Friday, March 30, 2018

भगवान शिवजी के 11वें अवतार अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता हनुमानजी आज भी अमर हैं

March 30, 2018

🚩 श्री हनुमानजी भगवान #शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान हैं ।

🚩 इस बार हनुमानजी जन्मोत्सव 31 मार्च 2018 को आ रहा है ।  अब किसी के अंदर प्रश्न होगा कि जन्मोत्सव क्यो लिखा? जयंती क्यों नही लिखा?
उसका उत्तर है कि भगवान श्री रामजी ने वरदान दिया हुआ है कि जबतक धरती पर भगवान श्री राम कथा होती रहेगी तब तक हनुमानजी अमर रहेगें इसलिए आज भी हनुमानजी अमर है इसलिए जयंती नही बोलकर जन्मोत्सव बताया गया ।

🚩पृथ्वी पर सात मनीषियों को अमरत्व (चिरंजीवी) का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं । हनुमानजी आज भी #पृथ्वी पर विचरण करते है ।
Lord Shiva's 11th Avatar Ashta Siddhi Nidhi's
donor Hanumanji is still immortal


🚩#ज्योतिषियों की #गणना अनुसार हनुमान जी का जन्म 1 #करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था ।

🚩#हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के #वानर राज राजा #केसरी थे तथा माता #अंजना थी । हनुमान जी को #पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पवन देवता ने हनुमानजी को पालने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
🚩हनुमानजी को #बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि हनुमानजी का शरीर वज्र की तरह था ।

🚩हनुमानजी को एक दिन अंजनी माता फल लाने के लिये आश्रम में छोड़कर चली गईं । जब शिशु हनुमानजी को भूख लगी तो वे उगते हुये सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने आकाश में उड़ने लगे । उनकी सहायता के लिये पवन भी बहुत तेजी से चला। उधर भगवान सूर्य ने उन्हें अबोध शिशु समझकर अपने तेज से नहीं जलने दिया । जिस समय हनुमान जी सूर्य को पकड़ने के लिये लपके, उसी समय राहु #सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहता था । हनुमानजी ने सूर्य के ऊपरी भाग में जब राहु का स्पर्श किया तो वह भयभीत होकर वहाँ से भाग गया । उसने इन्द्र के पास जाकर शिकायत की "देवराज! आपने मुझे अपनी क्षुधा शान्त करने के साधन के रूप में सूर्य और चन्द्र दिये थे । आज अमावस्या के दिन जब मैं सूर्य को ग्रस्त करने गया तब देखा कि दूसरा राहु सूर्य को पकड़ने जा रहा है ।"

🚩राहु की बात सुनकर इन्द्र घबरा गये और उसे साथ लेकर सूर्य की ओर चल पड़े । राहु को देखकर हनुमानजी सूर्य को छोड़ राहु पर झपटे । राहु ने इन्द्र को रक्षा के लिये पुकारा तो उन्होंने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया जिससे वे एक पर्वत पर गिरे और उनकी बायीं ठुड्डी टूट गई ।

🚩हनुमान जी की यह दशा देखकर  #वायुदेव को क्रोध आया । उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दी । जिससे संसार का कोई भी #प्राणी साँस न ले सका और सब पीड़ा से तड़पने लगे । तब सारे  #सुर,  #असुर, यक्ष,  किन्नर आदि #ब्रह्मा जी की शरण में गये । #ब्रह्मा उन सबको लेकर वायुदेव के पास गये । वे मूर्छित हनुमान जी को गोद में लिये उदास बैठे थे । जब ब्रह्माजी ने उन्हें जीवित किया तो वायुदेव ने अपनी गति का संचार करके सभी प्राणियों की पीड़ा दूर की । फिर ब्रह्माजी ने कहा कि कोई भी #शस्त्र इसके अंग को हानि नहीं कर सकता । #इन्द्र ने भी वरदान दिया कि इनका  शरीर #वज्र से भी कठोर होगा । सूर्यदेव ने कहा कि वे उसे अपने तेज का शतांश प्रदान करेंगे तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया। वरुण ने कहा क़ि मेरे पाश और जल से यह #बालक सदा सुरक्षित रहेगा । यमदेव ने अवध्य और  निरोग रहने का आशीर्वाद दिया । #यक्षराज कुबेर,  #विश्वकर्मा  आदि देवों ने भी अमोघ वरदान दिये ।

🚩इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत मे हनु) टूट गई थी । इसलिये उनको "हनुमान"नाम दिया गया । इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे #बजरंग बली, #मारुति, #अंजनि सुत, #पवनपुत्र, #संकटमोचन, #केसरीनन्दन, #महावीर, #कपीश, #बालाजी महाराज आदि । इसप्रकार हनुमान जी के  में 108 नाम हैं और हर नाम का मतलब उनके जीवन के अध्ययों का सार बताता है ।

🚩एक बार माता सीता ने प्रेम वश एक बार हनुमान जी को एक बहुत ही कीमती सोने का हार भेंट में देने की सोची लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से माना कर दिया । इस बात से माता सीता गुस्सा हो गईं तब हनुमानजी ने अपनी छाती चीर कर उन्हें उनमे बसी उनकी प्रभु श्री राम की छव‍ि दिखाई और कहा क‍ि उनके लिए इससे ज्यादा कुछ अनमोल नहीं ।

🚩हनुमानजी के #पराक्रम अवर्णनीय है । आज के आधुनिक युग में ईसाई मिशनरियां अपने स्कूलों में पढ़ाते है कि हनुमानजी भगवान नही थे एक बंदर थे । बन्दर कहने वाले पहले अपनी बुद्धि का इलाज करावो । हमुमानजी शिवजी के अवतार है । भगवान श्री राम के कार्य में साथ देने (राक्षसों का नाश ओर धर्म की स्थापना करने )के लिए भगवान शिवजी ने हनुमानजी का अवतार धारण किया था ।

🚩मनोजवं मारुततुल्य वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्य, श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।
‘मन और वायु के समान जिनकी गति है, जो जितेन्द्रिय हैं, बुद्धिमानों में जो अग्रगण्य हैं, पवनपुत्र हैं, वानरों के नायक हैं, ऐसे श्रीराम भक्त हनुमान की शरण में मैं हूँ ।

🚩जिसको घर में कलह, क्लेश मिटाना हो, रोग या शारीरिक दुर्बलता मिटानी हो, वह नीचे की चौपाई की पुनरावृत्ति किया करे..
 
🚩बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन - कुमार |बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||

🚩चौपाई - अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ।।  (31)

🚩यह हनुमान चालीसा की एक चौपाई  जिसमे तुलसीदास जी लिखते है कि हनुमानजी अपने भक्तो को आठ प्रकार की सिद्धयाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं ऐसा सीतामाता ने उन्हे वरदान दिया ।  यह अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती है जिसकी बदौलत हनुमान जी ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। आइये अब हम आपको इन अष्ट सिद्धियों, नौ निधियों और भगवत पुराण में वर्णित दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताते है।

🚩आठ सिद्धयाँ :
हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-

🚩1.अणिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।

🚩इस सिद्धि का उपयोग हनुमानजी तब किये जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।

🚩2. महिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।

🚩जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।
इसके अलावा माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।

🚩3. गरिमा:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।

🚩गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर का रूप धारन करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ से रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया। पवनपुत्र हनुमान के भाई थे भीम क्योंक‍ि वह भी पवनपुत्र के बेटे थे ।

🚩4. लघिमा:  इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।

🚩जब हनुमानजी अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।

🚩5. प्राप्ति:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।

🚩रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।

🚩6. प्राकाम्य:  इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को कारण कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।

🚩इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल का प्राप्त कर लिया है।

🚩7. ईशित्व:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।

🚩ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं।

🚩8. वशित्व:  इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।

🚩वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।

🚩नौ निधियां  :
हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार है

🚩1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।

🚩2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है ।

🚩3. नील निधि : निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढी तक रहती है।

🚩4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।

🚩5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।

🚩6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है ।

🚩7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है ।

🚩8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढी के लिए होती है।

🚩9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत फल दिखाई देते हैं ।

🚩श्री हनुमानजी को भगवान श्री रामजी के प्रति अनन्य निष्ठा का ही तो यह फल है कि जहाँ भी ‘राम-लक्ष्मण-जानकी’ को याद किया जाता है, वहाँ हनुमानजी का जयघोष अवश्य होता है । 
*राम लक्ष्मण जानकी । जय बोलो हनुमान की ।।* 

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Thursday, March 29, 2018

मंगल पांडे ने अपना बलिदान दे दिया लेकिन गाय के चर्बी वाले कारतूस मुंह से नहीं खोले

March 29, 2018
🚩मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देते है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। उन्होंने अंग्रेजो के सामने विद्रोह करके अंग्रेज़ो को भगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।

🚩मंगल पांडे जिन्होंने गौरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए अंग्रेजी सरकार के खिलाफ 1857 में नई आजादी का शंखनाद किया ।
🚩विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ।
🚩सिपाहियों को पैटर्न 1853 एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं  नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस(बन्दूक की गोली) का बाहरी आवरण में गाय की चर्बी होती थी ।
🚩क्रांतिकारी मंगल पांडे ने इसका विरोध किया पर एक अंग्रेज अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट ने उनको गाय की चर्बी वाली कारतूस खोलने को मजबूर किया मंगल पांडे ने उस अफसर को गोली मार दी। सेना में विद्रोह हो गया अंग्रेज डरने लगे, अंग्रेजो ने मंगल पांडे को फांसी की सजा सुना दी और मंगल पांडे हँसते हँसते फांसी पर चढ़ गए लेकिन गाय के चर्बी वाली कारतूस नही खोली । आज उन महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का बलिदान दिवस है ।
🚩आज आजादी के 7 दशक बाद  गौमाता जिनके कारण हमें आजादी मिली वो आज भी कट रही है गौमाता का अधिकार गौचरण भूमि पर अवैध कब्जे है । मंगल पांडे जी ने तो हमे आजादी दिला दी लेकिन हम लोग भारतवर्ष के माथे पर लगा गौहत्या के कलंक आज तक नही मिटा पाए ।
🚩जिस गौमाता और गौरक्षकों के कारण आज हम आजाद है जिसके मूल में गौमाता और उसके गौरक्षक है ।
🚩वर्त्तमान केंद्र सरकार सत्ता में गौहत्या मुक्ति का नारा लगाकर आये थे सम्पूर्ण भारत मे गौहत्या बन्दी की बात करते थे लेकिन गौहत्या बन्द करने की जगह गौरक्षको को ही गुंडा शब्द का प्रयोग कर दिया गया।
🚩आज मंगल पांडेय जी की आत्मा जहाँ भी होगी निःसंदेह उन्हें पश्चताप होगा आखिर ऐसा भारत हम चाहते थे जहाँ गौमाता की हक की लड़ाई लड़ने अनेक साधु-संत-महात्मा व गौरक्षको को सम्मानित किया जाये और गौरक्षा हो ।
🚩आज सरकार की वोटबैंक की राजनीति के कारण भारतीय गौवंश जिस तेजी से कट रहा है किसान आत्महत्या कर रहा है वह दिन दूर नही जब भारतीय गौवंश और किसान भारत की धरती से समाप्त हो जाएगा ।
🚩फिर ऐसे दिन आयेंगे की जब गाय नही होगी तो गौपालक नही होंगे गौपालक नही होंगे तो खेती नही होगी तब विदेशी कम्पनियों के दलाल भारतीय रेल और एयर इंडिया की भांति किसानों की भूमि को भी कारपोरेट फार्मिंग के लिए विदेशी कम्पनियों को बेच देंगे।
🚩एक विदेशी कम्पनी को भगाने के लिए स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी गौरक्षक  मंगल पांडे जी जैसे 732835 क्रांतिवीर शहीद हो गए आज तो 5 हजार से ज्यादा विदेशी कम्पनिया भारत मे प्रवेश कर चुकी है ।
🚩1857 में भड़की क्रांति की यही चिंगारी 90 वर्षों के बाद 1947 में भारत की पूर्ण-स्वतंत्रता का सबक बनी। स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों ने सर्वस्व त्याग के उत्कृष्ट उदाहरण हमारे सामने रखे हैं। आज़ाद हवा में साँस लेते हुए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे जिन्होंने दासता की बेड़ियाँ तोड़ते-तोड़ते प्राण त्याग दिये।
🚩अब समय आ गया है कि आने वाली पीढ़ियों को हम क्या देना चाहते  । गौहत्या मुक्त भारत या गौहत्या से कलंकित भारत ।
🚩हम आने वाले पीढ़ियों को क्या देना चाहते है भ्रष्टाचार में डूबा भारत या   भारत को आजाद कराने वाले अनन्य क्रांतिकवीरो के सपनो का भारत ।
🚩आजादी के आंदोलन में हिंसा या अहिंसा को आधार बनाकर क्रान्ति करने वाले वीर क्रान्तिकारी सबके सपने एक ही थे की भारत में अंग्रेजियत मुक्त स्वदेशी पर आधारित स्वराज्य आये परंतु वो सपना आजादी के 70  वर्षो बाद भी अधूरा है !
🚩आजादी मिलने के तुरंत बाद शहीदों को सम्मान देते हुए इस कार्य को करना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य से इस देश में वो सबकुछ नहीं हुआ !
🚩जिन लोगो ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया शहादत दी उनका नाम भारत सरकार की सूची में नहीं है और जिन लोगो ने देश से गद्दारी की अंग्रेजो से वफादारी की अंग्रेजो से दोस्ती किया वो इस देश की शासन व्यवस्था में सबसे ऊँचे पदों पर बैठे हुए है उनके प्रतीक पुरे देश में जगह जगह आज भी स्थापित है !
🚩जब तक गौमाता का रक्त भारत भूमि पर पड़ेगा तब तक  यह आजादी अधूरी है कैसे भारत की आने वाली पीढ़िया हमे माफ़ करेंगी !
🚩आज नहीं तो कल शहीदों के सपनो का भारत बनाना ही होगा उन्हें सम्मान देना ही होगा अन्यथा शहीदों की शहादत बेकार जायेगी उनकी सार्थकता ख़त्म हो जायेगी ! आने वाली पीढ़ी आखिर कैसे कुर्बान करेगी देश के लिए !
🚩वादों नारो की राजनीती से राष्ट्र गौरवशाली नहीं होगा  ! ये राष्ट्र गौरवशाली तब होगा जब ये राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों, परम्पराओ, मान्यताओ को भारतीयता के आधार पर स्थापित करेगा !
🚩हम सफल तब होंगे जब भारत को गौहत्या से  मुक्त कर प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर पाएंगे !
🚩अतः व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को एक सूत्र में बाँध पाएंगे और वह सूत्र राष्ट्रीयता ही हो सकती है !सम्भव है राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने के लिए सत्ताओ से लड़ना पड़ेगा सत्ताओ से राष्ट्र महत्वपूर्ण है!  राजनैतिक सत्ताओ से राष्ट्रिय हित महत्वपूर्ण है अतः राष्ट्र की बेदी पर सत्ताओ की आहुति देना पड़े तो भी किसी भारतीय को संकोच न करना पड़े !इतिहास साक्षी है सत्ता और स्वार्थ की राजनीति ने इस राष्ट्र का अहित किया है हमे सिर्फ राष्ट्र हित में विचार करना है !
🚩हमे राजनैतिक सत्ता प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए कार्य करना है और जब तक भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिट नही जाता, शहीदों के सपनो का भारत नहीं बन जाता, स्वराज्य नहीं आ जाता, संतों पर अत्याचार बन्द नही होता तब तक किसी भारतीय को भला होने वाला नहीं है !
🚩विजय तो निश्चित है राष्ट्र की आवश्यकता मात्र आवाहन् की है !
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