Tuesday, August 13, 2019

संस्कृत भाषा कितनी महान है जानिए बड़ी हस्तियों के उद्गार

13 अगस्त 2019

🚩देववाणी संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है, संस्कृत भाषा से ही विश्व की सभी भाषाओं का उद्गम हुआ है । 15 अगस्त को संस्कृत दिवस है, लेकिन अधिकतर भारतवासीयों को ये बात पता नही होगी क्योंकि ये सब इतिहास में पढ़ाया नहीं जाता है ।

🚩संस्कृत भाषा की कितनी महिमा है, उसका कोई भी पूरा वर्णन नहीं कर सकता आइए आपको बताते हैं कि कई बड़ी-बड़ी हस्तियों ने क्या कहा है संस्कृत भाषा के बारे में...

🚩संस्कृत भारतीय अस्मिता है। भारतीय भाषाओं में मात्र संस्कृत ही देश के लोगों को अपनी संस्कृति और इतिहास से परिचित कराकर भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करने में समर्थ है। - पूर्वमहामहिम राष्ट्रपति, श्री ज्ञानी जेल सिंह

🚩भारतवर्ष में संस्कृत भाषा ही ऐसी भाषा है जो सर्वग्राह्य है । स्वतंत्रता संग्राम के समय जब बोलचाल के लिए अंग्रेजी भाषा का हर और विरोध हो रहा था । तब जेल में विभिन्न प्रान्तों व प्रदेशो के स्वतंत्रता  सेनानियों को परस्पर बातचीत करने व समझने में संस्कृत भाषा ही अयत्यन्त सहायक व उपयोगी सिद्ध हुई। - स्वतंत्रता सेनानी श्री मन्मथनाथ गुप्त

🚩भारतीय ऋषियों ने हमेशा तन, मन और धन संस्कारों में पवित्रता के उपाय बताए, साथ ही वाणी की शुद्धता के लिए भी उन्होंने देश को संस्कृति के रूप में एक वैज्ञानिक भाषा का वरदान दिया है। -पूर्व मंत्री, दिल्ली, श्री राजेन्द्र गुप्ता

🚩स्वाधीनता की प्रेरणा संस्कृत वाड्मय ने दी और स्वतंत्रता सेनानियों ने गुरुकुलों से इसकी योजना तैयार की । -पूर्वमहापौर, दिल्ली नगर निगम, श्रीमती शाकुन्तल आर्य

🚩भारत और भारतीयता की कल्पना संस्कृत भाषा मे अभाव में अधूरी है ।
-पूर्वसंसदीय सचिव, दिल्ली विधानसभा, श्री नंदकिशोर गर्ग

🚩समाज में नैतिकता का ह्रास संस्कृत भाषा की उपेक्षा के कारण हुआ है। -पूर्वखाद्य , संभकारण एवं समजकल्यानमंत्री, दिल्ली कु० पूर्णिमा सेठी

🚩संस्कृतज्ञ और संस्कृति-प्रेमी लोग ही भारत को नई दिशा दे सकते हैं । - पूर्वनागार्निगमपार्षद, दिल्ली, श्री महेश चंद्र शर्मा

🚩कविता के द्वारा राष्ट्रजगारण का कार्य सर्वप्रथम संस्कृत-कवियों ने किया । - पुरबविधायक दिल्ली, श्री जीतराम सोलंकी

🚩महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण ने जिस प्रकार तत्कालीन समाज में संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया था, उसी प्रकार इस समय संस्कृत विद्वानों को कुछ विशिष्ट रचनाओं के द्वारा करना चाहिए । - पूर्वविधायक, दिल्ली, श्री स्वरूपचंद राजन

🚩संस्कृत वाड्मय समस्त ज्ञान-विज्ञान का कोष है, संप्रति लोक जीवन के कल्याणार्थ का व्यवहार आवश्यक है । - पूर्वविशेष सचिव (भाषा एवं शिक्षा), दिल्ली, श्री अनंत सागर अवस्थी

🚩मानव-इतिहास के सम्पूर्ण तथ्य संस्कृत वाड्मय में है, इसलिए मानवोत्थान के लिए संस्कृत की शिक्षा आवश्यक है -पूर्वपाध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा, चौ० फतेह सिंह

🚩संस्कृत भाषा के माध्यम से ही छात्रों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराया जा सकता है । शिक्षामंत्री, दिल्ली सरकार, श्री अरविंद सिंह लवली

🚩संस्कृत भाषा मानवजाति के चित को समृद्ध करनेवाली प्राचीन व सर्वभौम भाषा है । इस भाषा के पास ऐसी शक्तियां है कि इसमें साहित्य और विज्ञान दोनो को समान रूप से अभिव्यक्ति मिली है । सम्प्रति इसके प्रचार के लिए बाल-साहित्य के रूप में चित्र कथाओं की रचना की जानी चाहिए । - पूर्वमहमहिम, राष्ट्रपति डॉ० शंकरदायलाल शर्मा

🚩वैदिक मंत्रोच्चार की ध्वनि इतनी प्रभावी होती है कि श्रवणमात्र से ही मन सात्विक हो जाता है। - पूर्वमहामहिम उपराष्ट्रपति, डॉ० कृष्णकांत शर्मा

🚩संस्कृत भाषा में संग्रहित ज्ञान-विज्ञान के विषयों के माध्यम से मानव संस्कृति का समुचित विकास संभव है । - पूर्वमहामहिम उपराष्ट्रपति, श्री भौरवसिंघ शेखावत

🚩अपनी संस्कृति जीवन मूल्यों तथा विज्ञान के तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिए संस्कृति की सीखना व उसका अध्ययन करना आवश्यक है। - पूर्वलोक सभा अध्यक्ष श्री रविराह

🚩संस्कृत भारतीय जन मानस की भाषा है जिसमें भारत का अंग प्रत्यंग स्पंदित होता है।  संस्कृत ने "वसुधैव कुटुम्बकम" के आदर्शों को समाज में आत्मसात करने का निरंतर प्रयास किया है । - पूर्वप्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर

🚩सर्वोच्च न्यायालय के संस्कृत संबंधी फैसले के बाद उन लोगो की आंखे जरूर खुली होंगी जो संस्कृत भाषा के विरोधी हैं । - पूर्वप्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी

🚩संस्कृत साहित्य के कारण भारत विश्व में अग्रणी रहा है। संस्कृत वाड्मय से ही प्रेरणा लेकर अन्य साहित्य विकसित हुए । - पूर्वप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री भारत सरकार, श्री लालकृष्ण आडवाणी

🚩संस्कृत सम्पूर्ण ब्रह्मांड की भाषा है। और संस्कृत ज्ञान-विज्ञान का भंडार है । आज का वैज्ञानिक संस्कृत साहित्य की ओर देख रहा है और उसके वैज्ञानिक तत्वों पर शोध करना चाहता है । - पूर्वमानव संसाधन एवं विकास मंत्री भारत सरकार डॉ० मुरली मनोहर जोशी

🚩मैंने अनुभव किया है कि संस्कृत ही केवल ऐसी भाषा है जिससे मन-मस्तिष्क सुसंस्कृत एवं परिमार्जित होता है। - डॉ० अक्षय कुमार जैन


🚩सैकड़ों वर्षों के दमन के बावजूद भी जो संस्कृत भाषा अपने शुद्ध स्वरूप में विद्यमान है । उसकी उपयोगिता और वैज्ञानिकता के विषय में शंका का प्रश्न ही नहीं होना चाहिए। -पूर्वसंसद सदस्य, श्री रीतलाल प्रसाद वर्मा

🚩संस्कृत भाषा भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा के रुप में दीर्घकाल तक जनमानस के हृदय में विराजमान रही । इसलिए जीवन-मूल्यों से जुड़े हुए सारे बिंदु इसके साहित्य उपलब्ध होते हैं । -चिकित्साशास्त्री, कविराज स्वजान चंद

🚩आज के इस बढ़ते हुए विघटनकारी वातावरण में जिसकी न केवल भारत को बल्कि सम्पूर्ण विश्व को आवश्यकता है, उस अहिंसा के संबंध में समूचा संस्कृत साहित्य ऐसे आयामों के वर्णन से परिपूर्ण है, जहाँ न केवल मानव का मानव के प्रति सद्भावना का उल्लेख मिलता है, अपितु लताओं, वृक्षों, पशु-पक्षियों के प्रति भाई-बहन व संतान-सदृश स्नेह करना बताया गया है। - बौद्धभिक्षु धम्म विरर्यू

🚩संस्कृत हमारे देश की आत्मा है और हमारी संस्कृति की पहचान है । इसे जीवित रखने के लिए हम सबको संस्कृत सिखने का प्रयत्न करना चाहिए -वरिष्ठ परामर्शदाता गृहमंत्रालय, भारत सरकार, श्री एस० बालाकृष्णन

🚩संस्कृत भूत, भविष्य और वर्तमान भारत के लोकमानस की अभिव्यक्ति है । -पूर्व रक्षा सचिव, भारत सरकार, डॉ० के० पी०ए० मेनन

🚩विश्व का समग्र शोध, चिंतन एवं लेखन संस्कृत साहित्य पर आधारित है, अतः भारत का गौरव संस्कृत के प्रचार पर ही निर्भर है ।  -पूर्वमुख्य सचिव, दिल्ली सरकार, श्री उमेश सौगल

🚩मानव सभ्यता के स्वस्थ मूल्यों का उदघोष संस्कृत भाषा और इसके साहित्य के माध्यम से ही हुआ है, जिसने भारत को जगत में विश्वगुरु का गौरव प्रदान किया। - पूर्वमुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय श्री रंगनाथ मिश्र

🚩संस्कृत के छात्र, शिक्षक और विद्वान ही देश के स्वरूप और समाज के दृष्टिकोण को बदल सकते हैं । - सदस्य दिल्ली, विधानसभा, श्री रूपचंद

🚩जो विज्ञान, गणित, अभियांत्रिकी आदि विषय व्यावसायिक शिक्षा के आधार है, उनका मूलज्ञान संस्कृत भाषा में ही है । सदस्य दिल्ली विधानसभा, श्री मालाराम गंगवाल

🚩संस्कृत भाषा के माध्यम से ही संस्कृति की रक्षा की जाती है। - पूर्व सचिव (भाषा, कला एवं संस्कृति, नीता बाली)

🚩रामायण जैसे संस्कृत काव्यों की उपयोगिता और सार्थकता आज के समाज के लिए उसी प्रकार है, जैसे कि त्रेता में थी। -पूर्वसद्स्य दिल्ली विधानसभा, श्री मोतीलाल बाकोलिया

🚩संस्कृत भाषा की प्रेरणा से अनेक भाषाओं के साहित्य का विकास हुआ है । संस्कृत साहित्य के बिना किसी भी विषय का अनुसन्धान पूर्ण नहीं माना जा सकता है । -पूर्वसद्स्य, दिल्ली विधानसभा, श्रीमती दर्शना, संकुमार

🚩प्रशासनिक अधिकारी को संस्कृत साहित्य का अध्ययन करना चाहिए, इससे भारत के सर्वागीण विकास में वह योगदान दे सकेगा । - श्री एन० गोपाल स्वामी (आई० ए० एस०)

🚩संस्कृत साहित्य न केवल आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण है, बल्कि विज्ञान ज्योतिष, चिकित्सा, भूगोल जैसे विषय भी संस्कृत भाषा में है । -माननीय उपराष्ट्रपति जी के पूर्व विशेषकार्य, डॉ० के० एल० गांधी

🚩संस्कृत साहित्य के लिए यह भाषाओं की अपेक्षा गूढ़ एवं गहन स्वाध्याय की आवश्यकता होती है । अतः शिक्षा में संस्कृत का समावेश आवश्यक है । -सदस्य, दिल्ली विधानसभा, श्री अमरीश गौतम

🚩संस्कारों और संस्कृति की शिक्षा के लिए शिक्षानीति में संस्कृत को अनिवार्य रूप से लागू करने की आवश्यकता है - सदस्य, दिल्ली विधानसभा, श्री मोतीलाल सोढ़ी

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 facebook :

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt

🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf


🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, August 12, 2019

तसलीमा नसरीन ने बताया कि कैसे मनाते हैं ईद?

12 अगस्त 2019
http://azaadbharat.org
🚩ईद की सुबह स्‍नानघर में घर के सभी लोगों ने बारी-बारी से कोस्‍को साबुन लगा‍कर ठण्डे पानी से गुस्‍ल किया। मुझे नए कपड़े -जूते पहनाए गए, लाल रिबन से बाल से बाल संवारे गए, मेरे बदन पर इत्र लगाकर कान में इत्र का फाहा ठूंस दिया गया। घर के लड़कों ने कुर्ता-पाजामा पहनकर सिर पर टोपी लगाई । उनके कानों में भी इत्र के फाहे थे । पूरा घर इत्र से महकने लगा।
🚩घर पुरूषों के साथ मैं भी ईद के मैदान की ओर चल पड़ी । ओह कितना विशाल मैदान था। घास पर बिस्‍तर के बड़े-बड़े चादर बिछाकर पिताजी , बड़े भैया , छोटे भैया और बड़े मामा के अलावा मेरे सभी मामा वहां नमाज पढ़ने के लिए खड़े हो गए। पूरा मैदान लोगों से भरा हुआ था । नमाज शुरू होने के बाद जब सभी झुक गए, तब में मुग्‍ध हो‍कर खड़ी-खड़ी वहां का दृश्‍य देखनेलगी। बहुत कुछ हमारे स्‍कूल की असेम्‍बली के पीटी करने जैसा था , जब हम झुककर अपने पैरो की अगुलियां छूते थे , तब वहां भी कुछ ऐसा ही लगता होगा । नमाज खत्‍म होने के बाद पिताजी अपने परिचितों से गले मिलने लगे। गले मिलने का नियम सिर्फ लड़को में ही था । घर लौटकर मैंने अपनी मां से कहा, ''आओ मां ,हम भी गले मिलकर ईद मुबारक कहें।''
मां ने सिर हिलाकर कहा ,"लड़कियां गले नहीं मिलतीं ।"
"क्‍यों नहीं मिलतीं" पूछने पर वे बोलीं, "रिवाज नहीं है ।"
*मेरे मन में सवाल उठा, "रिवाज क्‍यों नहीं है ?"
🚩खुले मैदान में कुर्बानी की तैयारियां होने लगीं । तीन दिन पहले खरीदा गया काला सांड़ कड़ई पेड़ से बंधा था । उसकी काली आखों से पानी बह रहा था । यह देखकर मेरे दिल में हूक उठी किएक जीवित प्राणी अभी पागुर कर रहा है, पूंछ हिला रहा है जो थोड़ी देर बाद गोश्‍त के रूप में बदलकर बाल्टियों में भर जाएगा । मस्जिद के इमाम मैदान में बैठकर छुरे की धार तेज कर रहे थे । हाशिम मामा कहीं से बांस ले आए । पिताजी ने आंगन में चटाई बिछा दी ,जहां बैठकर गोश्‍त काटा जानेवाला था । छुरे पर धार चढ़ाकर इमाम ने आवाज दी ।
हाशिम मामा , पिताजी और मुहल्‍ले के कुछ लोगों ने सांड़ को रस्‍सी से बांधकर बांस से लंगी लगाकर उसे जमीन पर गिरा दिया । सांड़ 'हम्‍बा' कहकर रो रहा था । मां और खाला वगैरह कुर्बानी देखने के लिए खिड़की पर खड़ी हो गई । सभी की आंखों में बेपनाह खुशी थी।
🚩लुंगी पहने हुए बड़े मामा ने, जिन्‍होंने इत्र वगैरह नहीं लगाया था, मैदान के एक कोने पर खड़े होकर कहा, " ये लोग इस तरह निर्दयतापूर्वक एक बेजुबान जीव की हत्‍या कर रहे हैं। जिसे लोग कितनी खुशी से देख रहे हैं। वो सोचते हैं कि अल्‍लाह भी इससे खुश होते होंगे। दरअसल किसी में करुणा नाम की कोई चीज नहीं है।" बड़े मामा से कुर्बानी का वह वीभत्‍स दृश्‍य देखते नहीं बना। वे चले गए। मगर मैं खड़ी रही।
🚩सांड़ हाथ-पैर पटक कर आर्तनाद कर रहा था। वह सात-सात तगड़े लोगों को झटक कर खड़ा हो गया। उसे फिर से लंगी मारकर गिराया गया। इस बार उसे गिराने के साथ ही इमाम नेधारदार छूरे से अल्‍लाह हो अकबर कहते हुए उसके गले को रेत दिया। खून की पिचकारी फूट पड़ी। गला आधा कट जाने के बाद भी सांड़ हाथ-पैर पटककर चीखता रहा।
मेरे सीने में चुनचुनाहट होने लगी, मैं एक प्रकार का दर्द महसूस करने लगी। बस मेरा इतना ही कर्तव्‍य था कि मैं खड़ी होकर कुर्बानी देख लूं। मां ने यही कहा था, इसे वे हर ईद की सुबह कुर्बानी के वक्‍त कहती थीं। इमाम सांड़ की खाल उतार रहे थे तब भी उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे। शराफ मामा और फेलू मामा उस सांड के पास से हटना ही नहीं चाहते थे। मैं मन्‍नू मियां की दुकान पर बांसुरी व गुब्‍बारे खरीदने चली गई। उस सांड के गोश्‍त के सात हिस्‍से हुए। तीन हिस्‍सा नानी के घरवालों का, तीन हिस्‍सा हमलोगों का और एक हिस्‍सा भिखारियों व पड़ोसियों में बांट दिया गया।
🚩बड़े मामा लुंगी और एक पुरानी शर्ट पहनकर पूरे मुहल्‍ले का चक्‍कर लगाने के बाद कहते, ''पूरा मुहल्‍ला खून से भर गया है। कितनी गौएं कटी, इसका हिसाब नहीं। ये पशुधन किसानों को ही दे दिए जाते तो उनके काम आ सकते थे। किने ही किसानों के पास गाय नहीं है। पता नहीं, आदमी इतना राक्षस क्‍यों है? समूची गाय काटकर एक परिवार गोश्‍त खाएगा, उधर किने लोगों को भात तक नहीं मिलता।''
🚩बड़े मामा को गुस्‍ल करके ईद के कपड़े पहनने के लिए तकादा देने का कोई लाभ नहीं था। आखिरकार हारकर नानी बोली, ''तूने ईद तो किया नहीं तो क्‍या इस वक्‍त खाएगा भी नहीं? चल खाना खा ले।'' '' खाऊंगा क्‍यों नहीं, मुझे आप खाना दीजिए। गोश्‍त के अलावा अगर कुछ और हो तो दीजिए।'' बड़े मामा गहरी सांस लेकर बोले।
🚩नानी की आंखों में आंसू थे। बड़े मामा ईद की कुर्बानी का गोश्‍त नहीं खाएंगे, इसे वे कैसे सह सकती थीं। नानी ने आंचल से आंखें पोंछते हुए प्रण किया कि वे भी गोश्‍त नहीं छुएंगी। अपने बेटे को बिना खिलाए माताएं भला खुद कैसे खा सकती हैं। बड़े मामा के गोश्‍त न खाने की बात पूरे घर को मालूम हो गई। इसे लेकर बड़ों में एक प्रकार की उलझन खड़ी हो गई।
साभार: तसलीमा नसरीन: आत्‍मकथा भाग-एक, मेरे बचपन के दिन, वाणी प्रकाशन।
🚩कुरान में लिखा है कि "गाय के दूध-घी का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह सेहत के लिए फायदेमंद है और गाय का मांस सेहत के लिए नुकसानदायक है।"
🚩शाकाहार विश्व को भूखमरी से बचा सकता है। आज विश्व की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के सामने खाद्यान्न की एक बड़ी समस्या है। एक कैलोरी मांस को तैयार करने में दस कैलोरी के बराबर माँस की खपत हो जाती है। यदि सारा विश्व मांसाहार को छोड़ दे तो पृथ्वी के सीमित संसाधनों का उपयोग अच्छी प्रकार से हो सकता है और कोई भी मनुष्य भूखा नहीं रहेगा क्योंकि दस गुणा मनुष्यों को भोजन प्राप्त हो सकेगा।
🚩होली में पानी बिगड़ता है, दीपावली में पटाखे प्रदूषण करते हैं, भगवान शिवजी को दो बूंद दूध चढ़ाओ, मूर्ति का विसर्जन नहीं करो ऐसा मीडिया और सेक्युलर लोग खूब ज्ञान देते हैं पर ईद के दिन लाखों बेजुबान प्राणियों की हत्या कर दी उसपर सब चुप है।
🚩उन बेजुबान पशुओं का यही दोष है कि वे बोल नहीं सकते, वे अपने अधिकारों की मांग नहीं कर सकते।
🚩वे किने प्यारे होते हैं जो हमें दूध देकर पुष्ट करते हैं आज उनकी हत्या हुई सब चुप हैं ।
🚩बकरीद के अवसर पर गौ आदि पशुओं के संरक्षण का संकल्प लिया जाना चाहिए।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ