Tuesday, June 19, 2018

हिंदुओं को खत्म करने के लिए ईसाई मिशनरियां करवा रही है धर्मांतरण

19 June 2018

🚩दुनिया मे सबसे प्राचीन धर्म है तो वे हिन्दु धर्म है, लेकिन 2018 साल से शुरू हुआ ईसाई धर्म और 1400 साल से शुरू हुआ इस्लाम धर्म के कुछ कट्टरपंथी लोग सनातन हिन्दू धर्म को मिटाकर अपनी आबादी बढ़ाकर दुनिया मे राज करना चाहते है ।

🚩अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर के कई इलाको में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हो गई है वहाँ पर लोगों का धर्म और आस्था के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है ।
Christian missionaries are endeavoring to eliminate Hindus

🚩ईसाई मिशनरियां बिमारियों और पारिवारिक समस्याओं को ठीक करने का झांसा देकर हिन्दुओ का पूरा जोश से धर्मान्तरण करवा रहे है ।
  
🚩रविवार को रायपुर राजेंद्र नगर क्षेत्र में हिन्दुओ को समस्यायों से राहत दिलाने और मानसिक भय दिखा कर प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए ले जाया गया था। जिसके लिए कई इलाको में एजेंट तैनात है जो घरेलु बिमारि व आर्थिक कारणों से परेशान  लोगो  को धर्मान्तरण के लिए प्रेरित करते है।

🚩प्रार्थना सभा में आसपास के गाँव के बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष पहुचे थे। उन्हें ये कहकर बुलाया गया था कि अगर आप यीशु कि शरण में आते है तो आपकी सभी तकलीफें दूर हो जाएँगी।

🚩हालाँकि लंबे समय बाद हिंदु संगठनो ने धर्मान्तरण का विरोध दोबारा शुरू किया है।
पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज करवा दी है।

🚩रायपुर में लालपुर स्थित निर्माणाधीन काम्प्लेक्स में धर्मान्तरण कराने कि सूचना  पर पुलिस और हिन्दू संगठन के लोग पहुचे तो यहां मौजूद ईसाई पादरी भागने लगे इतना हि नही ईसाई मिशनरियों के अन्य कार्यकर्ताओं के बिच भगदड़ मच गई। यहाँ पर दो तरह कि क्लास का संचालन हो रहा था । बेसमेंट में 10वर्ष से कम वर्ष के बच्चों को धर्मिक किताब के चमत्कार के बारे में बताया जा रहा था। दूसरी ओर पहले माले में 200 से ज्यादा महिला व पुरुषो को ईश्वर से मुलाकात करानें के नाम पर ध्यान में बैठाया गया था।

🚩भाजपा कार्यकर्ता श्याम चावला ने बताया कि
"हमे शिकायत मिली है कि कुछ इलाको में धर्मान्तरण का खेल प्रार्थना सभा के बहाने चल रहा है। हम कलेक्टर और एस पी को ज्ञापन देकर इस गिरोह पर कार्यवाही की मांग करेंगे ।

🚩आतंकवादियो से भी ज्यादा खतरा इन ईसाई मिशनरियों से है भारत की भोली जनता का मिशनरियां द्वारा ब्रेनवॉश किया जा रहा है  इनको अपने सनातन हिन्दू धर्म के प्रति नफरत करवा रहे है और खिला खाकर मर गये यीशु को महान बताकर ईसाई बना रहे है भारत का दुर्भाग्य है कि इन ईसाई  मिशनरियों पर सरकार या न्यायालय अंकुश अभीतक लगा नही पाई है ।

🚩भारत देश के अंदर हिन्दुओ का धर्मान्तरण करवाने के लिए वेटिकन सिटी भारी फंड देती है । इन ईसाई मिशनरियों कि भारत में इतनी चलती है कि इनके आड़े जो भी आता है उनकी चुपके से हत्या करवा दी जाती है अगर उसमे सफल नही हुए तो उनके इशारे पर चलने वाली मीडिया द्वारा हिन्दू साधु-संतों एवं हिंदुनिष्ठ को बदनाम करके झूठे केस करवाकर जेल में भिजवाया जाता है। 

🚩इसके कहि ताजा उदाहरण है उड़ीसा के लक्ष्मणानन्द जी की हत्या करवा दी, स्वामी असीमानन्द जी को 8 साल जेल में रहना पडा, उड़ीसा में दारा सिंह को उम्रकैद करवा दी और हिन्दू संत आसाराम बापू को भी आजीवन कारावास करवा दी जिससे मिशनरियां आसानी से हिन्दुओ का ब्रेनवॉश करके धर्मान्तरण करवाके अपनी वोट बैंक बढ़ा सकें और भारत पर फिर से कब्जा कर सके ऐसी मानसिकता है ।

🚩अगर अभी भी हिन्दू समाज नही जगा तो आगे भयंकर परिणाम आ सकता है एक के बाद एक हिंदुनिष्ठ जेल जाता रहेगा और ईसाई मिशनरियां हिन्दुओ का धर्मान्तरण करवा देंगे और फिर से देश की आज़ादी खतरे मे पड सकती है ।

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Monday, June 18, 2018

अंग्रेज भी जिनके नाम से पसीने छोड़ देते थे उन महारानी लक्ष्मीबाई का जानिए इतिहास

(महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस :19 जून )
🚩भारतीय नारी ने समग्र विश्व में अपनी एक विशेष पहचान बनायी है । अपने श्रेष्ठ चरित्र, वीरता तथा बुद्धिमत्ता के बल पर उसने मात्र भारत ही नहीं अपितु समस्त नारी जाति को गौरवान्वित किया है । उनका संयम, साहस व वीरता आज भी प्रशंसनीय है । भारत के इतिहास में ऐसी अनेक नारियों का वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है ।
🚩झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई का नाम भी ऐसी ही महान नारियों में आता है । रानी लक्ष्मीबाई का जीवन बड़े-बड़े विघ्नों में भी अपने धर्म को बनाये रखने तथा परोपकार के लिए बड़ी-से-बड़ी सुविधाओं को भी तृण कि भाँति त्याग देने की प्रेरणा देता है ।
The Englishmen, who used to give up their sweat
 Know the history of those Maharani Laxmibai

🚩सन् 1835 में महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण कुल में जन्मी "मनुबाई" जिसे लोग प्यार से ‘छबीली’ भी कहते थे अपनी वीरता एवं बुद्धिमत्ता के प्रभाव से झाँसी की रानी बनी । झाँसी के राजा गंगाधर राव से विवाह के पश्चात् वे ‘रानी लक्ष्मीबाई’ के नाम से पुकारी जाने लगीं ।
🚩गंगाधर राव वृद्ध तथा निःसन्तान थे । उनकी पहली पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी । राज्य का उत्तराधिकारी न होने के कारण उन्होंने वृद्धावस्था में भी विवाह किया । अपने धर्म को निभाते हुए लक्ष्मीबाई ने पति कि सेवा के साथ-साथ राजनीति में भी रुचि दिखाना प्रारम्भ कर दिया ।
समय पाकर गंगाधर राव को पुत्ररत्न कि प्राप्ति हुई परंतु एक गंभीर बीमारी ने राजकुमार के प्राण ले लिए । गंगाधर राव पर मानो वज्रपात हो गया और उन्होंने चारपाई पकड़ ली । श्वास फूलने लगा । रोगाधीन हो गए । उस समय देश में ब्रिटिश शासन था । सभी राज्य अंग्रेजी सरकार के नियमों के अनुसार ही चलते थे । राजा नाममात्र का शासक होता था । महाराज गंगाधर राव ने ब्रिटिश सरकार को इस आशय का एक पत्र लिखा : ‘‘रानी को अपने परिवार से किसी पुत्र को गोद लेने कि अनुमति दी जाय तथा भविष्य में उसी दत्तक पुत्र को झाँसी का शासक बनाया जाय ।’’
🚩ब्रिटिश सरकार ने गंगाधर राव के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया । उसने आदेश पारित किया कि : ‘‘यदि रानी को कोई संतान नहीं है तो झाँसी राज्य को सरकार के आधीन कर लिया जाय ।’’ फिर झाँसी को अंग्रेजों ने हस्तगत कर लिया । गंगाधर राव को एक और चोट लगी और उनकी मृत्यु हो गई । एकलौते पुत्र के बाद अपने पति की मृत्यु तथा अंग्रेजों के प्रतिबन्धों के बावजूद भी भारत की इस वीरांगना ने अपना धैर्य नहीं खोया । उसने राज्य के शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली तथा अपने पति की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए दामोदर राव को अपना दत्तक पुत्र बना लिया ।
🚩रानी का यह साहसिक कदम अंग्रेजों कि चिंता का विषय बन गया । उन्हें लक्ष्मीबाई के रूप में सुलगती क्रांति कि चिंगारी साफ-साफ दिखाई देने लगी । अंग्रेजी सरकार ने झाँसी के राज्य को तुरंत अपने अधीन कर लिया तथा गंगाधर राव के नाम पर रानी को मिलनेवाली पेन्शन भी बन्द कर दी । इसके साथ ही सरकार ने झाँसी में गोवध को बंद करने के रानी के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया । चारों ओर से विपरीत परिस्थितियों से घिरे होने तथा सैन्य-शक्ति न होने के बावजूद भी रानी लक्ष्मीबाई के मन मेें झाँसी को स्वतंत्र कराने के ही विचार आते थे ।
इसी समय भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों द्वारा कारतूस में गाय तथा सूअर कि चर्बी मिलाये जाने कि घटना के कारण अनेक स्थानों पर विद्रोह कर दिया । वीर मंगल पाण्डेय के बलिदान ने देशभर में क्रांति की आग फैला दी तथा 10 मई, सन् 1857 को इस विद्रोह ने भयंकर रूप ले लिया । देशभर में विद्रोह कि आँधी चल पड़ी जिससे अंग्रेजों को अपने प्राण बचाने भारी पड़ गये ।
🚩झाँसी में क्रांति कि आग न लगे इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी कूटनीति का सहारा लिया । सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई से प्रार्थना की कि : ‘‘जगह-जगह युद्ध छिड़ रहे हैं और इसके पहले कि झाँसी भी इसकी चपेट में आये, आप राज्य कि रक्षा का दायित्व अपने हाथ में ले लें और हम सबकी रक्षा करें । झाँसी कि जनता आपसे अत्यधिक प्रेम करती है अतः आपकी इच्छा के विपरीत वह विद्रोह नहीं करेगी ।’’
🚩रानी के लिए राज्य-प्राप्ति का यह एक सुंदर अवसर था जब अंग्रेज स्वयं उन्हें झाँसी राज्य का शासन सौंप रहे थे । रानी के एक ओर झाँसी का सिंहासन था तथा दूसरी ओर स्वतंत्रता कि वह क्रांति जो देशभर में फैल रही थी । रानी चाहती तो सरकार कि सहायता करके तथा झाँसी की क्रांति को रोककर अपने खोये हुए राज्य को प्राप्त कर सकती थी । परंतु धन्य है भारत की यह निर्भीक वीरांगना जिसने देश कि स्वतंत्रता के लिए सिंहासन को भी ठुकरा दिया । रानी ने स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे देशभक्तों कि सहायता करने का निश्चय किया । उन्होंने सरकार को जवाब देते हुए कहा : ‘‘जब मेरे सामने राज्य-प्राप्ति कि समस्या थी तब तो मुझे राज्य नहीं दिया गया । आज आप लोगों के हाथों से वही राज्य छिन जाने का समय आ गया है तो राज्य की रक्षा का दायित्व मुझे दे रहे हैं ।’’
🚩रानी के ये शब्द अंग्रेजी सरकार को तीर की भाँति चुभे । रानी ने अंग्रेजी सेना को अपने यहाँ शरण नहीं दी अतः उन्हें निराश होकर जाना पड़ा । सैनिक विद्रोह ने जोर पकड़ा तथा झाँसी में भी क्रांति की लहर चल पड़ी । अंग्रेजों की छावनियाँ तहस-नहस कर दी गईं तथा अंग्रेजों को झाँसी छोड़कर भागना पड़ा । झाँसी का राज्य क्रांतिकारियों के हाथों में आ गया । वहाँ उन्होंने लक्ष्मीबाई को रानी के रूप में स्वीकार कर लिया ।
🚩रानी ने झाँसी में लगभग एक वर्ष तक शांतिपूर्वक शासन किया परंतु कुछ समय बाद झाँसी के राज्य पर फिर से अंग्रेजों कि काली दृष्टि पड़ी । जनरल ह्यू रोज के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया ।
🚩रानी लक्ष्मीबाई के पास सैन्य-शक्ति अधिक नहीं थी । उधर उनकी सहायता के लिए आ रहे नाना साहब तथा तात्या टोपे की सेना को अंग्रेजों कि विशाल सेना ने रास्ते में ही रोक लिया । रानी के कई वफादार एवं वीर सिपाही युद्ध में शहीद हो गये । ऐसी परिस्थिति में भी लक्ष्मीबाई के साहस में कोई कमी नहीं आयी तथा परतंत्रता के जीवन कि अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए मर-मिट जाना उन्हें अधिक अच्छा लगा । उन्होंने मर्दों की पोशाक पहनी तथा अपने दत्तक पुत्र को अपनी पीठ पर बाँध लिया । महलों में पलनेवाली रानी लक्ष्मीबाई हाथ में चमकती हुई तलवार लिये घोड़े पर सवार होकर रण के मैदान में उतर पड़ीं ।
🚩मुशर नदी के किनारे रानी लक्ष्मीबाई एवं जनरल ह्यू रोज कि सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ तथा रानी कि लपलपाती तलवार अंग्रेजी सेना को गाजर-मूली कि तरह काटने लगी । रानी कि छोटी-सी सेना अंग्रेजों कि विशाल सेना के आगे अधिक देर तक नहीं टिक सकी । दुर्भाग्यवश रानी के मार्ग में एक नाला आ गया जिसे उनका घोड़ा पार नहीं कर सका । फलतः चारों ओर से ब्रिटिश सेना ने उन्हें घेर लिया । अंततः अपने देश कि स्वतंत्रता के लिए लड़ते-लड़ते रानी वीरगति को प्राप्त हुईं जिसकी गाथा सुनकर आज भी उनके प्रति मन में अहोभाव उभर आता है । छोटे-से ब्राह्मण कुल में जन्मी इस बालिका ने अपनी वीरता, साहस, संयम, धैर्य तथा देशभक्ति के कारण सन् 1857 के महान क्रांतिकारियों की शृृंखला में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा दिया ।
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Sunday, June 17, 2018

आसाराम बापू जेल में क्यों हैं? सवाल आपका - जवाब हमारा...

🚩प्रश्न :- आसाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं ??
🚩उत्तर :- आइये सबसे पहले नजर डालते हैं उन सेवाकार्यों पर जिनकी शुरुआत बापू आसारामजी द्वारा हुई ।
*🚩1.)* स्वदेशी अभियान आंदोलन
इसके अंतर्गत बापू आसारामजी आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की जीवनशैली में वापस लाए और गरीबों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई ।
Why is Asaram Bapu in jail? Questions Yours - Answer Ours ...

*🚩2.)* 50 से भी ज्यादा सनातन धर्म शैली के गुरुकुलों की शुरूआत की जिससे छोटी उम्र में ही बच्चे वैदिक संस्कृति से जुड़ने लगे । इनके गुरुकुल इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि सभी स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश में गिरावट आने लगी ।
*🚩3.)* 10,000 से ज्यादा गायों को कत्लखाने जाने से बचाकर, स्व-निर्भर गौशालाओं की शुरुआत की, जो बिना किसी बाहरी दान के चलाये जाते हैं । जहाँ गौ सेवा अंतरराष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। इनके गौमूत्र से बने अर्क, गौवटी और गोधूप इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि अन्य बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे 100 से ज्यादा स्थानीय आदिवासी परिवारों को रोजगार मिलने लगा ।
*🚩4.)* जो लोग उनके सत्संग को सुनते और उनके संपर्क में आने लगे, वे गर्व से कहने लगे कि हिंदू होने पर वे अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं ।
*🚩5.)*  बापू आसारामजी ने कई संस्थाओं के मार्गदर्शक बनकर उन्हें भी प्रेरित किया और खुद भी जनजातीय क्षेत्र में बहुत से सेवा और रोजगार के अवसरों का नेतृत्व किया और सनातन धर्म के मार्ग को खोने वाले लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं की #घरवापसी करवाई । 
*🚩6.)* बापू आसारामजी के प्रत्येक आश्रम (450 आश्रम) को एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में बनाया गया ताकि उन्हें किसीके सामने धनराशि के लिए प्रार्थना न करनी पड़े और वे आसानी से व्यसन मुक्ति अभियान, मातृपितृ पूजन दिवस, संस्कार सिंचन अभियान, वैदिक मंत्र विज्ञान प्रचार, संस्कृति रक्षक सम्मेलन, संकीर्तन यात्राएं और सत्संग जैसे सेवाकार्यों द्वारा समाज में जागृति लाये ।
*🚩7.)* किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं । बापू आसारामजी ने युवाधन सुरक्षा अभियान (दिव्य प्रेरणा प्रकाश) द्वारा युवाओं को संयमित जीवन का महत्व समझाया । आज बापू आसारामजी के कारण आधुनिक अश्लीलता भरे वातावरण में भी करोड़ों युवा ब्रह्मचर्यं का महत्व समझ रहे हैं और अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने लगे हैं ।
*🚩8.)* बापू आसारामजी ने देश विदेश में 17,000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र शुरू करवाये जहां बच्चों को अपने माता-पिता का आदर करना, स्मृति क्षमता में वृद्धि और अपने जीवन को कैसे ऊर्जावान बनाया जाये, ये शिक्षा दी जाने लगी । उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम जैसे सद्गुणों से बच्चे विद्यार्थी जीवन से ही उन्नत, विचारवान और संस्कृति प्रेमी बनने लगे ।
*🚩9.)* हमारी खोई हुई गरिमा और संस्कृति की महिमा को जनमानस के हृदय में पुनः स्थापित करने के लिए समाज में वैश्विक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को "मातृपितृ पूजन दिवस" और  25 दिसंबर क्रिसमस डे को "तुलसी पूजन दिवस"।
🚩इन सभी गतिविधियों को आम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शुरू नहीं किया जा सकता है। यह केवल महान संत द्वारा किया जा सकता है जो आत्मनिर्भर और दिव्य हैं। ऐसे संतों से लाभान्वित होना न होना ये समाज पर निर्भर करता है। विकल्प तुम्हारा है क्योंकि आत्मरामी संतों को आपसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और न ही उनको कोई घाटा है पर उनकी उपेक्षा करने से समाज को आने वाले समय में बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा ।
तो अब सवाल यह है पिछले पचास साल से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले बापू आसाराम जी को जेल क्यों भेजा गया ?
🚩सब जानते हैं कि भारत को 1947 में आजादी मिली पर पर्दे के पीछे का सत्य कोई नहीं जानता । केजीबी जासूस के मुताबिक़ अंतर्राष्ट्रीय मिशनरियों के पास भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने का लक्ष्य है। असल में वे दुनिया पर शासन करना चाहते हैं पर किसी भी देश को नष्ट करने के लिए सबसे पहले उस देश की संस्कृति को नष्ट करना होता है । और इसलिए वे उस देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए देश के प्रति वफादार नेताओं और संतों पर हमला करते हैं ।
🚩जैस सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव दीक्षित और संत लक्ष्मणानंदजी आदि आदि की कैसे मृत्यु हुई आजतक पता नही चला ।
कुछ साल पहले यूरी बेज़मेनोव , जो पूर्व केजीबी जासूस है, उनके इन्टरव्यू के अंश एक अद्भुत अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
🚩" किसी भी देश की पूरी आबादी की सोच और व्यवहार को बदलने के लिए चार कदम हैं।
*1.* अनैतिकता
*2.* अस्थिरता
*3.* संकट
*4.* सामान्यीकरण
🚩हम युवाओं को शिक्षण के द्वारा गुमराह करके अनैतिक बना देते हैं। भारत में अनैतिकता प्रक्रिया मूल रूप से पहले ही पूरी हो चुकी है। "
🚩अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि आशाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं?
कुछ लोग कहते हैं, कांग्रेस (विशेष रूप से सोनिया गांधी का षड्यंत्र) आशाराम बापू पर बनाये गये मामले के पीछे छिपी हुई है लेकिन अब जब मोदी सत्ता में हैं, तब भी आशाराम बापू जेल में हैं।
🚩वास्तविक सत्य यह है: यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश है। बड़े शक्तिशाली लोग जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरियों से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने पूरी भारतीय मीडिया को खरीद रखा है, यहां भारतीय मीडिया पूरी तरह से दूषित है और खरीदने में मुश्किल नहीं है, वे भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता को खरीदते हैं। वे हमेशा किसी भी चेहरे के पीछे काम करते हैं, जैसे उन्होंने सोनिया गांधी के चेहरे के पीछे किया था। भारतीय लोगों को मीडिया द्वारा आसानी से बेवकूफ़ बना दिया जाता है और बाकि भ्रष्ट राजनेता और अधिकारी केस को लंबा बनाते हैं।
जब हम आसाराम बापू पर की गई FIR पढ़ते हैं तो सबकुछ स्पष्ट होता है।
5 दिन पहले जोधपुर मामले की दिल्ली में FIR ?
और लडकी शाहजहांपुर (यूपी में) से हैं। बाकि FIR में कोई बलात्कार का जिक्र नहीं है, लेकिन मीडिया ब्रेकिंग न्यूज 24X7 में "रेप" शब्द बोलता है। क्यूं ???
🚩अगर देश को बचाना चाहते हैं तो भारतीयों को एकजुट होना चाहिए। लेकिन केजीबी के जासूसी प्रभावित लोगों का मीडिया द्वारा ब्रेनवोश किया गया है, इसलिए वे कभी भी सच नहीं पढ़ते और ना बोलते हैं।
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