Wednesday, May 8, 2019

आद्य शंकराचार्य पर जो हुए थे प्रहार उसके बारे में आप नही जानते होंगे

🚩आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी़ नामक ग्राम में हुआ था। वह अपने ब्राह्मण माता-पिता के एकमात्र सन्तान थे। बचपन में ही उनके पिता का देहान्त हो गया। शंकर की रुचि आरम्भ से ही सन्यास की तरफ थी। अल्पायु में ही आग्रह करके माता से सन्यास की अनुमति लेकर गुरु की खोज में निकल पडे।। वेदान्त के गुरु गोविन्द पाद से ज्ञान प्राप्त करने के बाद सारे देश का भ्रमण किया। मिथिला के प्रमुख विद्वान मण्डन मिश्र को शास्त्रार्थ में हराया। परन्तुं मण्डन मिश्र की पत्नी भारती के द्वारा पराजित हुए। दुबारा फिर रति विज्ञान में पारंगत होकर भारती को पराजित किया।
🚩उन्होनें तत्कालीन भारत में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को दूर कर अद्वैत वेदान्त की ज्योति से देश को आलोकित किया। सनातन धर्म की रक्षा हेतु उन्होंने भारत में चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की तथा शंकराचार्य पद की स्थापना करके उस पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया। उत्तर में ज्योतिर्मठ, दक्षिण में श्रन्गेरी, पूर्व में गोवर्धन तथा पश्चिम में शारदा मठ नाम से देश में चार धामों की स्थापना की। 32 साल की अल्पायु में पवित्र केदार नाथ धाम में शरीर त्याग दिया। सारे देश में शंकराचा‍र्य को सम्मान सहित आदि गुरु के नाम से जाना जाता है।
शंकराचार्य के विषय में कहा गया है-
अष्टवर्षेचतुर्वेदी, द्वादशेसर्वशास्त्रवित् षोडशेकृतवान्भाष्यम्द्वात्रिंशेमुनिरभ्यगात्
🚩अर्थात् आठ वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, बारह वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत, सोलह वर्ष की आयु में शांकरभाष्यतथा बत्तीस वर्ष की आयु में शरीर त्याग दिया। ब्रह्मसूत्र के ऊपर शांकरभाष्यकी रचना कर विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी शंकराचार्य के द्वारा किया गया है।
🚩जिस समय इस देश में आद्य शंकराचार्यजी का आविर्भाव हुआ था उस समय असामाजिक तत्त्व अनीति, शोषण, भ्रम तथा अनाचार के द्वारा समाज को गलत दिशा में ले जा रहे थे । समाज में फैली इस अव्यवस्था को देखकर बालक शंकर का हृदय काँप उठा । उसने प्रतिज्ञा की कि ‘मैं राष्ट्र के धर्मोद्धार के लिए अपने सुख की तिलांजलि देता हूँ । अपने श्रम और ज्ञान की शक्ति से राष्ट्र की आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करूँगा । चाहे उसके लिए मुझे सारा जीवन साधना में लगाना पड़े, घर छोड़ना पड़े अथवा घोर-से-घोर कष्ट सहने पड़ें, मैं सदैव तैयार रहूँगा ।’
🚩बालक शंकर माँ से आज्ञा लेकर चल पड़े अपने संकल्प को साधने । उन्होंने सद्गुरु स्वामी गोविंदपादाचार्यजी से दीक्षा ली । इसके बाद वे साधना एवं वेद-शास्त्रों के गहन अध्ययन से अपने ज्ञान को परिपक्व कर बालक शंकर से जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य बन गये । शंकराचार्यजी अपने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त कर देश में वेदांत का प्रचार करने चल पड़े । भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसों को भी दुष्टों के उत्पीड़न सहने पड़े तो आचार्य उससे कैसे बच पाते ? शंकराचार्यजी के धर्मकार्य में विधर्मी हर प्रकार से रुकावट डालने का प्रयास करने लगे, कई बार उन पर मर्मांतक प्रहार भी किये गये ।
🚩कपटवेशधारी उग्रभैरव नामक एक दुष्ट व्यक्ति ने आचार्य की हत्या के लिए शिष्यत्व ग्रहण किया । आचार्य को मारने की उसकी साजिश विफल हुई और अंततः वह भगवान नृसिंह के प्रवेश अवतार द्वारा मारा गया ।
🚩कर्नाटक में बसनेवाली कापालिक जाति का मुखिया था क्रकच । वह मांस-शराब आदि अनेक दुराचारों में लिप्त था । कर्नाटक की जनता उसके अत्याचारों से त्रस्त थी । आचार्य शंकर के दर्शन, सत्संग एवं सान्निध्य के प्रभाव से लोग कापालिकों द्वारा प्रसारित दुर्गुणों को छोड़ने लगे और शुद्ध, सात्त्विक जीवन की ओर आकृष्ट होने लगे । सैकड़ों कापालिक भी मांस-शराब को छोड़कर शंकराचार्यजी के शिष्य बन गये । इस पर क्रकच घबराया । उसने शंकराचार्यजी का अपमान किया, गालियाँ दीं और वहाँ से भाग जाने को कहा । शंकराचार्यजी ने उसके विरोध की कोई परवाह नहीं की और अपनी संस्कृति का, अपने धर्म का प्रचार-प्रसार निष्ठापूर्वक करते रहे । इस पर क्रकच ने उन्हें मार डालने की धमकी दी । उसने बहुत-से दुष्ट शिष्यों को शराब पिलाकर शंकराचार्यजी को मारने हेतु भेजा । धर्मनिष्ठ राजा सुधन्वा को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी सेना को भेजा और युद्ध में सारे कापालिकों को मार गिराया ।
🚩अभिनव गुप्त भी एक ऐसा ही महामूर्ख था जो आचार्य के लोक-जागरण के कार्यों को बंद कराना चाहता था । वह भी अपने शिष्योंसहित आचार्य से पराजित हुआ । वह दुराभिमानी, प्रतिक्रियावादी, ईर्ष्यालु स्वभाव का था । वह आचार्य के प्रति षड्यंत्र करने लगा । दैवयोग से उसे भगंदर का रोग हो गया और कुछ ही दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गयी ।
आद्य शंकराचार्यजी का इतना कुप्रचार किया गया कि उनकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही थीं ।
🚩इस संसार में ईर्ष्या और द्वेषवश जिसने भी महापुरुषों का अनिष्ट करना चाहा, देर-सवेर दैवी विधान से उन्हींका अनिष्ट हो जाता है । संतों-महापुरुषों की निंदा करना, उनके दैवी कार्य में विघ्न डालना यानी खुद ही अपने अनिष्ट को आमंत्रित करना है । उग्रभैरव, क्रकच व अभिनव गुप्त का जीवन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ।
🚩आज भी कई सच्चे महापुरुष है उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा करके समाज को जगाने का कार्य किया, लेकिन उनके ऊपर षडयंत्र करके जेल भिजवा दिया गया ।
🚩इस संसार में सज्जनों, सत्पुरुषों और संतों को जितना सहन करना पड़ता है उतना दुष्टों को नहीं। ऐसा मालूम होता है कि इस संसार ने सत्य और सत्त्व को संघर्ष में लाने का मानो ठेका ले रखा है। यदि ऐसा न होता तो मीरा को जहर नही दिया जाता, उड़िया बाबा की हत्या नही की जाती, दयानन्द को जहर न दिया जाता और लिंकन व कैनेडी की हत्या न होती।
🚩इस संसार का कोई विचित्र रवैया है, रिवाज प्रतीत होता है कि इसका अज्ञान-अँधकार मिटाने के लिए जो अपने आपको जलाकर प्रकाश देता है, संसार की आँधियाँ उस प्रकाश को बुझाने के लिए दौड़ पड़ती हैं। टीका, टिप्पणी, निन्दा, गलच चर्चाएँ और अन्यायी व्यवहार की आँधी चारों ओर से उस पर टूट पड़ती है।
🚩समाज जब किसी ज्ञानी संतपुरुष का शरण, सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षडयन्त्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।
🚩ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षडयन्त्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं। समझदार लोग उनके षडयंत्रजाल में नहीं फँसते, महापुरुषों के दिव्य जीवन के प्रतिपल से परिचित उनके अनुयायी कभी भटकते नहीं, पथ से विचलित होते नहीं अपितु सश्रद्ध होकर उनके निष्काम सेवाकार्यों में अत्यधिक सक्रिय व गतिशील होकर सहभागी हो जाते हैं ।
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Tuesday, May 7, 2019

मुख्य न्यायाधीश को क्लीनचिट मिल गई पर जानिए जनता की क्या प्रतिक्रिया है ?

07 मई 2019 

🚩सर्वोच्च न्यायालय की आंतरिक समिति ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को निराधार पाया है।

🚩रंजन गोगोई पर 19 अप्रैल को एक महिला द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति बनाई गई । जिसमें जस्टिस बोबड़े, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल थी, जिन्होंने जांच करके 6 मई को मुख्य न्यायाधीश को क्लीनचिट दे दी।

🚩शिकायतकर्ता ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे 'अन्याय' बताया है । उन्होंने कहा है कि, "मुझे जो डर था वही हुआ और देश के उच्चतम न्यायालय से इंसाफ की मेरी सभी उम्मीदें टूट गई हैं।"

🚩क्लीनचिट देने के मामले में मंगलवार (7मई) को कई महिला वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। किसी भी प्रकार की अवांछित स्थिति से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट परिसर के आसपास धारा 144 लगा दी गई थी। वहीँ पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महिला के सम्मान और न्याय के लिए यह लड़ाई है। पीड़िता के बयान को गंभीरता से नहीं लिया गया। फैसले के विरोध में लोगों ने नारेबाजी भी की।

🚩जस्टिस रंजन गोगोई ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि ये सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ रची जा रही बड़ी साजिश का हिस्सा है ।

🚩आरोपों के बाद जस्टिस गोगोई ने कहा था कि शिकायतकर्ता के पीछे कुछ बड़ी ताकतें हैं जो सुप्रीम कोर्ट को अस्थिर करना चाहती हैं।

🚩सोशल मीडिया पर भी लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही थी, जिसमें लोगों का कहना था कि चीफ जस्टिस को पहले गिरफ्तार करिये कस्टडी में डालिये फिर सच सामने आएगा, तो कुछ कह रहे थे कि क्लीनचिट तो मिलना ही था ये तो हमें पहले से ही पता था, कुछ का कहना था कि 6 साल बिना जमानत के जेल में रहे और केस लड़ते फिर हम बोल सकते थे कि क्लीन चिट सही है, कुछ ये भी कह रहे थे कि आम नागरिक को तो जेल में ठूँस दिया जाता है और सालों तक न्याय नही मिल पाता और इन्हें कैसे 17 दिन में न्याय मिल गया? कुछ ने तो यहां तक कहा कि खुद को तुरंत क्लीनचिट दिलवा दी समय है तो श्री राम मंदिर पर भी सुनवाई कर लो थोड़ी और कहा कि वाह रे न्याय ! रेप केस में फंसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद को निर्दोष साबित करवा लिया और हिंदू संत आशारामजी बापू जो पिछले 6 साल से झूठे रेप केस में जेल में हैं और बेल भी नहीं मिल रही है, उन्हें कब न्याय मिलेगा ??? क्या कानून सबके लिए बराबर नहीं होना चाहिए ???

🚩इस तरह की अलग-अलग अनेक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, कुछ लोग चीफ जस्टिस के बचाव में बोल रहे थे कि यह औरत झूठी है उसको जेल में भेजो तो कुछ इनके विरोध में ।


🚩इस तरह से जनता के अनेक कमेंट आ रहे थे, खैर जनता अपना-अपना मत रखती है पर चीफ जस्टिस की बात को भी नकार नहीं सकते कि यह एक षड्यंत्र है, क्योंकि देशहित में जो भी कार्य कर रहे हैं उनको फंसाने के लिए बलात्कार कानून का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है, यह बात हम तो सालों से बता रहे हैं पर इस पर ध्यान किसी का नहीं जा रहा।

🚩पिछले कुछ सालों से देश में रेप केस की बाढ़ सी आ गई है, एक तरफ इंटरनेट, टीवी, फिल्मों, चलचित्रों व अखबारों द्वारा ऐसी अश्लीलता भरी सामग्री परोसी जा रही है, जिससे रेप केस बढ़ रहे हैं दूसरी ओर कड़े कानून बनाए जा रहे हैं, अब तो ऐसा हो रहा है कि जो वास्तविकता में पीड़िता होती है उसको न्याय नही मिल पाता और बलात्कार के कड़े कानून का कुछ मनचली महिलाओं द्वारा बदला लेने या पैसे ऐठने या प्रसिद्ध व्यक्ति को फंसाने के लिए षडयंत्र के तरत भयंकर दुरुपयोग किया जा रहा है, ये समाज के लिए बहुत खरतनाक ट्रेंड है।

🚩बलात्कार के कड़े कानून के शिकार सबसे पहले हिंदू संत आसाराम बापू हुए, उन पर शाहजहांपुर (उ.प्र) की रहने वाली, छिंदवाड़ा (म.प्र)में पढ़ने वाली, जोधपुर (राजस्थान) की घटना बताकर  दिल्ली में FIR दर्ज करवाती है, वो भी घटना के 5 दिन बाद, लेकिन उस FIR की रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, हेल्पलाइन रजिस्टर के कई पन्ने फाड़ दिए गए, मेडिकल जांच में एक खरोंच का भी निशान नहीं और बड़ी बात कि घटना की रात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति से लगातार संपर्क में थी, उस संदिग्ध व्यक्ति की कॉल डिटेल को कोर्ट में पेश भी किया गया फिर भी बापू आसारामजी को उम्रकैद की सजा दी गई । इससे साफ पता चलता है कि उनके खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची गई है क्योंकि उन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई और देश-विदेश में हिन्दू धर्म का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया था।

🚩ऐसे ही कानून के शिकंजे में फंसने का दूसरा उदाहरण है नारायण साईं । उनके पास लड़की जनवरी 2013 तक दर्शन करने व सत्संग सुनने आती है और अचानक अक्टूबर 2013 में 11 साल पुरानी FIR करवाती है और बोलती है 11 साल पहले दुष्कर्म हुआ था मेरे साथ, अगर 11 साल पहले हुआ था तो वो लड़की इतने साल तक उनके पास क्यों आती रही ?
अगर किसी लड़की के साथ रेप होता है तो क्या वो उसके पास दोबारा जायेगी?

🚩फिर जिस स्थान और समय की घटना लड़की बताती है उस समय भी वहाँ न लडक़ी थी और न ही नारायण साईं थे, उसकी CD भी है कि वे किस जगह पर थे उस समय, फिर भी उनको उम्रकैद दे दी गई, क्या ये किसी षड्यंत्र की ओर इशारा नहीं ?? 

🚩आज आम इंसान भी संत आसाराम बापू और उनके सुपुत्र नारायण साईं के केस को ध्यान से पढ़े तो वो ये कहे बिना नहीं रह सकता कि पिता पुत्र को फंसाया गया है ।

🚩अब सवाल उठता है कि जैसे चीफ जस्टिस पर आरोप लगे और तुरंत जांच कमेटी बनाई और 17 दिन में ही क्लीनचिट मिल गई, महिला झूठी साबित हुई वैसे ही हर नागरिक, हिंदुनिष्ठ, हिंदू साधु-संतों पर जो झूठे आरोप लग रहे हैं उसके लिए भी स्पेशल जांच कमेटी बनाकर जांच करनी चाहिए । बिना सबूत सालों से जेल में रखना फिर उनको उम्रकैद दे देना वो भी बिना किसी सबूत के, क्या ये उनके साथ अन्याय नहीं ???

🚩जैसे चीफ जस्टिस पर आरोप लगने के बाद मीडिया को इस मामले में संयम बरतने को कहा गया वैसे ही हिन्दू साधु-संतों के खिलाफ जो मीडिया 24 घंटे डिबेट चलाकर खबरें दिखाती है उसपर भी रोक लगनी चाहिए ।

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Monday, May 6, 2019

हमारे देश को आज परशुरामजी की ही जरूरत है

06 मई 2019 

🚩 *भगवान परशुरामजी का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी क्षत्राणी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अंशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुरामजी कहलाये।*

🚩 *शक्तिधर परशुरामजी का चरित्र एक ओर जहाँ शक्ति के केन्द्र सत्ताधीशों को त्यागपूर्ण आचरण की शिक्षा देता है वहीं दूसरी ओर वह शोषित पीड़ित क्षुब्ध जनमानस को भी उसकी शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दिलाता है । शासकीय दमन के विरूद्ध वह क्रान्ति का शंखनाद है । वह सर्वहारा वर्ग के लिए अपने न्यायोचित अधिकार प्राप्त करने की मूर्तिमंत प्रेरणा है।  वह राजशक्ति पर लोकशक्ति का विजयघोष है।*


🚩 *आज स्वतंत्र भारत में सैकड़ों-हजारों सहस्रबाहु देश के कोने-कोने में विविध स्तरों पर सक्रिय हैं । ये कहीं न कहीं न्याय का आडम्बर करते हुए भोली जनता को छल रहे हैं, कहीं उसका श्रम हड़पकर अबाध विलास में ही राजपद की सार्थकता मान रहे हैं, तो कहीं अपराधी माफिया गिरोह खुलेआम आतंक फैला रहे हैं। तब असुरक्षित जन-सामान्य की रक्षा के लिए आत्म-स्फुरित ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियों के निर्माण की बहुत आवश्यकता है । इसकी आदर्श पूर्ति के निमित्त परशुराम जैसे प्रखर व्यक्तित्व विश्व इतिहास में विरल ही हैं।  इस प्रकार परशुरामजी का चरित्र शासक और शासित-दोनों स्तरों पर प्रासंगिक है ।*

🚩 *शस्त्र शक्ति का विरोध करते हुए अहिंसा का ढोल चाहे कितना ही क्यों न पीटा जाये, उसकी आवाज सदा ढोल के पोलेपन के समान खोखली और सारहीन ही सिद्ध हुई है । उसमें ठोस यथार्थ की सारगर्भिता कभी नहीं आ सकी। सत्य हिंसा और अहिंसा के संतुलन बिंदु पर ही केन्द्रित है । कोरी अहिंसा और विवेकहीन पाश्विक हिंसा, दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से घातक हैं । आज जब हमारे राष्ट्र की सीमाएं असुरक्षित हैं, कभी कारगिल, कभी कश्मीर, कभी बंग्लादेश तो कभी देश के अन्दर नक्सलवादी शक्तियों के कारण हमारी अस्मिता का चीरहरण हो रहा है तब परशुरामजी जैसे वीर और विवेकशील व्यक्तित्व के नेतृत्व की आवश्यकता है ।*

🚩 *गत शताब्दी में कोरी अहिंसा की उपासना करने वाले हमारे नेतृत्व के प्रभाव से हम जरुरत के समय सही कदम उठाने में हिचकते रहे हैं । यदि सही और सार्थक प्रयत्न किया जाये तो देश के अन्दर से ही प्रश्न खड़े होने लगते हैं। परिणाम यह है कि हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों और व्यवस्थापकों की धमनियों का लहू इतना सर्द हो गया है कि देश की जवानी को व्यर्थ में ही कटवाकर भी वे आत्मसंतोष और आत्मश्लाघा का ही अनुभव करते हैं। अपने नौनिहालों की कुर्बानी पर वे गर्व अनुभव करते हैं, उनकी वीरता के गीत तो गाते हैं किन्तु उनके हत्यारों से बदला लेने के लिए उनका खून नहीं खौलता। प्रतिशोध की ज्वाला अपनी चमक खो बैठी है । शौर्य के अंगार तथाकथित संयम की राख से ढंके हैं । शत्रु-शक्तियां सफलता के उन्माद में सहस्रबाहु की तरह उन्मादित हैं लेकिन परशुरामजी अनुशासन और संयम के बोझ तले मौन हैं ।*

🚩 *राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी । युग चारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया । किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों तक उसकी पुकार ही नहीं आने दी । पांच दशक बीत गये । इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय पर प्रेरणाप्रद रचनाएं प्रकाश में आती रही और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षड़यंत्रों को देश के भीतर और बाहर दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा । परशुरामजी पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं ।*

🚩 *महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते । वे तो सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की, समूचे राष्ट्र की विभूति होते हैं । उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं । दुर्भाग्य से हमारे यहां स्वतंत्रता में महापुरूषों को स्थान, धर्म और जाति की बेड़ियों में जकड़ा गया है । विशेष महापुरूष विशेष वर्ग के द्वारा ही सत्कृत हो रहे हैं । एक समाज विशेष ही विशिष्ट व्यक्तित्व की जयंती मनाता है । अन्य जन उसमें रूचि नहीं दर्शाते, अक्सर ऐसा ही देखा जा रहा है। यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है । महापुरूष चाहे किसी भी देश, जाति, वर्ग, धर्म आदि से संबंधित हो, वह सबके लिए समान रूप से पूज्य है, अनुकरणीय है।*

🚩 *इस संदर्भ में भगवान परशुरामजी जो उपर्युक्त विडंबनापूर्ण स्थिति के चलते केवल ब्राह्मण वर्ग तक सीमित हो गए हैं । समस्त शोषित वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत क्रान्तिदूत के रूप में स्वीकार किये जाने योग्य हैं और सभी शक्तिधरों के लिए संयम के अनुकरणीय आदर्श हैं ।*

🚩 *भा माना -अध्यात्म*

*रत माना - उसमें रत रहने वाले*

*"जिस देश के लोग अध्यात्म में रत रहते हैं उसका नाम है भारत।"*

🚩 *भारत की गरिमा उसकी संस्कृति व साधु-संतों से ही रही है सदा । भगवान भी बार-बार जिस धरा पर अवतरित होते आये हैं वो भूमि भारत की भूमि है । किसी भी देश को माँ कहकर संबोधित नहीं किया जाता पर भारत को "भारत माता" कहकर संबोधित किया जाता है क्योंकि यह देश आध्यात्मिक देश है,संतों महापुरुषों का देश है । भौतिकता के साथ-साथ यहाँ आध्यात्मिकता को भी उतना ही महत्व दिया गया है। पर आज के पाश्चात्य कल्चर की ओर बढ़ते कदम इसकी गरिमा को भूलते चले जा रहे हैं । संतों महापुरुषों का महत्व,उनके आध्यात्मिक स्पन्दन भूलते जा रहे हैं।*

 🚩 *संत और समाज में खाई खोदने में एक बड़ा वर्ग सक्रीय है । ईसाई मिशनरियां सक्रीय हैं । मीडिया सक्रीय है । विदेशी कम्पनियाँ सक्रीय हैं । विदेशी फण्ड से चलने वाले NGOs सक्रीय हैं । कई राजनैतिक दल व नेताओं सक्रीय हैं । क्योंकि इनका उद्देश्य है भारतीय संस्कृति को मिटाकर पश्चिमी सभ्यता लाने का जिससे विदेशी कंपनियों की प्रोडक्ट की बिक्री भारी मात्रा में होगी और धर्मान्तरण भी जोरो शोरो से होगा फिर उनका वोटबैंक बढ़ जायेगा और देशको गुलामी की जंजीरों में जकड़ लेंगे।*

🚩 *इतने सब वर्ग जब एक साथ सक्रीय होंगे तो किसी के भी प्रति भी गलत धारणाएं समाज के मन में उत्पन्न करना बहुत ही आसान हो जाता है और यही हो रहा है हमारे संत समाज के साथ ।* 

🚩 *पिछले कुछ सालों से एक दौर ही चल पड़ा है हिन्दू संतों को लेकर । हर संत को सिर्फ आरोपों के आधार पर सालों जेल में रखा जाता है फिर विदेशी फण्ड से चलने वाली मीडिया उनको अच्छे से बदनाम करके उनकी छवि समाज के सामने इतनी धूमिल कर देती है कि समाज उन झूठे आरोपों के पीछे की सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं करता ।*

🚩 *अब समय है कि समाज को जागना होगा, भारतीय संस्कृति व साधु-संतों के साथ हो रहे अन्याय को समझने के लिए । अगर अब भी हिन्दू मौन दर्शक बनकर देखता रहा तो हिंदुओं का भविष्य खतरे में हैं ।*

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Sunday, May 5, 2019

रमजान पर तेलंगाना सरकार मस्जिदों को बांटेगी 832 लाख रुपए, हिंदू ठनठन पाल

05 मई 2019 

🚩हिंदुस्तान में हिंदू बहुसंख्यक हैं पर उनको कोई अधिकार नहीं दिया जा रहा है जितने भी अधिकार हैं वे सब अल्पसंख्यकों ही दिया जाता है । सरकार कोई भी आए, लेकिन हिंदुओं की अनदेखी ही करते हैं ।

🚩भाग्यनगर (हैदराबाद) : 6 मई से शुरू हो रहे रमजान के मौके पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की सरकार ने राज्य के 832 मस्जिदों को 1-1 लाख रुपये कीमत के गिफ्ट पैकेट देने की घोषणा की है । समाज कल्याण मंत्री कोप्पुला ईश्‍वर ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक लेकर रमजान के माैके पर की जानेवाली व्यवस्था की समीक्षा की । तथा अलग-अलग विभाग स्वच्छ करना, अच्छे रोड का निर्माण कार्य एवं हर मस्जिद को लगातार बिजली की आपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं ।

🚩1. बैठक में, भाग्यनगर (हैदराबाद) के मक्का मस्जिद में मंडप की अस्थायी मरम्मत करना, नालियों की मरम्मत करना, कचरा जमा करने के लिए पॉलिथीन की थैलीयां उपलब्ध करवाना, विशेष स्वच्छता वाहनों का प्रबंध इन विषयों पर चर्चा की गर्इ ।

🚩2. इस समय सड़कों की मरम्मत, ‘मैनहोल कवर’ बदलना, सड़कों के किनारे जमा कचरे को हटाने के निर्देश कोप्पुला ईश्‍वर ने अधिकारियों को दिए ।

🚩3. इस समय नगर आयुक्त एम्. दाना किशोर ने कहा कि, ‘भाग्यनगर नगर निगम के सरदार महल कार्यालय में रमजान के लिए केंद्रीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा।’
🚩स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

🚩दुनिया में अभी 2-3 तरीके के राज्य हैं एक तो खुद बोलते हैं, हम क्रिश्चियन हैं । ईसाई धर्म पर आधारित राज्य हैं, बाइबल को मानते हैं, हाथ में बाइबल लेकर शपथ ली जाती है राज्य व्यवस्था उसके आधार पर की जाती है । अपना एक स्टेंडर्ड कंटूटिशन भी होता है । दूसरे इस्लामिक राज्य हैं, तीसरे कुछ कम्युनिस्ट राज्य हैं । लेकिन दुनिया में एक अकेला राज्य भारत ऐसा है जो किसीके पक्ष में है या नहीं ये तो नहीं पता, लेकिन हिंदुओं के विरोध में पूरी व्यवस्था है ।

🚩हमारा कोई सेक्युलर राज्य नहीं है हिन्दू राज्य बनाने की बात लोग करते हैं, लेकिन अभी जो हमारी राज्य व्यवस्था है वह हिन्दू विरोधी राज्य व्यवस्था है । ये राज्य व्यवस्था आपको मोटिवेट करती है कि आप हिन्दू धर्म को छोड़ें, ये राज्य व्यवस्था आपको इस प्रकार का रोज सुबह उठने के साथ सोने तक ये एहसास कराती है कि आप इस देश में सेकंड क्लास है डिवीजन है, दूसरे दर्जे के नागरिक हैं । आप देश के अन्य नागरिकों के बराबर नहीं है । आपका बच्चा अगर पैदा होगा तो उसके अधिकार किसी अन्य धर्म में पैदा होने वाले बच्चों से कम होंगे । किसी अन्य धर्म में पैदा होता है तो सरकार उसे पैसा देगी, पढ़ने जाएगा तो सरकार उसे बस्ता देगी, किताब देगी, स्कॉलरशिप देगी, रिजर्वेशन देगी, नौकरी केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, व्रोटेशन, मोटिवेशन केवल और केवल धर्म आधारित पैसा रिजर्वेशन, प्रोक्शन, संगठन , मोटिवेशन इस देश की राज्य व्यवस्था दे रही है । उसमें भी शब्द यूज़ करते है कि minority अल्पसंख्यक। मेरे को लगता है पूरे ब्रह्मांड में 25 करोड़ वाला अल्पसंख्यक केवल भारत में ही बैठा हुआ है । और वो इतना अल्पसंख्यक है कि उसके हर बच्चे के 7-8 बच्चे पैदा हो रहे हैं । जब ये कहा गया कि मुसलमानों  की तरक्की के लिए योजना लाओ तो मुझे लगता है कि नसबन्दी की योजना सबसे बड़ी योजना है जिससे मुसलमानों की तरक्की हो सकती है ।

🚩इस देश में हिंदुओं की मांग तो रखी जाए बोला तो जाए। अगर हम कहते हैं हिंदुओं को मुसलमान के समान अधिकार दिया जाए तो कहेंगे सम्प्रदायी हो । भड़काऊ बातें करते हो तुम्हारी बातों से दंगा फैल सकता है । तुम आतंकवादी हो केवल समान अधिकार मांगने पर इतनी बात बोल दी जाती है।

🚩दुनियाभर में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन हिंदुस्तान ही हिंदुओं का एकमात्र देश है तो पहला अधिकार हिंदुओं का होना ही चाहिए ।

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