श्रीरामजी प्रसंगोचित बोलते थे । जब उनके राजदरबार में धर्म की किसी बात पर निर्णय लेते समय दो पक्ष हो जाते थे, तब जो पक्ष उचित होता श्रीरामजी उसके समर्थन में इतिहास, पुराण और पूर्वजों के निर्णय उदाहरण रूप में कहते, जिससे अनुचित बात का समर्थन करनेवाले पक्ष को भी लगे कि दूसरे पक्ष की बात सही है ।
🚩श्रीरामजी दूसरों की बात बड़े ध्यान व आदर से सुनते थे । बोलनेवाला जब तक अपने और औरों के अहित की बात नहीं कहता, तब तक वे उसकी बात सुन लेते थे । जब वह किसीकी #निंदा आदि की बात करता तब देखते कि इससे इसका अहित होगा या इसके चित्त का क्षोभ बढ़ जायेगा या किसी दूसरे की हानि होगी, तब वे सामनेवाले की बातों को सुनते-सुनते इस ढंग से बात मोड़ देते कि बोलनेवाले का अपमान नहीं होता था । श्रीरामजी तो शत्रुओं के प्रति भी कटु वचन नहीं बोलते थे ।
🚩युद्ध के मैदान में श्रीरामजी एक बाण से #रावण के #रथ को जला देते, दूसरा बाण मारकर उसके हथियार उड़ा देते फिर भी उनका चित्त शांत और सम रहता था । वे रावण से कहते : ‘लंकेश ! जाओ, कल फिर तैयार होकर आना ।
🚩ऐसा करते-करते काफी समय बीत गया तो देवताओं को चिंता हुई कि रामजी को क्रोध नहीं आता है, वे तो समता-साम्राज्य में स्थिर हैं, फिर रावण का नाश कैसे होगा ? लक्ष्मणजी, हनुमानजी आदि को भी चिंता हुई, तब दोनों ने मिलकर प्रार्थना की : ‘प्रभु ! थोडे कोपायमान होइये ।
तब श्रीरामजी ने क्रोध का आवाहन किया : क्रोधं आवाहयामि । ‘क्रोध ! अब आ जा ।
🚩श्रीरामजी क्रोध का उपयोग तो करते थे किंतु क्रोध के हाथों में नहीं आते थे । हम लोगों को क्रोध आता है तो क्रोधी हो जाते हैं, लोभ आता है तो लोभी हो जाते हैं, मोह आता है तो मोही हो जाते हैं, शोक आता है तो शोकातुर हो जाते हैं लेकिन श्रीरामजी को जिस समय जिस साधन की आवश्यकता होती थी, वे उसका उपयोग कर लेते थे ।
🚩श्रीरामजी का अपने मन पर बडा विलक्षण नियंत्रण था । चाहे कोई सौ अपराध कर दे फिर भी रामजी अपने चित्त को क्षुब्ध नहीं होने देते थे ।
🚩सामनेवाला व्यक्ति अपने ढंग से सोचता है, अपने ढंग से जीता है, अतः वह आपके साथ अनुचित व्यवहार कर सकता है परंतु उसके ऐसे व्यवहार से अशांत होना-न होना आपके हाथ की बात है ।
यह जरूरी नहीं है कि सब लोग आपके मन के अनुरूप ही जियें ।
🚩श्रीरामजी #अर्थव्यवस्था में भी निपुण थे  । ‘#शुक्रनीति और ‘#मनुस्मृति में भी आया है कि जो धर्म, संग्रह, परिजन और अपने लिए - इन चार भागों में अर्थ की ठीक से व्यवस्था करता है वह आदमी इस लोक और परलोक में सुख-आराम पाता है ।

🚩श्रीरामजी धन के उपार्जन में भी कुशल थे और उपयोग में भी । जैसे मधुमक्खी पुष्पों को हानि पहुँचाये बिना उनसे परागकण ले लेती है, ऐसे ही श्रीरामजी प्रजा से ऐसे ढंग से कर (टैक्स) लेते कि प्रजा पर बोझ नहीं पड़ता था । वे प्रजा के हित का चिंतन तथा उनके भविष्य का सोच-विचार करके ही कर लेते थे ।
🚩प्रजा के संतोष तथा विश्वास-सम्पादन के लिए श्रीरामजी राज्यसुख, गृहस्थसुख और राज्यवैभव का त्याग करने में भी संकोच नहीं करते थे ।
इसीलिए श्रीरामजी का राज्य आदर्श राज्य माना जाता है ।
🚩#राम-राज्य का वर्णन करते हुए ‘श्री रामचरितमानस में आता है :
बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ।
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग ।।... ...
🚩‘राम-राज्य में सब लोग अपने-अपने वर्ण और आश्रम के अनुकूल धर्म में तत्पर हुए सदा वेद-मार्ग पर चलते हैं और सुख पाते हैं । उन्हें न किसी बात का भय है, न शोक और न कोई रोग ही सताता है ।
🚩राम-राज्य में किसीको आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक ताप नहीं व्यापते । सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बतायी हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं ।
🚩धर्म अपने चारों चरणों (सत्य, शौच, दया और दान) से जगत में परिपूर्ण हो रहा है, स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं है । पुरुष और स्त्री सभी रामभक्ति के परायण हैं और सभी परम गति (मोक्ष) के अधिकारी हैं ।
( संत श्री आशारामजी आश्रम ऋषि प्रसाद से )
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