Tuesday, April 17, 2018

​असीमानन्द जी निर्दोष बरी हो गए लेकिन उनको जेल क्यो भेजा गया वो भी जान लीजिये...​

🚩 भारत मे जभी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आते है उनको कैसे फसाया जाता है आप भी जान लीजिए ।
🚩मक्का मस्जिद धमाके में अदालत से निर्दोष बरी हुए स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी असीमानंद वह चेहरा हैं, जिनके बारे में संघ परिवार के लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते। खासतौर पर उन दिनों के बारे में जब असीमानंद आरएसएस से जुड़े संगठनों के करीब थे। हालांकि संघ से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जो असीमानंद को हिंदू राष्ट्र के प्रबल समर्थक और कभी समझौता न करने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं। 'गुजरात के आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के अभियान' को रोकने के लिए उन्होंने प्रयास किए थे। वे कहते हैं, यह बेहद कठिन काम था, जिसे असीमानंद ने 1990 के दशक में अपने हाथ में लिया था। वह आदिवासियों के बीच इस तरह घुल-मिल जाते थे कि उनकी ही बोली में बात करते थे, उनके बीच नाचते-गाते थे। हिंदू पर्वों का भव्य आयोजन आदिवासियों के बीच वह करवाते थे। 
Asimanand ji was acquitted, but
why he was sent to jail also know that ...

🚩हिंदू संगठनों से जुड़े रहे असीमानंद ने पश्चिम बंगाल, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में काम किया। लेकिन गुजरात, झारखंड और अंडमान द्वीप के सुदूर इलाकों में असीमानंद ने प्रमुख रूप से काम किया और यहीं से उनकी पहचान बनी। हिंदू मान्यताओं में गहरी आस्था रखने वाले रामकृष्ण मिशन के विचारों से करीबी रखने वाले एक बंगाली परिवार में जन्मे असीमानंद ने शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम किया। आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'एक गुरु से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया था और फिर आदिवासियों के बीच काम करने लगे।' 
🚩शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम करना चाहते थे असीमानंद जी।
🚩गुजरात में असीमानंद के साथ काम कर चुके आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'वह शुरुआत से ही इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि उन्हें आदिवासियों के बीच काम करना है। उन्होंने पश्चिम बंगाल से काम की शुरुआत की, जिसके बाद आरएसएस ने उन्हें 1970 के दशक में अंडमान भेजा, जहां उस दौर में संघ खुद को स्थापित करने के लिए प्रयासरत था।' संघ नेता ने कहा, 'स्वामी असीमानंद को स्वामी विवेकानंद और हिंदुओं के प्रति उनके योगदान को लेकर उनके मन में गहरी श्रद्धा थी।' 
🚩स्वामी असीमानंद जी कहते थे, हिंदुओं का धर्म छोड़ना खतरनाक है।
🚩उन्होंने कहा, 'वह साफ कहते थे- अधिक हिंदुओं को अपने साथ जोड़ो, लेकिन यह ध्यान रहे कि कोई भी हिंदू छोड़कर न जाए। वह कहते थे यदि एक भी हिंदू की आस्था डिगती है तो वह धर्म के लिए बड़ा खतरा है।' स्वामी असीमानंद को 1990 के दशक के आखिरी में गुजरात के आदिवासी बहुल डांग जिले में भेजा गया था। यहा उन्होंने खासतौर पर ईसाई मिशनरियों की ओर से धर्मांतरण पर नजर रखी और उसे रोकने का प्रयास किया। यही नहीं जहां भी उन्हें संभावना दिखी, वहां उन्होंने ईसाई बने हिंदुओं को वापस हिंदुत्व से जोड़ने का प्रयास किया । स्त्रोत : नव भारत टाइम
🚩अब आपने देखा कि जो भी भारत मे ईसाई मिशनरियों के द्वारा हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगाते थे उनको षडयंत्र करके जेल भेजवाया जाता था यही हाल हिन्दू संत आसाराम बापू का है उन्होंने जो ईसाई धर्म मे चले गए थे उन लाखों हिन्दुओं की घरवासपी करवाई अपने धर्म वापिस लाये और गांव-गांव नगर-नगर जाकर लोगो को हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई और आदिवासी इलाकों में जीवनुपयोगी वस्तुओं दी एवं मकान बनाकर दिए जिससे आदिवासी हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई न बने जिसके कारण ईसाई मिशनरियों के आँखों मे खटक रहे थे, फिर वेटिकन सिटी के इशारे पर सोनिया गांधी ने बापू आसारामजी की मीडिया में खूब बदनामी करवाई और झूठे केस बनाकर जेल भिवजाय ।
🚩बापू आसारामजी 5 सालो से बिना सबूत जेल में बंद है 25 को निर्णय आने वाला है अब उनके केस जिस तरह से न्यायालय में बहस हुई है उस अनुसार तो केस बनता ही नही है एक षडयंत्र ही नजर आ रहा है, क्यो की मेडिकल में कोई प्रूफ नही है, आरोप लगाने वाली लड़की के नाम और बर्थ सर्टिफिकेट अलग-अलग है, जो एफआईआर लिखी थी वो फाड़ दी उसका वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दिया गया, जिस समय लडक़ी बोल रही थी मेंरे को कमरे में बुलाया उस समय तो कॉल रिकॉडिंग के अनुसार वे अपने मित्र से बात कर रही थी, ओर बापू आशारामजी उस समय एक कार्यक्रम में बैठे थे सैकंडों लोग उस बात के गवाह भी है, यहाँ तक भी पता चला है कि 50 करोड़ नही देने पर यह सारा षडयंत्र रचा गया । अब उनके भक्तों का कहना है कि हमारे गुरुदेव निर्दोष छूटकर आयेंगे न्यायालय से और सरकार से भी उनकी यही अपेक्षा है कि अब बापू आसारामजी ने बहुत सहन किया अब रिहा कर दिया जाये ।
🚩देशवासी अच्छी तरह जानते है कि जब भी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने के लिए कोई हिंदुनिष्ठ अपने हाथ मे बीड़ा उठाता है और आगे बढ़ता दिखता है तो विदेशी ताकतों के इशारे पर विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया द्वारा उनको बदनाम करवाया जाता है और जेल भिजवाया जाता है या हत्या करवा दी जाती है ।
🚩अनेक ऐसे उदाहरण है जो सनातन धर्म की रक्षा की है उन हिंदुनिष्ठ लोगो को प्रताडना सहन करनी पड़ी है अभी ताजा मामला स्वामी असीमानन्द जी का है जो 11 साल के बाद निर्दोष बरी हुए उनके खिलाफ एक भी सबूत नही था फिर भी सालो तक जेल में रहना पड़ा ।
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Monday, April 16, 2018

स्वामी असीमानंदजी बरी, इनका समय वापिस कौन करेगा, क्या मीडिया माफी मांगेगी?

16 Apr 2018

🚩तेलंगाना के मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की नामापल्ली स्पेशल कोर्ट ने आज सोमवार को 11 साल बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत 5 आरोपियों को बरी कर दिया। 

🚩इस फैसले पर गृह मंत्रालय के पूर्व अफसर सचिव आरवीएस मणि ने कहा कि ब्लास्ट केस के सारे सबूत झूठे थे और इसमें हिंदू आतंकवाद जैसी कोई बात नहीं थी। कांग्रेस ने भ्रम फैलकर लोगों की छवि धूमिल की। 

*सारे सबूत गढ़े गए थे: पूर्व अफसर सचिव*

Swami Aseemanand acquitted innocent,
 who will return to their time, will the media apologize?


🚩- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गृह मंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आरवीएस मणि ने कहा- ''मुझे इसी फैसले की उम्मीद थी। सारे सबूत मनगढ़ंत थे, इसके अलावा ब्लास्ट केस में हिंदू आतंकवाद जैसा कोई एंगल ही नहीं था।'' 

🚩- ''इस मामले में जिन लोगों की छवि धूमिल हुई, उसकी भरपाई कैसे करेंगे? क्या कांग्रेस या कोई और जिन्होंने यह झूठ फैलाया, इन लोगों को मुआवजा देगी।''

🚩- बता दें कि आरवीएस मणि गृह मंत्रालय में अवर सचिव रहे हैं। मणि वही पूर्व अफसर हैं, जिन्होंने 2016 में दावा किया था कि यूपीए सरकार के दौरान उन पर दबाव डालकर इशरत जहां मामले में दूसरा हलफनामा दाखिल कराया गया था। उनका आरोप था कि दूसरे हलफनामे में इशरत और साथियों के लश्कर से संबंधों की बात दबाव डालकर हटा दी गई थी।

🚩आपको बता दें कि 18 मई, 2007 को हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत और करीब 58 जख्मी हुए थे। सीबीआई के द्वारा शुरुआती जांच के बाद केस 2011 में एनआईए को ट्रांसफर किया गया था।

🚩ब्लास्ट केस में जांच एजेंसियों ने कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें से 5 आरोपी देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद, भरत मनोहरलाल रत्नेश्वर और राजेंद्र चौधरी की गिरफ्तारी हुई थी। यही पांचों मुकदमे में बरी हुए हैं। असीमानंद और भरत रत्नेश्वर जमानत पर और बाकी 3 जेल में हैं।  

 *जानिए -कौन है स्वामी असीमानंदजी?*

🚩- स्वामी असीमानंदजी का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हुआ था। उनके पिता देश के स्वतंत्रता सेनानी थे। छात्र जीवन में ही वह आरएसएस से जुड़ गए। असीमानंद साल 1977 में आरएसएस के फुल टाइम प्रचारक बने। 

🚩स्वामी असीमानंद अब निर्दोष बरी हो गए लेकिन उनको 6 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया था वो उनका कीमती समय क्या सरकार या कानून लौटा पायेगा ???

🚩मीडिया ने भी उस समय खूब बदनामी की लेकिन जैसे ही उनको निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । मीडिया ने उनकी जितनी बदनामी की अब क्या उनसे माफी मांगेगी?

🚩जब भी कोई हिन्दू साधु-संत पर आरोप लगता है तो मीडिया उनकी समाज में इतनी बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हो । पर जब वही संत निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है। 

🚩विचार कीजिये, क्या सिर्फ हिन्दू संतों को बदनाम करने का मीडिया का एजेंडा है..???


🚩कछुवा छाप चलने वाली हमारी न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर हिन्दू संतों को न्याय नही दे पाती है ।

🚩और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या देरी से न्याय मिलना अन्याय नहीं है ???

🚩गौरतलब है कि अब हिन्दू संत आसाराम बापू, श्री धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। लेकिन उनको भी अभीतक रिहाई हो  नही पाई है ।

🚩क्या उनको इसलिये जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???

🚩उन्होंने लाखों हिंदुओं की #घरवापसी करवाई है ।

🚩विदेशी प्रोडक्ट पर रोक लगाई है ।

🚩विदेशी ताकतों ने मीडिया से सांठ-गांठ कर हिन्दू संतों को बदनाम करवाया । जिसका असर न्यायपालिका के फैसलों पर भी पड़ा ।

🚩अतः विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया से भारतीय सावधान रहें ।

🚩अब देखना ये है कि अब इन हिंदुनिष्ठ लोगो को कब न्याय मिलता है।

🚩कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों को जेल भेज दिया था पर अब भाजपा सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है , ये देखना है ।

🚩कब निर्दोष संतों की जल्द से जल्द ससम्मान रिहाई करवाती है उसी पर सभी हिंदुओं की निगाहें टिकी है ।

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Sunday, April 15, 2018

​श्री सुरेश चव्हाणके का दावा : मैं हमेंशा हिन्दू संत आशाराम बापू के साथ रहूँगा​

15 Apr 2018
🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य सम्पादक श्री सुरेश चव्हाणके अभी भारत बचाओ यात्रा पर है, उनका अहमदाबाद में जाना हुआ उस समय उन्होंने जन संख्या नियंत्रण के साथ हिन्दू संत आशाराम बापू को रिहा करने की मांग रख दी और तो और न्यायालय पर भी कई प्रश्न खड़े कर दिये ।
Shree Suresh Chavanke claims:
I will always be with Hindu saint Asharam Bapu

🚩सुरेश जी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि व्यवस्था करना नेता का काम है संस्कार देना संत का काम है। आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा प्रताड़ित अगर किसी को किया गया है तो संत आशाराम बापू को किया गया है। मैं उनके लिए कल भी आवाज़ उठाता था आज भी उठा रहा हूँ और कल भी उठाता रहूंगा। न्यायालय का फैसला कुछ भी आएगा फिर भी मैं ये सबको पहले भी कहता था। और न्यायालय के निर्णय के बाद भी कहूंगा। और मैं हमेशा उनका साथ देता था और दूंगा।
🚩समाज को उनके ऊपर हुए षडयंत्र समझना चाहिए। मैं आज भी भाषण में कहा न्यायपालिका के भी धर्म के ऊपर कैसे आक्रमण किया जा सकता है। इसके सैकड़ो उदारण है। मैं अपनी चैनल के माध्यम से कई बार कह चुका हूं। सत्य केवल न्यायपालिका से ही आता है ऐसा नहीं है। हम तो ईश्वर को माननेवाले व्यक्ति है। सत्य को देखने का नजरिया केवल न्यायपालिका से नहीं ईश्वर की दृष्टि से मिलता है उसको ध्यान देना चाहीये।
🚩बापू आशारामजी पर षड्यंत्र यानी  समस्त हिन्दू संतों पर षड्यंत्र है।
🚩मैं एक बात कई बार कह चुका हूं और आज इस भूमि पर दौहराना चाहूंगा। कोई घटनाएं क्यों होती है वो हमको पता नहीं होता। हमें पुरुषार्थ के साथ उनको बदलना चाहीये लेकिन बापूजी के साथ इस शताब्दि के सबसे बड़ा प्रताड़ना का जो विषय हुआ ये केवल एक व्यक्ति और एक संत का नहीं है। ये समस्त हिन्दू संतों का है। क्योंकि जिस गति से जिस लेवल से जिस रुट लेवल पर बापूजी काम कर रहें थे तो ये होना था। ये ऐसा धर्म की रक्षा करनेवालों पर अटेक होना ही है। हम पे भी हुआ है। और वो भगवान ने बचा लिया है। और बचाता जाएगा ।
🚩बापू आशारामजी पर षड्यंत्र से करोड़ो हिन्दू संस्कृति के कार्यकर्ता बन गए।
🚩मैं बापू आशारामजी के बारे में एक बात हमेशा बोलता हूं साधकों के बारे में कि हिन्दुस्तान में खास करके धर्म रक्षा के विषय में कट्टर कार्यकर्ता तैयार होने में बहुत टाइम लगता है एक एक कार्यकर्ता तैयार होने में संविनय भी देखिए शाखा में जाता है फिर शिविरों में जाता है फिर भाषण सुनता है कार्यो में जॉइन होता है आंदोलनों में जाता है तब जाके कहि कार्य करता है। राजनीति कार्य तो इतना पुख्ता नहीं होता लेकिन जो सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी जो कार्य करता है उसमें तैयार होने में बहुत लंबा टाइम लगता है।


🚩मैं भारत की नहीं पूरे विश्व की बात कर रहा हूँ। पूरे विश्व में एक ऐसी घटना है बापूजी की गिरफ्तारी जिसके बाद लोग भले ही आकड़े पर कम-ज्यादा हो लेकिन कम से कम एक दिन में एक करोड़ लोग हिन्दू कार्यकर्ता बन गए ऐसी ये घटना है। इसलिए मैं कम से कम आंकड़ा कह रहा हूँ क्योंकि लोग कहेंगे इतने तो 6 करोड़ नही हो सकते है। एक से तो कोई असहमत हो ही नहीं सकता। हमारा शत्रु भी नही हो सकता। तो एकदम से वो activate बन गए जो खुद केवल गुरु और भगवान इस लिंक में थे।
🚩आध्यात्मिक व्यक्ति ज्यादा इधर उधर देखता नहीं समाज में क्या हो रहा है। लेकिन एकदम से वो अपने गुरु के न्याय के लिए संघर्ष करने लगा। तो उसको पता चला कि न्यायपालिका कितनी भ्रष्ट है। तो उसको पता चला कि पुलिस प्रशासन, सरकार, राजनैतिक दल सामान्य कार्य कर्ता तथाकथित हिन्दू संगठन अन्य साधु-संत ये बिखरे हुए होना कमजोर होना ये हमारे लिए निंदा का नहीं चिंता का विषय है। हम इसलिए उनका उल्लेख कर रहें है इसलिए ये घटना पता चली और उससे जो कार्यकर्ता बना है।
🚩ऐसी ऐसी बहने उड़ीसा में केरल में मिलती है जिन्होंने स्मार्ट फोन लिया ही इसलिए है कि बापूजी की न्याय की बाते सोशल मीडिया के समूह में कर पाए।
🚩25 को कुछ भी हो जाए मैं तो बापूजी के साथ था, हूँ और अंतिम क्षण तक रहूंगा।
🚩रही बात 25 की तो as पत्रकार और इस पूरे षड्यंत्र को देखते हुए।मैं 25 की घटना के मेरी राय को बताने को तैयार नहीं हूँ। 25 को कुछ भी हो जाए मैं तो बापूजी के साथ था, हूँ और अंतिम क्षण तक रहूंगा।  और अब तो कभी कभी हो जाता है न कि प्रताड़ना की हदे जब पार कर जाती है। तो न्याय अपने आप मिल जाता है।  अब मैं जिस जगत से हूँ मीडिया जगत से हमारे क्षेत्र के भी कई लोग अब ये मानने लगे है कि ये ठीक है कि FIR हुआ जो भी हुआ लेकिन ये अधिक हो गया। ये अब लोग मानने लगे है यहाँ तक कि जो गैर धर्मी है वो भी अब ये कहने लगे कि हाँ अब ये ज्यादा हो गया। तो इसका मतलब है कि हिंदुस्तान को जिस मुद्दे को लेकर आपने जितने तमाम महापुरुषों के नाम लिए वो जिस मुद्दे को लेकर जगाने निकले थे। वो सारे जगाने का परिपत क्या होता है ये बापूजी की घटना ना केवल इस दशक में बल्कि आने वाले शतकों तक बताती रहेगी और मैं मानता हूं कि हिन्दू को जगाने संगठित करने और प्रेरित करने की सबसे बड़ी घटना भी रहेगी।
गौरतलब है कि हिन्दू संत आसाराम बापू बिना सबूत 5 साल से जेल में बंध है, अब जोधपुर केस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है 25 अप्रैल को फैसला आने वाला है कहा जा रहा है कि न्यायालय में उनके खिलाफ किये षडयंत्र के कई खुलासे भी हुए है और उनके ऊपर किया गया केस पूरा बोगस है, इसतरह के कई प्रूफ भी मिले है अब उनके करोड़ों भक्तों ओर हिंदुनिष्ठ लोगो को पूर्ण विश्वास है कि निर्णय बापू आसारामजी कर पक्ष में ही आयेगा ।
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