Friday, July 20, 2018

क्रांतिकारी गदर पार्टी के किस्से अब अमेरिका में भी पढाए जाएंगे

20 july 2018 

🚩भारत के इतिहास में आज भी लुटेरे अंग्रेजों के किस्से पढाये जाते है और उनकी महिमा मंडन की जा रही है लेकिन जिन क्रांतिकारीयों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी उनके किस्से हमे नही पढाये जा रहे है ये बड़े दुर्भाग्यपूर्ण बात है लेकिन अमेरिका में यह निर्णय लिया गया है कि भारत की स्वतंत्रता के लिए योगदान देनेवाली क्रांतिकारी गदर पार्टी के किस्से  पढाए जाएंगे ।

🚩अमेरिका के ऑरेगन स्टेट के विद्यालयों में जल्द ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाली गदर पार्टी के बारे में पढने को मिलेगा । क्रांतिकारी समूह गदर पार्टी की स्थापना के 105 साल पूरे होने के मौके पर ऑरेगन के शीर्ष अधिकारियों ने यह घोषणा की ।
Tales of Revolutionary Gadar Party will now be read in the US

🚩ऐतिहासिक शहर एस्टोरिया में कुछ भारतीय-अमेरिकी मूल के परिवार हैं । आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार 1910  में 74 भारतीय पुरुष यहां आए थे । इनमें से ज्यादातर पंजाब के सिख थे, जो वहां मजदूरी करते थे । इन्हीं लोगों को जोडकर इस इलाके में गदर पार्टी की स्थापना की गई थी ।

🚩टिंबर फैक्ट्री में काम करने वाले इन भारतीयों के वंशज रविवार को गदर पार्टी के पहले स्थापना सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इकट्ठे हुए थे । इस सम्मेलन में ऑरेगन के एटॉर्नी जनरल एलेन एफ रोजनब्लम ने गवर्नर केट ब्राउन की मौजूदगी में यह अहम घोषणा की । उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि एस्टोरिया इस खास घटना का एक प्रतीक है । इस के साथ उन्होने घोषणा की कि ऐतिहासिक घटना राज्य के विद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी ।

🚩गदर पार्टी की स्थापना

🚩ग़दर पार्टी पराधीन भारत को अंग्रेज़ों से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से बना एक संगठन था। इसे अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने 25 जून1913 में बनाया था। इसे प्रशान्त तट का हिन्दी संघ (Hindi Association of the Pacific Coast) भी कहा जाता था। यह पार्टी "हिन्दुस्तान ग़दर" नाम का पत्र भी निकालती थी जो उर्दू और पंजाबी में छपता था। 

🚩गदर पार्टी ने भारत को अनेक महान क्रांतिकारी दिए। ग़दर पार्टी के महान नेताओं सोहन सिंह भाकना, करतार सिंह सराभा, लाला हरदयाल आदि ने जो कार्य किये उसने भगत सिंह, उधम सिंह जैसे क्रांतिकारियों को उत्प्रेरित किया। पहले महायुद्ध के छिड़ते ही जब भारत के अन्य दल अंग्रेज़ों को सहयोग दे रहे थे गदरियों ने अंग्रेजी राज के विरूध्द जंग घोषित कर दी। उनका मानना था-
सुरा सो पहचानिये, जो लडे दीन के हेत।पुर्जा-पुर्जा कट मरे, कभूं न छाडे खेत॥

🚩'गदर दी गूंज' (ग़दर की गूँज) नामक पुस्तक को भारत में सन्  1913 में अंग्रेज़ी सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया था। इसमें राष्ट्रीय एवं सोसलिस्ट साहित्य का संग्रह था।

🚩ग़दर पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ़्रांसिस्को के एस्टोरिया में 1913 में अंग्रेज़ी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। 

🚩स्थापना के बाद गदर पार्टी की पहली बैठक सैक्रामेंटो, कैलिफ़ोर्निया में दिसम्बर 1913 में आयोजित की गयी। इसमें कार्यकारिणी के सदस्यों की घोषणा भी की गयी। 

🚩गदर पार्टी ने 21 अप्रैल 1913 को ऑस्ट्रेलिया की आरा मिलों में एक बुनियादी प्रस्ताव पास किया जिसके तहत कहा गया कि गदर पार्टी हथियारबंद इंक़लाब की मदद से अंग्रेज़ी राज से भारत को आज़ाद कर गणतंत्र कायम करेंगी। 

🚩गदर पार्टी ने अपना पत्र "हिन्दुस्तान ग़दर" निकाला जिसमें ब्रितानी हकुमत का खुला विरोध किया गया। हिन्दुस्तान ग़दर नामक पत्र हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अन्य भारतीय भाषाओं में छापा जाता था। "युगान्तर आश्रम" ग़दर पार्टी का मुख्यालय था। यहीं से ग़दर पार्टी ने एक पोस्टर छापा था जिसे पंजाब में जगह जगह चिपकाया भी गया था। इस पोस्टर पर लिखा था - "जंग दा होका" अर्थात युद्ध की घोषणा।

*योजना*
🚩ग़दर के नेताओं ने निर्णय लिया कि अब वह समय आ गया है कि हम ब्रितानी सरकार के ख़िलाफ़ उसकी सेना में संगठित विद्रोह कर सकते हैं। क्योंकि तब प्रथम विश्वयुद्ध धीरे-धीरे क़रीब आ रहा था ।

🚩अमेरिका ने तो क्रन्तिकारी गदर पार्टी के किस्से पढ़ाने के निर्णय ले लिया लेकिन भारत मे इसका निर्णय कब लिया जाएगा?, भारत के इतिहास में आक्रमणकारि, लुटेरे, बलात्कारी, क्रूर अंग्रेजों और मुगलों की महिमा मंडन किया जाता है लेकिन वास्तव में जिन्होंने अपनी जवानी ओर प्राण देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दे दिया उनका इतिहास कब पढ़ाया जाएगा???

🚩असली इतिहास नही पढ़ाया जाने के कारण आज किसी को सही इतिहास पता भी नही है गदर पार्टी के बारे में भी अधिकतर भारतवासीयों को पता नही होगा इसलिए सरकार मुगलो व अंग्रेजो के इतिहास हटाकर क्रांतिकारियों व महापुरुषों के इतिहास पढ़ाना चाहिए ।

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Thursday, July 19, 2018

महाराष्ट्र सरकार मंदिरों पर नियंत्रण कर रही है, मस्जिद और चर्च पर नहीं : शिवसेना

19 july 2018 

🚩भारतीय राज्य संविधान के अनुच्छेद 26 (ड) के अनुसार भारतीय जनता को धार्मिक विषयों का व्यवस्थापन संभालने के लिए पूर्णरूप से स्वतंत्र है। ऐसा होते हुए भी लाखों भाविकों की श्रद्धा को ठेस पहुंचाकर सरकार मंदिरों का सरकारीकरण करना चाहती है। 

🚩शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार के कानून के जरिये शनि शिंगणापुर मंदिर पर नियंत्रण करने के निर्णय पर मंगलवार को सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि, उसने (महाराष्ट्र सरकार ने) मस्जिदों और चर्च को छोड दिया है ।

🚩अहमदनगर जिले में स्थित मंदिर पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की सरकार की योजना के विरोध में शिवसेना विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया । विधायकों का तर्क है कि उस्मानाबाद जिले के प्रसिद्ध तुलजाभवानी मंदिर सहित सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों में अधिकारियों की ‘लूट’ देखी जा सकती है । प्रकाश सुर्वे, प्रकाश फतरपेकर, सदानंद चव्हाण और भारत गोगवाले सहित अन्य विधायकों ने नारेबाजी की और आरोप लगाया कि सरकार केवल मंदिरों पर नियंत्रण कर रही है और चर्च तथा मस्जिदों को छोड रही है ।
Maharashtra government is controlling temples,
not in mosque and church: Shivsena

🚩गोगवाले ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि मंदिरों के प्रबंधन में कोई अनियमितता नहीं हो परंतु शनि मंदिर का सरकारीकरण नहीं होना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नजर केवल मंदिरों पर है और इस मुद्दे पर उसे अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए । उल्लेखनीय है कि राज्य विधानमंडल का मॉनसून सत्र अभी नागपुर में चल रहा है । 

🚩सरकार केवल मंदिरों के धन पर आंखें गड़ाए राजकीय असंतुष्टों का पुनर्वसन करने हेतु सुव्यवस्थापन के नाम पर केवल हिन्दुओं के ही मंदिर नियंत्रण में ले रही है। पंढरपुर का श्री विठ्ठल मंदिर, मुंबई का श्री सिद्धीविनायक मंदिर, तुळजापुर का श्री भवानी मंदिर, कोल्हापुर का श्री महालक्ष्मी मंदिर, शिर्डी का साईबाबा मंदिर, पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अंतर्गत कोल्हापुर, सांगली एवं सिंधुदुर्ग जिलों के 3067 मंदिरों का सरकार ने अतिक्रमण किया है। सरकारीकरण हुए इन मंदिरों में प्रचंड मात्रा में आर्थिक अपहार और भ्रष्टाचार हुआ है ।

🚩इसके कुछ उदाहरण . . .

*🚩1.* पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति : इस समिति के पास 25 हजार एकड भूमि में से 8 हजार एकड भूमि लापता है देवस्थानों के जेवरात-अलंकारों की कहीं प्रविष्टि नहीं, 25 वर्षों से लेखापरीक्षण नहीं !

*🚩2.* श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति, पंढरपुर :इस मंदिर की 1200 एकड भूमि होते हुए भी गत 25 वर्षों से वह नियंत्रण में नहीं, इसके साथ ही एक रुपये का उत्पन्न भी मंदिर को नहीं मिलता; मंदिर की गोशाला का गोधन कसाईयों को बेच दिया गया !

*🚩3.* श्री भवानी मंदिर, तुळजापुर : इस मंदिर समिति के बडे-बडे घोटालों की सीआयडी जांच चल रही है !

🚩ऐसी ही स्थिति सरकारीकरण हुए अन्य सभी मंदिरों की है। मंदिर में भाविकों द्वारा अर्पित दान का उपयोग धर्मप्रसार हेतु नहीं अपितु मुसलमान एवं ईसाई पंथियों के लिए किया गया है। अंधाधुंद कार्यभार कर मंदिरों में हुए करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार उजागर होने पर भी उसे बडी सहजता से अनदेखा कर सरकार ने शिंगणापुर के श्री शनैश्वर देवस्थान के सरकारीकरण का आदेश दिया है। अब मुंबई के श्री मुंबादेवी मंदिर पर भी वक्रदृष्टि पड़ी है !

🚩सरकारीकरण हुए मंदिरों में अपेक्षित पवित्रता नहीं रखी जाती है। अनेक स्थानों पर पूर्व से चली आ रहीं अनेक प्रथा-परंपराओं को तोडा जा रहा है, वंशपरंपरागत पुजारियों को हटाकर धर्मशास्त्र न जाननेवाले वेतन लेनेवाले पुजारियों को नियुक्त करने का प्रयत्न सभी मंदिरों में हो रहा है। सरकारी नियम से नियुक्त किए गए पुजारियों को धार्मिक प्रथा-परंपराओं की कितनी जानकारी है, यह तो भगवान ही जानें ! 

🚩हिन्दू मंदिर, चैतन्य और सात्त्विकता के केंद्र होते हैं। इस सात्त्विकता को टिकाने के लिए मंदिरों की पवित्रता को संजोना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ! यदि सरकार ऐसी अर्थहीन पद्धति से मंदिरों का कारोबार करेगी, तो ऐसे लोगों पर भगवान कभी प्रसन्न होंगे अथवा उनका कोप होगा, यह अलग से बताने की आवश्यकता नहीं। इसलिए वंशपरंपरागत पुजारी एवं प्रथा-परंपराएं, मंदिरों में कायम रखी जाएं।

🚩स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहलवानेवाला शासन मस्जिदों और चर्च के सरकारीकरण का विचार नहीं करता केवल मंदिरों का ही सरकारीकरण कर रहा है। यह हिन्दू समाज पर किया जानेवाला अन्याय और सामाजिक भेदभाव है।

🚩हिन्दू मन्दिरों पर सरकारी नियंत्रण और मस्जिदों, चर्च को खुली छूट, ये कैसा सेक्युलरवाद ?

🚩सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार सरकार के मंदिर सरकारीकरण का प्रयत्न असंवैधानिक है। इसलिए सरकारीकरण हुए सभी मंदिर सरकार भक्तों के स्वाधीन करे, वंशपरंपरागत पुजारियों की परंपरा कायम रखते हुए मंदिरों में धार्मिक प्रथा-परंपराओं में मनमानी परिवर्तन न करे । 

🚩मंदिर की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए नहीं किया जाता । इससे हिन्दू आर्थिक दृष्टि से निर्बल बन रहे हैं । हिन्दुआें के धर्मांतरण का यह एक बडा कारण है । मंदिरों का प्रशासन पुनः यदि हिन्दुआें के पास आ गया तो उससे हिन्दुआें में आत्मविश्‍वास जागृत होगा तथा मंदिरों की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए ही किया जाएगा । इस संपत्ति का उपयोग हिन्दुआें को पारंपरिक शस्त्रविद्या, शिक्षा आदि अनेक विषय की शिक्षा देने के लिए किया जा सकता है । स्तोत्र : हिन्दू जन जागृति समिति


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Wednesday, July 18, 2018

पादरी का खुलासा : मिशनरियां सदियों से सेवा कि आड़ में कर रहे है गोरखधंधा..

18 july 2018 

🚩ईसाई मिशनरियों के एक के बाद एक चौकाने वाले खुलासे हो रहे है भारत मे मिशनरियों ने किस तरह से सेवा के नाम पे गोरखधंधा की जाल बिछाई गई है वे जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे ।

🚩भूतपूर्व पादरी सोलोमन ने मिशनरियां के कई खुलासे किये है ।

🚩हिन्दू जागरण मंच के झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. सुमन कुमार ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर रघुवर सरकार के स्तर से की जा रही कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि 

🚩सोलोमन ने बताया कि अब जनता के सामने मिशनरियों का वास्तविक चरित्र उजागर हो रहा है।
Disclosure of Pastor: Missionaries have been working
for centuries under the guise of Gorakhandha ..

🚩रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नित्य हो रहे नए खुलासे और बच्चा बेचने, कुंवारी बालिकाओं के प्रसव कराकर अनैतिक कामों को अंजाम देनेवाले मिशनरियों पर प्रहार करते हुए पूर्व पादरी सोलोमन ने कहा कि यह समाज के लिए आंखे खोलनेवाला सच है। उन्होंने कहा कि मिशन के गुप्त एजेंडा पूरे झारखंड को ईसाई लैंड बनाने के षडयंत्र का ही एक हिस्सा नवजात शिशुओं को बेचने का मामला है।

🚩पादरी सोलोमन ने आगे कहा कि इसके गूढ़ रहस्य को सभी को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार के द्वारा उक्त काले कारनामों को समाज के सामने उजागर होने से हम हर्षित है। साथ ही उन्होंने कहा कि कम से कम आजादी के बाद देश भर के सभी मिशन संस्थाओं के पूरी गतिविधियों की गहन पड़ताल करने की अब जरूरत है। 

🚩मदर टेरेसा भी यही धंधा करती थी

🚩सोलोमन ने आगे बताया कि मां के रूप में मदर टेरेसा को रेखांकित किया जाता है लेकिन उनके द्वारा गठित संगठन ने बेहद ही कलंकित कार्य किया है। क्या कोई माँ ऐसा कर सकती है? कहा कि सेवा कि आड़ में सदियों से गोरखधंधा भारत में चलाया जा रहा है। खुद मदर टेरेसा भी सेवा कि आड़ में लोगों का ब्रेनवास करके धर्मांतरण किया करती थीं । 

🚩आगे उन्होंने कहा कि रांची में रोज हो रहे खुलासे से साबित हो ही गया है किस तरह लोगों की आंखों में धूल झोंक कर सेवा के नाम पर समाज को धोखा देने का काम मिशनारियां करती रही हैं। अब जब मामले का उद्भेदन समाज के सामने हो गया है तो फिर ये कहना कि सिस्टर्स निर्दोष हैं ये चोरी और सीनाजोरी को ही चरितार्थ करता है। निश्चित ही इससे वेटिकन पॉप और चर्च की भूमिका पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। 

🚩कहा गये केंडल मार्च निकालने वाले?

🚩पूर्व पादरी सोलोमन ने बताया कि आज भारत में यदि कहीं कोई साधु संतों, हिन्दू संगठनों पर कोई आरोप लगता तो दिखावे के लोग कैंडल मार्च निकालते हैं। पूरे भारत में हदुओं को बदनाम किया जाता है लेकिन रांची के मिशन संस्था द्वारा बेहद घृणित कुकृत्य किए जाने पर कहीं कोई कैंडल मार्च नहीं निकला। देश में कोई शोर नहीं है। यही धार्मिक पक्षपात हमारे साथ होता आया है। 

🚩बच्चा बेचने की घटना का अभी सिर्फ रांची में ही उजागर हुआ है। कहा कि इसकी पूरी संभावना है कि दूसरे राज्यों में भी इस तरह के असामाजिक कार्य किए जाते होंगे। हम सरकार से ये मांग करती है कि मिशन के संस्थाओं पर पैनी निगाह रखी जाए साथ ही इनके सभी गतिविधियों की सीबीआइ जांच की जाए।

🚩आपको बता दे कि इंडोनेशिया के पूर्व ईसाई फादर रॉबर्ट सोलोमन को मिशनरियों ने भारत मे भेजा था धर्मान्तरण कराने लेकिन उनकी भेंट हिन्दू संत आसाराम बापू से हुई उनका प्रवचन सुना उसके बाद उनको ईसाई मिशनरियों से घृणा हो गई और उन्होंने ने ईसाई धर्म त्याग करके हिन्दू धर्म मे आ गये औरर उनका नाम रखा डॉ सुमन कुमार, तब से वे हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार करते है ।

🚩वर्तमान में अब डॉ. सुमन कुमार हिन्दू जागरण मंच के झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन के मंत्री है । 

🚩बता दे कि सोलोमन से बने डॉ सुमन कुमार अब ईसाई मिशनरियों के काले धन्धे को उजागर करते रहते है और जो मिशनरियां भोले भारतवासियों को धर्मपरिवर्तन करवाती है उनको घर वापसी कार्यक्रम करवाते है ।

🚩भारतीय संस्कृति इतनी महान है कि उसकी महानता समझ ले तो वे अन्य धर्म का त्याग करके हिन्दू धर्म अपना लेगा और हमारे साधु-संतों के संपर्क में आ गया तो वे निश्चित ही हमेंशा के लिए हिन्दू धर्म के प्रति समर्पित हो जायेगे इसलिए मिशनरियां मीडिया को भारी फंडिग करके हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करवाती है जिससे उनके काले कारनामे आसानी से चलते रहे ।

🚩अब समय आ गया है कि भारतवासी इन षडयंत्र को समझे और अपने धर्मगुरुओं को बदनाम करने वाली मीडिया और उनको फंडिंग करने वाली मिशनरियां का त्याग करें तभी हिन्दू संस्कृति बचेगी ।

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