Friday, October 11, 2019

मंदिर में दान के पैसे का क्या उपयोग हो रहा है? जानकर रह जाएंगे हैरान

10 अक्टूबर 2019
 
*🚩हिंदुओं के मंदिर और उनकी सम्पदाओं को नियंत्रित करने के उद्देश से सन 1951 में एक कायदा बना – “The Hindu Religious and Charitable Endowment Act 1951” इस कायदे के अंतर्गत राज्य सरकारों को मंदिरों की मालमत्ता का पूर्ण नियंत्रण प्राप्त है, जिसके अंतर्गत वे मंदिरों की जमीन, धन आदि मुल्यमान सामग्री को कभी भी कैसे भी बेच सकते हैं और जैसे भी चाहे उसका उपयोग कर सकते हैं । लेख में अधिकांश आंकड़े पुराने हैं । नवीनतम आंकड़े अनुपलब्ध हैं। ट्रावनकोर देवास बोर्ड के अंतर्गत लगभग 1,249 मंदिर आते हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर हो रही चोरी की खबर 8 मई 2013 में सामने आयी । सीसीटीवी से पता चला कि नकदी गिनने वाले कर्मचारी चोरी कर रहे हैं। ये सरकारी कर्मचारी थे जिसमे हिन्दू मुसलमान व ईसाई सभी थे।*
 
*🚩निम्न वाक्यों पर विचार करें। हिन्दू के लिए सभी का उत्तर "हाँ" है। मुस्लिम ईसाई के लिए "ना"।*
 
*1 पूजा स्थलों पर सरकारों का नियंत्रण*
*2 किसी भी पूजा स्थल को सरकार नियंत्रण में ले सकती है*
*3 पूजा स्थलों पर चढ़ावे के धन पर सरकार का नियंत्रण*
*4 पूजा स्थलों के प्रबंधन के साथ धार्मिक कार्यों पर सरकार का नियंत्रण*
*5 पूजा स्थलों की संपत्ति सरकार बेच सकती है*
*6 पूजा स्थलों की आय पर टैक्स*
*7 पूजा स्थलों की आय का उपयोग सरकार किसी और कार्य के लिए कर सकती है*
------------1-----------
*🚩कर्नाटक सरकार के मन्दिर एवं पर्यटन विभाग (राजस्व) द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 1997 से2002 तक पाँच साल में कर्नाटक सरकार को राज्य में स्थित मन्दिरों से “सिर्फ़ चढ़ावे में” 391 करोड़ की रकम प्राप्त हुई, जिसे निम्न मदों में खर्च किया गया-*
*1) मन्दिर खर्च एवं रखरखाव – 84 करोड़ (यानी 21.4%)*
*2) मदरसा उत्थान एवं हज – 180 करोड़ (यानी 46%)*
*3) चर्च भूमि को अनुदान – 44 करोड़ (यानी 11.2%)*
*4) अन्य – 83 करोड़ (यानी 21.2%)*
*कुल 391 करोड़*
 
*🚩जैसा कि इस हिसाब-किताब में दर्शाया गया है उसको देखते हुए “सेकुलरों” की नीयत बिलकुल साफ़ हो जाती है कि मन्दिर की आय से प्राप्त धन का (46+11) 57% हिस्सा हज एवं चर्च को अनुदान दिया जाता है (ताकि वे हमारे ही पैसों से जेहाद, धार्मिक सफ़ाए एवं धर्मान्तरण कर सकें)। जबकि मन्दिर खर्च के नाम पर जो 21% खर्च हो रहा है, वह ट्रस्ट में कुंडली जमाए बैठे नेताओं व अधिकारियों की लग्जरी कारों, मन्दिर दफ़्तरों में AC लगवाने तथा उनके रिश्तेदारों की खातिरदारी के भेंट चढ़ाया जाता है। उल्लेखनीय है कि यह आँकड़े सिर्फ़ एक राज्य (कर्नाटक) के हैं, जहाँ 1997 से 2002 तक कांग्रेस सरकार ही थी…*
*इस देश की जनता पर जो सच्चाई या तो जानना नहीं चाहती और जान कर भी अनजान बनी रहती है, चाहे वह पद्मनाभ मंदिर हो या मुंबई का सिद्धि विनायक या तिरुपति या ओडिशा का श्री जगन्नाथ मंदिर सारे के सारे मंदिर सरकार के अधीन हैं और उनके ट्रस्ट के मैनेजर और उनके बोर्ड में सरकार के आदमी होते हैं जो दान के रूपये कहाँ खर्च किये जाने हैं उसका फैसला लेता हैं।*
 
*---------2--------*
*🚩आँध्रप्रदेश के 43000 मंदिरों के संपत्ति से केवल 18% दान मंदिरों को अपने खर्चों के लिए दिया गया और बचा हुआ 82 % कहाँ खर्च हुआ इसका कोई उल्लेख नहीं ! यहां तक कि विश्व प्रसिद्ध तिरूमाला तिरूपति मंदिर भी बख्शा नहीं गया,हर साल दर्शनार्थियों के दान से इस मंदिर में लगभग 1300 करोड़ रुपये आते हैं जिसमें से 85% सीधे राज्यसरकार के राजकोष में चले जाते हैं, क्या हिंदू दर्शनार्थी इसलिए इन मंदिरों में दान करते हैं कि उनका दान हिंदू-इतर तत्वों के काज करने में लगे? स्टीफन एक और आरोप आंध्र प्रदेश सरकार पर लगाते हैं, उनके अनुसार कम से कम 10 मंदिरों को सरकारी आदेश पर अपनी जमीन देनी पड़ी गोल्फ के मैदानों को बनाने के लिए !!!*
 
*🚩“क्या हिन्दुस्तान में 10 मस्जिदों के साथ ऐसा होने की कल्पना की जा सकती है ?” इसी प्रकार कर्नाटक में कुल 2 लाख मंदिरों से 79 करोड़ रुपए सरकार ने बटोरा जिसमें से केवल 7 करोड़ रुपए मंदिर कार्यकारिणियों को दिए गए । इसी दौरान मदरसों और हज सब्सिडी के नाम पर 59 करोड़ खर्च हुआ । 
*(स्टीफन नाप लिखित पुस्तक “Crimes Against India and the Need to Protect Ancient Vedic Tradition” से)*
 
*------3-------*
*🚩जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा*
 
*अप्रैल 2016 में उड़ीसा सरकार ने लगभग 400 एकड़ भूमि बेच कर 1000 करोड़ रूपए जुटाने की योजना बनाई। सरकार ने मंदिर से राजस्व को बढ़ावा देने के लिए मंदिर के जमीन की नीलामी करने की योजना बनाई है। इसके लिए भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण को जमीन का प्लॉट काटकर बेचने को कहा गया है।  खुर्दा जिले के जातानी क्षेत्र के कई गांव वालों ने इस संबंध में ओडिशा उच्च न्यायालय में केस दायर किया है। सरकार ने ओडिशा उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया है। अधिकारी  जमीन पर लगे स्टे ऑर्डर को हटवाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उसे बेचा जा सके।"*
 
*🚩सेक्युलर सुझाव क्या हैं ?(6 जुलाई 2011 के हिंदुस्तान के लेख के आधार पर।)*
*बहुत कुछ हो सकता है इस खजाने से 
*-यह राशि केरल राज्य के सार्वजनिक ऋण (पब्लिक डेब्ट), जो करीब 71 हजार करोड़ रुपए है, से ज्यादा है। इस राशि से केरल की अर्थव्यवस्था बदल सकती है।*
*- इससे ‘फूड सिक्युरिटी एक्ट’ (करीब 70 हजार करोड़ रुपए) और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (करीब 40 हजार करोड़ रुपए) का खर्च निकल सकता है।*
*- यह राशि भारत के सालाना शिक्षा बजट की ढाई गुणा है।*
*- इस राशि से भारत का सात माह का रक्षा खर्च पूरा हो सकता है।*
*- यह राशि भारत के तीन राज्यों- दिल्ली, झारखंड और उत्तराखंड के सालाना बजट से ज्यादा है।*
*- यह कोरिया की स्टील कंपनी पॉस्को द्वारा उड़ीसा में किए जा रहे 12 बिलियन डॉलर (करीब 54 हजार करोड़ रुपए) के प्रस्तावित निवेश, जो भारत में अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है, से करीब दोगुना है।*
*- यह राशि भारत की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट वैल्यू की एक तिहाई और विप्रो (1.02 लाख करोड़) के लगभग बराबर है।*
 
*🚩11 सितंबर 2018 को सांसद उदित राज ने सोशल मीडिया में कहा है कि मंदिरों के धन को बेच करके केरल में बाढ़ से हुए  21 हजार करोड़ के नुकसान का पांच गुणा अधिक धन एकत्र किया जा सकता है।*
*साफ है हिन्दूओं की आस्था और संस्कृति के केन्द्र को समाप्त करने पर आज भी सबकी निगाहें हैं। जबकि बताया जाता है कि केरल में मंदिर के पास जितनी संपत्ति है उससे अधिक चर्च और मिशनरियों के साथ वक्फ बोर्ड के पास है, फिर भी हिंदू विरोधी मानसिकता के कारण इन्हें सिर्फ मंदिर ही दिखाई देता है। भारत में रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन चर्च के पास है, क्यों न आपके वास्तविक मजहब की जमीन नीलाम करके बाढ़ पीड़ितों की मदद की जाए ? - पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी*
 
*🚩सरकार को चाहिए की मंदिरों के पैसे का उपयोग सिर्फ हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ही करना चाहिए जैसे कि वैदिक गुरुकुल, आर्युवेदिक हॉस्पिटल, मंदिर निर्माण, हिंदू धर्म ग्रँथ, मीडिया में हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार, गरीब हिंदुओं की सहायता, अन्नक्षेत्र, साधु-संतों को पगार आदि के लिए उपयोग करना चाहिए अगर ऐसा नही कर सकते है तो सरकार को अपना नियंत्रण हटा देना चाहिए खुद हिंदू अपने मंदिर संभाल लेंगे।*
*हिंदू भी जिस मंदिर में अपना दान देते हैं उनके संचालकों से हिंदू धर्म के लिए पैसे उपयोग करने के लिए बताएं।*
 
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
 
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
 
🔺 facebook :
 
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
 
 
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
 
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
 
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
 
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, October 8, 2019

बिगबॉस खुलासा : हिंदू धर्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश

09 अक्टूबर 2019

बॉलीवुड के निशाने पर हमेशा हिंदू धर्म रहा है, बॉलीवुड के जरिये हमेशा हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है वैसे ही अभी वर्तमान में सलामन खान के नेतृत्व में चल रहे बिगबॉस ने सारी हदें पार कर रहा है, जिस तरह से सो दिखा रहे है उससे लगता है कि एक सोची समझी साजिश के तहत स्क्रिप्ट लिखी है जिसमे हिंदू धर्म को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर बदनाम करना और मुस्लिम समुदाय को अच्छा दिखाना इस शो में लगता है कि इसकी फंडिग कहि विदेश करवाई गई है सोची समझी रणनीति तहत हिंदू धर्म व भारतीय संस्कृति की परम्पराओं को बदनाम किया जा रहा है।*

सलमान खान ने “बजरंगी भाईजान” फ़िल्म में भी यही किया था हिंदुओं को दकियानूसी और पाकिस्तानियों को बड़े दिलवाला बताया दिखाया था। हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझ गए है और कुछ हिंदुनिष्ठ लोग खुलकर विरोध भी करने लगे है।

सलमान खान की अध्यक्षता में बिग बॉस टीवी शो चल रहा है जिसमें लड़ाई झगड़े दिखाकर हमारे घरों में अशांति और कलह बढ़ाने जैसा वातावरण हमारे मस्तिष्क में डाला जा रहा है । बिग बॉस विदेशी गन्दगी, कामवासना और अश्लीलता दिखाकर भारतीय युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर रहा है । यह सब देखकर देश मे बलात्कार के किस्से भी बढ़ रहे है।*

बिग बॉस सीजन 13 के पहले ही एपिसोड से अश्लीलता फैलाई जा रही है जिससे सोशल मीडिया पर कई लोग जेहाद फैलाता बिग बॉस, हैशटैग को ट्रेंड किया था ! कई सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि, शो में कश्मीरी मुस्लिम मॉडल और हिंदू लड़की को साथ बेड शेयर करने को कहा गया है ! इसके सहारे शो के द्वारा लव जेहाद को प्रमोट करने की कोशिश की जा रही है !*

एक यूजर ने लिखा की ‘ये कलर्स चैनल पर आने वाला बिग बॉस रियलिटी शो है या भारतीय हिंदू संस्कृति को बदनाम करने का अड्डा।’ दूसरे यूजर ने लिखा- ‘बिग बॉस के खिलाफ कैंपेन चलाओ मित्रों। यह शो हमारी भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ा रहा है। यह बैन होना चाहिए।’*

आपको बता दें कि बिग बॉस 10 में साधु के कपड़े पहनकर  "स्वामी ओम" साधुताई के नाम पर लड़कियों से छेड़ खानी करना , दारू पीना, मांस खाना आदि करके हिन्दू संतों की गरिमा पर गहरी चोट लगाई थी।*

*🚩शो देखकर तो ऐसा लगता है जैसे बिगबॉस को विदेशी पैसा मिला है हिन्दू धर्म व हिंदू संस्कृति की छवि धूमिल करने के लिए !!*

*🚩बता दें कि बाद में ओमजी महाराज ने खुलासा किया था कि मेरे को बोले थे कि रामराज्य करवाना है तो बिग बॉस में काम करो लेकिन वहाँ जाने के बाद मुझे कुछ खिला दिया था और मेरे को जान से मारने की धमकी दी थी इसलिये मैंने बिग बॉस में ये सब किया था।*

*🚩जनता का कहना है कि देश और धर्म विरोधी, समाज मे अश्लीलता फैलाने वाले बिगबॉस और बॉलीवुड पर सरकार को तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए, इससे देश की जनता को काफी नुकसान सहन करना पड़ रहा है, परिवार भी इन सबके कारण टूट रहे है।*

*🚩सरकार प्रतिबंध लगाएं तबतक जनता को कलर टीवी देखना बंद करना चाहिए जिससे उसकी टीआरपी कम होगी तो अपने आप बिगबॉस जैसे शो बंद हो जायेंगे, जो भी केबल आपके घर आता है उसके ऑपरेटर को बताना चाहिए कि कलर ट्वी बंद करिये नही तो हम आपका केबल काट रहे है, ऐसा सभी हिंदुस्तानी करेंगे तो बिगबॉस तो बंद हो ही जायेगा साथ मे फायदा यह होगा की आगे ऐसा शो करने की कोई हिम्मत नही करेगा।*

*🚩बंद हो Bigg Boss : शिवसेना*

*मुज़फ्फरनगर के प्रकाश चौक है जहाँ पर शिवसेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलर्स टीवी पर चल रहे बिग बॉस के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सलमान खान के पोस्टर को जूते मारकर आग के हवाले किया। शिव सेना नेताओ ने आरोप लगाया कि सलमान खान बिग बॉस जैसे कार्यक्रम के माध्यम से लव जिहाद को बढ़ावा दे रहा है पिछले दिनों बिग बॉस के एक कार्यक्रम में हिन्दू युवती को कश्मीर के मुस्लिम युवक के साथ बेडरूम में भेजा गया ,शिवसेनिक मनोज सैनी ने बताया की इस कार्यक्रम में अश्लीलता इस कदर हावी ह माँ बाप बच्चो के साथ टीवी नहीं देख सकते बहन भाई एक साथ बैठकर इसे नहीं देख सकते ये हिन्दू संस्कर्ति को बदनाम करने की साजिस है जो बिलकुल बर्दास्त नहीं की जा सकती शिव सेना नेताओ ने भाजपा सरकार पर भी आरोप लगाया कि हिन्दू संस्कृति की रक्षा के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार भी इस तरह के कार्यक्रमो पर रोक लगाने में विफल रही है उन्होंने सरकार से मांग की है की अविलम्ब बिग बॉस जैसे कार्यक्रमो पर रोक लगाई जाए।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 facebook :

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt


🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, October 7, 2019

जानिए दशहरे का इतिहास व गृहस्थ में विघ्न मिटाने के उपाय..

08 अक्टूबर 2019

🚩  *सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है । दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आएगा, लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा । इस साल दशहरा 08 अक्टूबर को मनाया जाएगा ।*

🚩 *दशहरा दस पापों को हरनेवाला, दस शक्तियों को विकसित करनेवाला, दसों दिशाओं में मंगल करनेवाला और दस प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते हैं ।*

🚩 *यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है ।*

🚩 *दशहरे का इतिहास !!*

 *1. भगवान श्री राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया । सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे । वहां कौत्स नामक एक ब्राह्मण पुत्र आया । उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है तब राजा रघु कुबेर पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए । डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की । उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली । जो स्वर्णमुद्राएं कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक के पत्ते देते हैं ।*


🚩 *2. त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था । श्री रामचंद्र ने रावण पर विजयप्राप्ति की, रावण का वध किया । इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ । तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा ।*

🚩 *3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी विजयादशमी का दिन था ।*

🚩 *4. दशहरे के दिन इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है ।*

🚩 *इस प्रथा का भी ऐतिहासिक महत्त्व है । मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे । जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती फिर परदेश से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे । घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर, उनका आशीर्वाद लेते थे । वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है ।*

🚩 *5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है । आरंभ में यह एक कृषि  संबंधी लोकोत्सव था, वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे ।*

🚩 *नवरात्रि में घटस्थापना के दिन कलश के स्थंडिल (वेदी) पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढ़ाते हैं । अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उसे बंदनवार के समान बांधते हैं । यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है । आगे इसी त्यौहार को धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ ।*

🚩 *इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है । प्राचीनकाल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे ।*

🚩 *दशहरा अर्थात विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है । रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए ।  अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टेे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था । दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करनेवाला सफल होता है ।*

🚩 *दशहरा हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है । भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है । व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है ।*

🚩 *दशहरें का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह,मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है ।*

🚩 *देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता हैं।*

🚩 *दशहरे की शाम को क्या करें?*

*दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है ।*
  
🚩 *उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ । इस विजयकाल में थोड़ी देर  "राम रामाय नम:" मंत्र के नाम का जप करें ।*

*फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान ! सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए "ॐ अपराजितायै नमः" मंत्र का जप कर रहे हैं ।*

🚩इस मंत्र की एक- दो माला जप करके श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें...
*"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।"*

🚩 *दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलता है ।*

🚩 *दशहरा पर्व व्यक्ति में क्षात्रभाव का संवर्धन करता है । शस्त्रों का पूजन क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है । इस दिन शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है ।*

🚩 *इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है । किसान एवं कारीगर अपने उपकरणोें एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं । इस पूजन का उद्देश्य यही है कि उन विषय- वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाना; अर्थात ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना ।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 facebook :

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt


🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, October 4, 2019

महिषासुर कौन था, मां दुर्गा ने महिषासुर का वध क्यों किया था?

04 अक्टूबर 2019


भारत में कुछ आदिवासियों को वामपंथियों ने इतिहास गलत बताया इसलिए कुछ आदिवासी महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी वामपंथियों द्वारा महिषासुर का महिमा मंडन किया जा रहा है उसका शहादत दिवस मनाते हैं इसलिए आपको यह जानना जरूरी है कि महिषासुर कौन था और दुर्गा माता ने उसका वध क्यों किया था।*

महिषासुर का जन्म:

महिषासुर एक असुर (राक्षस) था। महिषासुर के पिता रंभ, असुरों का राजा था जो एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से असुर महिषासुर का जन्म हुआ। इस वजह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था।*

महिषासुर को मिला था वरदान:*

*महिषासुर ने सृष्टिकर्ता ब्रम्हा जी की आराधना की थी जिससे ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता। महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओं को सताने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और सभी देवताओं को वहां से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। सारे देवताओं ने फिर मिलकर उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गए।*

महिषासुर मर्दिनी:*

देवता सर्वशक्तिमान होते हैं, लेकिन उनकी शक्ति को समय-समय पर दानवों ने चुनौती दी है। कथा के अनुसार, दैत्यराज महिषासुर ने तो देवताओं को पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार भी कर लिया था। उसने इतना अत्याचार फैलाया कि देवी भगवती को जन्म लेना पड़ा। उनका यह रूप 'महिषासुर मर्दिनी' कहलाया।*

देवताओं का तेज:*

*देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था। भगवान विष्णु और भगवान शिव अत्यधिक क्रोध से भर गए। इसी समय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के मुंह से क्रोध के कारण एक महान तेज प्रकट हुआ। अन्य देवताओं के शरीर से भी एक तेजोमय शक्ति मिलकर उस तेज से एकाकार हो गई। यह तेजोमय शक्ति एक पहाड़ के समान थी। उसकी ज्वालायें दसों-दिशाओं में व्याप्त होने लगीं। यह तेजपुंज सभी देवताओं के शरीर से प्रकट होने के कारण एक अलग ही स्वरूप लिए हुए था।*

महिषासुर के अंत के लिए हुई उत्पत्ति:*

*इन देवी की उत्पत्ति महिषासुर के अंत के लिए हुई थी, इसलिए इन्हें 'महिषासुर मर्दिनी' कहा गया। समस्त देवताओं के तेज पुंज से प्रकट हुई देवी को देखकर पीड़ित देवताओं की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। भगवान शिव ने त्रिशूल देवी को दिया। भगवान विष्णु ने भी चक्र देवी को प्रदान किया। इसी प्रकार, सभी देवी-देवताओं ने अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र देवी के हाथों में सजा दिये। इंद्र ने अपना वज्र और ऐरावत हाथी से उतारकर एक घंटा देवी को दिया। सूर्य ने अपने रोम कूपों और किरणों का तेज भरकर ढाल, तलवार और दिव्य सिंह यानि शेर को सवारी के लिए उस देवी को अर्पित कर दिया। विश्वकर्मा ने कई अभेद्य कवच और अस्त्र देकर महिषासुर मर्दिनी को सभी प्रकार के बड़े-छोटे अस्त्रों से शोभित किया।*

*🚩महिषासुर से युद्ध:*

*थोड़ी देर बाद महिषासुर ने देखा कि एक विशालकाय रूपवान स्त्री अनेक भुजाओं वालीं और अस्त्र शस्त्र से सज्जित होकर शेर पर बैठकर अट्टहास कर रही हैं। महिषासुर की सेना का सेनापति आगे बढ़कर देवी के साथ युद्ध करने लगा। उदग्र नामक महादैत्य भी 60 हजार राक्षसों को लेकर इस युद्ध में कूद पड़ा। महानु नामक दैत्य एक करोड़ सैनिकों के साथ, अशीलोमा दैत्य पांच करोड़ और वास्कल नामक राक्षस 60 लाख सैनिकों के साथ युद्ध में कूद पड़े। सारे देवता इस महायुद्ध को बड़े कौतूहल से देख रहे थे। दानवों के सभी अचूक अस्त्र-शस्त्र देवी के सामने बौने साबित हो रहे थे, लेकिन देवी भगवती अपने शस्त्रों से राक्षसों की सेना को बींधने बनाने लगीं।*

*🚩इस युद्ध में महिषासुर का वध तो हो ही गया, साथ में अनेक अन्य दैत्य भी मारे गए। इन सभी ने तीनों लोकों में आतंक फैला रखा था।  देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और नवमी के दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।*

*🚩जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय वाले कुछ वामपंथी व्यभिचारी, दुराचारी, राक्षस  महिषासुर का महिमामंडन करते हैं, उनकी पूजा करते है क्योंकि उनको भी यही करना होता है ये लोग भोले भाले आदिवासियों को भी भ्रमित करते हैं जिससे वे अपनी भारतीय हिंदू संस्कृति से दूर हो जाएं और देश एवं धर्म के खिलाफ खड़े हो जाएं, जिससे उनको देश को तोड़ने में आसानी रहे ।*

*🚩आपने जान लिया कि महिषासुर एक असुर था और आतंक फैलाकर रखा था इसलिए उसका वध करना जरूरी था, लेकिन JNU वाले वामपंथी जिस तरह उसका महिमामंडन कर रहे हैं उससे सावधान रहें और अपनी देश व संस्कृति की महानता को टूटने न दे।*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 facebook :

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt


🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, October 3, 2019

गौमूत्र बेचकर किसान हो रहे है मालामाल, 140 रुपये लीटर बिक रहा है

03 अक्टूबर 2019

गौझरण (गौमूत्र) में गंगाजी का वास होता है। आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग बताएं गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
आपको बता दे कि गौ उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गौ संरक्षण और गौ उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने अलग से गोपालन निदेशालय बनाने के बाद अब गौमूत्र के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। राज्य की प्रमुख गौशालाओं के गौमूत्र के दाम में अचानक दो से तीन गुना तक तेजी आई है। हालात यह हो गए कि गौमूत्र दूध से अधिक महंगा बिक रहा है। गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियां बाजार में खूब बिक रही है। विदेशों में भी इनकी मांग बढ़ी है।

बताया गया है कि प्रदेश की प्रमुख गौशालाओं का गौमूत्र 135 से 140 रूपए प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि दूध की कीमत 45 से 52 रूपए प्रति किलो है। गौमूत्र के सेवन में लोगों की दिलचस्पी इतनी बढ़ी है की राज्य के बड़े शहरों में गौ उत्पादों में दुकानें बड़े शौरूम की तरह खुल गई हैं। इनमें सबसे अधिक मांग गौमूत्र की है। ये भी कहा गया है कि पथमेड़ा गौशाला, जयपुर की दुर्गापुरा गौशाला और नागौर की श्रीकृष्ण गोपाल गौशाला से तो गौमूत्र विदेशों में भी भेजा जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक़, गौशाला प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। गौमूत्र के साथ ही दुकानों पर डायबीटीज, पेट और मोटापा कम करने की औषधियां भी गौ उत्पादों से बन रही है। गौशालाओं में सुबह-सुबह 5 से 6 बजे के बीच बड़ी संख्या में लोग हाथ में गिलास या कटोरी लेकर ताजा गौमूत्र पीने के लिए पहुंचते है। पथमेड़ा गौशाला के सेवक रामकृष्ण का कहना है कि देशी गाय के गौमूत्र से कई रोगों का इलाज स्वत: ही हो जाता है। योगाचार्य ढाकाराम का कहना है कि गौमूत्र अमृत की तरह होता है। निरोगी काया के लिए इससे उत्तम अन्य कोई औषधी नहीं है।
राज्य के गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि राज्य में करीब चार हजार गौशालाएं हैं। इनमें से 1363 गौशालाएं गोपालन विभाग में पंजीकृत हैं। पंजीकृत गौशालाओं को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि गौसंरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकार गौ उत्पादों की बिक्री बढ़ाने को लेकर भी जागरूकता अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं का पंजीकण बढ़ाने को लेकर अधिकारियों से कहा गया है।
राजस्थान में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव नरेश पाल गंगवार का कहना है कि गौमूत्र की बिक्री के साथ ही गाय पालने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। गाय के दूध के साथ ही गौमूत्र और इससे बनने वाली औषधियों की डिमांड भी बढ़ी है। नागौर की श्रीकृष्ण गौशाला और एशिया की सबसे बड़ी पथमेड़ा गौशाला ने आसपास के किसानों को गौमूत्र के माध्यम से रोजगार दे रखा है। किसान गौमूत्र इकठ्ठा करके इन गौशालाओं में बेचते है। इसके बाद गौशाला मार्केट में बेचती है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में दुर्गापुरा गौशाला में काम करने वाले लोगों ने बताया कि गौमूत्र का उपयोग अन्य कई कार्यो में किया जाता है। कुछ लोग खाना पकाने में पानी के स्थान पर गौमूत्र का उपयोग कर रहे हैं। इस गौशाला से प्रतिदिन करीब दो हजार लीटर गौमूत्र तैयार हो रहा है। इस गौमूत्र को गर्म करने के बाद अमोनिया निकालकर पैक करके बाजार में बेचा जा रहा है। यहां का गौमूत्र स्थानीय मार्केट के अलावा विदेशों में भी बिकने के लिए जा रहा है।
घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है और वास्तु दोषों का समाधान हो जाता हैं। गौमूत्र का सेवन वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।
यह तो केवल गौमूत्र की बात हुई बाकी गाय का दूध, घी, दही, गोबर भी पृथ्वी पर का अमृत है इससे सिद्ध होता है कि गौमाता मनुष्य के कितनी उपयोगी है इसलिए गौहत्या बंद करके गाय माता का अधिक से अधिक पालन करना चाहिए इससे अधिक कमाई भी होगी और हर मनुष्य स्वस्थ, सुखी रहेगा डॉक्टरों की आवश्यकता कम पड़ेगी।
🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻
🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk
🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt
🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf
🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX
🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG
🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, October 2, 2019

जानिये नवरात्रि कब से और कैसे शुरू हुई? उसका महत्त्व एवं इतिहास

02 अक्टूबर 2019

*🚩नवरात्रि महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा का त्यौहार है । जिनकी स्तुति कुछ इस प्रकार की गई है,*

*_सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।_*
*_शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ।।_*

*अर्थ : अर्थात सर्व मंगल वस्तुओं में मंगलरूप, कल्याणदायिनी, सर्व पुरुषार्थ साध्य करानेवाली, शरणागतों का रक्षण करनेवाली, हे त्रिनयने, गौरी, नारायणी ! आपको मेरा नमस्कार है ।*

*🚩1. मंगलरूप त्रिनयना नारायणी अर्थात मां जगदंबा !*

*जिन्हें आदिशक्ति, पराशक्ति, महामाया, काली, त्रिपुरसुंदरी इत्यादि विविध नामों से सभी जानते हैं ।  जहां पर गति नहीं वहां सृष्टि की प्रक्रिया ही थम जाती है । ऐसा होते हुए भी अष्ट दिशाओं के अंतर्गत जगत की उत्पत्ति, लालन-पालन एवं संवर्धन के लिए एक प्रकार की शक्ति कार्यरत रहती है । इसी शक्ति को आद्याशक्ति कहते हैं । उत्पत्ति-स्थिति-लय यह शक्ति का गुणधर्म ही है । शक्ति का उद्गम स्पंदनों के रूप में होता है । उत्पत्ति-स्थिति-लय का चक्र निरंतर चलता ही रहता है ।*

*🚩श्री दुर्गासप्तशतीके अनुसार श्री दुर्गा देवी के तीन प्रमुख रूप हैं,*

*1. महासरस्वती, जो ‘गति’ तत्त्व का  प्रतीक हैं ।*

*2. महालक्ष्मी, जो ‘दिक’ अर्थात ‘दिशा’तत्त्वका प्रतीक हैं ।*

*3. महाकाली जो ‘काल’ तत्त्व का प्रतीक हैं ।*

*🚩जगत का पालन करने वाली जगदोद्धारिणी मां शक्ति की उपासना हिंदू धर्म में वर्ष में दो बार नवरात्रि के रूप में, विशेष रूप से की जाती है ।*

*वासंतिक नवरात्रि : यह उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमी तक मनाया जाता है ।*

*शारदीय नवरात्रि : यह उत्सव आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल नवमी तक मनाया जाता है ।*

*🚩2. ‘नवरात्रि’ किसे कहते हैं ?*

*नव अर्थात प्रत्यक्षत: ईश्वरीय कार्य करनेवाला ब्रह्मांड में विद्यमान आदिशक्तिस्वरूप तत्त्व । स्थूल जगत की दृष्टि से रात्रि का अर्थ है, प्रत्यक्ष तेजतत्त्वात्मक प्रकाश का अभाव तथा ब्रह्मांड की दृष्टि से रात्रि का अर्थ है, संपूर्ण ब्रह्मांड में ईश्वरीय तेज का प्रक्षेपण करने वाले मूल पुरुषतत्त्व का अकार्यरत होने की कालावधि । जिस कालावधि में ब्रह्मांड में शिवतत्त्व की मात्रा एवं उसका कार्य घटता है एवं शिवतत्त्व के कार्यकारी स्वरूप की अर्थात शक्ति की मात्रा एवं उसका कार्य अधिक होता है, उस कालावधि को ‘नवरात्रि’ कहते हैं । मातृभाव एवं वात्सल्य भाव की अनुभूति देनेवाली, प्रीति एवं व्यापकता, इन गुणों के सर्वोच्च स्तर के दर्शन कराने वाली जगदोद्धारिणी, जगत का पालन करने वाली इस शक्ति की उपासना, व्रत एवं उत्सव के रूप में की जाती है ।*

*🚩3. ‘नवरात्रि’ का इतिहास*

*- रामजी के हाथों रावण का वध हो, इस उद्देश्य से नारदने रामसे इस व्रत का अनुष्ठान करने का अनुरोध किया था । इस व्रत को पूर्ण करने के पश्चात रामजी ने लंका पर आक्रमण कर अंत में रावण का वध किया ।*

*- देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि को उसका वध किया । उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है ।*

*🚩4. नवरात्रि का अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व*

*- ‘जगमें जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर, सात्त्विक, उदारात्मक एवं धर्मनिष्ठ सज्जनों को छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः-पुनः अवतार धारण करती हैं । उनके निमित्त से यह व्रत है ।*

*- नवरात्रि में देवीतत्त्व अन्य दिनों की तुलनामें 1000 गुना अधिक कार्यरत होता है । देवीतत्त्व का अत्यधिक लाभ लेने के लिए नवरात्रि की कालावधिमें ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः ।’ नामजप अधिकाधिक करना चाहिए ।*

*🚩नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन बढ़ते क्रम से आदिशक्ति का नया रूप सप्त पाताल से पृथ्वी पर आनेवाली कष्टदायक तरंगों का समूल उच्चाटन अर्थात समूल नाश करता है । नवरात्रि के नौ दिनों में ब्रह्मांड में अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रक्षेपित कष्टदायक तरंगें एवं आदिशक्ति की मारक चैतन्यमय तरंगों में युद्ध होता है । इस समय ब्रह्मांड का वातावरण तप्त होता है । श्री दुर्गा देवी के शस्त्रों के तेज की ज्वालासमान चमक अति वेग से सूक्ष्म अनिष्ट शक्तियों पर आक्रमण करती है । पूरे वर्ष अर्थात इस नवरात्रि के नौवें दिन से अगले वर्ष की नवरात्रिके प्रथम दिनतक देवी का निर्गुण तारक तत्त्व कार्यरत रहता है । अनेक परिवारों में नवरात्रि का व्रत कुलाचार के रूप में किया जाता है । आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से इस व्रत का प्रारंभ होता है ।*

*🚩5. नवरात्रि की कालावधि में सूक्ष्म स्तर पर होने वाली गतिविधियां:-*

*नवरात्रि के नौ दिनों में देवीतत्त्व अन्य दिनों की तुलना में एक सहस्र गुना अधिक सक्रिय रहता है । इस कालावधि में देवीतत्त्व की अतिसूक्ष्म तरंगें धीरे-धीरे क्रियाशील होती हैं और पूरे ब्रह्मांड में संचारित होती हैं । उस समय ब्रह्मांड में शक्ति के स्तर पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियां नष्ट होती हैं और ब्रह्मांड की शुद्धि होने लगती है । देवीतत्त्व की शक्ति का स्तर प्रथम तीन दिनों में सगुण-निर्गुण होता है । उसके उपरांत उसमें निर्गुण तत्त्वकी मात्रा बढ़ती है और नवरात्रि के अंतिम दिन इस निर्गुण तत्त्वकी मात्रा सर्वाधिक होती है । निर्गुण स्तर की शक्ति के साथ सूक्ष्म स्तर पर युद्ध करने के लिए छठे एवं सातवें पाताल की बलवान आसुरी शक्तियों को अर्थात मांत्रिकों को इस युद्ध में प्रत्यक्ष सहभागी होना पड़ता है । उस समय ये शक्तियां उनके पूरे सामर्थ्य के साथ युद्ध करती हैं ।*

*🚩6. श्री दुर्गा देवी का वचन*

*नवरात्रि की कालावधि में महाबलशाली दैत्यों का वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी । देवताओं ने उनकी स्तुति की । उस समय देवीमां ने सर्व देवताओं एवं मानवों को अभय का आशीर्वाद देते हुए वचन दिया कि इत्थं यदा यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति ।*
*तदा तदाऽवतीर्याहं करिष्याम्यरिसंक्षयम् ।।*
*– मार्कंडेयपुराण 91.51*

*इसका अर्थ है, जब-जब दानवोंद्वारा जगत्को बाधा पहुंचेगी, तब-तब मैं अवतार धारण कर शत्रुओं का नाश करूंगी ।*

*इस श्लोक के अनुसार जगत में जब भी तामसी, आसुरी एवं दुष्ट लोग प्रबल होकर, सात्त्विक, उदार एवं धर्मनिष्ठ व्यक्तियोंको अर्थात साधकों को कष्ट पहुंचाते हैं, तब धर्मसंस्थापना हेतु अवतार धारण कर देवी उन असुरोंका नाश करती हैं ।*

*🚩8. नवरात्रि के नौ दिनों में शक्ति की उपासना करनी चाहिए*

*`असुषु रमन्ते इति असुर: ।’ अर्थात् `जो सदैव भौतिक आनंद, भोग-विलासितामें लीन रहता है, वह असुर कहलाता है ।’ आज प्रत्येक मनुष्य के हृदय में इस असुर का वास्तव्य है, जिसने मनुष्य की मूल आंतरिक दैवी वृत्तियों पर वर्चस्व जमा लिया है । इस असुर की मायाको पहचानकर, उसके आसुरी बंधनोंसे मुक्त होनेके लिए शक्तिकी उपासना आवश्यक है । इसलिए नवरात्रिके नौ दिनोंमें शक्तिकी उपासना करनी चाहिए । हमारे ऋषिमुनियोंने विविध श्लोक, मंत्र इत्यादि माध्यमोंसे देवीमां की स्तुति कर उनकी कृपा प्राप्त की है । श्री दुर्गासप्तशति के एक श्लोकमें कहा गया है,*

*🚩शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।*
*सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो:स्तुते ।।*
*– श्री दुर्गासप्तशती, अध्याय 11.12*

*अर्थात शरण आए दिन एवं आर्त लोगों का रक्षण करने में सदैव तत्पर और सभी की पीड़ा दूर करनेवाली हे देवी नारायणी!, आपको मेरा नमस्कार है । देवी की शरण में जाने से हम उनकी कृपा के पात्र बनते हैं । इससे हमारी और भविष्य में समाज की आसुरी वृत्ति में परिवर्तन होकर सभी सात्त्विक बन सकते हैं । यही कारण है कि, देवी तत्त्व के अधिकतम कार्यरत रहने की कालावधि अर्थात नवरात्रि विशेष रूप से मनायी जाती है ।*

*🚩नवरात्रि के नौ दिनों में घट स्थापना के उपरांत पंचमी, षष्ठी, अष्टमी एवं नवमी का विशेष महत्त्व है । पंचमी के दिन देवी के नौ रूपों में से एक श्री ललिता देवी अर्थात महात्रिपुर सुंदरी का व्रत होता है । शुक्ल अष्टमी एवं नवमी ये महातिथियां हैं । इन तिथियों पर चंडीहोम करते हैं । नवमी पर चंडीहोम के साथ बलि समर्पण करते हैं ।*

*🚩संदर्भ – सनातन धर्म के ग्रंथ, ‘त्यौहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र‘, ‘धार्मिक उत्सव एवं व्रतों का अध्यात्मशास्त्रीय आधार’ एवं ‘देवीपूजन से संबंधित कृत्यों का शास्त्र‘ एवं अन्य ग्रंथ*

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺Youtube : https://goo.gl/XU8FPk

🔺 facebook :

🔺 Twitter : https://goo.gl/kfprSt


🔺 Instagram : https://goo.gl/JyyHmf

🔺Google+ : https://goo.gl/Nqo5IX

🔺 Word Press : https://goo.gl/ayGpTG

🔺Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ