Sunday, July 21, 2019

अमेरिका की लोआ असेंबली में गीता व वैदिक श्लोकों से हुई प्रार्थना

20 जुलाई 2019
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🚩विदेश के लोग श्रीमद्भगवद्गीता व वेदों से प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि वहाँ शरीर के उपभोग के लिए सुख-सुविधाएं बहुत हैं, लेकिन मन शांति के लिए उनके पास कुछ नहीं है और मन की शांति नहीं है तो सारी सुविधाएं बेकार है और मन मे शांति है तो कम सुविधाएं में भी इंसान सुखी रह सकता है। और मन की शांति देने की शक्ति केवल भारतीय संस्कृति में ही है इसलिए विदेशी लोग भी अब भारतीय संस्कृति का अनुसरण कर रहे है।

🚩आपको बता दें कि अमेरिका की लोआ असेंबली की सुबह की प्रार्थना पूज्य गीता के श्लोक एवं वैदिक मंत्रों से हुई। तकरीबन तीन मिनट की प्रार्थना में वैश्विक सर्वमंगल, सर्वकल्याण की कामना निहित रही। विश्व हिंदू परिषद के विदेश विभाग प्रमुख पं.कृष्ण कुमार पांडेय ने ओम से शुरुआत के बाद पहले गीता के श्लोक ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव’ का पाठ किया। इसी क्रम में वैदिक मंत्र और अंत में ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया’ के पाठ और शांति की कामना के साथ सुबह की प्रार्थना कराई। बाद में उन्होंने ‘ओ लार्ड यू आर माई मदर, ओ लार्ड यू आर माई फादर..’ कहकर प्रार्थना में कहे गए श्लोक और मंत्रों का अर्थ भी बताया।
🚩यह भारतीय सनातन संस्कृति के लिए गर्व का विषय है कि गीता के श्लोक तथा वैदिक मंत्रों के साथ अमेरिका की लोआ असेंबली की शुुरुआत हुई। लोआ सीनेट ऐंड हाउस ऑफ द रिप्रेंजेटेटिव्स की ओर से सुबह की प्रार्थना के लिए पंडित कृष्ण कुमार को सीनेटर हरमन क्यूरमबैच, अमेस की रिप्रेंजेटेटिव लीजा हेडेंस और मैरीन की रिप्रेंजेटेटिव स्वाति दांडेकर की ओर से आमंत्रित किया गया था। इसी के साथ अमेरिकन असेंबली में पहली बार हिन्दू प्रार्थना का इतिहास रचा गया। स्त्रोत : सुदर्शन न्यूज़
🚩ऐसी प्रार्थना अगर सेक्यूलर भारत में हुई होती तो शायद देश का लोकतंत्र ही खतरे में आ जाता, संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाने वाला बता दिया गया होता, भगवाकरण की कोशिश करने वाला प्रयास बता दिया गया होता, लेकिन यह दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की असेंबली में हुआ इससे भारतीय सनातन संस्कृति की महत्ता एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित और गौरवान्वित हुई है।
🚩विदेशी लोग भारतीय संस्कृति अपनाकर अपने को धन्य समझ रहे हैं पर हमारे देश के केंद्रीय विद्यालयों में प्रात:कालीन प्रार्थना संस्कृत और हिंदी में पढ़ी जाती हैं । इस प्रार्थना का संस्कृत भाग उपनिषद्, महाभारत आदि ग्रंथों की शिक्षाओं पर आधारित होता हैं जैसे "असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय"  तथा "दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना'' आदि । मध्य प्रदेश के रहने वाले एक व्यक्ति ने याचिका डाली है कि केंद्रीय विद्यालय में पढ़ी जाने वाली प्रार्थनाओं में किसी भी प्रकार के धार्मिक निर्देश नहीं दिए जा सकते । इसलिए इन्हें प्रार्थनाओं में से हटा देना चाहिए । और सुप्रीम कोर्ट इसपर सुनवाई भी करेगा।
🚩केंद्रीय विद्यालयों में जो बच्चें प्रार्थना करते है वे केवल हिंदूओ के लिए ही नहीं बल्कि सभी मनुष्यों के लिए परम् हितकारी है ।
प्रार्थना है...
असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
इसका हिन्दू में अर्थ है कि
हे प्रभु! हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलो ।अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥
🚩विदेशी लोग हमारी भारतीय संस्कृति अपनाकर उन्नति कर रहे हैं और हम पाश्चात्य संस्कृति अपनाकर अपने को बर्बाद कर रहे हैं और राष्ट्र विरोधी ताकतें तो ऐसे भी हमारी संस्कृति तोड़ने में लगी हुई है।
🚩अपनी संस्कृति पर हो रहे कुठाराघात को रोकने के लिए हिंदुस्तानियों को संगठित होकर आवाज उठानी चाहिए ।
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Friday, July 19, 2019

हिमा दास ने 15 दिन में 4 गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम किया रोशन

19 जुलाई 2019
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🚩देश की ऐसी अनेकों बेटियां है जो समाज और देश का नाम रोशन कर रही हैं, पर उनको जैसा सम्मान मिलना चाहिए ऐसा मिलता नहीं है । अभी हाल ही में एक विधायक की बेटी साक्षी मिश्रा ने घर से भागकर शादी कर ली जो एक समाज के लिए ये कार्य उचित नही है फिर भी मीडिया उसका समर्थन करके दिन रात खबरे दिखाई यहाँ तक कि उसकी माँ बीमार थी दवाई ले नही रही थी फिर भी बेटी को कुछ फर्क नही पड़ा ऐसी नीच हरकत करने वाली साक्षी की खबरें मीडिया ने खूब दिखाई, पर देश की वीर बहादुर बेटी हिमा दास ने लगातार 4 गोल्ड मैडल जीते और देश का नाम रोशन किया, लेकिन इसपर मीडिया कोई चर्चा नही कर रहे जबकि साक्षी की चर्चा से देश की बेटियां गलत दिशा में जा सकती है और हिमा दास की चर्चा से देश की बेटियां समाज और देश का नाम रोशन कर सकती हैं ।

🚩आपको बता दें कि भारत की युवा स्प्रिंटर हिमा दास ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। उन्होंने 15 दिनों के अंदर चौथा स्वर्ण पदक जीत लिया है। हिमा ने चेक गणराज्य में हुए टाबोर एथलेटिक्स टूर्नामेंट में 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण जीता।
🚩19 साल की हिमा ने बुधवार को हुई रेस को 23.25 सेकेंड में पूरा करके स्वर्ण पदक जीता। वही वीके विसमाया 23.43 सेकेंड का समय निकालते हुए दूसरे पायदान पर रहीं। यह इस सीजन का उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।
🚩पुरुष वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर मोहम्मद अनस ने 400 मीटर की स्पर्धा में 45.40 सेकेंड का समय निकालते हुए स्वर्ण पदक जीता। अनस ने 13 जुलाई को इसी स्पर्धा में 43.21 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता था।
🚩2 जुलाई के बाद से हिमा का यूरोप में हुए टूर्नामेंट में यह चौथा स्वर्ण पदक है। जीत के बाद उन्होंने ट्वीट किया, ‘आज 200 मीटर में फिर एक स्वर्ण पदक जीता और टाबोर में अपना समय बेहतर करके 23.25 सेकेंड किया।’
🚩उन्होंने दो जुलाई को पोलैंड में हुई पहली रेस को 23.65 सेकेंड में जीता था। स्त्रोत : आज तक
🚩वीर बेटी हिमा दास लगातार आगे बढ़ रही है पर उसकी चर्चा करने का समय भारत की मीडिया के पास नही है, बस थोड़ी कही कोने में खबर दिखा दिया पर जितनी साक्षी मिश्रा की चर्चा की इतनी चर्चा क्यो नही की गई?
🚩हिमा दास के पास सप्लीमेंट और प्रोटीन कभी नहीं थे जो सिर्फ दाल और चावल खाकर उस मुकाम पर पहुंची है। वह कभी स्टेडियम के पक्के ट्रैक पर नहीं दौड़ पाई क्योंकि उसके लिए तो खेतों के कच्चे रास्ते ही उसके सपने और देश के सपने पूरे करने वाले थे।
🚩हिमा दास ने जब देश के लिए विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी जब राष्ट्रीय गान चल रहा था । यह आंसू गोल्ड मेडल के नही थे यह आंसू थे भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत के राष्ट्रगान के सम्मान में और अब लगातार भारत का नाम रोशन करती जा रही है । हिमा दास सभी तरह की प्रतियोगिता में भारत को पदक अवश्य दिलाती है।
🚩हिमा दास को जो जीत में राशि मिली वो अपने पास नहीं रखी बल्कि उसने अभी हाल ही में असम बाढ़ पीड़ितों के लिए राशि दान कर दी इसे कहते हैं अपने देश अपने राज्य के प्रति वफादारी ।
🚩जब क्रिकेट मैच होता है तो अरबों रुपये का खर्च होता है, अधिकतर देशवासी उसके पीछे पागल रहते हैं, जबकि वे एक सट्टा बाजार है फिर भी देशवासी उसके पीछे पैसे और समय बर्बाद करते हैं, पर ऐसी बहादुर बेटी जो देश का नाम रोशन कर रही है और अपने पैसे देशवासियों की सेवा में लगा दिया उसके लिए न मीडिया को समय है और ना ही देशवासी उनका हौसला बुलंद करते है।
🚩अब हमें ऐसे सच्चे देशभक्त का हौसला बढ़ाना होगा जिससे उसे भी देशवासियों पर गर्व और बढ़े और इसी तरह देश का नाम और रोशन करें।
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रिपोर्ट : हिंदुओं को बदनाम करने की रची गई थी साजिश, तबरेज मामले में खुलासा

18 जुलाई 2019
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🚩आज से ही नहीं सदियों से हिंदुओं के खिलाफ षडयंत्र किया जा रहा है क्योंकि हिंदू सहनशील हैं, हिंदु मेहनती हैं, हिंदू धनी हैं, हिंदू एक नहीं हैं, इन सबका फायदा उठाकर कभी तो भगवा आतंकवाद तो कभी हिंदू साधु-संतों को बलात्कारी तो कभी हिंदू हिंसक इस तरीके से बदनाम किया जा रहा है ।
🚩जैसे भगवा आतंकवाद का नाम देकर पूरे विश्व में हिंदुओं को बदनाम किया गया वैसे ही अभी वर्तमान में जय श्री राम बोलकर मुसलमानों को पीटा गया ऐसा बोलकर बदनाम किया गया, तबरेज के मामले में भी ऐसे ही हिंदुओं को बदनाम किया गया गया पर रिपोर्ट देखकर, आप भी समझ जाएंगे कि हिंदुओं को बदनाम करने की बड़ी साजिस रची गई थी जिसमें मीडिया ने भी हिंदू विरोधी रोल बखूबी निभाया।
🚩आइए जानते है क्या है रिपोर्ट?
'जय श्रीराम' वाले मामलों पर रिपोर्ट
🚩उत्तर प्रदेश में कानपुर, उन्नाव समेत कई अन्य जिलों से सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाली खबरें सामने आईं। कानपुर और उन्नाव में तो एक समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि जय श्रीराम न बोलने पर उनकी पिटाई की गई। इन दावों ने प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा दिया। ऐसी कई घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके जरिए सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की गई है।
🚩यूपी के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा, 'अलीगढ़ में एक शख्स ने दावा किया कि उसकी टोपी उतारी गई और उसे ट्रेन में प्रताड़ित किया गया। हमने इस मामले की जांच की, वह बरेली जिले में स्थित किसी मदरसे में पढ़ता था। हमने पाया कि जिस प्रकार की बातें वह कह रहा है, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।'
🚩कानपुर और उन्नाव की घटना का किया जिक्र-
ओपी सिंह ने कहा, 'इसी तर्ज पर कानपुर और हाल ही में उन्नाव से भी घटनाएं सामने आईं। जहां लोगों ने यह दावा करते हुए एफआईआर दर्ज कराई कि उनसे जय श्रीराम का नारा लगाने को कहा गया जबकि तथ्य इन बयानों के एकदम विपरीत थे।'
🚩क्या था उन्नाव का मामला?
बता दें कि हाल ही में उन्नाव से एक मामला सामने आया था, जिसमें मदरसे के छात्रों का कहना था कि उन्हें जय श्रीराम न बोलने पर कुछ युवकों ने बुरी तरह से पीटा। मामले की जांच के दौरान जय श्रीराम बोलने जैसी कोई बात सामने नहीं आई थी। इतना ही नहीं, मदरसे के मौलवी निसार अहमद ने जिन युवकों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था, पुलिस इन्वेस्टिगेशन में उनकी घटनास्थल पर मौजूदगी भी नहीं पाई गई थी।
स्त्रोत - नवभारतटाइम्स
🚩तबरेज मॉब लिंचिंग: SDM की रिपोर्ट
एसडीएम की एक विस्तृत रिपोर्ट में तबरेज की मौत के लिए डॉक्टर और पुलिसकर्मी जिम्मेदार बताए गए हैं।

🚩तबरेज मॉब लिचिंग मामले की बुधवार को रांची हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में सरायकेला के एसडीएम ने विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के मुताबिक, तबरेज की मौत के जिम्मेदार डॉक्टर और पुलिसकर्मी हैं। दोनों ने स्वीकृति बयान को हल्के में लिया। इसके साथ ही एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
🚩मारपीट की घटना के एक हफ्ते बाद अंसारी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। उनकी हत्या के मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट दो दिन पहले सरायकेला पुलिस को सौंपी गई। जांच के दौरान यह पाया गया है कि तबरेज अंसारी को बचाने के लिए दो थानों के प्रभारी अधिकारी ने समय पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
🚩जिन डॉक्टरों ने तबरेज का इलाज किया, उन्होंने ठीक से नहीं जांचा। अंसारी की हत्या को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। स्त्रोत : आजतक
🚩आपने ऊपर दी गई रिपोर्ट देखी जिससे ये साफ हो गया कि जहाँ हिन्दू-मुसलमान का कोई मसला ही नहीं है वहाँ पर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो सरकार और हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश रच रहे थे, जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए ये सब किया जा रहा था और मीडिया उसका खुब साथ निभा रही थी।
🚩हिंदुओं को सजग व एक रहने की अत्यंत जरूरत है, सहिष्णु के नाम पर पलायनवादी नहीं बनना है, कोई भी हिंदुनिष्ठ या हिन्दू धर्मगुरु या हिंदू कहीं भी फसाया जाता है तो एकजुट होकर उसकी सहाय करिए अन्यथा जो राष्ट्र विरोधी ताकतें चाहती हैं कि हमारी एकता टूट जाये, उनकी मुरादें पूरी हो सकती है । हमारी एकता तोड़ने के लिए पहले हिंदुनिष्ठ नेता एवं हिंदू साधु-संतों को टारगेट करते है उनको बदनाम करते हैं, जेल भेजते हैं या हत्या करवा देते हैं इसलिए ऐसी घटना कहीं भी घटित होती दिखे तो मिलकर मुकाबला करना होगा तभी हिंदुओं का अस्तित्व बच सकेगा।
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कुरान बांटने का फैसला कोर्ट ने वापिस लिया पर हिंदुओं के साथ ऐसा क्यों?

17 जुलाई 2019
🚩न्यायालय का काम है सभी धर्म, मजहब, जाति-पंत से ऊपर उठ कर निष्पक्ष फैसले सुनाना, लेकिन अभी कुछ सालों से न्यायालय अपने अजीबोगरीब फैसलों के कारण सुर्खियों में रहा है । न्यायालय से दिन-प्रतिदिन हिंदुओं की भावनाएं आहत हो ऐसे फैसले आ रहे हैं । सबरीमाला, जलीकट्टू, दही हांडी, दीवाली पर पटाखे ऐसे कई मामले में जिसमें हमें न्यायालय का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है ।

🚩अब ऐसा ही एक मामला आ रहा है पिठोरिया से, जहाँ 19 वर्षीय ऋचा भारती को धार्मिक भावनाएं आहत करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया था । सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार ऋचा भारती को रांची के व्यवहार न्यायालय से सोमवार को सशर्त जमानत मिल गई। अदालत ने आरोपी ऋचा को पांच कुरान सरकारी स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में दान करने का निर्देश दिया था हांलाकि अब न्यायालय ने ये फैसला वापिस ले लिया है।
🚩कोर्ट के इस फैसले पर ऋचा ने टिप्पणी की है और कहा कि जब दूसरे समुदाय के लोग ऐसा करते हैं तो उन्हें हनुमान चालीसा बांटने को क्यों नहीं कहा जाता?
🚩ऋचा ने कहा कि मुझे जैसी सजा दी गई है क्या ऐसी ही सजा उन्हें दी जाती है जो हिंदू धर्म के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते हैं या तस्वीरें पोस्ट करते हैं। बड़ा सवाल है कि क्या उन्हें हनुमान चालीसा पढ़ने या दुर्गा जी की पूजा करने को कहा जाएगा तो वे इसे मानेंगे।
🚩क्या है मामला ?
🚩टिक टोक पर एक मुस्लिम लड़के ने वीडियो बना कहा था कि अगर तबरेज अंसारी के बच्चे आतंकवादी बन जाएं तो न कहना, इसपर सवाल उठाते हुए ऋचा भारती ने कहा कि एक धर्म विशेष के मन में ही आतंकवादी बनने का विचार क्यों आता है ? कश्मीरी पंडितों के साथ इतना अन्याय हुआ लेकिन उनके बच्चे कभी नहीं कहते कि हम आतंकवादी बनने जा रहे हैं, सिर्फ मुस्लिम ही आतंकवादी बनने का क्यों सोचते हैं ?
🚩वैसे प्रश्न तो कोई गलत नहीं था, लेकिन इससे एक मुस्लिम महिला ने आहत हो शिकायत दर्ज की और हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वाले टिक टोक के लड़के को न पकड़ पाने वाली पुलिस नेमात्र 3 घण्टे के अंदर ही ऋचा को गिरफ्तार कर लिया ।
🚩भारत देश एक धर्म निरपेक्ष देश है ऐसी कहावत आज तक हम सुनते आए हैं, लेकिन आज के हालातों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है ऊपर से न्यायालय द्वारा दिये जाने वाले कई फैसले हिन्दू विरोधी होते हैं ।  जज साहब भले खुद हिंदूवादी न कहलाये, हिंदुओं के पक्ष में फैसले न सुनाये, लेकिन संविधान को तो मानना चाहिए, यही संविधान कहता है कि लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता काअधिकार मिले । तो क्या हिंदुओं के लिए उनकी कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है ? हजारों मुस्लिम हिंदुओं के देवी देवताओं, हिंदू धर्मगुरु, हिंदी धर्म पर गलत टिप्पणी करते हैं, क्या अदालत उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता या रामायण बाँटने की सज़ा सुनाने की हिम्मत भी कर सकती है ?
🚩हमे बताया गया है कि हम एक लोकतांत्रिक देश मे रहते हैं जो भारतीय संविधान से चलता है, न कि किसी धार्मिक किताब से, और ऐसी किताब से तो बिल्कुल नही जिसका अनुसरण कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकी संगठन करते हों।
🚩संसद में एक मुस्लिम नेता खुलेआम कहता है कि मैं वंदे मातरम नहीं कहूंगा तब तो उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई, एक मुस्लिम युवक अकबरुद्दीन ओवैसी हिंदुओं को मारने धमकी देता है उसे कोई कुछ नहीं कहता, तब इनका जमीर कहाँ सो जाता है ? लेकिन हिंदुओं के समय पर ये तो जागरूक हो ऐसे फैसले सुनाते हैं ।
🚩अगर किसी अदालत ने गीता या रामयण बांटने के लिए कहा होता तो अब तक कितने पत्रकार, नेता और समाज  सुधारक के साथ साथ फिल्मी भांड कपड़े उतार के नंगे नाच रहे होते, लेकिन कुरान बाँटने का आदेश दिया तो ये सब चुप है।
🚩कोर्ट ने कुरान बांटने का जो निर्णय वापिस ले लिया ये भी हिन्दूओं की एकजुटता की ताकत है, लेकिन सिर्फ इसी से संतुष्ट होकर बैठना नहीं चाहिए।
🚩आज जरूरत है, समय की मांग है हिंदुओं को संगठित होने की वरना वो दिन दूर नहीं जब न्यायालय हिंदुओं के पक्ष में फैसला नहीं दे और हिंदू लाचार की नाई अपमान सहन करते हुए गुलाम बन जाये।
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