Saturday, April 27, 2019

आज की नारी को कैसी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए ?

27 अप्रैल 2019 

🚩फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण द्वारा नारी अधिकारों के समर्थन में एक बयान जारी किया गया है कि नारी को यह अधिकार होना चाहिए कि वह विवाह पूर्व किसी से भी शारीरिक सम्बन्ध बना सके । नारी अधिकारों को लेकर अनेक अंग्रेजी अख़बारों में कुछ लेख प्रकाशित हुए जिनका विषय भी महिला अधिकारों की बात करना है ।
🚩नारी अधिकारों की आड़ में महिलाओं को क्या सन्देश दिया जा रहा है यह जानना अत्यंत आवश्यक है । 16 दिसंबर के निर्भया कांड पर एक विदेशी पत्रकार द्वारा चलचित्र बनाने पर विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि बलात्कार के दोषी ड्राइवर मुकेश की विकृत सोच को सभी भारतीय पुरुषों की सोच के रूप में प्रचारित कर भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा हैं जबकि यह सोच का विषय हैं कि ISIS द्वारा इराक में यजीदी लड़कियों को गुलाम बनाकर बेचने, बोको हराम द्वारा अफ्रीका में सैकड़ों स्कूल की लड़कियों का अपहरण कर उनके जबरन धर्म परिवर्तन कर उनका मुस्लिम आतंकवादियों से विवाह करने, अनेक मुस्लिम मुल्कों में आदि को एक से अधिक विवाह करने, पाकिस्तान में बलात्कार की शिकार महिला को बलात्कार सिद्ध करने के लिए दो पुरुषों की गवाही प्रस्तुत करने, खाड़ी मुस्लिम देश में सामूहिक बलात्कार की शिकार महिला को गर्भावस्था में बलात्कार के लिए कोड़े लगाने जैसे घटनाओं में विदेशी पत्रकार मौन रहना दोहरे मापदंड को सिद्ध करता है ।

🚩8 मार्च, 2015 के हिंदुस्तान टाइम्स  अख़बार में महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को आज़ादी के नाम पर कुछ अधिकार दिए जाने की वकालत की गई है । इन कुछ अधिकारों को पढ़कर आप यह सोचिये की इन कुछ अधिकारों को देने से नारी जाति का उत्थान होगा या पतन होगा । यह अधिकार है उन्मुक्त सम्बन्ध बनाने का अधिकार, विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्ध बनाने का अधिकार, समलैंगिकता का अधिकार, शराब आदि नशा करने का अधिकार, पुरुषों से दोस्ती करने का अधिकार, कम से कम कपड़े पहनने का अधिकार, सन्नी लियॉन बनने का अधिकार, वेश्या बनने का अधिकार, अश्लील फिल्में देखने का, अनेक पुरुषों से सम्बन्ध बनाने का अधिकार, लिव इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार आदि । इस सब के साथ एक सन्देश यह भी दिया गया कि आज की नारी सती सावित्री नहीं है, न केवल एक आदमी के साथ वह अपना पूरा जीवन बिताने वाली हैं, उसे अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए अथवा अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं हैं, उसे खुले में सांस लेने का पूरा अधिकार हैं, अब उसे चरित्रवान बनने की कोई आवश्यकता नहीं हैं ।

🚩अब पाठक दूसरे पक्ष को समझें । सर्वप्रथम तो पश्चिमी सोच का अन्धानुसरण करने वाले लोग जिन बातों को नारी का अधिकार बताकर प्रचारित कर रहे हैं वह अधिकार नहीं अपितु मीठा जहर हैं जिसका सेवन करने वाला भोग की अंधी गलियों में सदा-सदा के लिए भटकता है । जब निर्भया जैसे कांड होते हैं तो आप उसका दोष फिल्मों आदि के द्वारा बढ़ावा दिए गए नंगपने से होने वाले मानसिक प्रदुषण को क्यों नहीं ठहराते ? यह कहने में आपको शर्म क्यों आती हैं कि निर्भया कांड को अंजाम देने वाले बलात्कारी नियमित रूप से अश्लील फिल्में देखते थे, शराबी और मांसाहारी थे अर्थात सदाचार से कोसो दूर थे ।

🚩जब कोई सदाचार की बात करता है जो पुरुष और नारी दोनों के लिए समान रूप से अनिवार्य नियम हैं तब आप उसे पुरानी, दकियानूसी, आज के ज़माने के लिए नहीं आदि बातें करते हैं एवं खजुराओ की नग्न मूर्तियां एवं वात्सायन के कामसूत्र का बहाना बनाते हैं । इसलिए स्पष्ट रूप से अश्लीलता फैलाने के आप भी दोषी हैं क्योंकि आप सदाचार का सन्देश देने वाली शिक्षा के स्थान पर व्यभिचार को बढ़ावा देने वाली बातों को प्रचारित हैं । एक और व्यभिचार को बढ़ावा देना दूसरी और उससे होने वाले निर्भया जैसे कांड होने पर छाती पीट-पीट कर रोना और अंत में इस सब पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फ़िल्म बनाकर पश्चिमी देशों में हमारी छवि ख़राब करना आपकी विकृत मानसिकता को प्रकट करता है ।

🚩नारी के अधिकारों को अगर जानना भी हो तो वेदों से जानो। वेद कहते हैं - मेरे पुत्र शत्रु हन्ता हों और पुत्री तेजस्वनी हो (ऋग्वेद 10/159/3) ,राष्ट्र में विजयशील सभ्य वीर युवक पैदा हो, वहां साथ ही बुद्धिमती नारियों उत्पन्न हो (यजुर्वेद 22/22)। वेदों में पत्नी को उषा के सामान प्रकाशवती, वीरांगना, वीर प्रसवा, विद्या अलंकृता, स्नेहमयी माँ, पतिव्रता, अन्नपूर्णा, सदगृहणी, सम्राज्ञी आदि से संबोधित किया गया है, जो निश्चित रूप से नारी जाति को उचित सम्मान प्रदान करते हैं ।

🚩वेदों में दहेज शब्द का सहीं अर्थ बताया गया है । दहेज़ गुणों का नाम हैं और वेद कहते है कि पिता ज्ञान, विद्या, उत्तम संस्कार आदि गुणों के साथ वधु को वर को भेंट करे और अंत में हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि वेदादि शास्त्रों में नारी को पुरुष से बढ़ कर अधिकार दिया गया है । मनु स्मृति कहती हैं "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:अर्थात जिस कुल में नारियों की पूजा, अर्थात सत्कार होता है, उस कुल में दिव्यगुण , दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल है । नारी के अधिकार उसके उच्च विचार एवं महान गुणों से सुशोभित होना है नाकि व्यभिचारी बनना है ।

🚩इसलिए महिला अधिकारों की आड़ में समाज को व्यभिचार का नहीं अपितु सदाचार का सन्देश देना चाहिए । नारी का सम्मान तभी होगा जब विचारों में पवित्रता होगी एवं सदाचारी जीवन होगा । निर्भया को सच्ची श्रद्धांजलि समाज को सदाचारी बनाना होगा जिससे हर नारी अपने आपको सुरक्षित समझे एवं हर पुरुष अपने आपको नारी का रक्षक समझे । महिला अधिकारों की आड़ में पश्चिमी पाखंड के स्थान पर वैदिक सदाचार को अपनाये । -डॉ विवेक आर्य

🚩हे भारत की माताओं, बेटियों ! अपनी महिमा में जागो । हिम्मत करो । सिनेमा (चलचित्र) देखकर या 'डिस्को' नृत्य करके अपनी जीवनशक्ति नष्ट करने वालों को वह भले मुबारक हो, किंतु आप तो भारत की शान हो । हे माताओं-बहनों-बेटियों ! तुम फिर से अपनी आध्यात्मिक शक्ति जगाओ । यहाँ तक कि ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी माँ अनसूया के द्वार पर भिक्षा माँगने पधारे थे । जो महानता अनसूया में थी वही महानता बीजरूप में आपके अंदर भी छुपी है ।

🚩हे भारत की नारी ! तू अपनी शान को फिर से बुलंद कर ! फिल्मों की, पाश्चात्य जगत के तुच्छ नाच-गान और फैशन की गुलाम मत हो वरन् अपनी महिमा को पहचान ।

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Friday, April 26, 2019

देश-विदेश में मनाया गया बापू आसारामजी का जन्मदिवस एक अनोखे अंदाज में

25 Apr 2019

🚩आप जानकर हैरान हो जायेंगे कि कैसे संत आसारामजी बापू के अनुयायी उनका जन्मदिन दिवस (अवतरण दिवस ) “विश्व सेवा दिवस” के रूप में मनाते हैं !!

🚩 67  महीनों से बिना सबूत जेल में बन्द हिन्दू संत आसारामजी बापू, लेकिन देश-विदेश में फैले उनके अनुयायियों ने उनका अवतरण दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया ।


🚩किसी का जन्मदिवस होता है तो हम केक काटते हैं । मोमबत्ती जलाते हैं, बड़ी बड़ी पार्टियां करते हैं, लेकिन संत आसारामजी बापू के अनुयायियों ने उनका अवतरण दिन कुछ अनोखे ही अंदाज में मनाया ।

🚩आइये जाने कि कैसे मनाते हैं संत आसारामजी बापू के अनुयायी उनका अवतरण दिवस...

🚩इस दिन देशभर में जगह-जगह पर इनके अनुयायी  विशाल भगवन्नाम संकीर्तन यात्राएं निकालते हैं और वृद्धाश्रमों, अनाथालयों व अस्पतालों में निःशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित करते हैं ।

🚩गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुएं वितरित की जाती हैं ।

🚩इस दिन विभिन्न स्थानों पर छाछ,पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं ।

🚩सत्साहित्य का वितरण,गरीब विद्यार्थियों में नोटबुक व उनकी जीवनोपयोगी सामग्री के साथ-साथ गौ माता को चारा खिलाना, हवन,जाहिर सत्संग कार्यक्रम आदि किए जाते हैं ।

 🚩जब हमने उनके अनुयायियों से ये जानने की कोशिश की कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं ?

🚩तो उन सबका कहना था कि हमारे गुरूजी संत आसारामजी बापू ने हमें खुद का जन्मदिवस मनाने की हमेशा मनाही की है और कहा है कि अगर आपको मनाना ही है तो "मानव सेवा" करके ही मनाएं क्योंकि मानव सेवा ही महेश्वर सेवा है ।

🚩पब्लिक जो मीडिया दिखाती हैं उसको ही सच मान लेती है । पर सिक्के के दूसरे पहलू पर गौर नहीं करती । अगर कोई संत झूठे आरोप में फंस जाते हैं तो बाकी सब चुप बैठ जाते हैं या मीडिया के अंधे भक्त बनकर उनके विरुद्ध बिना सच्चाई जाने कुछ का कुछ बोलने लगते हैं ।

🚩लेकिन मीडिया की झूठी खबरों तथा जाहिर न करने वाली खबरों को सोशल मीडिया भी सामने रखता है, आज ट्विटर पर #विश्व_सेवा_दिवस यह टैग भी टॉप टेन में तीसरे नंबर पर ट्रेंड कर रहा था, उसे जब ओपन किया तो सारे ट्वीट्स संत आसारामजी बापू द्वारा अपने साधकों को दिए “जन-सेवा” के संस्कारों को प्रगट कर रहे थे ।

🚩और हमने हमारे पाठकों को हमारे हिन्दू संतों के साथ हो रहे अन्याय से कभी अंजान नहीं रखा ।

🚩संत संस्कृति का प्रचार करते हैं, जगह-जगह जाकर प्रवचन के द्वारा लोगों में हिन्दू संस्कृति का ज्ञान देना ये बहुत बड़ा कार्य है जो हिन्दू संतों द्वारा किया जा रहा है इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है जिससे हिंदुत्व खत्म किया जा सके, लेकिन हम सबको इसके विरुद्ध आगे आना पड़ेगा, अपने संतों के लिए प्रयास करना पड़ेगा,उनके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी ।

🚩आज जिस परिस्थिति में 83 वर्षीय हिन्दू संत आसारामजी बापू बिना किसी सबूत के 67 महीनों से जेल में हैं वो अपने आप में बहुत बड़े दुःख का विषय है।

🚩क्या हर हिन्दू का कर्तव्य नहीं बनता कि राष्ट्र विरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू संतों को फंसाकर जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है उसके विरुद्ध आवाज उठाएँ ?

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Wednesday, April 24, 2019

धर्मनिरपेक्ष कहे जाने वाले भारत देश में हिंदुओं का कानूनन निम्नीकरण कब तक ???

24 अप्रैल 2019

🚩भारतीय संविधान के अनुसार भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान हर नागरिक को समान मौलिक अधिकार भी देता है । पर वास्तव में ये सब कागज़ों तक ही सीमित है । कानून के द्वारा इस देश में हिंदुओं का निम्नीकरण होता रहा है ।

🚩वैसे तो बहुत सारे उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि केवल हिंदुओं के साथ भेदभाव हुआ है । जैसे सरकार बस मन्दिरों का कानूनन अधिग्रहण कर रही है पर मदरसों और चर्चों की सम्पत्ति उनके धर्म के प्रचार प्रसार में खर्च होती है । मुस्लिम 4 शादी कर सकता है पर बाकी धर्म के लोग केवल एक । मुस्लिमों को हजयात्रा के लिए सब्सिडी मिलती है पर हिंदुओं को अपने ही देश में तीर्थ करने के लिए कर देना पड़ता है ।
🚩आज़ाद भारत आपको हिंदुओं के कानूनन निम्नीकरण का एक और बहुत बड़ा उदाहरण बता रहा है और वो है दहेज, मेहर और उपहार का ।

🚩दहेज हिंदुओं की एक प्रथा है, जिसमें लड़की पक्ष की तरफ से लड़के पक्ष को रुपये, सम्पत्ति या जरूरी सामान दिया जाता है । इस प्रथा को कानूनन अवैध करार किया गया है ।

🚩भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 B के अनुसार दहेज प्रताड़ना के कारण अगर किसी महिला की जान जाती है तो उसके लिए न्यूनतम 07 वर्ष और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है और धारा 498 A के अनुसार दहेज के लिए प्रताड़ित करने पर 03 वर्ष के कारावास का प्रावधान है ।

🚩और तो और 1961 में दहेज निषेध अधिनियम 1961 भी बनाया गया जिसकी धारा 03 के अनुसार दहेज लेने या देने का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 5 साल की सजा और न्यूनतम 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है ।

🚩पूरे हिन्दू समाज ने इस कानून का खुले दिल से स्वागत किया है । अब हिंदुओं में दहेज लेने और देने की कुप्रथा बहुत कम रह गई है ।

🚩पर प्रश्न यह उठता है कि केवल दहेज निषेध के लिए ही कानून क्यों ? इसी तरह की प्रथा जो मुस्लिमों में मेहर नाम से चल रही हैं और ईसाइयों में उपहार (Gift) के नाम से, इनको निषेध करने के लिए आज़ादी के 71 साल बाद भी आज तक कानून क्यों नहीं ?

🚩पहले आपको मेहर नाम से मुस्लिमों में चल रही प्रथा के विषय में बताते हैं । मेहर वो राशि है जो एक मुस्लिम पुरुष मुस्लिम महिला को देता है निकाह के समय । जैसे कोई सामान खरीदने के लिए पैसे देता हैं, ऐसे ही मुस्लिम महिला को निकाह करने के बदले नकद राशि दी जाती है ।

🚩अब उपहार पर आते हैं । उपहार (Gift) वो नकद रुपये, सम्पत्ति या वस्तु होती हैं जो ईसाई शादियों में महिला पक्ष पुरुष पक्ष को देता है ।

🚩अब अगर हम मेहर और उपहार प्रथा की तुलना दहेज प्रथा से करते हैं तो ये लगभग एक तरह की ही है । फिर केवल दहेज निषेध के लिए ही कानून क्यों ? मेहर निषेध और उपहार निषेध के लिए आज़ादी के 71 साल बाद भी कानून क्यों नहीं ?

🚩आज तक केवल दहेज को कुप्रथा बताकर हिंदुओं को बदनाम करने की कोशिश की गई है, हिंदुओं की छवि खराब करने की कोशिश की गई है । दहेज प्रथा गलत है, अब ये हिन्दू भी मानते हैं । पर आज तक सरकार ने मेहर और उपहार को निषेध करने के लिए प्रयास क्यों नहीं किए, कानून क्यों नहीं बनाए ? मेहर और उपहार को निषेध करके समाज को मुस्लिम धर्म और ईसाई धर्म की इस कुप्रथा के विषय से अवगत कराकर समाज को इन कुप्रथाओं से मुक्त करने का प्रयास क्यों नहीं किया गया ? क्यों ऐसी कुप्रथा से घिरे मुस्लिम और ईसाई धर्म की छवि खराब होने से बचाने की कोशिश की गई ? क्यों इनका असली चेहरा सबको नहीं दिखाया ?

🚩एक दूसरा उदाहरण सबरीमाला मंदिर का भी लिया जा सकता है, जहाँ मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा तोड़ कर महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए कानून बनाया जाता है, भारी मात्रा में पुलिस फ़ोर्स आती है, इस कानून को लागू करने के लिए, लेकिन वहीं दूसरी ओर मदरसों में महिलाओं का प्रवेश निषेध है, उसपर कोई कुछ नहीं बोलता । ईसाइयों और मुस्लिमों के धार्मिक मुद्दों में कोई हस्तेक्षप नहीं करते हैं, लेकिन हिंदुओं के धार्मिक मामलों में ऊलजलूल फैसले सुनाते हैं ।

🚩हिंदुओं के साथ सदा भेदभाव होता आया है । एक तरफ तो भारत देश का संविधान बोलता है कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो क्यों केवल हिंदुओं की भावना और छवि से ही खिलवाड़ क्यों किया जाता है ? विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहे जाने वाले देश भारत में केवल हिंदुओं के साथ ही अन्याय क्यों होता है ? क्या यहीं लोकतंत्र है कि एक धर्म विशेष का निम्नीकरण होता रहे और बाकी धर्मों को विशेष लाभ एवं विशेष दर्जा मिलता रहे ? और निम्नीकरण भी कानूनी रूप से करना तो बहुत बड़ा अत्याचार है ।

🚩फिर वही प्रश्न करता हूँ कि केवल दहेज निषेध के लिए ही कानून क्यों बने आज तक? मेहर और उपहार रूपी कुप्रथा को निषेध करने के आज तक कानून क्यों नहीं बने? हिंदुओं का अपने ही देश में कानूनन निम्नीकरण आखिर कब तक???

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