Saturday, October 20, 2018

आप भी जानिए वर्तमान में आसाराम बापू को लेकर लोगों की क्या मान्यता है ??

20 October 2018
http://azaadbharat.org
🚩हिन्दू संत आसाराम बापू पिछले 5 साल 2 महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं, लेकिन उनके करोड़ों समर्थकों की श्रद्धा आज भी उनमें ज्यों की त्यों है ।

🚩 भक्तों को तो कोई भी अंधभक्त कह सकता है, पर आम जनता का उनके केस को लेकर क्या कहना है, ये भी जानना आपके लिए बेहद जरूरी है ।
🚩अभी कुछ दिन पहले केरल की नन ने जालंधर के ईसाई पादरी फ्रैंको मुलक्कल पर कई बार रेप करने का आरोप लगाया था, उनके समर्थन में कई नने भी सामने आई थी, जिसके कारण पिछले महीने बिशप को केरल की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था पर उसे 21 दिन में ही जमानत दे दी गई, वहीं दूसरी ओर हिन्दू संत आसाराम बापू को 5 साल में 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, जिसके कारण जनता में भारी रोष देखने को मिला ।
You also know what is the belief of people
 about Asaram Bapu presently?

🚩आइये जानते हैं जनता ने सोशल मीडिया पर इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया दी ?
🚩1.)सुप्रीम कोर्ट के वकील इशकरण भंडारी जी कहते हैं कि एक तरफ तो केरल के बिशप फ्रैंको मुल्लकल जिसके समर्थन में उसका पूरा समुदाय खड़ा था और पूरी तरह से सक्रिय भी था ।
और दूसरी ओर जिस तरह से आसाराम बापू जी को उनके ही लोगों ने दोषारोपण करके उनके केस को न तो पूरा पढ़ा और न सच्चाई जानने की कोशिश की, बस सब मीडिया द्वारा दिखाई गयी खबरों के आधार पर माना गया ।
इससे साफ होता है कि हमारे देश पर उदार परितंत्र शासन कर रहा है।
https://twitter.com/Ish_Bhandari/status/1051721213242945536?s=19
🚩2.) सुदर्शन न्यूज़ चैनल के संस्थापक सुरेश चव्हाणके जी ने लिखा है कि 13 बार के बलात्कारी पादरी को तो 21 दिन में बेल । लेकिन ज़िनके FIR में भी बलात्कार का आरोप नहीं लिखा है उन #आसाराम_बापू को पाँच साल में एक दिन भी ज़मानत नहीं मिली क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण की दुकानों को बंद किया था। #ईसाई कितने शक्तिशाली हैं यह बताने के लिए यह बड़ा उदाहरण है । https://twitter.com/SureshChavhanke/status/1051885698788155392?s=08
🚩3.) आशीष जैन जी का कहना है कि आसाराम बापू को बेल नहीं दी गई क्योंकि वो ईसाई धर्मान्तरण के खिलाफ लड़ रहे थे ।
वो सदैव हिंदुत्व के साथ ही थे किंतु मूर्ख हिंदुओं ने उनपर #MeToo के लिए दोषारोपण किया ।
मैं प्रार्थना करता हूँ कि वो बिना जमानत के ही जेल से बाहर आ जाएं ।
https://twitter.com/jain78ak/status/1051734674119086080?s=19
🚩4.) राजेश तामडे़त जी ने व्यंग करते हुए, देश के कानून की दोहरी छवि पर सवाल उठाते हुए कहा कि गजब है भाई.. इतने संगीन आरोप होने के बाद भी इन्हें बेल मिल गया.. वहीं आशाराम बापू अब भी जेल में हैं... अंग्रेज चले गए पर अपने कानून छोड़ गए...
जाने किसे सजा दे दें, जाने किसे रफा दे दें...
https://twitter.com/RajeshTamret/status/1051718640490274816?s=19
🚩5.) सचिन जी का कहना है कि जज साहब का निर्णय उन्हें संदेह के घेरे में लाता है,,,,  हिंदुओ का धर्म परिवर्तन नहीं होने देने वाले, फर्जी आरोप में बिना सबूत के सालों से जेल में हैं
और धर्म परिवर्तन, रेप करने वाले कुछ ही दिन में बाहर आ गए !
लगता है मोटा चढ़ावा चढ़ा है ।
🚩6.) शकरजीत भदौरिया जी कहते हैं कि
देख लो भाईसाहब, ये है रोम की ताकत
क्रिस्चियन धर्म के लोगों ने विरोध किया नहीं
उनके खिलाफ एक भी व्यक्ति नहीं बोला
न्यूज चैनलों से रिपोर्ट ही गायब रही
अपने यहाँ न्यूज़ चैनलों ने आसाराम बापू के खिलाफ 3 महीने तक लगातार नौटंकी चलाई कितनो ने विरोध किया हमने खुद धर्म का मज़ाक बनाया है ।
https://twitter.com/ShakrajeetB/status/1052045154490564608?s=19
🚩7.) करुणासागर जी लिखते हैं कि फ्रैंको मुल्लकल (54) को चर्च में नन के साथ बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में गिरफ्तारी के 3 ही हफ्तों में बेल मिल गई...
आसाराम बापू (74) के केस में छेड़छाड़ के मामले में 2013 से बेल खारिज की गई...
पहले तो उपद्रव चयनात्मक हुआ करते थे अब तो बेल भी चयनात्मक हो गई,
शर्मनाक
https://twitter.com/karunasagarllb/status/1051753782646697984?s=19
🚩8.) जवाहर मंगलमपाल जी कहते हैं कि तो, हमारी न्याय व्यवस्था क्या चर्च के साथ मिलकर फैसला देती है ? और क्या मस्जिद के ऊपर सख्ती से कार्यवाही करने से डरती है ? देश/जनता अब निश्चित ही मान रही है कि न्याय व्यवस्था पक्षपातपूर्ण व्यवहार करती है हिन्दू/हिंदुत्व के साथ ।  क्यूँ आशाराम बापूजी को बेल नहीं मिली जबकि बिशप को मिली? क्या अब ये न्यायपालिका के ऊपर है कि वो किस पर खरी उतरती है ?
https://twitter.com/JMangalampall/status/1051870648228691969?s=08
🚩9.) उधय शंकर जी का कहना है कि  ऐसा लगता है कांग्रेस की सरकार नहीं है फिर भी ये राष्ट्र हिंदुओं के लिए नहीं है, क्या न्यायालय के फैसले मीडिया के चयनात्मक उपद्रवों पर आधरित होते हैं ? फ्रैंको की तुलना में आसाराम बापू के ऊपर लगे आरोपों को दिखाने में मीडिया द्वारा करीब 100 गुणा अधिक समय दिया गया था जबकि फ्रैंको के ऊपर लगे आरोप ज्यादा संगीन हैं ।
https://twitter.com/UDHAYSHANKARTR/status/1051909908910682112?s=19
🚩10.)निशांत जी लिखते हैं कि लेकिन आसाराम बापू को उसी प्रकार के अपराध के लिए सालों से बेल नहीं मिली । क्या कोई  बिशप के केस में मिले इस विशेष मेरिट की व्याख्या कर सकता है?
यहाँ तक कि प्रमुख वकील राम जेठमलानी भी न्यायपालिका को आसाराम के कानूनी मामले पर जमानत देने के लिए नहीं मना पाए ।
यहाँ इस तरह के दो फैसले क्यों ?
https://twitter.com/_nishantsir/status/1051847887313747970?s=19
11. प्रशान्त पटेल उमराव लिखते है कि रेपिस्ट बिशप फ्रैंको के समर्थन में पूरा समुदाय व चर्च खड़ा था और उसे जमानत मिल गयी परंतु चर्च के धर्मांतरण के विरुद्ध लड़ने वाले आसाराम बापू के फर्जी केस में फंसने पर उन्हें गाली देने वाले स्वधर्मी ही हैं । फिर भी आप पूँछते हैं कि लेफ्ट का इकोसिस्टम कैसे भारत में राज कर रहा है ?
https://twitter.com/ippatel/status/1051745760692162560?s=19
🚩ऐसी हजारों ट्वीट्स के द्वारा जनता ने आसाराम बापू के साथ हुए अन्याय को लेकर कानून व्यवस्था पर गहरी नाराजगी जताई है ।
🚩जनता का कहना है कि एक ईसाई पादरी जो धर्मांतरण करवाता है उसे कानून तुरन्त जमानत दे देता है पर जिन संत आसाराम बापू ने धर्मान्तरण पर रोक लगाई, उनकी जमानत की अर्जी को 5 साल से रिजेक्ट किया जा रहा है ।
🚩भारत के इतिहास में कानूनी प्रक्रिया का ऐसा दोगलापन देखकर जनता का मानना है कि न्याय के दोहरे मापदंड से यह लगता है कि ईसाई पादरियों के लिए सब कुछ माफ है, क्या बिशप की जगह कोई हिंदू संत होता तो कोर्ट उसे जमानत दे देता ? कहने को हम आज़ाद हो गए पर विदेशी कानून और उनका प्रभुत्व आज भी जिंदा है ।  न्यायपालिका आज जनता के बीच हंसी का पात्र बनती जा रही है ।
🚩गौरतलब है कि 25 अप्रैल 2018 को हिन्दू संत आसाराम बापू को जोधपुर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी, लेकिन सजा सुनकर अधिकतर जनता ने सवाल उठाया कि जब मेडिकल रिपोर्ट में कोई प्रूफ नहीं है, लड़की उस समय घटना स्थल पर थी ही नहीं फिर सजा कैसे सुना दी, आश्चर्य है !
🚩आपको बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की ने बताया था कि बापू आसारामजी के सेवादार शिवा ने लड़की को बुलाया था और उनके कमरे तक पहुंचाया था, लेकिन कोर्ट ने शिवा को निर्दोष बरी कर दिया, कोर्ट ने बताया कि शिवा तो उस समय वहाँ था ही नहीं । तो बड़ा सवाल ये है कि जब शिवा वहाँ था ही नहीं तो फिर लड़की अंदर कैसे गई ? इससे साफ पता चलता है कि लड़की झूठ बोल रही है ।
🚩दूसरी बात कि एफ.आई.आर. में कहीं भी बलात्कार किया ऐसा नहीं लिखा है, छेड़छाड़ की है ऐसा लिखा है, लड़की का मेडिकल भी हुआ था उसमें भी दर्शाया गया कि लड़की को एक खरोंच तक नहीं आई, मतलब कि रेप तो छोड़ो छेड़छाड़ भी नहीं हुई है ।
🚩लड़की के कॉल डिटेल के अनुसार घटना की रात लड़की सतत किसी संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में थी और बापू आसारामजी किसी सगाई कार्यक्रम में व्यस्त थे जहाँ सैकड़ों लोग मौजूद थे ।
🚩इन सारे तथ्यों को देखकर लगता है कि हिन्दू संत आसाराम बापू जिस तरह से पूरे विश्व में हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार कर रहे थे और धर्मान्तरण पर रोक लगा रहे थे और करोड़ों लोगों को सन्मार्ग पर ले जा रहे थे जिसके कारण लोगों ने व्यसन, व्यभिचार, बुरी आदतें छोड़ दी और लोग घरेलू उपाय से स्वस्थ होने लगे थे, जिसकी वजह से विदेशी कम्पनियों को अरबों-खरबों रुपयों का नुकसान हुआ, परिणामस्वरूप कुछ नेताओं और मीडिया से मिलकर ईसाई मिशनरियों और विदेशी कंपनियों ने षड्यंत्र के तहत आसारामजी बापू को अंदर करवा दिया, जिससे फिर से वे भारत पर अपना प्रभुत्व जमा सकें ।
🚩लेकिन कहते है न कि "सत्य को परेशान किया जा सकता है पर पराजित कभी नहीं" ऐसे ही भले हिन्दू संत आसाराम बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुना दी पर ऊपरी कोर्ट से वे अवश्य निर्दोष बरी होंगे ऐसा जनता को आज भी विश्वास है ।
🚩पहले भी ऐसे कई केस हुए हैं कि जिसमें निचली कोर्ट ने सजा सुना दी और ऊपरी कोर्ट द्वारा निर्दोष बरी हुए, जैसे कि द्वारका के केशवानंदजी को बलात्कार के केस में 12 साल की सजा हुई और ऊपरी कोर्ट ने 7 साल बाद निर्दोष बरी किया, शंकरचार्य जयेंद्र सरस्वती, स्वामी नित्यानंद जी आदि को भी ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया था, आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति को उम्रकैद की सुना दी गई और ऊपरी कोर्ट ने 9 सालों बाद उन्हें निर्दोष बरी कर दिया, ऐसे ही आज भले बापू आसारामजी को उम्रकैद की सजा सुना दी गई है पर ऊपरी कोर्ट से वे भी निर्दोष बरी होंगे, ऐसा बुद्धिजीवी लोगों का कहना है ।
🚩अब सवाल ये है कि जब वे निर्दोष बरी होंगे तब उनका जेल में बर्बाद हुआ समय, पैसे, इज्जत वापिस कौन लौटाएगा ? देरी से न्याय मिलना भी अन्याय के बराबर है । इसपर न्यायप्रणाली को ध्यान देना अत्यंत जरूरी है ।
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Friday, October 19, 2018

सबरीमाला मन्दिर पर इतना बवाल क्यों ? हिंदुओं की आस्था पर प्रहार कब तक..?

19 October 2018

🚩हिंदुस्तान में ही सहिष्णु, शांतिप्रिय, सबका मंगल व भला चाहने व करने वाले हिन्दुओं की आस्था पर गहरी चोट पहुंचाई जा रही है । अभी वर्तमान में ब्रह्मचारी भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में कुछ ईसाई, मुस्लिम, वामपंथी महिलाओं को प्रवेश दिलवाने के लिए हिन्दुओं की बर्बरतापूर्वक पिटाई की जा रही है ।
Why the dispute over the Sabarimala temple?
 How long does the attack on the faith of Hindus?

🚩सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने सभी आयुवर्ग की महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर की 800 साल पुरानी प्राचीन परंपरा तोड़ते हुए मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी । 10 से 50 वर्ष के आयुवर्ग की महिलाओं को भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की मंजूरी मिलने पर कई संगठन विरोध जता रहे हैं । 

🚩कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के फैससे के खिलाफ हजारों महिलाओं ने प्रदर्शन किया था, करोड़ों हिन्दू इस फैसले के खिलाफ हैं, लेकिन केरल में वामपंथी सरकार हिन्दुओं की आस्था पर ध्यान नहीं दे रही है, तथा हिन्दुओं का दमन कर रही है । 

🚩हिन्दू शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं फिर भी कुछ ईसाई, वामपंथी, मुस्लिम महिलाएं मंदिर में जबरदस्ती घुस रही हैं । हिन्दू उन्हें रोक रहे हैं, उन महिलाओं के साथ सैंकड़ों कमांडो भी हैं जो हिन्दुओं की बर्बरता से पिटाई कर रहे हैं और उनकी आस्था पर चोट पहुँचा रहे है ।

🚩मीडिया की गंदी हरकत:-

जब सबरीमाला मंदिर के द्वार खुलने की तैयारियां हो रही थीं तब मीडिया आउटलेट्स ने महिला पत्रकारों को इस घटना को कवर करने के लिए भेज दिया, जिससे प्रदर्शन और उग्र हो गया । विरोध प्रदर्शन कर रहे भक्तों ने महिला पत्रकारों पर हमला कर दिया । 

🚩इससे स्पष्ट होता है कि महिला पत्रकारों को विरोध प्रदर्शन के स्थान पर भेजने का मकसद सिर्फ और सिर्फ  प्रदर्शन को और उग्र करने का था । ये न सिर्फ बेवकूफी है बल्कि खतरनाक भी है । न्यूज़ चैनल्स और मीडिया आउटलेट्स को प्रदर्शन की स्थिति का पहले से आभास था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने क्या सोचकर महिला पत्रकारों को प्रदर्शन के स्थान पर खबर को कवर करने के लिए भेजा था ? इसका मतलब तो साफ़ है कि मीडिया न्यूज चैनल्स ने जानबूझकर महिला पत्रकारों की जान को खतरे में डाला वो भी सिर्फ अपनी टीआरपी रेटिंग और सनसनीखेज मुद्दे के लिए । ये कुछ नहीं बल्कि पब्लिसिटी के निम्न स्तर को दिखाता है ।

🚩पहले ही राज्य सरकार ने प्रदर्शकारियों के गुस्से को और बढ़ावा दे दिया है, जबरदस्ती सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करके जबकि वो इस प्रदर्शन को शांत करने के लिए कोई उचित कदम भी उठा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया । केरल में कम्युनिस्ट सरकार ने स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को नजरअंदाज कर श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना का अपमान किया है । अब न्यूज चैनल्स ने महिला पत्रकारों को भेजकर आग में घी डालने का काम किया है । जानबूझकर महिला पत्रकारों को भेजा ताकि वो मंदिर में प्रवेश कर सकें और अपने न्यूज़ चैनल का प्रचार कर सकें । ये कदम सिर्फ प्रदर्शन को भड़काने और महिलाओं की जान को खतरे में डालने का प्रयास है । ये न सिर्फ निंदनीय और बहुत ही घटिया था बल्कि बहुत ही खतरनाक भी था।

🚩मीडिया आउटलेट्स ने महिला पत्रकारों को भेजा ताकि वो अपनी टीआरपी रेटिंग को बढ़ा सकें और एक ऐसी सनसनीखेज खबर तैयार कर सकें जिससे उनके दर्शकों की संख्या में इजाफा हो जाए । हालाँकि, उन्होंने इस बीच महिला पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में एक बार भी विचार नहीं किया । महिला पत्रकारों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा किया गया हमला इन मीडिया आउटलेट्स और न्यूज चैनल्स की लापरवाही को भी दिखाता है जो एक सनसनी खबर के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं । उन्होंने न सिर्फ प्रदर्शन को बढ़ावा देने का काम किया है बल्कि महिला पत्रकारों की जान को भी खतरे में डाला है । न्यूज चैनल्स को टीआरपी और सनसनी खबर के लिए इस तरह कर निम्न स्तर के कदम उठाने से पहले एक बार विचार जरुर करना चाहिए क्योंकि महज टीआरपी के लिए किसी की जान खतरे में डालना न्यूज चैनल्स को शोभा नहीं देता है ।

🚩भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बोर्ड के सदस्य स्वामीनाथन एस. गुरुमूर्ति ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के जाने को पब्लिसिटी स्टंट करार दिया है । उन्होंने मंदिर विवाद पर मीडिया की भी आलोचना की। एस. गुरुमूर्ति ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, '‘मीडिया के लिए सबरीमाला अब प्रतिष्ठा की लड़ाई है । महिलाओं के अधिकारों से अब यह एक, दो या तीन महिलाओं के अधिकारों बनाम लाखों महिलाओं की सहनशीलता की लड़ाई बन चुका है । जो महिलाएं वहां जाती हैं उनके लिए यह बस पब्लिसिटी स्टंट है । कोई श्रद्धा नहीं, कोई धर्म नहीं, बस श्रद्धावानों को शर्मिंदा करना है ।’'

🚩 भगवान अयप्पा के मंदिर को बुधवार की शाम पांच दिनी मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया था । राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है । वहीं  हिन्दूवादी संगठन परंपरा की रक्षा के लिए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने का प्रयास कर रहे हैं । 

🚩सबरीमाला मंदिर के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने मीडिया से कहा कि "माना जाता है कि अयप्पा ‘ब्रह्मचारी’ थे । इसलिए 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने और महिलाओं से मंदिर में न जाने का आग्रह किया है ।"

🚩आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के शीर्ष न्यायालय के फैसले की गुरुवार को आलोचना की । भागवत ने कहा, “यह फैसला सभी पहलुओं पर बिना विचार किए लिया गया, इसे न तो वास्तविक व्यवहार में अपनाया जा सकता है और न ही यह बदलते समय और स्थिति में नया सामाजिक क्रम बनाने में मदद करेगा ।” उन्होंने कहा, “लैंगिक समानता का विचार अच्छा है। हालांकि, इस परंपरा का पालन कर रहे अनुयायियों से चर्चा की जानी चाहिए थी । करोड़ों भक्तों के विश्वास पर विचार नहीं किया गया ।”

🚩भारत हिन्दू बाहुल्य देश है, हिन्दुओं को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है सदियों से आ रही परम्पराओं पर कुठाराघात करना यह तो मुगलों व अंग्रेजो के राज की तरह हो गया । हिन्दुओं में एकता व अपने धर्म के प्रति जागरूकता नहीं होने के कारण आज हिन्दू हर जगह मार खा रहा है, अब हिन्दूओं को जागने की आवश्यकता है ।

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भारत के इतने महान वैज्ञानिकों को शायद आप भी नहीं जानते होंगे..

18 October 2018
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🚩पाश्चात्य वैज्ञानिकों के बारे में विश्व के अधिकांश लोगों को काफी अच्छी जानकारी है, विद्यालयों में भी बहुत ही जोर-शोर तथा उत्साह के साथ इन वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ाया जाता है, परन्तु बहुत ही खेद की बात है कि भारत के महान वैज्ञानिकों के संसार तो क्या, यहाँ तक की भारत के लोगों को भी जानकारी नहीं होगी ।
भारत के महान महान वैज्ञानिकों को भी आप नहीं जानते हैं

🚩ऐसे तो दुनिया की बेहतरीन चीजों के आविष्कारकों के रूप में कई विदेशी वैज्ञानिकों के नाम सुनने में आते हैं, परन्तु यह अटल सत्य है कि इन अविष्कारकों के काफी वर्ष पहले ही हमारे भारतवर्ष के महान ऋषि वैज्ञानिकों ने कई अविष्कार कर दिए थे ।
जैसे :-
🚩(1) आर्यभट :- आर्यभट ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने न्यूटन से कई वर्ष पहले ही गति के 3 नियमों को प्रतिपादित कर दिया था, उनकी ये खोज भले ही आज दुनिया के सामने किसी और के नाम से आ रही हो, किन्तु शून्य की खोज ने उन्हें गणित के इतिहास में अमर बना दिया ।
🚩(2) सुश्रुत :- महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक कहे जाते हैं । आचार्य सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता नाम के एक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमें 125 तरह के उपकरण तथा 300 प्रकार के ऑपरेशनों का वर्णन है ।
🚩(3) आचार्य कणाद :- परमाणु संरचना पर प्रकाश डालने वाले सर्वप्रथम वैज्ञानिक, जिन्होनें डाल्टन से भी पहले परमाणु का सिद्धांत प्रस्तुत किया ।
🚩(4) भास्कराचार्य :- गैलिलियो से सैकड़ों वर्ष पहले गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की ।

🚩(5) बौधायन :- ज्यामिति के कई प्रमुख नियमों का प्रतिपादन किया, पाईथागोरस प्रमेय का प्रतिपादन सबसे पहले इन्होने ही किया था, उस समय ज्यामिति को "शाल्व शास्त्र" कहा जाता था ।

🚩ऐसे ही एक महान वैज्ञानिक तथा रसायनज्ञ थे “ नागार्जुन” । आज के विद्यार्थी रसायन शास्त्र तो पढ़ते हैं, किन्तु रसायनशास्त्र के इतने बड़े वैज्ञानिक का नाम शायद ही किसी ने सुना होगा । नागार्जुन भारत के धातुकर्मी तथा रसशास्त्री थे । उन्हें पारा तथा लोहा के निष्कर्षण का ज्ञान था । लोहे को रासायनिक विधियों द्वारा सोने में परिवर्तित करने की विधि का ज्ञान उन्हें था ।
🚩नागार्जुन जी ने “रस रत्नाकर” नामक ग्रन्थ की रचना की है, जिसमे चांदी, सोना, टिन और ताम्बे की कच्ची धातु निकालने तथा उसे शुद्ध करने के प्रयोगों का वर्णन है । हीरे, धातु और मोती को घोलने के लिए उन्होंने वनस्पति से बने तेजाबों का सुझाव दिया । इस पुस्तक में विस्तारपूर्वक दिया गया है कि अन्य धातुओं को सोने में कैसे बदला जा सकता है ।

🚩ऐसे थे भारत के महान वैज्ञानिक । आश्चर्य है न कि बिना किसी उन्नत साधन के इतनी सरलता से इतने बड़े-बड़े खोज और अविष्कार कैसे कर लेते थे किन्तु यह बात तो यथार्थ सत्य है कि भले उनके पास यंत्रों की स्थूल शक्ति नहीं थी किन्तु उनके पास मन्त्रों की सूक्ष्म शक्ति जरुर थी । आज भी भौतिक जगत में उन्नत व्यक्तियों का आधार आध्यात्म ही है ।
🚩आध्यत्म तो सारी चीजों का, सारी सफलताओं का आधार है । जो आध्यत्मिक जगत में जितना अधिक मजबूत होगा, भौतिक स्तर पर भी उतना ही अधिक उन्नत होगा, इसलिए सदैव अपने आधार की ओर ध्यान रखकर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करें ।
🚩पूरे विश्व में आज जो भी है उसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की है, ऋषि-मुनियों ने ध्यान की गहराई में जाकर खोज की है तभी उन्हें अनेक ऐसे रहस्य मिले जिसका आज पूरी दुनिया  लाभ उठा रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे ऋषि-मुनियों के ग्रन्थ चुराकर विदेशी आक्रांता लेकर चले गए और उसमे से पढ़कर थोड़ा-बहुत ज्ञान पा लिया और दुनिया में बताया कि हमने खोज की है और भारत के इतिहास में भी यही पढ़ाया जा रहा है जोकि एक षडयंत्र है ताकि आने वाली पीढ़ी को पता ही नहीं चले कि वास्तव में ये सारी खोज भारत के ऋषि-मुनियों ने की थी ।
🚩भारत के इतिहास को अब बदलना होगा सच्चाई पढ़ानी होगी एवं भारत के लोगो को भी आध्यात्मिक तरफ मुड़ना होगा, तभी देश-समाज एवं हर प्राणी का मंगल होगा ।
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