Friday, January 3, 2020

इस्लामिक संगठन PFI का आखरी लक्ष्य भारत को इस्लामिक देश बनाने का

03 जनवरी 2020 

*🚩भारत वर्ष को पहले ही खंड-खंड कर दिया गया है उसमे से अधिकतर इस्लाम देश बनाये गये हैं। वर्तमान में हमारे पास जो भारत देश है उसको भी तोड़ने की साजिश राष्ट्र विरोधी ताकतें कर रही हैं।*

*🚩उत्तर प्रदेश सरकार ने इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)  संगठन को बैन करने की मांग की है ।यूपी सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को पत्र भी लिखा है। आज ट्विटर पर भी जनता ने PFI को बेन करने की मांग की थी । ट्वीटर पर #BanPFI हैशटेग टॉप ट्रेंड कर रहा था।*

*🚩नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में यूपी मे जिस तरह के हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, उसके पीछे पीएफआई (PFI) का हाथ बताया जा रहा है । यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने बताया है कि राज्य के कई इलाकों में दंगा और तोड़फोड़ करने के आरोप में पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है । पीएफआई के बारे में कुछ सनसनीखेज खुलासे हुए हैं । पुलिस के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि इन्होंने CAA और NRC के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम किया और विरोध प्रदर्शनों में हिंसा की ।*

*🚩यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने इस संगठन के खिलाफ सख्त लहजे में कहा कि यूपी में तोड़फोड़ और हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ रहा है । ऐसे संगठन को यहां फलने-फूलने नहीं दिया जाएगा और इसे यहां बैन किया जाएगा ।*

*🚩पीएफआई के ISIS और सिमी से लिंक होने का दावा*

*🚩पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बारे में कहा जाता है कि ये एक कट्टर इस्लामिक संगठन है । इसको लेकर कुछ सनसनीखेज खुलासे हुए हैं । नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी इस संगठन के ISIS और सिमी के साथ संपर्कों की तलाश में जुटा है । एजेंसियों को कुछ चौंकाने वाली जानकारी मिली है ।*

*🚩पीएफआई के बारे में कहा जाता है कि उसका केरल मॉड्यूल ISIS के लिए काम कर रहा था । वहां से इसके सदस्यों ने सीरिया और इराक में ISIS को जॉइन किया । इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है ।*

*🚩मई 2019 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पीएफआई के कई ऑफिसों पर छापे मारे । खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को शक था कि इसके सदस्यों ने 21 अप्रैल को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए बम ब्लास्ट के मास्टरमाइंड का ब्रेन वॉश किया था । श्रीलंका के इस बम धमाके में 250 लोगों की मौत हुई थी ।*

*🚩PFI के ऊपर राज्य में राजनीतिक हत्याओं का आरोप*

*🚩पीएफआई के ऊपर ISIS से लिंक होने के अलावा भी कई तरह के आरोप हैं । आरोप है कि इस संगठन का हाथ कई राजनीतिक हत्याओं और धर्म परिवर्तन के मामलों में है । द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएफआई का नाम लव जिहाद के मामलों में भी आया है ।*

*🚩2017 में केरल की पुलिस ने एनआईए को लव जिहाद के 94 मामले सौंपे थे । बताया जाता है कि लव जिहाद के इन मामलों के पीछे पीएफआई के 4 सदस्यों का हाथ था ।* 

*🚩पीएफआई के लिंक भारत में बैन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी से भी रहे हैं । पीएफआई के कुछ सदस्य पहले सिमी के सक्रिय कार्यकर्ता रह चुके हैं । द प्रिंट के मुताबिक पीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल रहमान पहले सिमी का राष्ट्रीय सचिव रह चुका है । जबकि पीएफआई का राज्य संगठन सचिव अब्दुल हमीद इसके पहले 2001 में सिमी में इसी पद पर था । बताया जाता है कि 2006 में सिमी को बैन कर दिए जाने के बाद इसके सदस्य पीएफआई में आ गए ।*

*🚩पीएफआई पर सनसनीखेज आरोप*

*🚩2010 में पीएफआई पर आरोप लगा कि इसके सदस्यों ने एक मलयाली प्रोफेसर टी जे जोसेफ का दाहिना हाथ काट डाला था । क्योंकि प्रोफेसर ने पैगंबर पर सवाल उठाए थे । 2012 में केरल की सरकार ने हाईकोर्ट में एक एफिडेविट दी थी । इसमें आरोप लगाया गया था कि पीएफआई के सदस्यों का सीपीआई(एम) और आरएसएस से जुड़े 27 राजनीतिक हत्याओं में हाथ था । सरकार ने कहा कि ज्यादातर हत्याएं सांप्रदायिक रंग देकर की गई थी । इसके अलावा भी इनकी 86 इसी तरह की हत्याएं करने की योजना थी । ये एफिडेविट कन्नूर में एक एबीवीपी से जुड़े छात्र सचिन गोपाल की हत्या के बाद दी गई थी ।*

*🚩2016 में कर्नाटक के एक स्थानीय आरएसएस नेता रुद्रेश की दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने हत्या कर दी थी । बेंगलुरु के शिवाजीनगर में हुए इस हत्या में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था । ये चारों पीएफआई से जुड़े हुए थे ।*

*🚩द पायनियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में पीएफआई पर उत्तरी कन्नूर में एक ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगा । कन्नूर पुलिस ने कहा कि कैंप से उन्हें तलवार, बम, आदमी की तरह दिखने वाले लकड़ी के पुतले, देसी पिस्तौल और आईईडी ब्लास्ट में काम आने वाली चीजें मिलीं । कैंप से कुछ बैनर पोस्टर भी बरामद हुए, जो आतंकी गतिविधि में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने वाली थी ।*

*🚩2012 में इस ग्रुप का नाम असम के कोकराझार में आया । कहा गया कि पीएफआई के सदस्यों ने जानबूझकर इलाके में अफवाह फैलाकर दंगा फैलाया ।*

*🚩कैसे बनी पीएफआई*

*🚩पीएफआई केरल से संचालित होने वाला एक कट्टर इस्लामिक संगठन है । पीएफआई की स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से निकलकर हुई है । 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक संगठन बना था ।*

*🚩एनआईए के मुताबिक 92 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद केरल कट्टर इस्लामिक संगठनों का पनाहगाह बन गया । इसी दौर में वहां नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बनी थी । 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में विलय हो गया । केरल में पीएफआई की मजबूत स्थिति है । हालांकि वो पूरे देश में फैले हुए हैं । एनआईए के मुताबिक देश के 23 राज्यों में पीएफआई की पैठ है । केरल और कर्नाटक में इन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क भी बना लिए हैं ।*

*🚩पीएफआई का दावा है कि वो मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए काम करती है । इनका कहना है कि ये मुसलमानों के हक और अधिकार की आवाज को बुलंद करती है । हालांकि असलियत इसके ठीक उलट है ।*

*🚩 संदर्भ : न्यूज १८*

*🚩आपको बता दें कि न्यूज चैनल आजतक के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने छुपे कैमरे पर PFI के शीर्ष पदाधिकारियों के मुंह से ऐसे खुलासे कैद किए हैं जो आश्चर्य में डाल देने वाले हैं । चाहे वो बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन कराना हो, अवैध फंडिंग हो, या फिर भारत को धर्मप्रधान इस्लामिक देश बनाने का अंतिम लक्ष्य । सबके बारे में इन्हें खुद ही सब कबूल करते देखा-सुना गया है ।*

*PFI धर्म परिवर्तन, हवाला फंडिंग (अवैध तरीके से विदेशी धन लेना) , जानलेवा हमले, लव जिहाद, बम ब्लास्ट और आतंकवाद से जुड़ाव आदि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को चलाने का आरोप है। PFI का लक्ष्य है भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने का। अतः सरकार को इस पर तुरंत बेन लगा देना चाहिए नही तो देश को भयंकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।*

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Thursday, January 2, 2020

अखंड भारत के हो चुके हैं इतने टुकड़े....अभी भी नहीं चेते तो पछताना पड़ेगा !!

02 जनवरी 2020

*🚩कभी जम्बूद्वीप, भारतवर्ष और आर्यावर्त के नाम से पहचाना जाने वाले हमारे देश का नाम आज भारत और इंडिया है। लेकिन आज का जो भारत हमारे पास है वो भारतवर्ष का महज एक छोटा टुकड़ा मात्र है। क्योंकि अभी जितनी भूमि भारत देश में है, उससे कई गुना ज्यादा भूमि पर अलग देश बन चुके हैं। हम आपको बता रहे हैं कैसे प्राचीन काल में विश्वगुरू रहा भारत खंड-खंड होता गया और आज सिकुड़ कर छोटा सा रह गया।*

*★ अफगानिस्तान-*

*🚩गांधार और कंबोज प्राचीन काल के राज्य थे जहां हिंदू शासक राज करते थे। उसके बाद यहां पारसी और बौद्ध धर्म के राजाओं ने शा​सन किया। लेकिन बाद में इन भागों को मिलाकर अफगानिस्तान बना। इस देश ने अपना राष्ट्र धर्म इस्लाम बना लिया।*

*★ पाकिस्तान-*

*🚩1947 से पहले देश भारत का ही हिस्सा था और सिंध के नाम जाना जाता था। लेकिन बाद में यह अलग देश बना जिसमें पंजाब, मुल्तान, पेशावर, बलुचिस्तान आदि भाग मिले। पाकिस्तान ने अपने देश का धर्म इस्लाम रखा। आज भारत का सबसे बड़ा दुश्मन यही देश है जो आतंक की फैक्ट्री चलाता है।*

*★ बांग्लादेश*

*1947 भारत के विभाजन के बाद बंगाल से कटकर पूर्वी पाकिस्तान बना।1949 में अवामी लीग की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान को स्वायत्तता दिलाना था। 1971 - शेख़ मुजीब और अवामी लीग ने 26 मार्च को स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। नए देश का नाम रखा गया बांग्लादेश ।*

*★ नेपाल-*

*🚩आज नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है। कुछ सालों पहले तक यह हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन अब यह भी सेकुलर राष्ट्र घोषित हो चुका है। प्राचीन भारतवर्ष में नेपाल भारत का ही अखंड भाग था जिसे देवघर कहा जाता था। इसी देश में भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला है।*

*★ भूटान-*

*🚩प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर भूटान भी कभी भारतीय महाजनपदों के अंतर्गत एक जनपद था और अखंड भारतवर्ष का हिस्सा था। भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है।*

*★ तिब्बत-*

*🚩तिब्बत को त्रिविष्टप कहा जाता था जहां रिशिका और तुशारा नामक राज्य थे। आज चीन द्वारा कब्जा किया हुआ यह देश भी भारतवर्ष का अभिन्न अंग था। तिब्बत में पहले हिन्दू फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचारित हुआ और यह बौद्धों का प्रमुख केंद्र बन गया।*

*★ म्यांमार-*

*🚩म्यांमार को प्राचीन भारत वर्ष में ब्रह्मदेश के नाम से पुकारा जाता था। यह देश म्यांमार प्राचीनकाल से ही भारत का ही एक उपनिवेश रहा है। हालांकि मुस्लिम शासनकाल में म्यांमार शेष भारत से कटा रहा और यहां पर स्वतंत्र राजसत्ताएं कायम हो गईं। इसके बाद ब्रिटिशों ने 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया।*

*★ श्रीलंका-*

*🚩श्रीलंका भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित एक बड़ा द्वीप है। यह भारत के चोल और पांड्य जनपद के अंतर्गत आता था। कालांतर में यहां के सिंहल राजा ने बौद्ध धर्म अपनाकर इसे राजधर्म घोषित कर दिया। आज श्रीलंका भारत से अलग देश है।*

*★ मलेशिया-*

*🚩वर्तमान के मुख्‍य 4 देश मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया प्राचीन भारत के मलय प्रायद्वीप के जनपद हुआ करते थे। आज ये सब देश अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्र हैं।*

*★ सिंगापुर-*

*🚩प्राचीन काल भारत के ​इस हिस्से का नाम सिंहपुर था जो आज सिंगापुर हो गया। बाद में 9 अगस्त 1965 को अंग्रेजों ने सिंगापुर को एक स्वतंत्र गणतंत्र देश बना दिया।*

*★ थाईलैंड-*

*🚩थाईलैंड का प्राचीन भारतीय नाम श्‍यामदेश है। बौद्ध धर्मावलंबियों की जनसंख्या वाला यह भू-भाग भी आज भारत से अलग राष्ट्र है।*

*★ इंडोनेशिया-*

*🚩मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच हजारों द्वीपों पर फैले इंडोनेशिया में मुसलमानों की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। हिंदू मंदिरों पटा पड़ा यह देश आज इस्लामिक राष्ट्र और भारत से अलग है। यहीं विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर भी हैं जिसे प्रम्बानन मंदिर कहते हैं।*

*★ कंबोडिया-*

*🚩इस देश को पौराणिक काल का कंबोज देश आज कंबोडिया कहलाता है जो कभी भारत का हिस्सा था। यह पहले हिन्दू राष्ट्र रहा और फिर बौद्ध हो गया। विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक कंबोडिया में स्थित है।*

*★ वियतनाम-*

*🚩प्राचीन भारतवर्ष में वियतनाम को चम्पा कहकर पुकारा जाता था। चम्पा के लोग चाम कहलाते थे। वर्तमान समय में चाम लोग वियतनाम और कंबोडिया के सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। आज यह अपने आप में एक स्वतंत्र राष्ट्र है।*

*🚩भारतीय इतिहास के अनुसार भारत के सम्राट विक्रमादित्य ने सम्पूर्ण अरब को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया था।*

*🚩भारत में आज जिस तरह CAA का विरोध कर रहे हैं और जाति-पाति में बंट रहे हैं उससे हमारे देश को खतरा है क्योंकि हमारे देश पर राष्ट्र विरोधी ताकतों की बुरी नजरे हैं और वे हमें आपस में लड़ा रहे हैं। इनसे सावधन रहना नहीं तो बाद में हमें पछतावा होगा।*

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Wednesday, January 1, 2020

औरंगजेब पर जिनसे कांपता था उन गोकुल सिंह का पराक्रम अदुभुत था

01 जनवरी 2020

*🚩भारतवासीयों का टीवी, फिल्में, सीरियल, अखबार, पढ़ाई, झूठे इतिहास आदि द्वारा ऐसा ब्रेनवोस कर दिया है कि जिन अंग्रेजों ने भारत को 200 साल गुलाम बनाकर रखा, देशवासियों को प्रताड़ित किया, देश की संपत्ति लूटकर ले गये उन ईसाई अंग्रेजों के नये साल पर बधाई दे रहे हैं, जश्न मना रहे हैं, लेकिन जिन क्रांतिकारीयों ने इन अंग्रेजों को भगाने में और मुगलों की नींव समाप्त करने में अपने प्राणों की बलि दे दी तथा आज जिनके कारण हम इस देश में स्वतंत्र घूम रहे हैं ऐसे योद्धाओं को भुला दिया ।*


*🚩ऐसे ही एक भारत माता के वीर सपूत थे गोकुल सिंह, जिन्होंने विशाल मुगल सेना के दांत खट्टे कर दिए थे और औरंगजेब के पसीने छुड़वा दिए थे । उनका आज बलिदान दिवस है, इनका इतिहास पढ़कर आप भी अपने पूर्वजों की वीरता पर गर्व महसूस करेंगे और विदेशी आक्रांताओं मुगलों तथा अंग्रेजों से नफरत करने लगेंगे ।*

*🚩सन् 1666  में इस्लामिक राक्षस औरंगजेब के अत्याचारों से हिन्दू जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी । मंदिरों को तोड़ा जा रहा था, हिन्दू स्त्रियों की इज्जत लूटकर उन्हें मुस्लिम बनाया जा रहा था। औरंगजेब और उसके सैनिक पागल हाथी की तरह हिन्दू जनता को मथते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे ।*

*🚩हिंदुओं को दबाने के लिए औरंगजेब ने अब्दुन्नवी नामक एक कट्टर मुसलमान को मथुरा का फौजदार नियुक्त किया । अब्दुन्नवी के सैनिकों का एक दस्ता मथुरा जनपद में चारों ओर लगान वसूली करने निकला । मथुरा के पास सिनसिनी गाँव के सरदार गोकुल सिंह के आह्वान पर किसानों ने लगान देने से इंकार कर दिया, परतन्त्र भारत के इतिहास में वह "पहला असहयोग आन्दोलन" था ।*

*🤔दिल्ली के सिंहासन के नाक तले समरवीर धर्मपरायण हिन्दू वीर योद्धा गोकुल सिंह और उनकी किसान सेना ने आतताई औरंगजेब को हिंदुत्व की ताकत का एहसास दिलाया ।*

*🚩मई 1669 में अब्दुन्नवी ने सिहोरा गाँव पर हमला किया । उस समय वीर गोकुल सिंह गाँव में ही थे । भयंकर युद्ध हुआ लेकिन इस्लामी शैतान अब्दुन्नवी और उसकी सेना सिहोरा के वीर हिन्दुओं के सामने टिक ना पाई और सारे इस्लामिक पिशाच गाजर-मूली की तरह काट दिए गए ।*

*🚩गोकुल सिंह की सेना में जाट, राजपूत, गुर्जर, यादव, मेव, मीणा इत्यादि सभी जातियों के हिन्दू थे, सब अपनी जाति-पाती भूलकर एक हिंदू थे। इस विजय ने मृतप्राय हिन्दू समाज में नए प्राण फूँक दिए थे ।*

*🚩इसके बाद पाँच माह (5 महीनों ) तक भयंकर युद्ध होते रहे । मुगलों की सभी तैयारियां और चुने हुए सेनापति प्रभावहीन और असफल सिद्ध हुए । क्या सैनिक और क्या सेनापति सभी के ऊपर गोकुलसिंह का वीरता और युद्ध संचालन का आतंक बैठ गया । अंत में सितंबर मास में, बिल्कुल निराश होकर, शफ शिकन खाँ ने गोकुलसिंह के पास संधि-प्रस्ताव भेजा । गोकुल सिंह ने औरंगेजब का प्रस्ताव अस्वीकार करते हुए  कहा कि "औरंगजेब कौन होता है हमें माफ करने वाला, माफी तो उसे हम हिन्दुओं से मांगनी चाहिए उसने अकारण ही हिन्दू धर्म का बहुत अपमान किया है ।*

*🚩अब औरंगजेब 28 नवम्बर 1669 को दिल्ली से चलकर खुद मथुरा आया गोकुल सिंह से लड़ने के लिए। औरंगजेब ने मथुरा में अपनी छावनी बनाई और अपने सेनापति होशयार खाँ को एक मजबूत एवं विशाल सेना के साथ युद्ध के लिए भेजा ।*

*आगरा शहर का फौजदार होशयार खाँ 1669 सितंबर के अंतिम सप्ताह में अपनी-अपनी सेनाओं के साथ आ पहुंचे । यह विशाल सेना चारों ओर से गोकुलसिंह को घेरा लगाते हुए आगे बढ़ने लगी । गोकुलसिंह के विरुद्ध किया गया यह अभियान, उन आक्रमणों से विशाल स्तर का था, जो बड़े-बड़े राज्यों और वहां के राजाओं के विरुद्ध होते आए थे । इस वीर के पास न तो बड़े-बड़े दुर्ग थे, न अरावली की पहाड़ियाँ और न ही महाराष्ट्र जैसा विविधतापूर्ण भौगोलिक प्रदेश । इन अलाभकारी स्थितियों के बावजूद, उन्होंने जिस धैर्य और रण-चातुर्य के साथ, एक शक्तिशाली साम्राज्य की केंद्रीय शक्ति का सामना करके, बराबरी के परिणाम प्राप्त किए, वह सब अभूतपूर्व है ।*

*🚩औरंगजेब की तोपो,धर्नुधरों, हाथियों से सुसज्जित तीन लाख (3 लाख) लोगों की विशाल सेना और गोकुल सिंह के किसानों की बीस हजार (20 हजार) की सेना में भयंकर युद्ध छिड़ गया । चार दिन तक भयंकर युद्ध चलता रहा और गोकुल सिंह की छोटी सी अवैतनिक सेना अपने बेढंगे व घरेलू हथियारों के बल पर ही अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित और प्रशिक्षित मुगल सेना पर भारी पड़ रही थी ।*

*🚩भारत के इतिहास में ऐसे युद्ध कम हुए हैं जहाँ कई प्रकार से बाधित और कमजोर पक्ष, इतने शांत निश्चय और अडिग धैर्य के साथ लड़ा हो । हल्दी घाटी के युद्ध का निर्णय कुछ ही घंटों में हो गया था। पानीपत के तीनों युद्ध एक-एक दिन में ही समाप्त हो गए थे, परन्तु वीरवर गोकुलसिंह का युद्ध तीसरे दिन भी चला । इस लड़ाई में सिर्फ पुरुषों ने ही नहीं, बल्कि उनकी स्त्रियों ने भी पराक्रम दिखाया ।*

*🚩चार दिन के युद्ध के बाद जब गोकुल सिंह की सेना युद्ध जीतती हुई प्रतीत हो रही थी तभी हसन अली खान के नेतृत्व में एक नई विशाल मुगलिया टुकड़ी आ गई और इस टुकड़ी के आते ही गोकुल की सेना हारने लगी । युद्ध में अपनी सेना को हारता देख हजारों नारियाँ जौहर की पवित्र अग्नि में खाक हो गई ।*

*🚩गोकुल सिंह और उनके ताऊ उदय सिंह को सात हजार साथियों सहित बंदी बनाकर आगरा में औरंगजेब के सामने पेश किया गया । औरंगजेब ने कहा "जान की खैर चाहते हो तो इस्लाम कबूल कर लो और रसूल के बताए रास्ते पर चलो । बोलो क्या इरादा है इस्लाम या मौत ?*

*🚩अधिसंख्य धर्म-परायण हिन्दुओं ने एक सुर में कहा - "औरंगजेब, अगर तेरे खुदा और रसूल मोहम्मद का रास्ता वही है जिस पर तू चल रहा है तो धिक्कार है तुझे, हमें तेरे रास्ते पर नहीं चलना l"*

*🚩इतना सुनते ही औरंगजेब के संकेत से गोकुल सिंह की बलशाली भुजा पर जल्लाद का बरछा चला । गोकुल सिंह ने एक नजर अपने भुजाविहीन रक्तरंजित कंधे पर डाली और फिर बड़े ही घमण्ड के साथ जल्लाद की ओर देखा और कहा दूसरा वार करो ।*

*🚩दूसरा बरछा चलते ही वहाँ खड़ी जनता आर्तनाद कर उठी और फिर गोकुल सिंह के शरीर के एक-एक जोड़ काटे गए । गोकुल सिंह का सिर जब कटकर धरती माता की गोद में गिरा तो मथुरा में केशवराय जी का मंदिर भी भरभराकर गिर गया । यही हाल उदय सिंह और बाकि साथियों का भी किया गया । उनके छोटे- छोटे बच्चों को जबरन मुसलमान बना दिया गया । 1 जनवरी 1670 ईसवी का दिन था वह।*

*🚩ऐसे अप्रतिम वीर का कोई भी इतिहास नहीं पढ़ाया गया और न ही कहीं कोई सम्मान ही दिया गया । न ही उनके नाम पर न कोई विश्वविद्यालय है और न कोई केन्द्रीय या राजकीय परियोजना । कितना एहसान फरामोश, कृतघ्न है हिंदू समाज!!*

*🚩कैसे वीर हुए इस धरा पर, जिन्होंने देश व धर्म के लिए प्राण न्यौछावर कर दिये पर इस्लाम नहीं अपनाया। गोकुलसिंह सिर्फ जाटों के लिए शहीद नहीं हुए थे न उनका राज्य ही किसी ने छीन लिया था, न कोई पेंशन बंद कर दी थी, बल्कि उनके सामने तो अपूर्व शक्तिशाली मुगल-सत्ता, दीनतापूर्वक, सन्धि करने की तमन्ना लेकर गिड़-गिड़ाई थी ।*
*🚩शर्म आती है हमें कि हम ऐसे अप्रतिम वीर को कागज के ऊपर भी सम्मान नहीं दे सके । शाही इतिहासकारों ने उनका उल्लेख तक नहीं किया । केवल जाट पुरूष ही नहीं बल्कि उनकी वीरांगनायें भी अपनी ऐतिहासिक दृढ़ता और पारंपरिक शौर्य के साथ उन सेनाओं का सामना करती रही ।*

*🚩दुर्भाग्य की बात है कि भारत की इन वीरांगनाओं और सच्चे सपूतों का कोई उल्लेख शाही टुकड़ों पर पलने वाले तथाकथित इतिहासकारों ने नहीं किया ।*

*🚩1669 की क्रान्ति के जननायक, परतंत्र भारत में असहयोग आन्दोलन के जन्मदाता, राष्ट्रधर्म रक्षक वीर गोकुल सिंह जी और उनके सात हजार क्रान्तिकारी साथियों के बलिदान दिवस पर {1जनवरी} उनको शत-शत नमन ।*

*🚩कैसे वीर थे वो अलबेले,कैसी अमर है उनकी कहानी। सरदार गोकुल सिंह जी की, आओ याद करें कुर्बानी।।*

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