Tuesday, March 7, 2023

होली खेलते समय बरतें ये सावधानी नहीं तो हो सकते हैं यह नुकसान !

 4 March 2023

http://azaadbharat.org

होली के दिन शराब अथवा भांग आदि नशा करने की कुप्रथा है, हुड़दंग मचाते है, हंसी मजाक के नाम पर दुसरों को परेशान करना। इस उत्सव के साथ हलकी मति के लोग जुड़ गये । इस उत्सव में गंदगी फेंकना, गंदी हरकतें करना, गालियाँ देना, शराब पीना और वीभत्स कर्म करना – यह उत्सव की गरिमा को ठेस पहुँचाना है ।

दुष्ट प्रवृत्तिके लोगो द्वारा बहनों के साथ छेड़छाड़ करना  - स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली मनायें । स्त्रियाँ यदि अपने घर परिवार या सोसायटी में ही होली मनायें

खेलने व रंग छुड़ाने में पानी की महाबर्बादी

मानसिक प्रसन्नता व आध्यात्मिक लाभ की उपेक्षा

बापूजी द्वारा पुनरुत्थान कैसे ?


यह होली रंगोत्सव हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता है यह उत्सव शरीर तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धि दाता का ज्ञान प्रविष्ट हो – ऐसा करने के लिए है और इस उत्सव को इसी उद्देश्य से मनाना चाहिए । होली त्योहार आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक कई ढंग से लोगों को उन्नत करता है ।

संत श्री आशारामजी ने वैदिक होली की महिमा बताई केमिकल रंगों को छोड़कर पलाश के फूलों की होली खिलाई और वास्तविक होली के महत्व को समझाया है सन 2000 से सुरत आश्रम में लाखों लोगों के साथ पलाश के रंगों से सामूहिक होली व बाद में अन्य आश्रमों में भी पलाश के रंगों की होली का आयोजन होता रहा है यह रुझान आश्रम के साधकों के बीच हर वर्ष बढ़ रहा है ।

सामाजिक व्यवहारिक लाभ

होली उत्सव समाज के लोगों के बीज जाति-पाती, गरीब-अमीर, बड़ा छोटा अनेक विषमताओं के बीच भी भेदभाव, लड़ाई – झगड़ा भुलकर मिटाकर हंसते खेलते पारस्परिक प्रेम व सद्भाव प्रकट करने का एक अवसर है । यह समाज में व्यवहारिक ढंग से एकत्व का संचार करता है तथा परस्पर छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद को, सहजता को, निरहंकारिता और सरल सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है ।

शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य लाभ

प्राचीन समय में लोग पलाश के फूलों से बने रंग अथवा अबीर-गुलाल, कुमकुम– हल्दी से होली खेलते थे । आयुर्वेद के ग्रंथों के पलाश-पुष्पों के गुणों का वर्णन है। गर्मी आते ही खिन्नता चिड़चिड़ापन ,डिप्रेशन तनाव तथा अनिद्रा की कई लोगों को शिकायत हो जाती है। ऐसे में आप यदि पलाश के फूल अर्थात प्राकृतिक रंगों को होली पर इस्तेमाल करें तो इन बीमारियों से आपकी रक्षा होती है इनके रंग आँखों की जलन, शरीर-दाह, पित्त की तकलीफें, चर्म रोग, जलन, अधिक प्यास लगना, रक्त-विकार, अधिक पसीना आना तथा मूत्रकृच्छ (रुक-रुक कर पेशाब आना) एलर्जी, अनिद्रा,  उद्वेग, अवसाद (डिप्रेशन), त्वचा रोग जैसे रोगों और कालसर्प योग जैसी दुःसाध्य समस्याओं से रक्षा होती है। स्वास्थ्य, सहृदयता, शरीर की सप्त धातुओं एवं सप्त रंगों का संतुलन आदि विलक्षण लाभ होते हैं।

होली पर रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव - मेडिकल डाक्टरों के अनुसार केमिकल रंग कैंसर तक कर सकते हैं.  अन्य नुकसान निम्न हैं ।

 घर में ही आसानी से अलग- अलग प्राकृतिक रंग कैसे बनायें व रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव – देखें विडियो

https://www.youtube.com/watch?v=M4WSkIg2sbg

आध्यात्मिक लाभ

चार महारात्रियाँ हैं - जन्माष्टमी, होली, दिवाली और शिवरात्रि। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों आदि का ऐसा मेल होता है कि हमारा मन नीचे के केन्द्रों से ऊपर आये। शरीरों में होते हुए भी निर्विकार नारायण का आनंद-माधुर्य पाकर अपने आपको जन्म मरण से मुक्त कर सकते हैं । भक्त प्रह्लाद के जीवन में विरोध, प्रतिकुलताएँ आयीं पर वह उन विरोधों और प्रतिकुलताओं में गिरा नहीं, ऐसे ही जिसको ईश्वर की सर्वव्यापकता पर विश्वास है उसको परिस्थितियों की विपरीतता अपने पथ से गिरा नहीं सकती।

 

मनुष्यों के संकल्पों में कितनी शक्ति है इस बात की की स्मृति देता है और उसके साथ-साथ सज्जनता की रक्षा करने के लिए लोगों को शुभ संकल्प करना चाहिए यह सकेत भी देता है । भले दुष्ट व्यक्ति के पास राज्य-सत्ता अथवा वरदान का बल है, जैसे होलिका के पास था, फिर भी दुष्ट को अपनी दुष्ट प्रवृत्ति का परिणाम देर-सवेर भुगतना ही पड़ता है ।

 

पानी की महाबचत

केमिकल रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है। केवल मुँह का रंग निकालने में ही कितना पानी खर्च होता है ! जबकि प्राकृतिक रंगों से होली खेलने पर इसका 10वाँ हिस्सा भी खर्च नहीं होता। और देश की जल-सम्पदा की सुरक्षा होती है । आश्रम में लाखों लोगो के साथ पलाश के रंगों से सामुहिक होली में प्रति व्यक्ति मात्र 30 से 60 मि.ली. (आधे गिलास से भी कम) पानी इस्तेमाल हुआ। इस प्रकार सामूहिक होली के एक कार्यक्रम द्वारा एक करोड़ लीटर से भी अधिक पानी की बचत होती है।

आर्थिक लाभ

ʹऐसोसियेटिड चैंबर ऑफ कामर्स एंड इन्डस्ट्रीज ऑफ इंडियाʹ के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में गत वर्षों में होली के रंगों तथा पिचकारी, गुब्बारे एवं खिलौनों के 15000 करोड़ रूपये के व्यापार के अधिकांश हिस्से पर चीन अधिकार जमा चुका है। उदाहरण के तौर पर पिचकारियों के व्यापार में चीन का 95 प्रतिशत कब्जा है। इस कारण भारत में लघु व मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में 75 प्रतिशत लोगों की रोजी रोटी छिन गयी है। लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं और अधिकांश पैसा चीन जा रहा है। जबकि प्राकृतिक होली के द्वारा पलाश के फूल इकट्ठे करने वाले देश के असंख्य गरीबों, वनवासियों एवं आदिवासियों को रोजगार मिल रहा है। भारत के लघु एवं मध्यम उद्योगों को पुनर्जीवन मिल रहा है।

दुर्भाग्य से इस उत्सव के साथ हल्की मति के लोग जुड़ गये, इस उत्सव में गंदगी फेंकना, गंदी हरकतें करना, गालियाँ देना, शराब पीना और वीभत्स कर्म करना – यह उत्सव की गरिमा को ठेस पहुँचाना है ।

होली में सावधानीयाँ

रंग खेलने से पहले अपने शरीर को नारियल अथवा सरसों के तेल से अच्छी प्रकार लगा लेना चाहिए ।  ताकि तेल युक्त त्वचा पर रंग का दुष्प्रभाव न पड़े और साबुन लगाने मात्र से ही शरीर पर से रंग छूट जाये । रंग आंखों में या मुँह में न जाये इसकी विशेष सावधानी रखनी चाहिए । इससे आँखों तथा फेफड़ों को नुकसान हो सकता है ।

यदि किसी ने आप पर ऐसा रंग लगा दिया हो तो तुरन्त ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व तेल के मिश्रण से बना उबटन रंगो हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिये । यदि उबटन करने से पूर्व उस स्थान को नींबु से रगड़कर साफ कर लिया जाए तो रंग छूटने में और अधिक सुगमता आ जाती है । वर्तमान समय में होली के दिन शराब अथवा भांग पीने की कुप्रथा है । नशे से चूर व्यक्ति विवेकहीन होकर घटिया से घटिया कुकृत्य कर बैठते हैं । अतः नशीले पदार्थ से तथा नशा करने वाले व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिये । पुरुष सिर्फ पुरुषों से तथा स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली मनायें । स्त्रियाँ यदि अपने घर में ही होली मनायें तो अच्छा है ताकि दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों कि कुदृष्टि से बच सकें ।

 संदर्भ-  ऋषि प्रसादः अंक 244 व अन्य, अप्रैल 2013 (https://www.hariomgroup.org/articles/category/rishiprasad/244-%E0%A4%8B%E0%A4%B7%E0%A4%BF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%83-%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%88%E0%A4%B2-2013/)

अन्य References लिंक

  घर में ही आसानी से अलग- अलग प्राकृतिक रंग कैसे बनायें – देखें विडियो

https://www.youtube.com/watch?v=M4WSkIg2sbg

औषधीय गुणों से भरपूर ब्रह्मवृक्ष पलाश फूलों के भारी लाभ व भारी महिमा

 HD Mangalmay Digital

https://www.youtube.com/watch?v=f0XUYatTnJQ

https://www.youtube.com/watch?v=YpHbuIxlfsQ

https://www.youtube.com/watch?v=_oe_fs9jvOc

https://www.youtube.com/watch?v=1wUb6OKKdNs

Advantage Of Palash Colour

https://www.youtube.com/watch?v=PrbWoLsqSwI

 

https://www.youtube.com/watch?v=SkaN5T9G0kQ

Problems with Chemical holi

https://www.thehindu.com/news/national/other-states/beware-of-toxic-colours-this-holi/article8382747.ece

https://timesofindia.indiatimes.com/city/kanpur/beware-of-chemical-colours-this-holi-experts/articleshow/12180970.cms

http://www.cancercross.in/press-and-media/beware-toxic-colours-holi/

https://www.deccanchronicle.com/lifestyle/health-and-wellbeing/220316/holi-increases-risk-of-skin-cancer-miscarriage-in-pregnant-women-experts.html

https://memumbai.com/hazards-of-holi-colours/

 

 

 

Doctors view on Problems with Chemical holi

https://drvikasgoswamioncologist.blogspot.com/2016/03/expert-views-about-holi-in-popular.html#more

https://www.drshehnazarsiwala.in/skin-hazards-during-holi-festival/

Monday, March 6, 2023

महिलाओं के लिए आशाराम बापू ने क्या कहा और क्या कार्य किए ?

 6 March 2023

http://azaadbharat.org


🚩महिलाओं के अधिकार की रक्षा के लिए 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है।  बापू आशारामजी ने महिलाओं के लिए क्या कार्य किए है उसपर भी नजर घुमानी चहिए। 


🚩करोड़ों महिलाओं के जीवन में संयम सदाचार, राष्ट्रीयता की भावना, सनातन संस्कृति के प्रति आस्था-विश्वास एवं भगवद्भक्ति आदि सद्गुण जिनके सत्संग- सान्निध्य एवं मार्गदर्शन से जागृत हुए हैं, उन बापू आशारामजी की निर्दोषता का ज्वलंत प्रमाण है उनकी प्रेरणा से चल रहे विभिन्न महिला व समाज उत्थानकारी विश्वव्यापी अभियान। 


🚩महीला उत्थान कार्य



🚩सत्संग द्वारा मार्गदर्शन पिछले 50 से भी अधिक वर्षों से बापू आशारामजी के समाजहितकारी सत्संगों द्वारा असंख्य युवतियों व महिलाओं के जीवन में भौतिक गतिविधियों का आध्यात्मीकीकरण हुआ है। बापू आशारामजी से प्राप्त भक्तियोग, निष्काम कर्मयोग एवं वेदांत - ज्ञान द्वारा न केवल उनका आत्मबल बढ़ा है बल्कि उनका जीवन मुक्ति-मार्ग पर अग्रसर भी हुआ है।


🚩महिला आश्रमों की स्थापना


🚩महिलाओं के आध्यात्मिक उत्थान हेतु अहमदाबाद (गुज), - छिंदवाड़ा (म.प्र.), करेली (म.प्र.) आदि अनेक जगहों पर महिला आश्रम स्थापित किये गये हैं जहाँ महिलाओं को आध्यात्मिक जीवनशैली के साथ समाज कल्याण के भगीरथ कार्य करने का सुअवसर दिया जाता है।


🚩महिला उत्थान मंडलों की स्थापना

महिला जागृति, नारी सशक्तीकरण व महिलाओं के - सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में महिला उत्थान मंडलों का गठन किया गया है, जिसके अंतर्गत नारी उत्थान के अनेक प्रकल्प चलाये जा रहे हैं।


🚩तेजस्विनी अभियान


🚩विद्यालय व महाविद्यालय में अध्ययनरत किशोरियों एवं युवतियों में तेजस्विता के जागरण हेतु चरित्र निर्माण, संयम, एकाग्रता, आत्मविश्वास, प्रभावी व्यक्तित्व जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर युक्तियुक्त मार्गदर्शन देते हुए यह भी समझाया जाता है कि आधुनिक जीवन शैली के साथ आध्यात्मिकता का समन्वय क्यों व कैसे करें ? 


🚩महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु चलें स्व की ओर...' शिविरों का आयोजन 


🚩इन शिविरों में महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास को ध्यान में रखते हुए योग-प्रशिक्षण, सत्संग, स्वाध्याय, ध्यान, जप, ज्ञान व बुद्धिवर्धक स्पर्धाओं जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनुष्य जीवन के वास्तविक लक्ष्य (आत्मज्ञान) की ओर अग्रसर किया जाता हैं । उनके स्वस्थ एवं सुखी जीवन हेतु शारीरिक व मानसिक समस्याओं के निवारणार्थ अनेक अनुभवी वैद्यों का मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है।


🚩महिला संस्कार सभाएँ

महिला उत्थान मंडलों द्वारा साप्ताहिक / पाक्षिक / मासिक सभाओं का आयोजन होता है जहाँ जीवन में अध्यात्म, व्यवहार, चरित्र, स्वास्थ्य आदि के मूलभूत सिद्धांतों का समावेश कैसे हो, इस विषय की जानकारी दी जाती है।


🚩दिव्य शिशु संस्कार अभियान


🚩गर्भस्थ शिशुओं को संस्कारित करने हेतु 'दिव्य शिशु संस्कार अभियान चलाया जाता है जिससे भारतभूमि पुनः ओजस्वी तेजस्वी संतानों से सम्पन्न होकर विश्वगुरु पद पर आसीन हो सके। इस अभियान के अंतर्गत गर्भसंस्कार केन्द्रों का संचालन भी होता है। सिजेरियन डिलीवरी के बढ़ते प्रचलन से महिलाओं को सावधान कर उसके दुष्प्रभावों से बचने के सरल व कारगर उपाय भी इन केन्द्रों में बाताए जाते हैं। घर, समाज व देश का भविष्य उज्ज्वल बनाने हेतु ये अभियान बहुत महत्त्वपूर्ण हैं ।


🚩गर्भपात व कन्या भ्रूणहत्या रोको अभियान


🚩कई अनुसंधानों से भी ये बात सामने आई है कि गर्भपात करानेवाली महिला को आगे चलकर कई शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों में तो गर्भपात को ऋषिहत्या के समान महापाप बताया गया है। यही कारण है कि बापू आशारामजी हमेशा से ही अपने सत्संगों में गर्भपात के भयंकर कृत्य से बचने की सीख देते आए हैं । इसलिए महिला उत्थान मंडल द्वारा कई वर्षों से 'गर्भपात रोको अभियान चलाया जा रहा है।


🚩निःशुल्क चिकित्सा सेवा

दूर-दराज के आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में बापू आशारामजी द्वारा निशुल्क चल चिकित्सालय सेवा चलायी जाती है ताकि कोई भी गरीब उपचार के अभाव में कष्ट न पाये । महिलाओं के लिए अलग महिला वैद्यों की भी व्यवस्था की गई है । बापू आशारामजी ने आयुर्वेद, होम्योपैथी व प्राकृतिक चिकित्सा जैसी स्वदेशी अथवा निरापद उपचार पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर के विभिन्न आश्रमों में ऐसे चिकित्सा केन्द्रों की स्थापना की है।


🚩भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ योजना

गरीब, बेरोजगार, लाचार, मोहताज लोगों एवं गरीब विधवाओं, बेसहारा महिलाओं को सहारा देने के लिए बापू आशारामजी की प्रेरणा से देश के कई क्षेत्रों में 'भजन करो, भोजन करो, पैसा पाओ' योजना चलायी जाती है। इसके अंतर्गत लोग आकर प्रतिदिन भजन (भगवन्नामजप, कीर्तन, सत्संग-श्रवण) करते हैं, दोपहर का भोजन करते हैं और शाम को 80 रुपये लेकर घर जाते हैं। इस योजना ने जहाँ एक ओर उन्हें स्वावलम्बी बनाया है। वहीं ईश्वरीय शक्ति का प्रादुर्भाव कर उनमें स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं आत्मबल भी जगाया है।


🚩करोड़ों युवक-युवतियों को संयमी सदाचारी बनानेवाला 'युवाधन सुरक्षा अभियान' चलाया गया।


🚩गौशालाओं में भारतीय नस्ल की हजारों गायों की उत्तम सेवा व गौरक्षा हेतु जन-जागृति । गरीबों में अनाज, वस्त्र, कम्बल, त्रिपाल आदि जीवनोपयोगी सामग्री व गरीब महिलाओं में सिलाई मशीन आदि वितरण व भंडारे किए जाते हैं।


🚩हिंदू संत आशारामजी बापू ने 'नारी तू नारायणी...' इन शब्दों को चरितार्थ करके दिखाया । यही कारण है कि उनके द्वारा संचालित उपरोक्त सभी सेवाकार्यों के माध्यम से मत, पंथ, जाति या धर्म के भेद-भाव के बिना देश-विदेश की करोड़ों बहनें लाभान्वित हो रही हैं।


🚩आशाराम बापू ने महिलाओं के लिए क्या कहा है?


🚩नारी शरीर मिलने से अपने को अबला मानती हो ? लघुताग्रंथि में उलझकर परिस्थितियों में पीसी जाती हो ? अपना जीवन-दीन बना बैठी हो ? तो अपने भीतर सुषुप्त आत्मबल को जगाओ । शरीर चाहे स्त्री का हो चाहे पुरुष का । प्रकृति के साम्राज्य में जो जीते हैं, अपने मन के गुलाम होकर जो जीते हैं, वे स्त्री हैं और प्रकृति के बन्धन से पार अपने आत्मस्वरूप की पहचान जिन्होंने कर ली, अपने मन की गुलामी की बेड़ियाँ तोड़कर जिन्होंने फेंक दी हैं वे पुरुष हैं । स्त्री या पुरुष शरीर व मान्यताएँ होती हैं, तुम तो शरीर से पार निर्मल आत्मा हो ।


🚩जागो, उठो…. अपने भीतर सोये हुए आत्मबल को जगाओ । सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो । आत्मा-परमात्मा में अथाह सामर्थ्य है । अपने को दीन-हीन अबला मान बैठी तो जगत में ऐसी कोई सत्ता नहीं है जो तुम्हें ऊपर उठा सके । अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गयी तो तीनों लोकों में भी ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके ।


🔺 Follow on

🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, March 5, 2023

होलिका दहन पर सभी गाय के गोबर के उपलों का ही उपयोग करे क्योंकि

5-MAR-2023 

https://wp.me/p9eZI3-1UT

प्राचीनकाल से मनाया जाने वाला यह होलिकोत्सव ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्त्व रखता है । ‘होली’ भारतीय संस्कृति की पहचान कराने वाला एक पुनीत पर्व है। यह पारस्परिक भेदभाव मिटाकर प्रेम व सदभाव प्रकट करने का एक सुंदर अवसर है, अपने दुर्गुणों तथा कुसंस्कारों की आहुति देने का एक यज्ञ है तथा अंतर में छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद को, निरहंकारिता, सरलता और सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है।


पूर्णिमा को होली की पूजा से पूर्व उन लकडियों की विशिष्ट पद्धति से रचना की जाती है । तत्पश्चात उसकी पूजा की जाती है । पूजा करने के उपरांत उस में अग्नि प्रदीप्त (प्रज्वलित) की जाती है ।


होली की रचना में गाय के गोबर से बने उपलों के उपयोग का महत्त्व : 



सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग भारतीय देशी गाय अनादि काल से मानव को स्वस्थ, बुद्धिमान, बलवान व ओजस्वी-तेजस्वी बनाती रही है । देशी गायों में ककुद से लेकर रीढ़ के समानांतर 'सूर्यकेतु' नाड़ी रहती है, जिसमें सूर्य की 'गौ' नामक किरण प्रविष्ट होती है । जैसे मनुष्य में सुषुम्ना नाड़ी होती है, वैसी ही गाय में सूर्यकेतु नाड़ी होती है । देशी गाय के दूध, दही, मक्खन, घी, गोमूत्र एवं गोबर में भी स्वर्णांश पाया जाता है । स्वर्ण सर्वरोगहर, आरोग्य एवं दीर्घायु प्रदायक होता है ।


गौ-गोबर के कंडे से जो धूआँ निकलता है, उससे हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं ।

ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि जब हम गाय के गोबर के उपलों को किसी भी रूप में जलाते हैं तो उससे निकलने वाला धुँआ सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाने में मदद करता है । गाय के गोबर को बहुत पवित्र माना जाता है इसी वजह से इसके उपलों का उपयोग होलिका दहन में करना फायदेमंद है । 

गाय के उपलों से अगर होलिका दहन किया जाए तो वातावरण में प्रदूषण नहीं फैलता बल्कि वातावरण शुद्ध, सात्विक होता है ।


अतः होलिका दहन पर सभी गाय के गोबर के उपलों का ही उपयोग करे क्योंकि - स्वास्थ्य, सात्त्विकता, आध्यात्मिकता, पर्यावरण-सुरक्षा सभी में लाभदायी एवं महत्त्वपूर्ण है यह ।

🔺 Follow on

🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, March 3, 2023

कोर्ट के शिकंजे से बचने में नाकाम चौरसिया !! जानिए क्यों ट्विटर पर छाया रहा " #दीपक_चरासिया "।

पत्रकार दीपक चौरसिया के खिलाफ ट्विटर पर क्या चल रहा है❓❓


क्यों उठ रही है बार बार चौरसिया को गिरफ्तार करने की मांग❓❓

गुरुग्राम की POCSO कोर्ट ने पत्रकार दीपक चौरसिया के खिलाफ दूसरी बार गिरफ्तारी वारंट जारी किया क्यों ❓❓

गुरुग्राम कोर्ट ने एक 10 साल की लड़की और उसके परिवार के कथित रूप से प्रसारित और अश्लील वीडियो के एक मामले के संबंध में दूसरी बार पत्रकार और समाचार एंकर दीपक चौरसिया के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है।

यह आरोप लगाया जाता है कि इन समाचार चैनलों पर प्रसारित वीडियो ने आंशिक रूप से बालिका, शिकायतकर्ता की पत्नी और कुछ अन्य महिलाओं के चेहरे का खुलासा किया।

BREAKING LAWS की बहुत बड़ी ताजा खबर आज निकल कर सामने आ रही हे दीपक चरसिया को किए अपने कर्मों का भुगतान करना पड़ रहा है
Journalists In Court ऐसे दुष्टों को तो कठोर से कठोर सजा होनी चाहिए
Why Media Silent सभी मीडिया वालों को इस पर डिबेट करना चाहिए दीपक चौरसिया पर क्यों चुप है।


इस प्रकार जनता चौरसिया का विरोध करने के साथ उन्हें सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रही है।
#दीपक_चरसिया
छोटा दामिनी केस का अपराधी है, इसका साथ देने वाले चित्रा त्रिपाठी, अजित अंजुम व बाकी
Journalists In Court &
BREAKING LAWS, न तो बाकी मीडिया चैनल्स इनकी हरकते उजागर कर रहे,न पुलिस अरेस्ट कर रही है इन्हें।
Why Media Silent ❓

ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा

१.
https://twitter.com/ch_agan123/status/1631502906800373760

२.
https://twitter.com/KapleNirmala/status/1631499705481043969

३. https://twitter.com/YogitaLulla3/status/1631499761646968832

४. https://twitter.com/Mridula64603996/status/1631496746382786561

५. https://twitter.com/CharolaKantilal/status/1631497013488676864

६. https://twitter.com/shobhampatel/status/1631494286356418561