Thursday, January 24, 2019

गौ मांस निर्यात प्रतिबंधित हो और सभी भाषाओं को समानता मिले : कपिल मिश्रा

24 जनवरी  2019

🚩भारत देश हिन्दू बाहुल्य देश है अगर इसी देश में हिंदुओं की आस्थाओं का ही सम्मान नहीं होगा तो फिर हिन्दू कहा जाएगा ?  जिस गाय को हिन्दू माता मानता है, आज इस देश में उसी गाय की हत्या धड़ल्ले से हो रही है और उसका मांस विदेशो में निर्यात हो रहा है । ये हिंदूओ की आस्था के साथ खिलवाड़ है जो तुरंत बंद होना चाहिए ।

विधायक कपिल मिश्रा ने सरकार के सामने चार मांगे रखी थी, आज उनकी चौथी और आखरी मांग को हम आपके सामने रख रहे हैं.. https://youtu.be/d98hcJY4-sQ

🚩उन्होंने चौथी मांग ये रखी है कि बीफ (गौ मांस) का जो एक्सपोर्ट हो रहा है उसे रोकना होगा । हम लोग यहाँ पर देश के अंदर के लोग जो बीफ खाते है उसकी चर्चा नहीं कर रहें है कि कोई क्या खा रहा है, क्या पहन रहा है इसके लिए भारत की सरकार कानून बनाएगी, लेकिन भारत ही बीफ़ एक्सपोर्ट में पूरे विश्व में नंबर 1 बन जाए इसकी क्या जरूरत थी ? 
🚩मिश्रा ने आगे बताया कि आज भारत ही सबसे आगे 1 नंबर पर है बीफ एक्सपोर्ट में जबकि इसकी कोई आवश्कता नहीं थी । इसकी देश में कोई डिमांड नहीं थी । इसकी कोई धार्मिकता नहीं थी फिर भी लोगों का फ़्रीडम खत्म नहीं हो रहा है । किसीके खाने-पीने, उठने-बैठने के अधिकार को तो हम नहीं रोकते, लेकिन भारत ही क्यों इस मामले में नंबर 1 बना ? भारत ने ही क्यों ये मिशन चुन लिया ? भारत ही क्यों चाहता है पूरी दुनिया में बीफ एक्सपोर्ट नंबर वन बने ? ये हमारी जिम्मेदारी तो नहीं है, नैचरली भी नहीं है ।

🚩उन्होंने आगे बताया कि अगर कोई कहे संस्था खराब हो जाएगी नौकरी चली जाएगी तो आज 10 साल पहले हम नहीं थे नंबर 1 पर लेकिन हमारी संस्था तब भी चल रही थी । तो ये मिशन बना के टारगेट रख के इसको प्राप्त किया है कि हमें ही दुनिया में नंबर 1 बनाना है तो हमारी ये सिंपल सी मांग है कि ये गलत है । और इसके विषय में सोचना चाहिये कि भारत के अंदर कोई क्या खा रहा है, क्या पहन रहा है, क्या उसकी पद्धति है, हम वहाँ नहीं जा रहें है पर देश के बाहर बीफ़ एक्सपोर्ट में भी भारत आगे बढ़े मिशन बनाये, सरकार उसका फंड दे, बजट दे, योजना बनायें, इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिये ।

🚩भारतीय भाषा लागु होनी चाहिए...

कपिल मिश्रा ने भाषाओं के अधिकारों की बात की है उसमें उदाहरण दिया है कि यूरोपियन यूनियन में ऑफिसियल 24 भाषाओं में आप सरकार से कम्युनिकेशन कर सकते हैं, कोर्ट की कार्यवाही कर सकते हैं । 24 की 24 भाषाओं में काम युरोप में हो सकता है क्योंकि वहाँ की टेक्नोलॉजी ऐसी हो चुकी है।

🚩लेकिन भारत में आज भी हमने अंग्रेजी को प्रमुख बना दिया । तो कम से कम यूरोपियन यूनियन से ही सीख लेते हुए भारत की जितनी भी भाषाएं है उनको बराबरी का अधिकार देकर सभी भाषाओं में उच्च शिक्षा, सभी भाषाओं में कानून की कार्यवाही और सभी भाषाओं में राज्य सरकारों की कार्यवाही उपलब्ध करवाई जा सके और इसके लिए सरकार के पास टेक्नोलोजी सक्षम है । तो ये भी हमारी हिन्दू चार्टर में मांग है । बहुत सारी चीजें रखी हुई है hinducharter.org में जाकर आप देख सकते है। 

तो हमारा यही कहना है कि हम सब मिल कर अपने धर्म के लिए इस देश में समानता और बराबरी के अधिकार की बात करें । केवल अल्पसंख्यकों ही अधिकार मिले ऐसा नहीं होना चाहिए ।

🚩हम लोग हक से संसद से, राजनेताओं से बोलें और कम से कम पहला काम ये करें कि अपने ही जानने वाले लोगो को ये बताएं कि इस देश में हमारे साथ ऐसा भेदभाव और पक्षपात हो रहा है । हम अपने जानने वाले रिश्तेदार परिवार को इसकी जानकारी दें । इसकी जानकारी होगी तो उसकी मांग अपने आप करने लगेंगे ।

🚩तो इस तरह से हमने कपिल मिश्रा जी की मांगों को आपके सामने रखा है । देश के सर्वांगीण विकास के लिए उसकी हर तरह से उन्नति होना आवश्यक है । देश की विरासतों से लेकर, धर्म के प्रतीक, भाषाएं सबकी सुरक्षा अनिवार्य है । इसके लिए बहुसंखक हिंदूओ की आस्थाओं का सम्मान करना होगा और उनको समान अधिकार देना अत्यंत जरूरी है ।

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Wednesday, January 23, 2019

देश के अमूल्य विरासतों की रक्षा के लिए सरकार उठाए ठोस कदम- कपिल मिश्रा

23 जनवरी 2019
www.azaadbharat.org
🚩किसी भी देश की विरासत वहां की परम्पराएं, वहां की आस्थाएँ होती हैं और उन सबका रक्षण करना देश के मुखिया से लेकर एक आम नागरिक तक सबका नैतिक कर्त्तव्य होता है। भारत जोकि विविधताओं से पूर्ण देश रहा है तो यहाँ के विरासत, यहाँ की संस्कृति भी अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण रही हैं।
https://youtu.be/d98hcJY4-sQ
🚩पिछले दो दिनों से आज़ाद भारत आप सबके सामने विधायक कपिल मिश्रा जी के द्वारा सरकार से किये चार मांगों को रख रहा है | आज आपके सामने हम कपिल मिश्रा ने सरकार से जो तीसरी मांग की है उसे रखने जा रहे हैं | आखिर क्या है कपिल मिश्रा की तीसरी मांग, जानने के लिए पूरी पोस्ट पढ़ें...
🚩विधायक कपिल मिश्रा ने अपनी तीसरी मांग को रखते हुए कहा कि “हमारी एक और प्रमुख मांग है वो ये है कि भारत की जो भी परंपराएं है, आस्थाएं है, इमारते हैं चाहे वो पुरानी बिल्डिंग हो, हमारे पुराने टेक्स्ट हो, हमारे पुराने ग्रंथ हो इन सबका रखवाला आखिर कौन बनेगा ?” भारत की विरासतों की रक्षा करने का जिम्मा आखिर भारत के अलावा दूसरा कौन सा राष्ट्र लेगा, आखिर हम किसे कहें ? हम अपने राष्ट्र से ये कहना चाहते हैं कि भारत के प्रत्येक राज्य का, भारत की सरकार का ये कर्तव्य है कि स्वाभाविक तौर पर भारत राष्ट्रीय व्यवस्था संघ रक्षक होनी ही चाहिये, भारत की पुरानी विरासत की भारत के पुराने धर्म की, भारत के ग्रंथों की, भारत के पुराने टेक्स्ट की ।
🚩दुनिया का हर देश पुरानी विरासत को, इतिहास को, ग्रंथों को संभालता है, संजोता है, आगे बढ़ाता है | तो हम ये मानते है कि जितने भी इंडियन स्टेट हैं उन्हें विरासत में अपनी प्राचीनतम वस्तुओं को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी मिली है और उन्हें किसी भी कीमत पर ये जिम्मेदारी संभालनी पड़ेगी । हमारी इसमें सबसे पहली और क्लियर मांग ये है कि 10,000 करोड़ का फण्ड भारत में अलग से बजट में रखा जाए । भारत के इतिहास, भारत की इमारतों को, भारत के ग्रंथों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिये, ये भारत की नैतिक जिम्मेदारी भी है, स्वाभाविक जिम्मेदारी भी है। और कोई भी देश अपनी विरासत के लिये करता ही है । इससे भारत की सरकार मुँह नहीं मोड़ सकती, ये आपको विरासत में मिला है । इसका संरक्षण आपको करना ही होगा । इसके लिये आपको बजट अलग से रखना होगा ।
🚩देश की जनता को भी देश की विरासतों के बारे में जानकारी होनी चाहिए अब उसके लिए आपको ताजमहल के दरवाजे खुलवा कर के उसकी स्टडी करके जनता में आपको रिपोर्ट देनी होगी । ये बात आपके पल्ले क्यों नहीं पड़ रही है कि जिसकी बात पूरी दुनिया कर रही है उसको ही आप ताला लगा कर के बैठे हो और उसके बारे में आप बताने को तैयार नहीं हो । विदेशी बोल रहे हैं कि ताजमहल कुछ और है इसकी जांच होनी चाहिये, लेकिन भारत की सरकार तैयार नहीं है जबकि भारत की सरकार की पहली जिम्मेदारी ये बनती है कि इन सारी इमारतों की स्टडी करवाकर इसकी रिपोर्ट सबके सामने रखनी चाहिये ।
🚩आगे उन्होंने कहा कि हम हिन्दू चार्टर में तीसरी मांग रखते हैं कि Freedom of Religion, protection of Native Culture & Religious Tradition and prohibition of institutialized religious conversion activities ऐसा एक कानून भारत में आना चाहिये । यानी अगर कोई संस्थागत तरीके से धर्मपरिवर्तन का काम कर रहा है तो उस पर बैन लगाना और भारत के संस्कृति संरक्षण की जिम्मेदारी भारत की सरकार को कानून बना कर और अलग से बजट देकर करनी होगी ।
🚩कपिल मिश्रा ने अपने देश की विरासत को, अपने धर्म की रक्षा के लिए सरकार से जो मांगे की हैं वो वास्तव में अमल करने योग्य है | देश की विरासत की रक्षा करना सर्कार का नैतिक कर्तव्य है इसके लिए नये कानून लाने ही चाहिए | कपिल मिश्रा जी की चौथी मांग को जानने के लिए आजाद भारत की आने वाली पोस्ट जरुर पढ़ें, तब तक के लिए जय हिन्द......
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Tuesday, January 22, 2019

विदेशी फंडिग से धर्मान्तरण हो रहा है व सुप्रीम हिन्दू विरोधी फैसले देती है : कपिल मिश्रा

22 जनवरी  2019

🚩भारत जो कि एक धर्म परायण देश रहा है उसी देश में धर्म को, यहाँ की संस्कृति को नष्ट करने के लिए भारत देश में विदेश से अत्यधिक मात्रा में फंडिग आ रही है जिसकी वजह से देश विरोधी और हिन्दू धर्म विरोधी गतिविधियां लगातार चल रही हैं इसपर रोक लगाने के लिए दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने मांग की है ।

🚩कपिल मिश्रा ने बताया कि F.T.R.A (Financial Transaction Reporting Act) के तहत फॉरेन से मदद के लिए जो पैसे आते हैं बंद करने की हम मांग कर रहे हैं । हमारा यह मनना है कि भारत अब इतना  सक्षम देश बन चुका है कि यहाँ अनाथालय बनवाने के लिए, अस्पताल चलाने के लिए या कुछ रोगीयों की सेवा करने के लिए देश से पैसा इक्कठे किए जा सकते हैं। ये विदेशी संस्थाएं तथाकथित सामाजिक कामों या धार्मिक कामों के लिये जो पैसे देती हैं, उसे हमें तुरंत रोक देना चाहिये । उसमें हो सकता है कि कुछ पैसे भारत में हिन्दू संस्थाओं के लिए भी आ रहे हों, उसपर भी रोक लगनी चाहिए, साफ तौर पर कहें तो F.T.R.A. पूरी तरह से बंद होना चाहिए । 
🚩भारत अब इतना सक्षम राष्ट्र बन चुका है कि वह दूसरों को भी मदद दे सकता है । अभी इसकी  जरूरत नहीं है । इसमें(डॉक्यूमेंट दिखाते हुए) हमने डेटा के साथ टेबल अगर दिख रही होगी तो राजिस्ट्रेशन की टेबल नंबर 12, जो फण्ड आ रहा है हमारे देश में, उसमें से 30% पैसा जो है वो सीधे सीधे क्रिश्चन धर्म की संस्थाओं का है, जिसके लिए वो बोल रहे हैं ईसाई धर्म के लिए ये 30% पैसे हैं । उसके बाद मात्र 4% पैसे हिन्दू तथा सिख धर्म के लिये हैं । और 65% पैसे जो कि विशेषतः किसी धर्म के लिये नहीं आ रहा है, वो आ तो सामाजिक कार्यों के नाम से रहे हैं, लेकिन ये पैसे देने वाली संस्थाएं जोकि पश्चिम देश में बैठी हैं वो क्रिश्चन संस्थाएं है । तो 2 तरह से एक तो सीधे-सीधे भारत में क्रिश्चन ऑर्गेनाइजेशन को मिलने वाला पैसा है वो 30% है और बाकी बचे 65% पैसे भारत में जो क्रिश्चन संस्थाओं को सीधे तौर पर तो नहीं मिल रहा, लेकिन क्रिश्चन संस्थाओं द्वारा भेजा जा रहा है विदेशों से । तो ये 95% फण्ड है जो विदेशो से आ रहा है तथा 4% फण्ड ऐसा है जो हिन्दू, सिख और बौद्ध धर्म के लिये आ रहा है । ये टोटल फण्ड लगभग 18000 करोड़ रुपए हैं । जिसमें से 12000 करोड़ रुपये हर साल सीधे-सीधे धार्मिक कार्यों के लिये या यूँ कहें कि क्रिश्चन धार्मिक कार्यों के लिये देश में आ रहा है । और इस पैसों से स्कूल चलाये जा रहें है, अस्पताल चलाये जा रहें है,  अनाथालय चलाये जा रहें है । और हर उस bed के अंदर interfere किया जा रहा है जिसमें हम कह रहे है यहाँ हमें जरूरत है । 

🚩लेकिन अगर इसी जगह आपकी हिन्दू संस्था अगर खड़ी हो (मैं टीम संस्था से मिला) अगर वो चाहे कि मैं एक अस्पताल चलाऊ और उस इलाके में एक क्रिश्चन मिशनरी का अस्पताल चल रहा है । तो आप उसके बराबर चला ही नहीं सकते उसको जिस प्रकार का पैसा आ रहा है, आपके अंदर जितनी भी समर्पण हो सेवा भावना हो आप गरीबों की, जरूरत मंदों की सेवा करना चाहते हो लेकिन फिर भी आप उसके बराबर चला ही नहीं पाओगे क्योंकि उस पैसे से आप नहीं टकरा पाओगे और देखा जाए तो  अंत में उसका उपयोग धर्म परिवर्तन के लिये या धर्म विरोधी कार्यों में किया जाता है । इसलिए हमारी दूसरी मांग है FTRA को तुरंत बंद किया जाए । 

🚩यही वो पैसा है जिससे आज सुप्रीम कोर्ट में चल रही है धर्म के खिलाफ आज क्रियाएँ चल रही हैं | भले आज बात दिल्ली की हो, सबरीमाला की हो आदि आदि लेकिन इन सब के पीछे जो फंडिंग है वो F.T.R.A. से आनेवाली ही है | उनके ही लोग किसी संस्था बोर्ड में डायरेक्ट बन के बैठे है जिस संस्था में पैसा आ रहा है 100 करोड़, 50 करोड़ और उन्हीमें से कोई हस्तक्षेप कर रहा है सुप्रीम कोर्ट में, परंपराओं में | वरना क्या तमिलनाडु में 10,000 आदमी जिस परंपरा को देखने नहीं आते वहाँ एक दिन वो दौड़ होती है उसमें कुछ लोगों को चोट लगती है उसमें सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करता है जबकि रोज इस देश में तो हिन्दुओं के बड़े-बड़े अधिकारों के लिए भी कोई सुनवाई नहीं है, साफ तौर पर  उनका लक्ष्य हिन्दू रक्षा नहीं है उनका लक्ष्य धार्मिक परम्परा पर हमला करना है । 

🚩उसकी फंडिंग विदेशी पैसों से आ रही है । ये धर्मपरिवर्तन के लिये इस्तेमाल हो रही है । ये भारत की सभ्यता की जो हमारे केंद्र प्रतीक बने हुए हैं, दीवाली में पटाखे मत जलाओ, सबरीमाला में किसीको भी भेज दो | वो चुन-चुन के हमारी एक-एक मान्यता पर पूरी प्लानिंग करके आघात कर रहे हैं । आप में से सभी लोग क्योंकि जानते भी है समझते भी है तो आपको उसको डिटेल में जाने की जरूरत नहीं है आपको मालूम है कि कहाँ से सारी चीजें चलती हैं । तो हमारी एक मांग ये है कि F.T.R.A. को बंद होना चाहिये।

🚩भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो शोरो से चला रही हैं इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसपर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है ।

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Monday, January 21, 2019

शायद हिंदूओं को यह बात पता भी नहीं होगी, कपिल मिश्रा ने रखी ये मांग

21 जनवरी  2019

🚩दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने सरकार के सामने चार मांगे रखी हैं जिसे जानकर हर भारतवासी बोल उठेगा कि सरकार को यह कार्य अवश्य करना चाहिए ।

🚩विधायक कपिल मिश्रा ने पहली मांग रखी है कि हिंदुओं के स्तर को बढ़ा कर अल्पसंख्यक को के बराबर किया जाए । " equal right for hindus in india" हिंदुओं को भी समान अधिकार दो ये पहली मांगे है । हमें भेदभाव न रखो जैसे गोरे और काले का भेदभाव अफ्रीका में किया जाता था । गोरे बहुत कम थे काले ज्यादा थे उसके बावजूद भी गोरों को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त थे । उनको जो अल्पसंख्यक अधिकार प्राप्त थे वो बाहर का समाज को नहीं थे । ऐसी स्थिति भारत में आ चुकी है बहुसंख्यक हिंदू के अधिकार बहुत कम है । अल्पसंख्यक समाज के सामने । तो हमारी पहली मांग है बहुत सिंपल मांग है बराबरी की मांग equality (समानता) की मांग । 
🚩हमारे समाज के एक श्रद्धेय स्वामी महाराज है । वो बोले कि मैं हिन्दू हूं और मैं बैठा हुँ । एक मुस्लिम और एक क्रिस्चियन आ जाये मेरे सामने । और मेरे से लड़ने लगे वाद विवाद करने लगे और मैं बोलू कि मुझे वाद विवाद की कोई इच्छा नहीं है, वो मुझे मारने लगे तो देखते है पुलिस सरकार बोले कि ये minority है ।  और ये आपकी आपस में धर्म की है तो हम बीच में नहीं आएंगे । मैं प्रतीक के तौर पर बोल रहा हूँ । कोई खड़ा है बुद्ध के बंदे को मार रहा है, कुचल रहा है, तो उसमें सरकार का क्या है धर्म निरपेक्ष सरकार उसमें interfere नहीं करेगी जो हो रहा है उसे होने देगी । कहीं धर्म परिवर्तन अगर कुछ मिशनरी कर रही हैं तो सरकार धर्म परिवर्तन में interfere नहीं करेगी, सरकार कहती है कि लोगों की मर्जी है । लोगो की मर्जी है अगर वो अपना धर्म  बदलते हैं तो  । किस तरीके से बदला जा रहा है दबाव में प्रलोभनों में अत्याचार में वो सरकार interfere नहीं कर रही वहाँ सरकार धर्म निरपेक्ष है, लेकिन आपने वहां उनका हाथ रोक लिया और उनको 2 लगाने की कोशिश की तो अब सरकार की भूमिका बदल गई अब सरकार minority protection की भूमिका में आ गई  । अब सरकार आपको रोक लेगी और आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी । अगर कोई आपका धर्म परिवर्त्तन करवा रहा है तो उसे वो अधिकार प्राप्त है, लेकिन अगर आपने उसके खिलाफ कार्यवाही की, उसे रोकने की कोशिश की या उसका विरोध किया तो आप धर्म के खिलाफ काम कर रहे हो, बहुत सारी धाराएं और सरकार आपके खिलाफ है और आज ऐसी स्थिति में इस वक्त हम खड़े हैं जहाँ आप बिक तो सकते हैं, पर अगर आपने रोकने की कोशिश की या विरोध करने की कोशिश की तो minority को protection करने के लिए तुरंत सरकार आ जाएगी । और ये बहुत अजीब सी विडंबना है । इसको रोकना जरूरी है । क्रमशः....


🚩भारत में बहुसंख्यक हिंदूओं के लिए संविधान ऐसा बनाया है कि हिंदू स्वतंत्र नहीं बल्कि परतन्त्र बना हुआ है, चाहकर भी वे अपने लिए या धर्म के लिए खुलकर कार्य नहीं कर सकता है जो एक भयावह चिंताजनक बात है, सरकार को संविधान में बदलाव करना चाहिए और समानता का अधिकार देना चाहिये ।

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Sunday, January 20, 2019

डांस बार में अश्लील डांस कर सकते हैं और दारू परोस सकते हैं : सर्वोच्च न्यायालय

20 जनवरी  2019

🚩भारतीय संस्कृति व्यक्ति, समाज, देश का कल्याण हो उसके हित में अनेक नियम बनाए थे जिसके कारण व्यक्ति स्वथ्य, सुखी और सम्म्मानित जीवन जी सकता है और समाज देश में सुख शांति और धन संपत्ति बने रहेगी क्योंकि व्यक्ति में अच्छे संस्कार होने पर ही देश और समाज सुरक्षित रहेंगे ।

🚩भारतीय परम्पराओं को तोड़ने की रीति सदियों से चलती आ रही है क्योंकि दुष्ट, राक्षसी व्यक्ति को सज्जन पसन्द नहीं आते हैं इसलिए उनको हानि पहुँचाने की कोशिश करते रहते हैं, भारत में पहले मुगलों ने और बाद में अंग्रेजों ने यही काम किया, लेकिन पूर्ण सफल नहीं हो पाए अब उनके बनाये कानून जो अब तक चल रहे हैं उनके तहत भी यही हो रहा है, सबरीमाला, जलीकट्टू , दही हांडी आदि भारतीय त्यौहार पर रोक लगाना समलैंगिगता और व्यभिचार पर छूट अब डांसबार में अश्लील डांस कर सकते हैं, दारू पी सकते हैं और धार्मिक स्थलों के पास डांसबार खोल सकते हैं ये सब भारतीय संस्कृति पर कुठाराघत है और पाश्चात्य संस्कृति थोपने की तैयारी की जा रही है जो मानवजाति के लिए भयंकर अभिशाप है  ।

🚩वासना की आग में डान्सबाररूपी तेल गिरकर लाखों जिंदगीयां तथा संसार उद्ध्वस्त हो जाएंगे और यह सब शांतता से देखने के अलावा कोर्इ दुसरा मार्ग नहीं बचेगा, ऐसा जनता को लगें तो इसमें गलत कुछ नहीं होगा !

न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया है । 

🚩न्यायालय ने डांस बार में अपनी कला का प्रदर्शन करनेवालों को टिप के भुगतान की तो अनुमति दी परंतु कहा कि उन पर पैसे लुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती ! शीर्ष न्यायालय ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया !

अपने निर्णय में न्यायालय ने कहा, ‘डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता । महाराष्ट्र में साल 2005 के बाद से कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है । इनके लिए नियम बनाए जा सकते हैं किंतु पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता !’

🚩न्यायालय ने इस प्रावधान को रद्द कर दिया कि महाराष्ट्र में डांस बार धार्मिक स्थानों और शैक्षणिक संस्थानों से एक किलोमीटर दूर होने चाहिए । न्यायालय ने सरकार के उस नियम को बरकरार रखा है जिसमें कहा गया है कि बार डांस में काम करनेवाली महिलाओं का कांट्रैक्ट होना चाहिए ताकि उनका शोषण न हो । हालांकि बार डांसरों को प्रतिमाह तनख्वाह देने के नियम को खारिज कर दिया है । इसके अलावा न्यायालय ने उस नियम को भी खारिज कर दिया है जिसमें डांसिग स्टेज पर शराब न परोसने का नियम था ।

🚩न्यायालय ने यह फैसला महाराष्ट्र में डांस बार के लाइसेंस एवं संचालन पर प्रतिबंध लगानेवाले 2016 के महाराष्ट्र कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन पर दिया है । इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था । सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आने के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है !

🚩राज्य सरकार के नए अधिनियम को इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि समय के साथ अश्लील डांस की परिभाषा भी बदल रही है और ऐसा लगता है कि मुंबई में मोरल पुलिसिंग हो रही है ! स्त्रोत : अमर उजाला

🚩भारत में अगर धार्मिक स्थलों व् शैक्षणिक संस्थानों के पास डांस बार खोलेंगे तो व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कार की जगह बुरे संस्कार ही पढ़ेंगे और अश्लील डांस करेंगे व देखेंगे और शराब पियेंगे तो बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगे, एक्सीडेन्ट होने की संभावनाएं बढ़ेगी इसलिए महाराष्ट्र की विश्वप्रसिद्ध संत परंपरा को ध्यान में लेकर भाजपा सरकार को डान्सबार पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु कानून लाना चाहिए  ।

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Saturday, January 19, 2019

वो काली रात जब लाखों हिंदूओ को कश्मीर छोड़ने को किया मजबूर

18 जनवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩 1990 जनवरी 19 इतिहास का वो काला दिन जब लाखों हिन्दू बंधुओं को जिहादियों ने धमकी देकर उन्हें वहां से विस्थापित होने के लिए विवश किया था  ।
https://youtu.be/LPcfGSS04hQ
🚩 19 जनवरी जब-जब यह तारीख आती है, #कश्मी री #पंडितों के जख्मल हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन #जम्मू9 कश्मीीर में बसे कश्मीतरी पंडितों को अपने ही #देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे ।

🚩कश्मीेरी पंडितों को बताया काफिर-
देश की आजादी के बाद धरती के जन्नत कश्मीर में जहन्नुम का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990की काली रात को करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की गई । जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’
🚩 20 जनवरी 1999 को कश्मीैर की मस्जिदों से कश्मीखरी पंडितों को काफिर करार दिया गया । #मस्जिदों से लाउडस्पी2करों के जरिए ऐलान किया गया, 'कश्मीीरी पंडित या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।' यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि #कश्मी री पंडितों के घरों को पहचाना जा सके और उन्हेंे या तो इस्लादम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें् मार दिया जाए ।
🚩कश्मीरी पंडितों के सर काटे गए, कटे सर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था  ।
🚩बड़ी संख्याि में कश्मीएरी पंडितों ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख कश्मीरी पंडित अपने घरों को छोड़कर कश्मीीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।
🚩सरेआम हुए थे बलात्कार!!
🚩एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ #आतंकियों ने #सामूहिक #बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी #हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और #लड़कियों के #अपहरण किए गए ।
🚩मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे । सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।
🚩डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!
🚩आज भी कश्मीेरी पंडितों के अंदर का #डर उन्हेंी वापस लौटने से रोक देता है । #कश्मीोरी पंडितों ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 27 वर्षों में कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंेकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर #अभिनेता #अनुपम #खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीररी पंडितों का दर्द बयां किया है ।
https://youtu.be/LPcfGSS04hQ
🚩 कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, #श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष)  ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, तो यह पूरे #भारत की समस्या है । #हिंदुओं को 1990 में कश्मीर में से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?
उन्हें केवल इसलिए वहां से निकल दिया गया कि वो ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत #अभियान की आवश्यकता है ।
🚩 डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिती ने बताया कि जिस प्रकार महाभारत के काल में #भगवान #श्रीकृष्ण ने 5 गांव मांगे थे किंतु कौरवों ने वो भी देने से इन्कार कर दिया था , तदुपरांत #महाभारत हुआ । उसी प्रकार आज कश्मीरी हिंदुओं के लिए पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी संगठन पनून कश्मीर मांग रहे हैं, परंतु आज #सरकार #चुप है ।
🚩कश्मीर भारत माता का #मुकुट है । कश्मीर भूभाग नहीं, कश्यप ऋषि की तपोभूमि है । वहां से हिंदुओं का पलायन हुआ है, परंतु उन्हाेंने हार नहीं मानी है  । कश्मीर में पनून कश्मीर और भारत हिन्दू राष्ट्र बनने तक हम कार्य करते रहेंगे यह हमारा धर्मदायित्व है  ।
🚩अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के बाकी क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा , या हिन्दू विहीन राष्ट्र !
🚩आपको बता दें कि 14 सितंबर, 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।
🚩टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र #न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन #केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर #हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओ और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।
🚩सुप्रीम कोर्ट में 27 साल पहले हुए पंडितों पर नरसंहार की जांच करने से इंकार कर दिया ।  जिसमें 700 लोगों की मौत हुई थी । कोर्ट ने कहा कि इतने साल से आप कहां थे, अब 27 साल बाद इन मामलों में सबूत कैसे मिलेंगे ?  कुल मिला कर अब वो सभी हिन्दू कम से कम भारत के तंत्र से न्याय से सदा वंचित ही रहेंगे जबकि अदालत ने ही लगभग 30 साल पुराने मेरठ के हाशिमपुरा दंगो में मारे गए मुस्लिमों के केस में कई PAC के जवानों को सज़ा दी ।
🚩उन कश्मीर पंडितो की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर में ऐसा ही समां था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी पंडित हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें किस ने मना किया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये ये आज तक रहस्य है...शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले हम सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना  ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी  पले... ।
🚩केंद्र #सरकार कब हिंदुओं के नाम से जाने वाले हिंदुस्तान में हिंदुओं को #सुरक्षित करेगी ?
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Friday, January 18, 2019

गौमांस खाना छोड़ा तो मृत्यु की दर 2.4 % घट जाएगी - वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम

18 जनवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग रहते हैं । इसकी एक वजह हमारे शास्त्र द्वारा इसकी सहमति ना देना है । क्योंकि मांस खाना इंसान के शरीर के लिए नुकसानदेय है । वहीं कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं जो बताते हैं कि शरीर के लिए मांसाहार भयानक बुरा है ।

🚩वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने लोगों को गौमांस छोड़ने की सलाह दी है । उसका कहना है कि इससे न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचेगी बल्कि ग्रीन हाउस गैस (Green House) उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी । फोरम ने यह दावा एक अध्‍ययन के आधार पर किया है । WEF के लिए ऑक्‍सफोर्ड मार्टिन स्‍कूल (Oxford Martin School) ने यह अध्‍ययन कराया था । फोरम का कहना है कि बीन्‍स (फलियां), माइकोप्रोटीन और मटर (Peas) में कहीं अधिक सेहत में सुधार लाने वाले तत्‍व हैं । लाइवस्‍टॉक फार्मिंग से धरती को खतरा बढ़ रहा है ।
🚩5% मौतें हो जाएंगी कम :-
अध्‍ययन में यह बात सामने आई कि मांस खासकर गौमांस छोड़ने से लोगों की सेहत और पर्यावरण दोनों में सुधार होगा । फोरम का कहना है कि वैश्विक स्‍तर पर जो मौतें हो रही हैं उसका बहुत बड़ा कारण गौमांस का सेवन है । अगर गौमांस का सेवन बंद कर दिया जाए तो इससे वैश्विक स्‍तर पर 2.4% मौतें रुकेंगी । वहीं धनी देशों में, जहां इसे खाने का चलन ज्‍यादा है, करीब 5% मौतें रुकेंगी । अध्‍ययन में गौमांस के बजाय ऐसा आहार लेने की बात कही गई है, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन मौजूद हों ।
🚩धनी देशों में ज्‍यादा खाया जाता है गौमांस:-
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की समाचार के अनुसार, अध्‍ययन में उन धनी देशों के लोगों को शामिल किया गया, जहां गौमांस की खपत ज्‍यादा है । वहां फाइबर युक्‍त भोजन लेने की वकालत की गई है । हालांकि अध्‍ययन में गौमांस खाने से होने वाली मौतों का आंकड़ा नहीं दिया गया है । यह भी साफ नहीं हो पाया है कि गौमांस खाने से दरअसल कौन सी बीमारी होती है । लेकिन WEF का दावा है कि इसे छोड़ने से करोड़ों जानें बचेंगी ।
🚩दूसरे आहार पर ध्यान देना जरूरी:-
WEF ने इस बात से भी खबरदार किया है कि 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 10 अरब के आसपास पहुंच जाएगी । इससे वैश्विक स्‍तर पर गौमांस की खपत और बढ़ेगी । फोरम के मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉमिनिक वाघ्रे ने कहा कि उस समय गौमांस की मांग पूरी कर पाना आसान नहीं होगा । उन्‍होंने कहा कि गौमांस, चिकन और पॉर्क के स्‍थान पर दूसरी डाइट के बारे में योजना बनानी होगी, जिससे वैश्विक स्‍तर पर लोगों की सेहत में सुधार हो सके । स्त्रोत : जी बीजनेस
🚩एक शोध में 10 यूरोपीय देशों के पांच लाख लोगों ने हिस्सा लिया । इस दौरान उनके खान पान का हिसाब रखा गया और कैंसर, दिल की बीमारियों व डायबिटीज पर भी नजर रखी गई । शोध का निचोड़ यह निकला कि मीट खाने वालों की जल्दी मरने की संभावना अधिक होती है ।
🚩नॉनवेज खाने वालों पर फेल हो रहीं एंटीबायोटिक दवाएं :-
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि लोग आजकल मीट-मछली व चिकन बहुत चाव से खा रहे हैं मगर पशुपालक कमाई के लालच में मुर्गा-मुर्गी व अन्य जानवरों को तंदुरुस्त बनाने के लिए एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवा दे रहे हैं और इंजेक्शन लगा रहे हैं । इंजेक्शन व दवा जानवरों के खून में जाकर उनके आकार व वजन में तेजी से इजाफा कर रही हैं।
🚩डॉ. शीतल वर्मा के अनुसार इसका असर मनुष्य पर पड़ रहा है । लोगों में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है । इसके दुष्प्रभाव के कारण जब मरीज को जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक दी जाती है तो वह असर नहीं करती । डॉक्टर एक के बाद एक एंटीबायोटिक दवा बदलते रहते हैं लेकिन मरीज को फायदा नहीं होता ।
🚩शास्त्रों के अनुसार मांसाहार:-
श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार, मांसाहार खाना राक्षसी गुण है । मांस और शराब का सेवन करना तामसिक भोजन कहलाता है। इस तरह का भोजन करने वाले लोग पापी, कुकर्मी, दुखी, आलसी और रोगी हैं ।
🚩महाभारत में कहा गया है कि कोई शख्स अगर 100 अश्वमेध यज्ञ करता है और वहीं दूसरा शख्स पूरी जिंदगी मांस को हाथ नहीं लगाता है, तो दोनों में से बिना मांस खाने वाले शख्स को सबसे ज्यादा पुण्य मिलता है ।
🚩वैज्ञानिक दृष्टिकोण में मांसाहार
मांस खाने वाले ज्यादातर लोगों चिड़चिड़ापन और ज्यादा गुस्सा होते है और शरीर व मन दोनों अस्वस्थ बन जाते हैं । गंभीर बीमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं । इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रशेर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं ।
🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है । इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है ।
दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है । अगर दुनिया के लोग मांस खाना छोड़ दें तो 70 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाएगा ।
🚩मांसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है । शाकाहारी भोजन करने से इंसान स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त बनाता है ।
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