Wednesday, July 18, 2018

पादरी का खुलासा : मिशनरियां सदियों से सेवा कि आड़ में कर रहे है गोरखधंधा..

18 july 2018 

🚩ईसाई मिशनरियों के एक के बाद एक चौकाने वाले खुलासे हो रहे है भारत मे मिशनरियों ने किस तरह से सेवा के नाम पे गोरखधंधा की जाल बिछाई गई है वे जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे ।

🚩भूतपूर्व पादरी सोलोमन ने मिशनरियां के कई खुलासे किये है ।

🚩हिन्दू जागरण मंच के झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर रघुवर सरकार के स्तर से की जा रही कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि 

🚩सोलोमन ने बताया कि अब जनता के सामने मिशनरियों का वास्तविक चरित्र उजागर हो रहा है।
Disclosure of Pastor: Missionaries have been working
for centuries under the guise of Gorakhandha ..

🚩रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नित्य हो रहे नए खुलासे और बच्चा बेचने, कुंवारी बालिकाओं के प्रसव कराकर अनैतिक कामों को अंजाम देनेवाले मिशनरियों पर प्रहार करते हुए पूर्व पादरी सोलोमन ने कहा कि यह समाज के लिए आंखे खोलनेवाला सच है। उन्होंने कहा कि मिशन के गुप्त एजेंडा पूरे झारखंड को ईसाई लैंड बनाने के षडयंत्र का ही एक हिस्सा नवजात शिशुओं को बेचने का मामला है।

🚩पादरी सोलोमन ने आगे कहा कि इसके गूढ़ रहस्य को सभी को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार के द्वारा उक्त काले कारनामों को समाज के सामने उजागर होने से हम हर्षित है। साथ ही उन्होंने कहा कि कम से कम आजादी के बाद देश भर के सभी मिशन संस्थाओं के पूरी गतिविधियों की गहन पड़ताल करने की अब जरूरत है। 

🚩मदर टेरेसा भी यही धंधा करती थी

🚩सोलोमन ने आगे बताया कि मां के रूप में मदर टेरेसा को रेखांकित किया जाता है लेकिन उनके द्वारा गठित संगठन ने बेहद ही कलंकित कार्य किया है। क्या कोई माँ ऐसा कर सकती है? कहा कि सेवा कि आड़ में सदियों से गोरखधंधा भारत में चलाया जा रहा है। खुद मदर टेरेसा भी सेवा कि आड़ में लोगों का ब्रेनवास करके धर्मांतरण किया करती थीं । 

🚩आगे उन्होंने कहा कि रांची में रोज हो रहे खुलासे से साबित हो ही गया है किस तरह लोगों की आंखों में धूल झोंक कर सेवा के नाम पर समाज को धोखा देने का काम मिशनारियां करती रही हैं। अब जब मामले का उद्भेदन समाज के सामने हो गया है तो फिर ये कहना कि सिस्टर्स निर्दोष हैं ये चोरी और सीनाजोरी को ही चरितार्थ करता है। निश्चित ही इससे वेटिकन पॉप और चर्च की भूमिका पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। 

🚩कहा गये केंडल मार्च निकालने वाले?

🚩पूर्व पादरी सोलोमन ने बताया कि आज भारत में यदि कहीं कोई साधु संतों, हिन्दू संगठनों पर कोई आरोप लगता तो दिखावे के लोग कैंडल मार्च निकालते हैं। पूरे भारत में हदुओं को बदनाम किया जाता है लेकिन रांची के मिशन संस्था द्वारा बेहद घृणित कुकृत्य किए जाने पर कहीं कोई कैंडल मार्च नहीं निकला। देश में कोई शोर नहीं है। यही धार्मिक पक्षपात हमारे साथ होता आया है। 

🚩बच्चा बेचने की घटना का अभी सिर्फ रांची में ही उजागर हुआ है। कहा कि इसकी पूरी संभावना है कि दूसरे राज्यों में भी इस तरह के असामाजिक कार्य किए जाते होंगे। हम सरकार से ये मांग करती है कि मिशन के संस्थाओं पर पैनी निगाह रखी जाए साथ ही इनके सभी गतिविधियों की सीबीआइ जांच की जाए।

🚩आपको बता दे कि इंडोनेशिया के पूर्व ईसाई फादर रॉबर्ट सोलोमन को मिशनरियों ने भारत मे भेजा था धर्मान्तरण कराने लेकिन उनकी भेंट हिन्दू संत आसाराम बापू से हुई उनका प्रवचन सुना उसके बाद उनको ईसाई मिशनरियों से घृणा हो गई और उन्होंने ने ईसाई धर्म त्याग करके हिन्दू धर्म मे आ गये औरर उनका नाम रखा डॉ सुमन कुमार, तब से वे हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार करते है ।

🚩वर्तमान में अब डॉ. सुमन कुमार हिन्दू जागरण मंच के झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन के मंत्री है । 

🚩बता दे कि सोलोमन से बने डॉ सुमन कुमार अब ईसाई मिशनरियों के काले धन्धे को उजागर करते रहते है और जो मिशनरियां भोले भारतवासियों को धर्मपरिवर्तन करवाती है उनको घर वापसी कार्यक्रम करवाते है ।

🚩भारतीय संस्कृति इतनी महान है कि उसकी महानता समझ ले तो वे अन्य धर्म का त्याग करके हिन्दू धर्म अपना लेगा और हमारे साधु-संतों के संपर्क में आ गया तो वे निश्चित ही हमेंशा के लिए हिन्दू धर्म के प्रति समर्पित हो जायेगे इसलिए मिशनरियां मीडिया को भारी फंडिग करके हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करवाती है जिससे उनके काले कारनामे आसानी से चलते रहे ।

🚩अब समय आ गया है कि भारतवासी इन षडयंत्र को समझे और अपने धर्मगुरुओं को बदनाम करने वाली मीडिया और उनको फंडिंग करने वाली मिशनरियां का त्याग करें तभी हिन्दू संस्कृति बचेगी ।

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Tuesday, July 17, 2018

खुलासा : अमेरिकी पुरातत्वविद ने माना कि ताजमहल एक हिंदू भवन है...

17 july 2018 

🚩'ताजमहल' वास्तु मुसलमानों की नहीं, अपितु वह मूलतः #हिंदुओं की है । वहां इससे पूर्व #भगवान #शिवजी का मंदिर था यह इतिहास सूर्यप्रकाश के जितना ही स्पष्ट है । मुसलमानों ने इस वास्तु को ताजमहल बनाया । #ताजमहल इससे पूर्व #शिवालय होने का प्रमाण पुरातत्व विभाग के अधिकारी, अन्य पुरातत्वतज्ञ, इतिहास के अभ्यासक तथा देश-विदेश के तज्ञ बताते हैं ।
Revealed: The American archaeologist believed
that the Taj Mahal is a Hindu temple ...

🚩भारत के मशहूर इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने ताजमहल को हिंदू संरचना साबित किया था। तब मार्क्सवादी इतिहासकारों ने उनका खूब मजाक उड़ाया था। जबकि पीएम ओक की ही परिकल्पना थी कि वह मकबरा नहीं तेजोमहालय नाम का हिंदू स्मारक था। उस समय उन्होंने सबूत के साथ साबित किया था कि इसका निर्माण शहजहां ने नहीं बल्कि जय सिंह ने कराया था।

🚩लेकिन शाहजहां ने उस पर कब्जा कर लिया और फिर उसे मकबरा में बदल दिया था। लेकिन अब अमेरिका के पुरातत्वविद प्रो. मार्विन एच मिल्स ने ताजमहल को हिंदू भवन माना है। उन्होंने अपने शोध पत्र में सबूत के साथ स्थापित किया है। इतिहास में झूठ और फरेब स्थापित करने में लगे नेहरूवादी और मार्क्सवादी इतिहासकारों को इससे चोट पहुंच सकती है।

🚩अब जब ताजमहल को लेकर नए-नए तथ्य उजागर होने लगे हैं तो मुसलमानों ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। तामजमहल को लेकर अपनी धार्मिक बुनियाद मजबूत करने के लिए ही मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नमाज अदा करने की इजाजत मांगी थी। लेकिन उनकी मंशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांगें खारिज कर दी है।

🚩सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह विश्व धरोहर के साथ ही दुनिया के सात अजूबों में से एक है। इसलिए इसलिए इसे ध्यान में रखने हुए ताजमहल स्थित मस्जिद में नमाज अदा करने की कोई अनुमित नहीं दी जाएगी। नमाज कहीं और भी अदा की जा सकती है।

🚩अमेरिका की कूटनीतिक राजधानी न्यूयॉर्क स्थित प्रैट इंस्टीट्यूट के प्रसिद्ध शिल्पकार तथा प्रोफेसर मार्विन मिल्स ने ताजमहल का विस्तृत अध्ययन किया और उस पर अपना शोध पत्र भी लिखा। ताजमहल पर लिखा उनका शोध पत्र उस समय न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। उनके शोध से ही ताजमहल के बारे में कई नई सूचनाएं और विश्लेषण सामने आए हैं।

🚩वैसे तो भारतीय विद्वान इतिहासकार ओक ने तो पहले ही यह स्थापित कर दिया था कि ताजमहल शाहजहां का बनवाया मकबरा नहीं बल्कि हिंदू राजा जय सिंह द्वारा बनाया गया तेजोमहल था। लेकिन मिल्स के इस शोध पत्र ने उनकी परिकल्पना पर मोहर लगा दी है।

🚩मिल्स ने अपने शोध पत्र में जोर देते हुए कहा है कि शुरू में ताजमहल एक हिंदू स्मारक था जिसे बाद में मुगलों ने कब्जा कर उसे मकबरे में बदल दिया। उन्होंने अपने शोधपत्र में ताजमहल से जुड़े ऐसे-ऐसे ऐतिहासिक साक्ष्य दिए हैं कि कोई उसे झुठला नहीं सकता। ताजमहल की बाईं ओर एक भवन है जो अब मस्जिद है। वह मस्जिद पश्चिमाभिमुख है यानि उसका मुख पश्चिम की ओर है। सवाल उठता है कि अगर उसे मूल रूप से मस्जिद के रूप में बनाया गया होता तो उसका मुख पश्चिम की बजाय मक्का की ओर होता। जबकि यह मस्जिद पश्चिमोन्मुख है।

🚩इसकी मीनारें भी बताती हैं कि यह मस्जिद का नहीं बल्कि हिंदू स्मारक की प्रतीक हैं। ताज महल के चारों ओर बनाई गई मीनारें भी कब्र या मस्जिद के हिसाब से उपयुक्त नहीं है। तर्क के साथ देखें तो इन चारों मीनारों को मसजिद के आगे होना चाहिए क्योंकि यह जगह नमाजियों के लिए होती हैं। जबकि चारों मीनारें मस्जिद की चारों ओर बनाई गई हैं। जो हिंदू स्मारकों की दृष्टि से बिल्कुल उपयुक्त है।

🚩इस प्रकार उन्होंने अपने शोधपत्र के माध्यम से यह अपील की है कि ताजमहल के उद्भव को जानने के लिए कार्बन -14 और थर्मोल्यूमिनेन्सेंस के माध्यम से असली तारीख तय की जा सकती है। इसके लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग को सरकार से इस कार्य को पूरा कराने का अनुरोध करना चाहिए। ताकि इस विश्व धरोहर की सच्चाई देश और देशवासियों के सामने आ सके।

🚩मिल्स ने कहा है कि वैन एडिसन की किताब ताज महल तथा जियाउद्दीन अहमद देसाई की लिखी किताब द इल्यूमाइंड टॉम्ब में काफी प्रशंसनीय आंकड़े और सूचनाएं हैं। जो इनलोगों ने ताजमहल के उद्भव और विकास के लिए समकालीन स्रोतों के माध्यम से एकत्रित किए थे। इनमें कई फोटो चित्र, इतिहासकारों के विवरण, शाही निर्देशों के साथ-साथ अक्षरों, योजनाओं, उन्नयन और आरेखों का संग्रह शामिल है। लेकिन दोनों इतिहासकारों ने प्यार की परिणति के रूप में ताजमहल के उद्भव की बात को सिरे से खारिज कर दिया है। दोनों इतिहासकारों ने ताजमहल के उद्भव को मुगलकाल का मानने से भी इनकार कर दिया है।

🚩मिल्स ने ताजमहल पर खड़े किए ये सवाल

🚩ताजमहल के दोनों तरफ बने भवनों को गौर से देखिए। कहा जाता है कि इसमें से एक मस्जिद के रूप में कार्य करता है तो दूसरे का अतिथि गृह के रूप में उपयोग किया जाता। जबकि दोनों भवनों की बनावट एक जैसी है। सवाल उठता है कि जो शाहजहां अपनी बीवी के प्रेम में ताजमहल बनवा सकता है क्या वे दो प्रकार के कार्य निष्पादन करने के लिए एक ही प्रकार का भवन बनवाया होगा। दोनों भवनो को भिन्न-भिन्न प्रकार से बनाया जाना चाहिए था?

🚩दूसरा सवाल है कि जब मुगलों ने भारत पर आक्रमण किया था उसी समय देश में तोपें आ गई थी उसके बाद भी आखिर ताजमहल परिसर की दीवारें मध्ययूगीन, तोपखाने पूर्व तथा रक्षात्मक क्यों थीं? सवाल उठता है कि कब्र के लिए सुरक्षात्मक दीवार की आवश्यकता क्यों? (जबकि किसी राजमहल के लिए ऐसा होना अनिवार्य होता है )

🚩तीसरा सवाल है कि आखिर ताजमहल के उत्तर दिशा में टेरेस के नीचे 20 कमरे यमुना की तरफ करके क्यों बनाए गए? किसी कब्र को 20 कमरे कि क्या जरूरत है? जबकि राजमहल की बात अलग है क्योंकि कमरे का अच्छा उपयोग हो सकता था।

🚩चौथा सवाल है कि ताजमहल के दक्षिण दिशा में बने 20 कमरों को आखिर सील कर क्यों रखा गया है। आखिर विद्वानों को वहां प्रवेश क्यों नहीं है ? विद्वानों को अंदर जाकर वहां रखी चीजों का अध्ययन करने की इजाजत क्यों नहीं दी जाती है?

🚩पांचवां और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर यहां जो मस्जिद है वह मक्का की तरफ नहीं होकर पश्चिम की ओर क्यों है ? अगर यह सातवीं शताब्दी की बात होती तो इसमें कोई परेशानी नहीं थी।

🚩छठा सवाल उठता है कि आखिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने ताजमहल की वास्तविक तारीख तय करने के लिए कार्बन -14 या थर्मो-लुमिनिस्कनेस के उपयोग को ब्लॉक क्यों कर रखा है? अगर इसकी इजाजत दे दी जाती है तो ताजमहल के उद्भव को लेकर उठने वाले विवाद तुरंत शांत होंगे क्योंकि इस विधि से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि ताजमहल कब बना था? लेकिन न तो इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तैयार है न ही भारत सरकार। स्त्रोत : दैनिक भारत

🚩भारत के मंदिर में स्थित शिवलिंग को 'तेजोलिंग' एवं मंदिर को तेजोमहालय कहा जाता था । ताजमहल #भगवान शिव का मंदिर #अग्रेश्वर नाम से प्रसिद्ध था । इससे ही इस नगर को आगरा नाम पड़ा । मुंज बटेश्वर आदेश के अनुसार यह मंदिर 848 वर्ष पुराना है । 

🚩मुसलमान आक्रमणकारियों की दैनिकी में (डायरी) भी उन्होंने कहा है कि #ताजमहल #हिंदुओं की वास्तु है । तब भी मुसलमान इस वास्तु पर अपना अधिकार जताते हैं । #शिवालय के विषय में #सरकार के पास सैकडों प्रमाण धूल खाते पड़े हैं । #सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी । इसलिए अब अपनी हथियाई गई वास्तु वापस प्राप्त करने हेतु यथाशक्ति प्रयास करना ही #हिंदुओं का धर्म व कर्तव्य है । ऐसी वास्तुएं वापस प्राप्त करने हेतु एवं हिंदुओं की वास्तुओं की रक्षा के लिए ‘हिंदु राष्ट्र’ अनिवार्य है ।

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Monday, July 16, 2018

फिर से एक पादरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप, बलात्कारी पादरियों को जेल कब?



16 july 2018 

🚩ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर बैठे हैं और बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं जब #अदालत उन पर जुर्म लगाती है तब बयान देते हैं कि बच्चों का यौन शोषण करने कि धार्मिक स्वतंत्रता है ऐसे ईसाई के धर्मगुरु लोगों का क्या भला करेंगे? जो खुद यौन शोषण करते है उनसे क्या उम्मीद रखी जा सकती है ?
Again a pastor accused of sexual harassment,
when raped clerics were jailed?

🚩केरल में मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च एक बार फिर सेक्स स्कैंडल को लेकर विवादों में है। 

🚩शुक्रवार को एक व्यक्ति ने चर्च अधिकारियों से मिलकर शिकायत दर्ज कराई है कि पादरी ओ एम सैमुअल ने उसकी पत्नी के साथ अनैतिक संबंध बनाता है । शिकायत के बाद आरोपी पादरी ओ एम सैमुअल को निलंबित कर दिया गया है।

🚩व्यक्ति ने चर्च अधिकारियों से उस वक्त संपर्क किया जब दसवीं में पढने वाले उनके बेटे ने बताया कि मां जब घर में अकेली होती हैं तो फादर सैमुअल वहां आते हैं। चर्च सूत्रों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो शिकायत की जांच के लिए मामला पुलिस को सौंप दिया जाएगा।

🚩रेप केस में पादरी का आत्मसमर्पण

🚩इससे पहले गुरुवार को कोल्लम में स्थानीय चर्च के पादरी जॉब मैथ्यू को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण के थोडी देर बाद गिरफ्तार किया गया था। मैथ्यू समेत चार पादरियों पर एक महिला का यौन शौषण करने का आरोप है।

🚩अधिकारियों ने बताया कि मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च से संबंधित पादरी को अपराध शाखा के अधिकारियों ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में दो अन्य आरोपी पादरियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

🚩इस मामले के दूसरे आरोपी मैथ्यू ने मेडिकल परीक्षण के वक्त पुलिस वाहन के अंदर अपना मुंह छिपा रखा था। केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को मैथ्यू के साथ तीनों पादरियों की अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके बाद गुरुवार को फादर मैथ्यू ने सरेंडर किया था। स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

🚩कैथलिक चर्च कि दया, शांति और कल्याण कि असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता कि पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो कि  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । लेकिन फिर भी महान हिन्दूधर्म के मंदिरो एवं हिन्दू धर्मगुरुओं को ही मीडिया और सेक्युलर बदनाम करते है ।

🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में #आस्ट्रेलिया की कैथोलिक चर्च ने #सेक्सुअल अब्यूज (बच्चों का यौन शोषण) के मामले में करीब 21 करोड़ 20 लाख 90 हजार अमेरिकी डॉलर (1426 करोड़ रुपए) का हर्जाना दिया है। 

🚩कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी । 

🚩धार्मिकता के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, #मांस खाना, धर्म का पैसा शेयर बाजार में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन नही करना, समाज उत्थान कार्य नही करना ऐसे लोग भारत में भोले भाले #हिन्दुओं का #धर्मांतरण करवाते हैं और बोलते हैं कि ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है क्या यही बड़ा धर्म है???

🚩जो #मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र #साधु-संतों को बदनाम करता रहता है वो ईसाई पादरी के कुकर्म पर इसलिए चुप है कि उसको #वेटिकन सिटी से फंडिंग होता है ।

🚩धर्म विहीन पैसों के लालची, #कुकर्मी, #मांस भक्षी पादरियों से हिंदुस्तान सावधान रहें ।

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