Friday, October 19, 2018

सबरीमाला मन्दिर पर इतना बवाल क्यों ? हिंदुओं की आस्था पर प्रहार कब तक..?

19 October 2018

🚩हिंदुस्तान में ही सहिष्णु, शांतिप्रिय, सबका मंगल व भला चाहने व करने वाले हिन्दुओं की आस्था पर गहरी चोट पहुंचाई जा रही है । अभी वर्तमान में ब्रह्मचारी भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में कुछ ईसाई, मुस्लिम, वामपंथी महिलाओं को प्रवेश दिलवाने के लिए हिन्दुओं की बर्बरतापूर्वक पिटाई की जा रही है ।
Why the dispute over the Sabarimala temple?
 How long does the attack on the faith of Hindus?

🚩सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने सभी आयुवर्ग की महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर की 800 साल पुरानी प्राचीन परंपरा तोड़ते हुए मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी । 10 से 50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं को भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की मंजूरी मिलने पर कई संगठन विरोध जता रहे हैं । 

🚩कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के फैससे के खिलाफ हजारों महिलाओं ने प्रदर्शन किया था, करोड़ों हिन्दू इस फैसले के खिलाफ हैं, लेकिन केरल में वामपंथी सरकार हिन्दुओं की आस्था पर ध्यान नहीं दे रही है, तथा हिन्दुओं का दमन कर रही है । 

🚩हिन्दू शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं फिर भी कुछ ईसाई, वामपंथी, मुस्लिम महिलाएं मंदिर में जबरदस्ती घुस रही हैं । हिन्दू उन्हें रोक रहे हैं, उन महिलाओं के साथ सैंकड़ों कमांडो भी हैं जो हिन्दुओं की बर्बरता से पिटाई कर रहे हैं और उनकी आस्था पर चोट पहुँचा रहे है ।

🚩मीडिया की गंदी हरकत:-

जब सबरीमाला मंदिर के द्वार खुलने की तैयारियां हो रही थीं तब मीडिया आउटलेट्स ने महिला पत्रकारों को इस घटना को कवर करने के लिए भेज दिया, जिससे प्रदर्शन और उग्र हो गया । विरोध प्रदर्शन कर रहे भक्तों ने महिला पत्रकारों पर हमला कर दिया । 

🚩इससे स्पष्ट होता है कि महिला पत्रकारों को विरोध प्रदर्शन के स्थान पर भेजने का मकसद सिर्फ और सिर्फ  प्रदर्शन को और उग्र करने का था । ये न सिर्फ बेवकूफी है बल्कि खतरनाक भी है । न्यूज़ चैनल्स और मीडिया आउटलेट्स को प्रदर्शन की स्थिति का पहले से आभास था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने क्या सोचकर महिला पत्रकारों को प्रदर्शन के स्थान पर खबर को कवर करने के लिए भेजा था ? इसका मतलब तो साफ़ है कि मीडिया न्यूज चैनल्स ने जानबूझकर महिला पत्रकारों की जान को खतरे में डाला वो भी सिर्फ अपनी टीआरपी रेटिंग और सनसनीखेज मुद्दे के लिए । ये कुछ नहीं बल्कि पब्लिसिटी के निम्न स्तर को दिखाता है ।

🚩पहले ही राज्य सरकार ने प्रदर्शकारियों के गुस्से को और बढ़ावा दे दिया है, जबरदस्ती सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करके जबकि वो इस प्रदर्शन को शांत करने के लिए कोई उचित कदम भी उठा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया । केरल में कम्युनिस्ट सरकार ने स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को नजरअंदाज कर श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना का अपमान किया है । अब न्यूज चैनल्स ने महिला पत्रकारों को भेजकर आग में घी डालने का काम किया है । जानबूझकर महिला पत्रकारों को भेजा ताकि वो मंदिर में प्रवेश कर सकें और अपने न्यूज़ चैनल का प्रचार कर सकें । ये कदम सिर्फ प्रदर्शन को भड़काने और महिलाओं की जान को खतरे में डालने का प्रयास है । ये न सिर्फ निंदनीय और बहुत ही घटिया था बल्कि बहुत ही खतरनाक भी था।

🚩मीडिया आउटलेट्स ने महिला पत्रकारों को भेजा ताकि वो अपनी टीआरपी रेटिंग को बढ़ा सकें और एक ऐसी सनसनीखेज खबर तैयार कर सकें जिससे उनके दर्शकों की संख्या में इजाफा हो जाए । हालाँकि, उन्होंने इस बीच महिला पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में एक बार भी विचार नहीं किया । महिला पत्रकारों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा किया गया हमला इन मीडिया आउटलेट्स और न्यूज चैनल्स की लापरवाही को भी दिखाता है जो एक सनसनी खबर के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं । उन्होंने न सिर्फ प्रदर्शन को बढ़ावा देने का काम किया है बल्कि महिला पत्रकारों की जान को भी खतरे में डाला है । न्यूज चैनल्स को टीआरपी और सनसनी खबर के लिए इस तरह कर निम्न स्तर के कदम उठाने से पहले एक बार विचार जरुर करना चाहिए क्योंकि महज टीआरपी के लिए किसी की जान खतरे में डालना न्यूज चैनल्स को शोभा नहीं देता है ।

🚩भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बोर्ड के सदस्य स्वामीनाथन एस. गुरुमूर्ति ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के जाने को पब्लिसिटी स्टंट करार दिया है । उन्होंने मंदिर विवाद पर मीडिया की भी आलोचना की। एस. गुरुमूर्ति ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, '‘मीडिया के लिए सबरीमाला अब प्रतिष्ठा की लड़ाई है । महिलाओं के अधिकारों से अब यह एक, दो या तीन महिलाओं के अधिकारों बनाम लाखों महिलाओं की सहनशीलता की लड़ाई बन चुका है । जो महिलाएं वहां जाती हैं उनके लिए यह बस पब्लिसिटी स्टंट है । कोई श्रद्धा नहीं, कोई धर्म नहीं, बस श्रद्धावानों को शर्मिंदा करना है ।’'

🚩 भगवान अयप्पा के मंदिर को बुधवार की शाम पांच दिनी मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया था । राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है । वहीं  हिन्दूवादी संगठन परंपरा की रक्षा के लिए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने का प्रयास कर रहे हैं । 

🚩सबरीमाला मंदिर के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने मीडिया से कहा कि "माना जाता है कि अयप्पा ‘ब्रह्मचारी’ थे । इसलिए 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने और महिलाओं से मंदिर में न जाने का आग्रह किया है ।"

🚩आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के शीर्ष न्यायालय के फैसले की गुरुवार को आलोचना की । भागवत ने कहा, “यह फैसला सभी पहलुओं पर बिना विचार किए लिया गया, इसे न तो वास्तविक व्यवहार में अपनाया जा सकता है और न ही यह बदलते समय और स्थिति में नया सामाजिक क्रम बनाने में मदद करेगा ।” उन्होंने कहा, “लैंगिक समानता का विचार अच्छा है। हालांकि, इस परंपरा का पालन कर रहे अनुयायियों से चर्चा की जानी चाहिए थी । करोड़ों भक्तों के विश्वास पर विचार नहीं किया गया ।”

🚩भारत हिन्दू बाहुल्य देश है, हिन्दुओं को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है सदियों से आ रही परम्पराओं पर कुठाराघात करना यह तो मुगलों व अंग्रेजो के राज की तरह हो गया । हिन्दुओं में एकता व अपने धर्म के प्रति जागरूकता नहीं होने के कारण आज हिन्दू हर जगह मार खा रहा है, अब हिन्दूओं को जागने की आवश्यकता है ।

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भारत के इतने महान वैज्ञानिकों को शायद आप भी नहीं जानते होंगे..

18 October 2018
http://azaadbharat.org
🚩पाश्चात्य वैज्ञानिकों के बारे में विश्व के अधिकांश लोगों को काफी अच्छी जानकारी है, विद्यालयों में भी बहुत ही जोर-शोर तथा उत्साह के साथ इन वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ाया जाता है, परन्तु बहुत ही खेद की बात है कि भारत के महान वैज्ञानिकों के संसार तो क्या, यहाँ तक की भारत के लोगों को भी जानकारी नहीं होगी ।
भारत के महान महान वैज्ञानिकों को भी आप नहीं जानते हैं

🚩ऐसे तो दुनिया की बेहतरीन चीजों के आविष्कारकों के रूप में कई विदेशी वैज्ञानिकों के नाम सुनने में आते हैं, परन्तु यह अटल सत्य है कि इन अविष्कारकों के काफी वर्ष पहले ही हमारे भारतवर्ष के महान ऋषि वैज्ञानिकों ने कई अविष्कार कर दिए थे ।
जैसे :-
🚩(1) आर्यभट :- आर्यभट ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने न्यूटन से कई वर्ष पहले ही गति के 3 नियमों को प्रतिपादित कर दिया था, उनकी ये खोज भले ही आज दुनिया के सामने किसी और के नाम से आ रही हो, किन्तु शून्य की खोज ने उन्हें गणित के इतिहास में अमर बना दिया ।
🚩(2) सुश्रुत :- महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक कहे जाते हैं । आचार्य सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता नाम के एक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमें 125 तरह के उपकरण तथा 300 प्रकार के ऑपरेशनों का वर्णन है ।
🚩(3) आचार्य कणाद :- परमाणु संरचना पर प्रकाश डालने वाले सर्वप्रथम वैज्ञानिक, जिन्होनें डाल्टन से भी पहले परमाणु का सिद्धांत प्रस्तुत किया ।
🚩(4) भास्कराचार्य :- गैलिलियो से सैकड़ों वर्ष पहले गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की ।

🚩(5) बौधायन :- ज्यामिति के कई प्रमुख नियमों का प्रतिपादन किया, पाईथागोरस प्रमेय का प्रतिपादन सबसे पहले इन्होने ही किया था, उस समय ज्यामिति को "शाल्व शास्त्र" कहा जाता था ।

🚩ऐसे ही एक महान वैज्ञानिक तथा रसायनज्ञ थे “ नागार्जुन” । आज के विद्यार्थी रसायन शास्त्र तो पढ़ते हैं, किन्तु रसायनशास्त्र के इतने बड़े वैज्ञानिक का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा । नागार्जुन भारत के धातुकर्मी तथा रसशास्त्री थे । उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण का ज्ञान था । लोहे को रासायनिक विधियों द्वारा सोने में परिवर्तित करने की विधि का ज्ञान उन्हें था ।
🚩नागार्जुन जी ने “रस रत्नाकर” नामक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमे चांदी, सोना, टिन और ताम्बे की कच्ची धातु निकालने तथा उसे शुद्ध करने के प्रयोगों का वर्णन है । हीरे, धातु और मोती को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से बने तेजाबों का सुझाव दिया । इस पुस्तक में विस्तारपूर्वक दिया गया है कि अन्य धातुओं को सोने में कैसे बदला जा सकता है ।

🚩ऐसे थे भारत के महान वैज्ञानिक । आश्चर्य है न कि बिना किसी उन्नत साधन के इतनी सरलता से इतने बड़े-बड़े खोज और अविष्कार कैसे कर लेते थे किन्तु यह बात तो यथार्थ सत्य है कि भले उनके पास यंत्रों की स्थूल शक्ति नहीं थी किन्तु उनके पास मन्त्रों की सूक्ष्म शक्ति जरुर थी । आज भी भौतिक जगत में उन्नत व्यक्तियों का आधार आध्यात्म ही है ।
🚩आध्यत्म तो सारी चीजों का, सारी सफलताओं का आधार है । जो आध्यत्मिक जगत में जितना अधिक मजबूत होगा, भौतिक स्तर पर भी उतना ही अधिक उन्नत होगा, इसलिए सदैव अपने आधार की ओर ध्यान रखकर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करें ।
🚩पूरे विश्व में आज जो भी है उसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की है, ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोज की है तभी उन्हें अनेक ऐसे रहस्य मिले जिसका आज पूरी दुनिया  लाभ उठा रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों के ग्रन्थ चुराकर विदेशी आक्रांता लेकर चले गए और उसमे से पढ़कर थोड़ा-बहुत ज्ञान पा लिया और दुनिया में बताया कि हमने खोज की है और भारत के इतिहास में भी यही पढ़ाया जा रहा है जोकि एक षडयंत्र है ताकि आने वाली पीढ़ी को पता ही नहीं चले कि वास्तव में ये सारी खोज भारत के ऋषि-मुनियों ने की थी ।
🚩भारत के इतिहास को अब बदलना होगा सच्चाई पढ़ानी होगी एवं भारत के लोगो को भी आध्यात्मिक तरफ मुड़ना होगा, तभी देश-समाज एवं हर प्राणी का मंगल होगा ।
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Wednesday, October 17, 2018

जानिए दशहरे का इतिहास व सालभर के लिए गृहस्थ में विघ्न मिटाने के उपाय.


17 October 2018

🚩 सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है । दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आएगा, लेकिन सर्वांगीण विकास का #श्रीगणेश कराता है दशहरा । इस साल दशहरा 18 व 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा ।

🚩दशहरा दस पापों को हरनेवाला, दस शक्तियों को विकसित करनेवाला, दसों दिशाओं में #मंगल करनेवाला और दस प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘#विजयादशमी’ भी कहते हैं ।
Know the history of Dussehra and the remedies
 for annihilation in the household for a year.

🚩यह #अधर्म पर #धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर #अंतर्मुखता की विजय, #अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, #आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की #विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है । 

🚩दशहरे का इतिहास !!

🚩1. भगवान #श्री_राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया । सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे । वहां #कौत्स नामक एक #ब्राह्मण पुत्र आया । उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है तब राजा रघु कुबेर पर #आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए । डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर #स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की । उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली । जो #स्वर्णमुद्राएं #कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं ।


🚩2. #त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था । श्री रामचंद्र ने रावण पर #विजयप्राप्ति की, रावण का वध किया । इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ । तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा ।

🚩3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने #शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें #चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी विजयादशमी का दिन था ।

🚩4. दशहरे के दिन #इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है ।

इस प्रथा का भी #ऐतिहासिक महत्त्व है । मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर #सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे । जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही #मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती फिर परदेश से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे । घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर, उनका आशीर्वाद लेते थे । वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है ।

🚩5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है । आरंभ में यह एक कृषि  संबंधी #लोकोत्सव था, वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे । 

🚩नवरात्रि में घटस्थापना के दिन #कलश के स्थंडिल (वेदी)पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढ़ाते हैं । अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उसे #बंदनवार के समान बांधते हैं । यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है । आगे इसी त्यौहार को #धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ ।

🚩इसी दिन लोग नया कार्य #प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है । प्राचीनकाल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे । 

🚩दशहरा अर्थात विजयदशमी भगवान राम की #विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह #शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है । #हर्ष और #उल्लास तथा विजय का पर्व है । भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है । व्यक्ति और समाज के #रक्त में #वीरता प्रकट हो इसलिए #दशहरे का उत्सव रखा गया है ।

दशहरें का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, #लोभ, मोह,मद, मत्सर, #अहंकार, #आलस्य, #हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है । 

🚩देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के #साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे #देशों में भी मनाया जाता हैं।

दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल कहलाता है ।
  
🚩उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े #बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ ।

🚩विजयादशमी के इस विजयकाल में थोड़ी देर 
"राम रामाय नम:" मंत्र के नाम का जप करें ।

फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान ! सर्व #सिद्धिदायी #विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः" मंत्र का जप कर रहे हैं ।

🚩इस #मंत्र की एक- दो माला जप करके श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें...

"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।"

🚩दशहरे के दिन #विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के #दशहरे तक गृहस्थ में #जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलता है ।

दशहरा पर्व व्यक्ति में #क्षात्रभाव का संवर्धन करता है । शस्त्रों का पूजन #क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है । इस दिन #शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है । 

🚩इस दिन प्रत्येक #व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है । किसान एवं #कारीगर अपने उपकरणोें एवं #शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं । इस पूजन का उद्देश्य यही है कि उन विषय- वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाना; अर्थात #ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना ।

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