Saturday, April 15, 2023

डॉ. आंबेडकर जयंती पर विशेष : हिंदू-मुस्लिम के लिए उन्होंने क्या बताया था?

14  Apirl 2023

http://azaadbharat.org


🚩भारतीय राजनीति अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जैसे अपने क्रांतिकारियों को जाति के आधार पर विभाजित कर लेती है वैसे ही महान व्यक्तित्वों को भी हमने जाति भेद के आधार पर विभाजित कर लेती है। भीमराव रामजी आम्बेडकर । यह नाम सुनते ही पाठकों के मन में एक दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता उजागर होगी। मगर डॉ अम्बेडकर के जीवन के एक ऐसा पक्ष भी हैं जिसमें राष्ट्रवादी चिंतन के महान नेता के रूप में उनके दर्शन होते हैं। डॉ अम्बेडकर के नाम पर दलित राजनीति करने वाले लोग जिन्हें हम छदम अम्बेडकरवादी कह सकते हैं, विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतली बनकर डॉ अम्बेडकर के सिद्धांतों की हत्या करने में लगे हुए हैं। अम्बेडकरवाद के नाम पर याकूब मेनन की फांसी की हत्या का विरोध, यूनिवर्सिटी में बीफ फेस्टिवल बनाना, कश्मीर में भारतीय सेना को बलात्कारी बताने, वन्दे मातरम और भारत माता की जय का नारा लगाने का विरोध, दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाने की कवायद, अलगाववादी कश्मीरी नेताओं की प्रशंसा जैसे कार्यों में लिप्त होना डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं का स्पष्ट विरोध हैं। अम्बेडकरवादियों के क्रियाकलापों से सामान्य जन कि डॉ अम्बेडकर के विषय में धारणा भी विकृत हो जाति हैं। इस लेख का उद्देश्य यही सिद्ध करना है की अम्बेडकरवादी डॉ अम्बेडकर के सिद्धांतों के हत्यारे हैं।



🚩1. मैं यह स्वीकार करता हूँ कि कुछ बातों को लेकर सवर्ण हिन्दुओं के साथ मेरा विवाद है, परन्तु मैं आपके समक्ष यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। – (राष्ट्र पुरुष बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर, कृष्ण गोपाल एवं श्री प्रकाश, फरवरी 1940, पृष्ठ 50)



🚩2. शुद्र राजाओं और ब्राह्मणों में बराबर झगड़ा रहा जिसके कारण ब्राह्मणों पर बहुत अत्याचार हुआ। शूद्रों के अत्याचारों के कारण ब्राह्मण लोग उनसे घृणा करने लगे और उनका उपनयन करना बंद कर दिया। उपनयन न होने के कारण उनका पतन हुआ। (डॉ अम्बेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज,खण्ड 13, पृष्ठ 3)



🚩3. आर्यों के मूलस्थान (भारत के बाहर) का सिद्धांत वैदिक सहित्य से मेल नहीं खाता। वेदों में गंगा, यमुना, सरस्वती के प्रति आत्मीय भाव है। कोई विदेशी इस तरह नदियों के प्रति आत्मस्नेह सम्बोधन नहीं कर सकता। (डॉ अम्बेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज,खण्ड 7, पृष्ठ 70 )


🚩4. हिन्दू समाज ने अपने धर्म से बाहर जाने के मार्ग तो खुला रखा है, किन्तु बाहर से अंदर आने का मार्ग बंद किया हुआ है। यह स्थिति पानी की उस टंकी के समान है जिसमें पानी के अंदर आने का मार्ग बंद किया हुआ है। किन्तु निकास की टोटीं सदैव खुली है। अंत: हिन्दू समाज को आने वाले अनर्थ से बचाने के लिए इस व्यवस्था में परिवर्तन होना आवश्यक है। (बाबा साहेब बांची भाषणे- खण्ड 5, पृष्ठ 16)


🚩5. हिन्दू अपनी मानवतावादी भावनाओं के लिए प्रसिद्द हैं और प्राणी जीवन के प्रति तो उनकी आस्था अद्भुत है। कुछ लोग तो विषैले सांपों को भी नहीं मारते। हिन्दू दर्शन सर्वव्यापी आत्मा का सिद्धांत सिखाता है और गीता उपदेश देती है कि ब्राह्मण और चांडाल में भेद न करो। प्रश्न उठता है कि जिन हिन्दुओं में उदारता और मानवतावाद की इतनी अच्छी परम्परा है और जिनका अच्छा दर्शन है वे मनुष्यों के प्रति इतना अनुचित तथा निर्दयता पूर्ण व्यवहार क्यों करते हैं? (Source: Material editor B.G.Kunte Vol 1 page 14-15)


🚩6. डॉ अम्बेडकर का मत था कि प्रत्येक हिन्दू वैदिक रीति से यज्ञोपवीत धारण करने का अधिकार रखता है और इसके लिए अम्बेडकर जी ने बम्बई में “समाज समता संघ” की स्थापना की जिसका मुख्य कार्य अछूतों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना तथा उनको अपने अधिकारों के प्रति सचेत करना था। यह संघ बड़ा सक्रिय था। इसी समाज के तत्वाधान में 500 महारों को जनेउ धारण करवाया गया ताकि सामाजिक समता स्थापित की जा सके। यह सभा बम्बई में मार्च 1928 में संपन्न हुई जिसमें डॉ अम्बेडकर भी मौजूद थे। (डॉ बी आर अम्बेडकर- व्यक्तित्व एवं कृतित्व पृष्ठ 116-117)


🚩7. तरुणों की धर्म विरोधी प्रवृत्ति देखकर मुझे दुःख होता है। कुछ लोग कहते हैं कि धर्म अफीम की गोली है। परन्तु यह सही नहीं है। मेरे अंदर जो भी अच्छे गुण हैं अथवा मेरी शिक्षा के कारण समाज हित के काम जो मैंने किये हैं वे मुझ में विद्यमान धार्मिक भावना के कारण ही हैं। मुझे धर्म चाहिए लेकिन धर्म के नाम पर चलने वाला पाखण्ड नहीं चाहिए। (हमारे डॉ अम्बेडकर जी, पृष्ठ 9 श्री आश्चर्य लाल नरूला)

🚩8. मुस्लिम भ्रातृभाव केवल मुसलमानों के लिए-”इस्लाम एक बंद निकाय की तरह है, जो मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच जो भेद यह करता है, वह बिल्कुल मूर्त और स्पष्ट है। इस्लाम का भ्रातृभाव मानवता का भ्रातृत्व नहीं है, मुसलमानों का मुसलमानों से ही भ्रातृभाव मानवता का भ्रातृत्व नहीं है, मुसलमानों का मुसलमानों से ही भ्रातृत्व है। यह बंधुत्व है, परन्तु इसका लाभ अपने ही निकाय के लोगों तक सीमित है और जो इस निकाय से बाहर हैं, उनके लिए इसमें सिर्फ घृणा ओर शत्रुता ही है। इस्लाम का दूसरा अवगुण यह है कि यह सामाजिक स्वशासन की एक पद्धति है और स्थानीय स्वशासन से मेल नहीं खाता, क्योंकि मुसलमानों की निष्ठा, जिस देश में वे रहते हैं, उसके प्रति नहीं होती, बल्कि वह उस धार्मिक विश्वास पर निर्भर करती है, जिसका कि वे एक हिस्सा है। एक मुसलमान के लिए इसके विपरीत या उल्टे सोचना अत्यन्त दुष्कर है। जहाँ कहीं इस्लाम का शासन हैं, वहीं उसका अपना विश्वास है। दूसरे शब्दों में, इस्लाम एक सच्चे मुसलमानों को भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट सम्बन्धी मानने की इज़ाजत नहीं देता। सम्भवतः यही वजह थी कि मौलाना मुहम्मद अली जैसे एक महान भारतीय, परन्तु सच्चे मुसलमान ने, अपने, शरीर को हिन्दुस्तान की बजाए येरूसलम में दफनाया जाना अधिक पसंद किया।” (बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर सम्पूर्ण वाड्‌मय, खंड १५-‘पाकिस्तान और भारत के विभाजन, २०००)


🚩9. Conversion to Islam or Christianity will denationalize the Depressed classes.If they go over to Islam, the number of Muslims would be doubled; and the danger of Muslim domination also become real.If they go over to Christianity, the numerical strength of the Christians becomes five to six crores. It will help to strengthen the political hold of Britain on the country. (Dr Ambedkar Life and Mission. 2nd Edition pp.278-279)


🚩10. You wish India should protect your border, she should build roads on your area, she should supply you food grains, and Kashmir should get equal status as India.But Government of India should have only limited powers and Indian people should have no rights in Kashmir.To give consent to this proposal, would be a treacherous thing against the interests of India and I, as law minister of India will never do it. (Dr B R Ambedkar to Sheikh Abdullah on Article 370)

shorturl.at/kmzD8


🚩इस प्रकार से डॉ अम्बेड़कर के वांग्मय में अनेक ऐसे उदहारण मिलते है जिससे यह सिद्ध होता है कि डॉ अम्बेडकर सच्चे राष्ट्रभक्त थे। अपने राजनीतिक हितों साधने के लिए अम्बेडकरवादियों ने डॉ अम्बेडकर के साथ विश्वासघात किया। आइए डॉ अम्बेडकर कि जयन्ती पर उनके राष्ट्रवादी चिंतन से विश्व को अवगत करवायें।

– डॉ. विवेक आर्य


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, April 13, 2023

रिपोर्ट में खुलासा : अमेरिकी चर्च में 600 बच्चों का यौन शोषण

13Apirl 2023

http://azaadbharat.org


🚩पश्चिम में चर्च के अंदर लड़के-लड़कियों, पुरुष-महिलाओं के यौन-शोषण के आरोपों की बाढ़ आ गयी लगती है । हजारों मामले बाहर आ रहे हैं । मामला इतना संगीन बन गया कि आयरलैंड की अपनी यात्रा (जिस दौरान उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए) से पहले वर्तमान पोप फ्रांसिस ने एक खुला पत्र लिखा कि ‘शर्म और प्रायश्चित के साथ हम स्वीकार करते हैं… कि इसके चलते कितनी सारी जिंदगियों को नुकसान पहुँचा ।’ लेकिन पोप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बात की ‘शर्म’ और किस बात का ‘प्रायश्चित’ और न ही बताया कि चर्च के पदाधिकारी, जिन पर आरोप लगे हैं, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी ? जिन पर आरोप लगे हैं वे केवल पादरी या बिशप ही नहीं बल्कि कार्डिनल (कैथोलिक चर्च का विशिष्ट पदाधिकारी) भी हैं । कई तो विभिन्न पोप के नजदीकी रहे हैं ।।


🚩चर्च में यौन शौषण


🚩चर्च में बच्चों के यौन शोषण का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। इसके मुताबिक अमेरिकी राज्य मैरीलैंड के कैथोलिक चर्च में 600 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया गया। इसमें शामिल लोगों में करीब 150 पादरी थे। यौन शोषण की ये घटनाएँ 80 साल में अंजाम दिए गए हैं। 463 पन्नों की एक रिपोर्ट से ये खुलासे हुए हैं।



🚩चार साल की जाँच के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। मैरीलैंड अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने बुधवार (5 अप्रैल 2023) को यह रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में उन कैथोलिक पादरियों की पहचान की गई है, जो 1940 के बाद से यौन शोषण में संलिप्त थे। ब्रायन फ्रॉश के अटॉर्नी जनरल रहते इस मामले की जाँच 2019 में शुरू की थी। सैकड़ों पीड़ितों और गवाहों से बातचीत तथा एक लाख पन्नों के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।


🚩यह रिपोर्ट पिछले साल नवंबर में ही तैयार हो गई थी। लेकिन अदालती अनुमति मिलने के बाद अब जारी की गई है। जिन बच्चों का शोषण हुआ उनमें ज्यादातर कमजोर परिवारों से थे और चर्च से जुड़े थे। इस दौरान इन्हें चुप रहने के लिए धमकी भी दी गई थी। यह बात भी सामने आई है कि 80 साल तक चले इस यौन शोषण को चर्च की तरफ से दशकों तक छुपाने की कोशिश भी की गई।


🚩इस रिपोर्ट को लेकर बाल्टीमोर के आर्कबिशप विलियम लोरी ने जीवित बचे पीड़ितों से माफी माँगी है। उन्होंने कहा, “कैथोलिक चर्च के इतिहास में हुई यह अब तक की सबसे दुखद घटना है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता और न ही भुलाया जा सकता है। चर्च के उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा बच्चों को नुकसान पहुँचाया गया और हम पीड़ितों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने में विफल रहे। साथ ही दुर्व्यवहार करने वालों को उनके किए की सजा भी नहीं दिलवा पाए। इसका हमें खेद है।”


🚩इससे पहले अमेरिका के इलिनोइस प्रांत में करीब 700 पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगा था। इलिनोइस के अटॉर्नी जनरल ने भी अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया था कि चर्च इन मामलों से निपटने में अक्षम रहा थे। चर्च ने यौन शोषण के आरोपित पादरियों की संख्या 185 बताई थी, लेकिन अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि ऐसे पादरियों की संख्या इससे कहीं बहुत ज्यादा है।


🚩धार्मिकता के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ बलात्कार करना, दारू पीना, मांस खाना, धर्म का पैसा शेयर बाजार में लगाना, लोगों का शोषण करना, कानून का पालन नही करना, समाज उत्थान कार्य के नाम पर भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मांतरण करवाना और बोलते हैं कि ईसाई धर्म सबसे बड़ा धर्म है ।


🚩तथाकथित सेक्युलर और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों को बदनाम करते हैं, परंतु ईसाई पादरीयों के कुकर्म पर चुप रहते हैं क्योंकि उन्हें 

वेटिकन सिटी से फंडिंग होता है ।


🚩कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । 


🚩हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर लोगो से सावधान रहें  ।



🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, April 12, 2023

क्या है, पृथ्वी पर भूकंप आने का कारण ?

12- April-2023

  🚩हमारे हिन्दू धर्म में पृथ्वी को माता की उपाधि दी गई है तथा उनको धरती माता के रूप में पूजा जाता है। पुराणों में पृथ्वी को मंगल ग्रह माता बतलाया गया है जिसके संबंध में एक कथा दी गई है. जब हिरण्याकश्यप ने पृथ्वी को उसके स्थान से हटाकर समुद्र के गहरे तल में पहुंचा दिया था, तब भगवान विष्णु ने पृथ्वी को मुक्त करने के लिए वराह अवतार लिया। 

 🚩 समुद्र में जाकर वराह रूपी भगवान विष्णु ने दुष्ट हिरण्याकश्यप का वध किया तथा माता पृथ्वी को उस असुर के कैद से मुक्त किया। इसके बाद वराह भगवान ने पृथ्वी को ऐसे स्थान पर स्थापित किया, जहा पर पृथ्वी में जीवन का विकास हो सके। पृथ्वी के अनुरोध पर वराह भगवान ने कुछ वर्षो तक पृथ्वी के साथ समय बिताया तथा पृथ्वी को वराह भगवान से एक पुत्र की प्राप्ति हुई जो आगे चलकर मंगल ग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

🚩मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र और अन्य धार्मिक गर्थो में बहुत ही क्रोधी तथा विनाशकारी ग्रह बताया गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मंगल ग्रह का क्रोधी स्वभाव ही पृथ्वी में भूकम्प और अन्य आपदाओं का कारण है यानि जब वे गुस्से में होते है तो भूकम्प, सुनामी व भूस्खलन आदि जैसी आपदाओं का पृथ्वी को सामना करना पड़ता है।


🚩वही पुराणों में बताई गई एक अन्य कथा के अनुसार पृथ्वी में भूकम्प आने का कारण मंगल ग्रह नहीं बल्कि शेषनाग है । 

🚩शेषनाग समस्त नागो के राजा है तथा भगवान विष्णु उनको अपनी शैया बनाकर उनके ऊपर आराम करते है। धार्मिक कथाओ के अनुसार शेषनाग ने पूरी पृथ्वी का भार अपने ऊपर उठाया हुआ है यानि पृथ्वी शेषनाग के सर पर टिकी हुई है। जब कभी भी शेष नाग करवट लेने के लिए हिलते है तो उनके हिलने के कारण ही पृथ्वी में भूकम्प आता है। 

🚩जब पृथ्वी पर अत्यधिक पाप होने लगता है तो पृथ्वी में से पाप का बोझ कम करने के लिए व लोगो को चेतावनी देने के लिए शेषनाग को करवट लेना पड़ता है ताकि लोग अधर्म का मार्ग छोड़ कर धर्म का मार्ग चुने। 

🚩शास्त्रों की मानें तो निरीह पशुओं पर होने वाले अत्याचार के कारण भी भूकंप आते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार गायों,भैंसों के कत्ल के समय उनकी आहें निकलती हैं। जो विशेष फ्रीक्वेंसी की होती हैं जिनके द्वारा जमीन के अंदर के टैक्टोनिक प्लेट्स पर प्रभाव पड़ता है और भूकम आते हैं।

🚩उदाहरण : नेपाल में 5000 मवशियों की बलि दिगयी गई और उस साल नेपाल दी गई। जवाब में नेपाल को भूकंप की त्रासदी झलनी पड़ी।

🚩वास्तु शास्त्र के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग और भगवान विष्णु के कश्यप अवतार (कछुआ रूप) के ऊपर टिका हुआ है। यही कारण है की जब नए घर का निर्माण किया जाता है तो उसके नीव रखने के समय कछुआ या शेषनाग चांदी की आकृति जमीन में रखी जाती है ताकि घर लम्बे समय तक अडिग रह सके। चीन में भी भूकम्प को लेकर एक अलग ही मान्यता है परन्तु ये भी हिन्दू धर्म से कुछ मिलती-जुलती है।

🚩चीन में भूकम्प को लेकर यह मान्यता है की पृथ्वी को एक बहुत ही विशाल मकड़े ने अपने पीठ के ऊपर उठाया हुआ है। जब यह मकड़ा हिलता है तो पृथ्वी में भूकम्प आ जाता है. इसी प्रकार जपान में भूकम्प को लेकर यह मान्यता है की धरती में जमीन के नीचे एक नामुज नाम की मछली रहती है. जब कभी नामुज कशिमा नाम के देवता पर हमला करती तो पृथ्वी में भूकम्प आता हैं।

🚩चीन में भूकंप की मान्यता हिन्दू धर्म की मान्यताओं से अलग है लेकिन काफी मायनों में यह मिलता जुलता है। चीन के लोग यह मानते हैं कि पृथ्वी को एक बड़े से मकड़े ने अपनी पीठ पर संभलकर रखा हुआ है।

🚩जब यह मकड़ा अपनी पीठ हिलाता है तो पृथ्वी हिल जाती है और भूकंप आ जाता है। जापान में भी भूकंप को लेकर अजब सी मान्यता है। यहां ऐसी धारण है कि जमीन के नीचे नामजू नाम की एक मछली रहती है। जब कभी नामजू काशिमा नाम के देवता पर हमला करती है तो भूकंप आ जाता है।

🚩यूनान में भूकंप की मान्यता कुछ कुछ काशी विश्वनाथ से मिलती जुलती है। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि काशी शिव जी के त्रिशूल पर टिका हुआ है उसी प्रकार यूनान में यह माना जाता है कि पोजेडन नाम के देवता हैं जो समुद्र के स्वामी हैं। इनके हाथों में त्रिशूल है यह जब क्रोधित होते हैं तब अपना त्रिशूल जमीन पर मारते हैं इसकी चोट से धरती हिलने लगती है।

Follow on

 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

InstagraM:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, April 11, 2023

इंडोनेशिया का कंडी सुकुह मंदिर!! क्यों मशहूर है ?

11-APRIL-2023


इंडोनेशिया में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग का चमत्कार जिसका पानी आज तक नहीं सुखा लोग इसे अमृत बता रहे

मुस्लिम देश इंडोनेशिया में हुआ शिवजी का चमत्कार से आस्था का सैलाब उमड़ा

इंडोनेशिया में चमत्कार हुआ है लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं.(चमत्कारिक शिवलिंग)

चमत्कार हमारी आस्था और विश्वास का आधार हैं साथ ही ईश्वर में हमारी श्रद्धा को भी बढ़ाते हैं. इंडोनेशिया मे सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग मिला है. इस शिवलिंग की ख़ास बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है. ये कोई चमत्कार है या नहीं, ये कोई नहीं जानता लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं।



मुस्लिम प्रधान देश इंडोनेशिया में क्रिस्टल का ऐसा शिवलिंग मिला है जिसे लेकर दुनियाभर के शिव भक्तों के मन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. अगर इतिहास की बात करें तो 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म का लंबा इतिहास रहा है. वहां पर अभी भी पूरे देश में इससे जुड़े ढेरों उदाहरण हैं. इन उदाहरणों में बहुत सारे मंदिर भी शामिल हैं. लेकिन इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के बाद वहां मंदिरों का बनना कम हो गया था.

पर यहा के मुस्लिम में एक गुण है इनको जबर्दस्ती इस्लाम वनाया तो गया पर वे अपने अतीत नही भुल पाए। वे मानते है के उनके पूर्वज हिन्दू थे। इसलिए यहा हर मुसलमान छोटे उम्र से हइस्लाम यहा भी अपने जिहाद का झंडा फैलाये। इसके साथ ही मध्य इस्लामिक काल में कई मंदिर क्षतिग्रस्त भी हो गए. इन्हीं मंदिरों में से एक है कंडी सुकोह, जिसका काफी हिस्सा ध्वस्त हो चुका है. यह मंदिर मुख्य जावा आइलैंड के बीच में स्थित है. ये इस्लाम के प्रभाव से पूर्व बना अंतिम मंदिर है. इसमें भगवान शिव और महाभारत काल से जुड़ी कई कलाकृतियां मौजूद हैं. भीम, अर्जुन और शिव की पूजा करती श्रीगणेश की कलाकृतियां होने के कारण ये मंदिर काफी महत्वपूर्ण है.यहां मौजूद अधिकतर बेसकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है, इनमें से एक 1.82 मीटर ऊँचा शिवलिंग भी है. यहां की सरकार ने सभी कलाकृतियों के संरक्षण और पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराने के आदेश दिए, जिसके बाद कुछ नई कलाकृतियां दुनिया के सामने आईं. इनमें से एक है ये बेहद ही सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था. अचरज की बात ये है कि इस बर्तन में जो पानी भरा हुआ था, वो इतनी सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है ।जिस बर्तन में ये शिवलिंग पाया गया है, वो उन कई जारों में से एक है, जो मंदिर के अंदर बने एक स्मारक के नीचे छुपाकर रखे गए थे.इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत है. कुछ भी हो, लेकिन इस प्राचीन शिवलिंग ने फिर एक चमत्कार किया है और लोगों  की ईश्वर पर आस्था और बढ़ा दी है

  न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोयमग्निः।

तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति॥

व्यक्तिगत आत्मा या आत्मा और कुछ नहीं बल्कि स्वयं शिव हैं। लेकिन उस सर्वव्यापी सर्वोच्च चेतना प्रकाश रूपी शिव को उनके वास्तविक स्वरूप को उनकी अपनी ही शक्ति माया शक्ति द्वारा एक पर्दे के रूप में छुपाया गया है।

समझने के लिए इसे ऐसे समझिए कि माया शक्ति की तुलना सूर्य को ढकने वाले काले बादलों से की जा सकती है और प्रकाश शिव की तुलना उज्ज्वल सूर्य से की जा सकती है। जब सूर्य के चारों ओर काले बादल हट जाते हैं, तो सूर्य का वास्तविक स्वरूप प्रकट हो जाता है।

इसी तरह, जब साधना (मंत्र जप ध्यान) के माध्यम से माया का अंधेरा दूर हो जाता है, तो प्रकाशमय शिव स्वयं को प्रकट करते हैं। यही दिव्य अवस्था ही आत्म-साक्षात्कार है ।आज से शिवमास श्रावण मास का शुभारंभ है , बस हर एक क्षण स्वयं (मन, बुद्धि, वासना, अहंकार, अंधकार) को प्रेममय शिव भक्ति की तरफ प्रेरित करते रहे । निश्चित ही मिलन होगा आपका अपने ही विराट अस्तित्व से ! ऐसी मेरी शुभेच्छा है ।

स्मरण रहे की प्रेम में बहुत बल है, यह प्रेम तत्व अविनाशी है, प्रेम तत्व ही शक्ति रहस्य है, बिना शक्ति के सानिध्य के शिव से पुनर्मिलन, आत्म-साक्षात्कार असंभव है । प्रेममय भक्ति में ही समस्त शक्तियां मातृत्व और वात्सल्य से भर उठती हैं ।

बहुत ही सहज है शिवमय हो जाना, क्योंकि आप सब शिव ही हैं बस संकुचित हो स्वयं के अस्तित्व को भूल बैठे हैं ।

विक्रांत भैरव इच्छा से बहुत ही सीमित शब्दों में मैंने बहुत कुछ प्रकट कर दिया है । हर एक जीवात्मा में शिवत्व (धर्म) के जागरण में ही इस अस्तित्व का उद्धार अंतर्निहित है ।

इंडोनेशिया में आज भी अनेक हिन्दू मंदिर ऐसे हैं, जिनका रहस्य दुनिया को नहीं पता है। ऐसे ही सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में हाल में कुछ विस्मयकारी अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिसमें शताब्दियों पुराना एक शिवलिंग मिला है। यह मंदिर इस देश के जावा द्वीप में स्थित है।

 

सदियों बाद भी सूखा नहीं है द्रव...

यह शिवलिंग स्‍फटिक (क्रिस्टल) से बना है, जिसमें पानी की तरह का कोई तरल पदार्थ भरा हुआ है। घोर आश्चर्य की बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ यह तरल सदियां बीत जाने पर भी सूखा नहीं है।

 

क्या पवित्र दैवी द्रव है यह तरल पदार्थ...

कंडी सुकुह नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में प्राप्त शिवलिंग के इस तरल पदार्थ को लेकर इंडोनेशिया के जावा द्वीप के स्थानीय लोगों की मानना है कि यह तरल पदार्थ एक पवित्र दैवी द्रव है। जबकि पुरातत्वशास्त्रियों का मानना है इस शिवलिंग में न सूखने वाले इस तरल या पानी के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक कारण हो सकता है, जो अभी ज्ञात नहीं हो पाया है।

 

स्थानीय लोग बता रहे हैं इसे अमृत...

लेकिन यहां के स्थानीय लोग पुरातत्वविदों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि यह तरल कुछ और नहीं बल्कि अमृत है, कई लोग इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।

 

ऐसे चला पता इस शिवलिंग का...

इस शिवलिंग का पता तब चला जब इस मंदिर के उत्खनन से प्राप्त बेशकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा रहा था। जिसमें से एक यह बेहद सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था, प्राप्त हुआ। आश्चर्यजनक यह कि इस बर्तन में जो द्रव भरा हुआ था, वो कई सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, April 10, 2023

आशाराम बापू कौन हैं, और वे कैसे बने संत ? एवं उनकी संस्था क्या कार्य करती है ? जानिए

10  Apirl 2023

http://azaadbharat.org


🚩बापू आशारामजी के बचपन का नाम आसुमल था । उनका जन्म अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् 1994 के दिन हुआ था। उनकी माता महँगीबा व पिताजी थाऊमल नगरसेठ थे ।


🚩बालक आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने भविष्यवाणी की थी, “आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा।”


🚩बापू आशारामजी का बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी है । 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल का परिवार गुजरात, अहमदाबाद शहर में आ बसा । उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् उनका शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया।





🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थीं ।


🚩बालक आसुमल को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी। प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था।


🚩दस वर्ष की नन्हीं आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये।


🚩पिता के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी । 3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे । 3 साल बाद वे वापिस अहमदाबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ,वे शक्कर होलसेल में बेचने लगे और उनको शक्कर के व्यवसाय में करोड़ों का लाभ होने लगा ।


🚩लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यों में नहीं लगता था, वे ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे । 21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे,लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था। इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के अशोक आश्रम चले गए, पर घरवालों ने उन्हें ढूंढकर जबरदस्ती उनकी शादी करवा दी ।


🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी उन्होंने तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और आत्म-पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहड़ों में घूमते और साधना करते हुए ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे। नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साईं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया।


🚩ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का हृदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया। तब सद्गुरु लीलाशाहजी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।


🚩अपने गुरु लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर,संसारी लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।


🚩सन् 1972 में अहमदाबाद में साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया।

उसके बाद देश-विदेश में बढ़ते गए आश्रम । आज उनके आश्रम लगभग  450 से अधिक हैं और समितियां 1400 से अधिक हैं, जो देश-समाज और संस्कृति के उत्थान कार्य कर रही हैं। भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।


🚩आशारामजी बापू द्वारा किए गए कार्य:


🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर धर्म के संस्कार, मकान, जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया ।


🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।


🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।


🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।


🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।


🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।


🚩7). वैलेंटाइन डे का कुप्रभाव रोकने हेतु “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया।


🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।


🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।


🚩10). नशामुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसनमुक्त कराया।


🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।

🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।


🚩13. बच्चों के लिए “बाल संस्कार केंद्र”, युवाओं के लिए “युवा सेवा संघ”, महिलाओं के लिए “महिला उत्थान मंडल” खोलकर उनका जीवन धर्ममय व उन्नत बनाया।


🚩हजारों कत्लखाने जाने वाली गायों को बचाकर गोशालए खुलवाई, जहाँ गौसेवा को सबसे अधिक महत्व दिया गया।


🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है। लगभग करीब 8 करोड़ साधक देश-विदेश में हैं और इतने सालों से जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है और उन करोड़ों भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है। वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेंगे।

http://ashram.org/Pujya-Bapuji


🚩गौरतलब है- संत आशारामजी बापू का जन्म दिवस 11 अप्रैल को हैं। अभी उनका 86वाँ साल चल रहा है, पिछले 10 साल से जेल में बन्द होने पर भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में “विश्व सेवा दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं ।


🚩वैसे तो हर साल इस दिन देशभर में जगह-जगह पर निकाली जाती हैं- भगवन्नाम संकीर्तन यात्रायें और वृद्धाश्रमों,अनाथालयों व अस्पतालों में निशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित की जाती है। गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में होता है- विशाल भंडारा जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है। उस दिन जगह जगह पर छाछ, पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं एवं सत्साहित्य आदि का वितरण किया जाता है।


🚩मीडिया ने दिन-रात हिन्दू संत आशारामजी बापू के खिलाफ समाज को भ्रमित करने और उनकी छवि को धूमिल करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उनको मानने वाले करोड़ों अनुयायियों की आज भी अटल श्रद्धा उनमें हैं। जनता भी प्रश्न कर रही है कि बापू निर्दोष हैं तो उनकी रिहाई क्यों नहीं की जा रही है ? सरकार को उसपर ध्यान देना ही  चाहिए।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, April 9, 2023

क्यों खाएं सूर्यास्त से पूर्व: रात्रिभोज

09-04-20223 

आयुर्वेदानुसार सूर्यास्त से पहले खाना खा लेना चाहिए। जैन धर्म में इस नियम की अत्यधिक महत्ता है। सभी धर्मों में भोजन करने से संबंधित अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार नियम निर्धारित किए गए हैं जैसे खाने से पहले पानी पीना सर्वोत्तम, बीच में मध्य और भोजन उपरांत निम्न माना जाता है। भोजन से पहले आधा घंटा पूर्व, मध्य में एक बार और खाने के बाद लगभग पौने घंटे पूर्व पानी पीना चाहिए। सुबह से शाम तक के लिए विभिन्न नियम और सिद्धांत बनाए गए हैं। जिनके वैज्ञानिक कारण भी हैं।



कहते हैं की कुछ पशु या पक्षी भी सूर्यास्त के पश्चात भोजन नहीं करते। प्राचीन समय में मनुष्य भी सूर्यास्त से पहले खाना खा लते थे परंतु आग के अविष्कार के बाद भोजन करने की आदत में थोड़ा बदलाव हुआ लेकिन बिजली के अविष्कार के पश्चात आदतें पूर्ण रुप से परिवर्तित हो गई। सूर्यास्त के पश्चात भोजन करने वाले को निशाचर कहते हैं परंतु मानव निशाचर प्राणी नहीं है। बहुत से इंसानों को यह ज्ञात नहीं है कि सूर्यास्त से पहले भोजन करने का क्या कारण हैै। व्यक्ति स्वस्थ रहे इसके लिए नियम बनाया गया है। जिसके निम्न कारण हैं-


- पहला कारण :  सूर्यास्त से पूर्व खाना खाने से भोजन को पचने के लिए सुबह तक उचित समय मिल जाता है। जिससे पाचन तंत्र तंदुरुस्त रहता है।


- दूसरा कारण : इस समय भोजन करने से कई प्रकार के रोगों से बचाव हो जाता है। रात के समय भोजन में बैक्टीरिया और अन्य जीव चिपक जाते हैं या स्वयं उत्पन्न हो जाते हैं।


- तीसरा कारण : सूर्य ढलने के पश्चात मौसम में नमी की मात्रा बढ़ने के कारण सूक्ष्म जीव और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं। दिन के समय सूर्य की तपश के कारण ये पनपते नहीं लेकिन सूर्यास्त के बाद नमी बढ़ने से ये सक्रिय हो जाते हैं।


- चौथा कारण :  सूर्यास्त के पश्चात पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अपने-अपने घरौंदे में चले जाते  हैं। भोजन की प्रकृति में भी परिवर्तन आता है और खाने में मौजूद गुण या पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैंं। सूरज ढलने के बाद खाना बासी और दूषित होना शुरु हो जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

Saturday, April 8, 2023

रामनवमी शोभयात्रा में हिंदुओं को बनाया निशाना, आखिर मस्जिदों के पास ही क्यों बरसते पत्थर ?

8 Apirl 2023

http://azaadbharat.org


🚩रामनवमी हिंदुओं के लिए हर्षोल्लास का पर्व है। माहौल लेकिन इसके उलट रहा इस साल। देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा की गई, हर जगह निशाने पर थे हिंदू। पत्थरबाजी से एक कदम आगे बढ़ बमबाजी और आगजनी करके हिंदुओं को खौफ में रखने का षड्यंत्र किया गया। दो कदम आगे बढ़ प्रोपेगेंडा फैलाया गया कि हिंसा हिंदुओं ने ही की, वो मुस्लिमों को सता रहे। ‘शांतिप्रिय’ इस्लामी इकोसिस्टम के कट्टर मुस्लिम सिपाहियों ने इस प्रोपेगेंडा की पटकथा लिखी। इसे दूर-दूर तक फैलाने का काम किया वामपंथी इकोसिस्टम ने।

बॉलीवुड के हीरो से लेकर पाकिस्तानी हिरोइन तक, पत्रकार, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंशर, प्रोफेसर, नेता, राजनीतिक दल, हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी-विदेशी… हिंदू-घृणा से सने हर क्षेत्र के लोगों ने रामनवमी पर हिंदुओं को कलंकित करने का कार्य किया। यह किया गया बहुत ही सुनियोजित ढंग से। 


🚩वर्ष 2023 की रामनवमी में देश के अलग-अलग इलाकों में हिंसा हुई। इस हिंसा से खास तौर पर बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा और उत्तर प्रदेश प्रभावित हुए हैं। इन घटनाओं में कुछ लोगों की मौत भी हुई हैं और कहीं-कहीं पर तो पुलिस को भी निशाना बनाया गया है। अलग-अलग हिस्सों में पुलिस केस दर्ज कर आरोपितों की धर-पकड़ कर रही है। कुछ स्थानों पर पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई के भी आरोप लगे हैं।



🚩नालंदा (बिहार)


🚩बिहार के नालंदा जिले का बिहार शरीफ। 31 मार्च को रामनवमी की शोभा यात्रा निकाली गई। जब यात्रा बिहारशरीफ के दीवानगंज इलाके की एक मस्जिद के पास पहुँची, तब इस पर पथराव कर दिया गया। आसपास के घरों और दुकानों में आगजनी और जमकर फायरिंग भी की गई। इस फायरिंग में चार लोगों को गोली लगी है। हमले में शोभायात्रा में शामिल छह युवक घायल हुए, जिनमें दो की हालत गंभीर है। यहाँ 4 अप्रैल 2023 तक स्कूल और इंटरनेट सेवा बंद कर दिए गए हैं।


🚩रोहतास (बिहार)

बिहार के रोहतास जिले का सासाराम। 31 मार्च 2023 को यहाँ रामनवमी शोभा यात्रा निकाली गई। यह शोभायात्रा खत्म होने के बाद सहजलाल, बस्ती मोर, चौखंडी, आदमखानी और सोना पट्टी जैसे इलाकों में हिंसा भड़क गई। यहाँ पथराव के साथ लाठी-डंडे भी चले। हालात काबू करने के लिए दूसरे जिलों से फ़ोर्स मँगाई गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई। जिले के मदरसों को 4 अप्रैल 2023 तक बंद रखने के आदेश हुए हैं।


🚩संभाजी नगर (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र का संभाजी नगर। यहाँ 29-30 मार्च 2023 को किराड़पुरा के एक मंदिर के आगे हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की शुरुआत 2 लोगों के कहासुनी से हुई थी। दंगाइयों ने पथराव किया और बम फेंके थे। पुलिस के वाहनों में भी आग लगा दी गई थी।



🚩इस मामले में दर्ज FIR में शौकत, अरबा, रिज़वान, शेख मुनीरुद्दीन, अल्ताफ और हाशमी इतरवाले को नामजद करते हुए 400 से 500 अज्ञात की भीड़ पर FIR दर्ज हुई है। FIR में भीड़ द्वारा नारा-ए-तकबीर और अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाने का जिक्र है। पुलिस ने हिंसा में लगभग चार दर्जन आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि बाकियों की तलाश की जा रही है।


🚩जलगाँव (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र के जलगाँव में साम्प्रदायिक हिंसा की 2 अलग-अलग घटनाएँ हुईं हैं। पहली घटना मंगलवार (28 मार्च 2023) को पालधी गाँव की है। यहाँ रामनवमी का जुलूस लेकर एक मस्जिद के आगे जुटी भीड़ ने बज रहे DJ पर आपत्ति जताई तो विवाद शुरू हो गया। आरोप है कि हिंसक भीड़ ने जुलूस में शामिल लोगों पर पत्थरबाजी की जिसमें लगभग 4 लोग घायल हो गए।


🚩पुलिस ने इस मामले में हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की तहरीरों पर 2 अलग-अलग FIR दर्ज की है। एक केस में हिन्दू पक्ष के 9 लोगों को आरोपित किया गया है। वहीं दूसरी FIR में मुस्लिम पक्ष के 63 लोग नामजद हुए हैं। अब तक कुल 45 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।


🚩जलगाँव की ही एक अन्य घटना शनिवार (1 अप्रैल 2023) की है। यहाँ के अतरवाल गाँव में किसी अज्ञात व्यक्ति ने गाँव में लगी एक मूर्ति को तोड़ दिया। इस बात से गाँव के 2 पक्ष आमने-सामने आ गए। कुछ ही देर में हालात तनावपूर्व हो गए और दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर हमला कर दिया। मामले में कुल 12 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।


🚩मलाड (महाराष्ट्र)


🚩महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के मलाड में भी रामनवमी की शोभायात्रा पर कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया गया था। यहाँ रामनवमी की शोभायात्रा निकाल रहे हिंदुओं पर जामा मस्जिद और अली हजरत मस्जिद इलाके में पत्थरों और चप्पलों से हमला किया गया। हमले के दौरान दंगाइयों ने अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाए। पुलिस ने कुल 400 आरोपितों पर केस दर्ज करते हुए 21 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है।

🚩हावड़ा (पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल का हावड़ा के शिबपुर में भी रामनवमी के दिन 31 मार्च 2023 साम्प्रदायिक हिंसा हुई। इस दौरान कट्टरपंथियों की भीड़ ने सड़कों पर उतर कर पत्थरबाजी की थी। हिंसा रामनवमी का जुलूस खत्म होने के बाद भी जारी रही।


🚩ममता बनर्जी ने इसका ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ा था और हिन्दू संगठनों पर ही जुलूस मुस्लिम बहुल इलाकों से ले जाने का आरोप लगाया था। भाजपा नेताओं ने मामले की जाँच NIA से करवाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है। इस हिंसा में अब तक पुलिस ने 36 लोगों को गिरफ्तार किया है।


🚩डालखोला (पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल में उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर शहर के दालखोला इलाके में 31 मार्च को रामनवमी के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। मुस्लिम बहुल इलाके में हुई इस झड़प में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि 5-6 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। हालाँकि, बंगाल पुलिस युवक के मौत की वजह हार्ट अटैक बता रही है। बंगाल भाजपा का आरोप है कि इस मामले में पुलिस बेकसूर लोगों को गिरफ्तार करके उन पर अत्याचार कर रही है।


🚩हुगली (पश्चिम बंगाल)


🚩पश्चिम बंगाल के हुगली में भी 31 मार्च को रामनवमी पर हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान यहाँ के रिसड़ा क्षेत्र में एक भीड़ पर रामनवमी की शोभायात्रा पर हमले का आरोप है। रविवार (2 अप्रैल) को एक बार फिर से यहाँ हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना के बाद हुगली के कई हिस्सों में इंटरनेट बंद कर के धारा 144 लागू कर दी गई थी। पुलिस ने अब तक कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कई अन्य लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।


🚩साहिबगंज (झारखंड)

झारखंड का जिला साहिबगंज में शनिवार (1 अप्रैल 2023) की शाम मूर्ति विसर्जन के जुलूस पर कृष्णानगर में कुलीपाड़ा रेलवे लाइन के पास पथराव हुआ। पत्थरबाजी छतों से की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान भड़की हिंसा में 1 बाइक को आग लगा दी गई थी।


🚩जुलूस में शामिल 6 श्रद्धालुओं के साथ पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। पुलिस इस मामले में जाँच कर रही है। वहीं 3 अप्रैल 2023 को एक बार फिर से साहिबगंज में हनुमान प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने पर हिन्दू संगठन विरोध प्रदर्शन करने लगे जिसके बाद पुलिस ने हिन्दू संगठनों पर ही लाठीचार्ज कर दिया।


🚩लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला हुआ था। यहाँ के जानकीपुरम विस्तार इलाके में जब रामनवमी का जुलूस शाही मस्जिद के सामने से गुजरा, तब उस पर छतों से पत्थर फेंके जाने लगे थे। इस पथराव में कुछ श्रद्धालुओं को चोटें आईं और शोभायात्रा में शामिल वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। पुलिस कार्रवाई से नाराज हिन्दू संगठनों ने घटना के विरोध में थाने पर धरना दिया था। फिलहाल इस मामले में पुलिस द्वारा किसी की गिरफ्तारी की जानकारी नहीं दी गई है।


🚩वडोदरा (गुजरात)

गुजरात के वडोदरा जिले में गुरुवार (30 मार्च 2023) को रामनवमी की शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी की गई थी। जुलूस के फतेहपुरा गराना पुलिस चौकी क्षेत्र में एक मस्जिद के सामने से गुजरने के बाद उस पर पत्थर बरसाए गए थे। पुलिस ने हालत को को फ़ौरन संभाला और हमलावरों को तितर-बितर किया था।



🚩पुलिस ने इस मामले में SIT गठित करते हुए 500 उपद्रवियों पर केस दर्ज किया था। इस मामले में कुल 23 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें 6 महिलाएँ भी शामिल हैं। पुलिस को इन सभी आरोपितों की 5 दिनों की कस्टडी रिमांड मिली है।


🚩हासन (कर्नाटक)

कर्नाटक के हासन में गुरुवार (30 मार्च 2023) को रामनवमी के जुलूस पर कट्टरपंथियों ने हमला किया था। जब यह जुलूस चन्नारायणपटना इलाके की एक मस्जिद के सामने से गुजरा, तब उसके विरोध में भीड़ ने हंगामा किया।


🚩 पत्थरबाजी के साथ हमलावरों ने चाकूबाजी भी की। इस चाकूबाजी में मुरली और हर्ष नाम के 2 लोग घायल हो गए थे। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी है।


🚩हिंदुओं को अपना वजूद बचाने के लिए हिंदू विरोधी सिस्टम से कानून के दायरे में रहकर लड़ना होगा। जय श्रीराम का उद्घोष तेज और तेज होता जाए, इसके लिए हिंदू को बिना बँटे, बिना टूटे… कानून में रहकर लड़ना होगा, यही एकमात्र रास्ता है।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ