Saturday, March 23, 2019

हिन्दू संस्कृति पर कैसे हो रहा है प्रहार, कवि ने लिखी कविता,जो हमें पढ़नी चाहिए

23 मार्च 2019
www.azaadbharat.org
🚩भारतीय संस्कृति अति प्राचीन और महान से भी महान है पर उसको तोड़ने के लिए अनेक दुष्ट शक्तियां लगी हुई हैं । सदियों से चारों तरफ से प्रहार किया जा रहा है । अभी हाल ही में, ईसाई मिशनरियां, विदेशी कंपनियां, इस्लामिक स्टेट, जिहाद, वामपंथी, सेकुलर, राष्ट्र विरोधी ताकतें आदि आदि संस्कृति को नष्ट करने में लगी हुई हैं, उसे रोकने के लिए हिंदू साधु-संत पुरजोर प्रयत्न कर रहे हैं, जनता में जागरूकता पैदा कर रहे हैं, उनके खिलाफ लोहा ले रहे हैं तो उन साधु-संतों के खिलाफ ही षड्यंत्र रचे जा रहे हैं ।

🚩जो भी हिंदू साधु-संत इन षड्यंत्रों के खिलाफ आवाज उठाता है उनको मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है फिर झूठे केस बनाकर जेल भेजा जाता है, कईयों की हत्या कर दी जाती है इससे आहत होकर कवि ने एक कविता लिखी है जो हर हिंदुस्तानी को पढ़नी चाहिए ।
🚩बहुत बन चुके हो मूर्ख, अब और मूर्ख ना बन ए हिन्दू।
संत हैं तो संस्कृति है, संत हैं सनातन धर्म के केंद्र बिन्दु।।
जब-जब किसी संत ने हिन्दुत्व को विख्यात किया।
तब-तब षड़यंत्र कर उन संत पर प्रतिघात किया।।
🚩ऐसी कितनी ही घटनाएँ, इतिहास में भरी पड़ी हैं ।
अब तो सबक लो, आन पड़ी फैसले की घड़ी है।।
संदेह करो तुम संतों पर, यही चाहते हैं षड़यंत्रकारी ।
मत करो संतों का अपमान, यह नहीं  होगी समझदारी।।
🚩महात्मा बुद्ध को जब हुआ आत्मज्ञान, धर्म का प्रचार किया।
स्थापना कर बौद्ध धर्म की, मानवता पर उपकार किया।।
आँख ना भाया जब षड़यंत्रकारियों को ये काम।
वेश्यागमन का इल्ज़ाम लगाकर करना चाहा उन्हें बदनाम।।
🚩ब्रह्मज्ञानी संत कबीरदास, जिनकी रचनाएँ ज्ञान का सागर।
धन्य हो गई मानवता, उनके द्वारा ये ब्रह्मज्ञान पाकर।।
षड़यंत्रकारियों को कैसी भाती, हिन्दू धर्म की ये ऊँचाई।
लगाकर इन पर झूठे इल्ज़ाम, फिर धर्म को क्षति पहुँचाई।।
🚩स्वामी विवेकानन्द ने 1893 में, हिन्दुत्व का डंका बजाया।
विश्व धर्म परिषद में, हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
देखकर उन पर अत्याचार प्रताड़ना, धरती माता भी हिली।
अपने गुरू की समाधि के लिए, इन्हें एक गज जगह नहीं मिली।।
🚩1993 में संत आशाराम बापूजी ने, फिर इतिहास को दोहराया।
विश्व धर्म परिषद में, फिर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।।
करोड़ों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया, चलाए हजारों बालसंस्कार।
मानवता की निस्वार्थ सेवा की, किया गरीबों का उद्धार।।
🚩धर्मांतरण का विरोध किया, जो ईसाई मिशनरियों को नहीं सुहाया।
तब रचा गहरा षड़यंत्र, उन पर बलात्कार का झूठा आरोप लगवाया।।
निस्वार्थ सेवा करने वाले, संत को भिजवा दिया जेल।
उम्रकैद की सजा दिलवा दी, रचा बहुत ही गहरा खेल।।
🚩पूर्ण ब्रह्मज्ञानी संत है बापूजी, इनके साधक भी परम विवेकी।
कानून का कर रहे सम्मान, न्यायव्यवस्था की नहीं की अनदेखी।।
बापूजी तो जेल में भी कैदियों का पुनः उद्धार कर रहे।
बहाकर अपने ज्ञान की गंगा, जेल को हरिद्वार कर रहे।।
- कवि सुरेंद्र कुमार
🚩कवि की बात सहीं है, सदियों से हिन्दू संस्कृति पर प्रहार हो रहा है और उसको रोकने के लिए जो भी साधु-संत आगे आये उनके ऊपर षड्यंत्र हुआ है, हम सभी को मिलकर उसका सामना करना चाहिए ।
🚩समाज व राष्ट्र में व्याप्त दोषों के मूल को देखा जाये तो सिवाय अज्ञान के उसका अन्य कोई कारण ही नहीं निकलेगा और अज्ञान तब तक बना ही रहता है जब तक कि किसी अनुभवनिष्ठ ज्ञानी महापुरुष का मार्गदर्शन लेकर लोग उसे सच्चाई से आचरण में नहीं उतारते ।
🚩समाज जब ऐसे किसी ज्ञानी संतपुरुष का शरण, सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षड्यंत्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।
ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षड्यंत्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं।
🚩एक के बाद एक निर्दोष हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म खत्म करने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ हिन्दू संतों को टारगेट किया जा रहा है, हिन्दुस्तानी अब इस षड्यंत्र को समझो और उसका विरोध करो तभी हिन्दू संस्कृति बच पाएगी ।
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Friday, March 22, 2019

राष्ट्र विरोधी शक्ति हुई परास्त, हिंदुओं की हुई विजय

21 मार्च 2019
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🚩पूरी दुनिया में हिन्दू ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो कभी किसी का भी बुरा न सोचता है और ना ही करता है, फिर भी कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें अपने देश में बैठे गद्दारों से मिलकर हिंदुत्व पर प्रहार करते रहते हैं ।
🚩आपको बता दें कि जॉइंट इंटेलीजेंसी कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस.डी. प्रधान ने देश में भगवा आतंक की थ्योरी को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं ।

🚩उन्होंने भी स्पष्ट बताया है कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मालेगाँव ब्लास्ट, इशरतजहाँ मामला का पहले से ही हमें पता था और अमेरिकन खुफिया विभाग ने भी बताया था कि ये सब घटनाएं होने वाली थी और ये पाकिस्तान करवा रहा है और हमने तत्कालीन गृहमंत्री पी.चिदंबरम को बताया भी था, लेकिन उन्होंने राजनैतिक फायदे के लिए तथा भगवा आतंकवाद सिद्ध करने के लिए डी.जी.वंजारा, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानन्द, शंकराचार्य अमृतानन्दजी, कर्नल पुरोहित आदि को जेल भिजवा दिया था ।
🚩बता दें कि हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए फर्जी केस बनाकर हिन्दू संत आसारामजी बापू और उनके बेटे को भी जेल भेजा गया ।
🚩साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जेल से जब बाहर आई तो कहा कि कांग्रेस के तात्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद की परिभाषा गढ़ी थी और मुझे फंसाने की साजिश की थी, लेकिन कोर्ट में इतना तो साबित हो गया कि कोई भगवा आतंकवाद नहीं होता । साध्वी ने बताया था कि बापू आसारामजी भी निर्दोष है उनको षड्यंत तहत फँसाया गया है ।
*🚩स्वामी असीमानंद समेत सभी बरी:-
वर्ष 2007 के समझौता ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में स्वामी असीमानंद के अलावा लोकेश शर्मा, कमल चौहान और रजिंदर चौधरी मुख्य आरोपी थे ।
🚩इस मामले पर 14 मार्च को फैसला आना था, हालांकि पाकिस्तानी महिला वकील ने ईमेल के जरिए याचिका दायर की थी कि उनके पास इस मामले के पर्याप्त सबूत हैं । उनके दावे के बाद मामले की सुनवाई को 20 मार्च तक के लिए टाल दिया गया था । न्यायालय ने बुधवार को महिला की याचिका को सीआरसीपीसी की धारा 311 के तहत खारिज कर दिया ।
🚩समझौता एक्सप्रेस विस्फोट एक आतंकवादी घटना थी जिसमें 18 फरवरी 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुआ था। यह ट्रेन दिल्ली से पाकिस्तान जा रही थी ।
🚩विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग़ थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था । विस्फोट से लगी आग में 68 व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 13 अन्य घायल हो गए थे । मारे गए ज्यादातर लोग पाकिस्तानी नागरिक थे ।
🚩समझौता ब्लास्ट केस में इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह ने एक बड़ा खुलासा किया था कि समझौता ब्लास्ट केस को बहाना बनाकर हिन्दू आतंकवाद का जुमला इजाद किया गया । पाकिस्तानियों को बचाने के लिए और हिन्दुस्तानियों को फंसाने के लिए 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट का इस्तेमाल किया गया । इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया । इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद जी को  फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद को अमली जामा पहनाया जा सके ।
स्वामी असीमानंद जी सहित 4 बरी तो हो गये लेकिन उनको सालों तक बिना सबूत जेल में रखा गया, क्या उनका वो कीमती समय क्या कानून लौटा पायेगा ???
🚩मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उनको कई जगह से निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी हिन्दू साधु-संत पर आरोप लगता है तो मीडिया उनकी समाज में इतनी बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हो । पर जब वही संत निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है ।
विचार कीजिये, क्या सिर्फ हिन्दू संतों को बदनाम करने का मीडिया का एजेंडा है..???
🚩कछुवा छाप चाल चलने वाली हमारी न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर हिन्दू संतों को न्याय नहीं दे पाती है ।
और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय मिलना न मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या देरी से न्याय मिलना अन्याय नहीं है ??? अभी भी कुछ संत जेल में हैं । उनके लिए अब देखना ये है कि हिन्दुत्वादी कहलाने वाली सरकार #कब इन हिन्दू संतों को भी न्याय दिलवाती है..???
🚩कांग्रेस सरकार ने तो षड्यंत्र करके हिन्दू सन्तों को जेल भेज दिया था पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है , ये देखना है ।
निर्दोष संतों की जल्द से जल्द ससम्मान रिहाई कब करवाती है इसी बात पर सभी हिंदुओं की निगाहें टिकी हैं ।
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Thursday, March 21, 2019

पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइए कालसर्पदोष से मुक्ति

20 मार्च 2019
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🚩होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।
https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।
इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।
🚩कालसर्प दोष से मुक्ति

🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं ।  कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।
🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति
🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।
🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।
🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।
🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।
🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।
🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।
🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।
🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।
🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।
🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।
🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।
🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।
पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)
🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।
🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।
🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???
🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।
🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता । आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?
🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।
🚩ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?
🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो....त्यौहार नहीं ।
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