Friday, October 30, 2020

निकिता हत्या : हरियाणा के मेवात में सीरिया वाली सोच काम कर रही है

30 अक्टूबर 2020



धर्म परिवर्तन करके शादी करने से इंकार करने पर निकिता की तौसीफ ने सरेआम हत्या कर दी। क्या आपको पता हैं दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर हरियाणा के मेवात में पाकिस्तानी और सीरिया वाली सोच काम कर रही है? जोर जबरदस्ती से हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह किये जा रहे हैं। आपको इस रिपोर्ट के जरिए उन 5 सबूतों के बारे में बताते हैं।




इन पांच सबूतों को पढ़कर आप भी दहल उठेंगे। आतंकियों को शरण देने के लिए मेवात बदनाम। क्योंकि मेवात बन रहा है लव जिहाद का अड्डा। काला इतिहास और अपराधियों के लिए जन्नत-


नई दिल्ली: जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाकर शादी करने से इंकार करने पर निकिता की सरेआम तौसीफ ने हत्या कर दी। हत्या करके दोषी मेवात में छिप गए थे, लेकिन मेवात में लव जिहाद का ये पहला मामला नहीं है। मेवात को जहालत का जहन्नुम कहना गलत नहीं होगा। आपको इसके 5 सबूत बताते हैं।


सबूत नंबर 1). लव जेहाद का अड्डा
दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर हरियाणा के मेवात में पाकिस्तानी करतूत की जा रही है। जेहादी सोच बेटियों की जिंदगी को तबाह कर रही है और पार्टियां चुप हैं। जब निकिता तोमर की हत्या हुई तो कई सच सामने आ गए हैं। निकिता तोमर ने मजहबी बुरका पहनने और निकाह करने का विरोध किया तो हत्या कर दी गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी दलित लड़की को अगवा कर धर्म परिवर्तन करके निकाह किया गया। मेवात लव जेहाद का एक बड़ा अड्डा है जहां, जबरन हिन्दू लड़कियों को किडनैप करके उनका निकाह करा दिया जाता है।

ऐसी ही कहानी 19 साल की मेवात की एक और दलित लड़की की भी जिसे 11 सितंबर को अगवा करके धर्म परिवर्तन करवाकर जबरदस्ती निकाह कर लिया गया। लड़की का नाम बदलकर वर्षा से वारीशा कर दिया गया। लड़की के पिता सुरेश का आरोप है कि 11 सितंबर 2020 को 3 लड़के रियाज खान, अनीश, तलाह खान बेटी को जबरदस्ती अपने साथ ले गए और पानीपत ले जाकर निकाह लर लिया।

अपनी बेटी को लाने के लिये पूरे परिवार ने एड़ी चोटी एक कर दी, लेकिन अपनी बेटी को वापस नहीं ला पाए। सुरेश ने गांव में पंचायत भी की। पंचायत में रियाज के घरवालों ने लड़की से निकाह की बात कबूली लेकिन लड़की को वापस करने की मना कर दिया। इस मामले में पुन्हाना में केस दर्ज किया है और इसका FIR नंबर 350 है पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। परिवार इंसाफ की लगातार गुहार लगा रहा है।

जेहादियों को सजा और बेटियों कों इंसाफ कब?

मेवात को पाकिस्तान बनाने वाले आरोपियों को कब मिलेगी सजा और बेटियों को कब इंसाफ मिलेगा? ये वाकई बड़ा सवाल है। मेवात इलाके में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। इसलिये हिंदुओं की बेटियों के साथ जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वर्षा के परिवार को लगातार केस वापिस लेने के लिये भी धमकियां दी जा रही हैं। मेवात में 80% से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। देश के मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िलों में से एक है। सवाल ये है कि हरियाणा में पाकिस्तान और सीरिया वाली सोच कैसे काम कर सकती है। सवाल ये है कि देश की बेटियों के साथ ऐसा अत्याचार कब तक होता रहेगा और देश की पार्टियां धर्म के नाम पर कब तक राजनीति करती रहेंगी।

सबूत नंबर 2). अपराधियों की जन्नत
निकिता हो या वर्षा दोनों ही मामले में मेवात का जिक्र आया है, इसलिए आपको आज मेवात के बारे में जानना चाहिए। मेवात को अपराधियों की जन्नत कहा जाए तो ये भी गलत नहीं होगा। मेवाती गैंग के नाम से कई गिरोह सक्रिय हैं। दिल्ली, हरियाणा, यूपी में कई वारदातों में इन गिरोह की भूमिका पाई जाती है। आतंकियों को शरण देने के लिए मेवात बदनाम है। लूटपाट, डकैती, अपहरण, हत्या से मेवात की पहचान बिगड़ी है। मतलब साफ है कि मेवात अपराधियों के लिए जन्नत है।

इसके एक ओर बड़े सबूत की जानकारी आपको दे देते हैं। वर्ष 2016 के आंकड़ों पर एक नजर डाले तो आप हैरान रह जाएंगे। इन आंकड़ों के अनुसार गुरुग्राम जेल में बंद 24% अपराधी मेवात के थे। वर्ष 2016 का ही एक ओर आंकड़ा ये बताता है कि फरीदाबाद जेल के कुल कैदियों के 25% कैदी मेवात के थे।

सबूत नंबर 3). गो-तस्करी का गढ़
मवेशियों की तस्करी के लिए मेवात के कुख्यात अपराधियों की सच्चाई सामने आती रही है। गो-तस्करी से जुड़े सैकड़ों मामले मेवात से सामने आ चुके हैं। समझना मुश्किल नहीं है कि 80% से ज्यादा आबादी मुस्लिम वाले मेवात में इन जेहादियों की असल करतूत किस काम को अंजाम दे रही है।

सबूत नंबर 4). मेवात का काला इतिहास
अब आपको मेवात का इतिहास बताते हैं। यहां 80% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश से सीमाएं जुड़ी हैं। इस जगह को तब्लीगी जमात विचारधारा की जन्मस्थली कहा जाता है। 8वीं से 12 वीं शताब्दी के बीच इस्लाम का प्रभाव देखा गया, जब बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन हुआ था। धर्म परिवर्तन से मुस्लिम बने राजपूत 'मेव' कहलाए थे। देश के मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िलों में से एक है।

हरियाणा पर 2013 की एक रिपोर्ट में दावा है कि 500 गांवों में से 103 गांव में एक भी हिंदू नहीं है, जबकि हरियाणा के 82 गांव में सिर्फ 4-5 हिंदू परिवार हैं।

सबूत नंबर 5). अज्ञानता: विनाश का कारण
मेवात के इस काले इतिहास और कट्टर सोच की बड़ी वजह उनकी अज्ञानता भी है। वर्ष 2018 के आंकड़ों की माने तो मेवात देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। यानी यहां सिर्फ कट्टरपंथियों की सोच को बढ़ावा दिया जाता है ना कि शिक्षा को। वर्ष 2011 के आंकड़ों को अनुसार मेवात की साक्षरता दर 56% है। ये समझना काफी आसान है कि अज्ञानता ही विनाश का कारण होती है। मेवात में बसे कट्टरपंथियों की ये करतूत उन्हें सिर्फ विनाश की ओर धकेल रही है।

इन पांच सबूतों से ये समझा जा सकता है कि किस तरह से समाज के दीमक रूपी कट्टरपंथियों ने जेहाद को ही अपना मिशन बना लिया है। लेकिन अब वक़्त आ चुका है कि ऐसी सोच का जल्द से जल्द खात्मा किया जाए, क्योंकि आज निकिता और वर्षा के साथ खुलेआम ऐसे खेल को अंजाम दिया जा रहा है, कल किसी की भी बेटी और बहन को ऐसे ही शिकार बनाया जा सकता है। इसीलिए अब जागने का वक़्त आ चुका है।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, October 29, 2020

शरद पूर्णिमा पर यह काम करेंगे तो सालभर रहेगे स्वस्थ्य और होगी धनप्राप्ति

29 अक्टूबर 2020


आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में चंद्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । इस साल 30 अक्टूबर की रात में खीर बनाकर खानी है व 31 अक्टूबर को व्रत-पूजन करना है।




इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था ।

यूं तो हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व उन सभी से कहीं अधिक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है।

 शरद पूर्णिमा से जुड़ी बातें....

ईस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है, इसके बाद उसे खाया जाता है।

 नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशिद काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती है। माता यह देखती है कि कौन जाग रहा है?
यानी अपने कर्तव्‍यों को लेकर कौन जागृत है? जो इस रात में जागकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं, मां उन पर असीम कृपा करती है।

वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो उनकी क्वालिटी में बढ़ोतरी हो जाती है।

 शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुबह उठकर व्रत करके अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाकर, गंध पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जागरण करने वाले की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

 शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें ?

 अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना ।

इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।

शरद पूर्णिमा की चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है ।

 अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न होता है।

 खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद...

खीर को रसराज कहते हैं । सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे ।

खीर बनाते समय घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, आजकल जो मेटल (धातु) का बनाकर चाँदी के नाम से देते हैं वह नहीं, असली चाँदी के बर्तन अथवा असली सोना धोकर खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे । लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । खीर में इलायची, खजूर या छुहारा डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । रात्रि 8 बजे महीन कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर 11 बजे के बाद भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना । सुबह गर्म करके भी खा सकते हो ।
(खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी - इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती ।) यह खीर खाने से सालभर मनुष्य स्वथ्य रहता है ।

स्वास्थ्य प्रयोग...

इस रात्रि में 3-4 घंटे तक बदन पर चन्द्रमा की किरणों को अच्छी तरह पड़ने दें ।

दो पके सेवफल के टुकड़े करके शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी में रखने से उनमें चन्द्रकिरणें और ओज के कण समा जाते हैं । सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभकारी परिवर्तन होते हैं ।

250 ग्राम दूध में 1-2 बादाम व 2-3 छुहारों के टुकड़े करके उबालें । फिर इस दूध को पतले सूती कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में 2-3 घंटे तक रख दें । यह दूध औषधीय गुणों से पुष्ट हो जायेगा । सुबह इस दूध को पी लें ।

सोंठ, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाला हुआ दूध चाँदनी रात में 2-3 घंटे रखकर पीने से बार-बार जुकाम नहीं होता, सिरदर्द में लाभ होता है ।

तुलसी के 10-12 पत्ते एक कटोरी पानी में भिगोकर चाँदनी रात में 2-3 घंटे के लिए रख दें । फिर इन पत्तों को चबाकर खा लें व थोड़ा पानी पियें । बचे हुए पानी को छानकर एक-एक बूँद आँखों में डालें, नाभि में मलें तथा पैरों के तलुओं पर भी मलें । आँखों से धुँधला दिखना, बार-बार पानी आना आदि में इससे लाभ होता है । तुलसी के पानी की बूँदें चन्द्रकिरणों के संग मिलकर प्राकृतिक अमृत बन जाती हैं ।*

नोट : दूध व तुलसी के सेवन में दो घंटे का अंतर रखें ।

 भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, 'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'
अर्थात रसस्वरूप अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।(गीताः15.13)

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, October 28, 2020

गोहत्या: रंगेहाथ पकड़े गए 87 गौ-तस्कर, जिनसे मिले कुल 2604 गौवंश अवशेष

28 अक्टूबर 2020


इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार (अक्टूबर 26, 2020) को निर्दोष व्यक्तियों को फँसाने के लिए उत्तर प्रदेश गोहत्या निरोधक कानून,1955 के प्रावधानों के लगातार दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की।




उक्त अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत गोहत्या और गोमांस की बिक्री के आरोपित रहमुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने कहा, “कानून का निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है। जब भी कोई मांस बरामद किया जाता है, तो इसे सामान्य रूप से गाय के मांस (गोमांस) के रूप में दिखाया जाता है, बिना इसकी जाँच या फॉरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा विश्लेषण किए बगैर। अधिकांश मामलों में, मांस को विश्लेषण के लिए नहीं भेजा जाता है। व्यक्तियों को ऐसे अपराध के लिए जेल में रखा गया है, जो शायद किए नहीं गए थे और जो कि 7 साल तक की अधिकतम सजा होने के चलते प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा ट्रायल किए जाते हैं।”

पर जज साहब ने इन 18 घटनाओं की सूची शायद नहीं देखी होगी जहाँ गौ-तस्कर रंगे-हाथों पकड़ाए।

1. सोमवार (अक्टूबर 5, 2020) को जारचा थाना क्षेत्र के चोना नहर की पटरी पर पुलिस और गोकशी करने वाले बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें फुरकान अली नामक अपराधी अपने पाँव में गोली लगने से घायल हो गया। पैर में गोली लगने से घायल अपराधी फुरकान अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उक्त अपराधी के पिता का नाम महमूद था, जो मेरठ के भावनपुर थाना क्षेत्र स्थित नंगला साहू का निवासी है। फिलहाल वो हापुड़ के हाफिजपुर थाना क्षेत्र स्थित बड़ोदा में रह रहा था। वहीं उसका साथी बदमाश मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश के लिए पुलिस कॉम्बिंग ऑपरेशन चला रही है। उसकी भी गिरफ़्तारी जल्द हो सकती है।

2. जनवरी 2019 को मकसूद खान को राजस्थान की पुलिस ने गो-तस्करी के जुर्म में गिरफ़्तार किया। गो-तस्करी के आरोप में मकसूद के अलावा 6 अन्य लोगों की भी गिरफ़्तारी हुई थी। पुलिस ने मकसूद खान पर यह आरोप लगाया था कि वह ट्रक के पीछे टैंकर में भर कर गायों की तस्करी करता था।

3. रविवार (26 अप्रैल 2020) को गो-तस्करी के एक गिरोह को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया गया। इस गिरोह में पाँच पशु तस्कर थे। इन पशु तस्करों के नाम नईम फारूक कुरैशी (28), शाहरुख सलीम कुरैशी (23) अल्तमस सलीम कुरैशी (21) सलीम सुलेमान कुरैशी (50) और मुन्ना बशीर सैयद (35) थे। इन पाँचों को महाराष्ट्र के नासिक में पशुओं के अवैध ट्रांसपोर्टिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। महाराष्ट्र में जिस गाड़ी पर लेकर ये मवेशियों का गो-तस्करी करते थे, उस पर ‘जय बजरंग’ लिखा हुआ था।

4. जून 2020 में असम के दक्षिण सलमार मनकचर जिले से सीमा सुरक्षा बल ने नौ मवेशी तस्करों को पकड़ा। उनके पास से आठ पशुओं के सिर बरामद किए गए। गिरफ्तार किए गए मवेशी तस्करों की पहचान मेहर सैफुल हक, रफीकुल इस्लाम, रफीकुल इस्लाम, सफीदुर इस्लाम, मोहम्मद आफ्टर अली और नूरुद्दीन के रूप में की गई थी और वे सभी दक्षिण सलमारा कंकड़धार जिले के निवासी थे।

5. जून 2020 में हरियाणा के नूंह जिले में छापेमारी के दौरान जब पुलिस आसिफ नाम के एक शख्स के घर पहुँची तो पाया कि 9 लोग टाटा 407 वाहन पर गाय की खाल लोड कर रहे थे। पुलिस को देखते ही सभी आरोपित कार को छोड़ कर भाग गए। आरोपितों की पहचान निन्ना उर्फ निज़ाम, सलामू, दीनू, अहमद हुसैन, बाबुदीन, असर, इलियास और मामन के रूप में हुई। इन सभी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

पुलिस ने वाहन से तकरीबन 414 गायों की खाल बरामद की। इसके बाद उन्होंने असर के घर में बने एक गोदाम पर छापा मारा, जहाँ से 620 गायों की खालें मिलीं। निज़ामू, फ़ारुख, हसीम के घरों में बने गोदामों पर छापे से कुल 1060 गायों की खालें बरामद हुई। इसके बाद दीनू, अहमद हुसैन, इलियास और मामन के घरों में बने गोदामों पर छापे मारे गए। जहाँ से कुल 478 गायों की खाल मिली। अभियुक्त निन्नह उर्फ निजाम, फारूक, हासिम, दीनू, अल्ली, आसिफ, निजाम, मुस्तकीम, नियाजू कुल 2572 गाय की खाल और एक टाटा 407 के साथ पाए गए थे।

6. हरियाणा के पलवल में सोमवार (जुलाई 28, 2019) की शाम करीब 7:30 बजे कुछ गो तस्करों ने गोपाल नाम के गो रक्षक की गोली मारकर हत्या कर दी। उन्हें सोमवार (जुलाई 29, 2019) को किसी ने सूचना दी थी कि कुछ लोग गाय की तस्करी कर रहे हैं। जिसके बाद अपनी बाइक लेकर निहत्थे ही वे गायों को बचाने के लिए तस्करों का पीछा करने लगे। परिणाम स्वरुप रास्ते का रोड़ा बनता देख गो तस्करों ने उन्हें गोली मार दी और वहीं उनकी मौत हो गई।

7. जुलाई 2019 में राजस्थान के अलवर जिले में गो तस्करों ने ग्रामीणों पर फायरिंग की। तस्कर की पहचान सलीम खान के रूप में हुई। मंगलवार (जुलाई 30, 2019) की रात 3 तस्कर कच्चे रास्ते से 10-15 गायों को ले जा रहे थे। आस-पास के ग्रामीणों ने पूछताछ की तो गो तस्करों ने फायरिंग शुरू कर दी।

8. राजस्थान के अलवर जिले में रविवार (सितंबर 22, 2019) देर रात गौ तस्करी के आरोप में मुनफेद खान नामक शख्स की पिटाई की घटना सामने आई। पुलिस ने बताया कि देर रात खुसा की ढाणी में भीड़ ने मुनफेद खान को घेरा और उसकी गाड़ी से 7 गोवंश बरामद किए। इस दौरान लोगों का गुस्सा उस पर फूट पड़ा और उन्होंने मुनफेद की जमकर पिटाई कर दी।

9. उत्तर प्रदेश के बागपत में पुलिस ने गोवंश का कटान और तस्करी करने के आरोप में 6 लोगों को पकड़ा था। आरोपितों के पास से चार बेसहारा गोवंश, एक महिंद्रा पिकअप, एक सेंट्रो, दो तमंचे, नशे के इंजेक्शन, 2 चॉपर, दो छुरे बरामद किए गए हैं। गिरफ्तारी रविवार (नवंबर 3, 2019) शाम को हुई थी। पकड़े गए आरोपितों की पहचान शाहिद, महफूज, हनीफ, शाहरुख, आरिफ और शानू के रूप में हुई। वहीं, फरार हुए आरोपितों में वसीम, मोमिन, जुल्फिकार,नौशाद और शहजाद का नाम शमिल था।

10. उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में सिंघावली अहीर थाना और बागपत कोतवाली पुलिस ने रविवार (फरवरी 23, 2020) की रात हुई एक मुठभेड़ के बाद 3 गौ तस्करों को धर दबोचा। पुलिस ने इन तस्करों के पास से बिना नंबर की मारुति स्विफ्ट डिजायर कार, एक बछिया, एक सांड़ के अलावा इंजेक्शन, दो तमँचे, दो कारतूस बरामद किए। इनकी पहचान आदिल और मोहम्मद फिरोज के रूप में हुई थी। जबकि पीछा कर पकड़े गए तीसरे तस्कर का नाम सलमान था।

11. सहारनपुर के नानौता में गुरुवार (29 मार्च, 2019) तड़के हुई गोलीबारी में एक कांस्टेबल और दो गाय तस्कर घायल हो गए। जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा दिए जाने के बाद ज़िला चिकित्सालय रेफर किया गया। इसके अलावा पुलिस को चकमा देकर रियासत और अरशद वहाँ से भागने में क़ामयाब हो गए। पकड़े गए घायल तस्करों में एक इरफ़ान है और दूसरा असरफ़ था।

12. नोएडा थाना सेक्टर-20 की पुलिस और स्वाट-1 व स्वाट-2 की संयुक्त टीमों ने नोएडा सेक्टर-8 की रेड लाइट से तीन गौ तस्करों की गिरफ़्तारी की। इनके पास से 10 ज़िंदा कारतूस समेत तीन तमंचे भी बरामद किए।इनकी पहचान आरिफ़, क़ासिम और यासीन के रूप में हुई थी।

13. जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पुलिस ने गोकशी में लिप्त एक गैंग के 14 सदस्यों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। इनमें गैंग का सरगना महबूब आलम और एक महिला भी थी। उसने घर में हथियार बनाने की फैक्ट्री भी खोल रखी थी।

14. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार (फरवरी 05, 2020) को कार में गौमांस (बीफ़) ले जाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, थाना प्रभारी सुशील कुमार दुबे ने बताया कि पुलिस ने गंगेरू रोड पर जब एक ऐसी कार को रोका, जिसमें गौमांस को मीट की दुकान ले जाया जा रहा था। जिसके बाद कार सवार दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान आरोपितों ने दुकान के मालिक इमरान के लावारिस पशुओं की हत्या में शामिल होने का खुलासा किया।

15. उत्तर प्रदेश नोएडा के गौतम बुद्ध नगर जिले के दनकौर थाना क्षेत्र में पुलिस ने बुधवार (जुलाई 18, 2019) को खेत में घुसी गाय की हत्या के मामले में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। अकबर, जाफर, जुल्फिकार और फरियाद पर आरोप था कि इन्होंने मंदिर के सामने एक गाय को भाला मारा, जिसके कारण उस गाय की मौत हो गई।

16. उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में सेना के जवान रामनरेश उर्फ फौजी की कुछ मुस्लिम युवकों ने पिटाई कर दी। जवान ने गाय को काटने पर आपत्ति जताई थी। साथ ही जय श्री राम का नारा लगाया था। औरैया पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। साथ ही रामनरेश उर्फ फौजी के साथ हुए विवाद में वांछित मुख्य अभियुक्त संकरा उर्फ नफीस को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

17. उत्तर प्रदेश के बागपत में गोहत्या के मामले में शाहरुख़, इनाम, और कल्लू नाम के 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। इन तीनों को सोमवार (जून 3, 2019) को बागपत जिले के सिटी कोतवाली थाना अंतर्गत पुराण कस्बा इलाके से गिरफ्तार किया गया। इन पर गोहत्या का शक और पशुओं का अवशेष रखने का आरोप था।

18. मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार आने के बाद पहली बार गोहत्या के मामले में 3 आरोपितों, नदीम, शकील और आजम पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई। गिरफ्तार हुए आरोपितों पर कुछ दिन पहले खंडवा जिले में गोहत्या करने का आरोप था।

गौरतलब है कि 9 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गोहत्या पर पूर्ण लगाम लगाने के लिए ‘Cow-Slaughter Prevention (Amendment) Ordinance, 2020’ को पास किया। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ‘उत्तर प्रदेश गो वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020’ को मंजूरी दे दी गई।

जहाँ गोहत्या के आरोपित 7 साल के कारावास की सज़ा के प्रावधान को बढ़ा कर 10 साल कर दिया गया। साथ ही गोहत्या पर लगने वाले जुर्माने को भी 3 लाख रुपए से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में अब जो भी गोहत्या या जो-तस्करी में संलिप्त होगा, उसके फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पाए जाएँगे। मंगलवार (जून 9, 2020) को यूपी कैबिनेट ने ये फ़ैसला लिया।

भारत मे गौ हत्या पूर्णतः बंद होनी चाहिये। जो गौ हत्या करता है उसको कड़ी सजा मिलनी चाहिए ऐसी जनता की मांग है।

Official  Links:👇🏻
🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, October 27, 2020

बंदा बैरागी का इतिहास जानकर आपकी भी कांप उठेगी रूहें

27 अक्टूबर 2020


 भारतवासी आज जो चैन कि श्वास ले रहे हैं और स्वतंत्रता में जी रहे हैं ये हमारे देश के वीर सपूतों और महापुरुषों के बलिदान के कारण ही संभव हुआ है। उनमें से एक महापुरुष थे बन्दा बैरागी, जिन्होंने अनेक अत्याचार सहकर भी संस्कृति को जीवित रखा पर हम उनके बलिदान दिवस को ही भुल गये हैं।




बाबा बन्दा सिंह बहादुर का जन्म कश्मीर स्थित पुंछ जिले के राजौरी क्षेत्र में विक्रम संवत् 1727, कार्तिक शुक्ल 13 (27 अक्टूबर 1670) को हुआ था। वह राजपूतों के (मिन्हास) भारद्वाज गोत्र से सम्बन्धित थे और उनका वास्तविक नाम लक्ष्मणदेव था। इनके पिता का नाम रामदेव मिन्हास था।

लक्ष्मणदास ने युवावस्था में शिकार खेलते समय एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया। इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया। यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया। उन्होंने अपना नाम माधोदास रख लिया और घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर चल दिये। अनेक साधुओं से योग साधना सीखी और फिर नान्देड़ में कुटिया बनाकर रहने लगे।

इसी दौरान गुरु गोविन्द सिंह जी माधोदास कि कुटिया में आये। उनके चारों पुत्र बलिदान हो चुके थे। उन्होंने इस कठिन समय में माधोदास से वैराग्य छोड़कर देश में व्याप्त इस्लामिक आतंक से जूझने को कहा। इस भेंट से माधोदास का जीवन बदल गया। गुरुजी ने उसे बन्दा बहादुर नाम दिया। फिर पाँच तीर, एक निशान साहिब, एक नगाड़ा और एक हुक्मनामा देकर दोनों छोटे पुत्रों को दीवार में चिनवाने वाले सरहिन्द के नवाब से बदला लेने को कहा। बन्दा हजारों सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब कि ओर चल दिये। उन्होंने सबसे पहले श्री गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने वाले जल्लाद जलालुद्दीन का सिर काटा। फिर सरहिन्द के नवाब वजीरखान का वध किया। जिन हिन्दू राजाओं ने मुगलों का साथ दिया था बन्दा बहादुर ने उन्हें भी नहीं छोड़ा। इससे चारों ओर उनके नाम की धूम मच गयी।

बन्दासिंह को पंजाब पहुँचने में लगभग चार माह लग गये। बन्दा सिंह महाराष्ट्र से राजस्थान होते हुए नारनौल, हिसार और पानीपत पहुंचे और पत्र भेजकर पंजाब के सभी सिक्खों से सहयोग माँगा। सभी सिखों में यह प्रचार हो गया कि गुरु जी ने बन्दा को उनका जत्थेदार यानी सेनानायक बनाकर भेजा है। बंदा के नेतृत्व में वीर राजपूतो ने पंजाब के किसानो विशेषकर जाटों को अस्त्र शस्त्र चलाना सिखाया, उससे पहले जाट खेती बाड़ी किया करते थे और मुस्लिम जमींदार इनका खूब शोषण करते थे देखते ही देखते सेना गठित हो गयी।

इसके बाद बंदा सिंह का मुगल सत्ता और पंजाब हरियाणा के मुस्लिम जमींदारों पर जोरदार हमला शुरू हो गया। सबसे पहले कैथल के पास मुगल कोषागार लूटकर सेना में बाँट दिया गया, उसके बाद समाना, कुंजुपुरा, सढ़ौरा के मुस्लिम जमींदारों को धूल में मिला दिया।

बन्दा ने पहला फरमान यह जारी किया कि जागीरदारी व्यवस्था का खात्मा करके सारी भूमि का मालिक खेतिहर किसानों को बना दिया जाए।

लगातार बंदा सिंह कि विजय यात्रा से मुगल सत्ता कांप उठी और लगने लगा कि भारत से मुस्लिम शासन को बंदा सिंह उखाड़ फेकेंगे। अब मुगलों ने सिखों के बीच ही फूट डालने कि नीति पर काम किया, उसके विरुद्ध अफवाह उड़ाई गई कि बंदा सिंह गुरु बनना चाहता है और वो सिख पंथ कि शिक्षाओं का पालन नहीं करता। खुद गुरु गोविन्द सिंह जी कि दूसरी पत्नी माता सुंदरी जो कि मुगलो के संरक्षण/नजरबन्दी में दिल्ली में ही रह रही थी, से भी बंदा सिंह के विरुद्ध शिकायते कि गई । माता सुंदरी ने बन्दा सिंह से रक्तपात बन्द करने को कहा जिसे बन्दा सिंह ने ठुकरा दिया।

जिसका परिणाम यह हुआ कि ज्यादातर सिख सेना ने उनका साथ छोड़ दिया जिससे उनकी ताकत कमजोर हो गयी तब बंदा सिंह ने मुगलों का सामना करने के लिए छोटी जातियों और ब्राह्मणों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया।

1715 ई. के प्रारम्भ में बादशाह फर्रुखसियर की शाही फौज ने अब्दुल समद खाँ के नेतृत्व में उसे गुरुदासपुर जिले के धारीवाल क्षेत्र के निकट गुरुदास नंगल गाँव में कई मास तक घेरे रखा। पर मुगल सेना अभी भी बन्दा सिंह से डरी हुई थी।

अब माता सुंदरी के प्रभाव में बाबा विनोद सिंह ने बन्दा सिंह का विरोध किया और अपने सैंकड़ो समर्थको के साथ किला छोड़कर चले गए, मुगलों से समझोते और षड्यंत्र के कारण विनोद सिंह और उसके 500 समर्थको को निकल जाने का सुरक्षित रास्ता दिया गया। अब किले में विनोद सिंह के पुत्र बाबा कहन सिंह किसी रणनीति से रुक गए इससे बन्दा सिंह कि सिक्ख सेना कि शक्ति अत्यधिक कम हो गयी।

खाद्य सामग्री के अभाव के कारण उसने 7 दिसम्बर को आत्मसमर्पण कर दिया। कुछ साक्ष्य दावा करते हैं कि गुरु गोविन्द सिंह जी कि माता गूजरी और दो साहबजादो को धोखे से पकड़वाने वाले गंगू कश्मीरी ब्राह्मण रसोइये के पुत्र राज कौल ने बन्दा सिंह को धोखे से किले से बाहर आने को राजी किया।

मुगलों ने गुरदास नंगल के किले में रहने वाले 40 हजार से अधिक बेगुनाह मर्द, औरतों और बच्चों की निर्मम हत्या कर दी।

मुगल सम्राट के आदेश पर पंजाब के गर्वनर अब्दुल समन्द खां ने अपने पुत्र जाकरिया खां और 21 हजार सशस्त्र सैनिकों कि निगरानी में बाबा बन्दा बहादुर को दिल्ली भेजा। बन्दा को एक पिंजरे में बंद किया गया था और उनके गले और हाथ-पांव कि जंजीरों को इस पिंजरे के चारो ओर नंगी तलवारें लिए मुगल सेनापतियों ने थाम रखा था। इस जुलुस में 101 बैलगाड़ियों पर सात हजार सिखों के कटे हुए सिर रखे हुए थे जबकि 11 सौ सिख बन्दा के सैनिक कैदियों के रुप में इस जुलूस में शामिल थे।

युद्ध में वीरगति पाए सिखों के सिर काटकर उन्हें भाले कि नोक पर टाँगकर दिल्ली लाया गया। रास्ते भर गर्म चिमटों से बन्दा बैरागी का माँस नोचा जाता रहा।

मुगल इतिहासकार मिर्जा मोहम्मद हर्सी ने अपनी पुस्तक इबरतनामा में लिखा है कि हर शुक्रवार को नमाज के बाद 101 कैदियों को जत्थों के रुप में दिल्ली कि कोतवाली के बाहर कत्लगाह के मैदान में लाया जाता था। काजी उन्हें इस्लाम कबूल करने या हत्या का फतवा सुनाते। इसके बाद उन्हें जल्लाद तलवारों से निर्ममतापूर्वक कत्ल कर देते। यह सिलसिला डेढ़ महीने तक चलता रहा। अपने सहयोगियों कि हत्याओं को देखने के लिए बन्दा को एक पिंजरे में बंद करके कत्लगाह तक लाया जाता ताकि वह अपनी आंखों से इस दर्दनाक दृश्य को देख सकें।

बादशाह के आदेश पर तीन महीने तक बंदा और उसके 27 सेनापतियों को लालकिला में कैद रखा गया। इस्लाम कबूल करवाने के लिए कई हथकंडों का इस्तेमाल किया गया। जब सभी प्रयास विफल रहे तो जून माह में बन्दा कि आंखों के सामने उसके एक-एक सेनापति कि हत्या की जाने लगी। जब यह प्रयास भी विफल रहा तो बन्दा बहादुर को पिंजरे में बंद करके महरौली ले जाया गया। काजी ने इस्लाम कबूल करने का फतवा जारी किया जिसे बन्दा ने ठुकरा दिया।

बन्दा के मनोबल को तोड़ने के लिए उनके चार वर्षीय अबोध पुत्र अजय सिंह को उसके पास लाया गया और काजी ने बन्दा को निर्देश दिया कि वह अपने पुत्र को अपने हाथों से हत्या करे। जब बन्दा इसके लिए तैयार नहीं हुआ तो जल्लादों ने इस अबोध बालक का एक-एक अंग निर्ममतापूर्वक बन्दा कि आंखों के सामने काट डाला। इस मासूम के धड़कते हुए दिल को सीना चीरकर बाहर निकाला गया और बन्दा के मुंह में जबरन ठूंस दिया गया। वीर बन्दा तब भी निर्विकार और शांत बने रहे।

अगले दिन जल्लाद ने उनकी दोनों आंखों को तलवार से बाहर निकाल दिया। जब बन्दा टस से मस न हुआ तो उनका एक-एक अंग हर रोज काटा जाने लगा। अंत में उनका सिर काट कर उनकी हत्या कर दी गई। बन्दा न तो गिड़गिड़ाये और न उन्होंने चीख पुकार मचाई। मुगलों कि हर प्रताड़ना और जुल्म का उसने शांति से सामना किया और धर्म कि रक्षा के लिए बलिदान हो गया।

देश और धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने और इतनी यातनाएं सहन करने के बाद प्राणों कि आहुति दे दी लेकिन न धर्म बदला और नही अन्याय के सामने कभी झुके। इन वीर महापुरुषों को आज हिंदुस्तानी भूल रहे है और देश को तोड़ने में सहायक हीरो-हीरोइन, क्रिकेटरों का जन्म दिन याद होता है लेकिन आज हम जिनकी वजह से स्वतंत्र है उनका जन्म दिवस याद नही कितने दुर्भाग्य की बात है ।

इतिहास से हिन्दू आज सबक नही लेगा, संगठित होकर कार्य नही करेगा और हिंदू राष्ट्र कि स्थापना नही होगी तो फिर से विदेशी ताकते हावी होगी और हमें प्रताड़ित करेंगी।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, October 26, 2020

जानिए रावण कैसा था ? क्यों रावण का पुतला जलाया जाता है ?

26 अक्टूबर 2020


समाचार पत्रों से मालूम चला जहाँ देश में सभी स्थानों पर दशहरा को रावण का दहन किया जायेगा वहीं कुछ अपने आपको मूल निवासी कहने वाले लोग यह कहते दिखाई दिए कि रावण का पुतला दहन नहीं होना चाहिए क्यूंकि रावण उनके पूर्वज थे। ये बयान निश्चित रूप से सुर्खियां बटोरने के लिए दिए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से कभी अम्बेडकरवादी, साम्यवादी, आदिवासी आदि संगठन भी रावण को अपना पूर्वज बताकर ऐसा भ्रम फैला रहे हैं। सत्य यह है कि इन्होंने कभी वाल्मीकि रामायण को ही नहीं पढ़ा। उसमें रावण का कैसा चरित्र वर्णित है यह भी नहीं जाना। अन्यथा ऐसा अज्ञानता भरी बात ये लोग कभी नहीं करते।




रावण एक विलासी था। अनेक देश - विदेश की सुन्दरियां उसके महल में थीं। हनुमान अर्धरात्रि के समय माता सीता को खोजने के लिए महल के उन कमरों में घूमें जहाँ रावण की अनेक स्त्रियां सोई हुई थीं। नशा कर सोई हुई स्त्रियों के उथले वस्त्र देखकर हनुमान जी कहते हैं~

कामं दृष्टा मया सर्वा विवस्त्रा रावणस्त्रियः ।
न तु मे मनसा किञ्चद् वैकृत्यमुपपद्यते ।।

अर्थात - मैंने रावण की प्रसुप्तावस्था में शिथिलावस्त्रा स्त्रियों को देखा है, किन्तु इससे मेरे मन में किञ्चन्मात्र भी विकार उत्पन्न नहीं हुआ। जब सब कमरों में घूमकर विशेष-विशेष लक्षणों से उन्होंने यह निश्चिय किया कि इनमें से सीता माता कोई नहीं हो सकतीं।
ऐसा निश्चय हनुमान जी ने इसलिए किया क्यूंकि वे जानते थे कि माता सीता चरित्रवान स्त्री हैं। न की रावण और उसकी स्त्रियों के समान भोगवादी हैं । अंत में सीता उन्हें अशोक वाटिका में निरीह अवस्था में मिली।

सीता माता से रावण कहता है -
"बह्वीनामुत्तमस्त्रीणामाहृतानामितस्तत: ।
सर्वासामेव भद्रं ते ममाग्रमहिषी भव ।।(वाल्मीकि रामायण ३/४७/२८)

"मैं इधर-उधर से बहुत सी सुन्दरी स्त्रियों को हर लाया हूँ । उन सब में तुम मेरी पटरानी बनोगी । तुम्हारा भला हो ।"

इसका स्पष्ट अर्थ है रावण जिस सुन्दर स्त्री को देखता था , मुग़लों की तरह हरण करके अपनी हरम (रनिवास) में डाल देता था , पर माँ सीता को पटरानी बनाना चाहता था । अनेक ऋषि-मुनि-देवताओं और राजाओं की पत्नी-पुत्री और बहनों का हरण करके अपने रनिवास में रावण ने डाल दिया था , जिससे कुपित होकर साध्वी स्त्रियों ने रावण को श्राप दिया था ।

यह तो रहा रावण का चरित्र और स्त्रियों के प्रति उसका दृष्टिकोण , जो कि संकेतमात्र ही किया है, क्या रावण ने श्रीराम से बहन का प्रतिशोध लेने के लिये हरण किया था ? उत्तर है नहीं , शूपर्णखा ने न तो श्रीराम की निन्दा की न रावण ने शूपर्णखा का प्रतिशोध ही लिया । शूपर्णखा ने तो रावण से कहा - 'श्रीराम अकेले और पैदल थे , तो भी उन्होंने डेढ़ मुहूर्त के भीतर ही खर-दूषण सहित चौदह हजार भयंकर शक्तिशाली राक्षसों का तीखे बाणों से संहार कर डाला , ऋषियों को अभय दे दिया और समस्त दण्डकवन को राक्षसों की विघ्न से रहित कर दिया ।' (रा०अ०३४/९-११)

"एका कथंचिन्मुक्ताहं परिभूय महात्मना ।
स्त्रीवधं शङ्कमानेन रामेण विदितात्मना ।।(वा०रा०३/३४/१२)

आत्मज्ञानी महात्मा श्रीराम ने स्त्री का वध हो जाने के भय से एकमात्र मुझे किसी तरह केवल अपमानित करके ही छोड़ दिया ।"

शूर्पणखा के वचन से दो बात सिद्ध हैं , पहली वह रावण से स्पष्ट कह रही है उसका अपराध वध के योग्य था । दूसरी वह आत्मज्ञानी महात्मा कहकर श्रीराम की प्रशंसा भी कर रही है और यह राम ने उसे कोई दण्ड नहीं दिया , उदारता दिखाते हुए केवल अपमानित करके ही छोड़ दिया । इसलिये बहन का बदला लिया रावण ने ,तो किस बात का बदला लिया ? जब श्रीराम ने शूर्पणखा का कोई अपराध नहीं किया ।

विभीषण जी ने सीता हरण का कारण रावण से पूछा था , तो उसमें बहन का बदला नहीं , खर-दूषण की मृत्यु का बदला कहा था ( क्योंकि रावण के साम्राज्य को दण्डकारण्य सहित सम्पूर्ण भारत से समाप्त कर दिया था- ज्यादा जानकारी के अरण्यकाण्ड का ३३ वां सर्ग पढ़ें , जिसमें शूपर्णखा ने रावण को उसके सिकुड़ते साम्राज्य पर फटकार लगाई थी , न कि अपना रोना रोया था )

विभीषणजी रावण से कहते हैं -
"किं च राक्षसराजस्य रामेणापकृतं पुरा ।
आजहार जनस्थानाद् यस्य भार्यां यशस्विनः।।
खरो यद्यतिवृत्तस्तु स रामेण हतो रणे ।
अवश्यं प्राणिनां प्राणा रक्षितव्या यथाबलम् ।।(वा०रा०६/९/१३-१४)

श्रीरामचन्द्रजी ने पहले राक्षसराज रावण का कौन -सा अपराध किया था ,जिससे उन यशस्वी महात्मा श्रीराम की पत्नी को जनस्थान से हर लाये ? 
यदि कहें कि उन्होंने खर को मारा था तो यह ठीक नहीं है ; क्योंकि खर अत्याचारी था । उसने स्वयं ही उन्हें मार डालने के लिये उन पर आक्रमण किया था । इसलिए श्रीराम ने रणभूमि में उसका वध किया ; क्योंकि प्रत्येक प्राणी यथाशक्ति अपने प्राणों की रक्षा अवश्य करनी चाहिये । "

अगर आपका पूर्वज शराबी, व्यभिचारी, भोग-विलासी, अपहरणकर्ता, कामी, चरित्रहीन, अत्याचारी हो तो आप उसके गुण-गान करेंगे अथवा उस निंदा करेंगे ?
स्पष्ट है उसकी निंदा करेंगे। बस हम यही तो कर रहे हैं। यही सदियों से दशहरे पर होता आया है। रावण का पुतला जलाने का भी यही सन्देश है कि पापी का सर्वदा नाश होना चाहिए।
एक ओर वात्सलय के सागर, सदाचारी, आज्ञाकारी, पत्निव्रता, शूरवीर, मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम हैं।
दूसरी ओर शराबी, व्यभिचारी, भोग-विलासी, अपहरणकर्ता, कामी, चरित्रहीन, अत्याचारी रावण है।
किसकी जय होनी चाहिए। किसकी निंदा होनी चाहिए। इतना तो साधारण बुद्धि वाले भी समझ जाते हैं।

आप क्यों नहीं समझना चाहते ? इसलिए यह घमासान बंद कीजिये और पक्षपात छोड़कर सत्य को स्वीकार कीजिये। -डॉ.विवेक आर्य

Official  Links:👇🏻
🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, October 25, 2020

विदेशी महिला की हमले में कटी नाक को महर्षि सुश्रुत के शल्य चिकित्सा किया ठीक

25 अक्टूबर


कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े हुए बच्चें भले अपनी प्राचीन संस्कृति को न माने पर आज भी ऋषि-मुनियों द्वारा बताई गई युक्तियां काम कर रही हैं । 




शल्य चिकित्सक महर्षि सुश्रुत की लिखी सुश्रुत संहिता आज 2500 वर्षों बाद भी चिकित्सा क्षेत्र में मार्गदर्शक बनी हुई है । यह है भारत का वह सनातनी ज्ञान जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था ।

चार सालों से एक विदेशी महिला की नाक की सर्जरी अटकी हुई थी । कोई भी दवाई काम में नहीं आ रही थी। लाख कोशिशों के बाद वह इलाज के लिए भारत आई। डॉक्टरों ने यहां शल्य चिकित्सक महर्षि सुश्रुत के तकरीबन ढाई हजार साल पुराने तरीके अपनाए और उसकी सफल सर्जरी कर नई नाक तैयार की । डॉक्टरों ने महिला के गाल की खाल की मदद से यह नई नाक बनाई ।

एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, शम्सा खान (24) मूलरूप से अफगानिस्तान की रहनेवाली हैं । आतंकी हमले में चार साल पहले उन्हें गोली लग गई थी । वह उस हमले में बाल-बाल बचीं, पर कुछ जख्मों ने उनकी नाक का हुलिया बुरी तरह बिगाड दिया था। वह इसके चलते ठीक से सांस भी नहीं ले पाती थीं। यहां तक कि उनकी सूंघने की क्षमता भी चली गई थी ।

इलाज की आस में उन्होंने अफगानिस्तान में कई डॉक्टरों के चक्कर लगाए, परंतु उनके हाथ केवल निराशा ही आई । उन्होंने वहां पर सर्जरी भी कराई, परंतु वह सफल न हो पाई । ऐसे में उन्होंने बेहतर इलाज के लिए भारत का रुख किया । राजधानी नई देहली स्थित केएएस मेडिकल सेंटर एंड मेडस्पा में उन्हें भर्ती कराया गया । प्लास्टिक सर्जन अजय कश्यप ने एजेंसी से कहा, “यह जटिल मामला था । आधुनिक तरीकों से बात नहीं बनी, तो हमने शल्य चिकित्सक महर्षि सुश्रुत की तकनीक से नाक बनाने के लिए गाल से खाल ली ।"

उधर, इलाज के बाद शम्सा खास खुश हैं । वह बोलीं, “हमारे यहां गोली चलना व हमले होना आम है। उनमें कुछ मरते हैं तो कुछ बच जाते हैं, जबकि कुछ हालात के कारण मानसिक व शारीरिक ट्रॉमा का शिकार हो बैठते हैं । अंग बेकार हो जाए, जो जिंदगी भयावह हो जाती है। पर अब मुझे खुशी है कि सामान्य जीवन जी सकूंगी ।” स्त्रोत : जनसत्ता

कौन थे सुश्रुत ?

प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे । उन्हें शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है ।

शल्य चिकित्सा (Surgery) के पितामह और 'सुश्रुत संहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म काशी में हुआ था । इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की । सुश्रुत संहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है ।

सुश्रुत संहिता में सुश्रुत को विश्वामित्र का पुत्र कहा है । 'विश्वामित्र' से कौन से विश्वामित्र से अभिप्राय है, यह स्पष्ट नहीं । सुश्रुत ने काशीपति दिवोदास से शल्यतंत्र का उपदेश प्राप्त किया था । काशीपति दिवोदास का समय ईसा पूर्व की दूसरी या तीसरी शती संभावित है । सुश्रुत के सहपाठी औपधेनव, वैतरणी आदि अनेक छात्र थे । सुश्रुत का नाम नावनी तक में भी आता है ।

सुश्रुत के नाम पर आयुर्वेद भी प्रसिद्ध हैं । यह सुश्रुत राजर्षि शालिहोत्र के पुत्र कहे जाते हैं (शालिहोत्रेण गर्गेण सुश्रुतेन च भाषितम् - सिद्धोपदेशसंग्रह)। सुश्रुत के उत्तरतंत्र को दूसरे का बनाया मानकर कुछ लोग प्रथम भाग को सुश्रुत के नाम से कहते हैं; जो विचारणीय है। वास्तव में सुश्रुत संहिता एक ही व्यक्ति की रचना है ।

सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे । ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे । इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुइयां, चिमटियां आदि हैं । सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की । सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी । सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे । सुश्रुतसंहिता में मोतियाबिंद के ओपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उनको जोड़ने में विशेषज्ञता प्राप्त थी ।

शल्य क्रिया के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए वे विशेष औषधियां देते थे । इसलिए सुश्रुत को संज्ञाहरण का पितामह भी कहा जाता है । इसके अतिरिक्त सुश्रुत को मधुमेह व मोटापे के रोग की भी विशेष जानकारी थी । सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे । उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताये और शल्य क्रिया का अभ्यास कराया । प्रारंभिक अवस्था में शल्य क्रिया के अभ्यास के लिए फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे । मानव शारीर की अंदरूनी रचना को समझाने के लिए सुश्रुत शव के ऊपर शल्य क्रिया करके अपने शिष्यों को समझाते थे । सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा में अद्भुत कौशल अर्जित किया तथा इसका ज्ञान अन्य लोगों को कराया । इन्होंने शल्य चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद के अन्य पक्षों जैसे शरीर संरचना, काय चिकित्सा, बाल रोग, स्त्री रोग, मनोरोग आदि की जानकारी भी दी ।

महर्षि सुश्रुत को विश्व का पहला शल्य चिकित्सक (सर्जन) माना जाता है। 2500 साल पहले सुझाए उनके सर्जरी के तरीके आज भी सबसे सटीक माने जाते हैं । 184 अध्यायवाली सुश्रुत संहिता में आठ तरीके की सर्जरी और 1120 प्रकार के रोगों के बारे में बताया गया है। वह, चरक और धन्वंतरि जैसे चिकित्सकों जैसे ही मशहूर रहे हैं म

ये है भारत देश की ऋषि-मुनियों की महिमा लेकिन हम उनके लिखे हुए शास्त्र की बाते भूलते जा रहे है इसलिए दुःखी, परेशान, बेचैन, बीमार, अशांत रहते हैं, अगर ऋषि-मुनियों द्वारा बताई गई बातों अनुसार कार्य किया जाए तो हर व्यक्ति सुखी, स्वस्थ्य, सम्मानित जीवन जी सकता है ।

Official  Links:👇🏻
🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ