Saturday, March 16, 2019

कोर्ट ने रेप के आरोपी को कहा 5 पौधे लगाओ, गिरफ्तारी नहीं होगी

16 मार्च 2019
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🚩न्यायलय ने आरोपी को सजा देने के बदले एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है जिसे लेकर खूब चर्चा हो रही है । केवल 5 पौधे लगाने के बदले रेप के आरोपी को गिरफ्तार होने से रोक दिया ।
गाज़ियाबाद में फ़ास्ट ट्रैक में एक रेप आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट था, लेकिन न्यायालय ने उसको 5 पौधे लगाने को कहा और गिरफ्तारी रोक दी ।

🚩यदि अदालत इस प्रकार की उदारता दिखा रही है तो ये बताए कि भारत में लाखों निर्दोष विचारधीन कैदी जेल में सड़ रहे हैं, उनकी रिहाई कब होगी ? जो झूठे मुकदमे में जेल में हैं, उनको भी तो तुरंत रिहा करना चाहिए ।
🚩आपको बात दें कि विशेष न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) राकेश वशिष्ठ ने लोनी निवासी राजू उर्फ कल्लू के खिलाफ एक नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के चार साल पुराने मामले में पिछले छह महीने से ट्रायल के दौरान उपस्थित न होने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया था ।
🚩आरोपी ने गुरुवार को अदालत में एक अर्जी दाखिल कर वारंट वापस लिए जाने की गुजारिश की, जिसके बाद अदालत ने उन्हें पांच पौधे लगाने का आदेश दिया और साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया कि आदेश का पालन किया गया है ।
बता दें कि अलग-अलग मामलों में कोर्ट के अजीबों गरीब फैसले चर्चा में आ जाते हैं । इस तरह के कई मामले पूर्व में भी देखे जा चुके हैं ।
🚩देश के जेलों में कैदियों की दुर्दशा:-
न्यायालय को हमारे देश की जेलों में वर्षों से बंद उन कैदियों के बारे में भी कभी सोचना चाहिए, जो रिहाई के लिए भी वर्षों से तरस रहे हैं । रिहाई की बाट जोहते न जाने कितनी आंखें पथरा गयीं, कितने जिस्मों में झुर्रियां चढ़ आयीं और कितनी ही जिंदगियां काल का ग्रास बन गईं ।
🚩वर्ष 2016 में फिल्म निर्देशक ओमंग कुमार ने अपनी फिल्म 'सरबजीत' के जरिये लोगों को यह बताने की कोशिश की थी कि किस तरह से एक निर्दोष और गरीब किसान नशे में धुत होकर भारत की सीमा पार करके पाकिस्तान चला जाता है और फिर वहां उसे उस गुनाह के लिए, जो उसने कभी किया ही नहीं था, तमाम तरह की यातानाएं सहनी पड़ती हैं । भारत की जेलों में भी ऐसे न जाने कितने 'सरबजीत' बंद हैं । और अधिक अफसोस की बात तो यह है कि वे पाकिस्तानी नहीं, बल्कि 'हिंदुस्तानी' होने के बावजूद यातनापूर्ण कैद का दंश झेल रहे हैं। ऐसे कैदियों में से करीब 67 फीसदी ऐसे विचाराधीन कैदी हैं, जिन्हें ट्रायल, इन्वेस्टीगेशन अथवा इन्क्वायरी के दौरान प्रतिबंधित (detained) कर दिया गया, लेकिन अब तक न्यायालय द्वारा उन्हें अपराधी घोषित नहीं किया गया है ।
🚩कई कैदी जमानत मिल जाने के बावजूद गरीबी या किसी अन्य मजबूरी की वजह से अपनी जमानत देने में सक्षम नहीं हो पाते, वे निरपराध घोषित होने के बावजूद भी जेलों में सड़ने को मजबूर हैं । अगर विचाराधीन कैदियों में इन कैदियों की संख्या को भी मिला लिया जाये, तो यह संख्या शायद लाखों में पहुंच जायेगी ।
🚩भारतीय जेल सांख्यिकी : 2015 के अनुसार, भारतीय जेलों की सबसे बड़ी समस्या क्षमता से अधिक संख्या में कैदियों का होना है । 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में कुल 1387 जेल हैं, जिनकी कुल क्षमता 3,56,561 कैदियों की है, जबकि वास्तव में वहां 4,18,536 कैदी  (114.4 फीसदी) रह रहे हैं । इस कारण यहां साफ-सफाई को मेंटेन करना या कैदियों को आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध करवाना मुश्किल होता है ।
🚩भारतीय जेलों की मुख्यत: तीन प्रमुख समस्याएं हैं :
क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या, पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों का न होना और समुचित फंड की कमी । इस वजह से कैदी अमानवीय परिस्थितियों में रहने को मजबूर होते हैं और आये दिन जेल प्रशासन के साथ उनकी झड़प की खबरें भी आती रहती हैं । उचित कानूनी एवं सामाजिक समर्थन का अभाव 'जिस इंसान के पास सामाजिक स्वतंत्रता नहीं है, उसकी कानूनी स्वतंत्रता भी किसी काम की नहीं होती ।
🚩भगत सिंह भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों के संदर्भ में देखा जाये, तो कानून की नजर में जब तक किसी व्यक्ति का अपराध साबित नहीं हो जाता, उसे 'अपराधी' नहीं माना जा सकता । इसके बावजूद हजारों विचाराधीन कैदी आज अपराधियों की तरह जेल की यातनाएं सहने पर मजबूर हैं । आये दिन उन्हें जेल के अंदर होनेवाली हिंसा का भी शिकार होना पड़ता है । इन सबका सीधा असर उनके मनोवैज्ञानिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है । जेल में रहने के दौरान कई कैदियों की मौत हो जाती है, कई अपने परिवार या पड़ोसियों को खो देते हैं, कईयों के घर की पीढ़ियां बचपन से जवानी या जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच जाती हैं । इसके अलावा हमारे समाज में जेल की सजा काट कर आये कैदी को हमेशा से ही हिकारत भरी नजरों से देखा जाता रहा है । यहां तक कि जेल से लौटने के बाद उन्हें अपने परिवार या समुदाय से भी वह सम्मान नहीं मिलता, जो पहले मिला करता था । अगर किसी को जमानत मिल भी गयी, तो भी बार-बार अदालत में पेशी होने की वजह से उसे कहीं जॉब मिलने में परेशानी होती है । विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता भी मुश्किल से मिल पाती है। ऐसे ज्यादातर कैदी गरीब हैं, जिन पर छोटे-मोटे अपराध करने का आरोप है । बावजूद इसके वे लंबे समय से जेलों में बंद है, क्योंकि न तो उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी है और न ही कानूनी सलाहकारों तक उनकी पहुंच है ।
🚩भारतीय संविधान की धारा-21 ने भी भारत के हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार दिया है । संविधान यह कहता है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जायेगा । इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में अधीनस्थ न्यायालयों को सभी आपराधिक मामलों की जल्द-से-जल्द स्पीडी ट्रायल के लिए सुलझाने का निर्देश जारी किया था । यह फैसला निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है, किंतु पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इस फैसले को वास्तविक रूप से अमलीजामा पहनाना उतना ही मुश्किल है । क्षमता से अधिक कैदियों का भार एनसीआरबी द्वारा जारी भारतीय जेल सांख्यिकी के अनुसार, भारतीय जेलों में उनकी वास्तविक क्षमता से करीब 14% अधिक कैदी रह रहे हैं ।  इनमें से करीब दो-तिहाई से भी अधिक कैदी विचाराधीन हैं।
🚩सरकार और न्यायायल को इसपर ध्यान देना चाहिए और जो विचारधीन कैदी है, जिनको झूठे मामलों में सेशन कोर्ट ने सजा भी सुना दी है ऐसा जिस केस में लगता है उनको तुंरत रिहा करना चाहिए ।
🚩सरकार का एक ऐसा भी कर्तव्य बनता है कि समाज को श्रीमद्भागवतगीता अनुसार शिक्षा दी जाए जिससे देश मे कम अपराध हो जिससे न्यायालय, सरकार और जेल प्रशासन को ज्यादा परेशानी न हो सब अपने दिव्य कर्म करके मनुष्य जीवन को सफल बनाए ।
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Thursday, March 14, 2019

इसबार रासायनिक रंगों से नहीं, पलाश से होली खेले, होगा अद्भुत फायदे

14 मार्च 2019

🚩 होली का त्यौहार पूरे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है । यह पर्व मूल में बड़ा ही स्वास्थ्यप्रद एवं मन की प्रसन्नता बढ़ाने वाला है, लेकिन दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इस पवित्र उत्सव में नशा, वीभत्स गालियाँ और केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग करके कुछ लोगों ने ऋषियों की हितभावना, समाज की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और प्राकृतिक उन्नति की भावनाओं का लाभ लेने से समाज को वंचित कर दिया है ।
🚩 प्राकृतिक रंगों से होली खेलें बिना जो लोग ग्रीष्म ऋतु बिताते हैं, उन्हें गर्मीजन्य उत्तेजना, चिड़चिड़ापन, खिन्नता, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन), तनाव, अनिद्रा इत्यादि तकलीफों का सामना करना पड़ता है ।

🚩 मीडिया सूखे रंगों से होली खेलने की सलाह देती है, लेकिन सूखे केमिकल रंगों से होली खेलने की सलाह देनेवाले लोग वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ हैं । क्योंकि डॉक्टरों का कहना है कि सूखे रासायनिक रंगों से होली खेलने से शुष्कता, एलर्जी एवं रोमकूपों में रसायन अधिक समय तक पड़े रहने से भयंकर त्वचा रोगों का सामना करना पड़ता है । गुर्दे की बीमारी, आँखों की जलन, कैंसर जैसे रोग होने की संभावना बढ़ जाती है ।

🚩रासायनिक रंगों से होने वाली हानि...

1 - काले रंग में लेड ऑक्साइड
पड़ता है जो गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी करता है ।

🚩2 - हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है जो आँखों में जलन, सूजन, अस्थायी अंधत्व
लाता है ।

3 - सिल्वर रंग में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर करता है ।

🚩4- नीले रंग में प्रूशियन ब्लू (कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस) से भयंकर त्वचारोग होता है ।

5 - लाल रंग जिसमें मरक्युरी सल्फाइड
होता है जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।

🚩6- बैंगनी रंग में  क्रोमियम आयोडाइड
 होता है जिससे दमा, एलर्जी
होती है ।

🚩पलाश रंग से धुलेंडी खेलें..

पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें । सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें । यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है । शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है । इसमें औषधीय गुण होते हैं । आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है । रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है ।

🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है ।

🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
(यह लेख संत आसारामजी आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद से लिया गया है)

🚩त्वचा विशेषज्ञ डॉ. आनंद कृष्णा कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सारा साल हम जो त्वचा और बालों का ध्यान रखते हैं वह होली के अवसर पर भूल जाते हैं और केमिकल रंगों से इनको भारी नुकसान पहुँचाते हैं ।

🚩दैनिक भास्कर अखबार की तो मुर्खानी की हद हो गई जो कई सालों से केवल तिलक होली खेलने का प्रचलन कर रहा है ।

🚩भास्कर को पता नहीं है कि जिन ऋषि मुनियों ने होली त्यौहार बनाया है वो हमारे उत्तम स्वास्थ्य और शरीर में छुपे हुए रोगों को मिटाने के लिए बनाया है ।

🚩केमिकल रंगों से होली खेलने के बाद भी बहुत अधिक पानी खर्च करना पड़ता है । एक-दो बार खूब पानी से नहाना पड़ता है क्योंकि रासायनिक रंग जल्दी नहीं धुलते । प्राकृतिक रंग जल्दी ही धुल जाते हैं ।

🚩प्राकृतिक रंगो से होली खेलने से पानी की अधिक खपत का प्रलाप करने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स, गौहत्या के लिए हररोज बरबाद किया जा रहा करोड़ों लीटर पानी क्यों नही दिखता...???

🚩पूर्व में महाराष्ट्र के नेता विनोद तावडे ने सबूतों के साथ पानी के आँकड़े पेश किये जिसमें शराब बनाने वाली कम्पनियां अरबों लीटर पानी की बर्बादी करती हैं ।

🚩‘डीएनए न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार 1 लीटर कोल्डड्रिंक बनाने में 55 लीटर पानी बरबाद होता है ।

🚩कत्लखाने में 1 किलो गोमांस के लिए 15,000 लीटर पानी बर्बाद होता है । कोल्डड्रिंक्स और शराब के कारखानों में मशीनरी और बोतलें धोने में तथा बनाने की प्रक्रिया में करोड़ों लीटर पानी बरबाद होता है ।

🚩बड़े-बड़े होटलों में आलीशान स्विमिंग टैंक्स के लिए लाखों लीटर पानी की सप्लाई बेहिचक की जाती है ।

🚩हकीकत यह होते हुए भी मीडिया द्वारा कभी इसका विरोध नहीं किया गया ।

🚩'प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ के अनुसार #रासायनिक रंगों से होली खेलना अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है ।

🚩डॉ. फ्रांसिन पिंटो के अनुसार रासायनिक रंगों से होली खेलने के बाद उन्हें धोने के लिए प्रति व्यक्ति 35 से 500 लीटर तक पानी खर्च करता है ।

🚩यह केमिकल युक्त पानी पर्यावरण के लिए घातक है। घर भी रंगों से खराब हो जाते हैं । उन्हें धोने में कम-से-कम 100 लीटर पानी बरबाद हो जाता है ।

🚩 अतः आप इस बार वैदिक होली मनाकर स्वयं को स्वस्थ रखें । प्राकृतिक रंगों से होली खेलें, केमिकल रंगों से बचें । ऋषि-मुनियों द्वारा बनाया गया यह त्यौहार जरूर मनायें, जिससे आपका स्वास्थ्य भी बढ़िया रहे और गर्मी में आने वाले रोगों से भी रक्षा हो ।

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Wednesday, March 13, 2019

जानिए अपने ही देश मे हिंदू खुद कितना लाचार है?

13 मार्च 2019
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🚩भारत देश को हिंदू धर्म के नाम से ही विश्व में पहचान मिली इसलिए भारत देश का एक नाम हिंदुस्तान भी है ।
भारत का संविधान जब लागू हुआ तब कहीं नहीं लिखा गया कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है । सन 1976 में कांग्रेस सरकार ने 42 वें संविधानिक संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द डाल दिया। इसका मतलब भारत एक हिंदू वो राष्ट्र है जिसका कोई विशेष धर्म नहीं । उसके लिए सभी धर्म एक समान है ।

🚩वास्तव में सनातन संस्कृति विश्व की प्राचीनतम जीवंत संस्कृति है । जबसे सृष्टि का उद्गम हुआ है तबसे सनातन हिंदू संस्कृति है । हिन्दू धर्म का लोहा सदा सभी धर्मों ने माना । हमारे वेद, शास्त्र, श्रीमद्भागवत गीता, योग और ऋषि मुनियों का दिया हुआ ब्रह्मज्ञान आज भी विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है । "वसुधैव कुटुम्बकम" हिन्दू धर्म की महान सोच को प्रदर्शित करता है। हिन्दू धर्म ने मानवता के लिए जो किया वो किसी भी धर्म नही कर पाया ।
🚩पर जो असंवेदनशीलता आज हिन्दू धर्म के साथ हो रही है वो चिंताजनक है । कुछ मुद्दों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं ।
🚩1). भारत देश की पहचान हिन्दू धर्म से है। हिन्दू धर्म के कारण देश मे सुख-शांति बनी हुई है । भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना चाहिए था पर वोट बैंक की राजनीति के चलते कोई सरकार ये नहीं कर पाई ।
2). सरकार कानून बनाकर हिन्दू मंदिरों की सम्पत्ति और दान पर अधिकार कर लेती है वहीं दूसरे धर्म के स्थलों को हाथ तक नहीं लगती विशेषकर चर्च, मस्जिद । ये दान से हुई आय का पूरा प्रयोग अपने धर्म के प्रचार प्रसार में करते हैं । मंदिर के कई पैसे तो चर्च और मस्जिद के लिए खर्च किये जाते हैं ।
🚩3). हज यात्रा के लिए सरकार सब्सिडी देती थी वहीं हिंदुओं को अमरनाथ यात्रा करते वक़्त टैक्स लेती है और सेना की मदद लेनी पड़ती है । ये सब सरकारों की गलत वोटबैंक की राजनीति का नतीजा है ।
4). जम्मू-कश्मीर को आज तक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है । आज़ादी के 70 साल बाद भी आज तक कोई सरकार संविधान से अनुच्छेद 370 और 35A को नहीं हटा पाई । इसलिए वहाँ हिंदुओं की स्थिति आज भी जर्जर हुई है ।
🚩5). कश्मीर में आज भी सेना के रख रखाव के लिए अरबों रुपये खर्च होते हैं । कश्मीरी पंडितों को मार मारकर भगा दिया गया । फिर भी उनको पुनः नहीं बसा पा रहे हैं और तो और सर्वोच्च न्यायालय से उनको इंसाफ भी नहीं मिला ।
6). गरीब और आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियां धर्मांतरण का गोरखधंधा धड़ल्ले से कर रही हैं । लालच देकर और डराकर भोले-भाले हिंदुओं का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है । सरकार मौन होकर देख रही है, इसे रोकने के लिए कोई कानून भी नहीं बना रही ।
🚩7). लव जिहाद के कारण लाखों हिंदू बेटियाँ फंस जाती है, अपनी जिंदगी नर्क जैसी जी रही हैं और माँ-बाप भी बर्बाद हो जाते हैं ।
8). कई राज्यों में जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक थे अब अल्पसंख्यक रह गए हैं । बंगाल और केरल में हिंदुओं का रहना मुश्किल हो गया है । उन पर अत्याचार हो रहे हैं । पर राजनैतिक पार्टियों की सोच केवल वोटबैंक तक सीमित है ।
🚩9). एक देश है तो कानून भी एक ही होना चाहिए । पर भारत देश में कानून धर्म के साथ बदलता है। कानून ने मुस्लिमों और ईसाईयों को विशेष अधिकार दे रखे हैं इसलिये देश में अराजकता फैल रही है ।
10). NCERT की किताबों में हिन्दुत्व के गौरव का बखान नहीं । स्कूलों में बच्चों को गलत इतिहास पढ़ाया जाता है । हिन्दुत्व का गौरव और हिन्दू शूरवीरों को उचित सम्मान नहीं मिला। बच्चों को सही जानकारी नही मिल पा रही है।
🚩11). न्यायपालिका भी जल्लीकट्टू पर फैसला दे देती है । दीपावली पर पटाखें चलाने और बेचने पर रोक लगाई जा सकती है । जन्माष्टमी पर दही हांडी नही खेलो, होली पर पानी खराब होता है ये खबर मीडिया दिखाती है, दीपावली पर पर्यावरण दूषित होता है ये खबर मीडिया खूब दिखाती है । कुल मिलाकर हिन्दू त्यौहारों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती ।
दूसरी तरफ ईद पर जो करोड़ों पशु मारे जाते हैं, न्यू ईयर और क्रिसमस पर पूरे रात पटाखें छोड़े जाते हैं, अरबों रुपये का दारू पिया जाता है, वैलेंटाइन डे पर कुँवारी कन्याएं माता बन जाती हैं, इस पर ना तो मीडिया में कोई खबर आती है ना ही कोई कुछ बोलता है। और तो और कोर्ट भी तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों पर निर्णय लेने से मना कर देता है, बोलते हैं ये उनका मजहब का मामला है  ये सरासर हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है ।
🚩12). सबरीमाला पर तो हिंदुओं के खिलाफ निर्णय आ गया पर राम मंदिर का मुद्दा अब केवल वोटबैंक की राजनीति तक सीमित रह गया है । ना ही अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है ना ही कोई आस दिख रही है। सरकार आ रही है जा रही है, हिंदुओं की भावनाओं से किसी को कोई मतलब नहीं ।
13). ऋषि मुनियों ने गाय की महिमा को जाना इसी कारण हिन्दू धर्म ने गाय को माता का दर्जा दिया है। गौमाता ने हमारी कितनी पीढ़ियों का पालन पोषण किया है। पंचगव्य तो अमृत के समान है और कितनी ही आयुर्वेदिक दवाइयों में प्रयोग होते है। गौमूत्र से कैंसर जैसी बीमारी का इलाज संभव है। अमेरिका का भी गौझरन का खूब उपयोग कर रही है।
🚩पर भारत में गौमाँस के लिए गायों को मारा जा रहा है । कत्लखानों में गाय काटी जा रही है । पर सरकार के कान में जूं भी नहीं रेंग रही । गौरक्षा के लिए अब तक कोई कानून नहीं बनाया ।
बाघ को राष्ट्रीय पशु बनाया गया पर इतनी लाभकारी और हितैषी गौमाता को राष्ट्रीय पशु क्यों नहीं बनाया जा रहा । इससे गौहत्या बन्द हो जाएगी और गौमाता को सम्मान भी मिलेगा ।
🚩पता नहीं आज़ादी के सत्तर साल बाद भी गौमाता को सम्मान क्यों नहीं, गौमाता की स्थिति आज भी इतनी दयनीय क्यों ? कब तक हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ होगा ?
🚩14). हिन्दू सन्तों को झूठे केसों में फँसाया जा रहा है, झूठी खबर दिखाकर उनको बदनाम किया जा रहा है। साध्वी प्रज्ञा, असीमानन्द जी, जयेन्द्र सरस्वती जी, हिंदू संत आसाराम बापू, स्वामी नित्यानंद जी और कितने ही सन्त झूठे आरोपों के शिकार हुए और आखिर में निर्दोष सिद्ध हुए ।
दूसरी और पादरी और मौलवी कितने कुकर्म करते हैं पर मीडिया में कोई खबर तो नहीं आती है और उनको जमानत भी बड़ी आसानी से मिल जाती है । वहीं हिन्दू सन्तों निर्दोष होते हुए भी जेल की यातना भुगतते है ।
🚩सारांश ये है कि देश में हिंदुओं की स्थिति दिन बदिन खराब हो रही है । ये एक चिंतनीय विषय है कि हिन्दू अब अपने ही देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं । अब समय आ गया है कि हिन्दू संगठित हों और अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाएं ।
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