Friday, March 27, 2020

कोरोना वायरस से बचने के अचूक उपाय और हिंदू संस्कृति की महिमा जानिए

26 मार्च 2020

*🚩आपने अभी तक सनातन हिंदू धर्म की कई परम्पराओं की खिल्ली उड़ाते आधुनिक लोगो को देखा होगा लेकिन उसका क्या उपयोग है और वे किसलिए किया जाता था आज सभी समाज रहे है, कोरोना जैसे भयंकर वायरस को भी कैसे रोक सकते है यह सभी भारतीय संस्कृति में पहले से ही आप भी यह लेख पढ़कर अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस और खुद को सुरक्षित महसूस करेगें।*

*1. प्रातःकाल मे उठना और टहलना यह पुरातनकाल से ही हमारी परंपरा रही है किन्तु आधुनिकता या यूं कहें कि मैकालेवादी शिक्षित वर्ग कहने लगा आराम से सोओ...जबकि प्रातःकाल उठने के जो लाभ हैं आधुनिक विज्ञान खूब मानता है।*

*2. प्रातर्विधी से निवृत्त होना (सुबह से टहलने से शौचादि क्रियाओं से निवृत्त होकर ) पेट कि शुद्धि होती है पढ़े लिखे आधुनिक लोग भी और वैज्ञानिक इसे भलिभाँति जानते और मानते हैं।*

*3. शरीर शुद्धि:- शौचादि क्रियाओं से निवृत्त होकर हाथों को गाय के गोबर से भस्म बनती है उस राख से हाथों को मल मल कर धोनें से साफ होते हैं। साबुन कि आवश्यकता ही नहीं थी,इसका उपहास तथाकथित शिक्षितों ने उड़ाया और आज हाथ धोना ही उपाय है।*

*4.पवित्रता:- जिन वस्त्रों को पहन कर अग्नि संस्कार, शौचादि क्रियाऐं की जाती है उन्हें तत्काल धोनें की परंपरा है। इसलिए शौचालय से आने पर व स्मशान में तत्काल ही वस्त्रों सहित स्नान करते हैं। अब पन्द्रह-पन्द्रह दिनों तक पर्फ्यूम छींट कर नहीं नहाने वालों का क्या कहें क्योंकि वे मैकालेवादी शिक्षित हैं। हमारी परंपरा में जन्म के बाद और मृत्यु के बाद कुछ दिन का सूतक रखा जाता है, रजस्वला धर्म में स्त्रियों को हायजिन के चलते 5 दिन ससम्मान आराम दिया जाता है।  ये सब एक आयसोलेशन कि ही व्यवस्था है जिसकी आज विश्वभर में जरूरत आन पड़ी है।*

*5. मुख मंजन करना :- नीम, बबूल, पलाश, रतनजोत, राख, कोयला आदि से मंजन करने पर हंसी उड़ाई जाती थी किंतु फ्लोराइड परोसने वाली इंटरनेशनल कंपनियों द्वारा भी अब नीम,बबूल, कोयला अपने टूथपेस्ट होने का दावा कर के शिक्षित आधुनिक लोगों को बखूबी मूर्ख बनाया जा रहा है।*

*6. शुद्ध शाकाहार:- भोजन आदि मे प्रकृति से प्राप्त कंद,मूल,फल,अनाज आदि प्रचुर मात्रा मे उप्लब्ध हैं पर ना जाने क्या क्या...आप समझ सकते हैं बासी कूसा खाने को बड़ा फैशन समझते हैं आधुनिक लोग। अब पुनः उसी जगह आ गये ना...। सनातन हिंदू  धर्म ने हमें  पशुओं पर हाथ फेरना सिखाया है, छुरा फेरना नहीं । हमें गर्व है कि हमारी आलोचना दूध बहाने के लिए होती है, खून बहाने के लिए नहीं। शाकाहार सबसे सात्विक भोजन है। सनातन हिंदू धर्मावलंबी गर्व से कह सकता है कि उनके भोजन में किसी भी पशु-पक्षी या जलचर की चीख़ या रुदन शामिल नहीं है।*

*7. साधना :- साधना पद्धति मे एक दूसरे से निश्चित दूरी बनाए रखने का नियम होता है, इससे यह होता है कि साधना करनेवाले कि साधना दूसरे को स्पर्श न करने से साधना क्षीण नहीं होती। यही वह विशेष बात है जो आज हर एक वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, आधुनिक मैकालेवादी युवा मानने पर विवश है। क्योंकि मजाक उड़ाकर एक दूसरे का स्पर्श कर कर ही 60%रोग दुनिया मे फैलाऐ हैं। आज ये महामारी के चलते  World Health Organization (WHO) ने निर्देश जारी किए है कि एक दुसरे से शेकहैेंड ना करे( हाथ ना मिलाए) और एक दुसरे से बात करते वक्त 1 मीटर की दुरी रखे। भारत में सदियों से एक दुसरे को हाथ जोडकर 🙏 नमस्कार करने की परंपरा है जिसे विश्व के बड़े बड़े नेताओ ने आज अपना लिया है।*

*8. झूठा भोजन न करना:- भारतीय संस्कृति मे शुद्ध व पवित्र भोजन करना ही वैध माना गया है और आज सारा विश्व इसे स्वीकार कर चुका है।*

*9. किसी अन्य का वस्त्र या शैय्या उपयोग न करना :- किसी दूसरे व्यक्ति के वस्त्रों मे उसके वाइब्रेशन होते हैं जो किसी अन्य पर प्रभाव छोड़ते हैं। आज विश्व स्वास्थ्य संगठन भी एसा करने से मना कर रहा है।*

*10. वसुधैव कुटुम्बकम :- सारा संसार एक कुटुम्ब है परिवार है यह भारतीय संस्कृति कहती आई है किंतु यहां कि जैवविविधता को नष्ट करने के दुष्परिणाम ही आज कोरोना के रूप मे पूरे विश्व के सामने विकराल रूप लेकर खड़ी है। परंतु आयुर्वेद और योग के निर्देश अनुसार इस प्रकार के सभी वायरस पर आसानी से जीत पा सकते। वायरस उन्ही पर हमला करता है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, अंत अपनी प्रतिरोध क्षमता बढ़ाये और बीमारियों को भगाये...।*

*🚩कोरोना से बचने के उपाय*

*★टमाटर, फूल गोभी, लहसुन, अजवाइन, आँवला, तुलसी और संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता हैं। इस समय इनका उपयोग जरूर करें।*

*★रोज सुबह सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से सूर्य चिकित्सा का लाभ मिलता है। रविवार को छोडकर प्रतिदिन तुलसी और पीपल को भी जल चढ़ाये, जिससे उसके पावरफुल वायब्रेशन का फायदा मिले।*

*★सुबह ताजी हवा में या धूप के वातावरण में प्राणायाम करने से रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। देशी गाय के गोबर के कंडे पर थोड़ा सा गाय का घी, गूगल व् कपूर का धुप करने से आसपास के विषाणु नष्ट होते है और वातावरण शुद्ध होता है। प्राणायाम खाली पेट करना होता है। भोजन किया है तो तीन घंटे बाद और पानी या अन्य कोई पेय पिया हो तो आधे-पौने घंटे बाद ही प्राणायाम करें।*

*★फिटकरी पारंपरिक सेनिटाइजर है। जब आप फिटकरी के पानी से अपने हाथों को धोते हो या स्नान मे उपयोग करते हो तब कोई भी विषाणु आपके शरीर पर जिंदा नहीं रह सकता। गरम पानी में फिटकरी डालकर कुल्ले करने से गले और मुँह के विषाणु नष्ट होते हैं। इस लिए स्नान एवं हाथ धोने के पानी में फिटकरी वाले पानी का उपयोग करें। असरकारक सेनिटाइजर बनाने के लिए १ लिटर पानी में २० ग्राम फिटकरी का + २० ग्राम कपूर का बारीक चुरा + नीम के पत्ते का थोड़ा रस मिलाकर एकरस कर दीजिए।*

*★ आप एक स्वच्छ टिस्यू पेपर या रुमाल और दो रबर रिंग से घर पर ही मास्क बना सकते हो, आपको कंपनी का बनाया हुआ मास्क की कोई आवश्यकता नहीं है।*

*★ दो लौंग, एक इलायची, एक कपूर की टिक्की,  अजवाइन, एक फुल जावित्री का और एक टुकड़ा फिटकरी का.... इन सबकी एक सूती कपड़े की पुड़िया बनाएं और हमेशा अपने पास रखें। अपने बच्चों के गले में ये पुड़िया अवश्य लटका दे। 3-4 दिन के बाद पुरानीं पुड़ीया को फेंक दे और नयी पुड़िया बना लें। साथ ही साथ थोड़ा सा तुलसी अर्क, नीम अर्क और गौमुत्र को पीते रहिए और अनावश्यक मुसाफ़री और मुलाकात को टाले.... बस हो गया काम.....‘कोरेना’ तो क्या, कोई वायरस आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता।*

*★प्रार्थना, ॐ का गुंजन, नामजप, ध्यान का सहारा जरुर लें, इससे सकारात्मकता बढ़ेगी और डर के माहौल में भी शांति और स्वस्थता का अनुभव होगा। शंख और घंट ध्वनि भी वातावरण नो पवित्र बनाती है। घंटनाद और शंखनाद करने से  जहाँ तक वो ध्वनि पहुँचती है वहाँ तक के सभी विषाणु और बैक्टीरिया का नाश हो जाता है। इसी लिए हमारे यहाँ त्रिकाल संध्या के समय शंख और घंटी बजाने कि परंपरा है।*

*★अपने आस पास ऐसे लोग हो, जिनका रहने-खाने का कोई ठिकाना ना हो ऐसे जरूरतमंद लोगों के लिए एवं पशु पंक्षियों के लिए भोजन-पानी देने कि सेवा जरुर करिए। इससे पूण्य बढ़ता है, पूण्य बढ़ने से ईष्ट मजबूत होता है और जिनका ईष्ट मजबूत होता है उनका अनिष्ट नहीं होता। हमारी संस्कृति का सूत्र है:*

 *|| परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडनम् ||*

*★ साधू संतों का आदर करना: इस सनातन संस्कृति के वाहक है हमारे साधू-संत, जो सदियों से गुरु परंपरा द्वारा हमें इसका ज्ञान देते रहे हैं। लेकिन आजकल हमारी संस्कृति के प्रचार प्रसार करनेवाले प्रमुख संतों के विरुद्ध षड्यंत्र करके उन पर झूठे केस कर दिए जाते हैं, ताकि धर्मान्तरण करनेवाली विदेशी मिशनरियों का रास्ता साफ़ हो जाए। इस कार्य में वो अरबों रुपया लगा देते हैं और मीडिया को भी खरीद लेते हैं। जिससे मिडिया आपको सिर्फ हिंदू धर्म के साधू संतों के विरुद्ध अनर्गल कहानियाँ परोसती है। अब हमें मिडिया कि झूठी बातों को सच नहीं मानते हुए साधू-संतो का मजाक नहीं करना चाहिए, वरना इससे पाप कि कमाई होती है। आयुर्वेद में रोग के दूसरें कारणों के साथ साथ एक कारण पापकर्म भी बताया गया है इस लिए संतनिंदा से अवश्य बचिए। धर्मान्तरण करनेवाले को तो तगड़ा पगार और पेंशन मिलता है परंतु  हमारे देश के साधू-संत तो बिना पगार-पेंशन के दिन रात संस्कृति रक्षा के लिए लगे रहते हैं तो उनका सम्मान करना ही चाहिए। हमें भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म व् आयुर्वेद का ये सब ज्ञान हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा मिला है। जिन्होंने निर्दोष होते हुए भी जेल में बैठे बैठे विश्व मानव के कल्याण हेतु कोरोना से बचने के उपरोक्त उपाय बताए है ताकि सबका मंगल और सबका भला हो।  ऐसे सभी महान संत के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।*


*🚩आइए विश्व कि प्राचीन संस्कृति यानि कि हिंदू  संस्कृति को अपनाएं, सारे विश्व को विनाश से बचाएं।*


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ऐसा क्या बड़ा होने वाला है जिसको लेकर लाखों ट्वीट हुई है ?

02 फरवरी 2020

*🚩पश्चिमी देशों में 14 फरवरी को युवक युवतियाँ एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्डस, फूल आदि देकर वेलेन्टाइन डे मनाते हैं। यौन जीवन संबंधी परम्परागत नैतिक मूल्यों का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण ऐसे वेलेन्टाइन डे हैं जो लोगों को अनैतिक जीवन जीने को प्रोत्साहित करते हैं। इससे उन देशों का अधःपतन हुआ है। इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों को स्कूलों में केवल संयम अभियानों पर करोड़ों डालर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिलती। अब यह कुप्रथा हमारे भारत में भी पैर जमा रही है।*

*🚩भारतवासी 14 फरवरी वेलेंटाइन डे के दुष्परिणाम जानकर अब उन्होंने एक कैम्पियन चलाई है जिसमें भाग लेने वाले अधिकतर युवक-युवतियां ही हैं उन्होंने इस बार ठान लिया है कि 14 फरवरी को हम मातृ-पितृ पूजन मनाएंगे और वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करेंगे।*

*🚩रविवार 2 फरवरी को #14FebDayToWorshipParents हैशटेग लेकर टॉप ट्रेंड चल रहा जिसमे लाखों ट्वीट हुई, आइये जानते हैं क्या कह रही थी जनता?*
*★रेशु लिखती है कि विदेशी गंदगी 'वेलेंटाईन डे' से देश के युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर Sant Shri Asaram Bapu Ji ने करुणा करके युवावर्ग के चारित्रिक उत्थान हेतु 2006 में  #14FebDayToWorshipParents की पहल की जो अब विश्वव्यापी होकर विश्व के 167 देशों में मनाया जा रहा है।*


*★नरेश ने लिखा कि पश्चिमी संस्कृति की देन हैं वेलेंटाइन डे यह हमारी संस्कृति नही है 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाकर देश मे युवाओ का नैतिक और शारिरिक पतन होता हैं।#14FebDayToWorshipParents https://t.co/Q3C9TGarLV*

*★अश्विनी ने लिखा कि 14 feb को वैलेंटाइन जैसे कलंकित दिन को पूजनीय बनाकर Sant Shri Asaram Bapu Ji ने विश्व भर के लोगो में संस्कारों का सिंचन किया है मातृ पितृ पूजन दिवस मानवहित के लिए बहुत बड़ी सेवा है जिसके लिए समाज पूज्य बापूजी का सदैव आभारी रहेगा !https://t.co/EUJzDQu9Rk*

*★छगनलाल ने लिखा कि विश्व में बढ़ रहे वृद्धाश्रम में कई निर्दयी संतान अपने माँ, बाप को तड़पते हुये छोड़ देते हैं l इससे द्रवीभूत होकर Asaram Bapu Ji ने "मातृ पितृ पूजन दिवस" आरंभ करवाया जो विश्व का महान पर्व बन गया हैl https://t.co/2kry9CcNQS*

*★प्रीति लिखती है कि आपने अगर माता पिता की सेवा नही की, उन्हें भुलाया है तो आपकी तरक्की की कोई कीमत नही है फिर। दैवीय प्रेम केवल माता पिता देते हैं। अपनाइए मातृ पितृ पूजन दिवस।  https://t.co/qSL3drOWtv*

*★हिना ने लिखा कि माता पिता को वृद्धाश्रम में भेजकर उन्हें बेसहारा बनाना यह भारत के संस्कार नही है । अपितु श्रवण कुमार की तरह माता पिता की सेवा करना ये भारत के संस्कार है । तो आइए 14 फरवरी को बनाये MPPD।#14FebDayToWorshipParents  https://t.co/6W8qcrDysi*

*★उर्मिला लिखती है कि हमारे देश की संस्कृति को पश्चिमी संस्कृति के ग्रहण से बचाने के लिए Sant Shri Asaram Bapu Ji के द्वारा  #14FebDayToWorshipParents जैसे महान पर्व का शुभारंभ किया गया हैhttps://t.co/dQclsaHmzI*

*★केशव ने लिखा कि वर्तमान समय में युवा वर्ग अपने माता-पिता का तिरस्कार कर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, साथ ही आज के युवा पाश्चात्य सभ्यता को अपनाते दिख रहे हैं। मगर इस तरह के पूजन के आयोजन से बच्चों में अपने माता पिता के प्रति संस्कारों का सृजन होगा।*


*★देवांग ने लिखा कि माता पिता अपनी संतानों के लिए लिए धरती पर साक्षात भगवान होने चाहिए, अगर कोई व्यक्ति मंदिर ना भी जाए तो कोई बात नहीं लेकिन कभी अपने माता पिता का अपमान ना करें उसी से भगवान खुश जाते हैं।#14FebDayToWorshipParents  https://t.co/5zExHFnAby*

*★सत्य प्रकाश ने लिखा कि श्रवण कुमार ने त्रेतायुग में माता पिता की सेवा की तो आज कलयुग में भी उनकी मिसाल दी जाती हैं।  #14FebDayToWorshipParents जिन्होंने देश के सभी युवाओं में श्रवण कुमार जैसे संस्कार देने के लिए मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने की शुरुआत की। https://t.co/gj2jCo4MLO*

*🚩यहाँ आपको कुछ ही ट्वीट बताई गई लेकिन रविवार को #14FebDayToWorshipParents हैशटेग को लेकर लाख से ऊपर ट्वीट हुई थी उसमे सबको एक ही अपील की जा रही थी कि वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति और हमारे देश की रीढ़ की हड्डी युवाओं का पतन कर रहा है अतः इसका त्याग करें और उसदिन हमारे माता-पिता की पूजा जरूर करें।*

*🚩हमें अपने परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए ऐसे वेलेन्टाइन डे का बहिष्कार करना चाहिए। इस संदर्भ में हिंदू संत श्री आसारामजी बापू ने एक नयी पहल की है– 'मातृ-पितृ पूजन दिवस'। इसका हमे लाभ उठाना चाहिए जिसके कारण हम पतन के रास्ते से बच सकते हैं और अपने माँ-बाप की सेवा कर सकते हैं।*

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8 मार्च को ही विश्व महिला दिवस क्यों मनाया जाता है ?

06 मार्च 2020
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*🚩अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं की उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है ।*
*🚩अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) 28 फरवरी 1909 को पहली बार अमेरिका में सेलिब्रेट किया गया था । सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें ।*

*🚩1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया । उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था ।*
*🚩1913-14 में महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा । रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस फरवरी माह के आखिरी दिन पर मनाया और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया । यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं ।*
*🚩1917 में रूस की महिलाओं ने, 8 मार्च महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया । यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी । जार ने सत्ता छोड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया । उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर । इन दोनो की तारीखों में कुछ अन्तर है । जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखरी इतवार 23 फरवरी को था जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी । इस समय पूरी दुनिया में (यहां तक रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है । इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ।*
*🚩1975 में यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च का दिन सेलिब्रेट करना शुरू किया । 1975 वह पहला साल था जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया ।*
*🚩2011 में अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने 8 मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा । उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया ।*
*🚩 महिला उत्थान मंडल द्वारा देशभर में सौंपें जायेंगें ज्ञापन:-*
*🚩महिला उत्थान मंडल महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा प्रदान किया गया है ।*
*🚩“यस्य  नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता”*
*अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहां पर ईश्वर स्वयं निवास करते हैं ।*
*🚩एक समय था जब हमारे देश में भारतीय नारी को देवी और लक्ष्मी का रूप मानकर देश की महिलाओं को पूजा जाता था, लेकिन पश्चात्य संस्कृति का अंधानुसरण करके टीवी, फिल्मों, मीडिया, अश्लील उपन्यास आदि के कारण इन्सान अपने चरित्र से इस कदर नीचे गिर गया है कि उसके लिए स्त्री एक पूजनीय और देवी का रूप न होकर केवल उपभोग की वस्तु समझी जाने लगी है ।*
*🚩उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को लेकर अनेक प्रकार की कुरीतियों का भी जन्म हुआ है जैसे दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, उपभोग की वस्तु समझना ऐसी तमाम बुराईयाँ जन्म ले चुकी हैं, इसे रोकने के लिए हिंदू संत आशारामजी बापू ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये हैं । कॉल सेंटरों, ऑफिसों में हो रहे महिला शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की तथा महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं ।*
*🚩उन्होंने आगे कहा कि बापू आशारामजी द्वारा बनाये गए महिला उत्थान मंडल द्वारा महिलाओं के लिए महिला सर्वांगीण विकास शिविर व सेवा-साधना शिविरों का आयोजन, गर्भपात रोको अभियान, तेजस्विनी अभियान, युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, मुफ्त चिकित्सा सेवा, मातृ-पितृ पूजन दिवस, कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ रक्षा  अभियान व दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किये जाते हैं । बापूजी ने नारियों का आत्मबल जगाकर उनका वास्तविक उत्थान किया है । उनकी अनुपस्थिति के कारण उपरोक्त विश्वव्यापी सेवाकार्यों में अपूर्णीय क्षति हो रही है । उन्होंने महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए भोगवादी सभ्यता से लोहा लिया एवं अथकरूप से अनेक प्रयास किये, इसलिए उन्हें शीघ्र रिहा किया जाये ।*
*🚩महिला जागृति, नारी सशक्तिकरण व महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिनके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं ।*
*🚩उन्होंने कहा कि #महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का दुरूपयोग हो रहा है । #कानून की आड़ में कई निर्दोष पुरुषों को फँसाया जा रहा है जिसके कारण उस पूरे परिवार को सजा भुगतनी पड़ती है । इसका विरोध करना बहुत जरूरी है ।*
*🚩विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं, लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है ।* 
*🚩निर्दोष संतों पर हो रहे षड्यंत्र की भर्त्सना करते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि ' बापू आशारामजी ने संस्कृति-रक्षा एवं संयम-सदाचार के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया । मातृ-पितृ पूजन दिवस व वसुधैव कुटुम्बकम् की लुप्त हो रही परम्पराओं की पुनः शुरूआत कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है । दो महिलाओं के बेबुनियाद आरोपों को मुद्दा बनाकर ऐसे महान संत को सालो से जेल में रखा गया है, क्या यही न्याय है ? हम करोड़ो बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ?*
*🚩मंडल की सदस्याओं का कहना है कि बढ़ रहे पाश्चात्य कल्चर के अंधानुकरण के कारण आज महिला वर्ग के जीवन में संस्काररूपी जड़ें खोखली होती नजर आ रही हैं । ऐसे में अब हमें पुनः अपने मूल की ओर लौटने की आवश्यकता है । इतिहास साक्षी है कि यह कार्य सदा संतों-महापुरुषों के द्वारा ही सम्पन्न होता रहा है । अपनी ही संस्कृति एवं देश के हित के लिए, बालकों, महिलाओं एवं युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए, समस्त देशवासियों की भलाई के लिए अपना जीवन होम देनेवाले पूज्य संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा 8 मार्च विश्व महिला दिवस के निमित मंडल के महत्वपूर्ण मुदों पर ध्यान केंद्रित करने व बापू आशारामजी की रिहाई की मांग करते हुए और महिलाओं की पवित्रता के लिए देशभर में मुख्य मंत्री , राज्यपाल ,कलेक्टर या अन्य उच्च अधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा ।*
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भारतवासी भूल गए खुद का नववर्ष,आ रहा है 25 मार्च को, ऐसे करें तैयारी

11 मार्च 2020
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*🚩हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है; परंतु दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते । पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने प को धन्य समझते हैं । 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं ।*
*🚩अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2020 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 खर्व 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 122 वां वर्ष रंभ हो रहा है ।*
*(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष)*
*और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष)*
*🚩नव संवत्सर 2077 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 25 मार्च 2020 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं ।*
*🚩चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक ती हैं ।*
🚩 *भारतीय नववर्ष की विशेषता*   -

*🚩पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी 1 रविवार था ।*
*🚩चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का रंभ हु था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूत इसी दिन से होती है ।*
*🚩पेड़-पौधों में फूल, मंजरी ,कली इसी समय ना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को ह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति स्था बढ़ जाती है । इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था । भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हु था। नवरात्र की शुरुत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूत करते हैं।*
*🚩परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब ता है तो सदा चैत्र में ही ता है । इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है । वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है । चैत्र का ध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया ।*
*🚩न शीत न ग्रीष्म । पूरा पावन काल । ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं  श्रीराम रूप धारण कर उतर ए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हु था । र्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी । यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है । संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है ।*
*🚩कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-समान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता । पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूत मानी होगी ।*
*🚩चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात नंद बांटता वसंत का मास । यह वसंत  तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में । सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, म की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में ।*
*🚩चारों ओर पकी फसल का दर्शन ,  त्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती वाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के भा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या या मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।*
*🚩नई फसल घर में ने का समय भी यही है । इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन  जाता है । लोग इतने मदमस्त हो जाते हैं कि नंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं । गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है । चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है ,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है ।*
*🚩सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प लें | इस वर्ष 25 मार्च 2020 बुधवार को हिन्दू नववर्ष  रहा है । सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दें ।*
*🚩ज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया दि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।*
*🚩 संस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।*
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