Friday, August 2, 2019

अमेरिका व यूरोप में तनाव दूर करने के लिए फीस देकर गायों के गले लग रहे हैं

02 अगस्त 2019

🚩मनुष्य के जीवन में देशी गाय माता का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है । गाय माता के दूध-दही-घी-मूत्र-गोबर से बने पंचगव्य से भयंकर बीमारियां भी ठीक हो जाती है, गाय के अंदर 33 करोड़ देवता का वास होता है, तभी तो भगवान श्री कृष्ण भी स्वयं गाय चराते थे, यहाँ तक बताया गया है कि गाय के गोबर से जहाँ लीपन किया जाता है वहाँ अगर परमाणु बम भी गिरे तो भी उसका असर नहीं होता है । गाय की उपयोगिता के बारे में कितना भी लिखें वो कम है ।

🚩आज के समय में दुनिया में सबसे ज्यादा लोग तनाव के शिकार हैं। लोग तनाव से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं, लेकिन आप केवल गाय के साथ समय बिताकर और उसे गले लगाकर भी अपना तनाव दूर कर सकते हैं।

🚩दरअसल, इस समय काउ कडलिंग अमेरिका में तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है। इसके अंतर्गत व्यक्ति गाय के साथ शांत माहौल में समय बिताता है और अपनी परेशानियों को भूल जाता है।

🚩यूरोपियन देशों में काउ कडलिंग (गाय को लाड दुलार करना) के सेशन काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन अब अमेरिका में भी इसकी माँग बढ़ रही है। अब अमेरिकियों के लिए भी यह सुविधा न्यूयॉर्क में शुरू हो गई है। एक घंटे के लिए 75 डॉलर (लगभग 5200 रुपए) खर्च करने होंगे। इसके बाद व्यक्ति गाय के साथ शांत माहौल में रह सकता है, ताकि उनका तनाव दूर हो सके। इससे लोगों का तनाव दूर होगा।

🚩अभी न्ययूॉर्क के 33 एकड़ में फैले माउंटेन हाउस फार्म में यह सुविधा शुरू हुई है। इस फार्म में पिछले 9 सालों से घोड़ों के साथ वेलनेस सेशन चल रहे थे, लेकिन काउ कडलिंग को अभी शुरू किया गया है। फार्म की मालकिन सुजन वूलर्स मूल रूप से नीदरलैंड्स की हैं। पति के साथ न्यूयॉर्क में फार्म चलाती हैं।

🚩गाय के साथ समय बिताने के स्वास्थ्य संबंधी फायदों के बारे में जानने के बाद सुजन नीदरलैंड गईं और वहाँ से दो गाय लाईं। इसके बाद उन्होंने काउ कडलिंग सेशन की शुरुआत न्यूयॉर्क में कर दी।

🚩दिन में एक या दो सेशन्स होते हैं:

स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड में स्ट्रेस दूर करने के लिए काउ कडलिंग सेशन्स होते हैं। वूलर्स बताती हैं, सच कहूं तो मैं नहीं जानती थी कि अमेरिका में काउ कडलिंग और इसके फायदों से लोग अंजान हैं। इसलिए मैं अपनी दो गायों बोनी और बेला को यहां ले आई। लोगों को डॉग और कैट थेरेपी के बारे में तो काफी पता है, लेकिन बड़े जानवरों से वे दूर ही रहते हैं।

🚩गाय का शांत व्यवहार लोगों को रिलेक्स महसूस करवाता है। बस एक शांत माहौल में गाय के साथ रहकर उसके दिल की धड़कन को सुनें, आप अपनी सारी परेशानियां भूल जाएंगे। हमारे फार्म में दिन में काउ कडलिंग के दो सेशन ही होते हैं। स्त्रोत : भास्कर

🚩विदेशों में गाय की महत्ता समझकर तनाव दूर करके लोग स्वस्थ रह रहे हैं और भारत में गौहत्या हो रही है कितना दुर्भाग्यपूर्ण है।

🚩आज जो हमारे देश मे भूकंप, बाढ़ आदि आते हैं, उसका कारण भी गौहत्या ही है, जब गाय की हत्या हो रही होती है, तब उसकी चीख जो निकलती है उससे पृथ्वी माता काँपने लगती है ।

शास्त्रों में लिखा है कि
भूकंप कहे गाइ की गाथा।
कांपे धरा त्रास अति जाता।

अर्थात जब गौमाता को कष्ट होता है, तभी पृथ्वी कांपती है अर्थात भूकम्प आता है ।

🚩अथर्ववेद के अनुसार- गाय समृद्धि का मूल स्रोत व प्रचुरता की द्योतक है एवं सृष्टि के पोषण की स्रोत व जननी है । गाय माता में 33 करोड़ देवताओं का वास हैं ।

🚩गाय को सताना घोर पाप है । उसकी हत्या से तो नर्क के द्वार खुल जाते हैं तथा करोड़ों जन्मों तक दुःख भोगना पड़ता है ।

🚩"गौमय वसते लक्ष्मी" यह हमारी प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक संस्कृति का मूल-मंत्र रहा है ।

आज के वैज्ञानिक भी कहते हैं कि गाय ही एकमात्र ऐसा पवित्र प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है ।

🚩रुसी वैज्ञानिक शिरोविच ने बताया है कि 1 चम्मच गौघृत जला कर हम 1 टन प्राणवायु प्राप्त कर सकते हैं ।

🚩बता दें कि एलोपैथिक दवाओं, रसायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण शरीर में एकत्रित विष गाय के दूध से ही नष्ट होता है ।

🚩गौ माता का दूध,दही,गौ-मूत्र,गोबर आदि जीवन के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ वरदान स्वरुप है ।

🚩अमेरिका कैंसर की दवा बनाने के लिए भारत से गौमूत्र आयात करता है और हम लोग पवित्र गौ-माता को कत्लखाने भेज देते हैं । ये उचित नहीं है ।

🚩प्रत्येक हिन्दुस्तानी का यह परम् कर्तव्य है कि वो गौ-गीता और संतों का सम्मान करे । ऐसा करेंगे तभी हम देश को सही दिशा की ओर ले जा पाएंगे और देश को गुलाम होने से बचा पाएंगे ।

🚩मोदी सरकार ने जैसे रातोंरात नोटबन्दी कर दी थी, वैसे ही रातोंरात घोषणा कर देनी चाहिए कि पूरे देश में गौहत्या बंद हो और गाय को राष्ट्रीय माता घोषित करके गौहत्यारों को फांसी की सजा का प्रावधान कर देना चाहिए ।

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Thursday, August 1, 2019

हिंदू मन्दिरों की लूट सिर्फ 11वीं नहीं, 21वीं शताब्दी में भी चल रही है

01 अगस्त 2019
http://azaadbharat.org
🚩पूर्व में मुग़लों एवं अंग्रेजों ने भारत के मंदिरों को लूटा, अरबों-खरबों रुपए लेकर चले गए । मंदिर में भक्त इसलिए दान देते हैं कि गरीबों, गायों के रक्षण में, धार्मिक कार्यों में, मंदिर की देखभाल एवं समाज और देश की सेवा के लिए काम आ सके, लेकिन आज उससे विपरीत हो रहा है, बड़े-बड़े मंदिरों को सरकार ने अपने अधीन करके रखा है उसके पैसे मंदिरों, गरीबों एवं देश की सेवा के लिए नहीं बल्कि चर्च, मस्जिद एवं मौलवी और इमाम के लिए खर्च किये जा रहे हैं । एक तरफ तो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश कहा जाता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ हिंदू मदिरों को लूटकर चर्च और मस्जिदों का विकास किया जा रहा है फिर देश धर्मनिरपेक्ष कहाँ से हुआ?

🚩श्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने हाल ही में राज्य के बजट का प्रस्ताव रखा जिसमें एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई है, जिसके कारण हिंदुओं में बहुत अधिक रोष है, विशेषकर जो धार्मिक रूपांतरण का विरोध करते हैं । आंध्र प्रदेश सरकार ने ईसाई पादरी, मुस्लिम इमामों को मासिक वेतन देने का प्रस्ताव किया है। इस योजना के लिए वर्ष 2019 - 20  के लिए कुल 948.72 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं।
दूसरी ओर, हिंदू पुजारियों / पंडितों का इस योजना में कोई उल्लेख नहीं मिलता है ।
🚩उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश सरकार ने निम्नलिखित अनुदान दिया है । (परोक्ष सुचना स्रोत http://christianminorities.ap.nic.in/)
1. नया चर्च निर्माण: 1,00,000 रुपये तक
2. चर्च की मरम्मत: रु 30,000 तक
3. क्रिश्चियन अस्पताल: रु 10,00,000 तक
4. क्रिश्चियन स्कूल भवन: रु 5,00,000 तक
5. क्रिश्चियन अनाथालय: रु 5,00,000 तक
6. क्रिश्चियन ओल्ड एज होम: रु 5,00,000 तक
7. ईसाई समुदाय हॉल सह युवा संसाधन केंद्र: रु 5,00,000 तक
🚩कुछ लोग उस वेतन की तुलना कर रहे हैं जो हिंदू मंदिरों में काम करने वाले पुजारियों को श्री जगनमोहन रेड्डी की नई योजना के तहत मिलते हैं । यह अज्ञानता के अलावा और कुछ नहीं है । जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें और अन्य लोगों को भी पता होना चाहिए कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अधिकांश हिंदू मंदिर राज्य के हाथों में हैं और जो वेतन दिया जाता है वह मंदिर के पैसे से है राज्य के बजट से नहीं ।
🚩यह एक अलग कहानी है कि हजारों एकड़ मंदिरों पर अतिक्रमण किया गया था और सरकार द्वारा वैध रूप से या अवैध रूप से दोनों तरह से और मंदिरों की हजारों करोड़ की संपत्ति लूटी गई थी।
🚩विजयवाड़ा के पास दशरिपलेम नामक एक गाँव में एक और घटना घटी, जिसमें ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में वापस आने वाली 3 महिलाओं को धमकी दी गई। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, उनके जीवन को दयनीय बना दिया गया था और यहां तक ​​कि पुलिस भी उनकी शिकायत दर्ज नहीं कर रही है ये केवल वे घटनाएं हैं जो सामने आईं और हमें नहीं पता कि नए प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद से कितने और हुए।
🚩क्या भरत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है?
व्यावहारिक तौर पर देखें तो भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं है । परिभाषा के अनुसार एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को खुद को किसी धर्म विशेष से दूर रखना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है । भरत में, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अधिकांश पार्टियाँ बहुसंख्यक हिंदुओं को ठगती हैं और तथाकथित अल्पसंख्यकों को खुश करती हैं । शायद भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ बहुसंख्यक लोग समानता के लिए लड़ते हैं और लगभग 20 करोड़ की आबादी वाला धर्म अल्पसंख्यक माना जाता है। मुझे यकीन नहीं है कि हमारे राजनीतिक दलों ने धर्मनिरपेक्षता की इस परिभाषा को उधार लिया है, लेकिन भारत में जो हो रहा है वह सहीं मायने में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में नहीं हो सकता है।
🚩इसका हल क्या है?
जब तक मन्दिर सरकार के चंगुल से मुक्त नहीं होते तब तक चढ़ावा चढ़ाना बंद करें । पुजारियों के वेतन के लिए हिन्दू समाज वैकल्पिक व्यवस्था बनाए । सरकारों को अहसास कराएं कि हिन्दू समाज सरकारी पक्षपात को पहचानता है । अन्यथा हम यूं ही लुटते रहेंगे ।
https://www.pgurus.com/paying-salaries-to-pastors-and-imams-by-andhra-govt-robbing-paul-to-pay-peter/
🚩हिंदुस्तान हिन्दुओं का देश है, हिन्दू बहुसंख्यक है उनको पूरा अधिकार मिलना चाहिए हमेशा हिन्दुओं की आस्था पर ही कुठाराघात होता है ।
चर्चो या मस्जिदों में सेवा के नाम पर देशवासियों का धर्मान्तरण और दंगे करवाने के लिए विदेश से भारी फंडिंग होती है इस बात का खुलासा भी कई बार हुआ है, लेकिन सरकार उन पर कभी नियंत्रण नहीं करती है बल्कि जो समाज में अच्छे सेवाकार्य कर रहे हैं, समाज मे सुख-शांति पहुँचा रहे है, गरीबों कि मदद कर रहे है उन मंदिरों और आश्रमों पर ही सरकार कि नजर क्यों जाती है?
🚩मंदिरों और आश्रमों का पैसा केवल समाज में हो रहे अच्छे कार्यो में लगना चाहिए न कि सरकार की तिजोरियों में भरा जाना चाहिए ।  हिन्दू बाहुल देश मे हिन्दुओं की आस्था की रक्षा करनी चाहिए, मंदिरों और आश्रमो को खुद की स्वतंत्रता देनी चाहिए तभी देश-धर्म-समाज और संस्कृति कि रक्षा हो पाएगी ।
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Wednesday, July 31, 2019

अंडे खाते हैं तो हो जाइए सावधान, हो सकती हैं ये भयंकर बीमारियां

31 जुलाई 2019
http://azaadbharat.org
🚩भारतीय संस्कृति और भारतीयों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने का यह एक विराट षड्यंत्र है । अंडे के भ्रामक प्रचार के कारण ऐसे परिवार जो अंडे का छिलका तक देखना पसंद नहीं करते थे, आज बेझिझक अंडा खाते हैं । अंडे का प्रचार करके उसे जितना फायदेमंद बताया जाता है वह अपने अवगुणों के कारण उतना ही नुकसानप्रद होता है, अंडे में कई विषैले तत्व भी होते हैं, जो आपके स्वस्थ शरीर में जहर घोलने का काम करते हैं ।

🚩अंडा शाकाहारी नहीं होता है, लेकिन क्रूर व्यावसायिकता के कारण एवं ऊलजलूल तर्क देकर उसे शाकाहारी सिद्ध किया जा रहा है । मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पक्के तौर पर साबित कर दिया है कि दुनिया में कोई भी अंडा चाहे वह सेया हुआ हो या बिना सेया हुआ हो, निर्जीव नहीं होता । अफलित अंडे की सतह पर प्राप्त ‘इलेक्ट्रिक एक्टिविटी’ कोपोलीग्राफ पर अंकित कर वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि अफलित अंडा भी सजीव होता है । अंडा शाकाहार नहीं, बल्कि मुर्गी का वैनिक (रज) स्राव है ।
🚩यह सरासर गलत व झूठ है कि अंडे में प्रोटीन, खनिज, विटामिन और शरीर के लिए जरूरी सभी एमिनो एसिड्स भरपूर हैं और बीमारों के लिए पचने में आसान है । अब आप कहेंगे कि डॉक्टर्स भी तो अंडा खाने की सलाह देते हैं, तो यहां एक ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि भारत में पढ़ी जाने वाली चिकित्सा की पढ़ाई MBBS यूरोप से ली गयी है और यूरोप एक ऐसा देश है जहाँ हरी सब्जियों की तुलना में मांस एवं अंडे अधिक पाए जाते हैं ।
🚩अब आप ही बताइये एक ऐसा देश जहाँ प्रोटीन का कोई और स्रोत न हो वहाँ तो किताबों में अंडे और मांस को ही एकमात्र स्त्रोत माना ही जाएगा, लेकिन भारत में तो भरपूर मात्रा में हरी सब्जियां उपलब्ध है ।
🚩शरीर की रचना और स्नायुओं के निर्माण के लिए जितने प्रोटीन की जरूरत होती है । उसकी रोजाना आवश्यकता प्रति किलोग्राम वजन पर 1 ग्राम होती है यानी 60 किलोग्राम वजन वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है जो 100 ग्राम अंडे में से मात्र 13.3 ग्राम ही मिलता है ।इसकी तुलना में प्रति 100 ग्राम सोयाबीन से 43.2 ग्राम, मूँगफली से 31.5 ग्राम, मूँग और उड़द से 24, 24 ग्राम तथा मसूर से 25.1 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है । शाकाहार में अंडे व मांसाहार से  कहीं  अधिक  प्रोटीन होता  है  इस  बात  को अनेक  पाश्चात्य  वैज्ञानिकों  ने प्रमाणित किया है ।
🚩केलीफोर्निया के डियरपार्क में ‘सेंटहेलेना’ अस्पताल के ‘लाईफ एण्डस्टाइल एण्डन्यूट्रिशनप्रोग्राम’ के निर्देशक डॉ. जोन ए. मेक्डूगलकादावा है कि शाकाहार में जरूरत से भी ज्यादा प्रोटीन है ।
🚩1972 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही डॉ. एफ. स्टेर ने प्रोटीन के बारे में अध्ययन करतेहुए प्रतिपादित किया कि शाकाहारी मनुष्यों में से अधिकांशको हर रोज की जरूरत से दुगना प्रोटीन अपने आहार से मिल जाता है । 200 अंडे खाने से जितना विटामिन ‘सी’ मिलता है उतना विटामिन ‘सी’ एक नारंगी (संतरा) खाने से मिल जाता है । जितना प्रोटीन तथा कैल्शियम अंडे में है उसकी अपेक्षा चने, मूँग, मटर में ज्यादा है ।
🚩ब्रिटिश हेल्थ मिनिस्टर मिसेज एडवीनाक्यूरी ने चेतावनी दी कि अंडों से मौत संभावित है क्योंकि अंडों में सालमोनेला विष होता है जो स्वास्थ्य की हानि करता है । अंडों से हार्ट अटैक की बीमारी होने की चेतावनी नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन डॉ. ब्राऊन व डॉ. गोल्डस्टीन ने दी है क्योंकि अंडों में कोलेस्ट्राल भी बहुत पाया जाता है । साथ ही अंडे से पेट के कई रोग होते हैं ।
🚩डॉ. पी.सी.सेन, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतसरकार ने भी चेतावनीदी है कि अंडों से कैंसर होता है क्योंकि अंडों में भोजन तंतु नहीं पाये जाते हैं तथा इनमें डी.डी.टी. विष पाया जाता है ।
🚩जानलेवा रोगों की जड़ है : अंडा
🚩अंडे व दूसरे मांसाहारी खुराक में अत्यंत जरूरी रेशातत्त्व (फाईबर्स) जरा-भी नहीं होते हैं । जबकि हरीसाग-सब्जी, गेहूँ, बाजरा, मकई, जौ, मूँग, चना, मटर, तिल, सोयाबीन, मूँगफली वगैरह में ये काफी मात्रा में होते हैं । अमेरिका के डॉ. राबर्ट ग्रास की मान्यता के अनुसार अंडे से टी.बी. और पेचिश की बीमारी भी हो जाती है । इसी तरह डॉ. जे.एम. विनकीन्स कहते हैं कि अंडे से अल्सर होता है ।
🚩मुर्गी के अंडों का उत्पादन बढ़े इसके लिए उसे जो हार्मोन्स दिये जाते हैं उनमें स्टील बेस्टेरोलनामक दवा महत्त्वपूर्ण है । इसदवावाली मुर्गी के अंडे खाने से स्त्रियों को स्तनका कैंसर, हाई ब्लडप्रेशर, पीलिया जैसे रोग होने की सम्भावना रहती है । यह दवापुरुष के पौरुषत्व को एक निश्चित अंश में नष्ट करती है ।
🚩वैज्ञानिक ग्रास के निष्कर्ष के अनुसार अंडे से खुजली जैसे त्वचा के लाइलाजरोग और लकवा होने की भी संभावना होती है ।
🚩अंडे के अवगुण का इतना सारा विवरण पढ़ने के बाद बुद्धिमानोें को उचित है कि स्वयं भी इस विष का सेवन न करें एवं जो इसके नुकसान से वाकिफ नहीं हैं उन्हें इस विष के सेवन से बचाने का प्रयत्न करें । उन्हें भ्रामक प्रचार से बचायें ।
🚩संतुलित शाकाहारी भोजन लेने वाले को अंडा या अन्य मांसाहारी आहार लेने की कोई जरूरत नहीं है ।शाकाहारी भोजनसस्ता, पचने में आसान और आरोग्य की दृष्टि से दोषरहित होता है । कुछ दशक पहले जब भोजन में अंडे का कोई स्थान नहीं था, तब भी हमारे बुजुर्ग तंदुरुस्त रहकर लम्बी उम्र तक जीते थे । अतः अंडे के उत्पादकों और भ्रामक प्रचार की चपेट में न आकर हमें उक्त तथ्यों को ध्यान में रख कर ही अपनी इस शाकाहारी आहार संस्कृति की रक्षा करनी होगी ।
🚩आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः ।
1971 में ‘जामा’ पत्रिका में एक खबर छपी थी । उसमें कहा गया था कि ‘शाकाहारी भोजन 60 से 67 प्रतिशत तक हृदयरोग को रोक सकता है ।उसका कारण यह है कि अंडे और दूसरे मांसाहारी भोजन में चर्बी (कोलेस्ट्राल) की मात्रा बहुत ज्यादा होती है ।’
केलिफोर्निया की डॉ. केथरिन निम्मो ने अपनी पुस्तक ‘हाऊ हेल्दीयरआर एग्ज’ में भी अंडे के दुष्प्रभाव का वर्णन किया है ।
🚩वैज्ञानिकों की इन रिपोर्टों से सिद्ध होता है कि अंडे के द्वारा हम जहर का ही सेवन कर रहे हैं । अतः हमें अपने-आपको स्वस्थ रखने व फैल रही जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए ऐसेआहार से दूर रहने का संकल्प करना चाहिए व दूसरों को भी इससे बचाना चाहिए ।
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