Friday, April 27, 2018

आप भी जानिए न्यायपालिका स्वतंत्र कार्य कर भी रही है या नहीं ?

🚩सतत कई वर्षो से न्यायपालिका द्वारा दिए जा रहे ऊटपटांग, अनर्गल  एवं नाटकीय निर्णयों द्वारा इस देश की जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा उठता ही चला जा रहा है, जोकि स्वतंत्र भारत के लिए चिंता का विषय है ।
🚩जिन आरोपियों  से राजसत्ता को राग (अपनापन) होता है उनको निर्दोष बरी कर दिया जाता है या तो उन आरोपियों पर केस दर्ज होते ही तुरन्त जमानत दे दी जाती है और जिन आरोपियों से द्वेष (दुश्मनी) होता है, चाहे वह आरोपी निर्दोष भी हों, तो भी उन्हें दोषी घोषित कर दिया जाता है ।

Do you know whether the judiciary is doing independent work or not?

🚩ये रह गई है हमारे देश की न्याय व्यवस्था !!
🚩#"काले हिरण शिकार मामले" में हाल ही में आये जोधपुर सेशन कोर्ट के निर्णय को लेकर भी देश की जनता में न्यायपालिका के प्रति रोष है । कैसे तो नाटकीय ढंग से सलमान खान को सजा सुनाई जाती है और फिर 2 दिन में जमानत भी दे दी जाती है । अगर जमानत ही देनी थी तो फिर कोर्ट ने सजा सुनाई ही क्यूँ ? क्या बस ढोंग करने के लिए ?
अगर सलमान खान दोषी घोषित हुए हैं तो उन्हें जेल में ही क्यूँ नहीं रखा गया ? जबकि 82 साल के वयोवृद्ध हिन्दू संत बापू आसारामजी को उम्रकैद की सजा सुना दी गयी और वो भी केवल छेड़छाड़ के मामले में ।
🚩जोधपुर सेशन कोर्ट का निर्णय उसकी अपारगता एवं किसी के दबाब में कार्य करने की नीति को साफ दर्शा रहा है । सलमान खान के लिए अलग ट्रीटमेंट एवं एक 82 साल के हिन्दू संत के लिए अलग !
🚩क्या यही है न्यायालय की निष्पक्षता ???
🚩क्या न्यायपालिका के निष्पक्ष कार्य करने का क्या यही तरीका है ???
🚩क्या जज साहब पर सलमान खान द्वारा नोटों की बरसात कर दी गयी थी ???
🚩आखिर किसके दबाब में सलमान खान को जमानत दे दी गयी थी ???
🚩सलमान खान पर ऐसा ही एक और नाटकीय निर्णय कोर्ट द्वारा दिया गया ।
"हिट एंड रन" मामले में सलमान खान को सेशन कोर्ट ने दोषी घोषित किया और फिर तुरन्त ही मुंबई हाईकोर्ट ने उसे जमानत भी दे दी और फिर कुछ समय बाद इसी मुंबई हाईकोर्ट ने सलमान खान को निर्दोष बरी भी कर दिया ।
🚩आश्चर्य पर आश्चर्य !! कि ये सब कैसे संभव हुआ ??
🚩लेकिन यहाँ तो सलमान खान एवं सत्ताधारियों ने खुलेआम पैसों एवं सत्ता के दम पर इस देश की सबसे सम्मानित संस्था का मजाक और नाटक बनाकर रख दिया ।
🚩इस मुद्दे पर बड़ा प्रश्न यह उठता है कि जिस न्यायपालिका को देश की जनता "निष्पक्ष" मानती है, क्या वह निष्पक्ष है भी सही या नहीं ??
🚩क्या न्यायपालिका स्वतंत्र कार्य कर भी रही हैं या नहीं ? या न्यायपालिका केवल राजसत्ता एवं पैसो के लालच की एक कठपुतली मात्र बनकर रह गयी है ??
🚩अगर न्यायपालिका निष्पक्ष होती तो किसी भी सत्ताधीश या पैसों के लालच में आकर निर्णय ना देती और जो लोग लोकतंत्र की बातें करते फिरते हैं, वही लोग इस देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था (न्यायालय) का दुरूपयोग करके अपने राजनैतिक एवं निजी मंसूबों को बड़ी ही चतुराई से अंजाम देते हैं और देश की जनता आसानी से उनके अनैतिक मंसूबों को समझ भी नहीं पाती हैं ।
🚩 #जिस "2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले" में सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं माना था कि "2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाला हुआ है और उसका आवंटन भी रद्द कर दिया था, उसी मामले के मुख्य अभियुक्त ए. राजा एवं कन्निमोज़ी को स्पेशल कोर्ट ने निर्दोष बरी कर दिया ।
🚩यहाँ फिर से वही बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर किसके दबाब में यह सब किया गया ?
🚩कोर्ट स्वतंत्र कार्य कर भी रही हैं या नहीं ?.या फिर राजसत्ता की कटपुतली बन चुकी है ।
🚩अगर ऐसा है तो राजसत्ता द्वारा इस देश की अस्मिता एवं लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और यह प्रक्रिया आज से नहीं जब से देश आजाद हुआ है तब से हर सत्ताधीश ने अपने राजनैतिक मंसूबों को अंजाम देने हेतु न्यायपालिका का दुरूपयोग किया है और यह दुरूपयोग देश की जनता की पीठ में छुरा घोंपने के बराबर है ।
🚩#आगे बात करते हैं "आरुषी मर्डर" केस की, इसमें भी केवल मिडिया ट्रायल के आधार पर ही सीबीआई कोर्ट ने पुख्ता जाँच किये बिना ही आरुषी के माँ-बाप को उम्र कैद की सजा सुना दी थी । लेकिन बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें निर्दोष बरी कर दिया ।
🚩फिर से बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि कोर्ट स्वतंत्र कार्य कर भी रही हैं या नहीं ? या न्यायालय द्वारा मीडिया या किसी अन्य राजनैतिक आकाओं के दबाब में आकर ही निर्णय दिए जा रहे हैं ?
🚩#आगे बात करते हैं हाल ही में जोधपुर सेशन कोर्ट से आये आशाराम बापू मामले के निर्णय की । इस केस में भी न्यायालय ने बड़ा ही उटपटांग निर्णय दिया है । जिस शिवा को कोर्ट ने निर्दोष बरी किया है वह तो मुख्य रूप से आशाराम बापू का सह आरोपी था । मतलब आशाराम बापू द्वारा किये गए तथाकथित गुनाह में पूरा का पूरा हिस्सेदार लेकिन कोर्ट ने शिवा को तो बरी कर दिया और आशाराम बापू को दोषी घोषित कर दिया । यह कैसे हो सकता है कि जिन दो व्यक्तियों ने मिलकर एक साथ तथाकथित गुनाह किया हो और उसमें से एक को तो निर्दोष और दूसरे को दोषी घोषित कर दिया जाए । इतना बड़ा विरोधाभासी, पूर्ण नाटकीय एवं आश्चर्यजनक निर्णय शायद ही पहले कभी इस देश की जनता के समक्ष आया होगा ।
🚩इस निर्णय को देश की जनता पूर्णतया संदेहास्पद तरीके से देख रही है और भी बड़ा नाटक तो देखिये कि सजा भी सुनाई जाये 82 वर्ष के एक व्यक्ति को आजीवन सश्रम कारावास की, वो भी छेड़छाड़ के मामले में!
🚩कोर्ट की नाटकीय, वाहियात मानसिकता एवं अपरागता की तो हद ही हो गयी । इस निर्णय के पीछे साफ-साफ षड़यंत्र नजर आ रहा है ।
🚩जज साहब ने किसी के दबाब में आकर यह निर्णय दिया है । इस देश का दुर्भाग्य ही है कि इस तरह की कपटपूर्ण, भयपूर्ण, द्वेषपूर्ण एवं अनैतिक कार्यविधि न्यायपालिका अपना रही है । इस देश का नागरिक अब किस पर विश्वास करेगा ?
🚩देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था भी सत्ताधीशों या मीडिया के दबाब में आकर कार्य करेगी तो देश की जनता न्याय कहाँ मांगने जायेगी ?
🚩इससे तो देश में अराजकता, हिंसाचार, वैमनस्य एवं परस्पर टकराव ही बढ़ेगा ।
🚩अगर अभी भी इस विषय पर इस देश के प्रबुद्ध नागरिक एवं बुद्धिजीवियों ने ध्यान नहीं दिया तो दिन प्रतिदिन यह स्थिति और भी भयावह होती जायेगी और वैसे भी इस देश की जनता आशाराम बापू के विरुद्ध जोधपुर कोर्ट से आये हुए इस राजनैतिक षड़यंत्र रूपी निर्णय को अब अच्छी तरह से समझ चुकी है । जनता के सामने देर सवेर इस राजनैतिक निर्णय की पोल भी खुल जायेगी कि इस निर्णय के पीछे किसका हाथ है !!  -दुष्यंत साहू (पत्रकार)
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Thursday, April 26, 2018

25 अप्रैल भारतीय इतिहास का वो काला दिन जिस दिन झूठ की वेदी पर सच की बलि चढ़ाई गई

26-Apr-2018
🚩प्रसिद्ध कहावत - सुनने में ऐसा आता है कि भारत में कानून के ऊपर कोई नहीं है और इससे हम सहमत भी हैं वो भी तब जब हमारे देश की न्यायव्यवस्था किसी के दवाब में आकर फैसला देती है ताकि वो अपने प्रधान को रिझा सके ।

🚩#बापू आसारामजी के #केस में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है । इस केस में कोर्ट ने आसानी से सच्चाई और उन सभी #सबूतों को #अनदेखा कर दिया जो बयां कर रहे थे बापू आसारामजी की निर्दोषता को ।

April 25 The dark day of Indian history, the day
when the truth was sacrificed on the altar of lies

समय-समय पर बचाव पक्ष के द्वारा कोर्ट में जो सबूत पेश किए गए, उन सभी सबूतों को एक साइड पर रखकर निर्णय दिया गया, पोक्सो एक्ट के तहत चल रहे इस केस में उन सभी सबूतों को अनदेखा किया गया जो ये सिद्ध कर रहे थे कि लड़की के अलग-अलग सर्टिफिकेट में #लड़की की #उम्र अलग अलग सिद्ध हो रही है । कहीं वो 19 साल की तो कहीं 20 साल की सिद्ध हो रही थी ।  उन सभी सबूतों को अनदेखा किया गया जो ये सिद्ध कर रहे थे कि लड़की बापू आसारामजी के कमरे में गई ही नहीं । उन मैसेज को भी आसानी से अनदेखा कर दिया गया जो तथाकथित घटना की रात लड़की और किसी संदिग्ध व्यक्ति के बीच हुए थे । जिसको बचाव पक्ष ने नोडल ऑफिसर के बयान व सबूतों सहित कोर्ट में पेश किया था । अनुसंधान अधिकारी द्वारा उन सभी तथ्यों को मिटाया गया जो बापू आसारामजी की निर्दोषता की हकीकत बयां कर रहे थे । जज ने उन सभी सबूतों को भी अनदेखा कर दिया गया जो चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि FIR में रेप का जिक्र नही, FIR और FIR की कार्बन कॉपी अलग-अलग है । दिल्ली में रात 2:45 को कराई गई FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, जोधपुर में हुई FIR में 13 जगह व्यवधान पाए गए जो ये सिद्ध करते हैं कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है । मेडिकल रिपोर्ट में एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया । अगर किसी लड़की का डेढ़ घंटे तक यौन-शोषण या छेड़छाड़ हो तो क्या उसके शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं आएगा ? और सबसे बड़ी बात कि निर्णय के 15-20 दिन पहले लड़की के वकील ने 311 की एप्लीकेशन लगाई थी जिसमें उसका कहना था कि हम कुछ सिद्ध नहीं कर पा रहे हैं इसलिए हम लड़की को दोबारा बुलाने की अपील करते हैं । कुछ समय पहले तक अभियोजन पक्ष (लड़की का पक्ष) के पास कुछ भी सबूत नहीं थे बापू आसारामजी के खिलाफ फिर अचानक 15 दिन बाद निर्णय ने कैसे पलटी मारी ???

🚩विचार कीजिये !!

🚩पर भारत में सब भेड़चाल चलती है । मीडिया चाहे भगवान को शैतान बनाकर दिखा दें चाहे तो शैतान को भगवान बनाकर दिखा दें । पूरी दुनिया मीडिया की बातों में आकर बिना सोचे समझें टिप्पणियां करना चालू कर देती है पर पर्दे के पीछे की हकीकत तक तो समझदार ही पहुचते हैं ।

 🚩बापू आसारामजी का पूरा केस 210% छल और राजनीतिक रूप से प्रेरित रहा । #मिशनरियों, #राजनीतिक पार्टियों व #मीडिया के #निशाने पर सदा से रहे हैं बापू आसारामजी । #षड्यंत्र के रास्ते आसान किये आश्रम में विरुद्ध कार्यों के कारण निकाले गए भूतपूर्व आश्रमवासियों ने।

🚩बापू आसारामजी के बारे में मीडिया में बहुत कुछ गलत दिखाया जाता रहा है और न जाने कैसे कैसे एक संत का मजाक बनाया गया और हिन्दू मूक दर्शक बनकर देखता रहा । किसी हिन्दू को बापू आसारामजी की और उनके अनुयायियों की समता नहीं दिखी । किसी ने ये देखने का प्रयास नहीं किया कि करोड़ों समर्थकों के दिल में वास करने वाले संत को सजा मिलने पर भी देश में वैसी ही शांति बनी हुई है । क्या ये बापू आसारामजी के दिये संस्कार नहीं हैं उनके अनुयायियों में ?

 🚩क्या किसी भी एक मीडिया ने कानूनी दस्तावेज देखें ? जो वो इतना गलत-गलत दिखा रही है । देशहित के मुद्दों को छोड़कर  24*7 घंटे किसी की छवि धूमिल करने में लगी मीडिया को वैश्या की उपाधि देना कुछ गलत नहीं होगा । जो किसी की भी ज़िंदगी से खेल सकती है चंद रुपयों और TRP के लिए।

🚩जिन संत ने विश्वभर में धर्म की ध्वजा लहराई, देशहित समाजहित प्राणिमात्र के हित में जिस संत ने अपने जीवन के 55 साल दे दिए । चुपचाप जो अपने साथ हो रहे अन्याय को सहते चले जा रहे हैं उन बापू आसारामजी की छवि धूमिल करने में मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी । 

🚩आखिर कबतक TRP की भूखी मीडिया की भूख मिटायेंगे भारतवासी ???

🚩आखिर कब तक मूकदर्शक बनकर हिन्दू संतों के साथ हो रहे अन्याय को सहते रहेंगे भारतवासी ???

🚩आखिर कबतक न्यायपालिका में फैले भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधे रहेंगे भारतवासी ???

 🚩एक बात तो स्पष्ट हो गई कि अपने देश की न्यायपालिका में न्याय नहीं बोलता पैसा बोलता है ।

 🚩#25 अप्रैल 2018 #भारत के #इतिहास का वो #काला #दिन जिस दिन एक #निर्दोष #संत को ऐसे #अपराध की #सजा सुनाई गई जो उन्होंने किया ही नहीं । जिनके सत्संग सुनने मात्र से हजारों ने लाखों नहीं करोड़ों लोग संयम के रास्ते पर चले क्या वो किसी कन्या को उसके माता-पिता के साथ बुलाकर ऐसा घृण्डित कार्य कर सकते हैं ?

🚩हमारी न्यायपालिका माल्या को देश से बाहर जाने देती है, नीरव मोदी की करतूत समाज के सामने आए उससे पहले ही बड़ी ही सफाई से देश के बाहर जाने देती है, अपने दोस्तों को बचाने के लिए न्यायाधीश लोया का कत्ल करवाया गया आदि ऐसे तो बहुत से प्रसंग आपको देखने सुनने को मिल जायेंगे जिससे न्यायतंत्र में फैल रहे भ्रष्टचार की बू आती है ।

 🚩न्यायालय पर दवाब डालकर एक 82 वर्षीय संत जिनकी प्रेरणा से पूरे विश्व के #करोड़ों #लोगों का #जीवन #उन्नति की ओर अग्रसर हुआ है ऐसे संत को #आजीवन #कारावास दिया गया इस पर हिन्दू का मूक दर्शक बनकर बैठना #भारत के #भविष्य के लिए #खतरे का #संकेत है ।

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Wednesday, April 25, 2018

इतिहास उठाकर देखें संतों की जय-जयकार होती रही है और निंदकों की दुर्गति

🚩जिन भी #संतों-महापुरुषों ने #संस्कृति #रक्षा व #जन-जागृति का कार्य किया है, उनके #खिलाफ #षड्यंत्र रचे गये हैं । जगद्गुरु आद्य #शंकराचार्यजी का इतना #कुप्रचार किया गया कि उनकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही थीं । #महात्मा बुद्ध पर बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या का #आरोप लगाया गया ।
🚩#स्वामी विवेकानंदजी पर #चारित्रिक #आरोप लगाकर उन्हें खूब बदनाम किया गया । #संत नरसिंह मेहताजी को बदनाम करने व फँसाने के लिए वेश्या को भेजा गया । #संत कबीरजी पर शराबी, कबाबी, वेश्यागामी होने के #घृणित #आरोप लगाये गये । भक्तिमती #मीराबाई पर चारित्रिक #लांछन लगाये गये एवं जान से मारने के कई दुष्प्रयास हुए ।
Seeing the history, the saints have been
cheering and the evil of the slanderers

🚩#संत ज्ञानेश्वरजी और उनके भाइयों व बहन को निंदकों द्वारा #समाज-बहिष्कृत किया गया था । संत #तुकारामजी को #बदनाम करने हेतु उन पर जादू-टोना और पाखंड करने के #झूठे आरोप लगाये गये व वेश्या भेजी गयी । इतना परेशान किया कि उन्हें अपने अभंगों की बही नदी में डालनी पड़ी और उपराम हो के 13 दिनों तक उपवास करना पड़ा ।
🚩वर्तमान में भी #शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, #स्वामी नित्यानंदजी, #स्वामी केशवानंदजी, श्री #कृपालुजी महाराज, #संत आशारामजी बापू, #साध्वी प्रज्ञा सिंह आदि हमारे #संतों को #षड्यंत्र में फँसाकर #झूठे आरोप लगा के #गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया, अधिकांश #मीडिया द्वारा #झूठे आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया परंतु जीत हमेशा सत्य की ही होती रही है और होगी ।
🚩सत्यमेव जयते । ‘सत्य की ही विजय होती है ।’
🚩इतिहास उठाकर देखें तो पता चलेगा कि #सच्चे संतों व महापुरुषों की #जय-जयकार होती रही है और आगे भी होती रहेगी । दूसरी ओर #निंदकों की #दुर्गति होती है और समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से ही देखता है । अतएव समझदारी इसीमें है कि हम संतों का आदर करके या उनके आदर्शों को अपनाकर लाभ न ले सकें तो कम-से-कम उनकी निंदा करके या सुनके अपने पुण्य व शांति को तो नष्ट न करें ।
🚩इतिहास देखें तो पता चलेगा कि सच्चे संतों व महापुरुषों के #निन्दकों को कैसे-कैसे #भीषण कष्टों को सहते हुए #बेमौत मरना पड़ा है और पता नहीं किन-किन नरकों में सड़ना पड़ा है। अतैव समझदारी इसी में है कि हम संतों की प्रशंसा करके या उनके आदर्शों को अपना कर लाभ न ले सकें तो उनकी निन्दा करके अपने पुण्य व शांति भी नष्ट नहीं करनी चाहिए।
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