Tuesday, April 23, 2019

संत आत्मबोधानंदजी 180 दिनों से गंगा नदी की स्वच्छता के लिए कर रहे हैं, भूख हड़ताल

23 अप्रैल 2019 

🚩‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तटपर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है । इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है । वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं । उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है, लेकिन मां गंगा की स्वच्छता रह नहीं पा रही है यह एक अत्यंत गंभीर मुद्दा हैं ।
🚩आपको बता दें कि स्वच्छ और निर्मल गंगा के लिए संत आत्माबोधानंद पिछले 180 दिनों से अनशन पर बैठे हैं । केरल के रहने वाले संत ने अब गंगा सफाई की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं होती देख कर जल त्यागने का निर्णय किया है। संत आत्माबोधानंद ने इस संबंध में नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है । टीओआई से बातचीत में संत ने कहा, ‘मैंने गंगा की सफाई की सभी उम्मीद छोड़ दी है और इस पवित्र नदी के लिए अपनी जान देने में मुझे कोई डर नहीं है ।’

🚩संत आत्माबोधानंद ने कहा कि, उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को पत्र लिखा है । संत का कहना है कि, वह भले ही स्वच्छ गंगा के लिए अनशन कर रहे हैं, लेकिन न तो केंद्र सरकार और ना ही राज्य सरकार ने गंगा की सफाई को लेकर उनकी मांगों पर ध्यान दिया है । उन्होंने अपने पत्र में 11 मांगें रखी हैं ।

🚩पत्र में संत ने लिखा है कि, आपकी गंगा को साफ नहीं करने की मंशा के कारण 27 अप्रैल से जल त्यागकर अपनी जान देने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है । पत्र में गंगा और उसकी सभी सहायक नदियों (भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, पिंडर और धौलीगंगा) पर बने मौजूदा बांधों और प्रस्तावित परियोजनाओं को रद्द करने को कहा है ।

🚩पत्र में गंगा के मैदानी क्षेत्रों (विशेषकर हरिद्वार में) खनन और वनों को काटने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है । इसके अलावा नदी के संरक्षण के लिए गंगा एक्ट को लागू करने व स्वायत्त गंगा भक्त परिषद् का गठन करने की भी मांग शामिल है । संत ने कहा कि, सरकार ने स्व. जीडी अग्रवाल जी से वादा किया था कि प्रस्तावित जल बिजली परियोजना का निर्माण नहीं किया जाए और खनन पर भी रोक लगेगी, लेकिन हरिद्वार में स्थिति बिल्कुल ही अलग है ।

🚩यहां खनन जारी रहने के साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नमामि गंगे निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है । आत्माबोधानंद ने कहा कि, वह जल का त्याग करना विरोध का सबसे कड़ा रूप है जिससे मैं भी अग्रवाल जी की तरह अपने शरीर को गंगा को बचाने के लिए त्याग दूंगा । उन्होंने दावा किया कि गंगा के आसपास बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन के निर्माण कार्य जारी है । गंगा तेजी से अपने औषधीय गुणों को खो रही है और इसका पानी भी पीने लायक नहीं बचा है ।
स्त्रोत : जनसत्ता

🚩भारत का हर बारहवां व्यक्ति गंगा के किनारे रहता है ।  20 लाख लोग औसतन प्रति दिन गंगा स्नान करते हैं, त्यौहारों पर यह संख्या करोड़ों हो जाती है, लेकिन उसमें कत्लखानें का पानी एवं गंदे नाले का पानी और कचरा फैंकने के कारण इतनी गंदगी हो गई है कि सफाई करने के नाम पर सरकार करोड़ों रूपये आवंटित करती है, लेकिन भ्रष्ट तंत्र के कारण माँ गंगा में अभी तक सफाई नहीं हो पाई है ।

🚩करोड़ों हिंदुस्तानियों की आस्था माँ गंगा से जुड़ी है, गंगा सफाई के लिए पहले भी एक संत ने अपना प्राण त्याग दिया है अब संत आत्माबोधानंद जो अनशन कर रहे हैं, उनकी बातों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए उनकी मांगे पूरी करनी चाहिए । एक संत- मां गंगा और करोड़ों लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए शीघ्र गंगा सफाई करवानी चाहिए ।

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Sunday, April 21, 2019

साध्वी प्रज्ञा ने जेल में रहते हुए जो चिट्ठी लिखी थी, पढ़ोगे तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे

20 अप्रैल 2019 

🚩साध्वी प्रज्ञा सिंह ने जेल में रहते हुए जो 2013 में चिट्ठी लिखी थी, उसे हर हिंदुस्तानी को पढ़ना चाहिए जिससे हिंदू धर्मगुरुओं पर कितना अत्याचार होता है वह पता चल जाएगा ।

🚩आइए जानते हैं क्या लिखा था साध्वी ने...
🚩मैं साध्वी प्रज्ञा चंद्रपाल सिंह ठाकुर,
उम्र-38 साल, पेशा-कुछ नहीं,
7 गंगा सागर अपार्टमेन्ट, कटोदरा, सूरत, गुजरात राज्य की निवासी हूं, जबकि मैं मूलतः मध्य प्रदेश की निवासिनी हूं । कुछ साल पहले हमारे अभिभावक सूरत आकर बस गए । पिछले कुछ सालों से मैं अनुभव कर रही थी कि भौतिक जगत से मेरा कटाव होता जा रहा था, आध्यात्मिक जगत लगातार मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था । इसके कारण मैंने भौतिक जगत को अलविदा करने का निश्चय कर लिया और 30-01-2007 को संन्यासिन हो गयी ।

🚩7-10-2008 को जब मैं अपने जबलपुर के आश्रम में थी तो शाम को महाराष्ट्र से एटीएस के एक पुलिस अधिकारी का फोन मेरे पास आया जिन्होंने अपना नाम सावंत बताया । वे मेरी एलएमएल फ्रीडम बाईक के बारे में जानना चाहते थे । मैंने उनसे कहा कि वह बाईक तो मैंने बहुत पहले बेच दी है । अब मेरा उस बाईक से कोई नाता नहीं है । फिर भी उन्होंने मुझे कहा कि अगर मैं सूरत आ जाऊं तो वे मुझसे कुछ पूछताछ करना चाहते हैं । मेरे लिए तुरंत आश्रम छोड़कर सूरत जाना  संभव नहीं था इसलिए मैंने उन्हें कहा कि हो सके तो आप ही जबलपुर आश्रम आ जाइए, आपको जो कुछ पूछताछ करनी है कर लीजिए, लेकिन उन्होंने जबलपुर आने से मना कर दिया और कहा कि जितनी जल्दी हो आप सूरत आ जाइए ।

🚩फिर मैंने ही सूरत जाने का निश्चय किया और ट्रेन से उज्जैन के रास्ते 10-10-2008 को सुबह सूरत पहुंच गयी । रेलवे स्टेशन पर भीमाभाई पसरीचा मुझे लेने आए थे । उनके साथ मैं उनके निवासस्थान एटाप नगर चली गयी । यहीं पर सुबह के कोई 10 बजे मेरी सावंत से मुलाकात हुई जो एलएमएल बाईक की खोज करते हुए पहले से ही सूरत में थे । सावंत से मैंने पूछा कि मेरी बाईक के साथ क्या हुआ और उस बाईक के बारे में आप पड़ताल क्यों कर रहे हैं ? श्रीमान सावंत ने मुझे बताया कि पिछले सप्ताह सितंबर में मालेगांव में जो विस्फोट हुआ है उसमें वही बाईक इस्तेमाल की गयी है । यह मेरे लिए भी बिल्कुल नयी जानकारी थी कि मेरी बाईक का इस्तेमाल मालेगांव धमाकों में किया गया है । यह सुनकर मैं सन्न रह गयी. मैंने सावंत को कहा कि आप जिस एलएमएल फ्रीडम बाईक की बात कर रहे हैं उसका रंग और नंबर वही है जिसे मैंने कुछ साल पहले बेच दिया था । 

🚩सूरत में सावंत से बातचीत में ही मैंने उन्हें बता दिया था कि वह एलएमएल फ्रीडम बाईक मैंने अक्टूबर 2004 में ही मध्यप्रदेश के श्रीमान जोशी को 24 हजार में बेच दी थी ।  उसी महीने में मैंने आरटीओ के तहत जरूरी कागजात (टीटी फार्म) पर हस्ताक्षर करके बाईक की लेन-देन पूरी कर दी थी । मैंने साफ तौर पर सावंत को कह दिया था कि अक्टूबर 2004 के बाद से मेरा उस बाईक पर कोई अधिकार नहीं रह गया था । उसका कौन इस्तेमाल कर रहा है इससे भी मेरा कोई मतलब नहीं था, लेकिन सावंत ने कहा कि वे मेरी बात पर विश्वास नहीं कर सकते । इसलिए मुझे उनके साथ मुंबई जाना पड़ेगा ताकि वे और एटीएस के उनके अन्य साथी इस बारे में और पूछताछ कर सकें । पूछताछ के बाद मैं आश्रम आने के लिए आजाद हूं ।

🚩यहां यह ध्यान देने की बात है कि सीधे तौर पर मुझे 10-10-2008 को गिरफ्तार नहीं किया गया । मुंबई में पूछताछ के लिए ले जाने की बाबत मुझे कोई सम्मन भी नहीं दिया गया, जबकि मैं चाहती तो मैं सावंत को अपने आश्रम ही आकर पूछताछ करने के लिए मजबूर कर सकती थी क्योंकि एक नागरिक के नाते यह मेरा अधिकार है, लेकिन मैंने सावंत पर विश्वास किया और उनके साथ बातचीत के दौरान मैंने कुछ नहीं छिपाया । मैं सावंत के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो गयी । सावंत ने कहा कि मैं अपने पिता से भी कहूं कि वे मेरे साथ मुंबई चलें । मैंने सावंत से कहा कि उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उनको साथ लेकर चलना ठीक नहीं होगा । इसकी बजाय मैंने भीमाभाई को साथ लेकर चलने के लिए कहा जिनके घर में एटीएस मुझसे पूछताछ कर रही थी । शाम को 5.15 मिनट पर मैं, सावंत और भीमाभाई सूरत से मुंबई के लिए चल पड़े । 10 अक्टूबर को ही देर रात हम लोग मुंबई पहुंच गये । मुझे सीधे कालाचौकी स्थित एटीएस के आफिस ले जाया गया था । इसके बाद अगले दो दिनों तक एटीएस की टीम मुझसे पूछताछ करती रही । उनके सारे सवाल 29-9-2008 को मालेगांव में हुए विस्फोट के इर्द-गिर्द ही घूम रहे थे 
 मैं उनके हर सवाल का सही और सीधा जवाब दे रही थी । अक्टूबर को एटीएस ने अपनी पूछताछ का रास्ता बदल दिया । अब उसने उग्र होकर पूछताछ करना शुरू किया । पहले उन्होंने मेरे शिष्य भीमाभाई पसरीचा (जिन्हें मैं सूरत से अपने साथ लाई थी) से कहा कि वह मुझे बेल्ट और डंडे से मेरी हथेलियों, माथे और तलुओं पर प्रहार करे । जब पसरीचा ने ऐसा करने से मना किया तो एटीएस ने पहले उसको मारा-पीटा । आखिरकार वह एटीएस के कहने पर मेरे ऊपर प्रहार करने लगा । कुछ भी हो, वह मेरा शिष्य है और कोई शिष्य अपने गुरू को चोट नहीं पहुंचा सकता. इसलिए प्रहार करते वक्त भी वह इस बात का ध्यान रख रहा था कि मुझे कोई चोट न लग जाए । इसके बाद खानविलकर ने उसको किनारे धकेल दिया और बेल्ट से खुद मेरे हाथों, हथेलियों, पैरों, तलुओं पर प्रहार करने लगा । मेरे शरीर के हिस्सों में अभी भी सूजन मौजूद है ।

🚩13 तारीख तक मेरे साथ सुबह, दोपहर और रात में भी मारपीट की गयी । दो बार ऐसा हुआ कि भोर में चार बजे मुझे जगाकर मालेगांव विस्फोट के बारे में मुझसे पूछताछ की गयी । भोर में पूछताछ के दौरान एक मूंछवाले आदमी ने मेरे साथ मारपीट की जिसे मैं अभी भी पहचान सकती हूं । इस दौरान एटीएस के लोगों ने मेरे साथ बातचीत में बहुत भद्दी भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । मेरे गुरू का अपमान किया गया और मेरी पवित्रता पर सवाल किए गए । मुझे इतना परेशान किया गया कि मुझे लगा कि मेरे सामने आत्महत्या करने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा है । 14 अक्टूबर को सुबह मुझे कुछ जांच के लिए एटीएस कार्यालय से काफी दूर ले जाया गया जहां से दोपहर में मेरी वापसी हुई । उस दिन मेरी पसरीचा से कोई मुलाकात नहीं हुई । मुझे यह भी पता नहीं था कि वे (पसरीचा) कहां हैं । 

🚩15 अक्टूबर को दोपहर बाद मुझे और पसरीचा को एटीएस के वाहनों में नागपाड़ा स्थित राजदूत होटल ले जाया गया जहां कमरा नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशः बंद कर दिया गया । यहां होटल में हमने कोई पैसा जमा नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के लिए कोई खानापूर्ति की । सारा काम एटीएस के लोगों ने ही किया । मुझे होटल में रखने के बाद एटीएस के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन दिया । एटीएस ने मुझे इसी फोन से अपने कुछ रिश्तेदारों और शिष्यों (जिसमें मेरी एक महिला शिष्य भी शामिल थी) को फोन करने के लिए कहा और कहा कि मैं फोन करके लोगों को बताऊं कि मैं एक होटल में रूकी हूं और सकुशल हूं । मैंने उनसे पहली बार यह पूछा कि आप मुझसे यह सब क्यों कहलाना चाह रहे हैं ? समय आनेपर मैं उस महिला शिष्य का नाम भी सार्वजनिक कर दूंगी । 

एटीएस की इस प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और किडनी में दर्द शुरू हो गया । मुझे भूख लगनी बंद हो गयी । मेरी हालत बिगड़ रही थी । होटल राजदूत में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जिसका नाम सुश्रुसा हास्पिटल था । मुझे आईसीयू में रखा गया । इसके आधे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पसरीचा भी अस्पताल में लाए गए और मेरे लिए जो कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही थी वह एटीएस ने भीमाभाई से पूरी करवाई । जैसा कि भीमाभाई ने मुझे बताया कि श्रीमान खानविलकर ने हास्पिटल में पैसे जमा करवाए, इसके बाद पसरीचा को एटीएस वहां से लेकर चली गयी जिसके बाद से मेरा उनसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है । इस अस्पताल में कोई 3-4 दिन मेरा इलाज किया गया ।यहां मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो मुझे यहां से एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जिसका नाम मुझे याद नहीं है । यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन दिन मेरा ईलाज किया गया ।

🚩इस दौरान मेरे साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रखी गयी । न ही होटल राजदूत में और न ही इन दोनों अस्पतालों में । होटल राजदूत और दोनों अस्पताल में मुझे स्ट्रेचर पर लाया गया, इस दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े से ढंककर रखा गया. दूसरे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे फिर एटीएस के आफिस कालाचौकी लाया गया । इसके बाद 23-10-2008 को मुझे गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तारी के अगले दिन 24-10-2008 को मुझे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश हुआ । 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोड़िये अपने परिवारवालों से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी । 

🚩मुझे बिना कानूनी रूप से गिरफ्तार किए ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैफिक टेस्ट किया गया । इसके बाद 1-11-2008 को दूसरा पालिग्राफिक टेस्ट किया गया । इसी के साथ मेरा नार्को टेस्ट भी किया गया । मैं कहना चाहती हूं कि मेरा लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को एनेल्सिस टेस्ट बिना मेरी अनुमति के किये गये । सभी परीक्षणों के बाद भी मालेगांव विस्फोट में मेरे शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल रहा था । आखिरकार 2 नवंबर को मुझे मेरी बहन प्रतिभा भगवान झा से मिलने की इजाजत दी गयी ।

🚩मेरी बहन अपने साथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उसने और उसके पति ने वकील गणेश सोवानी से तैयार करवाया था । हम लोग कोई निजी बातचीत नहीं कर पाए क्योंकि एटीएस को लोग मेरी बातचीत सुन रहे थे । आखिरकार 3 नवंबर को ही सम्माननीय अदालत के कोर्ट रूम में मैं चार-पांच मिनट के लिए अपने वकील गणेश सोवानी से मिल पायी । 10 अक्टूबर के बाद से लगातार मेरे साथ जो कुछ किया गया उसे अपने वकील को मैं चार- पांच मिनट में ही कैसे बता पाती? इसलिए हाथ से लिखकर माननीय अदालत को मेरा जो बयान दिया था उसमें विस्तार से पूरी बात नहीं आ सकी । इसके बाद 11 नवंबर को भायखला जेल में एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में मुझे अपने वकील गणेश सोवानी से एक बार फिर 4-5 मिनट के लिए मिलने का मौका दिया गया म इसके अगले दिन 13 नवंबर को मुझे फिर से 8-10 मिनट के लिए वकील से मिलने की इजाजत दी गयी । इसके बाद शुक्रवार 14 नवंबर को शाम 4.30 मिनट पर मुझे मेरे वकील से बात करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया गया जिसमें मैंने अपने साथ हुई सारी घटनाएं सिलसिलेवार उन्हें बताई, जिसे यहां प्रस्तुत किया गया है । - साध्वी प्रज्ञा ठाकुर

🚩वर्तमान में साध्वी प्रज्ञा चुनावी मैदान में है उसको लेकर सेकुलर, वामपंथी, मीडिया आदि साध्वी के खिलाफ कैम्पियन चला रहे हैं, पर साध्वी को कितना प्रताड़ित किया गया उसपर कोई नहीं बोल रहा है ।

🚩भारतीय संस्कृति को खत्म करने के लिए अनेक षडयंत्र चल रहे है और उसकी रक्षा साधु-संत करते है इसलिए उनको टारगेट बनाया जाता है अतः हिंदुस्तानी सावधान रहें ।

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Saturday, April 20, 2019

आपको भी जानना बेहद जरूरी है कि क्या देश में कानून समान है ?

20 अप्रैल 2019 

🚩देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों पर जब आरोप लगता है तब तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक बहुत बड़े वर्ग से सुनने को मिलता है कि कानून अपना काम कर रहा है क़ानून सबके लिए समान है, लेकिन वास्तव में क्या कानून सबके लिए एक है कि नहीं या क़ानून के रखवाले केवल समान बोलते ही हैं कि उसका पालन करते हैं या नहीं, ये आपको जानना चाहिए ।

🚩सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं । कुछ वेबसाइट्स में प्रकाशित इस ख़बर के बाद सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को तीन जजों की बेंच बैठी ।

🚩सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने अवकाश के दिन मामले पर गौर किया ।

🚩आरोप लगाने वाली महिला ने एक चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट के सभी 22 जजों को भेजी है जिसमें जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न करने, इसके लिए राज़ी न होने पर नौकरी से हटाने और बाद में उन्हें और उनके परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं ।

🚩यौन उत्पीड़न के आरोप पर चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत गंभीर ख़तरे में है और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने की एक 'बड़ी साजिश' है ।

🚩चीफ़ जस्टिस का कहना है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कुछ बड़ी ताक़तें हैं । वो कहते हैं कि अगर न्यायाधीशों को इस तरह की स्थिति में काम करना पड़ेगा तो अच्छे लोग कभी इस ऑफ़िस में नहीं आएंगे ।

🚩आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के  सेवानिवृत्त जज गांगुली पर एक स्नातक छात्रा की ओर से यौन शोषण के आरोप लगे थे, लेकिन साथ ही कोर्ट ने इस बारे में कोई कार्यवाही न करने में असमर्थता जताई थी ।

🚩बता दें कि जब किसी नेता, अभिनेता या जज या पत्रकार या मुस्लिम और इसाई धर्मगुरु आदि पर आरोप लगते हैं तब  सभी बुद्धजीवी बोलते हैं कि जांच चल रही है, कानून अपना काम कर रहा है दोषी पाने पर सजा मिलेगी, कानून सबके लिए समान है आदि-आदि नारे बोलने लग जाते हैं, लेकिन जैसे किसी हिंदुनिष्ठ या हिंदू साधु-संत पर आरोप लगते हैं तो सभी बोलने लग जाते हैं कि आरोपी पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है, ये शर्मनाक बात है आदि-आदि, कुछ इस तरह के नारे लगते हैं और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया जाता है और सालों तक जमानत भी नहीं दी जाती है ।

🚩जैसे कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी पर हत्या का आरोप लगा और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया फिर वे निर्दोष बरी हुए ।

🚩वैसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, स्वामी नित्यानंद, डीजी वंजारा जी आदि को भी सालों तक जेल में प्रताड़ित किया गया और आखिर में निर्दोष बरी हुए।

🚩अभी वर्तमान में हिंदू संत आसाराम बापू का केस तो आप देख ही रहे हैं, आरोप लगते ही आधी रात में गिरफ्तार कर लिया, 5 साल तक ट्रायल चला, लेकिन एक दिन भी उनको जमानत नहीं दी, जबकि उनकी उम्र 80 साल से ऊपर है, उनकी पत्नी बीमार है, उनका सगे भांजे की मृत्य भी हो गई फिर भी जमानत नहीं मिल पाई । दूसरी ओर सलमान खान को सजा होने के बाद भी 1 घण्टे में ही जमानत मिल जाती है, संजय दत्त को बार-बार पेरोल मिल जाती है, लालू को सजा होने के बाद बेटे की शादी में जाने के लिए जमानत मिल जाती है, पत्रकार तरुण तेजपाल पर आरोप सिद्ध होने के बाद भी जमानत मिल जाती है, इससे साफ सिद्ध होता है कि कानून केवल समान बोला जा रहा है पर कानून व्यवस्था देखने वाले समानता का व्यवहार नहीं कर रहे हैं ।

🚩देश में कई ऐसे कैदी हैं जिनके पास वकील रखने व जमानत लेने के पैसे नहीं हैं इसलिए जेल में सड़ रहे हैं, वे बाहर नहीं आ पा रहे हैं । किसी आम आदमी पर आरोप लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाता है पर बड़े नेता-अभिनेता, पत्रकार, जज आदि की गिरफ्तारी से पहले ही जमानत हासिल हो जाती है ।

🚩इन सब बातों से साफ पता चलता है कि कानून समान बोला जा रहा है पर उसका पालन नहीं हो रहा है इससे हिंदुनिष्ठ और आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह जनता के लिए दुःखद बात है इसपर सरकार और न्यायलय को ठोस कदम उठाना चाहिए नहीं तो एक के बाद एक निर्दोष पीड़ित होते रहेंगे ।

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पाकिस्तान में एक और हिन्दू किशोरी का अपहरण, लंदन में उठी आवाज

19 अप्रैल 2019 

🚩मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं । धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं । 95 प्रतिशत हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए हैं । हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं । हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर शादी कर लेते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं ।
🚩पाकिस्तान में एक और हिन्दू किशोरी के अपहरण का मामला सामने आया है । पंजाब प्रांत के रहीम यार जिले में 17 साल की लड़की का एक दबंग मुस्लिम व्यक्ति ने अपहरण कर लिया । इसके बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सड़क पर उतर आए और इसके खिलाफ प्रदर्शन किया । लड़की की सुरक्षित रिहाई के लिए हिन्दू समुदाय के लोग गुरुवार को धरने पर बैठ गए और शहर की मुख्य सड़क को जाम कर दिया ।

🚩मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हिन्दू किशोरी के अपहरण की यह घटना पिछले महीने की है । लड़की के परिजनों ने इस सिलसिले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है । राजधानी लाहौर से करीब 400 किलोमीटर दूर रहीम यार खान जिले में गुरुवार को अल्पसंख्यक समुदाय के लोग धरने पर बैठ गए ।

🚩पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, ताहिर ताम्री ने अपने पिता और भाई की मदद से पिछले महीने किशोरी का अपहरण किया । इसके बाद उसे कराची ले गए और उससे शादी कर उसे इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया । अपहरणकर्ताओं ने लड़की से निकाह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया है । बताते चलें कि पिछले महीने सिंध प्रांत में तीन हिन्दू किशोरियों के अपहरण की घटनाएं सामने आई थीं ।
स्त्रोत : अमर उजाला

🚩पाकिस्तान के दूर-दराज और देहात के इलाकों में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उनके लिए परेशानियां खड़ी करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं है । पाकिस्तान में ऐसे बहुत से हिन्दू मां-बाप हैं, जिनके ना चाहते हुए भी उनकी बेटियों को मुस्लिम सूदखोर उठाकर ले जाते हैं ।

🚩लंदन में विरोध प्रदर्शन

पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के विरोध में सिंधी महिलाओं ने लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया । यह प्रदर्शन अंतर्राष्ट्रीय सिंधी महिला संगठन (ISWO) के तत्वाधान में शनिवार को आयोजित किया गया । विरोध के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने अन्याय के खिलाफ और अपराधियों के खिलाफ नारे लगाए । महिलाओं ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमें सिंध में हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्मपरिवर्तन और उनका अपहरण रोकने की मांग की गई है । महिला प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सिंधी हिन्दुओं को पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर करने के लिए उनकी लड़कियों के अपहरण के बाद उनका जबरन धर्मपरिवर्तन कराया जाता है ।

🚩वर्ल्ड सिंध कांग्रेस की अध्यक्ष डॉ. रूबिना शेख ने कहा कि पाकिस्तान में प्रशासन और संस्थाएं जानबूझकर अल्पसंख्यकों, खास तौर पर सिंधी हिन्दुओं के अधिकारों की रक्षा नहीं करती है । उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान सरकार रणनीति के तहत देश में हिंसक धार्मिक अतिवाद का समर्थन करती है । धार्मिक अतिवादी और अपराधी बिना किसी खौफ के इस तरह के कृत्य को अंजाम देते हैं, क्योंकि उन्हें सरकार का संरक्षण मिला हुआ है । 
स्त्रोत : नवदीप केसरी

🚩ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू गुलामों की जिंदगी बसर कर रहे हैं, इनमें अल्पसंख्यकों की बड़ी तादाद है । जिनसे खेती-बाड़ी से लेकर घर तक के काम कराए जाते हैं ।

🚩एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल करीब 1000 हिंदू और ईसाई लड़कियों (ज्यादातर नाबालिग) को मुसलमान बनाकर शादी करा दी जाती है ।

🚩पाकिस्तान में केवल हिंदू मंदिरों को भी नष्ट कर उनके स्थान पर कारोबारी और अन्य तरह की गतिविधियां बढ़ाई जा रहीं और हिंदुओं पर हमले भी हो रहे हैं ! 

🚩पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं । हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं । यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है, श्मशान घाट तक नहीं है, हिन्दुओं की हत्याएं की जाती हैं । हिन्दुओं पर इतना अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नही है ।

🚩भारत में किसी एक मुस्लिम को थप्पड़ भी मार दिया जाए तो बुद्धिजीवी, मीडिया हल्ला करने लगती है और सरकार और न्यायालय तुरंत कार्यवाही करते हैं, पर बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान में लाखों हिन्दू भयंकर अत्याचार से गुजर रहे हैं, पर किसी के पेट का पानी नहीं हिल रहा है ।

🚩भारत में हिंदुओं से अधिक सुविधाएं मुसलमानों को दी जा रही है । वामपंथी, जिहादी, मीडिया, मिशनरियां और विदेशी कंपनियां सभी हिंदुओं के खिलाफ हैं, हिंदुत्व को खत्म कर देना चाहते हैं और हिन्दू सेक्युलर बन रहा है, बोला जाता है कि "सर्वधर्म समान" लेकिन जब हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे, तब वे लोग नहीं बख्शेंगे, कश्मीर के पंडितों की तरह भगा दिया जाएगा या कत्ल कर दिया जाएगा ।

🚩भारत के 8 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गये है पर उनको न कोई सुविधा मिलती है, ना ही कोई योजना का लाभ मिलता है, भारत मे हिंदू कम होते जा रहे हैं और कुछ सेक्युलर बन रहे हैं, जो चिंताजनक स्थिति है । अगर हिन्दू ने अधिक बच्चे पैदा नहीं किये और अपने धर्म और हिंदू धर्मगुरुओं को नही बचाया तो फिर पाकिस्तान और कश्मीर के हिंदुओं जैसी हालत होगी ।

🚩भारत में मुस्लिमों को इतनी सुविधा मिलने के बाद भी लोग कहते हैं कि मुस्लिमों का शोषण होता है, मीडिया भी इसपर जोरों-शोरों से खबरें दिखाती है । पाकिस्तान के हिंदुओं की हालत नरक से भी बद्तर हो गई है अतः हमें उनके लिए आवाज उठानी चाहिए क्योंकि मीडिया, सेकुलर, वामपंथी इस खबर पर चुप रहेंगे ।

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