Thursday, November 8, 2018

जानिए भाईदूज पर भाई को यमपाश से कैसे छुड़ाएं..?

8 नवम्बर 2018   

🚩 दीपावली के पर्व का पाँचनाँ दिन भाईदूज भाइयों की बहनों के लिए और बहनों की भाइयों के लिए सदभावना बढ़ाने का दिन है।

🚩 भाईदूज का इतिहास

यमराज, यमुना, तापी और #शनि – ये भगवान सूर्य की संताने कही जाती हैं। किसी कारण से यमराज अपनी बहन यमुना से वर्षों दूर रहे। एक बार यमराज के मन में हुआ कि 'बहन यमुना को देखे हुए बहुत वर्ष हो गये हैं।'अतः उन्होंने अपने दूतों को आज्ञा दीः "जाओ जा कर जाँच करो कि यमुना आजकल कहाँ स्थित है।"

🚩यमदूत विचरण करते-करते धरती पर आये तो सही किंतु उन्हें कहीं यमुनाजी का पता नहीं लगा। फिर यमराज स्वयं विचरण करते हुए #मथुरा आये और विश्रामघाट पर बने हुए यमुना के महल में पहुँचे।

🚩बहुत वर्षों के बाद अपने भाई को पाकर बहन यमुना ने बड़े प्रेम से #यमराज का स्वागत-सत्कार किया और यमराज ने भी उसकी सेवा सुश्रुषा के लिए याचना करते हुए कहाः "#बहन ! तू क्या चाहती है? मुझे अपनी #प्रिय #बहन की सेवा का मौका चाहिए।"

Know how to rescue brother from Yempash on Brother Duj ..?

🚩#दैवी स्वभाववाली परोपकारी आत्मा क्या माँगे? अपने लिए जो माँगता है, वह तो भोगी होता है, विलासी होता है लेकिन जो औरों के लिए माँगता है अथवा भगवत्प्रीति माँगता है, वह तो भगवान का भक्त होता है, परोपकारी आत्मा होता है। #भगवान #सूर्य दिन-रात परोपकार करते हैं तो #सूर्यपुत्री यमुना क्या माँगती?

🚩#यमराज चिंतित हो गये कि 'इससे तो #यमपुरी का ही दिवाला निकल जायेगा। कोई कितने ही पाप करे और यमुना में गोता मारे तो यमपुरी न आये ! सब स्वर्ग के अधिकारी हो जायेंगे तो अव्यवस्था हो जायेगी।'

🚩अपने भाई को चिंतित देखकर यमुना ने कहाः ''#भैया ! अगर यह वरदान तुम्हारे लिए देना कठिन है तो आज नववर्ष की द्वितीया है। आज के दिन भाई बहन के यहाँ आये या #बहन भाई के यहाँ पहुँचे और जो कोई भाई बहन से #स्नेह से मिले, ऐसे #भाई को यमपुरी के पाश से मुक्त करने का #वचन को तुम दे सकते हो।"

🚩#यमराज प्रसन्न हुए और बोलेः "बहन ! ऐसा ही होगा।"

🚩#पौराणिक दृष्टि से आज भी लोग बहन यमुना और #भाई यम के इस #शुभ प्रसंग का स्मरण करके #आशीर्वाद पाते हैं व यम के पाश से छूटने का #संकल्प करते हैं।

🚩यह #पर्व भाई-बहन के स्नेह का द्योतक है। कोई बहन नहीं चाहती कि उसका भाई दीन-हीन, तुच्छ हो, सामान्य जीवन जीने वाला हो, ज्ञानरहित, प्रभावरहित हो। इस दिन भाई को अपने घर पाकर बहन अत्यन्त प्रसन्न होती है अथवा किसी कारण से भाई नहीं आ पाता तो स्वयं उसके #घर चली जाती है।

🚩#बहन भाई को इस #शुभ भाव से तिलक करती है कि'मेरा भैया त्रिनेत्र बने।' इन दो आँखों से जो नाम-रूपवाला जगत दिखता है, वह इन्द्रियों को आकर्षित करता है, लेकिन ज्ञाननेत्र से जो जगत दिखता है, उससे इस नाम-रूपवाले जगत की पोल खुल जाती है और जगदीश्वर का #प्रकाश दिखने लगता है।

🚩#बहन तिलक करके अपने भाई को #प्रेम से #भोजन कराती है और बदले में भाई उसको #वस्त्र-अलंकार, दक्षिणादि देता है। #बहन निश्चिंत होती है कि 'मैं अकेली नहीं हूँ.... मेरे #साथ मेरा भैया है।'

🚩#दिवाली के तीसरे #दिन आने वाला #भाईदूज का यह पर्व, भाई की बहन के संरक्षण की याद दिलाने वाला और बहन द्वारा भाई के लिए #शुभ कामनाएँ करने का #पर्व है।

🚩इस दिन #बहन को चाहिए कि अपने भाई की दीर्घायु के लिए यमराज से अर्चना करे और इन अष्ट चिरंजीवीयों के नामों का स्मरण करेः मार्कण्डेय, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम। 'मेरा भाई चिरंजीवी हो' ऐसी उनसे प्रार्थना करे तथा मार्कण्डेय जी से इस प्रकार प्रार्थना करेः

मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पजीवितः।
चिरंजीवी यथा त्वं तथा मे भ्रातारं कुरुः।।

🚩'हे महाभाग #मार्कण्डेय ! आप सात कल्पों के अन्त तक जीने वाले चिरंजीवी हैं। जैसे आप चिरंजीवी हैं, वैसे मेरा #भाई भी दीर्घायु हो।'

(पद्मपुराण)

🚩इस प्रकार भाई के लिए मंगल कामना करने का तथा #भाई-बहन के पवित्र #स्नेह का पर्व है #भाईदूज।

(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य "पर्वो का पुंज दीपावली"
से )

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Wednesday, November 7, 2018

नूतनवर्ष को यह काम जरूर करें जिससे वर्षभर प्रसन्न और निरोग रह सकें

7 नवम्बर 2018   

🚩 भारत का नूतन वर्ष चैत्री प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है क्योंकि ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण चैत्र मास के प्रथम दिन किया । इसी दिन से सत्ययुग का आरंभ हुआ । यहीं से हिन्दू संस्कृति के अनुसार कालगणना भी आरंभ हुई । इसी कारण इस दिन वर्षारंभ मनाया जाता है ।

🚩 भारत मे कही कही श्री रामजी के आगमन की खुशी में भी नूतन वर्ष मनाया जाता है गुजरात आदि में दीपावली के दूसरे दिन भी नूतन वर्ष मनाया जाता है ।

🚩 दीपावली का दूसरा दिन अर्थात् गुजरात आदि राज्यों में नूतन वर्ष का प्रथम दिन.. जो वर्ष के प्रथम दिन हर्ष, दैन्य आदि जिस भाव में रहता है, उसका संपूर्ण वर्ष उसी भाव में बीतता है । 'महाभारत' में पितामह भीष्म महाराज युधिष्ठिर से कहते हैं-
यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।
हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।
Do this work for the new year, to be happy
and healthy throughout the year.

'हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में ही व्यतीत होता है।'

🚩अतः वर्ष का प्रथम दिन हर्ष में बीते, ऐसा प्रयत्न करें । वर्ष का प्रथम दिन दीनता-हीनता अथवा पाप-ताप में न बीते वरन् शुभ चिंतन में, सत्कर्मों में, प्रसन्नता में बीते ऐसा यत्न करें ।

🚩आज के दिन से हमारे नूतन वर्ष का प्रारंभ भी होता है । इसलिए भी हमें अपने इस नूतन वर्ष में कुछ ऊँची उड़ान भरने का संकल्प करना चाहिए । 

🚩पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, ताकि वहाँ से जो लोग गुजरें वो वर्ष भर प्रसन्न रहें, #निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरने पर वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधें तो अच्छा है ।

🚩कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत ?

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ।।

🚩अपने मुँह पर हाथ घुमा लेना । फिर दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखना ।

🚩इस दिन विचारना कि ‘जिन विचारों और कर्मों को करने से हम मनुष्यता की महानता से नीचे आते हैं उनमें कितना समय बरबाद हुआ ? अब नहीं करेंगे अथवा कम समय देंगे और जिनसे मनुष्य-जीवन का फायदा होता है - सत्संग है, भगवन्नाम सुमिरन है, सुख और दुःख में समता है, साक्षीभाव है... इनमें हम ज्यादा समय देंगे, आत्मज्योति में जिएंगे । रोज सुबह नींद से उठकर 5 मिनट शिवनेत्र पर ॐकार या ज्योति अथवा भगवान की भावना करेंगे...।’

🚩नूतन वर्ष के दिन सुबह जगते ही बिस्तर पर बैठे-बैठे चिंतन करना कि ‘आनंदस्वरूप परमात्मा मेरा आत्मा है । प्रभु मेरे सुहृद हैं, सखा हैं, परम हितैषी हैं, ॐ ॐ आनंद ॐ... ॐ ॐ माधुर्य ॐ...।

🚩नूतन वर्ष पर #पुण्यमय दर्शन:-

नूतन वर्ष के दिन #मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे  : 
उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, #कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, #माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, #चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, #कुमकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, #शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, #कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) #पद्मिनी, #सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य #आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, #क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्याय : ७६ एवं ७८)

🚩दीपावली वर्ष का #आखिरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।

🚩दीपावली की रात्रि में #वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए #शुभ #संकल्प करके सोएं । उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए नववर्ष के प्रभात में अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनों, #साधु-संतों को प्रणाम करके तथा अपने सदगुरु के श्रीचरणों में और मंदिर में जाकर नूतन वर्ष के नये प्रकाश, नये उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें । जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्म रस, #आत्मानंद मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है 'नूतन वर्ष ।'
(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद से)

🚩भारतीय संस्कृति के नूतन वर्ष प्रकाशमय पर्व की आप सभी को खूब-खूब हार्दिक शुभकामनाएँ...

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Tuesday, November 6, 2018

जानिए दीपावली का इतिहास और सुख-सम्पदा-आरोग्य बढ़ाने के आसान प्रयोग

6 नवम्बर 2018 

🚩दीपावली हिन्दू समाज में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। #दीपावली को मनाने का उद्देश्य #भारतीय #संस्कृति के उस प्राचीन सत्य का आदर करना है, जिसकी महक से आज भी #लाखों लोग अपने जीवन को सुवासित कर रहे हैं । दिवाली का उत्सव #पर्वों का #पुंज है ।

🚩भारत में इस उत्सव को मनाने की परंपरा कब से चली, इस विषय में बहुत सारे अनुमान किये जाते हैं । एक अनुमान तो यह है कि आदिमानव ने जब से अग्नि की खोज की है, शायद तभी से यह उत्सव मनाया जा रहा है । जो भी हो, किंतु विभिन्न प्रकार के कथनों और #शास्त्रवचनों से तो यही सिद्ध होता है कि भारत में दीवाली का उत्सव प्रतिवर्ष मनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
Know Deepawali's History and Happiness - Easy Use of Health
🚩दीपावली त्यौहार #हिन्दू, #जैन एवं #सिक्ख समुदाय और #प्राणी_मात्र के लिए बेहद खास है । रामायण ही नहीं बल्कि महाभारत में भी दिवाली मनाए जाने की वजह बताई गई है ।

🚩आइए हम आपको दीपावली को लेकर  9 #रहस्यमय  घटनाएँ बताते हैं...

🚩1. दीपावली के दिन #रावण का वध करके 14 साल के वनवास के बाद भगवान #राम, पत्नी #सीता और भाई #लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे । इस दिन नगरवासियों ने पूरे नगर को सजाकर दिये जलाए थे ।

🚩2. दीपावली के दिन #समुंद्र #मंथन से माँ #लक्ष्मी का प्रागट्य हुआ।

🚩3. दीपावली के दिन राजा विक्रमादित्य का राजभिषेक हुआ।

🚩4.दीपावली के दिन स्वामी #दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना की।

🚩5. दीपावली के दिन #हरगोविंद सिंह जी जहांगीर के चुंगल से मुक्त हुए ।

🚩6. दीपावली के दिन #पांडव 12 साल के अज्ञातवास के बाद वापस आए थे। नगर की प्रजा ने इस दिन दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

🚩7. दीपावली के दिन #महावीर तीर्थंकर जी ने मोक्ष प्राप्त किया ।

🚩8. दीपावली के दिन गुरु #गोविन्दसिंह विजययात्रा पर निकले थे।

🚩9. दीपावली के दिन भगवान #विष्णु ने वामन अवतार धारण करके लक्ष्मी जी को बालि की कैद से छुड़ाया था।

🚩यह उत्सव केवल #सामाजिक, आर्थिक और नैतिक उत्सव ही नहीं वरन् आत्मप्रकाश की ओर जाने का संकेत करने वाला, #आत्मोन्नति कराने वाला उत्सव है।

🚩 आपको बता दें कि दीपावली केवल भारत में ही नहीं वरन जापान, अमेरिका, थाईलैंड आदि देशों में भी धूम-धाम से मनाया जाता है ।

🚩 सुख-सम्पदा-आरोग्य बढ़ाने हेतु:-

🚩(1) दीपावली के दिन नारियल व खीर की कटोरी लेकर घर में घूमें । घर के बाहर नारियल फोड़ें और खीर ऐसी जगह पर रखें कि कोई जीव-जंतु या गाय खाए तो अच्छा है, नहीं तो और कोई प्राणी खाए । इससे घर में धन-धान्य की बरकत होती  है ।

🚩 (2) घर के बाहर हल्दी और चावल के मिश्रण या केवल हल्दी से स्वस्तिक अथवा ॐकार बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण (बंदनवार) बाँध दें । उससे पसार होनेवाले की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी ।

🚩 (3) आज के दिन सप्तधान्य उबटन (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, तिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण) से स्नान करने पर पुण्य, प्रसन्नता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है । दीवाली के दिन अथवा किसी भी पर्व के दिन गोमूत्र से रगड़कर स्नान करना पापनाशक स्नान होता है । 

🚩(4) इन दिनों में चौमुखी दीये जलाकर चौराहे पर चारों तरफ रख दिये जायें तो वह भी शुभ माना जाता है ।

🚩(5) दीपावली की रात को घर में लक्ष्मीजी के निवास के लिए भावना करें और लक्ष्मीजी के मंत्र का भी जप कर सकते हैं । मंत्र : ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे । अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।

🚩(6) घर में विसंवादिता मिटाने के लिए गौ-चंदन अगरबत्ती पर देशी गाय का घी डाल के जलाएं, घर के लोग मिलकर ‘हरि ॐ’ का गुंजन करें । दीवार पर या कहीं भी अपने नेत्रों की सीध में इष्टदेवता या सद्गुरु के नेत्र हों, उन्हें एकटक देखें और आसन बिछाकर ऐसी ध्वनि (ॐकार का गुंजन) करें । अन्य दिनों में यदि नहीं कर सकें तो दिवाली के पाँच दिन तो अवश्य करें, इससे घर में सुख-सम्पदा का वास होगा । ( स्त्रोत: ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)

🚩संसार की सभी जातियाँ अपने-अपने उत्सव मनाती हैं । प्रत्येक समाज के अपने उत्सव होते हैं जो अन्य समाजों से भिन्न होते हैं, परंतु #हिंदू #पर्वों और #उत्सवों में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य जाति के उत्सवों में नहीं हैं । हिन्दू वर्षभर उत्सव मनाते रहते हैं । एक #त्यौहार मनाते ही अगला त्यौहार सामने दिखाई देता है । इस प्रकार हिंदुओं पूरा वर्ष आनन्द से बीतता है ।

🚩हिंदू धर्म की मान्यता है कि सब #प्राणियों में अपने जैसी आत्मा समझनी चाहिए और किसी को अकारण दुःख नहीं देना चाहिए । संभवतः इसी बात को समझने के लिए #पितृपक्ष में कौए को भोजन देने की प्रथा है । नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध पिलाया जाता है । कुछ अवसरों पर कुत्ते को भोजन दिया जाता है ।

🚩हर ऋतु में नई फसल आती है । पहले वह ईश्वर को अर्पण करना, फिर #मित्रों और संबंधियों में #बाँटकर खाना – यह हिंदू परंपरा है । इसलिए दिवाली पर खील-बताशे, मकर संक्रांति यानि #उत्तरायण पर्व पर तिल गुड़ #बाँटे जाते हैं । अकेले कुछ खाना हिंदू परंपरा के विपरीत है। पनीरयुक्त मिठाइयाँ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। स्वामी #विवेकानंद #मिठाई की दुकान को साक्षात् यम की दुकान कहते थे । अतः दिवाली के दिनों में नपी तुली घर मे बनी हुई मिठाई खानी चाहिए ।

🚩भारत के वे #ऋषि-मुनि धन्य हैं, जिन्होंने दीपावली – जैसे पर्वों का आयोजन करके मनुष्य को मनुष्य के नजदीक लाने का प्रयास किया है तथा उसकी सुषुप्त #शक्तियों को जागृत करने का संदेश दिया है।

*आप सभी को दीपावली पर्व की शुभकामनायें*

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