Saturday, July 7, 2018

कैंसर मिटाने का कोई भी दवाई नही है केवल गौमूत्र से मिट सकता है : वैज्ञानिक

🚩देशी गाय का गौमूत्र आैर गौमूत्र से बने अर्क का प्रयोग सदियों से जीर्ण व्याधियों को ठीक करने में किया जा रहा है। खतरनाक व भयंकर असाध्य रोग कैंसर के उपचार के लिए दुनिया भर में शोध चल रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नही मिली है पर अब सदियों से इस्तेमाल हो रहे गौमूत्र ने एक नई राह दिखाई है ।

🚩गौमूत्र को आयुर्वेद में त्रिदोष (वात-पित-कफ) शामक माना गया है। इन सभी को खत्म करने की शक्ति गौमूत्र में है। गौमूत्र को प्राचीन ग्रंथ आैर आयुर्वेद के जानकार कैंसर ( जिसे पुराने आयुर्वेद के ग्रंथो में अबुर्द के नाम से जाना जाता था ) के उपचार में कारगर मानते थे। अब धीरे धीरे #आयुर्वेद का यह मत #वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरा उतरता नजर आ रहा है ।
🚩गुजरात जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा अलग-अलग शोध किए जाते हैं। बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सह संशोधक वैज्ञानिक डॉ. रूकमसिंह तोमर, डॉ. श्रद्धाबेन भट्‌ट, डॉ. कविताबेन जोशी ने गोमूत्र पर महत्वपूर्ण शोध किया है। शोध में गोमूत्र के अर्क में चार प्रकार के कैंसर के कोश को नष्ट करने की क्षमता पाई गई है।
🚩वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रजाति की गायों के मूत्र का नमूना लेकर उस पर प्रयोग किए। शोध में यह पाया गया कि गोमूत्र के रोजाना सेवन करने से 3000 से 3500 कैंसर के कोश नष्ट होते हैं। वर्तमान में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरापी खर्चीले और दुष्प्रभावी हैं। गोमूत्र के अर्क के सेवन का असर कैंसर से प्रभावित हिस्से पर ही होता है । 24 घंटे में कितने कोश नष्ट हो सकते हैं यह मरीज की रोग प्रतिकारक क्षमता पर भी कम हो सकती है। गोमूत्र के अर्क का सेवन कई लोग नही कर पाते इसे ध्यान में रखते हुए जल्द ही गोमूत्र का पाउडर और गोली बनाने पर विचार किया जा रहा है।
🚩इस शोध के बदले कृषि यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एआर पाठक, डॉ. वीपी चोवटिया, डॉ. पीवी पटेल, डॉ. बीए गोलकिया ने वैज्ञानिकों को अभिनंदन दिया है ।http://dhunt.in/4lhEq?s=a&ss=wsp
🚩गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
🚩गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।
*गौ मूत्र की महत्ता*
*🚩1.* कैंसर रोधक #टेक्सोल पेव #टीटेक्सेल को #अमेरिका से पेटेन्ट भी कराया है जोकि #कैंसर रोधक है।
*🚩2.* रोम में #गौमूत्र की महत्ता इतनी अधिक बढ़ रही थी कि वहां गौमूत्र पर कर भी लगाने का वर्णन है।
*🚩3.* यूरोप के देशों में 18वीं शताब्दी में #गौमूत्र से पीलिया, गठिया, साइटिका, अस्थमा, धात , इन्फ्लूएजा आदि रोगों के निदान का विस्तृत वर्णन है।
*🚩4.* चीन में हर्बल औषधियों में गौमूत्र के सहपान का वर्णन है।
*🚩5.* #अमेरिका के #डाॅक्टर #क्राफोड है मिल्टन के अनुसार गौमूत्र के प्रयोग से ह्रदय के रोग दूर होता है। कुछ दिन गौमूत्र सेवन से #रक्तचाप ठीक होता है, #भूख बढ़ती है तथा किडनी सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है।
*🚩6.* गौमूत्र रक्त में बहने वाले #कीटाणुओं का नाश करता है ।
*🚩8.* गौमूत्र घावों की विशाक्तता को दूर करता है तथा #स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है गौमूत्र 100 से अधिक रोगों के पूर्ण निदान में प्रभावी है।
*🚩9.* गौमूत्र अर्क के #कैंसर रोधी गुण पर पेटेन्ट संख्या यू0एस0-6410056 प्राप्त हुआ है।
*🚩10.* गौमूत्र रक्त व विष की विकृति को हटाता है, बडी आंत में गति को शक्ति देता है, शरीर में वात पित व कफ #दोष को स्थिर रखने में सहयोग करता है।
*🚩11.* यह अनिच्छित व #अनावश्यक वसा को निर्मित होने से रोकता है, लाल रक्त कोशिकाओं एवं #होमेयोग्लोबिन के उत्पादन में सन्तुलन रखता है।
*🚩12.* यह जीवाणुनाशी व #मूत्रवर्धक होने से विष (टोक्सिन) को नष्ट करता है, मूत्र मार्ग से पथरी को हटाने में सहायक है, #रक्तशुद्धि करता है।
*🚩13.* यह तेजाब विहीन, वंशानुगत गठिया रोग से मुक्त करता है। आलस्य व मांसपोशियों की कमजोरी को हटाता है, कीटाणुनाशक, कीटाणु की #वृद्धि को रोकता है। (गेन्गरीन) मांस सड़ाव से रक्षा करता है।
*🚩14.* यह #रक्तशुद्धिकर्ता अस्थि में शक्ति प्रदाता (कीटाणुनाशक) रक्त में #तेजाबी अव्यवों को कम करता है ।
*🚩15.* यह जीवन में शक्ति व उत्साह वृधन में #सक्रियता लाता है व मानसिक रूग्णता व प्यास से बचाता हैं अस्थि में पुनः शक्ति प्रदान कर जीवन में उमंग वृद्धि करते हुए पुनरोत्पादक शक्ति प्रदान करता है।
*🚩16.* यह रोग प्रतिरोधात्मक #शक्ति #वर्द्धक, हृदय को शक्ति व संतोष प्रदान करता है।
🚩गौमूत्र कि कितनी भी महत्ता लिखे वे कम पड़ेगी इसलिए आप समझ सकते है कि हर रोग मिटाने के लिए गोमूत्र का सेवन काफी है।
🚩गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है। गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए। एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।
🚩20 मिली गौमूत्र छानकर प्रातः खाली पेट पीना चाहिए ।
🚩भारतवासियों आप भी गौ उत्पादक की महत्ता समझकर उपयोग करके #स्वस्थ्य रहे और #गौ हत्या रोकने तथा देश को #समृद्ध बनाये रखने में सहभागी होइए ।
🚩आज से हम सभी संकल्प ले क़ि गाय माता को कत्लखाने जाने से बचाकर #गाय माता की रक्षा करेंगे ।
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Friday, July 6, 2018

ईसाई धर्म छोड़कर 212 परिवारों ने महान हिन्दू धर्म में की घरवापसी

6 july 2018 


🚩रोमन केथोलिक चर्च का एक छोटा राज्य है जिसे वेटिकन सिटी बोलते है । वे ईसाई धर्म का मुख्यालय है जिसमे हजारो ईसाई धर्मगुरु पादरी रहते है वही से उनका पूरी दुनिया में राज करने का प्लान बनते है और कैसे पूरी दुनिया में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाये उसके लिए अरबों-खबरों रुपये भी अलग-अलग देशों में भेजे जाते है ।

🚩वेटिकन सीटी के पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति है उनके कितने बिजनेस चल रहे है वे किसी को पता नही है शेयर बाजार मुख्य रूप से उनके अधीन है । वे 17 हजार करोड़ डॉलर हर साल ईसाई धर्मांतरण पर खर्च करते है ।

🚩वेटिकन सिटी द्वारा भारत देश में हिंदुत्व को मिटाकर ईसाई देश बनाने के लिए पुरजोर से कार्य चल रहा है ।
212 families leaving Christianity in the Hindu religion

🚩मध्यप्रदेश झाबुआ वनवासी कभी हिन्दू धर्मं को छोड़कर ईसाई धर्म कबूल कर लेने वाले 212 परिवारों के 300 लोगों ने एक बार फिर से घर वापसी करते हुए हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है। झाबुआ क्षेत्र ग्रामीण अंचल के गांव सेमलिया के 300 लोगों ने लगभग डेढ़ दशक पूर्व हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म को अपना लिया था।

🚩अब उन्हीं परिवार से 300 लोगों ने हाथीपांवा डूंगर के चार मंदिर में संत सम्मेलन में हिन्दू रीतिरिवाजों के साथ बाकायदा घर वापसी की औपचारिकता पूरी कर पुनः हिन्दू धर्म को अपना लिया है। इन सभी लोगों की घर वापसी की पूरी औपचारिकता विश्व हिन्दू परिषद् के धर्म प्रसार स्वामी खुमसिंह महाराज झाबुआ अलीराजपुर के प्रसार ने पूरी करवाई की। 

🚩खुमसिंह महाराज के मुताबिक ये सभी लोगों ने स्वेछा से ईसाई धर्म का परित्याग कर हिन्दू धर्म को अपनाया है और इन सभी लोगों का वैदिक रीतिरिवाज के साथ गायत्री परिवार के पंडितों द्वारा रक्षा सूत्र बांधकर हवन यज्ञ में आहूति डाल कर, हाथ में नारियल चुनरी लेकर और हनुमान चालीसा का पाठकर पुनः अपने धर्म में शामिल कराया गया है।

🚩खुमसिंह जी महाराज के मुताबिक इन आदिवासी क्षेत्रों में भोले भाले लोगों को बहला फुसलाकर कर ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन कराया जाता हैं। कई तरह के प्रलोभन देकर यहां के गरीब आदिवासी भोले लोगो को रुपये - पैसे कई तरह के प्रलोभन दिया जाता है और इसाईयत में परिवर्तन कराया जाता है। 

🚩बात झाबुआ अंचल की करे तो सबसे ज्यादा अवैध रूप से चर्च बड़ी मात्रा में बनाई हुई हैं। बताया जा रहा है कि इन अवैध चर्चो को हटाने की मांग कर चुके हैं, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीशिवराज चौहान। जिला कलेक्टर को भी आवेदन दिया गया हैं लेकिन कोई कार्यवाही अभी तक नही हुई हैं।

🚩आपको बता दे कि केवल झाबुआ में ही ईसाई मिशनरियां धर्मपरिवर्तन करा रहे है ऐसी बात नही है वे पूरे भारत मे पुरजोश से लगे है भोले गरीब हिंदुओ को पैसे, सामग्री आदि का प्रलोभन एवं प्रभु यीशु ही मुक्ति दे सकता है ऐसा बोलकर धर्मपरिवर्तन करवा रहे है, कॉन्वेंट स्कूलों में भी बचपन से ईसाई धर्म के संस्कार दिए जाते है वे चारो तरफ से भारत को ईसाई बनाकर वोटबैंक बढ़ाकर राज करना चाहते है ।  हिन्दू मंदिर को तोड़ने का आदेश देने वाली और हिन्दू धर्मगुरुओं को जेल भेजने वाली सरकार को इसपर ध्यान नही जाता है । 

🚩ईसाई मिशनरियों के खिलाफ भारत में जो भी हिन्दूनिष्ठ आवाज उठाता है और उनके आड़े आता है उनकी षड्यंत्र पूर्वक हत्या कर दी जाती है या मीडिया द्वारा बदनाम करके जेल भिजवाया जाता है ।

🚩जैसे अभी हाल में ओडिसा के लक्षणानन्द जी की हत्या कर दी गई और शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी असिमानन्द, संत आसाराम बापू आदि को बदनाम करके जेल भिजवाया गया ।

🚩कुछ भोले भारतवासी बिकाऊ मीडिया वालों की बातों में आकर बोलते है कि हिन्दू साधु-संतों को पैसे की क्या जरूरत है?
जब वेटिकन सिटी धर्मान्तरण करके लोगों को अपनी संस्कृति और धर्म से भ्रष्ट करने में 
17 हजार करोड़  डॉलर खर्च करती है तो भारत के संत खर्च करते है लोगों को शान्ति देने में, उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में, आदिवासियों और गरीबों की सेवा में, प्राकृतिक आपदा के समय पीडितों की सेवा में और अन्य लोकसेवा के कार्यों में ।

🚩प्राचीन काल में ऋषियों के पास इतनी संपत्ति होती थी कि बड़े बड़े राजा जब आर्थिक संकट में आ जाते थे तब उनसे लोन लेकर अपने राज्य की अर्थ व्यवस्था ठीक करते थे । 

🚩साधू-संतो के पास संपत्ति नहीं होगी तो वे सनातन धर्म प्रचार का कार्य कैसे करेंगे?

🚩भारत मे हिन्दुधर्म मिटाने का गहरा षड्यंत्र चल रहा है उसको भारतवासी पहचाने ।

🚩हिन्दू धर्म जैसा कोई धर्म नही है
गांधीजी कहते थे कि "हमें गोमांस भक्षण और शराब  पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दु परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा,रिति रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपडा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।"


🚩फिलॉसफर नित्शे ने बताया कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईयत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।


🚩डॉ. एनी बेसेन्ट ने बताया कि मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बडे धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है । 

🚩पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने बताया कि
भारत में पादरियों का धर्म प्रचार (धर्मांतरण) हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है ।

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Thursday, July 5, 2018

जानिए जापान में आजाद हिंद सेना बनाकर भारत से अंग्रेजों को कैसे खदेड़ा ?

🚩 भारत की #स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले #आजाद हिंद सेना का #5 जुलार्इ 1943 को गठन हुआ था ।
🚩#आजाद हिंद सेनाके #संस्थापक #नेताजी सुभाषचंद्र बोस उग्रमतवादी थे । अंग्रेजोंको परास्त करनेके लिए भारतकी स्वतंत्रता संग्रामकी अंतिम लडाईका नेतृत्व नियतीने नेताजीके हाथों सौंपा था । नेताजीने यह पवित्र कार्य असीम साहस एवं तन, मन, धन तथा प्राणका त्याग करनेमें तत्पर रहनेवाले हिंदी सैनिकोंकी #‘आजाद हिंद सेना’ संगठनद्वारा पूर्ण किया । इस  संगठनका अल्पसा परिचय !
🚩1. ब्रिटिश सेनाके हिंदी सैनिकोंका नेताजीने बनाया संगठन
अंग्रेजोंकी स्थानबद्धतासे भाग जानेपर नेताजीने फरवरी 1943 तक जर्मनीमें ही वास्तव्य किया । वे जर्मन सर्वसत्ताधीश #हिटलरसे अनेक बार मिले और उसे हिंदुस्थानकी स्वतंत्रताके लिए सहायताका आवाहन भी किया । दूसरे महायुद्धमें विजयकी ओर मार्गक्रमण करनेवाले हिटलरने नेताजीrको सर्व सहकार्य देना स्वीकार किया । उस अनुसार उन्होंने जर्मनीकी शरणमें आए अंग्रेजोंकी सेनाके #हिंदी सैनिकोंका प्रबोधन करके उनका #संगठन बनाया । नेताजी के वहांके भाषणोंसे हिंदी सैनिक देशप्रेममें भावविभोर होकर स्वतंत्रताके लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते थे ।
Know how to force the British into India by
creating Azad Hind army in Japan?

🚩2. #आजाद हिंदी सेनाकी स्थापना और #‘चलो दिल्ली’का नारा
पूर्व एशियाई देशोंमें जर्मनीका मित्रराष्ट्र #जापानकी सेना #ब्रिटिश सेनाको धूल चटा रही थी । उनके पास भी शरण आए हुए, ब्रिटिश सैनाके हिंदी सैनिक थे । नेताजीके मार्गदर्शनानुसार वहां पहलेसे ही रहनेवाले #रासबिहारी बोसने हिंदी सेनाका संगठन किया । इस हिंदी सेनासे मिलने नेताजी 90 दिन पनडुब्बीसे यात्रा करते समय मृत्युसे जूझते जुलाई वर्ष 1943 में जापानकी राजधानी #टोकियो पहुंचे । #रासबिहारी बोसजीने इस सेनाका नेतृत्व नेताजीके हाथों सौंपकर दिया । 5 जुलाई 1943 को सिंगापुरमें नेताजीने ‘आजाद हिंद सेना’की स्थापना की । उस समय सहस्रों सैनिकोंके सामने ऐतिहासिक भाषण करते हुए वे बोले, ‘‘सैनिक मित्रों ! आपकी युद्धघोषणा एक ही रहे ! #चलो दिल्ली ! आपमें से कितने लोग इस स्वतंत्रतायुद्धमें जीवित रहेंगे, यह तो मैं नहीं जानता; परंतु मैं इतना अवश्य जानता हूं कि अंतिम विजय अपनी ही है। इसलिए उठो और अपने अपने शस्त्रास्त्र लेकर सुसज्ज हो जाओ । हमारे भारतमें आपसे पहले ही क्रांतिकारकोंने हमारे लिए मार्ग बना रखा है और वही मार्ग हमें दिल्लीतक ले जाएगा । ….चलो दिल्ली ।”
🚩3. भारतके अस्थायी शासनकी प्रमुख सेना
सहस्रों सशस्त्र हिंदी सैनिकोंकी सेना सिद्ध होनेपर और पूर्व एशियाई देशोंकी लाखों हिंदी जनताका भारतीय स्वतंत्रताको समर्थन मिलनेपर नेताजीने #21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थानका दूसरा #अस्थायी शासन स्थापित किया । इस अस्थायी शासनको जापान, जर्मनी, चीन, इटली, ब्रह्मदेश आदि देशोंने उनकी मान्यता घोषित की । इस अस्थायी शासनका आजाद हिंद सेना, यह प्रमुख सेना बन गई ! #आजाद हिंद सेनामें सर्व जाति-जनजाति, अलग-अलग प्रांत, भाषाओंके सैनिक थे । सेनामें एकात्मताकी भावना थी । #‘कदम कदम बढाए जा’, इस गीतसे समरस होकर नेताजीने तथा उनकी सेनाने #आजाद हिंदुस्थानका स्वप्न साकारनेके लिए #विजय यात्रा आरंभ की ।
🚩4. #‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना
नेताजीने झांसीकी रानी #रेजिमेंटके पदचिन्होंपर महिलाओंके लिए #‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’की स्थापना की । पुरुषोंके कंधेसे कंधा मिलाकर महिलाओंको भी सैनिक प्रशिक्षण लेना चाहिए, इस भूमिकापर वे दृढ रहे । नेताजी कहते, हिंदुस्थानमें #1857 के #स्वतंत्रतायुद्धमें लडनेवाली झांसीकी रानीका आदर्श सामने रखकर #महिलाओंको भी #स्वतंत्रतासंग्राममें अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए ।’
🚩5. आजाद हिंद सेनाद्वारा धक्का
आजाद हिंद सेनाका ब्रिटिश सत्ताके विरोधमें सैनिकी आक्रमण आरंभ होते ही जापानका सत्ताधीश #जनरल टोजोने इंग्लैंडसे जीते हुए #अंदमान एवं #निकोबार ये दो द्वीप आजाद हिंद सेनाके हाथों सौंप दिए । 29 दिसंबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थानके प्रमुख होनेके नाते नेताजी अंदमान गए और अपना #स्वतंत्र ध्वज वहां लहराकर सेल्युलर कारागृहमें दंड भोग चुके क्रांतिकारकोंको आदरांजली समर्पित की । जनवरी #1944 में नेताजीने अपनी सशस्त्र सेना ब्रह्मदेशमें स्थलांतरित की ।
19 मार्च 1944 के ऐतिहासिक दिन #आजाद हिंद सेनाने भारतकी भूमिपर कदम रखा । इंफाल, कोहिमा आदि स्थानोंपर इस सेनाने ब्रिटिश सेनापर विजय प्राप्त की । इस विजयनिमित्त 22 सितंबर 1944 को किए हुए भाषणमें नेताजीने गर्जना की कि, #‘‘अपनी मातृभूमि स्वतंत्रताकी मांग कर रही है ! इसलिए मैं आज आपसे आपका रक्त मांग रहा हूं । केवल रक्तसे ही हमें स्वतंत्रता मिलेगी । तुम मुझे अपना #रक्त दो । मैं तुमको #स्वतंत्रता दूंगा !” (‘‘दिल्लीके लाल किलेपर तिरंगा लहरानेके लिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा”) यह भाषण इतिहासमें अजरामर हुआ । उनके इन हृदय झकझोर देनेवाले उद्गारोंसे उपस्थित हिंदी युवाओंका मन रोमांचित हुआ और उन्होंने अपने रक्तसे प्रतिज्ञा लिखी ।
🚩6. ‘चलो दिल्ली’का स्वप्न अधूरा; परंतु ब्रिटिशोंको झटका
मार्च 1945 से दोस्तराष्ट्रोंके सामने जापानकी पराजय होने लगी । #7 मई 1945 को जर्मनीने बिना किसी शर्तके #शरणागति स्वीकार ली, जापानने 15 अगस्तको शरणागतिकी अधिकृत घोषणा की । जापान-जर्मनीके इस अनपेक्षित पराजयसे नेताजीकी सर्व आकांक्षाएं धूमिल हो गइं । ऐसेमें अगले रणक्षेत्रकी ओर अर्थात् सयाम जाते समय 18 अगस्त #1945 को फार्मोसा द्वीपपर उनका #बॉम्बर विमान गिरकर उनका हदयद्रावक अंत हुआ । आजाद हिंद सेना दिल्लीतक नहीं पहुंच पाई; परंतु उस सेनाने जो प्रचंड आवाहन् बलाढ्य ब्रिटिश साम्राज्यके सामने खडा किया, इतिहासमें वैसा अन्य उदाहरण नहीं । इससे ब्रिटिश सत्ताको भयंकर झटका लगा । हिंदी सैनिकोंके विद्रोहसे आगे चलकर भारतकी सत्ता अपने अधिकारमें रखना बहुत ही कठिन होगा, इसकी आशंका अंग्रेजोंको आई । चतुर और धूर्त अंग्रेज शासनने भावी संकट ताड लिया । उन्होंने निर्णय लिया कि पराजित होकर जानेसे अच्छा है हम स्वयं ही देश छोडकर चले जाएं । तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्रीने अपनी स्वीकृति दे दी ।
🚩7. ब्रिटिश भयभीत हो गए और नेहरू भी झुके
स्वतंत्रताके लिए सर्वस्व अर्पण करनेवाली नेताजीकी #आजाद हिंद सेनाको संपूर्ण भारतवासियोंका उत्स्फूर्त #समर्थन प्राप्त था । नेताजीने ब्रिटिश-भारतपर सशस्त्र आक्रमण करनेकी घोषणा की, तब पंडित नेहरूने उनका विरोध किया; परंतु नेताजीकी एकाएक मृत्युके उपरांत आजाद हिंद सेनाके सेनाधिकारियोंपर अभियोग चलते ही, संपूर्ण देशसे सेनाकी ओरसे  लोकमत प्रकट हुआ । सेनाकी यह लोकप्रियता देखकर अंतमें नेहरूको झुकना पडा, इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं सेनाके अधिकारियोंका अधिवक्तापत्र (वकीलपत्र) लिया । अंततः आरोप लगाए गए सेनाके 3 सेनाधिकारी सैनिक न्यायालयके सामने दोषी ठहराए गए; परंतु उनका दंड क्षमा कर दिया; क्योंकि अंग्रेज सत्ताधीशोंकी ध्यानमें आया कि, नेताजीके सहयोगियोंको दंड दिया, तो 90 वर्षोंमें लोकक्षोभ उफन कर आएगा । आजाद हिंद सेनाके सैनिकोंकी निस्वार्थ देशसेवासे ही स्वतंत्रताकी आकांक्षा कोट्यवधी देशवासियोंके मनमें निर्माण हुई ।
संदर्भ : ‘झुंज क्रांतीवीरांची : स्वातंत्र्यलढ्याचा सशस्त्र इतिहास’, लेखक : श्री. सुधाकर पाटील
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