Tuesday, January 8, 2019

14 फरवरी का बदल गया पर्व, अब वैलेंटाइन डे नहीं मातृ-पितृ पूजन मनाना है

8 जनवरी  2019

🚩भारत में वैलेंटाइन डे की गंदगी अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां लेकर आई हैं और वो ही कम्पनियां  मीडिया में पैसा देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं । जिसके कारण उनका व्यापार लाखों नहीं, करोड़ों नहीं, अरबों नहीं लेकिन खरबों में हो जाता है, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगता है, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, कंडोम, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपये का फायदा होता है ।

🚩वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है इसलिए अब तो ऐसा समय आ गया है कि वैलेंटाइन डे किसी को याद भी नहीं आ रहा होगा और लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस निमित्त मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम और सोशल मीडिया पर कैम्पियन शुरू कर दिया गया है ।

🚩आज सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे ही ट्वीट किए जा रहे थे, जो आपको जानना बेहद जरूरी है...

🚩ब्रज मोहन ने लिखा है कि सब धर्मों में माता पिता का आदर करना चाहिए यही सिखाया जाता है।'मातृ-पितृ पूजन दिवस' यह पर्व सिर्फ हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए वरदान स्वरूप है आओ मनाएं 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' 14 फरवरी को
#विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व

🚩गार्गी पटेल लिखती हैं कि युवक 14 फरवरी को फूल लेकर अपनी प्रेयसी के पास जाता है तो अपने माता-पिता का अपमान करता है। 14 फरवरी को फूल ले के नहीं दिल लेकर, पूजा की सामग्री ले के माँ के चरणों में, पिता के चरणों में आओ जिससे तुम्हारा नजरिया शुद्ध हो जाय:-Sant Shri Asaram Bapu Ji
#विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व

🚩गाज़ियाबाद आश्रम द्वारा ट्वीट करके लिखा गया कि #संस्कृति_रक्षक_संत द्वारा शुरू किया गया #MPPD है देश की एक नई सोच, एक नई पहल व #विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व !!

परम पूज्य संत श्री #आशाराम #बापूजी की कृपा से #गाजियाबाद के बीएम कंपाउंड निकट घंटाघर में #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस का कार्यक्रम संपन्न हुआ...! https://t.co/iqBAsZA4i6

🚩निशांत कुमार ने लिखा है कि 
गर्व है माताओं-पिताओं के दिलों में..
प्रसन्नता है बच्चे-बच्चियों के मनों में..
ख़ुशी है पड़ोसियों के चेहरों पे..
एक नया अहसास है समाज व देश में..
मातृ-पितृ पूजन दिवस के मनाने से !!
Sant Shri Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित #विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व !

🚩अजय कुमार शुक्ला ने लिखा कि भारत को विश्वगुरु की ओर अग्रसर करने के लिए वैलेंटाइन्स जैसे पाश्यात्य विदेशी गन्दगी को हटाकर,
मातृ पितृ पूजन दिवस प्रारंभ किया Sant Shri Asaram Bapu Ji ने
#विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व

🚩दिल्ली Yss के द्वारा ट्वीट द्वारा बताया गया कि वैलेंटाइन डे मनाकर कई युवक-युवतियाँ लड़े-झगड़े, कई घर छोड़ के भागे, किसीने आत्महत्या की तो लाखों-लाखों परिवार तबाह हो रहे थे।उनकी तबाही और लाखों-करोड़ों माता-पिताओं का बुढ़ापा नारकीय हो रहा है  इसलिए Asaram Bapu Ji ने शुरू किया ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’।#विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व https://t.co/kZxp5ExS9Y

🚩शिला लिखती हैं कि पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण करके भारत के युवान-युवतियाँ शादी से पहले प्रेमदिवस के बहाने अपने ओज-तेज-वीर्य का नाश करके सर्वनाश न करें इसलिये Sant Asaram Bapu Ji ने #विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया जिसके कारण यौवन-धन, स्वास्थ्य और बुद्धि की सुरक्षा बनी रहे ।

🚩देवांग ने लिखा है कि इस धरती पर यदि कोई परमात्मा का रुप हैं तो वो माता-पिता और गुरु हैं।  माता -पिता की कदर करो और 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाओ।#विश्व_पटल_पर_उभरता_अनोखा_पर्व  https://t.co/ikyGotcIRq

🚩इस प्रकार हजारों ट्वीट करके बताया जा रहा रहा था कि 14 फरवरी को कोई भी वैलेंटाईन डे न मनायें उसदिन माता-पिता का पूजन करके आशीर्वाद प्राप्त करें ।

🚩गौरतलब है कि पिछले 50 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्व के जन-मानस को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत बापू आसारामजी ने  जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चत्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका ह्रदय व्यथित हो उठा और उन्होंने पिछले 13 वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया । #14फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन_दिवस
जो आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है ।

🚩आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।
आओ एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।
14 फरवरी को वैलेंटाइन डे नहीं माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं ।

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Monday, January 7, 2019

महाभारत काल में भारत का ज्ञान-विज्ञान आज से अत्यधिक उन्नत और बेहतर था

7 जनवरी  2019

🚩भारत देश का ऐसा गौरवशाली अतीत है जो अब प्रोफेसरों और अध्यापकों के मुँह से भी निकल रहा है । इस इतिहास को बहुत छिपा कर और साजिशों की परतों के नीचे दबा कर रखा गया था । आख़िरकार वो सच देर से ही सहीं पर भारत के तमाम स्तम्भों के मुँह से निकलने लगा है जिसे भारत की शिक्षा की रीढ़ कहा जाता है ।


🚩कुछ समय पहले जब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने ऐसे ही गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया था तो उनके खिलाफ एक वर्ग ने हल्ला बोल दिया था । लेकिन अब उसी गौरवशाली अतीत का बखान किया है आंध्र प्रदेश यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव जी ने ।

🚩"भारतीय विज्ञान कांग्रेस"  कार्य्रकम में नागेश्वर जी ने संबोधन में साफ़-साफ़ कहा है कि महाभारत काल में भारत का ज्ञान विज्ञान आज से समय से कहीं उन्नत और बेहतर था। उस समय चिकित्सा आदि की विधियाँ कई गुना उच्च तकनीकी की थी । उन्होंने कौरव और पांडवों को न सिर्फ प्रबल बलशाली योद्धा बताया बल्कि बड़े अनुसन्धानी भी कहा ।

🚩समाचार एजेंसी द हिन्दू के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत के पास हज़ारों साल पहले से ही लक्ष्य केंद्रित मिसाइल तकनीक का ज्ञान था । भगवान राम के पास अस्त्र-शस्त्र थे, जबकि भगवान विष्णु के पास ऐसा सुदर्शन चक्र था जो अपने लक्ष्य को भेदने के बाद  वापस लौट आता था । - सुदर्शन न्यूज

🚩प्राचीन भारत की तकनीकें इतनी विकसित थी कि आज के वैज्ञानिकों की सोच वहाँ तक पहुँच भी नहीं सकती, लेकिन भारतवासी विलासी होते गये और आपस में लड़ने लगे इसका फायदा उठाकर विदेशी आक्रमणकारियों ने देश की संस्कृति को खत्म करने का अनेक षड्यंत्र किये लेकिन अभी भी संपूर्ण रूप से नष्ट नहीं कर पाएं यही सनातन भारतीय संस्कृति की महिमा है ।

🚩एक और बड़ी अच्छी खबर आई है कि अब वेद की पढ़ाई भी कर सकते है ।

*अब वेद से भी कर सकेंगे दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई, शुुरु हुआ नया पाठ्यक्रम*

🚩भारतीय वैदिक ज्ञान परंपरा को लोकप्रिय बनाने को लेकर सरकार ने एक बड़ी पहल की है । इसके अंतर्गत कोई भी छात्र अब दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय (स्ट्रीम) की तर्ज पर ‘वेद’ संकाय में भी कर सकेगा । फिलहाल इस कोर्स को शुरू कर दिया गया है । इसके सभी विषय संस्कृत भाषा और वेद से जुड़े हैं । हालांकि इस माध्यम में अभी सिर्फ दसवीं में ही प्रवेश दिया जा रहा है, किंतु जल्द ही बारहवीं का भी कोर्स शुरु करने की तैयारी है ।

🚩वैदिक ज्ञान को बढ़ावा देने की यह पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ऑनलाइन पढ़ाई करने वाली संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस.) ने की है । एन.आई.ओ.एस. ने वेदों से जुड़े इस खास संकाय को ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ नाम दिया है, इसके लिए खासतौर पर पांच विषय तैयार किए गए है । इनमें भाषा के रुप में संस्कृत को रखा गया है, जबकि अन्य चार विषयों में भारतीय दर्शन, वेद अध्ययन, संस्कृत व्याकरण और संस्कृत साहित्य होंगे । जिसमें छात्रों के लिए अष्टाध्यायी से लेकर वेद मंत्रों को भी शामिल किया गया है । यह पूरा कोर्स आनलाइन होगा।

🚩मॉरीशस और फिजी जैसे देशों ने दिखाई रुचि-

वेद को बढ़ावा देने को लेकर शुरू किए गए 10 वीं और 12 वीं के इन आनलाइन कोर्सेस को लेकर भारतीय संस्कृति से नजदीकी जुड़ाव रखने वाले कई देशों ने रुचि दिखाई है । इनमें मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैको जैसे देश शामिल है । फिलहाल इन देशों ने एनआईओएस से अपने यहां भी इन कोर्सो को संचालित करने और केंद्र खोलने का मांग की है ।

🚩देश में पहले नगर-नगर गुरुकुल थे और उसमें वेद अनुसार पढ़ाई करवाई जाती थी जिसको पढ़ने के बाद हर मनुष्य स्वथ्य, सुखी सम्मानित जीवन जीता था आज की पढ़ाई सिर्फ पेट भरने के लिए ही है जो मनुष्य को पशुता की ओर ले जा रही है, अब एन.आई.ओ.एस. ने वेद की शिक्षा शुरू की है वे अत्यंत सरहानीय है । देश भर में सभी स्कूलों, कॉलेजो में वेद अनुसार शिक्षा शुरू कर देनी चाहिए जिससे हर व्यक्ति स्वथ्य, सुखी , सम्मानित जीवन जिए और देश को पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन कर सके ।

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Sunday, January 6, 2019

जनता बोली न्यायायल हो चुका है निष्क्रिय, खुद ही लेना पड़ेगा फैसला


6 जनवरी  2019
 
🚩देश की अदालतों से फैसले के देरी के कारण और तारीख पर तारीख मिलने पर जनता में भारी रोष व्याप्त रहा है। 

🚩हाल ही में 4 जनवरी को राम मंदिर की सुनवाई थी जो 30 सेकंड से भी कम समय चली और फिर क्या ? फिर से मिली एक नई तारीख । पिछले 26 सालों से न्यायालय में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद चल रहा है और अब जब समय आ रहा है कि हिंदुओं को उनका राम मंदिर मिल जाए तो मंदिर मिलना तो दूर न्यायालय से एक के बाद एक नई तारीख मिल रही है । 

🚩एक कवि ने लिखा है कि :-

थे राम अयोध्‍या के राजा ये सारा विश्‍व जानता है।
पर आज उन्‍हें अपने ही घर तम्‍बू में रहना पड़ता है।।

अल्‍लामा इकबाल ने उनको पैगम्‍बर बतलाया है।
उनसा मर्यादा पुरुषोत्तम न पृथ्‍वी पर फिर आया है।।

फिर भी इस सेकुलर भारत में राम नाम अभिशाप हुआ।
मंदिर बनवाना बहुत दूर पूजा करना भी पाप हुआ।।

90 करोड़ हिंदू समाज इससे कुंठित रहते हैं।
उनकी पीड़ा को समझे जो उसे राष्‍ट्रविरोधी कहते हैं।।

हिंदू उदारता का मतलब कमजोरी समझी जाती है।
हिंद में ही हिंदू दुर्गति पर भारत माता रोती है।।

हे लोकतंत्र के हत्‍यारों सेकुलर का मतलब पहचानो।
मंदिर कहना यदि बुरी बात तो राम का घर ही बनने दो।

गृह निर्माण योजना तो सरकार ने ही चलवाई है।
तो राम का घर बनवाने में आखिर कैसी कठिनाई है।।

🚩सच में आखिर ये बात आजतक समझ ही नहीं आयी कि जब देश हिंदुओं का है और ये सबको पता ही है कि अयोध्या रामजी की जन्म भूमि है, ये बात सिर्फ आस्था के आधार पर नहीं कही जा रही है खुदाई के द्वारा मिले अवशेषों से भी पता चल चुका है, फिर भी वहां मंदिर अब तक नहीं बन पाया । पाकिस्तान जैसे देश में भी गुरुद्वारे और मंदिर बन रहे हैं, लेकिन भारत जो अपनी आध्यत्मिकता के लिए प्रसिद्ध है, उसी देश में हिंदुओं के आराध्य श्री राम को टेंट में रहना पड़ रहा है । 

🚩26 वर्षों का समय कोई छोटी अवधि नहीं है किसी मुद्दे को सुलझाने के लिए, लेकिन न्यायालय से सहीं फैसला अब तक नहीं आया, ये न्यायालय की निष्क्रियता नहीं तो और क्या है ?

🚩आज सुबह सोशल मीडिया पर भी कुछ लोग अपने ट्वीट्स के माध्यम से हिंदुओं के प्रति न्यायालय की निष्क्रियता को बता रहे थे ।

🚩आइये जानते है क्या कह रही है जनता:-

🚩(1) अंजली लिखती हैं कि
किसी भी देश की पहचान उसके धर्म और संस्कृति से होती है । न्यायालय और कानून उनकी रक्षा के लिए बने होते हैं, लेकिन जब वही समाज के हित में त्वरित निर्णय न दें तो लोग कहाँ जाएं?
#न्यायालय_की_निष्क्रियता
#Ayodhya

🚩(2) नितेश लिखते हैं कि आज के समय में भारत जैसे देश में जहां हिन्दू कहनेभर को बहुसंख्यक हैं पर उनकी भावनाओं को कभी समझने की न तो देश की सरकार को समय है न ही न्यायपालिका को। #न्यायालय_की_निष्क्रियता
#Ayodhya

🚩(3) शिव लिखते हैं कि देश की जनता का यह कहना है कि 👇
क्या हमारे देश की #न्यायालय_की_निष्क्रियता की वजह से #Ayodhya में श्रीराममंदिर बनने का सपना कभी पूरा भी होगा?

#Sabarimala मंदिर में न्याय देने को आतुर अदालत #श्रीराममंदिर के मामले में फेल होती हुई दिखाई दे रही है।

🚩(4) करण ने कहा है कि तारीख पे तारीख!!
आतंकी और देशद्रोही, गद्दारों के लिये आधी रात में खुलनेवाली अदालत के पास #Ayodhya राममंदिर पर फैसला सुनाने के लिये समय नहीं है।
हिंदुओं को #न्यायालय_की_निष्क्रियता के कारण अदालत के भरोसे बैठने के बजाय अब खुद ही फैसला लेने का वक्त आ गया है।

🚩(5) ब्रज मोहन जी ने कहा है कि 1 ईसाई ने सबरीमाला पर याचिका लगाई 
और  
SC ने पूछा भी नही तेरा हिन्दू मन्दिर से क्या मतलब? और  फैसला सुना दिया ??🤔
राम लला के मंदिर के  8 भाषाओं में करीब 9000 पन्नों में 22 याचिका लगाई गई है उनपे तारीख पर तारीख 😡
#न्यायालय_की_निष्क्रियता
#Ayodhya

🚩ऐसे तो एक दो नही हजारों ट्वीट हो रहे थे जिसमें न्यायालय के प्रति जनता नाराज दिख रही थी ।

🚩क्या ऐसे ही भारत का सपना देखा था हमारे देश के वीरों ने, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी देश को आज़ाद कराने में । एक ओर जहां एक सुखद राज्य की कल्पना करते ही रामराज्य की तस्वीर सामने आ जाती है, वहीं दूसरी ओर बड़े ही शर्म की बात है कि भारत में ही रामजी की जन्मस्थली में उनका एक मंदिर तक नहीं है । 

🚩ये वही देश है जहां न्यायालय याकूब मेनन जैसों की सुनवाई के लिए रात को 2 बजे भी खुलते हैं ।

ये वही देश हैं जहाँ कसाब जैसे आतंकियों को ऐशो आराम की ज़िंदगी दी जाती है । बिरियानी खिलाई जाती है ।

🚩ये वही देश है जहाँ मां कही जाने वाली गाय की दिन दहाड़े, धड़ल्ले से हत्या कर दी जाती है।

ये वही देश है जहाँ के लोगों में पश्चिमी गंदगी फैलाने वाले अभिनेता और अभिनेत्रियों के जन्मदिन तो याद रहते हैं, लेकिन सच्ची सीख देने वाले देश भक्तों का नाम तक नहीं पता होता ।

🚩और ये वही देश है जहाँ देश को बर्बाद करने वालों को तो इनाम दिए जाते हैं, लेकिन देश की सच्ची शान, सच्चे मायनों में रक्षक संतों को अपमानित किया जाता है ।

🚩फिर भी हम कहेंगे कि हमारा देश महान है पता है क्यों ? क्योंकि इस हमारी संस्कृति और संस्कृति के रक्षक संत इस देश में विराजमान हैं ।

🚩सबरीमाला, जलीकट्टू, दही हांडी, दीपावली पर फटाके नहीं फोड़ने आदि हिन्दू विरोधी फैसले न्यायालय जल्दी देती है । पक्ष वाले फैसले पर तारीख पर तारीख मिलती है ।
इससे 90 करोड़ हिंदूओ में रोष व्याप्त है ।

🚩खैर बदले हुए कैलेंडर के साथ यही उम्मीद है कि जल्द ही न्यायालय हिंदुओं के प्रति अपनी निष्क्रियता को दूर करे और हिंदुओं के हक में भी फैसले दे ।

Saturday, January 5, 2019

जानिए आसाराम बापू ने देश में ऐसा क्या किया जिसके कारण जाना पड़ा जेल?

5 जनवरी  2019

🚩"भारत" नाम सुनते ही दो चीजें आंखों के सामने आती हैं एक तो भारत की सभ्यता और दूसरी भारत की सभ्यता बचाने वाले साधु-संत ।

🚩बात भी सहीं ही है भारत कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए अपने मूल से ही जाना जाएगा । पर क्या भारत पर हुए कई शासकीय अत्याचारों को भुलाया जा सकता है ? नहीं ना ! विभिन्न धर्मों के लोगों ने भारत को अपने रंग में, अपने मजहब में ढालने का पूरा प्रयत्न किया परंतु भारत के सनातन धर्म को आहत ना कर पाए, कितने-कितने देश-भक्त, धर्म-प्रेमी विधर्मियों के अत्याचार की बली चढ़ गए, पर भारत और भारत की वैदिक संस्कृति के परचम को हानि नहीं पहुंचाने दी बल्कि और भी बुलंद कर दिया ।
Know what Asaram Bapu did in the country due to which jail had to go?

🚩आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ में भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका सिर्फ एकमात्र कारण हैं वंदनीय साधु-संतों की उपस्थिति, इनके लोक-मांगल्य कार्यों और सांस्कृतिक आयोजनों की वजह से ही भारत में भारत की नींव "सनातन-संस्कृति और परोपकार" जीवित है । https://youtu.be/3r4Qn7NJwHY

🚩21वीं सदी के हिन्दू संत आसारामजी बापू, इनका नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है । प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं । भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य  इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता । देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया ।  https://youtu.be/wmswegtRqus

🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जानेवाले बापू आसारामजी का ह्रदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर भारत-वासियों को मिली सहीं राह ।

🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस और 31 दिसंबर और 1 जनवरी को अंग्रेजी न्यू-ईयर की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान आयोजित किया । कई आदिवासी क्षेत्र, जिन तक सरकार भी नहीं पहुंच पाती है उन्हें समय-समय पर सहारा दिया और धर्म परिवर्तन से बचाया । हिंदुओं के पर्व पर विदेशी असर न हो इसलिए होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8

🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया है बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा के लिए लोक-हित के लिए, अपने मूल मंत्र "सबका मंगल सबका भला" के साथ ।

🚩14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ "मातृ-पितृ पूजन दिवस" के रूप में । जिससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष । साथ ही आधुनकिता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक दूसरे का साथ । कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलतीं सुधारी । युवानो का संयम और परिवार का साथ देश के लिए बहुत जरूरी है ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई । https://youtu.be/LrMcg10aWuk

🚩25 दिसंबर को जो लोग क्रिसमस मनाते हुए शराब पीकर रात्रि को हानिकारक धुनों पर थिरकते थे और न खाने जैसे पदार्थों सेवन कर पतन-कारक वातावरण में अपनी हानि करते थे ऐसे लोगों को जब बापू आसारामजी के सत्संगों से जागरूकता मिली तो सभी क्रिसमस की जगह "तुलसी पूजन दिवस" मनाने लगे । अगर कोई पौधा सबसे ज्यादा पूज्यनीय है इस धारा पर तो वो हैं हमारी तुलसी माँ, तो क्यों न इस दिन तुलसी माँ का ही श्रृंगार कर उनका पूजन करें । आखिर तुलसी जी को माँ यूँ ही नहीं कहा जाता, उनमें रोगप्रतिकारक शक्ति है । जैसे एक माँ अपने बच्चों को सभी हानियों से बचाती है वैसे ही माँ तुलसी हमारी रक्षक और पोषक हैं ये बात वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुकी है । इस दिन बापू आसारामजी के कारण विश्व को मिला एक और उन्नति-कारक पर्व ! https://youtu.be/fLyjdDWm7E0

🚩31 दिसंबर और 1 जनवरी को विदेशी अंधानुकरण करते लोग जब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे थे तब लोक-हितैषी बापू आसारामजी ने "भारत विश्वगुरु अभियान" को फैलाया ताकि देशवासियों की रक्षा हो सके और सभी को पतन से बचाया जा सके । 25 दिसंबर से 1 जनवरी विदेशी सभ्यता का अनुकरण करने से से बहुत हानि हुई है भारतीयों की, पर यही 8 दिन अगर वैदिक संस्कृति से मनाएं जाएं तो अवश्य न केवल पतन से बचाव होगा अपितु सर्वांगीण उन्नति और मंगल होगा ।

🚩इन 8 दिनों में :

तुलसी पूजन दिवस
गौ-गंगा-गायत्री जागृति यात्रा
सहज स्वस्थ व योग प्रशिक्षण
गीता-पाठ हवन कार्यक्रम
मंत्र-अनुष्ठान
सामूहिक सेवा
सत्संग आयोजन

आदि आयोजन होते हैं ताकि मानव, प्रकृति, प्राणी सभी का मंगल हो ! तन तंदरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रगट हो ! और न आत्महत्या हो न गौ-हत्या हो और न ही यौवन-हत्या हो बल्कि आत्मविकास हो ! तुलसी, गौ, गंगा, देश की वैदिक संस्कृति, और सच्चे संतों को पूजा जाए और इनकी रक्षा की जाए, सेवा की जाए ! लोग ओजस्वी-तेजस्वी बनें और गीता-ज्ञान से मुक्तात्मा, महानात्मा बन अपने स्वरूप को जानें !https://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu/videos/10153460984402669/

🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और कई देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई, कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए देश और समाज से दूर किया । https://youtu.be/j1cCIdlT50c

🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी और इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा । 

🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका "विश्वगुरु" होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 

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Friday, January 4, 2019

खुलासा : पादरी चर्च में कन्फेशन परंपरा के चलते कर हैं यौनशोषण

4 जनवरी  2019
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🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मों की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी ।
🚩कन्फेशन यानी अपनी गलतियों को खुलकर किसी से कहना । जिससे मन से बोझ तो उतरता है, साथ ही कन्फेस ये भी बताता है कि वो गलती दोबारा नहीं होगी । कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स चर्च में कन्फेशन आम है । लोग अक्सर पादरी के सामने अपने सिन यानी पापों को कन्फेस करते हैं, लेकिन ये यौन उत्पीड़न का जरिया बनने लगा है । केरल के कोट्टायम में एक महिला ने एक के बाद एक चार पादरियों पर उसे ब्लैकमेल करके यौन शोषण का आरोप लगाया ।
🚩इसी से मिलता-जुलता मामला पंजाब के जालंधर से आया, जहां पीड़िता का आरोप था कि कन्फ़ेशन के दौरान अपने राज बांटने पर पहले एक पादरी ने उसका यौन शोषण किया । इसके बाद से कन्फेशन की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है । यहां तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने चर्च में कन्फेशन पर रोक लगाने की सिफारिश भी की । अपनी सिफारिश में आयोग ने लिखा कि ये महिलाओं की सुरक्षा में रोड़ा हैं ।
Disclosure: In the Pastor Church, due to the Confession tradition, sexually exploited

🚩जानिए, क्या है ये कन्फेशन और कैसे बन गया यौन शौषण का जरिया :-
चर्च में कन्फेशन की प्रक्रिया का बाइबिल में जिक्र मिलता है । इसे ऑग्सबर्ग कन्फेशन कहा जाता है, जिसके दो स्टेप हैं । पहला पाप की समझ से पैदा होने वाला डर और दूसरा चरण है जिसमें किसी को अपनी गलती का अहसास हो जाए और साथ ही ये यकीन भी हो जाए कि ईश्वर ने उसे पाप की माफी दे दी है । बाइबिल के दूसरे चैप्टर में माना गया है कि रोजमर्रा के कामों के दौरान सबसे कोई न कोई गलती हो जाती है, जिनका प्रायश्चित्त होना जरूरी है तभी मन शुद्ध होता है । चर्च के पादरी को ईश्वर का प्रतिनिधि मानते हुए उसके सामने पापों का कन्फेशन किया जाता है ।
🚩ये है प्रक्रिया :-
चर्च में कन्फेशन के लिए एक जगह तय होती है । वहां कन्फेस करने वाले व्यक्ति और पादरी के सामने आमतौर पर एक परदा होता है । इन दोनों के अलावा और कोई भी वहां मौजूद नहीं होता है । पादरी के सामने कन्फेशन बॉक्स में खड़ा होकर कोई भी अपनी गलतीं बता सकता है और यकीन करता है कि पादरी उस राज को अपने और ईश्वर तक ही सीमित रखेगा ।
🚩कौन नहीं कर सकता है कन्फेस :-
10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कन्फेशन की प्रक्रिया नहीं है क्योंकि माना जाता है कि उन्हें सहीं-गलत का कोई अहसास नहीं होता है और वे जो भी करते हैं, भूल हो सकती है लेकिन अपराध नहीं । इसी तरह से मानसिक रूप से अपेक्षाकृत कमजोर लोगों के लिए इस प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं है, यानी उन्हें भी इसकी इजाजत नहीं ।
🚩पूरी दुनिया में यौन शोषण :-
कन्फेशन बॉक्स को आजकल डार्क बॉक्स कहा जा रहा है क्योंकि इसके साथ ही महिलाओं के यौन शोषण का लंबा सिलसिला सुनाई पड़ रहा है । भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका और दूसरे देशों में भी कैथोलिक चर्चों में पादरियों द्वारा यौन शोषण की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं । अमेरिका के पेनसिल्वेनिया में पादरियों द्वारा हजार से भी ज्यादा बच्चों के यौन शोषण की एक खबर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया । यहां तक कि रोमन कैथोलिक चर्च के पोप को दुनियाभर के पादरियों के इन अपराधों के लिए माफी मांगनी पड़ी है । पादरियों द्वारा यौन शोषण की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए वैटिकन सिटी ने कई सख्त फैसले लिए, जिसमें पादरियों का निलंबन भी शामिल रहा ।
🚩महिलाओं के साथ यौन शोषण के अधिकतर मामलों की वजह कन्फेशन रहा, जिसके बूते पादरी उन्हें ब्लैकमेल करने लगे । इसी को देखते हुए महिला आयोग ने कन्फेशन की प्रक्रिया बंद करने की सिफारिश की । आयोग ने कहा कि चर्च में यौन शोषण की पारदर्शी जांच केंद्रीय एजेंसी के जरिए होनी चाहिए ।
स्त्रोत : न्यूज 18
🚩कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है । सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर किया था ।
🚩देश-विदेशों में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं घटित हो रही हैं लेकिन मीडिया को इसपर चर्चा करने की या न्यूज दिखाने की फुर्सत नहीं है, उसे तो केवल हिन्दू संस्कृति मिटानी है इसलिए पवित्र हिन्दू साधु-संतों को ही बदनाम करना है ।
🚩गांधी जी ने बताया था कि धर्म परिवर्तन वह जहर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है । हमें गौमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देनेवाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए ।
🚩फिलॉसफर नित्शे लिखते हैं कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।
🚩हिंदुस्तानी ऐसे धर्म, पादरी और चर्च से बचके रहें । धर्मपरिवर्तन करके अपना जीवन बर्बाद न करें । याद रहे श्रीमद्भागवत गीता में श्री कृष्ण ने भी कहा है कि "स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः" अर्थात स्वधर्ममें मरना भी कल्याणकारक है, पर परधर्म तो भय उपजानेवाला है । अतः धर्मान्तरण की आंधी से बचकर रहें ।
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Thursday, January 3, 2019

जानिये कुंभ की उत्पत्ति कैसे हुई और कहाँ-कहां कुंभ मेला लगता है ?

3 जनवरी  2019


🚩कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं । इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है । 2013 का कुम्भ प्रयाग में हुआ था । 2019 में प्रयाग में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होगा ।

🚩खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं । मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है । यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन माना जाता है ।
Know how Kumbh originated and where
 and where does Kumbh Mela occur?

🚩प्रयागराज में कुंभ पर्व का लाभ उठाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु एकत्रित हो रहे हैं । इस निमित्त से कुंभ मेले की महिमा का वर्णन करनेवाले सूत्र पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ।

🚩कुंभ पर्व का अर्थ

प्रत्येक 12 वर्ष के उपरांत प्रयाग, हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वर-नासिक में आनेवाला पुण्ययोग ।

🚩कुंभपर्व की उत्पत्ति की कथा:-

अमृतकुंभ प्राप्ति हेतु देवों एवं दानवों ने (राक्षसोंने) एकत्र होकर क्षीरसागरका मंथन करने का निश्चय किया । समुद्रमंथन हेतु मेरु (मंदार) पर्वत को बिलोने के लिए सर्पराज वासुकी को रस्सी बनने की विनती की गई । वासुकी नाग ने रस्सी बनकर मेरु पर्वत को लपेटा । उसके मुख की ओर दानव एवं पूंछ की ओर देवता थे । इस प्रकार समुद्रमंथन किया गया । इस समय समुद्रमंथनसे क्रमशः हलाहल विष, कामधेनु (गाय), उच्चैःश्रवा (श्वेत घोडा), ऐरावत (चार दांतवाला हाथी), कौस्तुभमणि, पारिजात कल्पवृक्ष, रंभा आदि देवांगना (अप्सरा), श्री लक्ष्मीदेवी (श्रीविष्णुपत्नी), सुरा (मद्य), सोम (चंद्र), हरिधनु (धनुष), शंख, धन्वंतरि (देवताओंके वैद्य) एवं अमृतकलश (कुंभ) आदि चौदह रत्न बाहर आए । धन्वंतरि देवता हाथ में अमृतकुंभ लेकर जिस क्षण समुद्रसे बाहर आए, उसी क्षण देवताओं के मनमें आया कि दानव अमृत पीकर अमर हो गए तो वे उत्पात मचाएंगे । इसलिए उन्होंने इंद्रपुत्र जयंतको संकेत दिया तथा वे उसी समय धन्वंतरि के हाथोंसे वह अमृतकुंभ लेकर स्वर्गकी दिशा में चले गए । इस अमृतकुंभ को प्राप्त करनेके लिए देव-दानवोंमें 12 दिन एवं 12 रातोंतक युद्ध हुआ । इस युद्ध में 12 बार अमृतकुंभ नीचे गिरा । इस समय सूर्यदेवने अमृतकलश की रक्षा की एवं चंद्र ने कलश का अमृत न उड़े इस हेतु सावधानी रखी एवं गुरु ने राक्षसों का प्रतिकार कर कलश की रक्षा की । उस समय जिन 12 स्थानों पर अमृतकुंभ से बूंदें गिरीं, उन स्थानों पर उपरोक्त ग्रहों के विशिष्ट योग से कुंभपर्व मनाया जाता है । इन 12 स्थानोंमें से भूलोक में प्रयाग (इलाहाबाद), हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वर-नासिक समाविष्ट हैं ।


🚩3. कुंभपर्वका विविध धर्मग्रंथोंमें वर्णित माहात्म्य:-

3 अ. ऋग्वेद

        ऋग्वेदके खिलसूक्तमें कहा गया है –

🚩सितासिते सरिते यत्र सङ्गते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति ।

ये वै तन्वं विसृजन्ति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।

– ऋग्वेद, खिलसूक्त

अर्थ : जहां गंगा-यमुना दोनों नदियां एक होती हैं, वहां स्नान करनेवालों को स्वर्ग मिलता है एवं जो धीर पुरुष इस संगम में तनुत्याग करते हैं, उन्हें मोक्ष-प्राप्ति होती है ।

🚩3 आ. पद्मपुराण

प्रयागराज तीर्थक्षेत्र के विषय में पद्मपुराण में कहा गया है –

ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी ।

तीर्थानामुत्तमं तीर्थं प्रयागाख्यमनुत्तमम् ।।

अर्थ : जिस प्रकार ग्रहोंमें सूर्य एवं नक्षत्रोंमें चंद्रमा श्रेष्ठ है, उसी प्रकार सर्व तीर्थोंमें प्रयागराज सर्वोत्तम हैं ।

🚩3 इ. कूर्मपुराण

कूर्मपुराण में कहा गया है कि प्रयाग तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है ।

🚩3 ई. महाभारत

प्रयागः सर्वतीर्थेभ्यः प्रभवत्यधिकं विभो ।।

श्रवणात् तस्य तीर्थस्य नामसंकीर्तनादपि ।।

मृत्तिकालम्भनाद्वापि नरः पापात् प्रमुच्यते।।

– महाभारत, पर्व ३, अध्याय ८३, श्लोक ७४, ७५

अर्थ : हे राजन्, प्रयाग सर्व तीर्थों में श्रेष्ठ है । उसका माहात्म्य श्रवण करनेसे, नामसंकीर्तन करनेसे अथवा वहां की मिट्टी का शरीर पर लेप करने से मनुष्य पापमुक्त होता है ।

(संदर्भ – सनातनका ग्रंथ – कुंभमेलेकी महिमा एवं पवित्रताकी रक्षा )

🚩इतिहासकार एस बी रॉय ने अनुष्ठानिक नदी स्नान को 10,000 ईसापूर्व (ईपू) स्वसिद्ध किया । जब इतिहासकार मानते है कि यीशु से 10, 000 साल पहले से कुंभ है तो सनातन संस्कृति तो जब से सृष्टि उत्पन्न हुई है तबसे है, फिर भी कुछ मुर्ख लोगों द्वारा 2018 साल पुराना धर्म को लेकर नया साल मनाने लगे ।

🚩ज्योतिषीय महत्व:-

ज्योतिषियों के अनुसार कुंभ का असाधारण महत्व बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश तथा सूर्य के मेषराशि में प्रवेश के साथ जुड़ा है । ग्रहों की स्थिति हरिद्वार से बहती गंगा के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी स्थान पर गंगा जल को औषधिकृत करती है तथा उन दिनों यह अमृतमय हो जाती है । यही कारण है ‍कि अपनी अंतरात्मा की शुद्धि हेतु पवित्र स्नान करने लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं । आध्यात्मिक दृष्टि से अर्ध कुंभ के काल में ग्रहों की स्थिति एकाग्रता तथा ध्यान साधना के लिए उत्कृष्ट होती है । हालाँकि सभी हिंदू त्यौहार समान श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाते हैं, पर यहाँ अर्ध कुंभ तथा कुंभ मेले के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक होती है ।

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