Saturday, February 2, 2019

300 पादरियों ने बच्चों का किया यौन शोषण, मीडिया, बुद्धिजीवियों ने साधा मौन

2 फरवरी  2019

*🚩ईसाई पादरी धर्मगुरु बनकर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, मांस खाना, धर्म का पैसा बिजनेस में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन न करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मांतरण करवाना ये सारी चीजें कहाँ तक उचित हैं ?*

*🚩अभी हाल ही में अमेरिका के पेन्सिलवेनिया से एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है कि एक कैथोलिक चर्च में पादरियों ने 1,000 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है ।*
*🚩अमेरिका के पेन्सिलवेनिया राज्य के बाद अब टेक्सास में भी बच्चों के यौन उत्पीड़न मामलों में 300 पादरी निशाने पर आ गए हैं । बड़ी बात यह है कि इन पादरियों की पहचान टेक्सास के 15 कैथोलिक डायोसिस ने की है । इन डायोसिस ने गुरुवार को पादरियों के नाम ऑनलाइन उजागर किए । अमेरिका में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष कार्डिनल डेनियल डिनार्डो ने बताया दुष्कर्म के आरोपी कई पादरियों की जांच 1950 से चल रही है । कई अरोपियों की मौत हो चुकी है । बता दें कि टेक्सास में 85 लाख कैथोलिक हैं । ये टेक्सास की आबादी का 30 फीसदी हैं । अगस्त में पेन्सिलवेनिया में 300 पादरियों पर बच्चों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था । इसके बाद से अमेरिकी राज्यों के प्रशासन ने चर्चों में जांच में तेजी लाई थी ।*

*🚩पेन्सिलवेनिया में भी 300 पादरियों पर बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं:-*

*पिछले साल अगस्त में भी अमेरिका के पेन्सिलवेनिया प्रांत में 300 पादरियों पर बच्चों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था । पेन्सिलवेनिया के अटार्नी जनरल जोश शापिरो ने दो साल की जांच के बाद 1400 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी । इसमें पादरियों के नाम थे । बच्चों के यौन उत्पीड़न के ये मामले पिछले 70 साल के हैं ।*

*🚩बिशप काॅन्फ्रेंस के अध्यक्ष बोले-पीड़ितों का दुख बांटना चाहते हैं :-*

*अमेरिका में कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष कार्डिनल डेनियल डिनार्डो ने कहा है कि बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले पादरियों की कई लोगों ने मदद की है । कई लोगों ने दोषी पादरियों का बचाव किया । ऐसे सभी लोगों के नाम भी सामने लाए जाएंगे । टेक्सास के कई बिशप ने मिलकर दोषी पादरियों के नाम उजागर करने का फैसला किया था । दोषी लोगों के नाम सामने लाकर पीड़ितों को न्याय दिलाने का यह प्रयास है । उम्मीद है इससे हम पीड़ितों का दुख बांट सकेंगे । अफसोस है कि इतने साल से बच्चों पर अत्याचार हो रहा था, लेकिन दोषी सजा से बचते रहे ।*

*🚩भारत में दो साल में पादरियों पर यौन उत्पीड़न के तीन बड़े मामले सामने आए:-*

*भारत में पिछले साल जुलाई में केरल के चर्च के चार पादरियों पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अगस्त में पंजाब के जालंधर के चर्च के बिशप पर भी एक नन ने 14 बार दुष्कर्म का आरोप लगाया। 2017 में पटना में एक पादरी को दो महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। स्त्रोत : भास्कर*

*🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मों की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है ।*

*सेक्युलर, बुद्धजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्मों पर चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें वेटिकन सिटी से भारी फंडिंग मिलती है ।*

*🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने #पादरियों और #ननों का #चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय #वासना से भरी थी ।*

*🚩आइये जानें इस बारे में विदेशी सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-*

*🚩मैं ईसाई #धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और #चांडाल का पंथ है । - फिलॉसफर नित्शे*

*🚩दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है रोमन कैथोलिक चर्च ।  - एच.जी.वेल्स*

*🚩मैंने पचास और साठ वर्षों के बीच बाईबल का अध्ययन किया तो तब मैंने यह समझा कि यह किसी पागल का प्रलाप मात्र है । - थामस जैफरसन (अमेरिका के तीसरे राष्ट्र पति)*

*🚩बाईबल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है । बाईबल को धरती में गाड़ देना चाहिए और प्रार्थना पुस्तक को जला देना चाहिए । - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ*

*🚩मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है । - डॉ. एनी बेसेन्ट*

*🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर, बुद्धजीवियों से सावधान रहें  ।*

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Friday, February 1, 2019

मीडिया की खुली धमकी, कहा भारतीय संस्कृति के त्यौहार मनाना बंद करें

1 फरवरी  2019
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🚩भारत में अंग्रेजों ने कूटनीति करके भारतीय संस्कृति के पवित्र त्यौहारों और धर्मशास्त्रों के प्रति जो हिंदुओं की आस्था थी, उस पर पूरे ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कुठाराघात किया गया था । हमारे हर त्यौहार का अंग्रेज विरोध करते थे और उनके बिना सिर पैर के त्यौहार भारतीयों को मनाने मजबूर करते थे ।
🚩अब हालात ये हैं कि अंग्रेज तो चले गए लेकिन भारत में फिर ईसाई मिशनरी सक्रिय हुई और वे भी हमारे त्यौहार बंद कराने के पीछे पड़ गई । मिशनरियों का भी उद्देश्य था कि भारतीय संस्कृति को तोड़कर पाश्चात्य संस्कृति लाई जाए इसलिए उन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत भारत में वैलेंटाइन्स डे का मीडिया द्वारा खूब प्रचार-प्रसार करवाया ।

🚩14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे के मनाने की परंपरा जो बनाई है, उससे हर देश की युवा पीढ़ी को भारी नुकसान हुआ है । उनका भयंकर पतन हुआ है, वे शारीरिक मानसिक बीमार बनने लगे, वैसे किसी भी देश के युवा राष्ट्र की नींव होते हैं, वे यदि इस प्रकार से गुमराह होंगे तो देश कमजोर बनेगा यही उद्देश्य अंग्रेजों और मिशनरियों का था । अब हर देश का मीडिया तंत्र और सरकारी तंत्र देश की युवा पीढ़ी को कैसा बनाना चाहता है, यह उन पर निर्भर करता है ।
🚩भारत में जब यह (वैलेंटाइन डे की) विकृत परम्परा आयी तब आपको याद होगा कि कईं फिल्मों में 'वैलेंटाइन डे' मनाने की प्रेरणा देने वाले गाने और अभिनय फिल्माए गए थे । अब तो और भी ज्यादा बड़े पैमाने पर बच्चों को "वैलेंटाइन डे' जैसी विकृत परम्परा को मनाने की प्रेरणा मीडिया हाउस द्वारा दी जाती है । लेकिन किसी ने भी भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को समाज में स्थापित करने वाली फिल्में एवं नाटक बनाने में रुचि  नहीं दिखाई । इसका कारण साफ़ है, किसी को समाज के प्रति कोई उत्तरदायित्व महसूस ही नहीं होता,उन्हें तो बस पैसे और टी. आर. पी. से मतलब है । इन सबके द्वारा भारत की युवा पीढ़ी के मन में 'वैलेंटाइन डे' जैसी विकृति को मनाने के संस्कार डाले गए थे ।
🚩किसी भी मीडिया ग्रुप ने वेलेंटाइन डे का विरोध नहीं किया इससे प्रश्न उठता है कि आख़िर मीडिया हाउस को भारत की महान संस्कृति और भारत के दिव्य त्यौहारों में ही ऐसी क्या कमी लग रही थी जिससे मीडिया ने भारतीय संस्कृति को लज्जित करने वाला 'वैलेंटाइन-डे' मनाने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित किया??? यह प्रेम दिवस तो हो ही नहीं सकता जिसमें सिर्फ़ शरीर की प्राथमिकता से ही एक-दूसरे को चुना जाता हो । शारीरिक और मानसिक तौर पर दुर्बल बना दे । और कोई भी माता-पिता नहीं चाहते कि हमारे बच्चे हमें छोड़कर किसी के चंगुल में फंसकर आवारा बनकर अपने उम्र और अधिकार के विपरीत कार्य करें ।
🚩इस प्रकार की विकृत परम्परा से जो समाज का नुकसान हो रहा था, भारत की युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही थी, कुवारी कन्याएं गर्भवती होने लगीं,  भारत का धन विदेशी कम्पनियां लेकर जाने लगी उसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया, अगर देश की इस बर्बादी पर किसी ने ध्यान दिया तो वे हैं हिन्दू संत आशारामजी बापू । उन्होंने समाज की दुर्दशा देखकर 2006 में हर वर्ष 14 फ़रवरी को 'वैलेंटाइन डे' ना मनाकर 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' मनाने का विकल्प दिया और 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' को प्रैक्टिकली समाज के बीच में अमल भी करवाया । इससे भारत की युवा पीढ़ी बर्बाद होने से बचने लगी, कुँवारी कन्याएं गर्भवती बनने से बचने लगी, माता-पिता का आदर होने लगा, भारत का धन विदेश में जाने से रुक गया, कितनों के घर उजड़ने से बचने लगे इससे प्रभावित होकर भारत की कईं राज्य सरकारें भी प्रभावित हुईं और छत्तीसगढ़ सरकार ने तो 'मातृ-पितृ पूजन दिवस' को काफ़ी समर्थन दिया एवं राज्य में हर वर्ष 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का आदेश जारी किया ।
🚩छिंदवाड़ा (म.प्र) के कलेक्टर ने भी यही आदेश दिया था कि पूरे छिंदवाड़ा में मातृ-पितृ पूजन मनाया जाए और बड़े बड़े नेता, अभिनेता, साधु-संत, प्रसिद्ध हस्तियां भी इस पर्व को सपोट करने लगी ।
     
🚩एक सराहनीय कार्य हाल ही में वर्तमान में गुजरात सरकार के माननीय शिक्षा मंत्री ने किया है और हिन्दू संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित "मातृ-पितृ पूजन दिवस" के आव्हान के लिए सन्त आशारामजी बापू की संस्था को बधाई दी है ।
देश में "वैलेंटाइन डे" जैसे विकृत त्यौहार को मनाने की जगह हमारे युवक-युवतियाँ भारत की महान संस्कृति के अनुसार अपना जीवन बनायेंगे तो इससे वे स्वस्थ भी रहेंगे और अपने परिवार, समाज, देश तथा संस्कृति की सेवा भी ठीक से कर पायेंगे ।
🚩लेकिन मीडिया को विदेश से वैलेंटाईन डे को प्रमोट करने के लिए भारी मात्रा में फंडिग मिल रही है इसके कारण वे उस दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस का विरोध कर रही है और उसका कोई समर्थन करता है तो उसके खिलाफ मुहिम चला रही है, मीडिया का कहना है कि आपने भारतीय त्यौहार मनाया तो हम उसका विरोध करेंगे ।
🚩मीडिया की विकृत मानसिकता तो देखिए जैसे कि होली नहीं खेलो पानी का बिगाड़ होता है, दिवाली नहीं मनाओ प्रदूषण होता है, दहीहांडी नहीं मनाओ इससे चोट लगती है, शिवरात्रि नहीं मनाओ इससे दूध का बिगाड़ होता है ये दूध गरीबो में बाँटो लेकिन मीडिया न्यू ईयर का प्रदूषण नहीं बतायेगी, फिल्मों में पैसे खर्च करते है उसके बारे में नहीं बतायेगी, चॉकलेट से दांत और पेट खराब होता ये नहीं बतायेगी क्योंकि इन चीजों को प्रमोट करने के लिए उन्हें पैसे मिलते हैं ।
🚩अभी वर्तमान में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस का विरोध कर रही है, बोलती है वैलेंटाईन डे मनाओ जिससे विदेशी कंपनियों के प्रोडक्ट बीके और देश की युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाए , माता-पिता का पूजन करोगे तो हम आपके खिलाफ मुहिम चलायेंगे, बदनाम करेंगे आपको मूर्ख बतायेंगे जिससे आप माता-पिता का पूजन छोड़कर वैलेंटाईन डे मनाने लग जाएं ।
🚩भारतवासी आप सतर्क रहें कुछ मीडिया चैनल भारतीय संस्कृति को तोड़कर फिर से देश को गुलाम बनाने में सहयोग कर रही हैं इसका विरोध करें और विदेशी त्यौहार मनाना बंद करके भारतीय त्यौहार जरूर मनाएं ।
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Thursday, January 31, 2019

विद्यालयों में प्रार्थना के खिलाफ डाली याचिका, जानिए प्रार्थना कितनी उपयोगी है

30 जनवरी  2019

*🚩देश के केंद्रीय विद्यालयों में प्रात:कालीन प्रार्थना संस्कृत और हिंदी में पढ़ी जाती हैं । इस प्रार्थना का संस्कृत भाग उपनिषद्, महाभारत आदि ग्रंथों की शिक्षाओं पर आधारित होता हैं जैसे "असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय"  तथा "दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना'' आदि । मध्य प्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति ने याचिका डाली है कि केंद्रीय विद्यालय में पढ़ी जाने वाली प्रार्थनाओं में किसी भी प्रकार के धार्मिक निर्देश नहीं दिए जा सकते । इसलिए इन्हें प्रार्थनाओं में से हटा देना चाहिए ।*


*🚩नास्तिक अथवा कम्युनिस्ट मानसिकता वाले इस व्यक्ति को धर्म की मुलभुत परिभाषा भी नहीं मालूम । यह व्यक्ति तो केवल कार्ल मार्क्स के धर्म अफीम है कि रट तक ही सीमित हैं । जिसे यह धर्म समझ रहा है वह धर्म नहीं मज़हब हैं । संस्कृत में वेद, उपनिषद् आदि ग्रन्थ केवल हिन्दू समाज के नहीं अपितु समस्त मानव समाज को दिशा निर्देश देने वाले ग्रन्थ हैं । ये ग्रन्थ समस्त प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव दिखाने और समस्त विश्व को एक परिवार के समान मानने का उपदेश देते हैं । वेद आदि ग्रन्थ की रचना जिस काल में हुई तब न तो देश आदि की सीमाएं थी,  न ही हिन्दू-मुस्लिम आदि थे । वेद केवल मानवधर्म का प्रतिपादक है । मत-मतान्तर आदि तो मानव समाज की देन हैं, जबकि वेद ईश्वर का शाश्वत ज्ञान है । आज समाज में नैतिक मूल्यों का जिस तेजी से अवमूल्यन हो रहा है ।  उसका मुलभुत कारण अध्यात्म विद्या से अनभिज्ञता और अज्ञानता है । इस अज्ञानता का उपचार धर्मग्रंथों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार हैं । जिससे कि युवा पीढ़ी को सदाचारी बनाया जा सके ।*

*🚩हमारे पाठयक्रम में नैतिक मूल्यों को वर्तमान में ही कोई वरीयता नहीं मिलती । जो थोड़ी बहुत शिक्षाओं का प्रचार हो रहा हैं । उसे भी अनाप-शनाप बहाने बना कर रोकने की पूरी तैयारी हैं । याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रार्थनाओं से मानसिक विकास रुक जाता हैं, जिससे भविष्य में वैज्ञानिक बुद्धि के विकास में रूकावट होगी ।  उक्त महोदय से पूछना चाहेंगे कि क्या वह यह बताएँगे कि क्या कोई भी आधुनिक मशीन यह सीखा सकती है कि हमें चरित्रवान होना चाहिए ।  हमें माता-पिता की सेवा करनी चाहिए । हमें अभावग्रस्त प्राणिमात्र की सहायता करनी चाहिए । हमें किसी को दुःख नहीं देना चाहिए । हमें किसी का शोषण नहीं करना चाहिए । हमें सत्य बोलना चाहिए-असत्य नहीं बोलना चाहिए । हमारा जन्म किसलिए हुआ है ? हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? नहीं । मानव जीवन से सम्बंधित एक भी समस्या का कोई भी समाधान एक मशीन से नहीं हो सकता। इससे तो यही सिद्ध हुआ कि केवल भौतिक प्रगति मनुष्य के जीवन की सभी समस्याओं के समाधान में असक्षम है । आध्यात्मिक ज्ञान में इन शंकाओं का समाधान हैं । मगर अपने दुराग्रह के चलते उन्हें मानने को,उन्हें अपनाने को ये महोदय तैयार नहीं हैं । उलटे अपनी इस दुराग्रही सोच को अन्यों पर थोपना भी चाहते हैं । धर्म संस्कृत भाषा का शब्द है । जोकि धारण करने वाली 'धृ' धातु से बना हैं । "धार्यते इति धर्म:" अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म है अथवा लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म है । दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते है कि मनुष्य जीवन को उच्च व पवित्र बनाने वाली ज्ञानानुकुल जो शुद्ध सार्वजानिक मर्यादा पद्यति है। वह धर्म है। धर्म और मत/मज़हब में भेद को इस लेख के माध्यम से जाने ।*

*🚩 1. धर्म और मज़हब समान अर्थ नहीं है ।  और न ही धर्म ईमान या विश्वास का प्राय: है ।*

*2. धर्म क्रियात्मक वस्तु है।  मज़हब विश्वासात्मक वस्तु है।*

*🚩3. धर्म मनुष्य के स्वभाव के अनुकूल अथवा मानवी प्रकृति का होने के कारण स्वाभाविक है।  और उसका आधार ईश्वरीय अथवा सृष्टि नियम है। परन्तु मज़हब मनुष्य कृत होने से अप्राकृतिक अथवा अस्वाभाविक है। मज़हबों का अनेक व भिन्न-भिन्न होना तथा परस्पर विरोधी होना उनके मनुष्य कृत अथवा बनावती होने का प्रमाण हैं।*

*4. धर्म के जो लक्षण मनु महाराज ने बतलाये है । वह सभी मानव जाति के लिए एक समान है और कोई भी सभ्य मनुष्य उसका विरोधी नहीं हो सकता । मज़हब अनेक हैं ।  और केवल उसी मज़हब को मानने वालों द्वारा ही स्वीकार होते हैं। इसलिए वह सार्वजानिक और सार्वभौमिक नहीं है। कुछ बातें सभी मजहबों में धर्म के अंश के रूप में है।  इसलिए उन मजहबों का कुछ मान बना हुआ है।*

*🚩5. धर्म सदाचार रूप है।  अत: धर्मात्मा होने के लिये सदाचारी होना अनिवार्य है। परन्तु मज़हबी अथवा पंथी होने के लिए सदाचारी होना अनिवार्य नहीं है। अर्थात जिस तरह तरह धर्म के साथ सदाचार का नित्य सम्बन्ध है।  उस तरह मजहब के साथ सदाचार का कोई सम्बन्ध नहीं है । क्यूंकि किसी भी मज़हब का अनुनायी न होने पर भी कोई भी व्यक्ति धर्मात्मा (सदाचारी) बन सकता है। परन्तु आचार सम्पन्न होने पर भी कोई भी मनुष्य उस वक्त तक मज़हबी अथवा पन्थाई नहीं बन सकता । जब तक उस मज़हब के मंतव्यों पर ईमान अथवा विश्वास नहीं लाता । जैसे कि कोई कितना ही सच्चा ईश्वर उपासक और उच्च कोटि का सदाचारी क्यों न हो, वह जब तक हज़रत ईसा और बाइबिल अथवा हजरत मोहम्मद और कुरान शरीफ पर ईमान नहीं लाता तब तक ईसाई अथवा मुसलमान नहीं बन सकता ।*

*🚩6. धर्म ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है अथवा धर्म अर्थात धार्मिक गुणों और कर्मों के धारण करने से ही मनुष्य मनुष्यत्व को प्राप्त करके मनुष्य कहलाने का अधिकारी बनता है। दूसरे शब्दों में धर्म और मनुष्यत्व पर्याय है। क्यूंकि धर्म को धारण करना ही मनुष्यत्व है। कहा भी गया है- खाना,पीना,सोना,संतान उत्पन्न करना जैसे कर्म मनुष्यों और पशुओं के एक समान है। केवल धर्म ही मनुष्यों में विशेष है। जोकि मनुष्य को मनुष्य बनाता है। धर्म से हीन मनुष्य पशु के समान है। परन्तु मज़हब मनुष्य को केवल पन्थाई या मज़हबी और अन्धविश्वासी बनाता है। दूसरे शब्दों में मज़हब अथवा पंथ पर ईमान लेन से मनुष्य उस मज़हब का अनुनायी अथवा ईसाई अथवा मुस्लमान बनता है।  नाकि सदाचारी या धर्मात्मा बनता है।*

*🚩7. धर्म मनुष्य को ईश्वर से सीधा सम्बन्ध जोड़ता है और मोक्ष प्राप्ति निमित धर्मात्मा अथवा सदाचारी बनना अनिवार्य बतलाता है।  परन्तु मज़हब मुक्ति के लिए व्यक्ति को पन्थाई अथवा मज़हबी बनना अनिवार्य बतलाता है। और मुक्ति के लिए सदाचार से ज्यादा आवश्यक उस मज़हब की मान्यताओं का पालन बतलाता है। जैसे अल्लाह और मुहम्मद साहिब को उनके अंतिम पैगम्बर मानने वाले जन्नत जायेगे। चाहे वे कितने भी व्यभिचारी अथवा पापी हो जबकि गैर मुसलमान चाहे कितना भी धर्मात्मा अथवा सदाचारी क्यूँ न हो ।  वह दोज़ख अर्थात नर्क की आग में अवश्य जलेगा ।  क्यूंकि वह कुरान के ईश्वर अल्लाह और रसूल पर अपना विश्वास नहीं लाया है ।*

*🚩8. धर्म में बाहर के चिन्हों का कोई स्थान नहीं है।  क्यूंकि धर्म लिंगात्मक नहीं हैं -न लिंगम धर्मकारणं अर्थात लिंग (बाहरी चिन्ह) धर्म का कारण नहीं है। परन्तु मज़हब के लिए बाहरी चिन्हों का रखना अनिवार्य है। जैसे एक मुस्लमान के लिए जालीदार टोपी और दाड़ी रखना अनिवार्य है।*

*🚩9. धर्म मनुष्य को पुरुषार्थी बनाता है।  क्यूंकि वह ज्ञानपूर्वक सत्य आचरण से ही अभ्युदय और मोक्ष प्राप्ति की शिक्षा देता है।  परन्तु मज़हब मनुष्य को आलस्य का पाठ सिखाता है क्यूंकि मज़हब के मंतव्यों मात्र को मानने भर से ही मुक्ति का होना उसमें सिखाया जाता है ।*

*🚩10. धर्म मनुष्य को ईश्वर से सीधा सम्बन्ध जोड़कर मनुष्य को स्वतंत्र और आत्म स्वालंबी बनाता है।  क्योंकि वह ईश्वर और मनुष्य के बीच में किसी भी मध्यस्थ या एजेंट की आवश्यकता नहीं बताता। परन्तु मज़हब मनुष्य को परतंत्र और दूसरों पर आश्रित बनाता है क्यूंकि वह मज़हब के प्रवर्तक की सिफारिश के बिना मुक्ति का मिलना नहीं मानता । इस्लाम में मुहम्मद साहिब अल्लाह एवं मनुष्य के मध्य मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं ।*

*🚩11. धर्म दूसरों के हितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक देना सिखाता है ।  जबकि मज़हब अपने हित के लिए अन्य मनुष्यों और पशुओं के प्राण हरने के लिए हिंसा रुपी क़ुरबानी का सन्देश देता हैं। वैदिक धर्म के इतिहास में ऐसे अनेक उदहारण है, जिसमें गौ माता की रक्षा के लिए हिन्दू वीरों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ।*

*🚩12. धर्म मनुष्य को सभी प्राणी मात्र से प्रेम करना सिखाता है। जबकि मज़हब मनुष्य को प्राणियों का माँसाहार और दूसरे मज़हब वालों से द्वेष सिखाता है। जिहादी आतंकवादी इस बात का सबसे प्रबल प्रमाण है।*

*🚩13. धर्म मनुष्य जाति को मनुष्यत्व के नाते से एक प्रकार के सार्वजानिक आचारों और विचारों द्वारा एक केंद्र पर केन्द्रित करके भेदभाव और विरोध को मिटाता है।तथा एकता का पाठ पढ़ाता है। परन्तु मज़हब अपने भिन्न-भिन्न मंतव्यों और कर्तव्यों के कारण अपने पृथक पृथक जत्थे बनाकर भेदभाव और विरोध को बढ़ाते और एकता को मिटाते है । संसार में धर्म के नाम पर भेदभाव एवं फुट का यही कारण है ।*

*14. धर्म एक मात्र ईश्वर की पूजा बतलाता है । जबकि मज़हब ईश्वर से भिन्न मत प्रवर्तक/मनुष्य आदि की पूजा बतलाकर अन्धविश्वास फैलाते हैं।*

*🚩धर्म और मज़हब के अंतर को ठीक प्रकार से समझ लेने पर मनुष्य अपने चिंतन मनन से आसानी से यह स्वीकार करके के श्रेष्ठ कल्याणकारी कार्यों को करने में पुरुषार्थ करना धर्म कहलाता है।  इसलिए उसके पालन में सभी का कल्याण हैं। -डॉ विवेक आर्य*

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Wednesday, January 30, 2019

शिक्षा मंत्री ने जनता व राष्ट्र हित में लिया फैसला, मीडिया दे रही है धमकी

30 जनवरी  2019

🚩 *भारत की मीडिया इस हद तक गिर चुकी है कि जनता , न्यायालय, सरकार को क्या करना है क्या नहीं करना है ऐसे फैसले भी करने लगती है, अगर कोई जज या नेता जनता के हित में फैसला लेते हैं तो मीडिया उनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाती है, दबाव बनाने लगती है जिससे कोई भी नेता जनता के हित के लिए कोई कार्य ही न करें ।*

🚩 *समाजिक कार्यकर्ता विकास खेमका जी का तो यहाँ तक कहना है कि मीडिया जिस दिन वेश्यावृत्ति और पत्रिकारिता में फर्क समझने लगेगी उसी दिन वे देश हित का मीडिया कार्य में सहयोग करने लगेगी ।*

🚩 *आपको बता दें कि वैलेंटाइन्स डे एक विदेशी त्यौहार है और उसे पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन इस पर मीडिया को कोई आपत्ति नहीं है बल्कि उसका  प्रचार प्रसार भी खूब जोर शोर से करती है, लेकिन अगर उस दिन कोई माता-पिता की पूजा करे तो मीडिया को आपत्ति हो रही है । इसके पीछे एक बड़ा राज ये है विदेशी कम्पनियों का भारत मे अरबों का व्यापार करना, उसमें से कुछ करोड़ मीडिया को दे देते हैं, जिसके कारण मीडिया पाश्चात्य संस्कृति का खूब प्रचार प्रसार करती है । जबकि कई देश वैलेंटाइन्स डे को बैन कर चुके है क्योंकि उस दिन झूठे प्यार के नाम पर लाखों कुंवारी लड़कियां गर्भवती हो जाती हैं, युवापीढ़ी बर्बादी के रास्ते चल पड़ती है ।*
🚩 *आपको बता दें कि दो दिन पहले गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा ने हिन्दू संत आसारामजी के आश्रम में 14 फरवरी को मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाए जाने की बधाई दी है । गुजरात के मंत्री का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो गुजरात की सरकार के लिए गर्व की बात है जिससे युवापीढ़ी बर्बाद होने से बचेगी और लाखों-करोड़ों मां-बाप का आशीर्वाद मिलेगा ।*

🚩 *भूपेंद्र सिंह जी ने पत्र में लिखा है, 'आपकी संस्था 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाकर सराहनीय काम कर रही है । जो अपने माता-पिता और गुरु की सेवा करते हैं, वो अपने आप में सम्मानित हैं ।'*

*इसके आगे उन्होंने लिखा है, 'भारतीय संस्कृति में एक सूत्र है- मातृ देवो भव, पितृ देवो भव और आचार्य देवो भव- जो सबको प्रेरित करता है । आपकी संस्था ने एक नई पहल की है जिसके तहत 14 फरवरी 2019 को आपके आश्रम में मातृ-पितृ दिवस मनाया जाएगा । मैं उम्मीद करता हूं कि इस शुरुआत को बड़ी सफलता मिले और युवक-युवतियां अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें ।'*

🚩 *अंत में उन्होंने लिखा,'मैं आपकी संस्था को इस नेक काम के लिए बधाई देता हूं ।' इस बारे में भूपेंद्र सिंह ने जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, यह बहुत छोटा मामला है, इसे बड़ा न बनाएं ।'*

🚩 *आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री ने भी 14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस को सरहाना करके बधाई दी है, वैसे ही छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) के कलेक्टर ने तो सभी स्कूलों तथा कॉलेजों में सार्वजनिक रूप से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिसव मानने की घोषणा की है ।*

🚩 *बता दें कि हिन्दू संत आसाराम बापू ने 2006 में वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन की शुरआत करवाई थी, तबसे लेकर आजतक करोड़ो लोगों के द्वारा देश-विदेश में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है । इस साल भी 14 फरवरी आने के पहले से ही मातृ-पितृ पूजन की देशभर में धूम मची है ।*

🚩 *आप जरा सोचिए कि जेल में बैठे-बैठे देश व जनता का हित सोचकर 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन जैसा महान कार्य करवाने वाले महान हैं या विदेशी त्यौहार वैलेंटाइन्स डे का प्रचार प्रसार करके देश में गंदगी फैलाकर युवक-युवतियों का पतन करके मां-बाप को छोड़कर अपने लवर-लवरियो के साथ घूमने की बात सिखाने पढ़ाने वाली मीडिया महान है?*

🚩 *यही मीडिया हमारे त्यौहार होली, दिवाली, जन्माष्टमी का विरोध करती है और अंग्रेजों का न्यू ईयर 1 जनवरी का जश्न मनाती है, यही मीडिया फ्रेंडशिप डे, चॉकलेट दे को प्रमोट करती है, यही मीडिया गंदे विज्ञापन देती है, अश्लीलता परोसती है लेकिन कोई माता-पिता का पूजन करने को बोले तो उसका विरोध करती है । मीडिया का असली चेहरा सबके सामने आ गया है यही भारतीय संस्कृति को तोड़कर भारत में विदेशी सत्ता की स्थापना करना चाहती है ।*

🚩 *मीडिया को यह चुभ रहा था कि हिन्दू संत आसाराम बापू को सजा हो गई फिर भी मातृ-पितृ पूजन दिवस क्यों मना रहे है, लेकिन आपको बता दें कि सलमान खान को हिट एंड रन और काले हिरण हत्या केस में सेशन कोर्ट ने सजा सुना दी थी तब तो मीडिया सलमान खान के पक्ष में बोल रही थी एक भी शो बंद करने की मांग नहीं की, फिर उन्हें हाइकोर्ट से तुंरत जमानत भी मिल गई, लेकिन धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले हिन्दू संत आसाराम बापू के केस में 5 साल तक ट्रायल चला उसमें भी जमानत नहीं मिल पाई और सजा होने के बाद भी नहीं मिल पाई इससे साफ होता है कि राष्ट्रविरोधी ताकतें उन्हें बाहर नहीं आना देना चाहती हैं ।*

🚩 *आपको बता दें कि हिन्दू संत आसाराम बापू करीब 5 साल 3 महीने से जोधपुर जेल में बंद हैं उनको सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, लेकिन हाईकोर्ट में उन्होंने सेशन कोर्ट की सजा के खिलाफ चैलेंज किया है, हाईकोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार भी कर ली है । भक्तों का कहना है कि वहाँ से वे निर्दोष छूट जायेंगे । क्योंकि उनके पक्ष में अनेक सबूत भी है….*

1. *आरोप लगाने वाली लड़की घटना बताती है राजस्थान के जोधपुर की, रहने वाली थी उत्तर प्रदेश की, पढ़ती थी मध्यप्रदेश में और तथाकथित छेड़छाड़ की घटना के 5 दिन बाद FIR करवाई गई ।  वो भी जोधपुर की घटना बताकर FIR जोधपुर से 600 कि.मी.दूर दिल्ली में रात्रि 2:45 बजे ।*

🚩2. *जिस रजिस्टर में लड़की की घटना लिखी थी उस हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने संदिग्ध तरीके से फाड़े गए ।*

3. *में F.I.R. लिखते समय की गई वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, जो आज तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई ।*


🚩4. *मेडिकल में भी लड़की के शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया ।*

5. *लड़की की कॉल डिटेल से स्पष्ट हुआ कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से फोन द्वारा संपर्क में थी ।*

🚩6. *तथाकथित घटना के समय बापू आसारामजी एक मँगनी कार्यक्रम में व्यस्त थे, लड़की कुटिया में गई ही नहीं ।*

*बता दें कि जब लड़की कुटिया में गई ही नहीं, मेडिकल में कोई प्रूफ है नहीं, फिर भी उम्रकैद सजा देना ये आश्चर्यजनक है ।*

🚩 *आपको बता दें कि उनपर आरोप लगने से पहले उनके आश्रम में फैक्स आया था कि पचास करोड़ दो नहीं तो जेल जाओ और चूंकि आसाराम बापू ने पैसे नहीं दिए उसके बाद ये पूरी घटना हुई ।*

🚩 *बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कई बार खुलासा किया है कि बापू आसारामजी को धर्मपरिवर्तन पर रोक लगाने और लाखों हिन्दुओं की घरवापसी कराने के कारण षडयंत्र के तहत जेल भिजवाया गया है ।*

🚩 *गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है । राष्ट्रविरोधी ताकतों को यह रास न आया और उन्हें षड्यंत्रपूर्वक जेल भेजा गया ।*

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